Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन - Page 4 - SexBaba
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Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन

मैने बिना कुछ कहे….सुमेरा के मम्मे दबाने शुरू कर दिए…सुमेरा फुल रफ़्तार से अपनी बुन्द को हिलाए जा रही थी….मेरा लंड फिर से सुमेरा की फुद्दि के पानी से गीला होकर अंदर बाहर हो रहा था…चाची सुमेरा पागलो तरह आहह ओह्ह्ह किए जा रही थी…..”हइई समीर….अब तो मुझे तेरा लंड रोज चाहिए अपनी फुद्दि मे…आह सीयी ओह मज़ा आ गया…..बोल रोज मेरी फुद्दि मारेगा ना…” चाची ने पूरी रफतार से अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे करते हुए कहा….पूरे रूम मे सर्प सर्प थप-2 की आवाज़े घूम रही थी….सुमेरा चाची का जिस्म फिर से अकड़ने लगा.. चाची की फुद्दि से मजीद पानी बह कर बाहर आ रहा था….चाची ने मस्ती मे आकर झुक कर मेरे होंटो पर अपने होंटो कर रख दिया….और पूरे जोशो ख़रोश के साथ अपनी कमर को हिलाने लगी….अब चाची की आहो पुकार हम दोनो के मूह के अंदर घुट कर रह जा रही थी….

जैसे ही चाची की फुद्दि ने पानी छोड़ा….चाची ने तेज़ी से साँस लेते हुए अपने होंटो को मेरे होंटो से हटा लिया….”अहह आज हुई है पूरी तसल्ली…..” चाची मेरे ऊपेर से उठ कर बेड पर साइड मे लेट गयी….लेकिन मे अभी रास्ते मे ही था….चाची को भी इस बात का अंदाज़ा था…चाची ने दो तीन लंबी-2 साँसे ली…और फिर उठ कर डॉगी स्टाइल मे आ गयी…ये सब मेरे लिए एक दम नया था…मुझे कुछ समझ नही आ रहा था

…”समीर चल पीछे आकर डाल दे अपनी चाची के फुद्दि मे लंड और जल्दी से अपना पानी निकाल ले….” चाची की बात सुनते ही मे चाची के पीछे घुटनो के बल आ गया….चाची ने अपनी दोनो टाँगो के बीच मे से एक बाज़ू निकाल कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी फुद्दि के सूराख पर सेट कर दिया…..

अब मुझे चाची के अगले हुकम इंतजार ना था….जैसे ही मेरे लंड का कॅप चाची की फुद्दि पर लगा तो, मैने पूरे जोश से एक जबरदस्त झटका मारा…”

अहह एह होई ना गल…..चाची ने पीछे गर्दन घुमा कर कहा…”हुन मेरी बुन्द को पकड़ ज़ोर-2 शॉट मार…..” मैने ऐसे ही किया….चाची की मोटी बड़ी सी बुन्द को दोनो हाथो से पकड़ कर दबाते हुए ज़ोर-2 शॉट लगाने शुरू कर दिए…इस पोज़िशन मे चाची को चोदते हुए मे बहुत ज़यादा जोश मे आ चुका था….इसलिए मजीद 1 -2 मिनट मे ही मैने चाची की फुद्दि मे अपना पानी निकालना शुरू कर दिया…

जब मे दूसरी बरी झाड़ा तो मे बुरी तरह थक चुका था….मेरा लंड जैसे ही ढीला होकर चाची की फुद्दि से बाहर आया….मे पीछे बेड पर लेट गया…..चाची भी गहरी साँसे लेते हुए बेड पर लेट गये…

अपने पुराने दिनो को याद करते हुए मेरी बुरी हालत हो चुकी थी…दोपहर के 3 बज चुके थे…उस वक़्त मे ख्यालों से बाहर आया…जब बाहर डोर बेल बजी….मेरा लंड उस वक़्त फुल टाइट था….मैने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा कि, बाहर नजीबा अपनेव मम्मो के साथ खड़ी थी….”क्या हुआ तुम इतनी जल्दी कैसे आ गये…..?” मैने गेट से पीछे हटते हुए कहा तो, नजीबा अंदर आ गयी…उसके हाथ मे कुछ शॉपिंग बॅग्स थी….”अच्छा नजीबा अब मे जाता हूँ….” नजीबा के मम्मो ने मुड़ते हुए कहा तो, नजीबा ने पीछे मूड कर अपने मम्मो से कहा….

नजीबा: मम्मो पानी तो पी लो….

“नही बहुत देर हो रही है….फिर कभी आउन्गा….” उसके मम्मो के जाने के बाद मैने गेट बंद किया और जैसे ही मुड़ा तो देखा कि, नजीबा अपने रूम मे जा चुकी थी. और उसके रूम का डोर बंद था….मैने सोचा शायद वो थक गयी हो गी… इसलिए मे वहाँ से अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गया….लेटे-2 मुझे नींद आने लगी… अभी मेरी आँख लगे चन्द मिनट ही हुए थी कि, मुझे किसी ने हिलाया…जब मैने आँखे खोल कर देखा तो, बेड के पास नजीबा खड़ी थी….”खाना खा लो…” नजीबा बाहर चली गयी…..मे बेड से उठा और हाथ मूह धोने के लिए बाथरूम मे चला गया….जब वापिस आया तो देखा नजीबा बरामदे मे चारपाई पर बैठी हुई थी…. उसने अपने सामने दो प्लेट्स रखी हुई थी….मैं उसके सामने चारपाई पर बैठ गया…
 
“ जब मैने प्लेट मे खाने को देखा तो आइडिया हो गया था कि, नजीबा बाहर होटेल से ही खाना लेकर आई थी….”तुम तो शाम को आने वाली थी….फिर इतनी जल्दी कैसे आ गयी….” मैने खाना खाना शुरू कर दिया….” ऐसे ही मेरा मन नही लग रहा था शॉपिंग मे….”

मैं: अच्छा…पर मैने तो सुना है कि, लड़कियों को शॉपिंग करना बहुत पसंद होता है…फिर तुम्हारा मन कैसे नही लगा शॉपिंग मे….

नजीबा: अब नही लगा तो नही लगा…इसमे क्या बताने वाली बात है….

