Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 4 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

धन्नो, करिश्मा, और कृष्णा होटेल में





सुबह मैं और बिंदिया तैयार होकर कालेज के लिए निकल गये। मैं जैसे ही क्लास में जाकर बैठी कृष्णा मेरे पीछे आकर बैठ गया- “हेलो धन्नो, क्या हाल है?”
मैंने मुश्कुराकर कहा- ठीक हूँ।
कृष्णा को जैसे ग्रीन सिग्नल मिल गया हो, उसने अपना हाथ मेरे पीछे से चूतों पर रख दिया। मैं चौंक गई। उसने फिर भी हाथ नहीं हटाया और मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरते हुए पूछा- “आज मजा देखोगी?”
मैं कल से बहुत गर्म हो रही थी और कृष्णा का हाथ भी मुझे बहुत मजा दे रहा था। मैंने सोचा देखने में क्या हर्ज है? और अपना सिर हाँ में हिला दिया।
कृष्णा ने अपना हाथ मेरे चूतड़ों के बीच गाण्ड में डालते हुए कहा- “यह हुई ना बात... क्लास खतम होते ही पार्क में आ जाना..."
मैं उसका हाथ अपनी गाण्ड पर महसूस करके मजे से झटपटा उठी। क्लास खतम होते ही मेरे पैर खुद-ब-खुद पार्क की तरफ चलने लगे। मेरी चूत कृष्णा और उस लड़की की चुदाई देखने की याद करते ही गीली होने लगी। पार्क में कृष्णा और वो लड़की पहले से मौजूद थे।
कृष्णा ने मुझे देखकर कहा- “यहाँ किसी भी वक़्त, कोई भी आ सकता है। तुम हमारे साथ चलो मेरा यहाँ पास में ही एक होटेल में कमरा बुक है."
मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था क्योंकी मुझपर सेक्स चढ़ा हुआ था। मैं उनके साथ होटेल के कमरे में आ गई। अंदर आते ही कृष्णा ने दरवाजा अंदर से लाक किया और मुझे बाहों में भरते हुए अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चाटने लगा। मेरे सारे जिम में चींटियां रेंगने लगी। मैं बिल्कुल समझ नहीं पाई की यह क्या हो रहा है और यह किसी मर्द के साथ मेरा पहला किस था। मेरी चूत में सुरसुरी होने लगी और मैंने अपने हाथों से उसके सिर को पकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगी। मेरी चूचियां कृष्णा की मजबूत छाती से टकरा रही थीं। उसने अपना हाथ नीचे लेजाकर मेरी चूचियों को पकड़ लिया। मेरा सारा जिश्म काँपने लगा और मैं झड़ने लगी। थोड़ी देर बाद मुझे होश आया, तो मैंने कृष्णा को अपने आपसे दूर धकेला।
कृष्णा बोला- “क्या हुआ?”
धन्नो- “तुम बहुत गंदे हो। तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो?"
कृष्णा- “मैंने सोचा तुम्हें मजा आ रहा है इसीलिए कर रहा था। अगर तुम्हें ऐतराज है तो मैं कुछ नहीं करूंगा...” और उसने मुझे सोफे पर बैठने को कहा और खुद करिश्मा के पास गया और उसकी कमीज उतार दी।
उसने आज एक सफेद ब्रा पहन रखी थी। कृष्णा ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उसे चाटने लगा। करिश्मा ने भी उसका साथ देते हुए अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। कृष्णा उसे बड़े मजे से चाटते हुए अपने हाथ से उसकी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे गिरा दिया।
करिश्मा अब सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। कृष्णा ने अपने होंठों से उस लड़की का कंधा चूमते हुए उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसकी नंगी चूचियों पर टूट पड़ा। वो उसकी एक चूची को अपने मुँह में लेता और उसके निपल को चूसते हुए काट देता। करिश्मा के मुँह से मजे की सिसकी निकल जाती। उस लड़की ने कृष्णा की शर्ट और पैंट उतार दी और उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया। वो लड़की कृष्णा के ऊपर चढ़ गई और कृष्णा के जिश्म को चाटते हुए नीचे होते हुए अंडरवेर के ऊपर से ही अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड पर फिराने लगी। कृष्णा मजे से छटपटाने लगा।
मेरी हालत भी खराब होने लगी और मैं अपने हाथ से चूत को सहलाने लगी।
 
करिश्मा ने कृष्णा का अंडरवेर उतारा और उसका लण्ड अपनी मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी। इतना करीब से लण्ड देखकर मेरी साँसें भी ऊपर-नीचे होने लगी। वो लड़की कृष्णा के लण्ड का सुपाड़ा खोलकर अपनी जीभ से किसी लालीपाप की तरह चाट रही थी। अचानक वो लड़की उठी और मुझसे कहा- “इतनी दूर क्यों बैठी हो... चलो नजदीक से देखो..” और मुझे खींचते हुए बेड पर बिठा दिया।


