Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 11 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

करुणा के कमरे का दरवाजा खुला हुआ था और करुणा भी जाग रही थी। मुझे देखकर उसने पूछा- “दीदी तुम आ गई, मुझे बहुत डर लग रहा है...”

मैंने उससे कहा- “पगली, तुम डरो मत मैं तुम्हारे साथ हैं। अब तुम अपनी आँखें बंद करके सोने का नाटक करो, मैं थोड़ी देर बाद मोहित को इधर लाती हूँ..”

मैं वहाँ से निकालकर मोहित के कमरे में आ गई। मोहित अपने पूरे कपड़े निकालकर नंगा लेटा हुआ था, और अपने हाथ से अपने मोटे लण्ड को सहला रहा था। मोहित ने मुझे देखते ही मेरे बाजू से मुझे पकड़ते हुए अपनी गोद में बिठा लिया। मैं सिर्फ एक नाइटगाउन पहने हुए थी और उसके नीचे सिर्फ एक कच्छी और ब्रा पहनी थी। मोहित की गोद में बैठते ही उसका लण्ड मेरी कच्छी के ऊपर से ही मेरी चूत में चुभने लगा। मोहित अपने हाथ मेरे नाइटगाउन में डालकर मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को सहलाने लगा और अपने होंठों से मेरे कंधे को चूमने और चाटने लगा।

मैंने अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर रगड़ते हुए उससे पूछा- “क्या बात है आज बहुत गर्म लग रहे हो, कहीं करुणा का नंगा जिश्म देखने की तो बेचेनी नहीं...”

मोहित मेरी बात सुनकर बोला- “तुम तो बहुत जालिम हो। आग भी खुद लगाती हो और उसपे पानी भी खुद डालती हो..."

मैंने हँसते हुए कहा- “अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई, तुम तो करुणा के दीवाने निकले...”

मोहित ने मेरी चूची को मसलते हुए कहा- “मैं करुणा का दीवाना नहीं पर मैंने आज तक करुणा जैसी छोटी-छोटी चूचियों नहीं देखी, और उसकी चूत भी तो छोटी होगी...”

मुझसे बातें करते हुए मोहित का लण्ड किसी लोहे की तरह सख़्त हो चुका था। मुझे उसकी गोद में अब बैठने में तकलीफ हो रही थी। मैंने मोहित की गोद से उठते हुए कहा- “चलो आओ मेरे साथ आज तुम्हें करुणा की छोटीछोटी चूचियों का दीदार कराती हूँ..”

मोहित मेरे पीछे-पीछे करुणा के कमरे में आ गया। मैंने और मोहित ने करुणा के कमरे में पहुँचने के बाद दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। करुणा बेड पर सीधा लेटे खर्राटे मार रही थी और उसकी साँसों के साथ उसकी छोटी-छोटी चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थी। मैंने मोहित को बाजू से पकड़कर करुणा के बेड पर बिठा दिया। मोहित बिल्कुल नंगा था और मैंने करुणा का हाथ पकड़कर मोहित के लण्ड पर रख दिया।
 
करुणा का नरम हाथ अपने लण्ड पर पड़ते ही मोहित के मुँह से आह्ह्ह' निकल गई। मगर करुणा के उठने के खौफ से उसने उसे अपने मुँह को बंद रखा। मोहित को अपने लण्ड पर कोई फोम के टुकड़े जैसा नरम स्पर्श हो रहा था, और उसका लण्ड बेकाबू होकर झटके मार रहा था। मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर करुणा की कमीज को ऊपर खींचते हुए उसे ब्रा तक नंगा कर दिया। करुणा ने मेरे कहने पर ढीले कपड़े पहने थे जिस वजह से उसकी कमीज ऊपर करने में मुझे कोई तकलीफ नहीं हुई।

मोहित करुणा का गोरा नंगा पेट और उसकी ब्रा में कैद छोटी-छोटी चूचियां देखकर सिहर उठा। मैंने करुणा की ब्रा को भी खींचकर नीचे कर दिया। अब करुणा की छोटी-छोटी गोरी चूचियां और उनके ऊपर गुलाबी दाने मोहित की आँखों के सामने थे।