मैने देखा कि नजीबा का मूड थोड़ा ऑफ था….इसलिए मे चुप हो गया…और खाना खाने लगा…नजीबा ने भी कोई बात नही की…मैने खाना खाया और अपनी प्लेट उठा कर किचन मे चला गया….वहाँ जाकर मैने सींक मे प्लेट को धोना शुरू किया था कि, नजीबा किचन मे आ गयी…

.”प्लेट रख देते मैं धो देती…..” नजीबा ने अपनी प्लेट सेल्फ़ पर रखते हुए कहा…

मुझे उसके उखड़े हुए मूड का बुरा लगा था.. “मुझे अपने काम खुद करने के आदत है…मे अपनी आदत खराब नही करना चाहता…” मैने प्लेट को धो कर रखा और बाहर आ गया….और सीधा अपने रूम मे चला गया…

नजीबा भी प्लेट धो कर अपने रूम मे चली गयी….अभी कुछ ही टाइम गुज़रा होगा कि, बाहर डोरबेल बजी….इससे पहले कि मे उठ कर बाहर जाता…मैं अभी डोर पर पहुचा ही था कि, मैने देखा नजीबा अपने रूम से निकल कर गेट की तरफ जा रही है….नजीबा ने गेट खोला तो सामने रीदा खड़ी थी…वो मुस्कुराते हुए अंदर आ गयी…उन दोनो मे कुछ बात हुई, लेकिन वो दोनो दूर खड़ी थी…अमूमन दोनो बाहर बरामदे मे बैठ कर काफ़ी देर तक बातें करती रहती थी….लेकिन आज नजीबा ने गेट बंद किया और सीधा अपने रूम मे चली गयी..और रीदा मेरे रूम की तरफ आ गयी….

”आज नजीबा को क्या हुआ….?” रीदा ने अंदर आकर पूछा…. 

“पता नही सुबह अपने मामा के साथ शॉपिंग पर गयी थी…जब से वापिस आई है ऐसे ही मूड ऑफ किए घूम रही है…तुम जाकर उसे पूछो कि आख़िर बात क्या है….” 

रीदा: अच्छा जाती हूँ…..

रीदा नजीबा के रूम मे चली गयी…..मैं वही बैठा इंतजार कर रहा था कि, कब रीदा बाहर आए….और मुझे बताए कि, आख़िर नजीबा के साथ मसला किया है….तकरीबन आधे घंटे बाद रीदा रूम मे आई….और मेरे पास आकर बेड पर बैठ गयी

…”क्या हुआ कुछ बताया उसने….?” मैने रीदा की तरफ देखते हुए कहा…..तो रीदा ने हां मे सर हिला दिया…”क्या हुआ उसे…….” 

रीदा: इश्क़….

मैं: क्या कहा इश्क़….किससे….

रीदा: (मुस्कुराते हुए…) तुमसे और किससे….

मैं: तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया….तुम जानती हो ना…हमारा क्या रिश्ता है…और तुम ये क्या फ़िजूल बातें कर रही हो…..?

रीदा: अब जो सच है वो सच ही रहेगा….आज जब वो अपने मम्मो और मामी के साथ शॉपिंग पर गयी थी…..तो उसकी मामी का भतीजा भी वहाँ आया हुआ था…. उसकी मामी चाहती है कि, नजीबा और उसकी बड़ी बेहन के बेटे का रिश्ता हो जाए….

मैं: लेकिन वो होते कॉन है…नजीबा के बारे मे इतना बड़ा फैंसला लेने वाले…

रीदा: ऐसे फ़ैसले सब की राज़ामंदी के साथ ही होते है….नजीबा की मामी ने नजीबा की अम्मी नाज़िया से पहले ही बात कर रखी थी…..नजीबा की अम्मी के हां के बाद ही, उसकी मामी ने आगे कदम उठाया है….

मैं: लगता है नजीबा की अम्मी पागल हो गयी है….अभी नजीबा की उमर ही किया है… हाइ स्कूल भी पास नही किया उसने….और उसे अपनी बेटी बोझ लगने लगी….

रीदा: बात बोझ की नही है समीर….दरअसल नजीबा की मामी की बेहन के बेटे की, कुछ महीने पहले ही पोलीस मे जॉब लगी है…अच्छी पोस्ट पर भी है….उसकी उमर भी 20 साल है…खानदान भी रईस है….इसलिए सगाई के लिए राज़ी होगये होगे उसकी अम्मी….अब ऐसे रिश्ते तो बार-2 नही मिलते ना……
 
मैने देखा कि, रीदा मुझे ऐसे सब सुना रही थी…..मानो जैसे मुझे भड़कना चाहती हो….”अच्छा फिर वो इतनी उदास क्यों है…इतना अच्छा रिस्ता आया है…उसे सगाई कर लो चाहिए…..”

रीदा: क्यों तुम्हे बुरा नही लगेगा…अगर नजीबा की शादी उससे हो गयी तो…..

मैं: क्यों मुझे क्यो बुरा लगाना….

रीदा: दाफा करो इन बातों का….मे यहाँ तुमसे मिलने आई थी….और तुम दोनो ने मुझे कोन सी बातों मे उलझा कर रख दिया…..

रीदा ने मेरे पयज़ामे के ऊपेर से मेरे लंड को हाथ मे लाकर दबाना शुरू कर दिया…लेकिन नजीबा के रिश्ते की बात सुन कर मेरा मूड इतना अपसेट हो गया था कि, मैने रीदा का हाथ पकड़ कर हटा दिया…

.”क्या हुआ…..?” रीदा ने मुस्कुराते हुए पूछा….

मैं: कुछ नही तुम जाओ यहाँ से…..

रीदा: कमाल है गिरे खोते से और गुस्सा कुम्हार पर…..अब इसमे मेरा किया कसूर… रिश्ता तो उसकी अम्मी करना चाहती है वहाँ पर….

मैं: मैने अब और कुछ नही सुनना….जाओ यहाँ से….

रीदा: जा रही हूँ…..अगर इतना ही शौक हो तो, जाकर उसे चोद क्यों नही देते… जब पेट से हो जाएगी तो, नाज़िया आपी को उसकी शादी तुम्हारे साथ ही करनी पड़ेगी….

