Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 14 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

मोहित का लण्ड मेरे मुँह में जाते ही अकड़ने लगा और पूरा तनकर उसका आधा लण्ड ही मेरे मुँह को भरने लगा। मैंने मोहित के लण्ड को अपने मुँह से निकालते हुए उसके सुपाड़े पर अपनी जीभ फिराई और फिर अपनी दोनों टाँगें फैलाकर मोहित के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर टिकाते हुए अपने वजन के साथ उसपर बैठ गई। मोहित का लण्ड मेरी चूत में जड़ तक घुसते ही मजे के मारे मेरे मुँह से ‘आअह्ह्ह' की सिसकी निकल गई। मैं मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी।

मोहित का लण्ड मेरी चूत की दीवारों को तेजी से रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा और मैं मजे के मारे बहुत जोर से ऊपर-नीचे होने लगी। मोहित के लण्ड पर जोर से बैठने से उसका लण्ड मेरी बच्चेदानी पर ठोकरें मार रहा था, और मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था।

मोहित ने मेरी हिलती हुए चूचियों को अपने हाथों में ले लिया, और बहुत जोर से उन्हें मीसने लगा। मोहित ने मेरी चूचियों को को मीसते हुए करुणा को अपने पास बुला लिया और मेरी चूचियों को छोड़कर उसकी छोटी-छोटी चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुँह में भरकर चूसने लगा।

करुणा की चूचियां मोहित के मुँह में जाते ही उसका लण्ड मेरी चूत में और ज्यादा कड़क और मोटा होने लगा,

और मेरी चूत की दीवारों को बहुत जोर से रगड़ने लगा। मैं उसके कड़क और मोटे लण्ड को अपनी चूत में ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा। मेरी चूत के होंठ मोहित के लण्ड पर सिकुड़ने लगे और मैं बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। मोहित भी मुझे नीचे से बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। मेरी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी और मैं ‘आअह्ह... आह्ह्ह...' करते हुए बहुत जोर से अपनी चूत को मोहित के लण्ड पर उछालते हुए झड़ने लगी। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और मैं न जाने कितनी देर तक मोहित के लण्ड पर पानी गिराती रही।

मैं पागलों की तरह मोहित के लण्ड पर कूद रही थी, मेरा पूरा शरीर पशीने में भीग चुका था। मैं पूरा झड़कर थक हारकर हॉफते हुए मोहित के ऊपर ढेर हो गई।

मोहित मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे अपने ऊपर से उठाकर साइड में बेड पर लिटा दिया। मोहित का लण्ड मेरी चूत से निकलकर सीधा तंबू की तरह खड़ा उछल कूद रहा था और वो मेरी चूत के पानी से भीगा हुआ चमक रहा था।

करुणा मोहित के लण्ड को खा जाने वाली नजरों से देखते हुए नीचे होने लगी। वो लण्ड के बिल्कुल करीब पहुँचकर उसे नीचे से अपने हाथ में पकड़ लिया और अपनी नाक के करीब लाकर उसकी गंध सँघने लगी। करुणा को मेरी चूत और मोहित के लण्ड के मिलेजुले वीर्य की महक बहुत अच्छी लग रही थी, क्योंकी वो अपनी आँखें बंद करके बहुत जोर से साँसें खींचते हुए मोहित के लण्ड को सँघ रही थी।

करुणा ने अपनी आँखें खोलते हुए मोहित के लण्ड को देखा और अपनी जीभ निकालकर उसके सुपाड़े पर लगा हुआ प्री-कम चाट लिया। करुणा को प्री-कम का स्वाद बहुत अच्छा लगा इसीलिए उसने अपनी जीभ से मोहित के पूरे लण्ड को चाटकर साफ कर दिया। करुणा ने मोहित के लण्ड को अपनी मुट्ठी में काबू करते हुए अपनी जीभ को उसके सुपाड़े के छेद में फिराने लगी।

करुणा की जीभ अपने सुपाड़े के छेद में महसूस होते ही मोहित काँप उठा- “आअह्ह्ह...”
 
करुणा अपनी जीभ को कुछ देर तक मोहित के लण्ड के सुपाड़े पर फिराने के बाद अपने मुँह को खोलकर उसका लण्ड अपने मुँह में भरने लगी। इस दफा करुणा के दाँत मोहित के लण्ड पर नहीं लगे थे। लगता था की वो मुझे देखकर समझ गई थी के लण्ड को कैसे अपने मुँह में लिया जाता है। करुणा अपने नरम होंठों से मोहित के लण्ड को चूसने लगी।

कुछ देर तक मोहित के लण्ड को यूँ ही चाटने के बाद करुणा ने अपनी दोनों टाँगों को फैलाकर मोहित के लण्ड को अपनी चूत के छेद पर रखते हुए नीचे बैठने लगी। मगर मोहित का लण्ड करुणा की चूत में जाने के बजाए फिसल कर साइड से होता उसकी पूरी चूत पर रगड़ता हुआ उसके पेट से टकराने लगा। करुणा अपनी पूरी चूत पर मोहित के लण्ड की रगड़ महसूस करके सिहर उठी और मोहित के लण्ड को फिर से पकड़कर अपनी चूत पर रखा, और जल्दी से उसपर बैठने लगी। मगर इस बार भी वो नाकाम रही। करुणा बिल्कुल पागल हो चुकी थी वो किसी भी कीमत पर मोहित के लण्ड को अपनी चूत में लेना चाहती थी।

मोहित चुपचाप पड़ा हुआ करुणा का मजा लूट रहा था।

मुझे करुणा पर तरस आ गया और मैं उठकर उसके पास आ गई और मोहित के लण्ड को पकड़कर करुणा की चूत के दोनों होंठों को खोलते हुए उसमें फँसा दिया। मैंने करुणा से कहा- “अब अपना वजन धीरे-धीरे मोहित के लण्ड पर डालो..."