अब करिश्मा ने अपना मुँह खोला और कृष्णा का लण्ड अपने मुँह में भरकर चाटने लगी, और उसके अंडों से खेलने लगी। वो लड़की लण्ड चूसने में माहिर थी क्योंकी वो कृष्णा का पूरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। कुछ देर चूसने के बाद उसने कृष्णा का लण्ड अपने मुँह से निकाला, तो उसका लण्ड चमक रहा था।


मेरे मुँह में पानी आने लगा, मेरा दिल कर रहा था की उस लड़की को दूर करके खुद कृष्णा के लण्ड का स्वाद चखें, मगर डर भी लग रहा था इसीलिए कुछ नहीं कर पा रही थी।

अचानक करिश्मा ने मेरा हाथ पकड़कर कृष्णा के लण्ड पर रख दिया। मेरा सारा शरीर काँपने लगा। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड पर से उठा लिया।

करिश्मा ने कहा- “की तुम डरती बहुत हो? हाथ लगाने से और चाटने से कुछ नहीं होता। तुम यहाँ मजे लेने आई हो तो डरती क्यों हो? इसे अपने हाथ में लेकर देखो बहुत मजा आएगा..” कहकर करिश्मा ने फिर से मेरा हाथ कृष्णा के लण्ड पर रख दिया।


इस बार मैंने हाथ नहीं हटाया। कृष्णा का लण्ड बहुत गर्म और सख्त था।
करिश्मा ने कहा- “इसे आगे-पीछे करो, मजा आएगा..."

मैं अपना हाथ उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी, मेरा सारा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था और मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी। कृष्णा के लण्ड से एक बूंद वीर्य की निकल रही थी। मुझे जाने क्या हो गया, मैंने अपनी जीभ निकालकर उसे चाट लिया। कृष्णा के मुँह से सिसकी निकल गई। उसके लण्ड से अजीब खुश्बू आ रही थी, मुझे कुछ अजीब स्वाद लगा मगर मैं अपने काबू में नहीं थी। मैं अपनी जीभ से उसके लण्ड को ऊपर से नीचे चाटने लगी। मेरी चूत उत्तेजना के मारे पानी की नदियां बहा रही थी। मैंने अपना मुँह खोला और कृष्णा के लण्ड को मुँह में भर लिया और चाटने लगी।

कृष्णा के मुँह से ‘ओह' निकल गई। उसने कहा- “अपने मुँह को पूरा खोलो, तुम्हारे दाँत लग रहे हैं। अपने होंठों और जीभ से चाटो...”

मैंने अपना पूरा मुँह खोला, कुछ देर चाटने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा। मैंने उसका लण्ड बाहर निकाल लिया। कृष्णा ने उठकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरी कमीज के ऊपर से चूचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा। उसके सख़्त हाथ पाते ही मेरे मुँह से एक सिसकी निकल गई। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। उसने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं बहुत गर्म थी। मैं उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगी। वो अब मेरे नीचे वाले होंठ को चूसने लगा और हल्का काट भी रहा था।
 
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘अह्ह.. ओहह... निकल रही थी। वो अब मेरी कमीज उतारने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरा सारा जिम सेक्स की आग में जल रहा था। मैंने उसका साथ देते हुए अपनी कमीज उतारने में उसकी मदद की। कमीज उतरते ही ब्रा में कैद मेरी गोरी गोल और सख़्त चूचियों को देखकर कृष्णा की आँखों में चमक आ गई। वो अपना हाथ बढ़ाकर मेरी ब्रा उतारने लगा। ब्रा उतरते ही मेरी नंगी चूचियां कृष्णा के सामने थी।


मैंने आज तक किसी मर्द को अपना बदन नहीं दिखाया था। कृष्णा को मुझे ऐसा घूरते हुए देखकर मैं शर्मा गई
और अपने हाथों से अपनी चूचियां ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी। कृष्णा ने आगे बढ़कर मेरे हाथों को। पकड़कर मेरी चूचियों से दूर किया और अपने होंठ मेरी चूचियों के ऊपर रख दिए। मेरे सारे जिश्म में सनसनाहट होने लगी।