रीदा उठ कर बाहर चली गयी…रीदा की बात सुन कर मेरा खून खोल उठा…मेरे अंदर मानो शैतान घर कर चुका था….मैं तेज़ी से बाहर निकल कर रीदा के पीछे जाने लगा… अभी रीदा गेट तक ही पहुचि थी कि, मैने पीछे से रीदा के बालो को पकड़ते हुए उसे साइड मे दीवार के साथ लगा दिया…रीदा की फ्रंट साइड दीवार से दब गयी…

.”अहह समीर ये क्या कर रहे हो….” इससे पहले कि रीदा को कुछ समझी आता. मैने झुक कर रीदा की इलास्टिक वाली सलवार को नीचे खेंच दिया…”

पागल मत बनो समीर अगर यही सब करना है तो कमरे मे चलो….” रीदा ने मुझे अलग होने के जदोजेहद करते हुए कहा….

लेकिन तब तक मैं अपने पाजामे को नीचे सरका चुका था…मैने अपने लंड को हाथ मे लेकर दो तीन बार ही रीदा के बुन्द की लाइन मे रगड़ा था कि, मेरा लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया….मेरा साढ़े 8 इंच लंबा और 5 इंच मोटा लंड हवा मे पूरी शिद्दत के साथ झटके खाने लगा….मैने अपने लंड की कॅप को रीदा की बुन्द की लाइन मे रगड़ते हुए, थोड़ा सा घुटनो को बेंड किया…और फिर उसकी टाँगो के दरमियाँ से अपने लंड को गुज़ारते हुए, अपने लंड की कॅप को रीदा की फुद्दि के सुराख पर सेट करके ज़ोर दार शॉट मारा….मेरा लंड रीदा के फुदी की दीवारो से रग़ाद ख़ाता हुआ एक ही बार- मे पूरा का पूरा अंदर जेया घुसा….

रीदा के फुदी एक दूं ख़ुसाक थी..जैसे मेरा लंड रीदा की फुद्दि को चीरता हुआ अंदर घुसा रीदा दर्द से एक दम चीख उठी…..”हाईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई मर गइईईईईईईईईईईईई……” लेकिन मेरे सर पर तो, वहसी जानवर सवार हो चुका था…मैने रीदा के बालो को एक हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचा और दूसरे हाथ से रीदा के लेफ्ट मम्मे को कमीज़ के ऊपेर से दबाते हुए शॉट लगाने शुरू कर दिए….रीदा ने अपने फेस को घुमा कर मेरी तरफ देखा तो, उसकी आँखो मे आँसू थे….”खुदा के लिए मुझ पर तरस खाओ….अहह समीर धीरे ओह हइई अम्मी….कद लाईए समीर…..” रीदा ने दर्द से चिल्लाते हुए कहा,…..

उसकी फुद्दि एक दम खुसक थी…जिसकी वजह से उसे बेहद दर्द हो रहा था…लेकिन मुझ पर उसकी दर्द भारी आवाज़ो का कोई असर ना हो रहा था…मैं अपनी ही धुन मे लगतार अपने लंड को रीदा की चूत के अंदर बाहर कर रहा था….मैं ये भी भूल गया था कि, दो कदम पर नजीबा का रूम भी है….तभी मेरी नज़र नजीबा के रूम के डोर पर पड़ी….नजीबा रूम के डोर पर खड़ी हैरत भरी नजरो से मुझे इस रूप मे देख रही थी…हम दोनो एक दूसरे के आँखो मे देख रहे थी…जब मैं नजीबा की आँखो मे देख रहा था, मुझे पता नही क्या हुआ, मैने और ज़ोर से रीदा के बालो को पकड़ कर खींचा तो उसका सर पीछे की ओर हो गया….मैने लंड को पूरी रफतार से रीदा की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….
 
रीदा की नज़र भी नजीबा पर पड़ी….लेकिन वो बेबसी से भरी आँखो से नजीबा को देखती रही…पर बोली कुछ नही…आख़िर कार जब मेरे वहसी पन की इंतिहा हो गयी तो, नजीबा ने आगे बढ़ कर मुझे धक्का दे दिया….मैं पीछे की दीवार से जा टकराया…

.”होश मे आइए….ये क्या वहसी पन है….” मेरा लंड रीदा की फुद्दि से बाहर आ चुका था…जो अब नजीबा की आँखो के सामने लहरा रहा था….जैसे ही उसकी नज़रें मेरे लंबे मोटे लंड पर पड़ी तो, उसने नज़रें झुका ली….मैने रीदा की तरफ देखा, जो वही दीवार के साथ पीठ टिकाए हुए कभी मेरी तरफ तो कभी नजीबा की तरफ देख रही थी…”

और तू खड़ी हो ….” नजीबा ने गरजति आवाज़ मे रीदा से कहा….तो रीदा हक्की बक्की वहाँ से खड़ी हो गयी….उसने अपनी सलवार को ऊपेर किया.. “अब दफ़ा हो जाओ यहाँ से….और अयन्दा यहाँ कभी भी नही आना…नही तो मुझसे बुरा कोई ना होगा…” नजीबा अपने रूम मे चली गयी…

रीदा ने एक बार मेरी तरफ हैरत भरी नज़रों से देखा और गेट खोल कर बाहर जाने लगी तो, मैने भी जल्दी से अपने पायजामे को ऊपेर कर लिया….रीदा के जाने के बाद मैने गेट बंद किया….तो मेरा गुस्सा थोड़ा कम हुआ…लेकिन अब मुझे गुस्सा रीदा पर नही नजीबा पर आ रहा था….मैं अपने रूम मे आ गया….उसके बाद और कोई खास बात ना हुई, रात को 7 बजे मेरी सौतेली माँ और अब्बू घर वापिस आ गये….उस दिन मेरा मूड बहुत ऑफ रहा…मैं खाना खाए बिना सो गया….अगली सुबह मे उठा और तैयार होकर कॉलेज के लिए चला गया…सुबह भी नाश्ता नही किया….पूरा दिन मूड खराब रहा….






कॉलेज से ऑफ के बाद मेरा घर जाने का बिल्कुल भी मूड नही था…मे कॉलेज के गेट के बाहर खड़ा सोच रहा था कि, घर जाउ या ना जाउ….तभी पीछे से हॉर्न की आवाज़ सुनाई दी….फ़ैज़ अपनी बाइक लेकर मेरे पास आया….”क्या हुआ यहाँ ऐसे क्यों खड़ा है….चल बैठ….”

मैं: नही यार तुम जाओ….मैं बाद मे आ जाउन्गा…..