करुणा जैसे ही थोड़ा नीचे हुई मोहित के लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। मोहित के लण्ड का सुपाड़ा घुसते ही करुणा के मुँह से मजे से हल्की चीख निकल गई- “ऊईए आह्ह्ह.."

करुणा बहुत गर्म हो चुकी थी वो मोहित के लण्ड पर पूरे जोर के साथ बैठ गई। मोहित का लण्ड करुणा की छोटी सी चूत को फैलाता हुआ उसकी बच्चेदानी से जा टकराया- “ओईई माँ मर गई ऊह्ह... बहुत दर्द हो रहा है...” करुणा जोश में आकर मोहित के लण्ड पर बैठ तो गई, मगर उसकी चूत अभी एक बार ही चुदी थी इसीलिए वो दर्द से तड़पने लगी और उसके आँखों से आँसू निकलने लगे।

मोहित ने करुणा को कमर से पकड़ते हुए अपने ऊपर झुका लिया और उसकी चूचियों को अपने मुँह में भरकर चूसने लगा। कुछ ही देर के बाद करुणा की चूत का दर्द गायब हो गया और वो अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर ऊपर-नीचे करने लगी। करुणा अपनी चूचियों को मोहित के मुँह से निकालते हुए सीधी होकर उसके लण्ड पर उछलने लगी। करुणा को अपनी चूत में मोहित का लण्ड बहुत जोर की रगड़ दे रहा था, इसीलिए वो पागलों की तरह उसके लण्ड को सुपाड़े तक बाहर खींचकर फिर से नाचे बैठ रही थी और उसके मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी।

मोहित के लण्ड पर उछलते हुए करुणा का पूरा जिश्म काँप रहा था, और मोहित भी अपने लण्ड से नीचे से जोर के धक्के लगा रहा था। करुणा का जिश्म अचानक अकड़ने लगा और वो अपनी आँखें बंद करके बहुत तेजी के साथ मोहित के लण्ड पर उछलने लगी। करुणा पागलों की तरह मोहित के लण्ड पर ऊपर-नीचे हो रही थी और उसकी साँसें बहुत तेज चल रही थी। उसकी चूत ने मोहित के लण्ड को पूरी तरह अपने होंठों से दबोच लिया, और “आहहह... इस्स्स्स ...' करते हुए वो मोहित के लण्ड पर अपना पानी गिराने लगी। करुणा कुछ देर तक झड़ने के बाद हाँफते हुए मोहित के ऊपर ढेर हो गई।
 
मोहित ने कुछ देर तक उसे अपने ऊपर ही आराम करने दिया और फिर उसको अपने ऊपर से उठाते हुए घोड़ी की तरह उल्टा होकर लेटा दिया। मोहित ने करुणा के पीछे आते हुए उसे अपनी चूत को पीछे की तरफ करने को कहा। करुणा ने मोहित की बात मानते हुए अपने चूतड़ पीछे की तरफ कर दिये। मोहित करुणा की छोटी सी भूरी गाण्ड को देखकर पागल हो गया और अपनी जीभ निकालकर उसकी चूत से ले जाते हुए करुणा की भूरी गाण्ड के छोटे से छेद पर रख दी।

करुणा मोहित की जीभ को अपनी गाण्ड पर महसूस करते ही पूरी उछल पड़ी और उसके मुँह से मस्ती में “आह्ह्ह... इस्स्स्स ...” की सिसकियां निकालने लगी। करुणा को अपने पूरे शरीर में अजीब किस्म की गुदगुदी और मजे का अहसास हो रहा था।

मोहित ने अपनी जीभ से करुणा की गाण्ड को पूरी तरह चाटने के बाद अपना मुँह वहाँ से हटाते हुए अपने लण्ड को पकड़कर करुणा की चूत में पीछे से उसके छेद में पर रख दिया और उसके चूतड़ों को पकड़ते हुए बहुत जोर का धक्का मार दिया। मोहित का लण्ड करुणा की चूत में जगह बनाता हुआ आधा घुस गया। मोहित करुणा के चूतड़ों में हाथ डालकर उसकी चूत में बहुत जोर के धक्के लगाते हुए अपना लण्ड जड़ तक घुसा दिया।

मोहित का लण्ड जड़ तक घुसते ही करुणा के मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ऊह्ह...” मोहित अपने लण्ड को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथों से करुणा की गाण्ड को मसलने लगा।

करुणा- “आअहहह... इस्स्स्स ... मोहित बहुत मजा आ रहा है...” करुणा के मुँह से अब कामुक सिसकारियां निकल रही थी और वो अपने चूतड़ बहुत जोर से मोहित के लण्ड पर पीछे धकेल रही थी। मोहित ने अपने हाथों से करुणा की गाण्ड को मसलते हुए अपनी एक उंगली से करुणा की गाण्ड का छेद कुरेदने लगा।

करुणा- “ओईई... क्या कर रहे हो मोहित, दर्द हो रहा है...” मोहित की उंगली अपनी गाण्ड के छेद पर महसूस करते ही करुणा उछल पड़ी।

मोहित करुणा की बात को अनसुना करते हुए उंगली को अपने मुँह में डालते हुए गीला कर दिया और फिर से करुणा की गाण्ड के भूरे छेद पर रखते हुए अपनी पूरी उंगली अंदर डाल दी।


करुणा- “ऊईई... माँ मर गई... उंगली मेरी गाण्ड में क्यों डाली? बहुत दर्द हो रहा है...”

