hotaks444
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नाज़िया: हम तो कल से तुम्हारा वेट कर रहे थे…कल ही आ जाते…
मैं उसके बात पर कुछ नही बोल पाया….”अच्छा तुम बैठो…में वेटर को भेजती हूँ…तुम्हारे लिए खाने पीने का समान यही ला दे….” उसके बाद नाज़िया नजीबा को बहाने से अपने साथ ले गयी….मेने वहाँ खाना खाया…इसके इलावा और करता भी क्या वहाँ पर…नजीबा आते जाते हुए मुझे देख कर स्माइल कर देती…लेकिन हम दोनो में कोई बात नही हुई….ऐसे ही वक़्त गुजर गया….और शाम को में घर वापिस आ गया…आज रात को भी अबू नाज़िया और नजीबा को वही रुकना था….इसलिए मेने रास्ते से थोड़ा बहुत खाने पीने का समान खरीद लिया..कि जब भूख लगेगी तो खा लूँगा….
घर आकर और कोई ख़ास बात नही हुई….फ्रेश होने के बाद में शाम के 7 बजे घर को लॉक लगा कर ऐसे गाओं में घूमने निकल गया…अंधेरा हो चुका था…रास्ते में कुछ बचपन के यार दोस्त मिल गये…कुछ देर उनके पास रुका और फिर ऐसे ही टहलते हुए में गाओं से बाहर उस जगह पहुच गया..जहा अब सबा की हवेली थी.. मतलब अब यहाँ सबा की भैंसे बाँधी जाती थी….अभी में हवेली से कुछ दूर ही था कि, मेरी नज़र ज़ेशन पर पड़ी…वो किसी लड़के के साथ बाहर जा रहा था खेतो की तरफ….मुझे पता था कि, रानी घर पर अकेली होगी….उसके जाने के बाद मेने जाकर हवेली के गेट को खटखटाया तो थोड़ी देर बाद रानी अंदर से बाहर आई…मुझे देखते ही उसके फेस ख़ुसी से खिल गया…..
रानी: गनीमत तो है….आज सरकार खुद हमारे दरवाजे पर…
रानी ने मुस्कुराते हुए कहा….तो मेने भी स्माइल करते हुए कहा…”ऐसे ही चक्कर लगाने निकला था…ज़ेशन को बाहर जाते देखा तो आ गया….” रानी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अंदर ले गयी….अपने रूम में लेजा कर मुझे चारपाई पर बैठा कर खुद मेरे साथ जुड़ कर बैठ गये….”आप दो दिन बाद तैयार रहना…..”
मैं: दो दिन बाद किस लिए….?
रानी: दो दिन बाद मेने बड़ी बेहन के घर जाना है…साथ वाले गाओं में ही उसका घर है….आप मेरे साथ चलना….
मैं: मेने वहाँ जाकर क्या करना है…अगर किसी ने मेरे बारे में पूछा तो क्या जवाब दोगी….
रानी: कोई नही पूछने वाला वहाँ पर….परसो मेरी बड़ी बेहन ने अपने खाविंद के साथ लाहोर जाना है…..उनकी बेटी अज़ारा घर पर अकेली होगी….इसलिए मेरी बेहन ने कहा कि में दो दिन उनकी बेटी के पास रुक जाउ….
मैं: क्या हुआ उनके और बच्चे नही है….वो भी तो होंगे…..
रानी: दो बेटी है….दोनो लाहोर में जॉब करते है….उनसे मिलने जा रहे है….
मैं: और तुम अपनी भतीजी को क्या कहोगी…कि में कॉन हूँ….
रानी ने मेरी बात सुन कर ऐसे मुस्कुराइ…जैसे उसके जेहन में कोई बात चल रही हो… “अब ऐसे ही मुस्कुराती रहोगी या फिर बताओगि भी….” मेने थोड़ा सा खीजते हुए कहा तो, रानी हंसते हुए बोली….”याद है नही उस दिन मेने आपको गुब्बारा लाने को कहा था..”
मैं: हां याद है….
रानी: पता है वो क्यों कहा था….
मैं: अब मुझे क्या पता,…तुमने कहा था….
रानी: वो अज़ारा के लिए ही लाने को कहा था….
मैं: क्या….
रानी: हाहः हहा हां सच कह रही हूँ…वो जो अज़ारा है ना…है तो इतनी सी… लेकिन गश्ती को अभी से लंड लेने का बड़ा शॉंक है….आप साथ चलो उसकी भी दिलवा दूँगी..
मैं: कही मुझे फँसाने का इरादा तो नही है तुम्हारा…..