फ़ैज़: हुआ क्या मेरे सरकार….तुम्हारा मूड ऑफ लगता है…..

मैं: यार ऐसे ही वो कल नजीबा के साथ झगड़ा हो गया….मेरा दिल नही कर रहा घर जाने का…

फ़ैज़: तो और कहाँ जाना है तूने….चल बैठ गाओं चलते है….मेरे घर चल….

और कही जा भी तो नही सकता था….इसलिए फ़ैज़ की बाइक पीछे बैठ गया…और हम गाओं की तरफ चल पढ़े….”देख यार ऐसी छोटी मोटी बातें तो होती रहती है घर परिवार मे…..फिर इस तरह अपना मूड क्यों खराब कर रहे हो…”

मैं: यार तू नही समझेगा….

फ़ैज़: देख तेरा दोस्त हूँ…..इसलिए तुझे समझा रहा हूँ…..तुम्हारी सौतेली माँ और बेहन तो यही चाहेगी ना कि, तुम ऐसे ही नाराज़ होकर कही दूर चले जाओ…और बाद मे तुम्हारे हिस्से की जायदाद भी संभाल लें…देख उस घर पर सबसे ज़यादा तेरा हक़ है….वो तेरा है…..फिर क्यों ऐसे बाहर घूमना….

मैं: हां शायद तुम ठीक कह रहे हो…..

ऐसे ही बातें करते-2 हम गाओं पहुच गये…..फ़ैज़ ने बाइक को मेरे घर के सामने रोक दिया….”ले यार तेरा घर आ गया….अब मर्द बन और हालातों का सामना करना सीख…फ़ैज़ बाइक लेकर चला गया….मैने डोर बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद नजीबा ने गेट खोला….वो मुझसे कुछ कहने ही वाली थी कि, मैं उसे इग्नोर करता हुआ अपने रूम मे चला गया….मैने कपड़े चेंज किए और बाथरूम मे जाकर हाथ मूह धो कर अपने रूम मे आ गया…मैने टीवी ऑन किया और बेड पर बैठा ही था कि, नजीबा अंदर आ गयी….”आपके लिए खाना लगा दूं….” 
 
मैं: मुझे अपने काम खुद करने आते है….मुझे तुम्हारी मदद की कोई ज़रूरत नही जाओ यहाँ से….

नजीबा: थोड़ा सा खा लो…आप ने कल रात भी कुछ नही खाया…और सुबह भी कुछ खा कर नही गये…

मैं: तो तुम्हे क्यों इतनी फिकर हो रही है मेरे खाने की, तुम जाओ यहाँ से… मुझे कोई खाना वाना नही खाना……

नजीबा: मैं देखती हूँ कैसे नही खाते आप….मैं लेकर आती हूँ….

मैं: तुम्हे मेरी बात सामनझ नही आ रही…..तुम्हे मेरी परवाह करने की कोई ज़रूरत नही है….

नजीबा: मुझे ज़रूरत ना होगी तो और किसे होगी…..

मैं: देखो मैं तुम्हारे मूह नही लगना चाहता…इससे पहले कि मे कुछ ग़लत बोल दूं जाओ यहाँ से…

नजीबा: नही जाती और मैं भी देखती हूँ आप खाना कैसे नही खाते…

नजीबा रूम से बाहर निकल कर किचन मे चली गयी….मुझे अब नजीबा पर बेहद गुस्सा आ रहा था…मुझे पता नही क्या हुआ, मैं उठ कर किचन मे चला गया… नजीबा प्लेट मे खाना डाल रही थी…मैने उसके हाथ से प्लेट खेंच कर सेल्फ़ पर फेंक दी….”तुम्हे एक बार मे मेरी बात समझ नही आती क्या….मेरा तुम लोगो के साथ ना कोई रिश्ता था…और ना कोई हो सकता है…खाम्खा रिश्ता बनाने के कॉसिश ना करो…”

नजीबा: क्यों ना करूँ….सुबह अम्मी अब्बू दोनो मुझसे पूछ रहे थे कि आप खाना क्यों नही खा कर गये….मैं उन्हे क्या जवाब देती…..आप का ख़याल रखना मेरी ज़िम्मेदारी है…..

मैं: मेरी वाइफ नही हो तुम…जो मैं तुम्हारी हर बात मानता रहूं…तुम्हे मेरी फिकर करने की कोई ज़रूरत नही…और ना ही तुम्हारी अम्मी को…..( मुझे अहसास नही हुआ कि, मैं क्या-2 बोले जा रहा था…)मुझे अपनी ज़रूरतों को पूरा करना आता है….

नजीबा के गाल मेरी बात सुन कर लाल सुर्ख हो गये थे….मुझे भी इस बात का अहसास हो गया था कि, मैने गुस्से मे नजीबा को क्या कह दिया है…. “अगर मैं आपकी बीवी होती तो क्या आप मेरी बात मान लेते….” नजीबा ने सर झुकाए हुए कहा… मैं नजीबा की बात सुन कर एक दम शॉक्ड हो गया…नजीबा सामने से सीधा सीधा ग्रीन सिग्नल दे रही थी….लेकिन जो उसने कल किया था…उसके लिए मैं उसे इतनी जल्दी माफ़ नही करने वाला था…”तुम होती कॉन हो रीदा को इस तरह से घर से बाहर निकालने वाली…..ये घर पहले मेरा है…फिर तुम दोनो माँ बेटी का....तुम्हे कोई हक़ नही है कि तुम ये फैंसले करो कि मेरे घर मे कॉन आएगा और कॉन नही….”

नजीबा: इस घर मे आपके साथ मैं और अम्मी भी रहते है…मैं जानती हूँ कि वो रीदा यहाँ क्यों और किस लिए आती थी….मैने उसको दोबारा यहाँ कभी नही आने देना….

मैं: अच्छा अगर तुम्हे पता है ही कि रीदा यहाँ क्यों आती है…तो ये भी बता दो… मेरी वो ज़रूरतें भी तुम पूरी करोगी….

मेरे बात सुन कर नजीबा का फेस एक दम रेड हो गया…उसने अपने सर को झुका लिया…

“बोलो अब खामोश क्यों हो गयी…. ?” नजीबा बिना कुछ बोले बाहर चली गयी… मुझे अपने आप पर बेहद गुस्सा आ रहा था….कि आख़िर मैं ये सब क्यों बोल गया….मैं भी किचन से निकल कर अपने रूम मे आ गया….और सोचने लगा कि आख़िर मुझे ऐसा क्या हो जाता है…..जो मैं अपने आप पर ही काबू नही रख पाता….कल मैने रीदा को भी कितनी बुरी तरह जॅलील किया था…मैं रीदा के बारे मे सोचते हुए फिर से अपने पुराने दिनो के यादों मे खो गया….
 