मोहित करुणा की गाण्ड में उंगली डाले-डाले ही उसकी चूत में अपना लण्ड तेजी के साथ अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में करुणा अपनी गाण्ड का दर्द भूलकर अपनी चूत में मोहित के लण्ड की रगड़ का मजा लेने लगी। मोहित करुणा की गाण्ड में अपनी उंगली को अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूत को चोदने लगा।

करुणा को अपनी गाण्ड में मोहित की उंगली के साथ अपनी चूत में उसके लण्ड की रगड़ पागल कर रही थी। उसके मुँह से बहुत ज्यादा सिसकियां निकल रही थी और उसका पूरा शरीर मजे में कांप रहा था। करुणा का शरीर अचानक अकड़ने लगा और वो मोहित के लण्ड पर अपने चूतड़ बहुत जोर से उछालने लगी। उसका पूरा शरीर काँपने लगा और उसकी चूत झटके खाते हुए मोहित के लण्ड पर झड़ने लगी। करुणा की चूत ने झड़ते वक़्त मोहित के लण्ड को अपने होंठों से दबोच लिया।

मोहित के लण्ड ने भी ठुमका लगाकर करुणा की चूत का जवाब दिया। मोहित ने करुणा के झड़ने का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड से निकालकर अपने मुँह में डाली और उसे गीला करते हुए अपनी दो उंगलियां उसकी गाण्ड में डाल दी।

करुणा- “आअह्ह्ह...” करते हुए अपने झड़ने का मजा लेती हुए, अचानक मोहित की दो उंगलियों को अपनी चूत में महसूस करके- “ऊईई... माँ ऊहह... मर गई...” कहते हुए चिल्लाने लगी।
 
मोहित करुणा की चीखों की परवाह ना करते हुए अपनी उंगलियों को तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में पेलने लगा। मोहित का लण्ड करुणा की चूत में वैसे ही टाइट जा रहा था और उसकी दो उंगलियां करुणा की गाण्ड में होने से मोहित का लण्ड बहुत जोर लगाने पर अंदर-बाहर हो रहा था। मोहित का पूरा जिश्म पशीने से भीग चुका था, और उसका जिश्म काँपते हुए करुणा की चूत में झड़ने लगा।

करुणा जो अब तक अपनी गाण्ड के दर्द से सिसक रही थी वो अचानक मोहित का गरम वीर्य अपनी चूत में महसूस करते ही सिहर उठी और उसकी चूत ने फिर से झड़ना शुरू कर दिया।

मोहित करुणा की चूत में झड़ने के बाद वहीं बेड पर ढेर हो गया।

मैं करुणा को उसके कमरे में छोड़कर खुद भी अपने कमरे में आकर सो गई।

दूसरे दिन सुबह उठते ही हम सभी तैयार होकर कालेज चले गये। ऐसे दिन बीतते गये। करुणा अब डेली मोहित से चुदवाकर सोती थी।

* * * * * * * * * *

धन्नो, करुणा, और मोहित की ट्रेन यात्रा


करुणा के और हमारे एग्जाम बहुत नजदीक आ चुके थे इसीलिए मैं बिंदिया और करुणा एक साथ मिलकर रात को पढ़ाई करते थे, और हमारी चुदाई भी नहीं हो रही थी। वक़्त गुजरता गया और हमारे एग्ज़ाम्स भी हो गये और हम सभी पास हो गये।

एग्जाम्स के बाद रोहन अपने घरवालों के साथ बिंदिया का रिश्ता मागने आ गया और रोहन की बिंदिया के साथ दो महीने के बाद की तारीख शादी के लिए पक्की हो गई।

मोहित का भी कालेज में एडमिशन हो गया और वो अपने गाँव जाकर अपना कुछ सामान लाना चाहता था।‘

मैंने आँटी से कहा- “मैं भी रोहन के साथ गाँव जाऊँगी, मेरे एग्जाम्स भी हो गये हैं और मैं गाँव घूमना चाहती हूँ..." और आँटी ने मुझे मोहित के साथ गाँव जाने की इजाजत दे दी।

करुणा ने भी आँटी से मेरे साथ गाँव जाने के लिए बोल दिया। आँटी ने पहले मना कर दिया, मगर करुणा के । जोर देने पर वो मान गई। मैं और करुणा मोहित के साथ गाँव जाने के लिए तैयारी करने लगी। मोहित ने गाँव जाने के लिए ट्रेन की शाम की तीन टिकटें बुक कर ली। हमारे गाँव जाने के लिए वहाँ से 8 घंटे का ट्रेन का सफर था। हमारी ट्रेन रात को 11:00 बजे की थी, सारा दिन ऐसे ही सामान पैक करने में गुजर गया और रात का खाना खाने के बाद आँटी और बिंदिया हमें ट्रेन तक छोड़ने आ गये। हमें ट्रेन में छोड़ने के बाद आँटी और बिंदिया वहाँ से चली गई, हम अपनी बोगी में दाखिल हुए।

मोहित ने पूरा ऊपर और नीचे का एक बर्थ बुक कराया था। हमारी बोगी के कमरे में दो बर्थं थी। हम जैसे ही अंदर दाखिल हुए दूसरी बर्थ पर एक जोड़ा पहले से मौजूद था। वो एक जवान कपल था, लड़का कोई 22 साल का गोरा कद में लंबा और हैंडसम था और लड़की 20 साल की बिल्कुल गोरी तो नहीं थी हल्की साँवली बड़ी-बड़ी चूचियां, भरा हुआ जिम और उसकी गाण्ड बहुत मोटी थी।

मोहित उस लड़की को बहुत गौर से देख रहा था। लगता था की मोहित को वो लड़की बेहद पसंद आ गई थी। हमने अपना सामान ऊपर वाले बर्थ पर रख दिया, खुद नीचे बैठ गये।

वो लड़का हमारे बैठते ही हमसे अपना परिचय कराते हुए बोला- “मेरा नाम प्रवीण है, यह मेरी पत्नी राधा है। हमारी दो महीने पहले ही शादी हुई है, और मैं इसे अपने ससुराल घुमाने ले जा रहा हूँ..” ।

मोहित ने उस लड़के से कहा- “आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुई, मेरा नाम मोहित है, यह मेरी दोनों कजिंस हैं। करुणा और धन्नो...”
 
