Indian XXX नेहा बह के कारनामे - Page 5 - SexBaba
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Indian XXX नेहा बह के कारनामे

नेहा ने अपने पापा के किस को भरपूर आराम से रेस्पांड किया उसको अपने बाहों में थामे। और बाप ने हाथ नेहा की पूरे पीठ पर फेरा नेहा के कपड़ों को महसूस करते हुये। उसकी ब्लाउज़ और थोड़ी बहुत नंगी पीठ, उसके कंधे, और बाप ने लण्ड को नेहा के नीचे के नर्म हिस्सों पर दबाते हए किस जारी रखा। किस के बाद नेहा को अपनी बाहों में भरे हए ही बाप ने उसके कंधे और गले को चूमते हए पूछा- “अब अपने पति के साथ मजा करती हो ना रानी? हम्म्म... मजा आता है ना अब? अब जान गई हो ना कितना मजा और आनंद मिलता है यह करने में? अब तुमको समझ में आ गया होगा ना कि मैं क्या चाहता था तुमसे तेरी शादी से पहले? बोल ना? क्या जब वो तेरे साथ करता है तो कभी एक बार भी तुमने मुझको सोचा उसके साथ करने के दौरान... हाँ, बता ना मुझे...”

नेहा उसकी बाहों में एक खिलौने की तरह लग रही थी। अपनी गर्दन को पीछे के तरफ खींचते हुए नेहा अपने जिश्म को अपने पिता के जिश्म के साथ चिपका हुआ महसूस करके खुद को संभाल नहीं पा रही थी, और जवाब देना तो दूर की बात थी। उसके जिश्म में उत्तेजना की आग भड़क चकी थी। पिता सब देख रहा था और उसको पता चल रहा था कि नेहा गरम हो रही है। उसने धीरे-धीरे नेहा की ब्लाउज़ को उतारा उसको चूमते हुए, हौले हौले, धीरे-धीरे हल्के से एक-एक करके ब्लाउज़ के बटनों को खोला, नेहा की चूचियों के एक-एक हिस्से को निहारते हुए।

ब्लाउज़ को उसने जैसे जोश में फेंका कि वो जाकर दरवाजे के पास गिरा। पिता ने नेहा की सेक्सी ब्रा में चूचियों को मसलते हुए, ब्रा को धीरे-धीरे अनहक किया और उसको भी निकाल फेंका ब्लाउज़ की तरह। नेहा टापलेस उसकी बाहों में कैद थी। थोड़ा बहुत उसका जिश्म काँप रहा था, पैरों में जैसे दम नहीं था खड़े रहने का। आँखें बंद कर ली नेहा ने। उसके पापा के हाथों में उसका जिश्म उस वक्त एक एलास्टिक पीस की तरह था, जिसको जिस तरह चाहे वो मोड़ रहे थे। नेहा एक कठपुतली की तरह अपने पापा की बाहों में हर दिशा में मुड़ रही थी।

फिर धीरे से पिता ने नेहा को बिस्तर पर लेटाया और खुद अपने घुटनों के बल हो गया और धीरे-धीरे नेहा की लंबी स्कर्ट को ऊपर उठाने लगा। धीरे-धीरे नेहा की टाँगें नजर आने लगीं। पिता को जैसे कोई जल्दी नहीं था, वो सब कुछ बिल्कुल आराम से धीरे-धीरे कर रहा था। नेहा की साँसें फूल रही थी, वो धीरे-धीरे सिसकारियां छोड़ रही थी और उसकी साँसें तेज होने लगी थी, थोड़ा बहत हाँफने भी लगी थी।

बाप ने धीरे-धीरे नेहा के घुटनों के नीचे से अपनी जीभ फेरना शुरू किया और धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता गया, नेहा की खूबसूरत सफेद और गुलाबी रंग की जांघों को निहारते हए और जीभ फेरते हए। उसके जांघों से उसकी पैंटी तक का सफर चाटते हुए तय करने में काफी वक्त लगाया पिता ने। जबकि नेहा सिसकते हुए अंगड़ाइयां लेते हुए और आहें भरते हुए मरी जा रही थी अपने बाप को उसकी चूत तक पहुँचने के लिए। नेहा अपनी आँखों को बंद किये, तड़पते हुए अपने पापा की छुवन को महसूस किए जा रही थी।

फिर नेहा उन दिनों को सोचने लगी थी, और आँखों को बंद करके उन्न्हीं दिनों में वापास चली गई थी जिन दिनों वो कुँवारी थी और उसका पिता उसके साथ यह सब करता था। नेहा वोही महसूस किए जा रही थी कि वो अब भी कँवारी है और उसका पापा उसके जिश्म को वैसे ही चूम चाट रहा है जैसे वो उसकी शादी से सालों पहले अक्सर किया करता था। अपने अंदर नेहा ने उस कुंवारी लड़की को महसूस किया जो वो पहली थी इस घर में शादी से पहले। वो उन दिनों को जीने लगी थी इस पल में।