उस दिन चाची सुमेरा के फुद्दि दो बार मारने के बाद मे बहुत खुश था….अगले दिन जब मे स्कूल से आने के बाद सुमेरा चाची के घर गया तो, सुमेरा चाची घर पर नही थी….वो फ़ारूक़ चाचा के साथ अपने बड़ी बेहन के घर गयी हुई थी…गेट रीदा ने खोला था….उस वक्त वो नीचे ही थी…उसके दोनो बच्चे चाची के रूम मे सो रहे थे….स्कूल से आने के बाद मैं सीधा अपने घर गया था….इसलिए वहाँ से ही फ्रेश होकर अपने कपड़े चेंज करके आया था….

मैने अंदर आकर बॅग नीचे रखा….तो रीदा ने मेरे पास आकर मेरे बिखरे हुए बालो मे हाथ फेरते हुए पूछा….”खाना खाओ गे….” मुझे भूक ना थी.. इसलिए मैने ना मे सर हिला दिया…मेरी नज़रें सुमेरा को तलाश कर रही है… लेकिन जब वो मुझे नज़र नही आई तो, मैने रीदा आपी से पूछ ही लिया….

मैं: आपी चाची जी कहाँ है….?

रीदा: अम्मी अपनी बड़ी बेहन के घर गयी है….

मैं: कब तक आएँगी वो…..

रीदा: कल वापिस आएँगी क्या हुआ चाची बेगैर तुम्हारा मन नही लगता क्या….?

रीदा ने हंसते हुए कहा तो, मेरा गाला सुख गया….हालाकी उस वक़्त तक रीदा को मेरे और सुमेरा चाची के कल वाले वाक़ये के बारे मे कोई जानकारी ना थी… “आज मैं सुबह से घर का काम करके थक गयी हूँ….इसलिए मे तुम्हे कल पढ़ा दूँगी.. कल तो वैसे भी फ्राइडे है…तुम्हारी छुट्टी होगी ना….”

मैं: जी आपी….

रीदा: तू भी गरमी मे खावार होता आया होगा स्कूल से….चल आ तू भी लेट जा…

रीदा आपी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे चाची के रूम मे ले गयी…रीदा के दोनो बेटे दीवार वाली साइड पर सो रहे थी….रीदा बेड पर चढ़ि और बीच मे लेटते हुए बोली….”चल आजा तू भी लेट जा….” मैं भी बेड पर लेट गया….मैं बेड पर लेट तो गया था….लेकिन मेरा मन मे चाची के साथ बिताए हुए कल के वक़्त की यादें भरी हुई थी….कि कल मैने कैसे-2 चाची की फुद्दि मारी…मैं वही सब सोच रहा था…नींद आँखो से कोसो दूर थी….रीदा आपी कब के सो चुकी थी… मेरा लंड सलवार मे पूरी तरह से सख़्त होकर खड़ा हो चुका था…कल की चुदाई के बारे मे सोचते हुए मैने सलवार के ऊपेर से ही अपने लंड को पकड़ दबाना शुरू कर दिया…. लेकिन मन को तसल्ली ना हुई…..मैने रीदा आपी की तरफ देखा जो गहरी नींद मे सो रही थी….

तभी रीदा आपी उठ गयी….जैसे ही वो उठ कर बैठने लगी…मैने अपने लंड से अपना हाथ हटा लिया और ऐसे लेट गया….जैसे मैं सो रहा हूँ…रीदा आपी मेरे धीरे से बेड से उठी और बाहर जाने लगी…शायद वो पेशाब करने के लिए जाने वाली थी… पर जैसे ही वो डोर पर पहुचि, उनका एक बेटा उठ गया….उसने उठते ही रोना शुरू कर दिया..रीदा आपी डोर से वापिस आ गयी….वो जल्दी से बेड पर चढ़ि…और अपने बेटे को गोद मे लेकर बैठ गयी….रीदा आपी ने अपनी कमीज़ ऊपेर उठा कर अपने बेटे को दूध पिलाना शुरू कर दिया…रीदा आपी बेड के बीच मे बैठी हुई थी…मुझे साइड से उसका एक मम्मा सॉफ नज़र आ रहा था….मेरा लंड जो थोड़ा ही ढीला पड़ा था.. रीदा आपी के मम्मे को साइड पोज़ मे देख कर फिर से खड़ा होने लगा….

मेरे हालात बड़ी खराब हो रही थी…मेरा लंड सलवार को ऊपेर उठाए हुए छत की तरफ देख रहा था….मुझे डर था कि, कही रीदा आपी की नज़र मेरे खड़े लंड पर ना पड़ जाए….मैं बेड से ऐसे उठा…जैसे नींद से जगा हुआ हूँ…”
 
क्या हुआ कुछ चाहिए….” रीदा आपी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा….रूम मे बहुत कम रोशनी थी…”

नही कुछ नही….पेशाब करने जा रहा हूँ…” मैं वहाँ से उठ कर बाहर आ गया….और सीधा बाथरूम मे घुस गया….मैने बाथरूम की अंदर पहुचते ही जल्दी से अपनी शलवार खोल कर अपने लंड को बाहर निकाला…जो एक दम शख्त खड़ा था….मैने अपने लंड को हाथ मे लेकर ठीक उसी अंदाज़ मे लेकर हिलाना शुरू किया…जैसे कल सुमेरा चाची ने हिलाया था….