कृष्णा ने अपने मुँह से मेरी चूचियों को ऊपर से चाटते हुए मेरी एक चूची के गुलाबी निपल को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरा मजे के मारे बुरा हाल था। मैंने कृष्णा के सिर को पकड़ लिया, कृष्णा मेरी चूची को बहुत जोर से चूस रहा था। मुझे उसके चूसने से बहुत मजा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूची के अंदर से कोई कुछ खिंच रहा हो। वो चूची को चूसते हुए मेरी सलवार का नाड़ा खोला और अपने हाथ से पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा।

कृष्णा ने मेरी चूची को अपने मुँह से निकालते हुए कहा- “वाह... मजा आ गया। तुम्हारी चूचियां तो बहुत मीठी हैं..." और वो फिर से मेरी चूचियों को एक-एक करके चाटने लगा और अचानक उसने मेरी दूसरी चूची को मुँह में लेकर उसे काट दिया।
मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ओह... दर्द होता है..” और वो अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे पेट पर आ । गया, और अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि को चाटने लगा। मुझे गुदगुदी और मजे का मिला-जुला अहसास हो। रहा था।
कृष्णा और नीचे जाने लगा और मेरी सलवार को उतारकर मेरी पैंटी के ऊपर मुँह रखकर सूंघा और कहा- “वाह धन्नो.. तुम्हारी चूत की खुश्बू तो बहुत बढ़िया है...”
कृष्णा पैंटी के ऊपर से ही अपने मुँह से मेरी चूत को चाट रहा था। मैं मजे से सिसक रही थी, कृष्णा ने मेरी पैंटी में हाथ डाला और उसे उतारने लगा। मेरी साँसें तेज होने लगी, मैंने अपने चूतड़ उठा दिए और उसे पैंटी उतारने में मदद की। पैंटी उतरते ही वो मेरी गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा। उसने मेरी हल्के बलों वाली चूत पे अपना हाथ रखा और उसे ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
मेरे मुँह से ‘आअहहह' निकल गई।
कृष्णा अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी चूत को सँघने लगा और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के दाने पर फेरने लगा। मैं उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ उछालने लगी। कृष्णा दाने को चूसते हुए नीचे जाने लगा और मेरी चूत के होंठों पे किस करते हुए उसे अपने मुँह में भर लिया।
मेरी साँसें रुक गई और मेरे मुँह से चीख निकल गई- “अह्ह... ओहह...” और उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और अपने चूतड़ उठा दिए।
मेरी पूरी चूत कृष्णा के मुँह में थी। उसने अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत में डाल दी। मैं उसकी जीभ को बर्दाश्त नहीं कर सकी और “आहहह' करते हुए झड़ने लगी। कृष्णा ने मेरा सारा रस चाट लिया। मैं कुछ देर तक शांत पड़ी रही। कृष्णा ऊपर उठते हुए मेरी चूचियों को फिर से चाटने लगा और अपने हाथ नीचे लेजाकर अपनी उंगली मेरी चूत पे रगड़ने लगा। मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरी चूत में बहुत सुरसुरी हो रही थी। कृष्णा ने चूत को सहलाते हुए उंगली मेरी चूत में घुसा दी।
मेरे मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... ओहह..”

कृष्णा अपनी उंगली को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे इतना मजा आने लगा की मैं बता नहीं सकती। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी उंगली अंदर ले रही थी। कृष्णा ने अपनी उंगली निकाली और फिर दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी।
मैं उछल पड़ी, मेरे मुँह से एक बड़ी चीख निकल गई- “कृष्णा बहुत दर्द हो रहा है, निकालो...”
मगर कृष्णा मेरी बात सुने बगैर अपनी उंगलियां अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे मजा आना शुरू हो गया और मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी। कृष्णा अपने होंठों से मुझे चूमने लगा। मैं भी अब गर्म हो चुकी थी, मैं भी उसका भरपूर साथ देने लगी और उसके होंठों को काटने लगी।
 