बाप तो लग रहा था एक भूखा शेर है जिसको बरसों बाद खाने के लिए गोश्त मिल गया है। जब वो नेहा की पैंटी तक पहुँचा, तो पैंटी को ही चूसने लगा, जो भीग गई थी और बाप ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी के रस को चूसना और पीना शुरू किया, और अपने लार और थूक से पैंटी को और भी भिगो दिया उसने। नेहा की तड़प और सिसक से कमरा गूंजने लगा था। फिर अपने दाँतों से पिता ने अपनी बेटी की पैंटी को उतारना शुरू किया। नेहा उस वक्त अपनी मुट्ठी में चादर को कसके भरके खींचने लगी। तब नेहा आँखों को खोलकर अपने पिता के चेहरे में उसकी खुशी और धीरज की इंतेहा को देखा जो आज एक मुद्दत के बाद अपनी बेटी को अपने बिस्तर पर लेटाकर पूरा कर रहा था।
 
नेहा को पता था कि उसके पापा उसके लिए कितना भूखे थे और नेहा ने सोचा के उसका कर्तव्य है अपने पापा को वो खुशी देना, क्योंकी वहाँ अपने ससुर को इससे भी ज्यादा खुशी दे चुकी थी। नेहा की तड़प बढ़ गई जब उसके पापा ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से अलग किया और जीभ को चूत के छेद के अंदर घुसेड़ा, उसका रस चाटने के लिए। फिर उसके रस को चूसते हुए उसकी गुलाबी चूत में पिता अपनी जीभ ठुसता गया, जो नेहा से बर्दाश्त नहीं हआ और वो तड़पते हए चीख पड़ी।

जल्द ही पिता ने अपने कपड़े उतारे, नेहा को भी नंगी किया और बिस्तर पर नेहा के ऊपर चढ़ गया। वो तब भी भूखा शेर ही दिख रहा था, जो अपनी मादा पर चढ़कर गुर्रा रहा था। नेहा उठ बैठी और बिना पूछे या कहे उसने अपने पिता के लण्ड को हाथ से पकड़ा तो पिता तड़प उठा जैसे उसको एक दर्द हआ हो, जिस समय उसकी बेटी का हाथ ने उसके लण्ड को थामा। वो एक खुशी भरा दर्द था। वो इस उम्र का हो गया था मगर कभी किसी ने उसके लण्ड को अपने मुँह में नहीं लिया था, आज बेटी द्वारा जिंदगी में पहली उसने अपने लण्ड को किसी के मँह में जाते महसस किया। क्या आलम था. क्या लम्हा था उसकी जिंदगी का यह बयान करना नाममकिन है।
 
नेहा ने अपने पापा के किस को भरपूर आराम से रेस्पांड किया उसको अपने बाहों में थामे। और बाप ने हाथ नेहा की पूरे पीठ पर फेरा नेहा के कपड़ों को महसूस करते हुये। उसकी ब्लाउज़ और थोड़ी बहुत नंगी पीठ, उसके कंधे, और बाप ने लण्ड को नेहा के नीचे के नर्म हिस्सों पर दबाते हए किस जारी रखा। किस के बाद नेहा को अपनी बाहों में भरे हए ही बाप ने उसके कंधे और गले को चूमते हए पूछा- “अब अपने पति के साथ मजा करती हो ना रानी? हम्म्म... मजा आता है ना अब? अब जान गई हो ना कितना मजा और आनंद मिलता है यह करने में? अब तुमको समझ में आ गया होगा ना कि मैं क्या चाहता था तुमसे तेरी शादी से पहले? बोल ना? क्या जब वो तेरे साथ करता है तो कभी एक बार भी तुमने मुझको सोचा उसके साथ करने के दौरान... हाँ, बता ना मुझे...”

नेहा उसकी बाहों में एक खिलौने की तरह लग रही थी। अपनी गर्दन को पीछे के तरफ खींचते हुए नेहा अपने जिश्म को अपने पिता के जिश्म के साथ चिपका हुआ महसूस करके खुद को संभाल नहीं पा रही थी, और जवाब देना तो दूर की बात थी। उसके जिश्म में उत्तेजना की आग भड़क चकी थी। पिता सब देख रहा था और उसको पता चल रहा था कि नेहा गरम हो रही है। उसने धीरे-धीरे नेहा की ब्लाउज़ को उतारा उसको चूमते हुए, हौले हौले, धीरे-धीरे हल्के से एक-एक करके ब्लाउज़ के बटनों को खोला, नेहा की चूचियों के एक-एक हिस्से को निहारते हुए।

ब्लाउज़ को उसने जैसे जोश में फेंका कि वो जाकर दरवाजे के पास गिरा। पिता ने नेहा की सेक्सी ब्रा में चूचियों को मसलते हुए, ब्रा को धीरे-धीरे अनहक किया और उसको भी निकाल फेंका ब्लाउज़ की तरह। नेहा टापलेस उसकी बाहों में कैद थी। थोड़ा बहुत उसका जिश्म काँप रहा था, पैरों में जैसे दम नहीं था खड़े रहने का। आँखें बंद कर ली नेहा ने। उसके पापा के हाथों में उसका जिश्म उस वक्त एक एलास्टिक पीस की तरह था, जिसको जिस तरह चाहे वो मोड़ रहे थे। नेहा एक कठपुतली की तरह अपने पापा की बाहों में हर दिशा में मुड़ रही थी।

