Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 13 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

मैं अपना हाथ मोहित के तने हुए लण्ड पर लगाते ही कांप उठी। मेरा पूरा शरीर मोहित के लण्ड का स्पर्श पाते ही गरम होने लगा और मेरा हाथ मोहित की पैंट पर अपने आप ऊपर-नीचे होने लगा।

मोहित मेरे नरम हाथ का अहसास पाते ही बेड पर सीधा लेट गया। मैंने मोहित के लेटते ही उसकी पैंट का बेल्ट खोलते हुए उसकी पैंट को नीचे करते हुए उसका कच्छा भी नीचे सरका दिया। मोहित का कच्छा उतरते ही उसका तना हुआ लण्ड मेरी आँखों के सामने नाचने लगा। मैंने अपने नरम हाथ से मोहित के लण्ड को पकड़ते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके छेद पर फिराने लगी। मेरी जीभ अपने लण्ड के छेद पर पड़ते ही मोहित के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।

मैंने अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड पर ऊपर से नीचे चाटने लगी। मैंने मोहित का लण्ड चाटते हुए अपनी सलवार का नाड़ा खोलते हुए उतार दिया और अपनी कच्छी को भी उतारते हुए अपना पूरा मुँह खोलकर मोहित का लण्ड अपने मुँह में ले लिया। मोहित के लण्ड को कुछ देर तक चाटने के बाद मैंने अपने मुँह से निकालकर अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर उसके लण्ड पर सेट किया और अपना पूरा वजन डालते हुए उसपर बैठ गई। मोहित का लण्ड मेरी थूक की वजह से गीला था और मेरी चूत भी इतनी देर से उसका लण्ड चाटते हुए गीली हो चुकी थी। इसीलिए मोहित का लण्ड एक बार में ही मेरी चूत में जड़ तक घुस गया।

मोहित का पूरा लण्ड घुसते ही मेरे मुँह से निकल गया- “आहहह...” और मैंने मोहित के लण्ड पर उछलना शुरू कर दिया। मैं अपनी चूत को उसके लण्ड के टोपे तक ऊपर उठाकर फिर से नीचे बैठ जाती। ऐसा करने से मेरी चूत में मोहित का लण्ड तेज रगड़ खा रहा था और मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था। मैं अब पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, इसीलिए मैं मोहित के लण्ड पर बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी।

मोहित ने मुझे कमर से पकड़कर नीचे झुका लिया और मेरी कमीज में हाथ डालते हुए उसे मेरे शरीर से अलग कर दिया। मेरा पूरा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था और मेरा बदन झटके खाने लगा। मैं रोहन के लण्ड पर बहुत जोर से ऊपर-नीचे कूदने लगी। मेरी चूत मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगी और मेरा पूरा शरीर झटके खाने लगा। मजे से मेरी आँखें बंद हो गई और मैं मोहित के लण्ड पर उछलते हुए झड़ने लगी।


मोहित मुझे झड़ता हुआ देखकर मुझे नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मैं झड़ने के बाद निढाल होकर मोहित के ऊपर ढेर हो गई। मोहित ने मेरे होंठों को चूमते हुए मेरी ब्रा के हुक खोल दिए। मोहित मेरी चूचियों से ब्रा को हटाते हुए उन्हें चूसने लगा। मोहित के मुँह में अपनी चूचियां महसूस करते ही मैं फिर से गरम होने लगी और अपने चूतड़ मोहित के अंडों पर उछालने लगी।

मोहित मुझे चूतड़ उछालते हुए देखकर मेरी चूचियों को बहुत जोर से चूसते हुए मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मेरी चूत के गीले होने की वजह मोहित का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक बहुत जोर के धक्के मार रहा था। मोहित का लण्ड अचानक मेरी चूत में फूलने लगा और उसका लण्ड मेरी चूत को पूरा फैलाकर अंदरबाहर होने लगा। मोहित के लण्ड से अचानक मेरी चूत में वीर्य की बारिश होने लगी।

आअह्हह..करके झड़ते हुए मोहित ने मेरी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाते हुए मेरी एक चूची को अपने मुँह में लेकर काट दिया। मोहित का गरम वीर्य मेरी चूत में गिरते ही मेरी चूत सिकुड़ने लगी और मैं ऊईए करते हुए झड़ने लगी। मैं दूसरी बार झड़ते ही मोहित के ऊपर ढेर हो गई।

मोहित का लण्ड मेरी चूत से सिकुड़कर निकल गया और मेरी चूत से वीर्य निकलकर मोहित के पेट पर गिरने लगा। मैंने मोहित के ऊपर से उठते हुए तौलिया उठा लिया और अपनी चूत और मोहित के लण्ड को साफ कर दिया। तभी बाहर वाला दरवाजा खटकने लगा। मैंने और मोहित ने जल्दी से कपड़े पहने और बाहर आ गये, बाहर बिंदिया और रोहन खड़े थे।
 
आँटी रोहन से कह रही थी- “बेटा फोन करके तो बता दिया करो की तुम घूमने जा रहे हो, हम बेवजह परेशान हो रहे थे...”