कृष्णा समझ गया की अब मैं उसे मना नहीं करूंगी। वो अपनी उंगलियां मेरी चूत से निकालकर मुझे सीध लेटाया और मेरी टाँगों को उठाकर मेरी कमर तक मोड़ दिया और मेरे चूतड़ के नीचे एक तकिया रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल कृष्णा के सामने थी। कृष्णा अपना लण्ड मेरी चूत पे रगड़ने लगा।
मेरे मुँह से- “आहहह... ओहह...” की सिसकियां निकलने लगी।
कृष्णा ने अपना लण्ड निशाने पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। उसका लण्ड आधा मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया।
मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे मेरी चूत में किसी ने चाकू घुसा दिया हो। मेरे मुँह से एक जोरदार चीख निकल गईऊईईई माँ.. मेरी चूत फट गई प्लीज... कृष्णा मुझे छोड़ दो बहुत दर्द हो रहा है."
करिश्मा यह सब कितनी देर से देख रही थी। वो मेरे करीब आई और मेरी चूचियों को सहलाने लगी और कहा“दीदी जो दर्द होना था हो गया। अब मजे का टाइम है, तुम हौसला रखो...”
कृष्णा अपने आधे लण्ड को थोड़ा बाहर निकालकर फिर से अंदर करने लगा। मेरा दर्द भी कम होने लगा था और मीठे मजे का अहसास होने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालने लगी। कृष्णा समझ गया की मुझे मजा आने लगा है। वो अब जोर से अपना आधा लण्ड अंदर-बाहर कर रहा था। अचानक उसने धक्के लगाते हुए एक जोर का धक्का मार दिया और अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसा दिया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकली- “ओईई माँss... मर गई बचाओ..." और मेरी आँखों के सामने अंधेरा हो गया। मुझे चूत में बहुत दर्द हो रहा था। मैं अपने आपको उससे छुड़ाने की कोशिश करने लगी मगर कृष्णा ने मुझे जोर से पकड़ रखा था।
करिश्मा ने मेरी चूची को अपने मुँह में ले लिया और उसे चाटने लगी।
“आहहह... शिट... आहहह... शिट...” मेरा दर्द कम होने लगा और मैंने अपने चूतड़ हिलाने शुरू कर दिये।

कृष्णा अब हल्के धक्के लगाने लगा। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी और अपनी टाँगें उसकी कमर में डाल दी। मुझे उसका लण्ड अपनी चूत की दीवारों में रगड़ता महसूस हो रहा था। कृष्णा अब अपना लण्ड पूरा बाहर निकालकर जड़ तक अंदर कर रहा था। उसकी गोटियां मेरी गाण्ड पर महसूस हो रही थी। मैं अब मजे से अह करते हुए सिसकने लगी। कृष्णा ने अब अपनी स्पीड बहुत तेज कर दी थी। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी।
मुझे इतना मजा आ रहा था की बयान नहीं कर सकती। अचानक मेरी साँसे उखड़ने लगी और मैं- “आअह्ह्ह... ओह्ह..” करते हुए झड़ने लगी। मेरे अंदर से पानी के फवारे निकलने लगे। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली। कुछ देर बाद मैंने अपनी आँखें खोली।
कृष्णा अब भी मुझे धक्के लगा रहा था। अचानक उसने अपने धक्कों की रफ़्तार बहुत तेज कर दी और बड़बड़ाते हुए कहा- “ओहह.. धन्नो तुम्हारी चूत बहुत टाइट है, मैं झड़ने वाला हूँ..”
मैं डर गई और मैंने कहा- “प्लीज.. अंदर मत झड़ना, बच्चा हो जायेगा...”
कृष्णा ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और करिश्मा के मुँह में डालकर उसका मुँह चोदने लगा और कुछ देर में ही वो उसके मुँह में झड़ने लगा। करिश्मा उसका सारा वीर्य गटकने लगी, उसके वीर्य की कुछ बूंदें करिश्मा के मुँह से निकलकर बेड पर गिरने लगी। कृष्णा ने कुछ देर बाद अपना लण्ड उस लड़की के मुँह से निकाला। उस लड़की ने कृष्णा के लण्ड को अपनी जीभ निकालकर साफ कर दिया।
मैं उठकर बाथरूम जाने लगी। मैंने देखा की बेड पर कुछ खून के धब्बे थे, मैं घबरा गई।
करिश्मा ने मुझसे कहा- “ऐसे क्या देख रही है? हर लड़की को पहली चुदाई से थोड़ा खून निकलता है अब तुम कुँवारी नहीं रही..”
मुझे चलने में परेशानी हो रही थी। मेरी चूत में बहुत जलन और दर्द हो रहा था। मैंने बाथरूम में जाकर पहले पेशाब किया फिर अपनी चूत को पानी से साफ किया, मुझे कुछ सुकून मिला। मैं बाहर निकली और कहा- “चलो कालेज चलते हैं बहुत देर हो गई है...”
कृष्णा ने कहा- “मैं तुम्हें एक गोली लाकर देता हूँ तुम्हारा दर्द खतम हो जायगा। फिर मैं तुमको कालेज छोड़ देता हूँ...” थोड़ी देर बाद वो एक पेन किल्लर और जूस लेकर आया।
मैंने वो गोली खा ली और जूस पीने लगी। मेरी चूत से दर्द अब गायब हो गया था। हम कालेज पहुँच गये और क्लास में जाकर बैठ गए। क्लास खतम होते ही हमारी छुट्टी हो गई।
 
