Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 17 - SexBaba
  • From this section you can read all the hindi sex stories in hindi font. These are collected from the various sources which make your cock rock hard in the night. All are having the collections of like maa beta, devar bhabhi, indian aunty, college girl. All these are the amazing chudai stories for you guys in these forum.

    If You are unable to access the site then try to access the site via VPN Try these are vpn App Click Here

Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

मनीष ने कहा- “कहाँ जा रहे हो, तुम इस खटारा बस में चढ़ोगे? ठहरो हमारी कार आने वाली होगी साथ में चलते हैं...”

तभी मनीष का मोबाइल बजा जिसे उसने अपने कान पर रखा, और कहा- “क्या कार पंचर हो गई है और एक्सट्रा तैयार भी नहीं है। नानसेन्स अब मैं कैसे आऊँगा?” यह कहते हुए मनीष ने फोन बंद कर दिया।

मोहित ने मनीष से कहा- “आओ अब यह खटारा बस ही हमें मंजिल तक पहुँचाएगी...”

मनीष भी हमारे साथ बस में चढ़ने लगा। बस में अंदर घुसते ही हम हैरान रह गए। बस बिल्कुल भरी हुई थी, और वहाँ पर बैठने की जगह तो छोड़ो खड़ा रहने की भी गुजाइश बहुत कम थी। हमारे अंदर चढ़ते ही बस स्टार्ट हो गई और आगे चलने लगी।

मनीष ने गुस्से में बस से किराया वसूल करने वाले को बुलाकर कहा- “यह कौन सी शराफत है? कम से कम बस की सीटें खाली नहीं है तो बता देते हम नहीं चढ़ते...”

मनीष की बात सुनकर वो हँसने लगा और हँसते हुए कहा- “लगता है शहर से आए हो, यहाँ पर तो डेली ऐसे ही बस गाँव जाती है...”

मनीष उसकी बात सुनकर चुप हो गया। बस में बहुत भीड़ थी। कई लड़के, बूढ़े और लड़कियां हमारे साथ खड़ी थी और वहाँ पर हिलने की गुंजाइश भी नहीं थी। मैं जहाँ खड़ी थी मेरे आगे मोहित और कुछ लड़कियां खड़ी थी। और मेरे पीछे एक बूढ़ा खड़ा था। करुणा और मनीष साथ में थे, आगे करुणा और पीछे मनीष।

अचानक बस एक ब्रेकर से गुजरी हम सब उछलते हुए एक दूसरे पर गिरने लगे। मोहित ने अपने हाथ से सामने वाली लड़की को पकड़ लिया और पीछे खड़े बूढ़े ने मेरी कमर में हाथ डालकर मुझे पकड़ लिया। क्योंकी मोहित और उस बूढ़े का एक हाथ बस की ऊपर वाली स्टैंड को पकड़े हुए था। उस लड़की ने मोहित को हँसकर शुक्रिया कहा और मैंने भी उस बूढ़े को हँसकर शुक्रिया कहा। बस आगे चलती रही। अब रास्ता बहुत खराब चल रहा था जिस वजह से हम सब एक दूसरे से टकरा रहे थे।

मैंने महसूस किया की बूढ़ा बार-बार मेरे पीछे से टकरा रहा था, और कोई ठोस चीज मेरी गाण्ड से टकरा रही थी। कुछ ही देर के बाद मैं समझ गई की वो बूढ़ा जानबूझ कर मुझसे टकरा रहा था और जो ठोस चीज मुझसे टकरा रही थी वो उस बूढ़े की धोती में खड़ा लण्ड था। मैं अपना चेहरा उस बूढ़े की तरफ करके उस देखने लगी।

वो बूढ़ा मुश्कुराता हुआ कहने लगा- “क्या करें बेटी बहुत भीड़ है, इसलिए हम तुमसे टकरा रहे हैं...”

मैंने अपना चेहरा वापस मोड़ लिया। कुछ देर तक वो बूढ़ा चुपचाप खड़ा रहा मगर थोड़ी ही देर में फिर से उसका लण्ड मेरी गाण्ड पर टकराने लगा। मैंने सोचा चलो बूढ़े को मजे लेने दो, भरी बस में भला वो और क्या कर सकता है? इसलिए मैंने अपनी गाण्ड को पीछे करके उस बूढ़े के लण्ड को अपने चूतड़ों पर ठीक तरीके से सेट कर दिया। बूढ़ा मेरा सपोर्ट पाते ही अपना लण्ड मेरे चूतड़ों पर रगड़ते हुए अपना हाथ भी मेरी गाण्ड पर रख दिया।

मोहित सामने खड़ी लड़की से सटकर खड़ा हो गया और अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर रगड़ने लगा। वो लड़की अपनी गाण्ड पर मोहित का लण्ड महसूस करके चौंक गई, और थोड़ा आगे की तरफ होते हुए खड़ी हो गई। मोहित भी थोड़ा आगे होते हुए फिर से उस लड़की के साथ सटकर खड़ा हो गया।

इधर बूढ़ा मेरी नरम गाण्ड पर अपने हाथ फिराते हुए अपना लण्ड मेरे चूतड़ों में दबाने लगा, और अपना लण्ड मेरी गाण्ड पर दबाते हुए अपना हाथ आगे लाकर मेरे पेट पर फिराते हुए ऊपर-नीचे करने लगा। मेरी साँसे उखड़ने लगी। मैंने बूढ़े का आगे बढ़ता हुआ हाथ अपने हाथ से पकड़कर दूर झटक दिया। बूढ़े ने अपना हाथ फिर से मेरी गाण्ड पर रख दिया और वहाँ से फिराते हुए मेरी कमीज के अंदर घुसकर मेरे नंगे पेट को सहलाने लगा।
 