रोहन ने आँटी से कहा- “आँटी वो नेटवर्क खराब था वरना मैं फोन कर देता। मैं अब जा रहा हूँ, बहुत देर हो गई है...”

आँटी ने रोहन से कहा- “अरे ऐसे कैसे जा सकते हो? बैठो लंच करके फिर जाओ.."

रोहन ने कहा- “आँटी बहुत देर हो गई है घर वाले परेशान होंगे। मैंने उन्हें भी नहीं बताया है फिर किसी टाइम लंच भी कर लेंगे..." रोहन यह कहता हुआ वहाँ से चला गया।

आँटी ने बिंदिया को टोकते हुए कहा- “खाना खाओगी या वो भी खाकर आई हो...”

बिंदिया ने कहा- “मैं फ्रेश होकर आती हैं, खाना नहीं खाया है...” कहकर बिंदिया अपने कमरे में चली गई।
मैं फिर से करुणा के कमरे में चली गई। करुणा के कमरे में जाते ही मैं करुणा के साथ सोफे पर बैठ गई और करुणा की चूची को हाथ में लेकर मसलते हुए कहा- “करुणा रानी देख रही हो, तुम्हारी दीदी कैसे शादी से पहले ही रोहन से मजे ले रही है और तुम अभी तक कुँवारी फिर रही हो...”


करुणा ने अपनी चूची पर दबाव पड़ते ही- “ओईए धन्नो आहिस्ते दबा...” कहकर कराह उठी।

मैंने करुणा की चूची को वैसे ही दबाते हुए कहा- “यह तो कुछ भी नहीं... जब रात को मोहित तुम्हारी इन छोटीछोटी चूचियों को देखेगा तो... वो तो इन्हें खा ही जाएगा...”

करुणा मेरी बात सुनकर शर्म से लाल हो गई, करुणा ने कहा- “धन्नो रात के बारे में सोचते हुए मेरी तो चूत में अभी से कुछ-कुछ होने लगा है...”

मैंने करुणा से कहा- “सबर कर मेरी बच्ची, सबर का फल मीठा होता है और हम दोनों साथ में हँसने लगी...”

मैं करुणा के कमरे से निकालकर बिंदिया के कमरे में चली गई। मुझे बिंदिया से आज के बारे में पूछना था, बिंदिया के कमरे में जाते ही मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।

बिंदिया ने मुझे देखते हुए कहा- “धन्नो आओ मैं तुम्हारा ही इंतजार कर रही थी...”

मैं बिंदिया के साथ जाकर बेड पर बैठ गई और बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “कहाँ गई थी आज रोहन के साथ? आजकल तू बहुत मजे कर रही है..”
 
मेरी बात सुनकर बिंदिया ने गुस्सा होते हुए कहा- “धन्नो तुम्हें पता है आज मेरे साथ क्या हुआ है?”

मैंने हैरान होते हुए कहा- “क्यों क्या हुआ था आज जल्दी से बताओ?”

बिंदिया ने कहा- “धन्नो मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाती, मगर यह बात किसी से कहना मत... तुझे मेरी कसम...”

मैंने कहा- “किसी को नहीं बताऊँगी, अब बताओ भी...”


बिंदिया ने जंगल वाली सारी बात बता दी की वो कैसे डाकुओं से भागकर यहां पहुँचे हैं।

मैं बिंदिया की बात सुनकर हैरान हो गई और बिंदिया को चिढ़ाते हुए कहा- “काश तुम्हारी जगह मैं होती तो मैं तो उस सरदार से मजा लेकर चुदवाती...”

बिंदिया मेरी बात सुनकर मुझे मुक्का मारते हुए बोली- “तुम्हें यह सब मजाक लग रहा है, अगर मुझे रोहन ना बचाता तो मैं आज किसी को मुँह दिखाने के लायक ना रहती, और खुदकशी कर लेती...”

मैंने बिंदिया को सीरीयस होते हुए देखकर कहा- “बिंदिया मैं तो मजाक कर रही थी। तुम्हें कुछ नहीं हुआ ना... अब इन सब बातों को भूल जाओ...”

मैं बिंदिया से कुछ देर बातें करने के बाद अपने कमरे में आकर आराम करने लगी। शाम को उठने के बाद बातें करते हुए कब रात हो गई पता ही नहीं चला। सभी लोग खाना खाने के बाद अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। मैं अपने कमरे में आकर लेट गई और करुणा के बारे में सोचने लगी। करुणा की उमर ही क्या है... और वो अभी से इतनी गरम है की वो मेरे कहने पर किसी से भी चुदवा सकती थी। मैं एक घंटे तक अपने कमरे में रही और फिर अपने कमरे से निकलकर करुणा के कमरे में चली गई। मैं करुणा के कमरे में पहुँचकर हैरान रह गई। करुणा बिल्कुल नये कपड़े पहनकर तैयार बैठी थी। करुणा ने आज एक खूबसूरत साड़ी पहनी थी और उस साड़ी में वो बिल्कुल परीलोक की एक अप्सरा लग रही थी।

करुणा ने मुझे देखकर खुश होते हुए कहा- “दीदी तुम आ गई, मैं तो कब से तैयार बैठी हूँ...”