फिर धीरे से पिता ने नेहा को बिस्तर पर लेटाया और खुद अपने घुटनों के बल हो गया और धीरे-धीरे नेहा की लंबी स्कर्ट को ऊपर उठाने लगा। धीरे-धीरे नेहा की टाँगें नजर आने लगीं। पिता को जैसे कोई जल्दी नहीं था, वो सब कुछ बिल्कुल आराम से धीरे-धीरे कर रहा था। नेहा की साँसें फूल रही थी, वो धीरे-धीरे सिसकारियां छोड़ रही थी और उसकी साँसें तेज होने लगी थी, थोड़ा बहत हाँफने भी लगी थी।

 
फिर धीरे से पिता ने नेहा को बिस्तर पर लेटाया और खुद अपने घुटनों के बल हो गया और धीरे-धीरे नेहा की लंबी स्कर्ट को ऊपर उठाने लगा। धीरे-धीरे नेहा की टाँगें नजर आने लगीं। पिता को जैसे कोई जल्दी नहीं था, वो सब कुछ बिल्कुल आराम से धीरे-धीरे कर रहा था। नेहा की साँसें फूल रही थी, वो धीरे-धीरे सिसकारियां छोड़ रही थी और उसकी साँसें तेज होने लगी थी, थोड़ा बहत हाँफने भी लगी थी।

बाप ने धीरे-धीरे नेहा के घुटनों के नीचे से अपनी जीभ फेरना शुरू किया और धीरे-धीरे ऊपर बढ़ता गया, नेहा की खूबसूरत सफेद और गुलाबी रंग की जांघों को निहारते हए और जीभ फेरते हए। उसके जांघों से उसकी पैंटी तक का सफर चाटते हुए तय करने में काफी वक्त लगाया पिता ने। जबकि नेहा सिसकते हुए अंगड़ाइयां लेते हुए और आहें भरते हुए मरी जा रही थी अपने बाप को उसकी चूत तक पहुँचने के लिए। नेहा अपनी आँखों को बंद किये, तड़पते हुए अपने पापा की छुवन को महसूस किए जा रही थी।

फिर नेहा उन दिनों को सोचने लगी थी, और आँखों को बंद करके उन्न्हीं दिनों में वापास चली गई थी जिन दिनों वो कुँवारी थी और उसका पिता उसके साथ यह सब करता था। नेहा वोही महसूस किए जा रही थी कि वो अब भी कँवारी है और उसका पापा उसके जिश्म को वैसे ही चूम चाट रहा है जैसे वो उसकी शादी से सालों पहले अक्सर किया करता था। अपने अंदर नेहा ने उस कुंवारी लड़की को महसूस किया जो वो पहली थी इस घर में शादी से पहले। वो उन दिनों को जीने लगी थी इस पल में।

बाप तो लग रहा था एक भूखा शेर है जिसको बरसों बाद खाने के लिए गोश्त मिल गया है। जब वो नेहा की पैंटी तक पहुँचा, तो पैंटी को ही चूसने लगा, जो भीग गई थी और बाप ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी के रस को चूसना और पीना शुरू किया, और अपने लार और थूक से पैंटी को और भी भिगो दिया उसने। नेहा की तड़प और सिसक से कमरा गूंजने लगा था। फिर अपने दाँतों से पिता ने अपनी बेटी की पैंटी को उतारना शुरू किया। नेहा उस वक्त अपनी मुट्ठी में चादर को कसके भरके खींचने लगी। तब नेहा आँखों को खोलकर अपने पिता के चेहरे में उसकी खुशी और धीरज की इंतेहा को देखा जो आज एक मुद्दत के बाद अपनी बेटी को अपने बिस्तर पर लेटाकर पूरा कर रहा था।

 
बाप तो लग रहा था एक भूखा शेर है जिसको बरसों बाद खाने के लिए गोश्त मिल गया है। जब वो नेहा की पैंटी तक पहुँचा, तो पैंटी को ही चूसने लगा, जो भीग गई थी और बाप ने पैंटी के ऊपर से ही अपनी बेटी के रस को चूसना और पीना शुरू किया, और अपने लार और थूक से पैंटी को और भी भिगो दिया उसने। नेहा की तड़प और सिसक से कमरा गूंजने लगा था। फिर अपने दाँतों से पिता ने अपनी बेटी की पैंटी को उतारना शुरू किया। नेहा उस वक्त अपनी मुट्ठी में चादर को कसके भरके खींचने लगी। तब नेहा आँखों को खोलकर अपने पिता के चेहरे में उसकी खुशी और धीरज की इंतेहा को देखा जो आज एक मुद्दत के बाद अपनी बेटी को अपने बिस्तर पर लेटाकर पूरा कर रहा था।