सोनाली और धन्नो आकाश के साथ

सोनाली के कमरे में रोहन ने आज फिर हम दोनों को घर तक छोड़ दिया। मगर आज सोनाली आँटी ने रोहन को देख लिया और पूछा- “यह कौन है?”
बिंदिया ने कहा- “यह मेरा दोस्त है मेरे साथ कालेज में पढ़ता है और बहुत इंटेलीजेंट है पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करता है...”
सोनाली आँटी ने रोहन को कहा- “अंदर आ जाओ, तुम चाय पीकर जाना...”
रोहन ने कहा- “नहीं आँटी मुझे देर हो रही है फिर कभी आऊँगा...”
हम सबने लंच किया और फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे बदन में बहुत थकावट महसूस हो रही थी। शाम को मैं उठकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं कृष्णा को याद करके अपनी चूत सहला रही थी। मेरी चूत में खुजली हो रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं जल्दी से उठकर छेद से बाहर देखने लगी।
आज आँटी के साथ आज जय नहीं था, कोई दूसरा आदमी था जिसे मैं नहीं पहचानती थी। आँटी ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।
सोनाली- “आकाश आज तुमने मेरी बड़ी ख्वाहिश पूरी कर दी। तुमने जय को इंगलैंड टूर पे भेजकर हमारा रास्ता साफ कर दिया..."
आकाश ने कहा- “मगर तुमने तो कहा था की आज मेरे लिए सरप्राइज है.”
सोनाली- “हाँ सरप्राइज तो है। मगर इतनी जल्दी क्या है?” और वो दोनों कमरे में चले गये।
काश का लण्ड
मैं भी बाहर आकर खिड़की के साइड में खड़ी हो गई, आज खिड़की कुछ ज्यादा ही खुली हुई थी। अंदर जाते ही सोनाली आँटी ने पहले आकाश के पूरे कपड़े निकाल दिए और फिर खुद भी नंगी हो गई। आकाश का लण्ड । देखकर मेरी साँसें रुक गई। उसका लण्ड बहुत मोटा और बड़ा था, कृष्णा के लण्ड से दोगुना। मेरे हाथ अपने आप मेरी सलवार के ऊपर चूत पर चले गये।
आँटी उसके लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। उसका लण्ड आँटी के दोनों हाथों में मुश्किल से समा रहा था। आँटी ने उसको बेड पर लेटा दिया, उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा था। आँटी उसके लण्ड के मोटे सुपाड़े पे अपनी जीभ निकालकर फिराने लगी। आकाश के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे उतार दिया और अपनी पैंटी को नीचे करके अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
आँटी ने आकाश का लण्ड चूसते हुए खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे आँख मार दी। मेरे हौसले खता हो गये। आँटी मुझे देख रही थी। आँटी ने अपना मुँह खोलकर आकाश के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और मुझे देखते हुए उसे लालीपाप की तरह चाटने लगी।
मेरी साँसे ऊपर-नीचे हो रही थी। मैं सोच रही थी की अब क्या होगा?
 
अचानक आँटी ने उसका लण्ड मुँह से निकाला और अपने दुपट्टे से उसकी आँखें बाँधने लगी।
आकाश चौंकते हुए. “क्या कर रही हो सोनाली डार्लिंग?”
आँटी ने उससे कहा- “तुम चुपचाप सोए रहो और अपनी पट्टी मत खोलना...” और सोनाली आँटी उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी।
मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी। आँटी दरवाजा खोलकर मुझे आधा नंगा देखकर मुश्कुराते हुए कहने लगी- “मेरी धन्नो, तुम तो मुझसे भी ज्यादा गर्म हो। आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जिंदगी का सबसे ज्यादा मजा दिलाती हूँ...” और मेरी चूत पर एक चुटकी काट दी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है? आँटी ने मुझे बेड पर आकाश के साइड में बिठाया और मेरा हाथ पकड़कर उसके लण्ड पर रख दिया। मेरे सारे जिम में सुरसुरी होने लगी। आँटी ने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगी।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मैं ‘आअह्ह्ह' करते हुए झड़ने लगी और मेरे हाथ की पकड़ आकाश के लण्ड पर मजबूत हो गई। सोनाली आँटी मेरी झड़ती हुए चूत का पानी चूसने लगी और अपनी जीभ निकालकर चूत में पेल दी। मेरा झड़ना जब बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली। मेरा हाथ अब भी आकाश के लण्ड पर था। आँटी ने मुझपर नजर डाली और अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
मैं फिर से गर्म होने लगी और अपना हाथ आकाश के लण्ड पर ऊपर-नीचे फेरने लगी। आकाश का लण्ड इतना नजदीक से देखकर मेरी साँसें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। आँटी ने उठकर आकाश की आँखों पे बँधे हुए कपड़े को निकाल दिया।
आकाश की आँखें खुलते ही फटी की फटी रह गई। वोह मेरी तरफ गौर से देखने लगा और आँटी से कहा- “यह खूबसूरत परी कौन है?”
आँटी ने कहा- “यह मेरी भांजी धन्नो है और यह मुझे जय के साथ देख चुकी है, और आज हमें भी देख रही थी, यह बहुत ही गरम चीज है। मैंने सोचा इसको भी अपने खेल में शामिल कर लेते हैं...”
आकाश ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरी चूचियां उसके मजबूत सीने में दबी हुई थी और उसका लण्ड मुझे अपने पेट पर महसूस हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ निकालकर आकाश के मुँह में डाल दी। आकाश मेरी जीभ चूसते हुए अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। अचानक आकाश ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मेरी कमीज निकालकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी ब्रा अब भी चूचियों के ऊपर पड़ी थी।
 