मेरी तो साँसें ही रुक गई उस बूढ़े की हिम्मत देखकर। मैं घबरा गई लेकिन अब मैं फैंस चुकी थी, मैंने ही उसे लिफ्ट दी थी। मैं अपने हाथ से फिर से उस बूढ़े का हाथ पकड़कर झटकने लगी। मगर उस बूढ़े ने अपना दूसरा हाथ बढ़ाकर मेरे हाथ को पकड़ लिया और अपना हाथ मेरे चिकने पेट पर फिराने लगा। मेरी हालत बिगड़ती जा रही थी। उस बूढ़े के हाथ में गजब का जादू था। मेरी चूत ने पानी बहाना शुरू कर दिया था। उसे बूढ़े ने अपना हाथ मेरे पेट से ऊपर ले जाते हुए मेरी ब्रा की तरफ बढ़ाने लगा। मेरी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी।

मोहित ने भी अपना लण्ड उस लड़की की गाण्ड पर रगड़ते हुए अपना हाथ उसकी गाण्ड पर रख दिया। लड़की के लिए अब आगे बढ़ने की कोई जगह ना थी, इसलिए मजबूर होकर वो वहीं खड़ी रही। मोहित लड़की के ना छटपटाने पर अपना हाथ उसकी गोल-गोल गाण्ड पर फिराते हुए अपने हाथों से उसकी मोटी गाण्ड को दबाने लगा। मोहित के हाथों से अपनी गाण्ड दबने से वो लड़की भी गरम हो गई और अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ धकेलने लगी। मोहित लड़की की इजाजत पाकर अपना हाथ उसकी गाण्ड से आगे ले जाते हुए उसके पेट पर फिराते हुए ऊपर करने लगा।


मोहित के हाथ अपने पेट पर महसूस करके वो लड़की बिल्कुल गरम हो चुकी थी, इसलिए वो अपने चूतड़ों को पीछे धकेलते हुए थोड़ा सा नीचे झुक गई। जिस वजह से मोहित का लण्ड उसकी गाण्ड के साथ चूत पर भी महसूस होने लगा। मोहित ने अपने लण्ड को उसके चूतड़ों में दबाते हुए अपना हाथ ऊपर करते हुए उसकी भारीभारी चूचियों को पकड़ लिया। अपनी चूचियों पर मोहित का हाथ महसूस करके वो लड़की जोर से हाँफने लगी। मोहित अपने हाथों से उस लड़की के चूचियां दबाता रहा।

उस लड़की का हाँफना बंद हुआ तो वो सीधी हो गई, और मोहित का हाथ पकड़कर अपनी चूचियों से दूर झटक दिया। मैं समझ गई वो झड़ चुकी है अब वो मोहित को घास नहीं डालेगी।

बूढ़े का हाथ ऊपर मेरी चूचियों तक पहुँच चुका था, और मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को दबा रहा था।

मोहित ने फिर से अपना हाथ बढ़ाकर उस लड़की की चूचियों को पकड़ लिया।

तभी अचानक बस रुक गई क्योंकी गाँव आ चुका था। बस के रुकते ही सभी बस से उतरने लगे। उस बूढ़े ने भी मुझे छोड़ दिया। मगर मोहित ने उस लड़की के साथ उतरते हुए उसके कान में कुछ कहा।

उस लड़की ने बस से नीचे उतरते ही शोर मचाना शुरू कर दिया- “भाइयों और बहनों देखो यह लड़का मुझे छेड़ रहा है। मेरे मना करने पर भी यह नहीं माना और मुझसे गंदी बातें कर रहा है...”

उस लड़की की बात सुनकर वहाँ खड़े तीन-चार आदमियों ने मोहित को घेर लिया और मोहित को गले से पकड़ते हुए कहा- “क्या है बहुत चर्बी चढ़ गई है क्या? लड़की को छेड़ता है। लगता है की तुम शहर से आए हो...” यह कहते हुए वो सभी मोहित को पीटने लगे। हम सभी तमाशायी बनकर देखने लगे। मोहित जमीन पर पड़ा था और वो उसे पीट रहे थे।

तभी मनीष ने आगे बढ़ते उए उन आदमियों से कहा- “छोड़ो इसको मार ही डालोगे क्या? बस इसे अपने किए की सजा मिल गई...”

वो आदमी मनीष की बात को सुनकर हट गए। मोहित की हालत देखकर मैं और करुणा हँसने लगे। उसकी शर्ट फट चुकी थी, और उसका मुँह सूज चुका था, उसकी नाक से खून निकल रहा था।

मनीष ने अपना रुमाल मोहित की तरफ बढ़ते हुए कहा- “तुम्हें क्या जरूरत थी उस लड़की से छेड़-छाड़ करने की? यह शहर नहीं गाँव है...”

मोहित ने रुमाल से अपनी नाक का खून साफ करते हुए कहा- “यार मनीष वो लड़की बहुत चालू थी। बस में मुझे पूरा लिफ्ट दे रही थी, और बाहर आते ही सती-सावत्री हो गई...”

मनीष ने हँसते हुए कहा- “तो तुमने बस के बाहर उससे छेड़-छाड़ क्यों की? यह गाँव है, अगर कोई उसे देख लेता तो उसको जिंदा गाड़ देते...”
 