वो लड़का हम दोनों को नमस्ते बोला। करुणा और मैंने उस लड़के को हँसकर नमस्ते का जवाब दिया। कुछ देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे। कुछ देर बाद टी.टी. आ गया और हमारी टिकेटें चेक करने के बाद वहाँ से चला गया। उसके जाते ही मोहित ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया और सोने के लिए बिस्तर लगाने लगा। मोहित ने नीचे की दोनों बर्थों पर अपना और करुणा का बिस्तर लगाया और बची हुई ऊपर वाली बर्थ पर मेरा बिस्तर लगा दिया।

वो कपल भी सोने की तैयारी करने लगा और अपना बिस्तर एक ही बर्थ पर लगा दिया। वो लड़का बहुत चालाक था, उसने एक बहुत बड़ा कपड़ा अपने बैग से निकालते हुए बीच में पर्दा लगा दिया, जिसकी वजह से उसके और हमारे बर्थ में से कोई एक दूसरे को नहीं देख सकता था। मैं ऊपर की बर्थ पर होने के कारण उन्हें देख सकती थी, मगर उन्हें यह पता नहीं था क्योंकी वो मुझे नहीं देख पा रहे थे।

पर्दा लगाने के बाद उस लड़के ने अपनी शर्ट और पैंट उतार दी और उस लड़की के ऊपर चढ़ते हुए उसके होंठों को चूमने लगा। प्रवीण ने कुछ देर तक उसके होंठों को चूमने के बाद उठकर उसकी साड़ी को उसके जिम से अलग कर दिया। वो लड़की अब सिर्फ ब्रा और एक कच्छी में थी।

वो लड़की गोरी नहीं थी मगर उसका नंगा जिश्म देखकर मैं हैरान रह गई। साली की क्या चूचियां थीं और उसके नितंब तो बिल्कुल मोटे भरे हुए थे की कोई भी लड़का पहली नजर में उसकी गाण्ड का दीवाना हो सकता था। प्रवीण ने राधा की कच्छी को उसके जिम से अलग करते हुए अपने अंडरवेर को उतारने लगा। उस लड़की की काली चूत पे घने बाल थे।‘

प्रवीण का अंडरवेर उतरते ही मेरी साँसें बहुत जोर से चलने लगी। प्रवीण का अंडरवेर उतरते ही उसका गोरा बहुत लंबा और मोटा लण्ड स्प्रिंग की तरह हवा में झूलने लगा। मैं यह देखकर हैरान रह गई, क्योंकी प्रवीण ने ना तो उस लड़की की चूत को चाटा, ना ही अपने लण्ड को उसके मुँह में डाला, बस सीधे उसकी टाँगों को उठाया और अपने लण्ड को दो-तीन धक्कों में उस लड़की की चूत में डाल दिया।

उस लड़की की चूत में लण्ड घुसते ही उसके मुँह से ‘आअहह..' की हल्की चीख निकल गई। प्रवीण दस मिनट तक उसकी चूत में जोर के धक्के लगाता रहा और अपना वीर्य उसकी चूत में गिराता हुआ झड़ने लगा। मैं उनकी चुदाई देखकर समझ गई की वो बिल्कुल अनाड़ी हैं। प्रवीण झड़ने के बाद बाथरूम में जाने लगा। बाथरूम हमारी साइड में था।

मैंने उस लड़के को उठता हुआ देखकर दूसरी तरफ मुँह कर लिया। उस लड़के के बाथरूम में जाते ही मैंने मोहित को ऊपर अपने बर्थ पर बुला लिया। करुणा तो कब की नींद के आगोश में चली गई थी।

वो लड़की प्रवीण के जाते ही एक कपड़ा उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी। वो अपनी चूत को साफ करते हुए उस कपड़े को बहुत जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी। कपड़े को रगड़ते हुए उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी और मजे से उसकी आँखें बंद हो गई थी।

मोहित उस लड़की को इस पोज में देखकर पागल हो गया और उस लड़की की तरफ देखते हुए मुसे कहा- “यार यह लड़की मिल जाए तो मजा आ जाएगा...”

मैंने मोहित से कहा- “तुम्हें इस लड़की को चोदना है?”

मोहित- “हाँ... मगर कैसे?” मोहित ने जल्दी से पूछा।

मैं कुछ करती हूँ..” कहते हुए मैं बर्थ से नीचे उतरने लगी और मोहित को सोने की आक्टिंग करने को कहा।

मोहित ने मुझे नीचे उतरते हुए पूछा- “क्या करोगी?”


मैंने मोहित से कहा- “तुम चुप करके सोने का नाटक करो, अगर प्रवीण को मैंने अपने जाल में काबू कर लिया तो तुम उसकी पत्नी से खूब एंजाय कर सकते हो...”’
 