आकाश मेरे ऊपर आया और मेरे होंठों को चूसते हुए अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे कंधे को चूमने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरे कान को चूसते हुए अंदर घुमाने लगा, मैं मजे से हवा में उड़ रही थी। मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसके लण्ड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
आकाश ने अब और नीचे होते हुए मेरी ब्रा को उठाकर बेड पर रख दिया और मेरी चूचियों को गौर से देखने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरी एक चूची के गुलाबी दाने पे फिराने लगा। मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने अपना मुँह खोला और मेरी पूरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे चाटने लगा। मैंने आकाश के सिर को पकड़ लिया और 'अहह' करते हुए अपनी चूची चुसवाने लगी।
आकाश ने मेरी एक चूची को चूस लेने के बाद दूसरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और पहले वाली को हाथों से मसलने लगा। आकाश अब अपना मुँह नीचे ले जाते हुए मेरी नाभि पे आकर रुक गया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा।
मेरा तो मजे के मारे बुरा हाल था। मेरी साँसें फूल रही थी। आकाश और नीचे होता हुआ अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया मेरे मुँह से 'आह' निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश ने मेरी गुलाबी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर थोड़ा काट दिया।
मैं उछल पड़ी- “ओईईई.. आह्ह... दर्द हो रहा है...”
आकाश ने मेरे दाने को छोड़कर अपनी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिराने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी जीभ को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
आकाश ने अपने हाथ से मेरी चूत के होंठों को अलग किया और अपनी जीभ मेरी चूत के लाल छेद में डाल दी। मजे से मेरे मुँह से आह्ह... ओह्ह...' की आवाजें निकलने लगी। आकाश अपनी जीभ को घुसा करके पूरा अंदरबाहर कर रहा था। मैं भी अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसकी जीभ अंदर ले रही थी। मेरे सारे बदन में चींटियां रेंगती महसूस हो रही थी।
आकाश अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और ‘अह' करते हुए मैं दूसरी बार झड़ गई। आकाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। जब मैंने आँखें खोली तो आकाश बेड पर लेटा हुआ अपना लण्ड सहला रहा था।
आँटी ने मुझसे कहा- “अगर मजा लेना चाहती है तो उठ और इसके लण्ड की सेवा कर...”
मैं उठकर उसके लण्ड के पास बैठ गई और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें फिर से तेज होने लगी। अचानक मुझे ना जाने क्या सूझा की मैं अपनी जीभ निकालकर आकाश के लण्ड के सुपाड़े पर फेरने लगी। आकाश के मुँह से 'आह' निकल गई। आकाश का लण्ड बहुत गर्म था मुझे उसके लण्ड से अजीब गंध महसूस हो रही थी जो मुझे और मदहोश कर रही थी। मैं अब अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।
 