मोहित करुणा की छोटी-छोटी चूचियां बड़े गौर से देख रहा था। मैंने मोहित का हाथ पकड़कर करुणा की एक चूची पर रख दिया। अपना हाथ करुणा की चूची पर पड़ते ही मोहित का लण्ड बड़े जोर के झटके खाता हुआ करुणा के हाथ से निकल गया और उसके छेद में से वीर्य की कुछ बूंदें निकलने लगी। मोहित करुणा की चूचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा।

मैं करुणा की सलवार का नाड़ा खोलने लगी। सलवार का नाड़ा खुलते ही मैंने करुणा की गाण्ड को थोड़ा ऊपर करते हुए ऊसकी सलवार को उतार दिया। करुणा ने सलवार के नीचे कुछ भी नहीं पहना था। मोहित करुणा की हल्के भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत देखकर पूरा सिहर उठा और वो करुणा की चूचियों को छोड़कर उसकी टाँगों के नीचे बैठ गया।


मोहित करुणा की चूत को बड़े गौर से देख रहा था। मैंने करुणा की टाँगों को पकड़कर चौड़ा कर दिया और मोहित का हाथ पकड़कर उसकी चूत पर रख दिया। मोहित अपना हाथ करुणा की चूत पर रखते ही पूरा काँप उठा। उसका हाथ करुणा की भूरे बालों वाली छोटी सी गुलाबी चूत पर अपने आप फिसलने लगा और करुणा की चूत में से हल्का-हल्का सफेद पानी निकलने लगा।

मैं बेड से उतरकर मोहित के पास जाकर बैठ गई और अपनी जीभ निकालकर उसके झटके खाते हुए लण्ड को अपने हाथ में पकड़कर निकलते हुए वीर्य की बूंदों को चाटने लगी। मोहित मेरी जीभ अपने लण्ड पर महसूस करते ही काँप उठा और मेरे बालों को पकड़कर अपने लण्ड पर दबाने लगा। मैंने अपना मुँह खोलकर उसके लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और अपने होंठों से उसे चाटने लगी। मोहित का लण्ड आज करुणा की वजह से बहुत मोटा और लंबा हो गया था। वो आधा ही मेरे मुँह में आ रहा था और मेरे पूरे मुँह को भरा हुआ था।

मैंने मोहित को इशारे से कहा- “अपनी जीभ निकालकर करुणा की चूत का स्वाद चखो...”

मोहित मेरी बात सुनकर काँपते हुए अपना मुँह करुणा की चूत के पास ले गया और उसकी चूत की खुश्बू अपनी नाक में पड़ते ही उसकी आँखें बंद हो गई। मोहित अपनी नाक से बहुत जोर की साँसें खींचकर करुणा की चूत की गंध सँघ रहा था। मैं करुणा के चहरे की तरफ देखने लगी। करुणा अपनी आँखें खोले हुए मुझे मोहित का लण्ड चाटते हुए देख रही थी। करुणा को अपनी तरफ देखते हुए देखकर मैं मोहित के लण्ड को बहुत जोर से चूसने लगी। करुणा ने मुझे देखते हुए इशारे से कहा की मुझे बहुत मजा आ रहा है।
 
मोहित ने उसकी चूत सँघते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत पर रख दिया। करुणा ने मोहित की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और उसके चूतड़ मोहित के मुँह पर हल्के-हल्के हिलने लगे। मोहित उसकी गुलाबी चूत चाटते हुए अपने हाथ से उसकी चूत के छोटे दाने को सहलाने लगा। करुणा अपनी चूत पर मर्दाना हाथ का स्पर्श पाते ही काँपने लगी और उसकी चूत झटके खाते हुए झड़ने लगी।


मोहित करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा। उसे करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी इतना मजा दे रहा था की वो उसकी चूत को पूरा चाटने के बाद उसकी चूत से निकलकर बेड पर गिरा हुआ पानी भी चाटने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए करुणा की सलवार को वापस उसे पहनाकर उसका नाड़ा बाँध दिया और मोहित को बेड से उठाते हुए करुणा के मुँह के पास खड़ा कर दिया। मोहित का लण्ड सीधा झटके खाता हुआ करुणा के होंठों को छू रहा था।