मनीष और हम पैदल चल रहे थे की अचानक एक बाइक आकर हमारे सामने रुकी। उसपर एक हैंडसम और क्यूट लड़का बैठा था उसकी उँचाई 56" रंग गोरा, उसका जिश्म भरा हुआ था और उसका सीना चौड़ा था, दिखने में बिल्कुल हैंडसम लग रहा था। मनीष उसे देखते ही भागते हुए रवी कहते हुए उसके गले से जा लगा। थोड़ी देर तक वो आपस में मिलने के बाद मनीष ने उसे हमसे मिलवाया- “रवी यह है करुणा, धन्नो, और मोहित...”

रवी ने हम सबको हाय कहा और मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “इसे क्या हुआ?”

मनीष ने हँसते हुए कहा- “किसी लड़की को धक्का लग गया इसका, उसने शोर मचाना शुरू कर दिया। गाँव वालों ने इसकी धुलाई कर दी...”

रवी ने हँसते हुए मोहित की तरफ देखते हुए कहा- “क्यों मोहित, गाँव की छोरी इतनी खूबसूरत थी क्या?” और हँसने लगा। रवी बातें करते हुए मुझे घूर रहा था, उसकी नजरों में अजीब किस्म की कशिश थी।

मनीष ने हम सबसे कहा- “शाम को मेरे घर पर चाय पीने जरूर आना, मैं रवी के साथ चलता हूँ...”

रवी जाते हुए भी मुझे घूर रहा था। बाइक स्टार्ट करते हुए रवी ने हमें बाइ कहा और आँखों ही आँखों में मुझसे कह दिया- “छोरी तुम तो बहुत खूबसूरत हो..”

मनीष और रवी के जाते ही हम मोहित के साथ घर जाने लगे। घर पहुँचते ही सीता मौसी ने मोहित को घायल देखकर भागती हुई मोहित से लिपट गई- “बेटे मेरे लाल क्या हुआ, तुम्हें किसने मारा है?”

मोहित शर्म के मारे चुप रहा।

मैंने मौसी से कहा- “मौसी मोहित बस से उतरते वक़्त गिर गया था...”

मेरी बात सुनकर मौसी ने मोहित से कहा- “इतना बड़ा हो गया है, फिर भी बस से गिर गये। आओ बैठो मैं पानी लेकर आती हूँ..”

मौसी के जाते ही मोहित ने मुझे देखते हुए आँखों ही आँखों में बैंक्स कहा। मौसी एक जग पानी का और एक तौलिया लेकर आ गई, और मोहित को मुँह धोने के लिए कहा। मोहित के मुँह धोने के बाद मौसी ने उसका मुँह तौलिया से साफ कर दिया। मौसी मोहित के चक्कर में हमको भूल गई थी। मोहित का मुँह साफ करने के बाद मौसी ने उसे खटिया पर लिटा दिया।

फिर मौसी ने हमारी तरफ बढ़ते हुए कहा- “धन्नो तुम तो बहुत बड़ी हो गई हो, और करुणा तुम भी तो पूरी जवान हो चुकी हो। कोई रिश्ता वगैरह आया है तुम दोनों के लिए या ऐसे ही बैठी हो?”

मौसी की बात सुनकर करुणा शर्म के मारे लाल हो गई।

मैंने मौसी से कहा- “मौसी बिंदिया की शादी फिक्स हो गई है और करुणा तो अभी बहुत छोटी है...”
 
मेरी बात सुनकर मौसी बोली- “अरे धन्नो कैसी बातें करती हो? करुणा तो भगवान की दया से जवान है। पिछले हफ्ते उस करमू की लड़की जो अभी पूरी जवान भी नहीं हुई थी, वो किसी शहरी लौंडे समीर के साथ भाग गई..” अब तुम ही बताओ उस करमू की क्या हालत हुई होगी? किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं बचा बेचारा।

मैंने मौसी की बात सुनने के बाद कहा- “मौसी छोड़ो इन बातों को, हमें बहुत भूख लगी है कुछ खाना तो बना
दो.."

मौसी ने मेरी बात सुनकर हँसते हुए कहा- “खाना अभी बानाती हूँ..” और उठकर किचेन की तरफ चली गई।
करुणा और मैंने मौसी के जाते ही सुख की साँस ली। करुणा ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो यह मौसी तो बहुत बोलती है, कैसे रहेंगे इसके साथ?”

मैंने करुणा से कहा- “मौसी को मैं संभाल लँगी। मगर तुम बताओ वो मनीष के साथ तुम्हारा कोई चक्कर है। कोई?”

मेरी बात सुनकर करुणा ने शर्माते हुए कहा- “धन्नो, सच पूछो तो हमें मनीष से प्यार हो गया है। मैं अब कोई गंदा काम नहीं करूंगी। मैं अपनी सारी जिंदगी मनीष के चरणों में गुजार देंगी...”

करुणा की बात सुनकर मैंने हैरान होते हुए कहा- “बात यहाँ तक पहुँच गई एक रात में? ऐसा क्या जादू किया मनीष ने तुम पर की तुम उसके गुण गाने लगी..”

करुणा ने कहा- “अब क्या बताऊँ... मनीष एक सागर है जिसने मुझे भी अपनी लहरों में ले लिया...”

करुणा की बात सुनकर मैंने कहा- “मगर वो एक ठाकुर का बेटा है। वो भी तुमसे प्यार करता है या सिर्फ तुम्हारी जवानी का इश्तेमाल किया...”