मैंने करुणा को गौर से देखते हुए कहा- “अरे आज तो तुम बिल्कुल सजकर परी लग रही हो। मोहित तो तुम्हें देखकर ही पागल हो जाएगा...”

करुणा ने मेरी बात सुनते ही शर्माते हुए कहा- “दीदी आप बड़ी बदमाश हैं, मुझे जानबूझकर चिढ़ा रही हो...”
 
मैंने करुणा का चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा- “मेरी गुड़िया मैं सच कह रही हूँ आज तुम बहुत सुंदर लग रही हो..” फिर मैंने करुणा से कहा- “चलो मोहित के कमरे में चलते हैं। वो कब से तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते मूठ मार रहा होगा...”

मैंने करुणा की साड़ी का पल्लू उसके चहरे पर रख दिया और बिल्कुल दुल्हन की तरह उसका चेहरा ढके हुए मोहित के कमरे में ले जाने लगी। मोहित के कमरे में पहुँचते ही मैंने आगे होकर करुणा को अपने पीछे आने के लिए कहा। अंदर दाखिल होते ही करुणा मेरे कद से छोटी और मुझसे पतली होने के कारण मोहित उसे देख नहीं पाया।

मोहित ने उठते हुए इधर-उधर देखते हुए कहा- “धन्नो क्या हुआ, करुणा कहाँ है?”

मैंने मोहित को तड़पता हुआ देखकर उसे ज्यादा तड़पाने के लिए कहा- “मोहित करुणा ने मना कर दिया है वो नहीं आ रही है..."

मेरी बात सुनकर मोहित का मुँह उतर गया, और वो कहने लगा- “मगर धन्नो, तुमने तो कहा था की वो राजी हो गई है...”

मैंने मोहित से कहा- “कल तो उसने मुझे कहा था की मैं मोहित से चुदवाऊँगी, अब वो मना कर रही है तो मैं क्या कर सकती हूँ? लगता है उसे कोई दूसरा लड़का पसंद आ गया, और उसने उससे अपनी चूत की खुजली मिा ली..."

करुणा मेरे पीछे खड़ी इतनी देर से मेरी बातें सुन रही थी, उसने मुझे गाण्ड पर एक चिकोटी काट दी। मेरे मुँह से ऊऊहह... निकल गया और मैंने आगे से हटते हुए करुणा को मोहित के सामने कर दिया। मोहित का मुँह साड़ी में खड़ी करुणा को देखकर खुला रह गया।

मैंने मोहित से कहा- “यह रही तुम्हारी दुल्हन, कैसी लगी?”


मोहित के मुँह से बस इतना निकला- “वाउ... करुणा आज तुम तो सच में एक दुल्हन लग रही हो..."

मैंने करुणा को आगे धकेलते हुए मोहित के साथ बेड पर बिठा दिया। करुणा बेड पर बैठते हुए डर और उत्तेजना में काँप रही थी।

मोहित ने करुणा के बैठते ही उसका पूँघट ऊपर कर दिया- “करुणा तुम इस ड्रेस में तो बिल्कुल परी लग रही हो, मैंने आज तक तुम जैसी खूबसूरत परी नहीं देखी...”

करुणा बिल्कुल दुल्हन की तरह अपना सिर झुकाए चुप बैठी थी, मोहित ने करुणा का चेहरा ऊपर उठाते हुए अपने होंठों से उसके गाल पर एक चुंबन दे दिया। मोहित के होंठ करुणा ने अपने गाल पर महसूस करते ही उत्तेजना में अपनी आँखें बंद कर ली और उसकी साँसें बहुत जोर से ऊपर-नीचे हो रही थी। मोहित ने अपने होंठों को करुणा के तपते होंठों पे रख दिया और उसका नीचे वाला गुलाबी होंठ चूसने लगा।

करुणा मोहित का होंठ अपने होंठों पर महसूस करते ही काँप उठी। करुणा को अपने पूरे जिम में अजीब किस्म की सिहरन होने लगी और वो अपनी आँखने बंद किए ही मोहित के चूमने का जवाब देने लगी। करुणा का पूरा जिश्म काँप रहा था।

मोहित पागलों की तरह उसके होंठों को चूस रहा था और करुणा भी मोहित के होंठों को चूम रही थी। ऐसा लग रहा था के दो बिछड़े हुए प्रेमी कई सालों के बाद एक दूसरी से मिले हैं, और सारे जहाँ को भुलाकर एक दूसरे में खोए हुए हैं। मैं मोहित और करुणा को यूँ एक दूसरे को चूमते हुए देखकर हैरान हो गई। दोनों तरफ एक जितनी आग लगी हुई थी।
 