नेहा को पता था कि उसके पापा उसके लिए कितना भूखे थे और नेहा ने सोचा के उसका कर्तव्य है अपने पापा को वो खुशी देना, क्योंकी वहाँ अपने ससुर को इससे भी ज्यादा खुशी दे चुकी थी। नेहा की तड़प बढ़ गई जब उसके पापा ने उसकी चूत की पंखुड़ियों को अपनी जीभ से अलग किया और जीभ को चूत के छेद के अंदर घुसेड़ा, उसका रस चाटने के लिए। फिर उसके रस को चूसते हुए उसकी गुलाबी चूत में पिता अपनी जीभ ठुसता गया, जो नेहा से बर्दाश्त नहीं हआ और वो तड़पते हए चीख पड़ी।

जल्द ही पिता ने अपने कपड़े उतारे, नेहा को भी नंगी किया और बिस्तर पर नेहा के ऊपर चढ़ गया। वो तब भी भूखा शेर ही दिख रहा था, जो अपनी मादा पर चढ़कर गुर्रा रहा था। नेहा उठ बैठी और बिना पूछे या कहे उसने अपने पिता के लण्ड को हाथ से पकड़ा तो पिता तड़प उठा जैसे उसको एक दर्द हआ हो, जिस समय उसकी बेटी का हाथ ने उसके लण्ड को थामा। वो एक खुशी भरा दर्द था। वो इस उम्र का हो गया था मगर कभी किसी ने उसके लण्ड को अपने मुँह में नहीं लिया था, आज बेटी द्वारा जिंदगी में पहली उसने अपने लण्ड को किसी के मँह में जाते महसस किया। क्या आलम था. क्या लम्हा था उसकी जिंदगी का यह बयान करना नाममकिन है।

नेहा को शायद पता था कि उसकी माँ ने कभी लण्ड नहीं चूसा था, अपने जिंदगी में। तो वो अपने पिता को यह खुशी भरपूर देना चाहती थी। उसने धीरे से पहले अपने पापा के लण्ड को हाथ से सहलाया और फिर धीरे-धीरे आराम से लण्ड के ऊपरी हिस्से पर अपने जीभ चलाया। जिससे बाप की तड़प की इंतेहा नहीं रही, उसका जिश्म काँप उठा और अपनी बेटी के सर को दोनों हाथों में थामकर आहें भरते हुए अपने लण्ड को बेटी के मुँह में घुसता देखने लगा।

नेहा ने लण्ड के ऊपर अपनी जीभ फेरा और उसको लण्ड के छेद पर गोल-गोल घुमाया, और लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। नेहा सर हिलाते हुए अपने मुँह के अंदर-बाहर करने लगी और पिता कमर हिलाते हुए धकेलने लगा। उसको इतना मजा आया कि बस एक पल में झड़ने को आ गया

फिर थरथर काँपते हुए जिश्म से बाप गुर्राया- “बेटी, मैं झड़ने वाला हूँ उफफ्फ़... क्या कयामत है? क्या कर दिया तुमने मुझे? ऐसा पहले कभी नहीं हुआ मेरे साथ की इतनी जल्दी झड़ जाऊँ... आअघ्गगघह..” उसको लण्ड को बाहर निकालने का मौका ही नहीं मिला।

उसके वीर्य की पहली धार प्रेशर से सीधा नेहा के गले के अंदर गई, और बाकी के वीर्य को नेहा ने बाहर थूका। फिर अपने पापा के लण्ड को दोबारा चूसने लगी। उसके झड़ने के बाद, बाप के जिश्म में जैसे करेंट दौड़ रहा था, वो झटके खाने लगा था। वो अपने पंजे पर खड़ा हो गया जब उसके वीर्य के अंतिम कतरे नेहा के गले के अंदर ही गिरे, बाप को इतनी खुशी मिली कि उसको लगा कि जिंदगी में आज उसने पहली बार सेक्स किया है।
*****
*****
 
बाप ने नेहा को अपने बगल में लेटाया, जोर से उसको अपने सीने से चिपकाए। दोनों नंगी हालत में थे और पिता बोला- “बेटी, तुमने पापा को बहुत जबरदस्त मजा दिया आज, मैं 57 साल का हो गया हूँ और आज तक किसी भी औरत ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में नहीं लिया था। बहुत ही मजा और अजीब सुकून मिला मुझे, मेरी दुलारी बिटिया तुमने पापा को इतना खुश किया कि समझ में नहीं आता कि मैं कैसे इजहार करूँ? शुक्रिया मेरी लाडली, बहुत-बहुत शुक्रिया... तुमने आज पापा को वो खुशी दी है जो शायद कोई नहीं दे पाता कभी..."

नेहा अपने पिता की छाती पर वहाँ के बाल पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए पूछा- “पापा, माँ ने ऐसा कभी नहीं किया था आपके साथ?"

पापा ने जवाब दिया- “नहीं मेरी जान, तुम्हारी माँ बहुत पुराने खयालात वाली औरतों में से है, तुमको तो पता ही है। उसके साथ एक अच्छी लिप-किस करना भी मुश्किल है। मैं तो सिर्फ कल्पना करता था कि कोई औरत मेरे लण्ड को चूस रही है, तुमने आज मेरा एक सपना पूरा कर दिया मेरी नेहा बिटिया..."