आकाश ने मजे से आँटी को पकड़कर उसकी चूचियों को काटने लगा। आँटी के मुँह से चीखें निकलने लगी ‘ओहह... ओईई...'
मैं जोश में आकर अपने मुँह को खोलकर आकाश का लण्ड अपने मुँह में लेने लगी, मगर उसका लण्ड इतना मोटा था की मेरे पूरा मुँह खोलने पर भी उसका सुपाड़ा ही मुँह में ले सकी। मैं अपने हाथ बढ़ाकर उसके लण्ड को आगे-पीछे करते हुए सहलाने लगी और सुपाड़ा चूसने लगी। मेरा मुँह उसका लण्ड चूसते हुए दुखने लगा। मैं । उसका लण्ड अपने मुँह से निकालकर अपनी जीभ से उसे चाटने लगी।
सोनाली आँटी ने आकाश से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की इसके मुँह में नहीं आ रहा तो यह इसके चूत की क्या हालत करेगा?”
आकाश ने मेरे बाल पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और मेरी चूचियों को अपने हाथों से मसलता हुआ मेरे होंठों को चूमने लगा। उसका मोटा लण्ड मुझे अपनी चूत के ऊपर महसूस हो रहा था। कुछ देर तक वो मेरे होंठों को चूसने के बाद मुझे बेड पर सीधा लेटा दिया और बेड से उतरकर ड्रेसिंग टेबल से एक वैसेलीन उठा लाया। उसने वैसेलीन को अपनी उंगली पे लगाकर उसे मेरी चूत में डाल दिया और उसे दाएं बाएं घुमाते हुए मेरी चूत को चिकना करने लगा। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकल रही थी। उसने अपने लण्ड को भी वैसेलीन से चिकना किया और मेरी टाँगों को उठाकर घुटनों तक मोड़ दिया और एक तकिया मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया। मेरी चूत अब बिल्कुल ऊपर उठी हुई थी।
आकाश अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत पे रगड़ने लगा और उसे मेरी चूत पर किसी इंडे की तरह मारने लगा। मजे और डर की लहर मेरे सारे शरीर में दौड़ रही थी। मेरी चूत बिल्कुल गीली हो चुकी थी और उसमें से पानी। की कुछ बूंदे निकल रही थीं। आकाश ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखते हुए अपने पूरे वजन और ताकत के साथ मुझपर दबाव दिया। उसके लण्ड का टोपा मेरी चूत की दोनों दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया।
मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई- “ओईईई.. ओहह... तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है मेरी चूत फट जाएगी... मैं इसे पूरा नहीं झेल पाऊँगी प्लीज... इसे निकालो...” कहकर मैं झटपटाने लगी। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था जैसे मेरी चूत की दोनों दीवारों को किसी ने पकड़कर आपस में से अलग कर दिया हो।
आकाश वैसे ही अपना वजन मुझपर रखे पड़ा रहा। सोनाली आँटी मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी। मैं अपना दर्द भुलाकर फिर से गरम होने लगी। आकाश मुझे रिलैक्स होते हुए देखकर अपना दबाव बढ़ाते हुए अपना लण्ड अंदर करने की कोशिश करने लगा। मेरी चूत सिर्फ एक बार चुदी थी वो भी कृष्णा के छोटे लण्ड से, इसीलिए वो अभी तक कसी हुई थी। आकाश ने अपने लण्ड के टोपे को थोड़ा बाहर करते हुए एक जोर का धक्का लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की दीवारों को फैलाता हुआ आधा अंदर घुस गया।
मेरी तो सारी जान ही निकल गई। मेरे मुँह से जोर की चीखें निकलने लगी- “ओईई माँ... ओहह. मर गई.. बचाओ...” मैं ऐसे तड़पने लगी जैसे मछली पानी के बाहर तड़पती है।
 
मैं आकाश को अपने ऊपर से उठाने की कोशिश करने लगी, मगर वो हट्टा-कट्टा मर्द था। मेरी ताकत उसके सामने पानी भरने लगी। आकाश अपना आधा लण्ड अंदर किए ही मेरे ऊपर आ गया। मेरी चूचियों को अपने मुँह में ले लिया और उन्हें चूसने लगा।
कुछ देर बाद मेरा दर्द कम हो गया, और मैंने छटपटाना बंद कर दिया। मुझे अपनी चूत में दर्द की जगह मीठे मजे का अहसास होने लगा और मैं अपने चूतड़ उछाल-उछालकर आकाश के लण्ड पर दबाने लगी। आकाश समझ गया की मेरा दर्द खतम हो गया है। वो उठकर अपने आधे लण्ड से ही हल्के धक्के लगाने लगा।
मैंने मजे से अब सिसकना शुरू कर दिया- “आहह... इस्स्स्स
..."
आकाश अपने लण्ड को पूरा टोपे तक बाहर खींचकर धक्के लगाने लगा। मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे सारे बदन की ताकत मेरी चूत के पास जमा हो गई। आकाश ने अपना लण्ड जैसे ही अंदर करके बाहर खींचा उसके लण्ड के साथ मेरी चूत का पानी भी बाहर आ गया और मैं मजे से ‘ओफफ्फ़... आह्ह्ह...' करते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैं अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा मजा महसूस करने लगी। आकाश ने मुझे झड़ता हुआ देखकर अपने धक्के तेज कर दिये।
जब मुझे होश आया तो आकाश वैसे ही धक्के लगा रहा था मेरी चूत गीली होने के कारण अब उसका लण्ड आराम से अंदर-बाहर हो रहा था। आकाश ने मौका देखकर अपना पूरा लण्ड खींचकर जोर के धक्के लगाने लगा और हर धक्के के साथ उसका लण्ड मेरी चूत को फैलाता हुआ और अंदर होने लगा। मेरे मुँह से उसके हर धक्के के साथ ‘ओईए... ओहह..' की हल्की चीखें निकलने लगती। अचानक आकाश ने अपना लण्ड बाहर खींचकर एक बहुत जोर का धक्का मारा।
उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया और उसकी गोटियां मेरी गाण्ड पर महसूस होने लगी। मेरे मुँह से एक जोर की चीख निकल गई ओईई। मेरी चूत में फिर दर्द होने लगा और मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे। मुझे ऐसे महसूस हो रहा था की जैसे किसी ने मेरी चूत में बहुत बड़ा चाकू घुसा दिया हो और वो मेरी चूत से होता हुआ मेरे पेट में घुस गया हो।
सोनाली आँटी अपना हाथ बढ़ाकर मेरी चूचियों को सहलाने लगी।
 