मैंने जाकर दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और सोफे पर बैठकर उन दोनों को देखने लगी। मोहित ने करुणा को चूमते हुए बेड पर लेटा दिया और खुद भी उसके साथ बेड पर लेट गया। मोहित ने करुणा का सिर अपने बाजू पर रख दिया और अपने बाजू से करुणा के सिर को अपनी तरफ करते हुए अपने होंठ फिर से उसके नरम गुलाबी होंठों पर रख दिए। मोहित ने करुणा के होंठ चूसते हुए अपना एक हाथ को उसके नंगे पेट पर रख दिया और उसके होंठ चूसते हुए अपने दूसरे हाथ से उसके गोरे पेट को सहलाने लगा। मोहित अपने हाथ को करुणा के गोरे पेट पर रगड़ते हुए ऊपर उसके चूचियों की तरफ बढ़ने लगा।

मोहित के हाथ ने जैसे ही करुणा की साड़ी के ऊपर से उसकी चूचियों को छुआ, करुणा का पूरा जिश्म सिहर उठा और उसने मजे से मोहित के मुँह में अपनी जीभ डाल दी।

मोहित करुणा की गर्म जीभ को पकड़कर बड़े प्यार से चूसने लगा। मोहित ने करुणा की जीभ को चाटते हुए अपने हाथ से उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसकी छोटी-छोटी चूचियों को सहलाने लगा। मोहित ने करुणा की जीभ को अपने मुँह से निकालते हुए उसके कंधे को चूमते हुए करुणा की चूचियों की तरफ बढ़ने लगा। मोहित ने अचानक उठते हुए अपनी शर्ट को उतार दिया और करुणा को सीधा बिठाते हुए उसकी साड़ी को खोलने लगा।

करुणा ने शर्म के मारे साड़ी को अपने हाथों से पकड़ लिया।

मैं इतनी देर से उन दोनों को देख रही थी, मैंने उठकर करुणा को बेड से उठाते हुए सीधा खड़ा कर दिया और उसके कान में कहा- “अगर पूरा मजा लेना है तो शर्म को छोड़कर मोहित जो करता है वो करने दो...”

करुणा मेरी बात सुनकर चुपचाप खड़ी रही और मैं वापस सोफे पर आकर बैठ गई। मोहित ने करुणा की साड़ी को पकड़कर गोल-गोल घुमाते हुए उसे करुणा के जिश्म से अलग कर दिया। करुणा के जिश्म से साड़ी के अलग होते ही सिर्फ ब्रा और एक छोटी कच्छी में उसका कामुक जिश्म देखकर मोहित पर बिजलियां गिरने लगीं। मोहित करुणा के जिश्म को ऊपर से नीचे तक गौर से देखने लगा और करुणा ने तेज साँसें लेते हुए शर्म से अपनी आँखें फिर से बंद कर ली।

मोहित करुणा का गोरा और चिकना जिश्म देखकर पागल हो रहा था। उसने अपनी पैंट भी वहीं उतार दी और करुणा को वापस बेडपर लेटाते हुए खुद उसके ऊपर चढ़ गया। मोहित ने अपना मुँह उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूचियों पर रख दिया और उन्हें अपने होंठों से चूमने लगा।

मोहित का मुँह अपनी चूचियों पर महसूस करते ही करुणा के मुंह से सिसकी निकल गई- “आहहह...”

मोहित ने करुणा के ऊपर से उठते हुए उसे सीधा बिठा दिया और अपना हाथ उसके पीछे लेजाकर उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। करुणा के ब्रा के हुक खुलते ही मोहित ने उसके हाथ में पकड़ते हुए उसे सीधा लेटा दिया। करुणा के सीधे लेटते ही उसकी ब्रा उसके जिश्म से अलग होते हुए मोहित के हाथों में आ गई। मोहित फिर से करुणा के ऊपर चढ़ गया और अपने एक हाथ से उसकी एक चूची को पकड़ते हुए अपना मुँह उसकी दूसरी चूची पर रख दिया।

मोहित का मुँह अपनी चूची पर पड़ते ही करुणा के मुँह से कामुक सिसकियां निकलने लगी- “ओह्ह...”

मोहित ने अपना मुँह खोलकर उसकी छोटी चूची को पूरा अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर से चूसने लगा। करुणा मजे से हवा में उड़ने लगी। उसे आज तक ऐसा मजा कभी नहीं मिला था। उसका पूरे जिम में चींटियां रेंग रही थीं और उसकी चूत में से पानी की नदियां बह रही थीं। मोहित करुणा की चूचियों को एक-एक करके पूरी तरह से चाटने के बाद नीचे होते हुए उसके गोरे पेट पर अपनी जीभ फिराते हुए अपना मुँह करुणा की कच्छी पर आकर रोक दिया। मोहित ने पहले अपनी जीभ को करुणा की कच्छी के ऊपर से उसकी चूत पर फिराने लगा।

मोहित की जीभ कच्छी के ऊपर से अपनी चूत पर महसूस करके करुणा कराह उठी- “आअह्ह्ह..."