नेहा ने जैसे एक बचकानी शरारती मुश्कान देते हुए अपने पापा की छाती पर किस किया, अपनी जीभ को छाती से उसके गले तक फेरा, उसके जिश्म के ऊपर चढ़ी, क्योंकी उस वक्त उसका पिता अपनी पीठ पर लेट गया था। नेहा ने अपने मुँह को बाप के मुँह से लगाया, होंठों से होंठ फिर से मिले और नेहा ने अपनी जीभ बाप के मुँह में डाला और दोनों एक दूसरे का रस पीने लगे और दोनों की जीभ एक दूसरे के मुँह में घुस गई और पूरे 5 मिनट तक वैसे ही रहे।

तब तक बाप का लण्ड फिर से खड़ा हो गया था तो उसने अपनी हथेली को नेहा की गाण्ड पर दबाया, और फेरा, उसकी दोनों टाँगों को फैलाया और अपने मोटे खड़े लण्ड को नेहा की गीली चूत पर जरा सा रगड़ा। फिर धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसाया, बिल्कुल आराम से, धीरे से, बिना कोई जल्दी किए। और क्योंकी नेहा उनके ऊपर थी तो नेहा भी हिलने लगी, अपनी कमर की हिलाते हए और अपनी गाण्ड को उठक बैठक जैसे करते हए। अपने पंजे पर प्रेशर देते हुए नेहा ऊपर-नीचे हो रही थी अपने पापा के ऊपर, उसका पूरा नंगा जिश्म अपने पापा के जिश्म पर था, पापा का लण्ड नेहा की चूत के अंदर और नेहा का जिश्म ऊपर से नीचे बाप के जिश्म पर रगड़ रहा था, पापा की छाती पर रगड़ रही थीं और बाकी जिश्म के हिस्से भी, जाँघ, पेट, सब बाप के जिश्म पर पशीने में भीगे रगड़े जा रहे थे।

नेहा के उस तरह से ऊपर-नीचे उसके जिश्म पर रगड़ने से लण्ड उसकी चूत के अंदर-बाहर हो रहा था। बाप तब तक कोई भी जोर नहीं लगा रहा था, सब नेहा ही कर रही थी अपने पापा के लिए। पापा नेहा की नंगी पीठ को सहला रहा था, तब उसने नेहा की दोनों चूचियों को अपने मजबूत हाथ में थामा, और आपना मुँह नजदीक किया। फिर चूचियों एक-एक करके चूसने लगा।

नेहा के निप्पलों को भी मुंह में लेकर चूसा उसके पिता ने, जबकि नेहा लगातार अपने जिश्म को रगड़ती जा रही थी और कसमसा रही थी सिसकारियों के साथ। नेहा अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाकर छत को देख रही थी, अपने आक्सन को बरकरार रखते हुए। जब नेहा ने गर्दन को पीछे झटका तो उसके खुले बाल, सबके सब उसके पीठ पर फैल गये और उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा दिए, जिसको बाप निहारते जा रहा था। आज उसकी बेटी एक औरत बनकर उसको वो खुशी दे रही थी जो शायद ही कोई बेटी अपने बाप को देती हो।
 
नेहा के निप्पलों को भी मुंह में लेकर चूसा उसके पिता ने, जबकि नेहा लगातार अपने जिश्म को रगड़ती जा रही थी और कसमसा रही थी सिसकारियों के साथ। नेहा अपनी गर्दन को ऊपर की तरफ उठाकर छत को देख रही थी, अपने आक्सन को बरकरार रखते हुए। जब नेहा ने गर्दन को पीछे झटका तो उसके खुले बाल, सबके सब उसके पीठ पर फैल गये और उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा दिए, जिसको बाप निहारते जा रहा था। आज उसकी बेटी एक औरत बनकर उसको वो खुशी दे रही थी जो शायद ही कोई बेटी अपने बाप को देती हो।

अब क्योंकी नेहा ने गर्दन ऊपर कर लिया था तो पिता के मुँह से चूचियां छूट गईं, तो बाप को भी गर्दन को ऊपर उठाकर दोबारा चूचियों को चूसना पड़ा। नेहा की हिलने की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ती गई और वो बिल्कुल गरम हो गई थी और थोड़ी बहुत तड़पने भी लग गई थी, हाँफ भी रही थी, छोटी-छोटी आवाजें आ रही थी उसके गले से, जैसे- “हम्म्म ... आआह्ह... इस्स्स्स ... उफफ्फ़... इस्स्स्स ..."