कुछ देर बाद मुझे कुछ सुकून मिला और मेरा दर्द कम हो गया। मुझे आकाश का लण्ड मेरी चूत की गहराइयों तक महसूस हो रहा था। मुझे अपनी चूत गहराइयों तक फैली हुई महसूस हो रही ही। अब मेरा दर्द बिल्कुल गायब हो गया और मैंने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिये।
आकाश ने अब धक्के लगाने शुरू कर दिये। मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी और मेरी साँसे फूलने लगी। आकाश अपना पूरा लण्ड बाहर खींचकर अंदर कर रहा था। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। मुझे उसका लण्ड अपने पेट तक महसूस हो रहा था।
मैं मजे से अपने चूतड़ उछालते हुए बड़बड़ाने लगी- “अहह... हाँ ऐसे ही मुझे चोदते रहो... मुझे बहुत मजा आ रहा है, तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा और मोटा है मेरी चूत को फाड़ दो...”

आकाश मेरी बातें सुनकर दंग रह गया और अपना पूरा लण्ड बाहर खींचकर अंदर तक घुसाने लगा और कहने लगा- “धन्नो सच में तुम बहुत गर्म हो। तुम सोनाली से भी बड़ी छिनाल बनेगी...”
आकाश इतनी जोर से धक्के लगा रहा था की उसके हर धक्के के साथ मैं पूरी कॉप जाती। मेरे मुँह से अब भी अनाप-शनाप निकल रहा था- “आकाश मैं तुम्हारे लण्ड की गुलाम हो गई। मैं सारी उमर तुम्हारी रंडी बनकर रहूँगी और मैं अह... इस्स्स्स ..” के साथ दूसरी बार झड़ने लगी।
मैंने आगे से फिर से अपनी आँखें बंद कर ली। आकाश कुछ देर तक मुझे धक्के लगाता रहा। जब मैंने अपनी आँखें खोली तो आकाश मेरे ऊपर आते हुए मेरे होंठों को चूमने लगा। मैंने शरारत से उसका एक होंठ काट दिया। आकाश ने अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी एक चूची को मुँह में भरकर उसके गुलाबी निपल को जोर से काट
दिया।
मैं सिसकी- “अहह... बदमाश क्या कर रहो हो?”
आकाश मेरी निपलों को छोड़कर मेरी चूचियों को ऊपर से काटने लगा। मेरी गोरी-गोरी चूचियां उसके दाँतों के निशान से लाल हो गई। आकाश मेरे ऊपर से उठा और मुझे उल्टा लेटा दिया।
आँटी इतनी देर से हमारी चुदाई देखकर बहुत गरम हो गई थी। उसने अपनी चूत मेरे मुँह के पास कर दी और मेरे बालों को पकड़कर मेरा मुँह अपनी चूत पर दबा दिया। मुझे आँटी की चूत में से अजीब गंध आ रही थी। मैं अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत को चाटने लगी।
आकाश ने पीछे से अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ा और उसे चूत पर रखकर एक धक्का मार दिया।
मेरी चूत मेरे पानी से चिकनी थी, उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से- “ओह्ह... अहह...” निकल गई और मैंने मजे से अपनी जीभ आँटी की चूत में डाल दी।
आकाश अब मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से पकड़कर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा। मैं स्वर्ग की सैर करने लगी और अपने चूतड़ पीछे धकेलते हुए अपनी जीभ से सोनाली आँटी की चूत को चोदने लगी। आकाश ने मेरे चूतड़ों को छोड़कर हर धक्के के साथ हिलती हुई मेरी चूचियों को पकड़ लिया और अपने हाथों से मसलते हुए धक्के लगाने लगा।
 
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