करुणा ने अपना हाथ मेरे होंठों पर रखते हुए कहा- “धन्नो वो मुझसे सच्चा प्यार करता है। मुझे क्या पता प्यार कैसा होता है। मनीष ने ही मेरी जिंदगी को पलट दिया है, और मैं अब उसकी बनकर रह गई हैं.”

करुणा की बातें सुनकर मेरा मन भी सोचने लगा की आखिर यह प्यार क्या है? किस बला का नाम है जो एक लड़की और लड़का एक दूसरे के बिना नहीं रह सकते?

करुणा ने मुझे गुमसुम देखकर कहा- “धन्नो तुम भी यह सब छोड़कर एक सच्चा जीवन साथी हूँढ़ लो। जो मजा प्यार में है, वो दुनियां की किसी चीज में नहीं है...”

मैं और करुणा ऐसे ही कुछ देर तक बातें करते रहे। मौसी खाना लेकर आ गई और मैं खाना खाने के बाद फ्रेश होने के लिए उठी। मैंने मौसी से कहा- “बाथरूम कहाँ है मुझे नहाना है...”

मेरी बात सुनकर मौसी ने हँसते हुए कहा- “यहाँ पर बाथरूम नहीं है। यह गाँव है कोई शहर नहीं है, वो सामने कुवें में से पानी निकालकर नहा लो...” ।

मैंने मौसी की बात सुनकर सामने देखा। वहाँ पर एक मैदान था, जिसमें एक कुँवा था। वहाँ पर एक बाल्टी भी पड़ी थी। मैंने मौसी से कहा- “मौसी इस मैदान पर मैं कैसे नहाऊँगी?”
 
मौसी ने कहा- “धन्नो यह गाँव है, हमारा कुँवा तो हमारे घर में हैं, दूसरे घरों में जहां कुँवा नहीं है उनकी औरतें तो बाहर वाली नहर पर नहाती हैं। तुम जाकर नहा लो...”

मौसी की बात सुनकर मैं अपने कपड़े लेकर सामने कुवें तक आ गई। मैं सोच रही थी की मैं यहाँ पर नहाने के लिए बैठ जाऊँ और अगर कोई आ गया तो? मैंने मौसी से कहा- “मौसी मैं नहा रही हूँ अगर बाहर से कोई आए तो बता देना...”

मौसी ने मेरी बात सुनते हुए कहा- “बेटी तुम बेफिकर नहा लो यहां कोई नहीं आता...”

मैं मौसी की बात सुनकर अपने कपड़े उतारने लगी। मैंने देखा की वहाँ पर एक रस्सी बँधी हुई थी। मैंने अपने कपड़ों को रस्सी पर ऐसे लटका दिया की सामने वाले को मैं नजर ना आऊँ और मैं कुवें से पानी भरकर अपने गरम जिश्म को ठंडा करने लगी। मैंने साबुन लेकर अपने जिश्म पर मलना शुरू कर दिया।

तभी अचानक मौसी की आवाज आई- “धन्नो तुम कपड़ों में ही नहा रही हो? इन्हें उतारकर नहाओ क्यों इतना शर्मा रही हो?”

मैंने सामने मौसी को खड़ा देखा। मैंने जल्दी से अपने हाथों से अपनी चूचियों को ढकते हुए अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया।

मौसी ने कहा- “धन्नो मुझसे भी शर्मा रही है, मैं भी तो तुम्हारी तरह औरत हूँ...” यह कहते हुए मौसी ने आगे बढ़ते हुए मेरी ब्रा को पीछे से खोलते हुए अपने हाथों से खींचकर अलग कर दिया और अपने हाथों से मेरी कच्छी को भी उतार दिया। मैं अब मौसी के सामने बिल्कुल नंगी थी। उसने मुझे बाहों से पकड़ते हुए सीधा कर दिया।

मेरे सीधे होते ही मौसी ने अपना हाथ अपने मुँह पर रख लिया, और कहा- “धन्नो तुम्हारी चूचियां कितनी गोरी हैं, और तुम्हारी चूत भी बिल्कुल गुलाबी है, इसीलिए तो गाँव के लड़के शहर की छोरियों के पीछे पड़े रहते हैं। इस गाँव में तो सभी की चूतें काली हैं। अब तुम आराम से नहा लो मैं जा रही हूँ...”

मौसी के जाने के बाद मैं नहाने लगी। नहाते हुए मैं सोचने लगी- “यह मौसी तो बहुत पहुँची हुई चीज है। इसने सारे गाँव की लड़कियों की चूत देख रखी है। फिर तो जरूर इसने गाँव के लण्ड भी देखे होंगे? वैसे मौसी भी इतनी बूढ़ी नहीं थी की वो चुदवा ना सके। उसकी उमर कोई 40 साल की थी...”


यह सोचते हुए मैं गरम हो गई और दो उंगलियां अपनी चूत में डालकर जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगी। कुछ ही देर में मेरी चूत से पानी निकलने लगा और मैं अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी। झड़ने के बाद जब मैंने आँखें खोली तो मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मुझे अपनी चूत में उंगली अंदर-बाहर करते हुए इतनी देर से कोई देख रहा था। मेरे सामने मौसी खड़ी थी। वो मुझे देखकर हँस रही थी। मैं मौसी को अपनी तरफ घूरता हुआ देखकर घबरा गई और जल्दी से उठकर अपने कपड़े पहनने लगी।

मौसी मुझे अपने कपड़े पहनते हुए देखकर मेरे पास आ गई और मेरी गाण्ड पर एक चिकोटी लेते हुए कहा- “वाह रे धन्नो... तुम तो बहुत गर्म हो...”