मोहित मेरी बात सुनकर खामोश हो गया और अपनी आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा। मैंने जल्दी से अपनी कमीज उतारकर ब्रा को उतार दिया और अपनी कमीज को वापस पहन लिया। मैंने अपनी कमीज में से अपनी चूचियों को आधे से ज्यादा बाहर कर दिया और नीचे वाले बर्थ पर सीधा होकर लेट गई।

प्रवीण कुछ ही देर में बाथरूम से बाहर निकला और अपनी बर्थ की तरफ जाने लगा। प्रवीण जैसे ही मेरे करीब पहुँचा, मैं उसका ध्यान अपनी तरफ करने के लिए जोर से खर्राटे मारने लगी। प्रवीण ने मेरे करीब से गुजरते हुए खर्राटों की वजह से मेरी तरफ देखा। मेरी तरफ देखते हुए प्रवीण की आँखें फटी की फटी रह गई। प्रवीण मेरी आधी से ज्यादा गोरी नंगी चूचियों को देखकर बौखला गया और इधर-उधर देखने लगा।

मोहित और करुणा को सोता हुआ देखकर प्रवीण की हिम्मत कुछ बढ़ी और वो वहीं खड़ा होकर मेरी नंगी चूचियों को देखकर मजे लेने लगा। अचानक उसने अपना हाथ बढ़ाकर मेरे को थोड़ा सा झंझोड़ा। मैं वैसे ही आँखें बंद किए सोने का नाटक करने लगी। प्रवीण मुझे गहरी नींद में समझकर अपना हाथ आगे बढ़ाकर मेरी एक चूची पर हाथ रख दिया।

प्रवीण का हाथ अपनी नंगी चूची पर महसूस करते ही मेरा अंग-अंग सिहर उठा।

प्रवीण थोड़ी देर तक मेरी चूची पर अपना हाथ रखे हुए था और फिर उसने अपने हाथ को हरकत में लाते हुए मेरी चूची पर फिराने लगा। कुछ देर तक एक चूची पर हाथ फिराने के बाद उसने अपना हाथ मेरी दूसरी चूची पर रख दिया और उसे सहलाने लगा।

प्रवीण की हरकतों से मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और मेरा अंग-अंग टूट रहा था। दिल तो कर रहा था की अभी अपना हाथ बढ़ाकर उसके अंडरवेर में छुपे लण्ड पर रख लूं। मगर मैं ऐसा नहीं कर सकती थी, क्योंकी ऐसा करने से सारा काम बिगड़ सकता था।

प्रवीण ने अपने दोनों हाथ बढ़ाकर मेरी कमीज में से मेरी चूचियों को बाहर निकाल लिया। प्रवीण मेरी चूचियों के गुलाबी निपल देखकर उत्तेजना के मारे काँपने लगा, और अपने हाथों की उंगलियों से मेरी चूचियों के गुलाबी निपलों को मसलने लगा।

मोहित भी अपनी आँखें खोलकर कभी हमें तो कभी राधा को देख रहा था। राधा अपनी चूत में अपनी दो उंगलियां डालकर आगे-पीछे कर रही थी। प्रवीण का लण्ड तो बहुत बढ़िया था, मगर उसे इश्तेमाल करना नहीं आता था, जिसके कारण राधा हमेशा अपनी उंगलियों से अपनी चूत को शांत करने की कोशिश करती थी और अंदर ही अंदर जलती रहती थी। मैं कभी-कभी अपनी आँखों को थोड़ा सा खोलकर उसे देख रही थी। मगर वो तो मेरी चूचियों से खेलने में मसरूफ था।


प्रवीण सिर्फ अंडरवेर में था। वो नीचे झुकते हुए मेरी गुलाबी चूची पर अपनी जीभ फिराने लगा, और अपने अंडरवेर को थोड़ा नीचे करते हुए अपने हाथों से अपने लण्ड को सहलाने लगा। उसका लण्ड इतने नजदीक से देखकर मेरी हालत बिगड़ने लगी।

मोहित इतनी देर से हमें देखकर बहुत गरम हो चुका था, वो अपनी शर्ट और पैंट उतार चुका था। राधा की उंगलियां बहुत जोर से अपनी चूत में अंदर-बाहर हो रही थी। मोहित ने मोके का फायदा उठाते हुए अपना अंडरवेर उतारा और नंगा ही बर्थ से उस तरफ कूदते हुए राधा के सामने खड़ा हो गया।

राधा अपनी मंजिल के बिल्कुल करीब थी। वो अपनी आँखें बंद किए सिसकते हुए अपनी चूत में उंगलियां अंदरबाहर कर रही थी। मोहित राधा को ऊपर से नीचे तक गौर से देखते हुए अपने लण्ड को सहलाने लगा। मोहित को राधा का सांवला जिम, उसकी बड़ी-बड़ी चूचियां, उसके भरे हुए नितम्ब और उसके काले बालों में छुपी हुए काली चूत बहुत अच्छी लग रही थी।

आअहहह...” करते हुए राधा और हाँफते हुए झड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद राधा ने जैसे ही आँखें खोली अपने सामने एक अंजान मर्द को नंगा खड़ा देखकर उसके मुँह से चीख निकलने ही वाली थी की मोहित ने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसका मुँह अपने हाथ से। दबा दिया। राधा के मुँह से निकली हुए चीख मोहित के हाथों में दब गई। मोहित ने उसके मुँह पर अपना हाथ रखे हुए ही उसे इशारे से चुप रहने के लिए कहा।
 
राधा शांत हो गई और इशारे से मोहित को अपना हाथ हटाने के लिए कहा। मोहित ने अपने हाथ की पकड़ ढीली कर दी। राधा ने फिर से चिल्लाने की कोशिश नहीं की।

मोहित ने अपना हाथ उसके मुँह से हटाते हुए इशारे से उसे पर्दे के उस तरफ देखने को कहा और राधा के पीछे पर्दे तक आ गया।