मैं मोहित के नीचे बैठते हुए उसके लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़कर करुणा के होंठों से रगड़ते हुए उसे अपनी जीभ से चाटने लगी। मोहित की आँखें मजे से बंद होने लगी। मैं करुणा के होंठों को खोलते हुए मोहित का लण्ड उसके होंठों और जीभ पर रगड़ने लगी। करुणा मोहित का लण्ड अपने होंठों और जीभ पर महसूस करते ही सिहर उठी, और अपनी जीभ को थोड़ा बाहर करते हुए मोहित के लण्ड का स्वाद चखने लगी।

मोहित करुणा के होंठों और उसकी जीभ को अपने लण्ड पर महसूस करते ही काँप उठा और मजे से अपनी आँखें बंद किए हुये अपना सिर इधर-उधर हिलाने लगा। मोहित का बदन अचानक अकड़ने लगा और उसका जिम झटके खाने लगा।

मैं समझ गई की वो झड़ने वाला है। मैंने उसके लण्ड को करुणा के होंठों से अलग करते हुए अपने मुँह में डाल लिया। मोहित का लण्ड मेरे मुँह में झटके खाता हुआ झड़ने लगा। मैंने उसके लण्ड से निकलता हुआ वीर्य । जितना हो सकता था पी लिया, और बाकी का वीर्य मेरे मुँह से निकलकर नीचे गिरने लगा। मोहित के लण्ड से आज तक इतना वीर्य नहीं निकला था। मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से निकालकर अपने मुँह से निकलते हुए वीर्य से अपनी दो उंगलियां गीली करते हुए करुणा के मुँह में डाल दी।
 
मोहित का लण्ड झड़ने के बाद भी ढीला नहीं हुआ था, बल्की वैसे ही अकड़ा हुआ था। मैंने अपनी जीभ से मोहित के लण्ड को साफ कर दिया। करुणा ने अपनी जीभ से मेरी उंगलियों को चाट लिया। मैंने अपनी उंगली उसके मुँह से निकाल ली, और उठकर मोहित के सामने खड़ी हो गई। मोहित ने अपनी आँखें खोलते हुए मुझे देखा और मेरे गीले होंठों को चूमते हुए मुझे अपने कमरे में ले जाने लगा।

मोहित अपने कमरे में पहुँचते ही बेड पर लेट गया और मुझसे कहने लगा- “धन्नो आज तक मैंने ऐसी कमसिन चूत और चूचियों नहीं देखी थी, करुणा का जिम तो बिल्कुल कमसिन और नरम है.”

मैंने मोहित के साथ बेड पर लेटते हुए उससे कहा- “अगर तुम्हें करुणा का कोरा जिश्म दिला दें तो बदले में मुझे क्या मिलेगा?”

मोहित मेरी बात सुनकर पूरा सिहर उठा और मेरे गुलाबी होंठों को चूमते हुए बोला- “धन्नो, अगर तुमने करुणा को मुझसे चुदवाने के लिए राजी कर लिया तो मैं सारी जिंदगी तुम्हारा गुलाम बनकर रहूँगा और जो तुम कहोगी मैं वो करूंगा..”

मैंने मोहित को से कहा- “सोच लो फिर मुकर मत जाना...”

मोहित ने कहा- “मैंने कहा ना जो तुम बोलोगी वोई मैं करूंगा, मगर एक बार मुझे करुणा का कोरा जिश्म दिला दो। मैंने आज तक किसी कुँवारी चूत को नहीं चोदा...”

मैंने कहा- “चलो ठीक है मैं कोशिश करूंगी, मगर जब तक वो राजी ना हो जाये तब तक तुम मुझे धन्नो नहीं करुणा समझकर चोदोगे..."

मोहित ने हैरान होते हुए पूछा- “मगर मैं तुम्हें करुणा समझकर कैसे चोदूंगा, तुम तो धन्नो हो...”