मैं मौसी की बात सुनकर शर्म के मारे लाल हो गई और अपने कपड़े पहनकर मौसी से बात किए बिना वहाँ से भाग गई। मैं कमरे में पहुँचकर कुछ देर तक करुणा से बातें करने लगे।

कुछ देर तक बातें करने के बाद हम सबने मिलकर खाना खाया। खाना खाने के बाद मैंने करुणा से कहा- “मैं थक गई हूँ, मैं कुछ देर आराम करती हूँ..."
 
करुणा ने कहा- “मैं भी थक गई हूँ, मैं भी आराम करती हैं। शाम को मनीष के यहाँ भी जाना है..”

मैं और करुणा अलग-अलग होकर लेट गई। लेटते ही हमें नींद आ गई, क्योंकी हम दोनों ने रात को ठीक से नींद नहीं ली थी।

मनीष ने रवी के साथ बाइक पर अपने घर पहुँचते ही अपने बाप को वहाँ खड़ा देखा, मनीष बाइक से उतरकर सीधा अपने बाप के पैर छूने लगा।

मनीष के बाप ने उसे बाजुओं से पकड़कर अपने गले से लगाते हुए कहा- “बेटा तुम्हारी जगह हमारे पैरों में नहीं हमारे दिल में है...”

मनीष अपने पिता के साथ अंदर आ गया। अंदर आते ही प्रताप सिंह ने मनीष से कहा- “बेटे तुम थक गये होगे, जाओ फ्रेश होकर आओ जब तक हम खाना लगवाते हैं...”

मनीष अपने बाप की बात सुनकर सीधा अपने कमरे के बाथरूम में घुस गया और अपने पूरे कपड़े उतारकर फ्रेश होने चला गया। ठाकुर प्रताप सिंह का घर नहीं एक महल था। इस गाँव में जहाँ पर किसी के घर में एक भी बाथरूम भी नहीं था वहाँ ठाकुर के महल में हर कमरे के साथ एक अटैच बाथरूम बना हुआ था और उसके महल में जरूरत की सभी चीजें मौजूद थी। ठाकुर के महल में बहुत सारे नौकर रखे हुए थे जो उस महल का काम काज करते थे।

ठाकुर प्रताप के दो बेटे थे उसे कोई लड़की नहीं थी, और उसकी बीवी की मौत 10 साल पहले हो चुकी थी। ठाकुर की उमर कोई 45 साल थी, उसका कद लंबा 5'8” इंच, रंग गोरा और उसकी बाडी गठीली थी क्योंकी ठाकुर डेली सुबह उठकर कसरत करता था।

मनीष नहाने के बाद अपने कमरे से बाहर आ गया। ठाकुर ने खाना टेबल पर लगवा दिया था। मनीष नाश्ते की टेबल पर रवी और ठाकुर के साथ बैठ गया। टेबल पर खाना लग चुका था। मनीष के आते ही सब मिलकर खाना खाने लगे।

खाना खाते हुए रवी ने मनीष से पूछा- “भैया वो दोनों छोरियां कौन थी, जो आपके साथ आई थी?”

मनीष रवी के अचानक इस सवाल से चौंक उठा, मगर वो बात को संभालते हुए बोला- “रवी मैं जिस ट्रेन से आ रहा था उसी से वो लड़कियां और मोहित आ रहे थे, हमारे ही गाँव के सीता मौसी का बेटा और वो लड़कियां उसकी रिश्तेदार हैं। मोहित के साथ गाँव घूमने आई हैं.”

रवी ने मनीष की बात खतम होते ही कहा- “मगर आपने तो उन छोरियों को शाम को चाय के लिए बुलाया है..”

मनीष के बोलने से पहले ठाकुर बोल पड़ा- “रवी अगर चाय पर बुलाया है तो क्या हो गया? वो इसके साथ गाँव आई थी, और ठाकुर का बेटा होने के नाते मनीष ने उन्हें चाय की दावत दी होगी...”

रवी ने मनीष की तरफ देखते हुए कहा- “मगर बापू वो दोनों छोरियां बहुत गोरी और खूबसूरत थीं, मुझे तो दाल में कुछ काला लागे...”

ठाकुर रवी की बात सुनकर हँसते हुए बोला- “रवी तुम सुधरोगे नहीं। मनीष को छोड़ो, उन छोरियों में तुम्हें कौन सी अच्छी लगी?”
 
ठाकुर की यह बात सुनकर मनीष का दिल धक-धक करने लगा। अगर रवी ने करुणा के बारे में कुछ कहा तो वो तो जीते ही मर जाएगा।

रवी ने सोचते हुए कहा- “मैं उनका नाम तो ना जानँ, मगर वो जो बड़ी वाली थी वो मारे दिल को भा गई...”

रवी की बात सुनकर मनीष की जान में जान आई और हँसते हुए कहा- “वाह रवी.. वो आई हमारे साथ थी और तुमने पहली नजर में धन्नो को पसंद कर लिया..”

रवी ने मनीष से कहा- “उस छोरी का नाम धन्नो है?”

मनीष ने कहा- हाँ उस लड़की का नाम धन्नो है।


ठाकुर ने मनीष से कहा- “मनीष बेटा अगर तुम्हें कोई पसंद हो बता दो। तुम दोनों की शादी बड़ी धूम धाम से करूंगा..."
ठाकुर की बात सुनकर मनीष ने अपना कंधा नीचे करते हुए कहा- “डैड मुझे भी उनमें से छोटी वाली जिसका नाम करुणा है, उससे प्यार हो गया है..."