मोहित ने करुणा की कच्छी में अपने दोनों हाथों की उंगलियां फँसाते हुए नीचे सरका दिया, करुणा ने भी अपने चूतड़ों को ऊपर करके मोहित को कच्छी उतारने में मदद की। मोहित कच्छी उतरते ही करुणा की टाँगों के नीचे बैठ गया और अपना मुँह करुणा की भूरे बालों वाली छोटी चूत के करीब लेजाकर उसकी महक सँघने लगा।
 
करुणा मोहित की साँसों को अपने चूत के इतना करीब देखकर मजे से झटपटाने लगी और अपनी टाँगों को जितना हो सकता था फैला दिया। करुणा की टाँगें फैली होने की वजह से उसकी छोटी चूत बिल्कुल खुलकर मोहित के मुँह के सामने आ गई। मोहित अपनी साँसों को पीछे खींचते हुए करुणा की कुँवारी चूत की गंध महसूस करने लगा। करुणा की चूत की कुंवारी गंध मोहित को पागल बना रही थी जिस वजह से मोहित अपनी आँखें बंद करके मजे से उसकी चूत की गंध सँघ रहा था। मोहित ने करुणा की चूत की गंध सँघते-सँघते अचानक अपनी जीभ निकालकर उसकी गुलाबी चूत के छोटे से दाने पर रख दी और उसे चाटने लगा।

“आह्ह्ह... ऊह्ह...” मोहित की जीभ अपनी चूत के दाने पर लगाते ही करुणा के मुँह से कामुक सिसकियां निकलने लगी।

मोहित अपनी जीभ से उसके दाने को चाटते हुए अपना मुँह खोलकर करुणा की चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। मोहित करुणा की चूत के दाने को चूसते हुए उसे अपने दांतों से हल्का काट दिया।

करुणा मोहित के हल्के काटने से ही उछाल पड़ी- “ओईएइ..."
मैं इतनी देर से उन दोनों का खेल देखकर बहुत गरम हो गई थी, इसीलिए मैं अपने पूरे कपड़े निकालकर उंगली से अपनी चूत को शांत करने लगी। मोहित अपने मुँह से करुणा की चूत के दाने को निकालते हुए अपनी जीभ को उसकी चूत के भूरे बालों पे फिराने लगा। मोहित अपनी जीभ को करुणा के भूरे बालों से ले जाता हुआ उसकी चूत के गुलाबी छेद को, जो दो छोटे-छोटे होंठों के बीच बंद था उसपर रख दी, और अपने दोनों हाथों से उसकी चूत के छोटे होंठ खोलते हुए उसके छेद में फिराने लगा।

मोहित की जीभ अपनी चूत के छेद में महसूस होते ही करुणा मजे और उत्तेजना में काँपने लगी। मोहित अपनी जीभ से करुणा के छेद को ऊपर से चाटते हुए अपनी जीभ को दबाव देकर उसकी चूत के छेद में घुसाने लगा। करुणा इतनी देर से आग में जल रही थी, रहित की जीभ का दबाव अपनी चूत पर पड़ते ही उसकी ज्वालामुखी फट गई और उसकी चूत से पानी की नदियां बहने लगी।

आअह्ह्ह... ऊह्ह...” की सिसकियों के साथ करुणा झड़ने लगी।
 
मोहित अपनी जीभ से करुणा की कुँवारी चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा, मगर करुणा की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा था, इसीलिए मोहित का चेहरा करुणा की चूत से निकलते पानी से भीग गया। करुणा जब तक झड़ती रही, मोहित उसकी चूत का पानी चाटता रहा। करुणा के पूरी तरह झड़ने के बाद मोहित उसकी टाँगों के बीच में से उठकर बेड पर लेट गया। करुणा की आँखें बंद थी और उसकी साँसें बहुत जोर से चल रही थी। करुणा ने कुछ देर बाद अपनी आँखें खोली, मोहित अपना अंडरवेर भी उतारकर हाथ से अपने लण्ड को सहला रहा था। करुणा ने मोहित के लण्ड को देखकर शर्म से अपनी आँखें फिर से बंद कर ली।

मोहित ने करुणा का हाथ पकड़ते हुए अपने लण्ड पर रख दिया और अपने हाथ से उसके हाथ को अपने लण्ड पर ऊपर से नीचे फिराने लगा। करुणा का हाथ मोहित के लण्ड पर पड़ते ही उसे ऐसा लगा जैसे उसने किसी गरम लोहे को पकड़ लिया है। उसके पूरे जिम में गुदगुदी का अहसास होने लगा और वो अपनी आँखें खोलकर मोहित के लण्ड को गौर से देखने लगी।

मोहित ने करुणा को अपने लण्ड की तरफ देखते हुए कहा- “क्या देख रही हो, मेरा लण्ड तुम्हें पसंद आया?”

करुणा ने कहा- “तुम्हारा लण्ड बहुत तो बड़ा है यह मेरी छोटी सी चूत में कैसे घुसेगा?”

मोहित ने अपने दूसरे हाथ से करुणा की चूची को सहलाते हुए कहा- “तुम इसकी चिंता मत करो मैं बहुत आराम से करूंगा, तुम मेरे लण्ड को प्यार करो..."