जैसे -2 मेरा हाथ लंड पर चल रहा था…..वैसे-2 मैं मज़े और लुफ्त की वादियों मे खोता जा रहा था…मेरा लंड पूरी तरह अकड़ चुका था…और मैं सुमेरा की चुदाई के बारे मे सोचते हुए तेज़ी से अपने लंड को हिलाए जा रहा था…मुझे वक़्त का भी कोई अहसास ना था कि, मैं कितनी देर से बाथरूम के अंदर हूँ….मैं उस वक़्त अपने ख्यालो की दुनिया से बाहर आया…जब मुझे रीदा आपी के कदमो की आहट बाथरूम की तरफ आते हुए सुनाई दी… 

इससे पहले की मे अपने लंड को शलवार के अंदर करता, रीदा आपी बाथरूम के डोर पर पहुच चुकी थी…”

समीर इतनी देर से अंदर क्या कर रहे हो…जल्दी बाहर आओ मुझे भी पेशाब करना है….” रीदा आपी को उस वक़्त से पेशाब लगा था…जब वो उठ कर पेशाब के लिए बाहर जाने वाली थी…..पर उसके बेटे के उठने की वजह से वो बाथरूम ना जा सकी….इसी वजह से उसको पेशाब का प्रेशर बहुत तेज लगा हुआ था…

पर इधर मेरे हालत ऐसे थे कि, मे झड़ने के बेहद करीब पहुँच चुका था… और मेरा लंड पूरी तरह हार्ड था…

.”समीर….” रीदा आपी ने फिर से चिल्लाई….और इस बार वो बाथरूम के अंदर आ गयी…

अंदर आकर रीदा आपी ने जल्दी से अपनी इलास्टिक वाली शलवार को घुटनो तक नीचे किया और नीचे पैरो के बल बैठ गयी….मेरी एक साइड उनकी तरफ थी….”तुम बड़ा टाइम लगाते हो पेशाब करने मे….तुम्हे क्या शूरू से ये प्राब्लम है….”

अभी मे रीदा आपी के सवाल के बारे मे सोच ही रहा था कि, एक तेज सीटी जैसी आवाज़ मेरे कानो मे पड़ी.. मैने फेस घुमा कर रीदा आपी की तरफ देखा तो रीदा आपी नीचे पैरो के बल बैठी हुई थी…और उनकी फुद्दि तेज पेशाब के धार निकल कर नीचे फरश पर गिर रही थी… “ओये चल मूह उधर कर बेशर्म…” रीदा आपी ने मुस्कुराते हुए कहा…लेकिन तब तक मेरी नज़र रीदा आपी के काले बालो से भरी फुद्दि पर पहुच चुकी थी…. मैने पहली बार ऐसी जगह पर इतने घने बाल देखे थे…कल जब सुमेरा चाची की फुद्दि मारी थी…तब उनकी फुद्दि पर एक भी बाल ना था….लेकिन मुझे रीदा आपी की काले बालो से भरी हुई फुद्दि देख कर बहुत ज़यादा एग्ज़ाइट्मेंट हो रही थी….

रीदा आपी ने पेशाब करने के बाद खड़े होकर अपनी शलवार ऊपेर की और मेरे पास आते हुए मेरे सर पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए बोली….”बेशरम ऐसे क्यों घूर रहा था….शरम नही आती तुम्हे……” मैं रीदा आपी की बात का कोई जवाब ना दे पाया.. “ अब यही दोपहर काटने का इरादा है क्या….अंदर नही चलना….” मुझे कुछ और तो ना सूझा तो, मैने ऐसे ही कह दिया….”आपी मैने अभी पेशाब नही किया…”
 
रीदा: तो इतनी देर से यहाँ मक्खियाँ मार रहा है क्या….

मैं: आपी पता नही आ नही रहा…..

रीदा: अगर नही आ रहा तो, मत कर किसी ने तुम्हे सज़ा सुनाई है क्या….

मैं: पर आपी मुझे ऐसा लग रहा है….जैसे आने वाला हो…पर बाहर नही आ रहा….

रीदा: ये तो बड़ी प्राब्लम है….तुम्हे डॉक्टर से चेक करवाना पड़ेगा…कब से ऐसे हो रहा है….

मैं: जी दो तीन दिन….

रीदा: चल तू अंदर आ जा…शाम को डॉक्टर के पास चलेंगे….

मैं: आपी मेरा ये इतना क्यों आकड़ा हुआ है….

मैने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा…जो कि उस वक़्त कमीजो के पाले से ढका हुआ था….”क्या…आकड़ा हुआ है दिखा ज़रा…” रीदा आपी ने मेरे बात सुन कर हैरत से कहा…तो मैने अपनी कमीज़ को ऊपर उठा दिया….जैसे ही रीदा आपी की नज़र मेरे पूरी तरह सख़्त लंड पर पड़ी तो, उसका मूह खुला का खुला रह गया…वो हैरत से मेरे लंड की तरफ देखते हुए कुछ धीरे से बोली…जिसकी मुझे थोड़ी बहुत समझी आई… “ या खुदा इन्ना वडा….”

मैं: जी आपी….

रीदा: कहा कुछ नही…..

रीदा आपी ने पैरो के बल नीचे बैठते हुए कहा…अब मेरे लोहे की रोड की तरह खड़ा लंड रीदा आपी की आँखो से कुछ ही इंचो के फाँसले पर था….मैने महसूस किया कि, रीदा आपी अपने हाथो को मुत्थियाँ बना कर दबा रही है…..जैसे उनके मन मे मेरे लंड को पकड़ने की ख्वाइश पैदा हो रही हो….उनकी नज़रें मेरे झटके खाते लंड पर अटकी हुई थी….”देखिए ना रीदा आपी इसे क्या हो गया है…..ये ऐसे क्यों हो गया है….”

रीदा आपी मेरे लंड को बड़े गोर से देख रही थी…..”प्लीज़ आपी कुछ करिए ना….” मैने रीदा आपी के कंधे को हिलाया और बोला….रीदा आपी ने नज़रें उठा कर मेरी तरफ देखा और काँपते हुए हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया….जैसे ही आपी ने मेरे लंड को पकड़ा तो उसके जिस्म को झटका सा लगा….शायद मेरे लंड की शाख़ती महसूस करके… “क्या पाईं हो रही है….” रीदा आपी ने एक बार मेरे लंड को देखा और फिर मेरे चेहरे के तरफ देखते हुए बोली…..

मैं: जी थोड़ी थोड़ी हो रही है….

मैने देखा कि रीदा आपी कुछ सोचने मे मसरूफ़ थी….वो कभी मेरे फेस को देखती तो कभी मेरे लंड को….उसने लंड के कॅप से चमड़ी को पीछे सरका दिया. जिससे मेरे लंड का लाल सुर्ख हो चुका टोपा उसकी आँखो के सामने आया तो, उसने मूह से सीईईई की आवाज़ निकली….”देख समीर मैं इसे ठीक कर देती हूँ…लेकिन तुम्हे मुझसे एक वादा करना होगा….”