ठकुर खुश होते हुए- “वाह... हमें तो बैठे बिठाए दो बहू मिल गई। शाम को हम उनको देखना चाहते हैं की हमारे दोनों बेटों का दिल अपनी मुट्ठी में करने वाली वो दोनों कितनी खूबसूरत हैं?”

मनीष ने कहा- “डैड शाम को वो दोनों वैसे ही चाय पर आने वाली हैं आप उन दोनों को देख लेना...”


सब नाश्ता करने के बाद उठकर अपने-अपने कमरे में जाने लगे। मनीष भी बहुत थका हुआ था, अपने कमरे में आते ही उसे नींद आ गई।

ठाकुर प्रताप अपने कमरे में पहुँचकर अपने कपड़े उतारने लगा। आज वो बहुत खुश था। उसके दिल की तमन्ना पूरी होने वाली थी। उसके दोनों बेटों ने अपने लिए बीवियां पसंद कर ली थी। ठाकुर अपने सारे कपड़े उतारकर सिर्फ अंडरवेर में खड़ा था तभी उसके कमरे में शिल्पा दाखिल हुई। ठाकुर को यूँ आधा नंगा देखकर वो वापस जाने लगी। तभी ठाकुर ने आगे बढ़कर शिल्पा को बाजू से पकड़ते हुए अपने पास खींच लिया और पीछे से उसे गले लगा लिया।

शिल्पा अपने आपको ठाकुर से छुड़ाने लगी मगर ठाकुर की मजबूत बाहों की पकड़ से वो छूट ना पाई। वो छटपटाते हुए ठाकुर से कहने लगी- “हमें छोड़िये, आपके बेटे आ गये तो हम किसी को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे...”

ठाकुर ने अपनी बाहों का जोर देते हुए शिल्पा की गाण्ड को अपने अंडरवेर में कैद लण्ड पर दबा दिया और अपने मुँह से उसके कंधे को चूमते हुए बोला- “मेरी जान वो अपने-अपने कमरे में जाकर सो गये हैं, और अब तक तो वो अपनी-अपनी बिवियों के सपने देख रहे होंगे...”

शिल्पा ने चौंकते हुए कहा- “मगर उनकी शादी कब हुई है?"

ठाकुर ने कहा- “शहर से दो छोरियां गाँव घूमने आई हैं, और वो दोनों हमारे लड़कों को पसंद आ गई हैं। इसलिए आज हम बहुत खुश हैं..."

शिल्पा- “फिर तो खुश होने की बात है, मगर इस वक़्त तो मुझे छोड़ो...”

ठाकुर ने कहा- “आज मैं बहुत खुश हूँ मैं रात का इंतजार नहीं कर सकता। मुझे अभी अपने बेटों की खुशी का जश्न मनाना है...”
शिल्पा ने अपनी गाण्ड को पीछे करते हुए ठाकुर के लण्ड पर ठीक तरीके से अपने चूतड़ों पर महसूस करते हुए कहा- “आप तो बड़े बेशर्म हो गये हैं। अच्छा मुझे दरवाजा तो बंद करने दो...”
 
ठाकुर ने शिल्पा को अपनी बाहों के कैद में से आजाद कर दिया। शिल्पा जल्दी से जाकर दरवाजा बंद करने लगी। शिल्पा इसी गाँव की थी, उसकी माँ मर चुकी थी और उसका बाप बहुत बूढ़ा और बीमार था। इसलिए वो ठाकुर की हवेली में काम करती थी। ठाकुर की हवेली में काम करते हुए उसे बहुत टाइम हो चुका था। उसकी उमर इस वक़्त 28 साल थी। वो 18 साल की उमर से हवेली में काम कर रही थी। ठाकुर ने उसका कोई नाजायज फायदा नहीं उठाया था बल्की वो खुद ही हवस के तूफान में बहकर ठाकुर के आगोश में आ गई थी।

* * * * * * * * * *फ्लैशबैक –

शिल्पा और टाकुर की पहली चुदाई यह उस वक़्त की बात है जब शिल्पा नई-नई इस हवेली में आई थी। टकुराइन की मौत के कारण 3 महीने तक हवेली में शोक था और वक़्त के साथ-साथ सब कुछ नार्मल हो गया। शिल्पा डेली सवेरे ही हवेली में आ जाती थी, और चाय बनाकर ठाकुर और उनके दोनों बेटों को उनके कमरे में पहुँचाती थी। ठाकुर के दोनों बेटे तो उस वक़्त बहुत छोटे थे। वो चाय पीकर स्कूल चले जाते थे, शिल्पा उन दोनों को चाय पिलाकर उन्हें स्कूल के लिए रवाना करती थी और बाद में ठाकुर के कमरे में जाकर उसे उठाकर चाय देती थी।

एक दिन डेली की तरह रवी और मनीष को स्कूल भेजने के बाद शिल्पा ठाकुर के कमरे में चाय लेकर पहुँच गई। शिल्पा के पास हर कमरे की डुप्लीकेट चाबी हुआ करती थी। वो दरवाजा खोलकर जैसे ही अंदर दाखिल हुई। उसकी नजर सोए हुए ठाकुर पर पड़ी, जो बेखबर नींद में सोया हुआ था। ठाकुर सिर्फ एक अंडरवेर पहनकर सोता था। जब शिल्पा की नजर ठाकुर के अंडरवेर पर पड़ी तो शिल्पा हैरान हो गई, क्योंकी ठाकुर का अंडरवेर सामने से गीला था।