करुणा ने अपने हाथ को धीरे-धीरे मोहित के लण्ड पर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। मोहित सीधा बेड पर लेटा हुआ था और उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा करुणा के नरम हाथों में कैद था। करुणा बेड पर सीधा होकर बैठते हुए अपना मुँह मोहित के लण्ड के करीब लाकर उसे गौर से देखते हुए सहलाने लगी। करुणा को मोहित के लण्ड का गुलाबी सुपाड़ा बहुत अच्छा लग रहा था। करुणा ने उसका लण्ड सहलाते हुए अचानक अपने होंठों से मोहित के लण्ड के टोपे को चूम लिया।

करुणा के नरम होंठ अपने लण्ड पर महसूस होते ही मोहित के मुँह से सिसकी निकल गई- “आहहह...”

करुणा अब अपने दोनों हाथों से मोहित के लण्ड को ऊपर-नीचे कर रही थी। मोहित के मुँह से सिसकियां निकल रही थी। करुणा अचानक अपने हाथों को मोहित के लण्ड से अलग करते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के लाल सुपाड़े पर फिराने लगी। मोहित का लण्ड करुणा की जीभ को अपने ऊपर महसूस करके बहुत जोर से उछलने लगा और करुणा के मुँह से दूर हो गया।

करुणा ने अपना एक हाथ बढ़ाकर मोहित के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में पकड़ लिया, और अपनी जीभ निकालकर उसके गुलाबी टोपे को चाटने लगी। मोहित मजे से सिसक रहा था और उसके लण्ड के छेद में से वीर्य की बूंदें निकलने लगी। करुणा ने अपनी जीभ से उसके लण्ड से निकलती हुई वीर्य की बूंदों को चाट लिया। पहले तो उसे कुछ अजीब लगा मगर फिर उसे मजा आने लगा और वो अपनी जीभ को मोहित के लण्ड के छेद में लेजाकर उसका निकलता हुआ वीर्य चाटने लगी।

मोहित ने करुणा से कहा- “इसे अपने मुँह में लेकर प्यार करो.."

करुणा ने मोहित का कहना मानकर अपना मुँह खोला और उसके लण्ड के टोपे को अपने मुँह में ले लिया।

मोहित ने सिसकते हुए करुणा से कहा- “आअह्ह्ह... अपने होंठों से चूसो तुम्हारे दाँत लग रहे हैं...”

करुणा अपने होंठों से मोहित के लण्ड को चूसने लगी। मोहित कुछ देर तक उससे अपना लण्ड चुसवाने के बाद करुणा के मुँह से अपने लण्ड को निकाल लिया। मोहित को लग रहा था की अगर उसने अपना लण्ड करुणा के मुँह से नहीं निकाला तो वो उसके मुँह में ही झड़ जाएगा, जो वो नहीं चाहता था। मोहित करुणा की टाँगों के बीच बैठ गया और उसकी टाँगों को घुटनों तक मोड़कर उसके नीचे एक तकिया दे दिया।

करुणा की चूत अब बाहर निकलकर सीधा मोहित के लण्ड के सामने थी। मोहित ने एक तकिया उठाकर करुणा के चूतड़ों के नीचे रख दिया, और अपना फनफनता हुआ लण्ड उसकी छोटी सी गुलाबी रस टपकाती चूत पर रगड़ने लगा।

करुणा- “आअहह्ह.. ओहह...” मोहित का लण्ड करुणा अपनी चूत पर महसूस करते ही आहें भरने लगी।
 
मोहित ने अपना लण्ड करुणा की चूत पर रगड़ते हुए अपने दोनों हाथों से उसकी चूत के दोनों होंठों को आपस में थोड़ा सा अलग करते हुए अपना लण्ड करुणा की चूत के गुलाबी छेद में रख दिया। करुणा मोहित का लण्ड अपनी चूत के छेद पर महसूस करते ही मजे से कांप उठी, और अपने चूतड़ों को उछालकर मोहित का लण्ड अपनी चूत में लेने की नाकाम कोशिश करने लगी।

मैं सोफे से उठते हुए बेड पर करुणा के सिर के पास जाकर बैठ गई।

मोहित ने करुणा की टाँगों को पकड़ते हुए एक धक्का मार दिया।

करुणा- “ऊह्ह... आअह्ह्ह... बहुत दर्द हो रहा है... निकालो मोहित तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा है... मैंने पहले ही कहा था यह मेरी चूत में नहीं घुसेगा...”