मैं: जी आप कहें रीदा आपी….

रीदा: देख तुम्हारे इसे ठीक करने के लिए मैं जो कुछ भी करूँ…तुमने वो किसी को भी नही बताना समझे……

मैं: जी समझ गया……

रीदा: अच्छा पहले अपने अबू की कसम खाओ…..

मैं: जी मे अबू की कसम ख़ाता हूँ…..

रीदा: देखो समीर अगर तूने ये बात किसी को बताई तो, हमारे दोनो परिवारों की पूरे गाओं मे बेज़्जती हो जानी है….

मैं: आपी मैने कहा ना मे किसी से नही कहूँगा….

जब रीदा को यकीन हो गया कि, अब मे किसी से कोई बात नही करूँगा तो वो खड़ी हो गयी……उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बाथरूम से बाहर लेजाने लगी….मैने दूसरे हाथ से अपनी शलवार पकड़ी और रीदा आपी के पीछे चल पड़ा….जैसे ही हम दोनो रूम मे पहुँचे तो, रीदा ने मेरा हाथ छोड़ दिया….उसने अंदर से डोर बंद कर दिया….और रूम की लाइट ऑफ कर दी…..जिससे कमरे मे पूरी तरह अंधेरा हो गया….अब कमरे मे बड़ी कम रोशनी थी….”समीर….” रीदा ने सरगोशी भरी आवाज़ मे कहा….. 

मैं: जी……

रीदा: अपने सारे कपड़े उतार कर बेड पर लेट जाओ…..
 
मैने अंधेरे मे ही अपने सारे कपड़े उतार दिए….और बेड पर लेट गया…दीवार की तरफ रीदा आपी के दोनो बच्चे सो रहे थी….थोड़ी देर बाद रीदा आपी बेड पर चढ़ि…हालाकी रूम में अब बहुत ज़्यादा अंधेरा हो गया था….लेकिन मैं इतना तो देख ही पा रहा था कि, रीदा आपी उस समय अपनी वाइट कलर की ब्रा को छोड़ कर सारे कपड़े उतारे हुए थी….जैसे ही वो बेड पर चढ़ि तो उसने अपना हाथ मेरे चेस्ट पर रख कर हालात का जायज़ा लिया…फिर वो मेरी तरफ करवट के बल लेट गयी... रीदा आपी ने मेरे चेस्ट पर अपना हाथ फेरते हुए धीरे से कहा….”समीर जो भी करना है धीरे से करना है….कही बच्चे ना उठ जाए….”

मैं: जी आपी….

रीदा: (मेरी चेस्ट पर हाथ फेरते हुए….) अब बताओ अभी भी वहाँ पेन हो रहा है….

मैं: जीए आपी…..

रीदा आपी ने मेरे चेस्ट पर हाथ घूमाते हुए धीरे-2 मेरे लंड की तरफ लेजाना शुरू कर दिया…जैसे ही रीदा आपी ने मेरे लंड को पकड़ा मेरा पूरा जिस्म काँप गया…रीदा आपी ने धीरे-2 मेरे लंड को हिलाना शुरू कर दिया….मैं तो जैसे मज़े की वादियों मे उड़ने लगा था….”समीर कैसा लग रहा है अब….” रीदा आपी ने सरगोशी से भरी आवाज़ मे कहा….शायद वो भी मेरे लंड की सख्ती महसूस करके गरम हो चुकी थी….” जी अब अच्छा फील हो रहा है…..” 

रीदा: लेकिन ये तो और सख़्त होता जा रहा है…..

मैं: जी….

मैं सिर्फ़ इतना ही जवाब दे पाया…तो रीदा आपी उठ कर बैठ गयी….और धीरे-2 मेरे लंड को दबाते हुए उसकी लंबाई मोटाई नापने लगी…..मेरे आँखे मस्ती मे बंद होने लगी थी….मैने देखा कि रीदा आपी ने अपना एक हाथ अपनी बॅक पर लेजा कर अपनी ब्रा के हुक्स खोलने शुरू कर दिए थे…..और फिर उन्होने ने अपनी ब्रा को भी खोल कर साइड मे फेंक दिया….”लगता है ये ऐसे नही ठीक होने वाला….” रीदा आपी ने मेरे लंड को हिलाते हुए कहा….

और मेरे लंड को छोड़ कर मेरे साइड मे पीठ के बल लेटते हुए, मुझे अपनी तरफ घूमने को कहा….मैने जैसे ही रीदा आपी की तरफ करवट ली….रीदा ने मुझे अपनी बाजुओं मे भर कर अपने साथ लगा लिया…..उसके बड़े-2 तने मम्मे मेरी चेस्ट मे दब गये….एक अजीब सी खुमारी मेरे दिमाग़ पर चढ़ने लगे….”मेरे ऊपेर आओ…” रीदा ने मस्ती से भरी आवाज़ मे कहा तो, मैं रीदा के ऊपेर आ गया…इस दोरान भी रीदा ने अपनी बाजुओं को मेरे जिस्म पर लपेटे रखा….जैसे ही मे रीदा के ऊपेर आया तो, उसने नीचे से अपने टांगे खोल दी….जिससे मेरे जिस्म का कमर से नीचे वाला हिस्सा उसकी दोनो खुली हुई टाँगो के दरमियाँ आ गया….”देख समीर मे जो भी कर रही हूँ वो सब तुम्हारी खातिर कर रही हूँ….कही भूल से भी ये बात किसी को बता ना देना…..”

रीदा ने अपना एक हाथ नीचे लेजा ते हुए कहा…” नही आपी मैं किसी को नही बताउन्गा…” मैने अपनी कमर को खुद ही ऊपेर उठा लिया…जिससे रीदा ने आसानी से हाथ नीचे लेजा कर मेरे लंड को पकड़ कर अपनी फुद्दि के लिप्स के बीच मे रगड़ना शुरू कर दिया…..जैसे ही मेरा लंड रीदा आपी की फुद्दि के लिप्स के दरमियाँ रगड़ खाने लगा…. मुझे रीदा आपी की फुद्दि से निकलती हुई बेइन्तिहा गरमी अपने लंड के कॅप पर महसूस होने लगी….जिससे मेरा लंड पहले से भी ज़्यादा हार्ड हो गया….रीदा आपी ने मेरे लंड को तीन चार बार और अपनी फुद्दि के लिप्स के दरमियाँ रगड़ा तो, मेरे लंड का टोपा रीदा आपी की फुददी के पेन से पूरी तरह गीला हो गया….