मैंने उससे कहा- “अगर तुम्हें मजा लेना है तो मुझे चोदते हुए तुम करुणा को अपने दिमाग में लाकर मुझे चोदो और मेरे हर अंग को करुणा का अंग समझो...”

मोहित ने मेरी बात पूरी होते ही मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमते हुए कहने लगा- “करुणा तुम्हारे गुलाबी गाल कितने प्यारे हैं, इतने दिनों तक तुमने मुझे तड़पाया है। आज मैं तुम्हारे कमसिन जिम का पूरा मजा लूंगा..”

मोहित के मुँह से ऐसी बात सुनकर मैंने भी उससे कहा- “मोहित मैं भी तो अपनी कमसिन जवानी को कब से सभाले हुए हूँ, आज तुम मेरी छोटी सी चूत को अपने लण्ड से फाड़ दो और मुझे कली से फूल बना दो...”

मोहित मेरी बात सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरे ऊपर चढ़कर मेरे गुलाबी होंठों को चूमने और चाटने लगा। मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके मुँह में डाल दी जिसे वो अपने होंठों से चाटने लगा।
 
मोहित कुछ देर तक मेरे होंठों का रस चूसने के बाद मेरे होंठों से अपना मुँह हटाते हुए बोला- “करुणा तुम्हारे होंठ तो शहद से ज्यादे मीठे हैं..."

मैंने मोहित को उकसाते हुए कहा- “मेरे होंठों का रस तो पी लिया, अब मेरे कमसिन चूचियों का रस भी चखकर देखो..” और मैंने उसको बालों से पकड़ते हुए उसका मुँह अपनी चूचियों पर रख दिया। मोहित मेरी चूचियों के गुलाबी निपल पर टूट पड़ा और बहुत जोर के साथ उन्हें चूसने लगा।

मैंने सिसकते हुए मोहित से कहा- “आअह्ह्ह... मेरी चूचियों में से दूध थोड़ी निकलेगा, जो इतनी जोर से चूस रहे हो, आराम से चूसो दर्द हो रहा है..."

मोहित मेरी बात सुनकर मेरी चूचियों को और जोर से चूसते हुए उन्हें काटने लगा।

मैं- “ऊओहह... मोहित ओईई माँ... तुम तो मेरी छोटी-छोटी चूचियों को काट कर खा ही जाओगे क्या?” मैं मोहित के काटने के कारण चीखते हुए बोली।

मोहित मेरी चीखों की वजह से और ज्यादा उत्तेजित हो रहा था। मोहित ने मेरी चूचियों को पूरी तसल्ली से चाटने के बाद उन्हें छोड़ दिया और नीचे मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा। मोहित के जोर से चूसने और काटने के कारण मेरी चूचियां लाल हो गई थीं और उनपर जगह-जहग लाल निशान पड़ चुके थे।

मैंने सिसकते हुए मोहित से कहा- “तुमने तो मेरी चूचियों को चूसकर लाल कर दिया है...”

मोहित मेरी टाँगों के बीच आते हुए अपना मुँह मेरी चूत पर रखकर उसे सँघने लगा।

मैंने उससे कहा- “तुम्हें मेरी कुँवारी चूत की गंध कैसी लग रही है?”

मोहित ने अपनी जीभ को निकालकर मेरी चूत के होंठों पर रख दी और उससे मेरी चूत को चाटने लगा। मोहित मेरी चूत को चाटते हुए बोला- “करुणा मैंने आज तक किसी कुँवारी चूत का स्वाद नहीं चखा। सच में तुम्हरी कुँवारी चूत की गंध और स्वाद मुझे पागल बना रही है..”
 
मोहित की जीभ को अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरा पूरा शरीर काँप उठा और मैं सिसकते हुए बोलीमोहित मेरी कुँवारी चूत में अपनी पूरी जीभ डालकर चूसो। मैंने भी आज तक अपनी कमसिन चूत किसी से नहीं चुसवाई..”