शिल्पा सोच में पड़ गई की इतना बड़ा होकर भी ठाकुर अंडरवेर में ही मूत देता है। शिल्पा आगे बढ़कर चाय टेबल पर रखते हुए ठाकुर के करीब आ गई और अपना हाथ बढ़ाकर उसके अंडरवेर पर रख दिया। अंडरवेर पर हाथ पड़ते ही शिल्पा हैरान हो गई क्योंकी यह पेशाब नहीं बल्की कोई चिपचिपी चीज थी। शिल्पा अपना हाथ अपनी नाक तक लाते हुए उसे सँघने लगी। शिल्पा की आँखें अपनी नाक में उसकी गंध महसूस करते ही बंद होने लगी। शिल्पा कुछ देर तक अपने हाथ को सँघती रही। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की ठाकुर के अंडरवेर पर क्या लगा हुआ है?

शिल्पा चाय का कप टेबल पर रखते हुए ठाकुर को उठाने लगी। उसने फैसला कर लिया था की वो ठाकुर से पूछेगी की उसका अंडरवेर गीला क्यों है?

ठाकुर शिल्पा का हाथ लगाते ही आँखें मलता हुआ उठा। ठाकुर ने उठते ही टेबल से चाय उठाकर पीने लगा। शिल्पा हर रोज चाय रखकर चली जाती थी आज ठाकुर ने उसे वहीं खड़े देखकर कहा- “क्या बात है शिल्पा सब कुछ ठीक तो है?”

शिल्पा ने अपना सिर झुकते हुए कहा- “ठाकुर साहब मुझे आपसे कुछ पूछना है...”

ठाकुर ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा- “पूछो क्या बात है?”

शिल्पा- “ठाकुर साहब जब मैं आपके कमरे में दाखिल हुई तो आपका कच्छा गीला था। मैं यही पूछना चाहती थी की आप इतने बड़े होकर कच्छे में पेशाब करते हो...”

ठाकुर शिल्पा का सवाल सुनकर चौंक उठा और अपना हाथ अपने अंडरवेर पर रख दिया अपने अंडरवेर पर हाथ पड़ते ही ठाकुर का हाथ गीला हो गया। ठाकुर समझ गया की नींद में उसके लण्ड से वीर्य निकल गया है। वैसे भी ठाकुर अपनी पत्नी को डेली चोदता था। अब उसको मारे हुए 3 महीने बीत चुके थे और ठाकुर के जिम में अभी बहुत ताकत बाकी थी।

ठाकुर ने मुश्कुराते हुए शिल्पा से कहा- “मैंने नींद में पेशाब नहीं किया, यह पेशाब नहीं कुछ और है...”

शिल्पा ने हैरान होते हुए कहा- “फिर आपके कच्छे पर यह क्या लगा हुआ है?”

ठाकुर ने कहा- “तुम अभी छोटी हो, मैं नहीं बता सकता...”

शिल्पा ने कहा- “आपके कच्छे पर ऐसा क्या लगा हुआ है जो आप हमें नहीं बता सकते और मैं अभी छोटी नहीं
ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर उसे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा। ठाकुर आज पहली बार शिल्पा को एक मर्द की नजर से देख रहा था। उसे अपने सामने एक जवान कमसिन लड़की नजर आई जो एक गुलाबी साड़ी में खड़ी थी। शिल्पा की चूचियां उसकी उमर के हिसाब से कुछ बड़ी थीं, और उसकी पतली कमर के नीचे उसकी भरी हुई गाण्ड किसी भी मर्द को पहली बार में अपनी तरफ खींच ले।

शिल्पा की तरफ देखते हुए ठाकुर की नजर उसकी गाण्ड पर अटक गई। शिल्पा ने ठाकुर को यूँ घूरता हुआ देखकर कहा- “बताएं ना क्या है वो चीज, हम जानना चाहते हैं?”
 
ठाकुर ने अपनी आँखों से शिल्पा के जिश्म को टटोलते हुए कहा- “सच में आप जानना चाहती हैं की हमारे कच्छे पर क्या लगा हुआ है?”


शिल्पा ने जल्दी से कहा- “हाँ हम जानना चाहते हैं...”

ठाकुर ने अपने हाथ आगे बढ़ाते हुए शिल्पा के नरम हाथ को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचते हुए बेड । पर बिठा दिया। ठाकुर का सख्त मर्दाना हाथ अपने नरम हाथ पर पड़ते ही शिल्पा के सारे जिम में सिहरन दौड़ गई। ठाकुर ने शिल्पा को अपने पास बिठाते हुए कहा- “शिल्पा हम तुमको सब कुछ बता देंगे मगर यह बात तुम किसी से मत करना..."

शिल्पा ने जल्दी से कहा- “हाँ मैं किसी को नहीं बताऊँगी, आप जल्दी से बताइए...”

ठाकुर ने शिल्पा की तरफ देखा वो ठाकुर के बिल्कुल नजकीक बैठी थी और उसकी भरी हुई चूचियां ठाकुर की आँखों के बिल्कुल सामने थीं। ठाकुर का लण्ड शिल्पा की साड़ी में कैद उसकी भरी हुए चूचियों को देखकर फनफनाने लगा।

ठाकुर ने अपने मुँह से थूक को गटकते हुए कहा- “शिल्पा आपको पता नहीं है की जब मर्द जवान होता है तो उसकी कुछ जरूरतें होती हैं, जिसकी वजह से वो शादी करता है और वो औरत से संभोग बनाकर उससे आनंद हासिल करता है, और औरत भी मर्द से उतना ही आनंद प्राप्त करती है...”