राधा पर्दे के उस तरफ देखकर चौंक गई। उसका पति एक अंजान लड़की को नींद में सोता हुआ देखकर उसकी चूचियों को चाट रहा था और अपने हाथ से अपना लण्ड हिला रहा था। मोहित राधा से बिल्कुल सटकर खड़ा हो गया। उसका लण्ड राधा की भरी हुई गाण्ड पर आकर ठोकर मारने लगा। राधा ने वहाँ से हटने की कोशिश की मगर मोहित ने उसे कसकर पकड़ लिया और इशारे से वहाँ देखने के लिए कहा।

मैं भी इतनी देर से अपने आपको रोके हुए थी। मैंने अचानक अपनी आँखें खोल ली। प्रवीण मुझे जागता हुआ देखकर सपकपा गया। प्रवीण मेरी आँखें खुली हुए देखकर वहाँ से उठकर मुझसे दूर खड़ा हो गया और डर के मारे मुझे घूरने लगा।

मैं आँखें मलने का नाटक करते हुए वहाँ पर उठकर बैठ गई और प्रवीण की तरफ देखते हुए हैरान होते हुए उससे कहा- “प्रवीण तुम इस वक़्त यहां और नंगे क्या कर रहे हो?”

प्रवीण मेरी बात सुनकर थर-थर काँपते हुए कहने लगा- “वो... वो मैं... मैं...”


मैं- “क्या वो वो मैं मैं कह रहे हो?” मैं नाटक करते हुए गुस्से से बोली।

प्रवीण काँपते हुए मेरे पैरों पर गिर गया और गिड़गिड़ाते हुए मुझसे कहने लगा- “मुझे माफ कर दो, मैं आपके वो देखकर बहक गया था..."

मेरी चूचियां अभी तक आधी से ज्यादा मेरी कमीज के बाहर थी और मेरी आँखें उसके खुले हुए लण्ड पर थी। मैंने उससे कहा- “तुम क्या देखकर बहक गये थे?”

वो मेरा सवाल सुनकर शर्मा गया और मेरी खुली हुई चूचियों की तरफ देखते हुए कहने लगा- “इन्हें देखकर मैं बहक गया था.."

मैंने उसके लण्ड को गौर से देखते हुए कहा- “यह तो तुम्हारी बीवी के पास भी है..."

प्रवीण ने कहा- “मेरी बीवी की इतनी गोरी नहीं है जितनी आपकी हैं...” प्रवीण मुझे अपने लण्ड की तरफ घूरते हुए देखकर खुश होते हुए मेरे करीब आते हुए बोला- “आपको मेरा लण्ड अच्छा लग रहा है तो इसे छूकर देखो ना?” और मेरा हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रख दिया।

मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरे सारे शरीर में सिहरन दौड़ गई और मेरा हाथ अपने आप उसके लण्ड पर ऊपर-नीचे होने लगा। प्रवीण अपने लण्ड पर मेरा नरम हाथ पड़ते ही हवा में उड़ने लगा, और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए अपनी बाहों में भरते हुए मेरे गुलाबी होंठों को चूमने और चाटने लगा। मेरी खुली हुई चूचियां उसके नंगे सीने में दब गईं। मेरा हाथ उसके लण्ड से निकलकर, उसकी पैंट पर आ गया और उसका फनफनाता हुआ लण्ड मेरी सलवार से ही मेरी चूत पर टक्कर मारने लगा।
 
प्रवीण मुझे चूमते हुए मेरी कमीज में हाथ डालकर उसे उतारने लगा। मैंने अपनी बाहें उठाकर अपनी कमीज उतारने में उसकी मदद की और फिर से उससे लिपट गई। प्रवीण ने मेरी नंगी पीठ पर अपना हाथ फिराते हुए मुझे बर्थ पर सीधा लिटा दिया और अपना अंडरवेर अपनी दोनों टाँगों में से अलग करते हुए मेरे ऊपर आ गया। प्रवीण मेरी गोरी नंगी चूचियों को देखकर पागल हो गया और उन्हें अपने दोनों हाथों से मसलते हुए मेरी एक चूची को अपने मुँह में ले लिया।

राधा इतनी देर से अपने पति को किसी दूसरी लड़की के साथ देखकर गुस्से और उत्तेजना के मारे बहुत गरम हो चुकी थी। मोहित ने राधा के गरम होने का अंदाजा इस बात से लगा लिया की वो मोहित के लण्ड से अपनी गाण्ड को बहुत जोर से दबा रही थी। मोहित ने अपने हाथ से राधा की ब्रा को उतार दिया दिया। अब राधा बिल्कुल नंगी मोहित के आगे खड़ी थी, और मोहित उसकी साँवली चूचियों को बड़े जोर के साथ अपने हाथों से मसल रहा था।

राधा की चूचियों को आज तक प्रवीण ने सिर्फ सुहाग रात को छुआ था। अपनी चूचियों पर मोहित का हाथ पड़ते ही वो बहुत गरम हो गई और जोर की साँसें लेते हुए उसके लण्ड पर अपने चूतड़ रगड़ने लगी। लगातार राधा इतनी गरम हो चुकी थी की वो मोहित के हाथों को अपनी चूचियों से अलग करते हुए सीधी होकर उसको अपनी बाहों में भर लिया और अपनी चूचियों को मोहित के बालों वाले सीने पर रगड़ने लगी।