मोहित मेरी बात सुनकर अपनी जीभ से बहुत जोर के साथ मेरी पूरी चूत को चाटने लगा और मेरी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर चूसते हुए उसे हल्का काट दिया।

“ऊईए माँ अहह..” करते हुए मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मैं अपनी चूत का दर्द भूलकर अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी।

मोहित मुझे झड़ता हुआ देखकर अपनी जीभ को मेरी चूत के छेद में डालकर उसमें से निकलता हुआ पानी चूसने लगा। थोड़ी देर झड़ने के बाद मैंने अपनी आँखें खोली। मोहित ने मेरी तरफ देखते हुए कहा- “करुणा तुम्हरी कुँवारी चूत का पानी तो बहुत टेस्टी था...” ।

मैंने मोहित के लण्ड की तरफ देखते हुए खुमार में कहा- “मोहित तुम्हारा लण्ड तो बहुत मोटा और लंबा है, यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे जाएगा?”

मोहित मेरी बात सुनकर सिहर उठा और उसका लण्ड झटके खाने लगा। झटके खाते हुए मोहित के लण्ड से प्रीकम की बूंदें निकलने लगी।

मोहित ने मुझे बालों से पकड़ाते हुए मेरा मुँह अपने लण्ड पर रखते हुए बोला- “करुणा तुम फिकर मत करो, मैं तुम्हारी कमसिन चूत को बड़े आराम से चोदूंगा। तुम मेरे लण्ड को अपनी जीभ से चाटो और उसका स्वाद चखो...”

मैं मोहित की बात सुनकर उसके लण्ड की तरफ देखते हुए बोली- “तुम्हारे लण्ड में से तो पेशाब निकल रही है, मैं इसे अपने मुँह में नहीं ले सकती। मुझे उल्टी आ जाएगी...”

मोहित मेरी बात सुनकर कहने लगा- “करुणा तुम एक बार मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर देखो, अगर तुम्हें अच्छा ना लगे तो निकाल देना...”

मोहित की बात सुनकर मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के टोपे पर रख दी और उसके छेद में से निकलते हुए वीर्य को चाट लिया। मोहित का वीर्य चाटने के बाद मैंने उससे कहा- “मोहित तुम्हारे लण्ड का स्वाद मुझे अजीब लग रहा है...”

मोहित ने कहा- “पहले अजीब ही लगता है, तुम इसे अपने मुँह में लेकर चूसो। तुम्हें अच्छा लगेगा...”

मोहित की बात सुनकर मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह में भर लिया। उसका आधा लण्ड ही मेरे मुँह में आ रहा था, जिसे मैं चूसने लगी।
 
मोहित अपना लण्ड मेरे मुँह में जाते ही मुझे बालों से पकड़कर अपने लण्ड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। थोड़ी देर तक उसका लण्ड चूसने के बाद मैंने उसे अपने मुँह से निकाल दिया क्योंकी मेरी चूत में आग लगी हुई थी। मैं मोहित को दूसरी बार ऐसे ही नहीं झड़ाना चाहती थी।

मैंने मोहित से कहा- “तुम्हारा लण्ड इतना मोटा है की मेरे मुँह में ही नहीं आ रहा, यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा?”

मोहित ने मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे सीधा लेटा दिया और उसने मेरी टाँगों के नीचे बैठते हुए मेरी टाँगों को घुटनों तक मोड़कर उन्हें मेरे पेट पर रख दिया। मोहित अपने लण्ड को मेरी गीली चूत पर रगड़ने लगा।

मैंने मोहित से सिसकते हुए कहा- “प्लीज... मोहित मेरी छोटी सी चूत में अपना लण्ड आराम से घुसाना। मैंने सुना है की पहली बार में बहुत दर्द होता है...”

मोहित ने कहा- “करुणा तुम चिंता मत करो पहली बार में थोड़ा दर्द तो होता ही है...” कहकर मोहित ने अपना लण्ड मेरी चूत पर रगड़ते हुए अचानक उसे मेरे छेद पर रखकर एक जोर का धक्का मार दिया। मोहित का आधा लण्ड, मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया।

मोहित का आधा लण्ड मेरी चूत में घुसते ही मैं उसको जोश दिलाने के लिए जोर से चीखने लगी- “ऊओईई.. माँ... मर गई, निकालो.. मेरी छोटी सी चूत को फाड़ दिया, ओहह... प्लीज मुझे बहुत दर्द हो रहा है...”