राणा: तोब्बा….मैं भला ऐसा क्यों सोचने लगी….असल में बात ये है कि, कोई 1 साल पहले की बात है….में अपनी बड़ी बेहन के घर गयी हुई थी….उस वक़्त भी मेरे जीजा जी और बड़ी बेहन लाहोर गये हुए थे….रात को जब में सो रही थी…तो मुझे बाहर किचन से किसी की आवाज़ आई…मेने जब उठ कर देखा तो, अज़ारा की चारपाई खाली थी…और अज़ारा रूम में नही थी…जब में बाहर गयी तो देखा कि वो अपने गाओं के एक लड़के के साथ किचन में लगी हुई थी…
मैं उसके बात पर कुछ नही बोल पाया….”अच्छा तुम बैठो…में वेटर को भेजती हूँ…तुम्हारे लिए खाने पीने का समान यही ला दे….” उसके बाद नाज़िया नजीबा को बहाने से अपने साथ ले गयी….मेने वहाँ खाना खाया…इसके इलावा और करता भी क्या वहाँ पर…नजीबा आते जाते हुए मुझे देख कर स्माइल कर देती…लेकिन हम दोनो में कोई बात नही हुई….ऐसे ही वक़्त गुजर गया….और शाम को में घर वापिस आ गया…आज रात को भी अबू नाज़िया और नजीबा को वही रुकना था….इसलिए मेने रास्ते से थोड़ा बहुत खाने पीने का समान खरीद लिया..कि जब भूख लगेगी तो खा लूँगा….
घर आकर और कोई ख़ास बात नही हुई….फ्रेश होने के बाद में शाम के 7 बजे घर को लॉक लगा कर ऐसे गाओं में घूमने निकल गया…अंधेरा हो चुका था…रास्ते में कुछ बचपन के यार दोस्त मिल गये…कुछ देर उनके पास रुका और फिर ऐसे ही टहलते हुए में गाओं से बाहर उस जगह पहुच गया..जहा अब सबा की हवेली थी.. मतलब अब यहाँ सबा की भैंसे बाँधी जाती थी….अभी में हवेली से कुछ दूर ही था कि, मेरी नज़र ज़ेशन पर पड़ी…वो किसी लड़के के साथ बाहर जा रहा था खेतो की तरफ….मुझे पता था कि, रानी घर पर अकेली होगी….उसके जाने के बाद मेने जाकर हवेली के गेट को खटखटाया तो थोड़ी देर बाद रानी अंदर से बाहर आई…मुझे देखते ही उसके फेस ख़ुसी से खिल गया…..
रानी: गनीमत तो है….आज सरकार खुद हमारे दरवाजे पर…
रानी ने मुस्कुराते हुए कहा….तो मेने भी स्माइल करते हुए कहा…”ऐसे ही चक्कर लगाने निकला था…ज़ेशन को बाहर जाते देखा तो आ गया….” रानी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अंदर ले गयी….अपने रूम में लेजा कर मुझे चारपाई पर बैठा कर खुद मेरे साथ जुड़ कर बैठ गये….”आप दो दिन बाद तैयार रहना…..”
मैं: दो दिन बाद किस लिए….?
रानी: दो दिन बाद मेने बड़ी बेहन के घर जाना है…साथ वाले गाओं में ही उसका घर है….आप मेरे साथ चलना….
मैं: मेने वहाँ जाकर क्या करना है…अगर किसी ने मेरे बारे में पूछा तो क्या जवाब दोगी….
रानी: कोई नही पूछने वाला वहाँ पर….परसो मेरी बड़ी बेहन ने अपने खाविंद के साथ लाहोर जाना है…..उनकी बेटी अज़ारा घर पर अकेली होगी….इसलिए मेरी बेहन ने कहा कि में दो दिन उनकी बेटी के पास रुक जाउ….
मैं: क्या हुआ उनके और बच्चे नही है….वो भी तो होंगे…..
रानी: दो बेटी है….दोनो लाहोर में जॉब करते है….उनसे मिलने जा रहे है….
मैं: और तुम अपनी भतीजी को क्या कहोगी…कि में कॉन हूँ….
रानी ने मेरी बात सुन कर ऐसे मुस्कुराइ…जैसे उसके जेहन में कोई बात चल रही हो… “अब ऐसे ही मुस्कुराती रहोगी या फिर बताओगि भी….” मेने थोड़ा सा खीजते हुए कहा तो, रानी हंसते हुए बोली….”याद है नही उस दिन मेने आपको गुब्बारा लाने को कहा था..”
मैं: हां याद है….
रानी: पता है वो क्यों कहा था….
मैं: अब मुझे क्या पता,…तुमने कहा था….
रानी: वो अज़ारा के लिए ही लाने को कहा था….
मैं: क्या….
रानी: हाहः हहा हां सच कह रही हूँ…वो जो अज़ारा है ना…है तो इतनी सी… लेकिन गश्ती को अभी से लंड लेने का बड़ा शॉंक है….आप साथ चलो उसकी भी दिलवा दूँगी..
मैं: कही मुझे फँसाने का इरादा तो नही है तुम्हारा…..
राणा: तोब्बा….मैं भला ऐसा क्यों सोचने लगी….असल में बात ये है कि, कोई 1 साल पहले की बात है….में अपनी बड़ी बेहन के घर गयी हुई थी….उस वक़्त भी मेरे जीजा जी और बड़ी बेहन लाहोर गये हुए थे….रात को जब में सो रही थी…तो मुझे बाहर किचन से किसी की आवाज़ आई…मेने जब उठ कर देखा तो, अज़ारा की चारपाई खाली थी…और अज़ारा रूम में नही थी…जब में बाहर गयी तो देखा कि वो अपने गाओं के एक लड़के के साथ किचन में लगी हुई थी…