मोहित के लण्ड का सिर्फ टोपा करुणा की चूत के होंठों को फैलाकर उसमें फँस गया था। मैं अपने हाथों से करुणा की चूचियों को सहलाने लगी। करुणा की चूचियों को सहलाते हुए मैंने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठों पर रख दिए और मोहित की तरफ देखते हुए आँख मारकर उसे अपना काम करने के लिए कह दिया।

मोहित ने मेरी बात को समझते हुए करुणा की टाँगों को बहुत जोर से पकड़ते हुए अपना लण्ड थोड़ा पीछे खींचते हुए बहुत जोर का एक धक्का मार दिया। मोहित का लण्ड करुणा की छोटी सी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ आधा उसकी चूत में घुस गया। करुणा की चूत से खून की कुछ बूंदें निकलकर बेड पर गिरने लगी।

मैंने अपने होंठों से करुणा के होंठों को सील किया हुआ था, जिस वजह से करुणा की चीखें मेरे मुँह में ही दब कर पूँ-हूँ की आवाजें कर रही थी। करुणा मछली की तरह झटपटा रही थी, मगर मोहित ने अपने मजबूत हाथों से उसे पकड़कर रखा था। मैं अपने हाथों से करुणा की चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगी। कुछ ही देर में करुणा ने छटपटाना बंद कर दिया और अपनी जीभ को मेरे मुँह में डालने लगी।

मैं अपना मुँह खोलकर उसकी जीभ को चाटने लगी। मैं करुणा की जीभ को अपने होंठों से जोर से चूसने लगी। थोड़ी ही देर में करुणा का छटपटाना खतम हो गया और वो अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर उछालने लगी। मोहित ने अपने आधे लण्ड से ही करुणा की चूत में हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिये और मैंने करुणा के होंठों को छोड़ते हुए उसकी चूचियों को एक-एक करके चाटने लगी।
 
करुणा- “अया दीदी अभी तो बहुत अच्छा लग रहा है, पहले तो मेरी जान ही निकल गई..”

मोहित करुणा की बात सुनकर उसकी चूत में थोड़े तेज धक्के लगाने लगा।

“आअह्ह्ह... ओहह...” करते हुए करुणा सिसक रही थी।

करुणा की चूत बहुत टाइट होने के कारण मोहित को धक्के लगाने में बहुत जोर लगाना पड़ रहा था और मोहित को अपना लण्ड किसी गरम भट्ठी में फँसा हुआ महसूस हो रहा था। करुणा का जिश्म अचानक अकड़ने लगा


और उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी। मोहित समझ गया की करुणा झड़ने वाली है। इसीलिए वो बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।

आअहह्ह... ओहह...” करते हुए अचानक करुणा की चूत ने सिकुड़ते हुए पानी छोड़ दिया। करुणा के झड़ने से उसकी चूत में मोहित का लण्ड आराम से अंदर-बाहर होने लगा और वो करुणा की चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा।

मोहित के हर धक्के के साथ उसका लण्ड करुणा की चूत में थोड़ा सा और अंदर घुस जाता और मोहित के हर धक्के के साथ उसका पूरा जिश्म उछल रहा था। करुणा के मुँह से जोर-जोर की सिसकियां निकल रही थी। वो एक बार झड़ने के बाद भी बहुत गरम थी और वो अपने चूतड़ उछाल-उछालकर मोहित से चुदवा रही थी। मोहित भी बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था, इसीलिए वो बहुत जोर के धक्के लगाते हुए अपना पूरा लण्ड करुणा की। चूत में घुसा दिया।

करुणा- “आअहहह... मेरी चूत फट गई ऊह्ह... निकालो मेरी चूत में बहुत दर्द हो रहा है तुम्हारा बहुत बड़ा है...”

मोहित करुणा की बात को सुनकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया और करुणा की चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा। करुणा की चीखें थोड़ी ही देर में सिसकियों में तब्दील हो गई और वो अपने चूतड़ों को उछालउछालकर मोहित के लण्ड से ताल से ताल मिलने लगी।

करुणा- “आअह्ह्ह... ओह्ह... मोहित बहुत मजा आ रहा है... तुम्हारा लण्ड मेरी पूरी चूत में जड़ तक रगड़ खा रहा है, मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था की चुदवाने में इतना मजा आता है। ऐसे ही जोर से मेरी चूत में धक्के मारो। मुझे बहुत मजा आ रहा है...”

मोहित करुणा के मुँह से यह सब सुनकर बहुत ज्यादा उत्तेजित होकर करुणा की चूत में बहुत जोर के धक्के मारने लगा।

मैंने उठकर अपनी दोनों ताँगें फैलाकर अपनी चूत करुणा के मुँह के ऊपर रख दी।

करुणा ने अपनी जीभ से मेरी चूत को चाटते हुए अपनी जीभ को कड़ा करते हुए मेरी चूत में घुसा दिया। मोहित का लण्ड करुणा की चूत से बाहर निकलते ही वो मेरी चूत से अपनी जीभ बाहर कर लेती और जैसे ही मोहित अपना लण्ड उसकी चूत में पूरा घुसाता मजे से वो कांप उठती, और मेरी चूत में अपनी जीभ को पूरा अंदर घुसा देती। मेरे मुँह से भी बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।
 
मेरा मुँह मोहित की तरफ था। अचानक मोहित ने थोड़ा सा मेरी तरफ होते हुए मेरे होंठों को चूमते हुए करुणा की चूत में धक्के लगाने लगा। करुणा की जीभ मेरी चूत में बहुत जोर से अंदर-बाहर हो रही थी। मैं समझ गई की वो झड़ने वाली है। मोहित अचानक मेरे होंठों को छोड़कर करुणा की टाँगों को पकड़कर बहुत जोर के धक्के लगाने लगा।

मैंने मोहित से कहा- “तुम इसकी चूत में मत झड़ना। मैंने इसे गोली नहीं खिलाई है, इसे बच्चा हो जायगा...”