मोहित मेरी बात को सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया और मेरी टाँगों को जोर से पकड़ते हुए एक जोर का धक्का लगाकर अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया। मोहित का पूरा लण्ड घुसते ही मैं और जोर से चिल्लाते हुए- “ऊऊईई... तुम्हारा बहुत मोटा है निकालो...” कहते हुए उसकी गाण्ड में अपने नाखून गड़ा दिए।

मोहित मेरी चीखों की परवाह ना करते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत में बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगा। मोहित का लण्ड उत्तेजना की वजह से बहुत मोटा और ज्यादा लंबा हो गया था, जिस कारण उसका लण्ड मेरी चूत में फँस-हँसकर अंदर-बाहर हो रहा था और मेरी चूत में बहुत जोर की रगड़ खा रहा था।
 
मैं उसके तगड़े लण्ड के जोरदार धक्के बर्दाश्त ना कर सकी और कुछ ही धक्कों के बाद मेरा पूरा बदन कांपने लगा। मैंने मजे से अपनी आँखें बंद कर ली और मेरी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर सिकुड़ते हुए झड़ने लगी।

आअह्ह्ह... ऊओह्ह..." झड़ते हुए मेरे मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी।

मोहित मुझे झड़ता हुआ देखकर बहुत जोरदार धक्के मारने लगा। मेरी चूत गीली होने के कारण उसका लण्ड मेरी चूत में आराम से अंदर-बाहर हो रहा था, और पूरा कमरा पच-पच की आवाज से गूंजने लगा। मोहित के ऊपर जैसे पागलपन का दौरा पड़ गया था। वो मेरी चूत को पूरी ताकत के साथ चोद रहा था और उसका लण्ड मेरे पेट तक धक्के मार रहा था। मोहित के धक्कों की वजह से मैं फिर से गरम होने लगी और अपने चूतड़ मोहित के लण्ड पर उछालने लगी। कुछ ही देर के बाद मोहित का बदन अकड़ने लगा और वो काँपते हुए मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाता हुआ आअहह्ह... करते हुए झड़ने लगा।

मोहित के लण्ड से निकलते हुए गरम वीर्य के अहसास के साथ ही मेरी चूत भी पानी की नदियां बहाने लगी। मैं आअहह्ह... करते हुए झड़ने लगी।

मोहित के लण्ड से ना जाने कितनी देर तक वीर्य की बारिश होती रही। उसके लण्ड से इतना ज्यादा वीर्य निकलता था कि उसका वीर्य मेरी चूत को पूरा भरता हुआ मेरी चूत से निकलकर बेड पर गिरने लगा। मोहित झड़ने के बाद मेरे ऊपर से हटकर बेड पर ढेर हो गया। मोहित की आज की चुदाई से मेरी चूत सूज गई थी, क्योंकी उसने जोश में आकर इतने जोर से चुदाई की थी की उसका लण्ड मेरी चूत में बच्चेदानी में आकर धक्के लगा रहा था। मैं कुछ देर तक यूँ ही लेटे रहने के बाद उठकर बाथरूम में चली गई। मेरे पीछे मोहित भी बाथरूम में आ गया।

मैंने उसे देखकर कहा- “क्या हुआ, तुम जाओ मुझे पेशाब करनी है?”

मोहित मेरी सूजी हुई चूत की तरफ देखते हुए जमीन पर लेट गया और मुझसे कहा- “आओ मेरे मुँह के ऊपर आकर पेशाब करो। मुझे तुम्हारी पेशाब का स्वाद चखना है."

मैंने उससे कहा- “तुम पागल तो नहीं हो गये हो? जाओ यहां से...”