शिल्पा ठाकुर की बातों को बड़े गौर से सुन रही थी।

ठाकुर ने आगे कहा- “शिल्पा तुम्हें पता है की शादी के बाद मर्द अपना यह (अपने अंडरवेअर की तरफ इशारा करते हुए कहा) औरत की योनि में डालता है और उसमें से पानी निकलकर औरत की योनि में जमा होकर उसे गर्भवती बनाता है। मर्द जब औरत से यह संभोग करना छोड़ता है तो उसके लण्ड से कुछ दिनों के बाद से यह पानी निकलता है.”

शिल्पा ठाकुर की पूरी बात सुनकर हैरान रह गई। उसे सेक्स के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। उसने ठाकुर के अंडरवेअर की तरफ इशारा करते हुए कहा- “आपके यहाँ क्या होता है?”

शिल्पा की बात सुनकर ठाकुर का लण्ड झटके खाने लगा। ठाकुर ने उत्तेजित होते हुए शिल्पा से कहा- “तुम्हें नहीं पता की मर्द के यहां क्या होता है?”

शिल्पा ने अपना कंधा ना में हिला दिया। ठाकुर ने शिल्पा से कहा- “तुम देखना चाहोगी की मर्द की कौन सी चीज औरतों के योनि में जाकर उसे गर्भवती बनाती है और दुनिया का सबसे रोमांचक मजा देता है...”

शिल्पा को भी ठाकुर की बातों से मजा आने लगा था उसने अपना सिर हिलाकर हाँ कह दिया।

ठाकुर ने बेड से उठते हुए कमरे का दरवाजा बंद करते हुए शिल्पा से कहा- “मैं तुम्हें हर चीज के बारे में बता दूंगा मगर यह बात बाहर किसी से मत कहना...”

शिल्पा ने फिर से कहा- “मैं किसी को नहीं बताऊँगी...”
 
ठाकुर ने शिल्पा की बात सुनकर अपने अंडरवेअर को नीचे सरका दिया, अंडरवेअर के नीचे होते ही ठाकुर का 9” इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड फनफनाता हुआ हवा में लहराने लगा। शिल्पा की आँखें ठाकुर के इतने बड़े और मोटे लण्ड को देखकर फटी की फटी रह गई। शिल्पा ने आज तक किसी मर्द का लण्ड नहीं देखा था।

उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से ठाकुर के लण्ड को गौर से देखते हुए कहा- “यह इतना बड़ा और मोटा क्या है?”

ठाकुर ने अपना हाथ शिल्पा की जाँघ पर रखते हुए कहा- “यही तो वो चीज है जिसे मर्द औरत की योनि में डालकर गर्भवती बनाता है। इसे लण्ड कहते हैं...”

शिल्पा ठाकुर का हाथ अपनी जाँघ पर महसूस करके काँप उठी और उसकी बात सुनकर हैरान रह गई। वो ठाकुर के लण्ड को गौर से देखते हुए बोली- “मगर यह तो बहुत बड़ा और मोटा है...”

ठाकुर शिल्पा की बात सुनकर अपने हाथों से उसकी से जाँघ को सहलाते हुए बोला- “भगवान ने औरत की योनि वार को ऐसा बनाया है की वो मर्द के लण्ड के साइज के हिसाब से अपने आप खुल जाती है...”


ठाकुर के हाथ की रगड़ अपनी जाँघ पर महसूस करके शिल्पा के मुँह से आअहहह... निकल गई। शिल्पा ने ठाकुर के लण्ड को देखते हुए कहा- “आपकी पत्नी की मौत की वजह से आपके इसमें से पानी निकला था, क्योंकी आपने 3 महीने से संभोग नहीं किया है...”

ठाकुर ने कहा- “शिल्पा तुम बहुत समझदार हो तुमने सही कहा, मेरी पत्नी की मौत के बाद मैं किससे संभोग
करता?”

शिल्पा ने फिर से कहा- “ठाकुर साहब... तो आप अब सारी उमर ऐसे ही अपना पानी बहाते रहेंगे?”

ठाकुर ने अपने हाथ को शिल्पा की जांघों से ऊपर ले जाते हुए उसे सहलाने लगा ठाकुर के हाथ की उंगलियां शिल्पा की चूत से टकरा रही थी। ठाकुर ने कहा- “और कर भी क्या सकते हैं, मेरी पत्नी तो इस दुनियां में रही


नहीं..."

शिल्पा को अपनी चूत पर ठाकुर की उंगलियां महसूस करते ही बिजली का एक झटका लगा और उसके मुँह से फिर से ‘इस्स्स्स ’ निकल गया। उसकी आँखें अभी भी ठाकुर के लण्ड में अटकी हुई थी।

ठाकुर ने शिल्पा को अपनी तरफ देखते हुए कहा- “क्या देख रही हो, इसे अपने हाथ से छूकर देखो?”

शिल्पा अपने मुँह से कुछ बोल ना सकी। मगर ठाकुर उसे खामोश देखकर समझ गया की वो उसके लण्ड को छूना चाहती है।

ठाकुर ने शिल्पा का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया। शिल्पा अपने हाथ को ठाकुर के लण्ड पर महसूस करके अंदर तक काँप उठी। उसे ऐसा महसूस हो रहा था की उसका हाथ किसी गरम सख़्त चीज पर रख दिया गया हो।
 
Back
Top