करुणा ने मेरी चूत से अपनी जीभ निकालते हुए कहा- “मोहित प्लीज... अपना लण्ड मेरी चूत से मत निकालो मैं झड़ने वाली हूँ...” और अपनी जीभ वापस मेरी चूत में डालकर बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगी।

मोहित करुणा की बात मानते हुए उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मोहित झड़ने के बिल्कुल करीब था इसीलिए उसका लण्ड फूलकर बहुत मोटा हो गया था और करुणा की चूत में फँसकर अंदर-बाहर हो रहा था। मोहित का जिम अचानक काँपने लगा और वो बहुत जोर के धक्के लगाते हुए आअह्ह्ह... करते हुए करुणा की चूत में अपना वीर्य भरने लगा।

करुणा अपनी चूत में जिंदगी का पहला वीर्य गिरते ही मजे से अपनी आँखें बंद करके झड़ने लगी और अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं भी इतनी देर से अपने आपको रोके हुए थी, करुणा की जीभ घुसते ही मैं भी ‘आअह्ह्ह' करते हुए झड़ने लगी। मोहित कुछ देर तक करुणा की चूत को अपने वीर्य से भरने के बाद उसके ऊपर ही ढेर हो गया। मैं भी झड़ने के बाद वहीं पर करुणा के साइड में लेट गई। कुछ देर तक हम ऐसे ही चुपचाप पड़े रहे।

मोहित का लण्ड करुणा की चूत में ही घुसा हुआ था, और करुणा की चूत से मोहित और उसका वीर्य, खून के साथ नीचे बेड पर गिर रहा था। मोहित कुछ देर तक उसके ऊपर पड़े रहने के बाद अपना लण्ड करुणा की चूत से निकालकर साइड में बेड पर लेट गया। मोहित का लण्ड करुणा की चूत से पच्च की आवाज के साथ निकल गया। मोहित सीधा बाथरूम में घुस गया और कुछ देर बाद वापस बेड पर लेट गया। मोहित का लण्ड अभी भी आधा खड़ा था। मोहित बाथरूम से अपने लण्ड को साफ करके आया था।

करुणा जो बिल्कुल खामोश होकर लेटी हुई थी अचानक उठकर बाथरूम में जाने लगी। करुणा के उठते ही उसकी नजर बेडशीट पर बने हुए खून के धब्बों पर अटक गई।

मैंने करुणा को खून के धब्बों की तरफ गौर से देखते हुए उससे कहा- “करुणा तुम इस धब्बों की चिंता मत करो यह हर कुँवारी औरत की चूत में से पहली बार निकलता है। अब तुम कच्ची कली से फूल बन चुकी हो, मतलब एक लड़की से औरत बन चुकी हो। अब चाहे जितना बड़ा लण्ड निगल लो तुम्हारी चूत से खून नहीं निकलेगा..."

करुणा मेरी बात सुनकर बेड से उठकर बाथरूम में जाने लगी। करुणा बाथरूम में जाते वक़्त लंगड़ाकर चल रही थी। करुणा के जाते ही मैं मोहित के पास चली गई और उसके ऊपर चढ़कर उसके होंठों को चूसने लगी। मोहित अपने हाथों से मेरी चूचियों को मसलने लगा। मैं उसके मुँह से अपने होंठों को अलग करते हुए तेज साँसें लेते हुए आहें भरने लगी। मोहित मेरी एक चूची को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से मेरी दूसरी चूची को मीसने लगा।

मोहित मेरी चूचियों को इतनी जोर से मसल और चूस रहा था के मेरे मुँह से हल्की चीखें- “ऊह्ह... आह्ह..." की निकल रही थीं।

मैं एक घंटे से करुणा और मोहित का खेल देखकर इतनी गर्म हो चुकी थी की एक बार झड़ने के बाद भी मेरी चूत शांत नहीं हुई थी और मेरी चूत में से उत्तेजना के मारे पानी की नदियां बह रही थी। मैंने मोहित के मुँह से अपनी चूचियां निकाली और नीचे होते हुए उसके आधे खड़े लण्ड को अपने हाथों में पकड़कर सहलाने लगी। मैं मोहित के लण्ड को अपने नरम हाथों से सहलाते हुए उसे अपनी जीभ निकालकर चाटने लगी। मोहित का लण्ड मेरी जीभ के अहसास से फिर से तनने लगा। मैंने देर ना करते हुए अपना मुँह खोलकर उसके लण्ड को अपने मुँह में डालकर बहुत जोर से आगे-पीछे करते हुए चाटने लगी।

करुणा बाथरूम से वापस आकर बेड पर बैठकर हमें देख रही थी।
 
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