बाप की समझ में आ गया कि बेटी को अब लण्ड की जरूरत है क्योंकी वो झड़ने वाली होगी, तो वो भी कमर उठाकर अपने लण्ड को अंदर-बाहर धक्का देने लगा। नेहा के हिलने के साथ-साथ बाप भी धक्का देने लगा। अब दोनों के जिश्म एक दूसरे के जिश्म से सटे हुए थे, पशीने में भीगे हुए और जबरदस्त चुदाई हो रही थी बाप-बेटी में। फिर बाप उठ बैठा, नेहा भी बैठ गई, दोनों की टाँगें दोनों तरफ 'वी' के आकार में फैली हुई, और लण्ड नेहा की चूत के अंदर ही था, तो बाप ने नेहा की दोनों टाँगों को और खोलते हए, जैसे वो एक मोटरसाइकल या घोड़ी पर बैठी थी उस वक्त।

फिर बाप उसी बैठी हुई पोजीशन में अपने लण्ड के धक्के की रफ्तार बढ़ाता गया। नेहा अब उठक बैठक कर रही थी अपने बाप के लण्ड के ऊपर, जो उसकी चत में घसा हआ था और लण्ड अंदर-बाहर रफ़्तार से हो रहा था। बाप के हाथ नेहा की कमर पर थे और नेहा की बाहें बाप के गले में जोर से जकड़े हुए, उसकी चूचियां बाप की छाती से चिपकी हुई, जो उसकी छाती के बाल से रगड़ खा रही थीं, जिससे नेहा को दोगुनी उत्तेजना हो रही थी। साथ-साथ वो जोरों से हाँफने लगी थी।

बाप भी हाँफ रहा था और अचानक गुर्राते हुए कहा- “अया... अयाया... मैं झड़ने वाला हूँ बेटा.."

नेहा ने कहा- “सस्शह... पापा, बाहर निकालने की जरूरत नहीं है, मेरे अंदर ही झड़ जाओ आप.."

हाँफते हुए बाप ने पूछा- “क्या? सोच लो बेटा..."

नेहा ने दोबारा कहा- “हाँ पापा, आप फिकर मत करो अंदर ही आ जाओ, कोई बात नहीं। मुझे पता है क्या करना है? आप अंदर ही आ जाओ आराम से..." और इतना कहते हये वो भी सिसकी- “हाँ... इस्स्स्स ... मैं भी पापा... मैं भी उफफ्फ़... बहुत अच्छा लग रहा है... पापा, और अंदर डालो ना और अंदर जाने दो ना... पापा। आआहह..."

 
बाप ने भी 'आआघ्गघह' करते हुए अपने सारे पानी को अपनी बेटी की चूत की गहराई में छोड़ा।

नेहा ने अपने बाप के गरम वीर्य को अपनी गहराई में उतरते महसूस किया। दोनों ने बड़े जोर से एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था। हाँफते हुए दोनों के जिश्म ऐसे चिपके थे कि लगता था कभी भी अलग नहीं होंगे। फिर दोनों ने एक साथ एक लंबी साँस ली और दोनों के होंठ एक दूसरे से मिले फिर दोनों बीच-बीच में साँस लेते हुए एक दूसरे को किस करने लगे। एक दूसरे के मुँह के रस का स्वाद दोनों मजे से ले रहे थे काफी देर तक, जब तक कि बाप का लण्ड नेहा की चूत के अंदर ही मुरझा नहीं गया।

बाप-बेटी पहली बार एक साथ सोए उस रात को।

अगली सुबह को बाप ने नेहा के जिश्म को सहलाया, जबकि वो उसके बगल में बिस्तर पर बिल्कुल नंगी थी। नंगा वो भी था, क्योंकी दोनों रात को सेक्स के बाद नींद की आगोश में खो गये थे। पिता नेहा को सुबह-सुबह फिर से चोदना चाहता था, मगर नेहा ने रात के लिए बचाकर रखने के लिए कहा। नेहा ने बाप को किस किया और उठकर चली गई।
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कड़ी_16

दूसरी तरफ, उधर प्रवींद्र नेहा को बहत मिस कर रहा था, उसको नेहा को देखने का, उससे बात करने का और उसको अपने पास महसूस करने का मन कर रहा था। ससुर भी अपनी चहेती बह को मिस कर रहा था, खासकर रातों को बिस्तर पर। सिर्फ एक दिन गुजरा था नेहा के बिना उस घर में और सब उसकी कमी को महसूस कर रहे थे।

प्रवींद्र सिर्फ नेहा को उसके गाँव में किसी से चुदवाते हुए कल्पना कर रहा था। उसको यकीन था कि जब नेहा वापस आएगी तो उसको बहुत कुछ बताने को होगी। मगर क्या नेहा अपने आप सब कुछ बताएगी? नेहा ने खुद से तो प्रवींद्र को उसके बाप से सेक्स के बारे में कुछ नहीं बताया था, जब तक कि उसको खुद पता ना चला। प्रवींद्र के मन में एक बात बार-बार घूम फिर कर गूंज रही थी- “आपने मुझको मेरे पापा की याद दिला दी..” जो नेहा ने अपने ससुर से कहा था और प्रवींद्र ने सुना था।

उस दिन से यह बात प्रवींद्र के दिमाग में बैठ गई थी, और प्रवींद्र को पक्का यकीन था कि नेहा का अपने पिता के साथ कुछ ना कुछ लेना देना है।