मोहित मुझे टाँगों से पकड़ते हुए अपने ऊपर खींचने लगा। मैं मजबूर होकर अपनी दोनों टाँगें उसके मुँह के दोनों तरफ करते हुए उसके ऊपर बैठ गई। मेरी चूत मोहित के मुँह के ऊपर थी। मैंने जोर देकर मूतना शुरू किया, सीईईईई की आवाज के साथ मेरी चूत से पेशाब निकलना शुरू हो गया। मैं यह देखकर हैरान रह गई की मोहित अपना मुँह खोलकर मेरे पेशाब को पीने लगा। मगर मेरी चूत से इतना पेशाब निकला की मोहित का पूरा चेहरा मेरे मूत से भीग गया।

मोहित मेरे मूतने के बाद अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत को चाटने लगा। मोहित की जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही मेरे मुँह से आअह्ह्ह... निकल गया, और मैं अपनी चूत को मोहित के मुँह पर दबाने लगी। मोहित ने कुछ देर तक मेरी चूत को चाटने के बाद मुझे अपने ऊपर से हटाते हुए वहीं पर उल्टा लेटा दिया। मेरे उल्टा होते ही मोहित मेरे पीछे आ गया और अपनी जीभ निकालकर मेरी पीछे से फूली हुए चूत पर फिराने लगा। मोहित की जीभ अपनी चूत पर महसूस करते ही मैं अपने-अपने चूतड़ पीछे की तरफ धकेलने लगी।
 
मोहित ने मेरी चूत पर अपनी जीभ फिराते हुए अपने दोनों हाथों से मेरी गाण्ड के दोनों किनारों को खींचकर आपस में से थोड़ा जुदा कर दिया, और अपनी जीभ को मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड के भूरे छेद में रख दिया। मोहित की जीभ अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही मेरा पूरा जिश्म काँप उठा। मोहित अपनी जीभ को मेरी गाण्ड के छेद से फिराते हुए मेरी चूत तक ले जाने लगा।

मोहित की इस हरकत से मैं फिर से गरम होने लगी। मोहित ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटते हुए अपनी एक उंगली मेरी गाण्ड में डाल दी, और उसे जोर से अंदर-बाहर करते हुए अचानक मेरी गाण्ड से निकालकर अपने मुँह में डाल दी। मोहित मेरी गाण्ड से निकाली हुई उंगली को बड़े जोर से चूस रहा था। मोहित कुछ देर तक अपनी उंगली को चाटने के बाद अपनी दो उंगलियां मेरी गाण्ड में डाल दी और उन्हें जोर-जोर से अंदर-बाहर करने लगा।

मोहित का लण्ड तनकर झटके मार रहा था। उसने मेरी गाण्ड से उंगलियां निकालते हुए अपनी नाक पर रख दी, और अपनी साँसें पीछे खींचते हुए मेरी गाण्ड से निकली हुई उंगलियों को सँघने लगा। मोहित कुछ देर अपनी उंगलियों को सँघने के बाद मेरी गाण्ड के पीछे बैठते हुए अपना लण्ड मेरी चूत से ले जाते हुए मेरी गाण्ड के सुराख तक रगड़ने लगा।

उसका लण्ड अपनी चूत और गाण्ड पर महसूस करके मेरे मुँह से सिसकियां निकलने लगी। मोहित ने अपना लण्ड रगड़ते हुए मेरी गीली चूत पर रखकर एक धक्का मार दिया। उसका लण्ड मेरी गीली चूत में फिसलता हुआ जड़ तक घुस गया। मेरे मुँह से मजे की एक सिसकारी निकल गई। मोहित मेरी चूत में अपने लण्ड को बहुत । जोर से आगे-पीछे करने लगा और मेरी चूत को चोदते हुए मेरी गाण्ड में अपनी दो उंगलियां घुसाकर बहुत जोर के साथ अंदर-बाहर करने लगा।

मोहित का लण्ड और उसकी उंगलियां मेरे दोनों छेदों में बहुत जोर की रगड़ दे रही थी, जिसकी वजह से मेरा पूरा शरीर काँपने लगा और मेरी चूत मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगी, और आअह्ह्ह... इस्स्स्स करते हुए मैं झड़ने लगी। मोहित ने मुझे झड़ता हुआ देखकर अपनी उंगलियों को मेरी गाण्ड से निकालकर मेरे चूतड़ों को थाम लिया और बहुत जोर के धक्के मारते हुए मेरी चूत को चोदने लगा।