मोहित का लण्ड राधा की झांटों से भरी चूत पर टक्कर मारने लगा और वो राधा के होंठों को चूमने लगा। मोहित ने राधा के होंठों को चूमते हुए उसे बर्थ पर लेजाकर लेटा दिया और खुद अपनी जीभ निकालकर राधा के मुँह में डाल दी। राधा को उसकी जीभ में से बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। इसलिए वो मोहित की जीभ को अपने होंठों से चाटने लगी और अपनी जीभ को निकालकर मोहित के मुँह में डाल दी।

मोहित ने राधा की जीभ को कुछ देर चाटने के बाद अपना मुँह राधा की साँवली चूचियों पर रख दिया और उसकी चूची के काले दाने को अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। कुछ देर तक उसकी चूचियों से खेलने के बाद वो और ज्यादा नीचे होते हुए राधा की झांटों से भरी चूत तक आ गया, और उसकी चूत के बालों को उसकी चूत के होंठों से अलग कर दिया। मोहित राधा की चूत के होंठों पर अपना मुँह रखकर उसे चाटने लगा।

राधा की चूत में आज तक सिर्फ लण्ड ही गया था, वो मोहित के होंठ अपनी चूत पर महसूस करके काँपने लगी और अपनी टाँगों को जितना हो सकता था उतना चौड़ा कर दिया। राधा की चूत से पानी की कुछ बूंदें निकलकर उसकी झांटों को भिगोने लगी। मोहित ने अपने हाथों से राधा की चूत के होंठों को अलग करते हुए अपनी जीभ उसकी चूत में घुसा दी।
 
मोहित की जीभ अपनी चूत में घुसते ही राधा पूरी काँपने लगी और उसका बदन अकड़ने लगा, और- “आह्ह्ह...” करते हुए वो मोहित के मुँह के ऊपर झड़ने लगी। झड़ते हुए राधा की चूत झटके खाने लगी। मोहित ने राधा की चूत से निकलता हुआ सारा पानी चाट लिया।

मैंने प्रवीण के बालों को पकड़ते हुए उसका मुँह नीचे अपनी चूत पर रख दिया। पहले कुछ देर तक मेरी भूरी चूत को देखने के बाद, उसने अपने होंठ मेरी चूत पर रख दिए और मेरी पूरी चूत को चूमने लगा। मैं समझ गई की वो अनाड़ी है, इसलिए मैंने उसे बर्थ पर सीधा लिटा दिया। मैं उल्टा होकर उसके पेट पर बैठ गई। और नीचे होते हुए अपने कोमल हाथों से उसके लण्ड को पकड़ लिया। मैं प्रवीण के लण्ड को अपने हाथों से सहलाने लगी। उसके लण्ड से प्री-कम की कुछ बूंदें निकलने लगी। मैंने अपनी जीभ निकालकर उसके लण्ड के छेद पर रख दी और उसके लण्ड से निकलता हुआ प्री-कम चाटने लगी।

मेरी जीभ अपने लण्ड पर महसूस करते ही प्रवीण 'आअह्ह्ह... करके झटपटाने लगा और पीछे की तरफ से निकली हुई मेरी चूत के गुलाबी छेद को चूमने लगा।

मैंने चिल्लाकर प्रवीण से कहा- “अपनी जीभ से चाटो...”

प्रवीण अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत पर फिराने लगा और मैं मस्ती में आहें भरते हुए उसके लण्ड पर अपनी जीभ फिराने लगी। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई थी, मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा और मैं प्रवीण के मुँह पर अपनी चूत को जोर से रगड़ते हुए- “आअह्ह्ह.. इस्स्स्स .” करते हुए झड़ने लगी। मैंने झड़ते हुए मस्ती में प्रवीण के लण्ड का टोपा अपने मुँह में डाल दिया।


प्रवीण अपना लण्ड मेरे मुँह में महसूस करते ही मजे से पागल हो गया और मेरी चूत का निकलता हुआ पानी अपनी जीभ से चाटने लगा। मैं प्रवीण के लण्ड का टोपा चूसने लगी, प्रवीण का लण्ड आज तक किसी ने अपने मुँह में नहीं लिया था इसीलिए वो बहुत उत्तेजित हो गया और मेरी चूत को चाटने के साथ हल्के से काटने लगा।

मैं अपनी चूत पर प्रवीण के दाँत महसूस करके चीख उठी- “ऊईई... आअहह...”

राधा झड़ने के बाद शांत लेटी हुई थी। मोहित ने अपना मुँह उसकी चूत से हटाते हुए, ऊपर होते हुए उसकी साँवली चूचियों में से एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और बहुत जोर से चूसने लगा। मोहित राधा की चूची को चूसते हुए उसे अपने दाँतों से काटने लगा।

मोहित के दाँत अपनी चूचियों पर महसूस करते ही राधा के मुँह से चीखें और सिसकियां साथ में निकलने लगीआअहह...”

मोहित ने उसकी चूचियों को जी भरकर चूसने के बाद उसके ऊपर से उठते हुए कहा- “आओ देखते हैं तुम्हारा पति क्या कर रहा है?”

राधा मोहित के साथ जाते हुए पर्दे के उस तरफ देखने लगी। मोहित पहले की तरह राधा के पीछे सटकर खड़ा हो गया और उसका खड़ा लण्ड राधा की गाण्ड से टकराने लगा। राधा पर्दे के उस तरफ देखकर सिहर उठी, उसके पति का लण्ड मेरे मुँह में था और वो मेरी चूत को चाट रहा था। राधा यह देखकर बहुत गरम हो गई और अपनी गाण्ड को मोहित के लण्ड पर जोर से रगड़ने लगी।

मैं प्रवीण का लण्ड अपने मुँह से निकालते हुए अपनी दोनों टाँगें फैलाकर उसके तने हुए लण्ड को अपनी चूत पर टिका दिया और अपना पूरा वजन डालते हुए उसपर बैठ गई। मेरी चूत बहुत ज्यादा गीली होने के कारण प्रवीण का लण्ड मेरी चूत की गहराइयों में समा गया।

प्रवीण का पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसते ही उसके मुँह से निकल गया- “आअहहह... बहुत गरम है तुम्हारी चूत.."