उधर अपने गाँव में, नेहा बिल्कुल आजाद थी, उसका पापा बाहर चला गया था। घर में वो बिल्कुल अकेली थी
और वो भी प्रवींद्र को याद कर रही थी, क्योंकी अक्सर ससुराल में वो दिन भर घर में उसी के साथ रहती थी। नेहा को पता था कि प्रवींद्र भी उसको याद कर रहा होगा, खासकर गरम बेड पर गुजरी चुदाई को। पर इधर नेहा तो अपने पापा से खुद के जिश्म को आराम दे रही थी। मगर उधर प्रवींद्र के लिए कोई नहीं थी उसको खुश करने के लिए, ऐसा नेहा सोचने लगी। फिर सोचने लगी कि क्या प्रवींद्र किसी और लड़की या औरत के पास गया होगा? नेहा को जलन महसूस हुई और वो नहीं चाहती थी कि प्रवींद्र किसी और औरत के पास जाए। फिर नेहा ने खुद को तसल्ली दिया यह सोचकर कि उस गाँव में प्रवींद्र को कोई औरत या लड़की नहीं मिलेगी जो उसको उसके जैसा खुशी दे सके।

अब नेहा के गाँव में, उसका भाई जो एक दिन पहले उससे मिलने आया था, उसने अपने दूसरे भाई को खबर भेज दिया कि नेहा आई हुई है पापा के यहाँ। वो कोई एक किलोमीटर की दूरी पर रहता था उसी गाँव में। नेहा के दोनों बड़े भाइयों की उम्र 42 साल और 38 साल थी। जो एक दिन पहले आया था वो अनिल था 38 साल का। और सबसे बड़ा भाई है सुनील जो 42 साल का है। सुनील की एक बेटी है ** साल की। अनिल की कोई औलाद नहीं है।

सुनील नेहा से मिलने आया, जब उसको खबर मिली कि वो आई हुई है। दोनों भाई बहन गले मिले, बातचीत किए और सुनील ने उससे कहा- "नेहा, शादी के बाद तुम बहुत खूबसूरत हो गई हो। कैसे लड़कियां शादी के बाद अपने पिता के घर को छोड़ने पर और खूबसूरत हो जाती हैं..."

नेहा ने जवाब में कहा- “वो शायद इसलिए कि शादी के बाद लड़कियों को बहुत ज्यादा प्यार मिलते है ससुराल में, जो पिता के घर में नहीं मिलता...”

फिर सुनील ने नेहा को अपने घर चलने को कहा। नेहा को अपने पापा को बताना था कि वो सुनील भाई के घर जा रही है। तो सनील ने नेहा को अपनी गाड़ी में ले लिया और जाते वक्त रास्ते में अपने पिता से कह दिया “कि वो नेहा को अपने घर ले जा रहा है और शाम को उसे वापस उसके घर छोड़ देगा.."

सुनील अपने घर पहुंचा। कोई भी नहीं था उसके यहाँ क्योंकी उसकी वाइफ टीचर थी और उसकी बेटी स्कूल गई हुई थी। जैसे ही वो घर के अंदर दाखिल हुए, सुनील ने नेहा को बाहों में भर लिया और सीने से लगाते हुए कहा "मेरी प्यारी गुड़िया बहना, मैंने कभी भी नहीं सोचा था कि तू इतनी खूबसूरत औरत बन जाएगी री... पता है तुझे कि तू बहुत ही गरम और सेक्सी लग रही है?"

और नेहा उसकी बाहों में थी तो उसने अपनी जांघों के ऊपर उसका लण्ड तना हुआ महसूस किया। नेहा ने खुद से मन में कहा- ओहह... नहीं, अब भाई भी... इसने तो कभी भी ऐसा नहीं सोचा या कछ किया था मेरे साथ..." नेहा ने अपने भाई की बाहों से निकलते हुए कहा- “भाई, क्या कर रहे हो? मैं आपकी छोटी बहन हूँ ना..."

और सुनील ने जवाब दिया- “देखो नेहा, अब तुम एक मुकम्मल औरत हो गई हो और तुमको अब सब पता है कि सेक्स क्या होता है, वगैरह-वगैरह? जैसे ही मैंने तुमको पापा के घर में देखा, उसी वक्त मैंने सोच लिया कि तुमसे सेक्स करूँगा यहाँ अपने घर में लाकर, क्योंकी अब तुमको पता है कि एक मर्द को बेड पर लेना क्या होता है? इसीलिए तुमको यहाँ लेकर आया हूँ। नेहा रानी, तुम बेहद सेक्सी लग रही हो और लगता है तुमको सेक्स की जरूरत है इस वक्त। ऐसे मौके बार-बार नहीं आते मेरी हसीन गुड़िया। अपने इस बड़े भाई को तुम्हें चखने का एक मौका दे दो मेरी गुड़िया रानी। शायद ऐसा मौका मुझको फिर कभी नहीं मिले.."
 