कुछ देर तक मेरी चूत से पानी निकलता रहा, मेरे पानी से मोहित का लण्ड गीला हो चुका था। मोहित ने । अचानक अपने लण्ड को मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड के छेद पर रखते हुए एक जोर का धक्का मारा, तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड को चीरता हुआ जड़ तक घुस गया।

“ओईई माँ..." मोहित के इस हमले के लिए मैं तैयार नहीं थी, इसीलिए मेरे मुँह से एक चीख निकल गई।
 
मोहित मेरी चीख की कोई परवाह ना करते हुए मेरी गाण्ड में बहुत जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। मोहित के हर धक्के के साथ मेरा पूरा शरीर काँप उठता।


मैंने मोहित से कहा- “मोहित जल्दी कर लो, मेरे घुटनों में दर्द हो रहा है...”

मोहित मेरी बात सुनकर मेरी गाण्ड में अपने लण्ड को बहुत जोर से आगे-पीछे करने लगा। मोहित इतनी तेजी के साथ मेरी गाण्ड मार रहा था की मेरी गाण्ड में दर्द होने लगा और मेरे मुँह से हल्की चीखें निकलने लगी। मोहित का लण्ड अचानक मेरी गाण्ड में फूलने लगा। मैं समझ गई की वो झड़ने वाला है, इसलिए मैं अपनी गाण्ड को उसके लण्ड पर सिकोड़ने लगी। मोहित काँपते हुए मेरी गाण्ड में बहुत जोर के धक्के लगाता हुआ “आह्ह्ह...' के साथ झड़ने लगा।

मोहित के लण्ड का वीर्य अपनी गाण्ड में पड़ते ही मेरी चूत ने भी अपने होंठ खोल दिए, और मैं ओह्ह करते हुए अपनी आँखें बंद करके झड़ने का आनंद लेने लगी। मोहित और मैंने झड़ने के बाद उठकर शावर ओन किया और नहाकर फ्रेश हो गये। फ्रेश होने के बाद मोहित के कमरे से निकलकर मैं अपने कमरे में आ गई और बेड पर लेटते ही थकान की वजह से मुझे जल्दी नींद आ गई।

* * * * *
* * * * *

सुबह को उठते ही फ्रेश होकर मैं और बिंदिया कालेज चले गये। कालेज में आकर मैं अपनी क्लास में चली गई। आज कृष्णा नहीं आया था। कृष्णा के ना होने के कारण मैं आराम से क्लास में बैठकर पीरियड अटेंड करने लगी। बिंदिया अपने क्लास में जाते ही रोहन के साथ बैठ गई, अभी क्लास शुरू नहीं हुई थी।

रोहन ने बिंदिया से कहा- “दो क्लासेस के बाद खाली पीरियड है, तुम मेरे साथ चलो हम थोड़ा घूमकर आएंगे...”

रोहन और बिंदिया दो क्लासेस अटेंड करने के बाद क्लास से बाहर निकल आए। बाहर आते ही बिंदिया ने रोहन से पूछा- “कहाँ जाना है?”

रोहन अपनी बाइक निकालते हुए बोला- “तुम चुप होकर बाइक पर बैठ जाओ...”

रोहन की बात सुनकर बिंदिया चुप होकर बाइक पर बैठ गई। कालेज से निकलते ही बिंदिया रोहन से चिपक कर बैठ गई और अपनी बड़ी-बड़ी चूचियां रोहन की पीठ पर दबाने लगी।

आअहह्ह...” बिंदिया की नरम और बड़ी चूचियां अपनी पीठ पर महसूस होते ही रोहन के मुँह से निकला। रोहन ने बाइक को एक सुनसान सड़क की तरफ मोड़ दिया।

बिंदिया ने रोहन से पूछा- “शहर का रास्ता तो उधर से था...”

रोहन ने कहा- “यहाँ से थोड़ा शार्टकट है तुम घबराती क्यों हो मैं तुम्हारे साथ हैं.”
 
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