“सीईईईईईई समीर……” रीदा आपी ने सिसकते हुए मेरे लंड के कॅप को अपनी फुद्दि के सुराख पर जैसे ही सेट किया….तो उनका जिस्म ने तेज झटका खाया…और साथ ही सरगोशी और मस्ती भरी आवाज़ मे बोली…”अब इससे धीरे-2 अंदर पुश करो…..” मैने बिना कोई जवाब दिए…जैसे ही आगे की तरफ ज़ोर लगाया तो, मेरा लंड रीदा आपी के पूरी तरह गीली फुद्दि मे फिसलता हुआ अंदर जाने लगा….”अहह समीईईईईईईईर हाआँ पूरा अंदर करो…..ऐसे ही हां बहुत अच्छे….सबश्ह्ह डाल दो पूरा अंदर…” रीदा आपी ने मस्ती मे सिसकते हुए मेरे लंड से हाथ हटा लिया….क्यों कि, अब तक मेरा आधा लंड उसकी फुददी के अंदर जा चुका था…जैसे ही रीदा आपी ने मेरे लंड से हाथ हटाया तो, मेने एक ज़ोर दार झटका मारा, तो मेरा लंड रीदा आपी की फुद्दि की नसों को रगड़ता हुआ पूरा का पूरा अंदर जा घुसा….

मेरे इस तगड़े झटके से रीदा आपी एक दम तड़प उठी….दर्द से नही मज़े से और इस बात का अहसास मुझे तब हुआ जब रीदा आपी ने अपनी बाजुओं को मेरे पीठ पर कसते हुए अपना एक हाथ मेरे सर पर रख कर मुझे अपने होंटो पर झुकाना शुरू कर दिया… कल सुमेरा चाची के सिखाए हुए सबक मुझे अच्छी तरह याद थे….मैने झुक कर रीदा आपी के होंटो को अपने होंटो मे लेकर चूसना शुरू कर दिया…ठीक वैसे ही जैसे कल सुमेरा ने चाची मेरे होंटो को चूसा था…मेरी इस हरक़त से रीदा आपी शॉक्ड ज़रूर हुई….लेकिन उस वक़्त उसने ये बात जाहिर नही होने दी…थोड़ी ही देर मे रीदा आपी ने अपने होंटो को ढीला छोड़ दिया…और मैं अपनी मर्ज़ी से उसके होंटो को चूसने लगा…रीदा आपी ने भी जैसे मुझे खुली छुट्टी दे दी थी कि, मैं जैसे मर्ज़ी चाहे करूँ…
 
वो मेरे लंड को फुद्दि मे लिए बड़ी मस्ती से अपने होंटो को चुस्वा रही थी… मैने रीदा आपी के होंटो को चूस्ते हुए अपने लंड को कॅप तक बाहर निकाला और फिर अंदर घुसा दिया…मेरे ऐसे करने से रीदा आपी ने अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग कर लिया…. लेकिन मैने झटके लगाने शुरू कर दिए थे….मेरा लंड रीदा आपी की फुद्दि मे आसानी से अंदर बाहर होने लगा….”आहह ओह समीर तूने ये सब कुछ कहाँ से सीखाआ….” रीदा आपी ने मेरे पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा

….”दोस्तो से आपी…”

रीदा: क्या दोस्तो से….

मैं: हां वो सब यही बातें करते रहते है……

मैने अब अपने लंड को और तेज़ी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था….

और क्या क्या पता है तुम्हे……”रीदा आपी ने भी अपनी बुन्द को ऊपेर के तरफ उछलाते हुए कहा…
.”बस यही पता है….”

मैं बड़े आराम से लंड को अंदर बाहर कर रहा था आपी ने मेरी पीठ से अपने बाजुओं को अलग किया और फिर मेरे दोनो हाथ पकड़ कर अपने दोनो मम्मों पर रख दिए .. 

आपी : समीर मम्मे ज़ोर से दबाओ और तोड़ा तेज तेज झटके मारो ..

मैने दोनो हाथो से आपी के दोनो मम्मे पकड़ लिए और झटकों की स्पीड भी तेज कर दी .

आपी : हाअ समीर ऐसे ही तेज करो ..समीर मम्मे खीँचो और खीँचो .

मैं आपी का हुकम माने जा रहा था ... 

आपी : समीर पूरा बाहर निकाल के फिर अंदर करो .. हाअ ऐसे ही शाबाश ऐसे ही करो.. 

मैने भी लंड को पूरा निकाल निकाल कर आपी की फुद्दि मे डालना शुरू कर दिया था मेरी स्पीड काफ़ी तेज थी जिस से पूरा बेड हिल रहा था और कभी कभी तो ज़ोर के झटके से बेड हिल कर दीवार से टकराता... कुछ देर बाद ही आपी ने अपनी टाँगो को मेरी कमर के गिर्द लपेट लिया और मेरी गर्दन को अपने बाजुओं की ग्रिफ्त मे ले कर अपने करीब ले आइ फिर मुझे होंटो से किस करते हुए ऐक बार फिर तेज झटके मारने का कहा ..इस पोज़िशन मे मेरे लिए तेज झटके मारना मुश्किल था लेकिन मैने हिम्मत ना हारी.

और लंड को पूरा निकाल निकाल के अंदर डालता रहा ..जब लंड आपी की गीली फुद्दि मे अंदर बाहर होता तो पट्च-2 की आवाज़ पूरे रूम मे फेल जाती…. इसी तरह करते करते आपी ने पागलों की तरह मुझे चूमना शुरू कर दिया बस फिर कुछ ही देर मे तड़पति हुई आवाज़ से मुझे पुकारा समीर ज़ोर से करो .. पूरा अंदर करो ... ज़ोर से झटके मारो ... ज़ोर से झटके मारो ... बस फिर आपी ने मुझे अपने बाज़ू और टाँगो मे जाकड़ लिया लेकिन आपी ने मुझे रुकने ना दिया मुझे कहा समीर करते रहो ….आपी ने भी तेज़ी से अपनी बूँद को ऊपेर की तरफ उछालना शुरू कर दिया…..
 
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