अपने बड़े भाई की इन बातों को सुनकर नेहा का जिश्म काँप उठा, एक सिरहन सी हुई उसके अंग-अंग में। नेहा ने सोचा वो तो एक इन्सेस्ट की गुड़िया बन गई अब। उसके जिश्म में एक गर्मी सी चढ़ी और उत्तेजना से जिश्म सिहर गई अपने बड़े भाई के साथ जिस्मानी तालुकात के बारे में सोचकर। और तब नेहा अपने बड़े भाई के पैंट के ऊपर जहाँ लण्ड होता है वहाँ देखने लगी तो पाया कि पैंट वहाँ फूला हुआ था, मतलब भाई का खड़ा हो गया था बिल्कुल।

नेहा ने उससे पूछा- “भाई, एक बात बताओ कि आज से पहले आपने मुझको लेकर कभी ऐसा सोचा था?"

सुनील भाई ने जवाब दिया- “हाँ नेहा, हाँ... तब तुम छोटी थी और मैं तुमको अपनी गोद में लेकर तुमसे इतना कुछ करवाता था, तुमको अभी याद नहीं होगा। अब जब मेरी शादी हो गई और मैंने यहाँ घर बना लिया तो तुमको और बड़ी होते नहीं देख पाया मैं। वो तो कल जब अनिल ने मुझसे बताया कि तम कितना मस्त दिख रही हो तो उसी वक़्त मैंने सोच लिया कि तुमको अपने बिस्तर पर जरूर लाऊँगा, और यह बेहतरीन मौका है

नेहा बेबी, मुझको तुम्हें जी भरके प्यार करने दो, मुझे ऐसा मौका शायद फिर कभी नहीं मिलेगा। अपने इस भाई को खुश कर दो मेरी लाडली..."

नेहा ने पूछा- “अनिल भैया ने आपसे कहा कि मैं मस्त दिख रही हँ? उसने मेरे बारे में ऐसा कहा आपसे?"

सुनील- “नेहा, हम दोनों तुमको लेकर ऐसे ही बातें किया करते थे हमेशा से। जिन दिनों हम सब एक साथ रहते थे पापा के घर में। तुम एक अकेली लड़की थी हमारे बीच और हम सब मस्त हुआ करते थे, तू हमारी रानी थी, हम दोनों राजा थे। तुम सच में हमारी गुड़िया थी, तुम अकेली एक लड़की थी जिससे हम खुलके मिलते थे मजा करते थे छोटे से ही। तो हम दोनों भाई तुम्हारे बारे में बहुत पहले से ऐसे ही बातें किया करते थे और करते हैं। तुम हमारे लिए गरम थी पहले भी, हम दोनों तुम्हारे शादी से पहले कहा करते थे के हमारी गरम गुड़िया किसी और की होने जा रही है...”

ये सब सुनकर नेहा को शाक नहीं लगा बल्की वो उत्तेजना से गीली होने लगी थी। फिर नेहा मुश्कुराई यह सोचते हुए- “दोनों भाई, पिताजी, ससुर, देवर। लगता है कि अब मैं तो एक सेक्स मशीन हूँ इन मर्दो के लिए..." और नेहा को बहुत गर्मी और उत्तेजना महसूस हुई इतने मों को उसके लिए बेताब होते सोचकर।

नेहा ने अपने बड़े भाई की बाहों में खुद को खो जाने दिया। नेहा उस वक्त एक टू पीस में थी, टाप छोटी थी तो उसकी पूरी कमर नंगी थी, उसकी क्लीवेज सब नजर आ रही थी और वो सुनील की बाहों में थी, भाई का एक हाथ नेहा की नंगी कमर पर था और नेहा की जीभ बड़े भाई के मुँह में घुलने लगे थे, हाँ वह किस करने लगी थी।

फिर बहुत जल्द दोनों बेड पर पाए गये, नेहा की ब्लाउज़ नीचे फर्श पर पायी गई और नेहा की चूचियां बड़े भाई के मुँह में थीं, वो ऐसे चूस रहा था जैसे एक दूध पीता बच्चा अपनी माँ की चूचियों से दूध पीता है। सुनील का हाथ नेहा की स्कर्ट को धीरे-धीरे ऊपर उठाते जा रहा था, और नेहा की खूबसूरत गदराई जांघे नजर आने लगीं। नेहा की बाहें बड़े भाई के कंधों से होकर उसकी पीठ पर थीं और नेहा ने खुद अपने आप एक जाँघ को उठाकर भाई की टांग के ऊपर किया।

नेहा के पिता ने उधर सोचा कि इस वक्त सुनील तो घर पर अकेला होगा और वो नेहा को अपने घर ले गया है। अब क्योंकी उसने नेहा को कल रात को चोदा था तो उसके मन में गंदे खयालात आने लगे कि क्या पता कि सुनील को भी वोही सब करने का मन करेगा नेहा के साथ। आखिर नेहा इतनी गरम और सेक्सी हो गई है कि किसी भी मर्द का उससे बचना बहुत मुश्किल होगा। पिता ने सुनील के घर जाने को निश्चय किया, उसने एक टैक्सी लिया और चल पड़ा सुनील के घर की तरफ।
 
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