मैं अपने चूतड़ों को प्रवीण के लण्ड पर उछालते हुए हल्के धक्के लगाने लगी।
 
मोहित ने राधा को गरम होता हुआ देखकर अपना लण्ड उसके पीछे गाण्ड के नीचे चूत पर रगड़ने लगा। राधा मोहित का लण्ड अपनी चूत पर महसूस करके “आह्ह्ह... ओह्ह...” की सिसकियां भरने लगी। राधा सिसकते हुए थोड़ा सा नीचे झुक गई जिसकी वजह से मोहित का लण्ड सीधा उसकी चूत पर टिक गया। मोहित ने अपना हाथ बढ़ाकर उसकी चूत के होंठों को खोलते हुए अपना लण्ड वहाँ पर फंसा दिया।

राधा अपनी चूत के छेद पर मोहित का लण्ड महसूस करके बहुत ज्यादा उत्तेजित होते हुए अपने चूतड़ों को पीछे की तरफ मोहित के लण्ड पर दबा दिया। मोहित का लण्ड राधा की टाइट चूत में फिसलता हुआ आधा घुस गया। राधा के मुँह से मजे के मारे “आअह्ह्ह..." की सिसकी निकल गई।


मोहित को अपना लण्ड किसी गरम जगह में फँसा हुआ महसूस हो रहा था। मोहित ने अपने हाथ आगे ले जाते हुए राधा की चूचियों को पकड़ लिया और मोहित ने राधा की चूचियों को पकड़ते हुए अपने लण्ड को दो-तीन धक्के मारकर उसकी चूत में पूरा डाल दिया।

मैं अब प्रवीण के लण्ड पर बहुत जोर से उछलने लगी। मुझे उसका लण्ड अपनी चूत की गहराइयों में महसूस हो। रहा था। प्रवीण का पूरा लण्ड घुसते ही उसकी रगड़ से मेरे पूरे शरीर में मजे की लहर दौड़ जाती और मैं मजे के सागर में खोकर उसके लण्ड पर जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगती, जिसके कारण मेरा पूरा शरीर पशीने में भीग गया।

मोहित राधा को चूचियों से पकड़ते हुए बहुत जोर के धक्के लगाने लगा। राधा भी अपने चूतड़ों को पीछे की। तरफ धक्के देते हुए ताल से ताल मिलाने लगी। राधा प्रवीण से जाने कितनी दफा चुदवा चुकी थी, मगर जो मजा उसे मोहित दे रहा था आज तक नहीं आया था। प्रवीण हमेशा उसे ऐसे ही चोदता था, बिना कपड़े उतारे, बिना गरम किए। मगर मोहित ने तो राधा के अंग-अंग को चाटा और टटोला था, जिसके कारण बेचारी सीधीसाधी राधा भी अपने जिश्म को मोहित से ना बचा सकी, और अपनी जवानी को मोहित के सुपुर्द कर दिया।

प्रवीण ने पशीने से भीगी हुई मेरी चूचियों को अपने हाथों में पकड़ लिया और उन्हें बहुत जोर-जोर से मीसने लगा। मेरा पूरा शरीर मजे से काँप रहा था और मेरी साँसें फूल रही थी।

मोहित ने राधा को चोदते हुए आगे से पर्दे को हटा दिया। मोहित की इस हरकत से राधा डर के मारे काँपते हुए मोहित को अपने आपसे दूर करने लगी। मगर मोहित ने उसे जोर से पकड़ते हुए कहा- “डरो मत मजे लो तुम्हारा पति भी तो मजे ले रहा है...”

मोहित की बात सुनकर राधा अपने पति को देखने लगी। प्रवीण मेरी चूचियों को पकड़े हुआ नीचे से अपना लण्ड मेरी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। मैं उसके लंबे और मोटे लण्ड को इतनी देर से अपनी चूत में डाले हुए थी, और मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी।

राधा हमको देखकर सब कुछ भूल गई और अपने चूतड़ों को मोहित के लण्ड पर जोर-जोर से उछालने लगी। मोहित ने राधा को वहाँ नीचे घुटनों के बल उल्टा बिठा दिया और खुद नीचे बैठते हुये हुए राधा की चूत में लण्ड डाल दिया। मोहित राधा को जोर-जोर से चोदते हुए उसके भारी चूतड़ों पर अपने हाथ फिराते हुए उसकी गाण्ड के छेद को सहलाने लगा।

अपनी गाण्ड पर मोहित का हाथ महसूस करके राधा के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।

मेरी चूत ने प्रवीण के लण्ड पर सिकुड़ना शुरू कर दिया, मेरी आँखें बंद होने लगी और मेरा पूरा शरीर अकड़ने लगा- “आअह्ह्ह... इस्स्स्स ...” करते हुए मैं झड़ने लगी। मैं झड़ते हुए बहुत जोर से उसके लण्ड पर उछलने लगी।

प्रवीण मेरे झड़ते हुए मेरी चूत का सिकुड़ना बर्दाश्त ना कर सका और मेरी कमर में हाथ डालते हुए नीचे झुका दिया। प्रवीण मेरी कमर को पकड़कर बहुत जोर के धक्के मारने लगा। धक्के मारते हुए वो मेरी चूचियों को चाटते और काटते हुए मेरी चूत में झड़ते हुए वीर्य को भरने लगा।
 
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