Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल - Page 23 - SexBaba
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Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल

*धन्नो, करुणा और मोहित की ट्रेन से वापसी

धन्नो, करुणा और मोहित ट्रेन के अपने कम्पार्टमेंट में आ गये। इस बार उनके कम्पार्टमेंट में कोई भी नहीं था। अपना सारा सामान रखने के बाद सभी आपस में बातें करने लगे। मोहित बातें करते हुए करुणा के पास जा बैठा
और अपना हाथ उसके कंधे पर रखते हुए उसे अपनी तरफ करने लगा।


करुणा- “मोहित अब से यह सब कुछ नहीं चलेगा, मेरी शादी होने वाली है। जो कुछ हुआ उसे अब भूल जाओ...” करुणा ने मोहित का हाथ अपने कंधे से झटकते हुए कहा।

मोहित करुणा के इस व्यवहार से हैरान रह गया और वहाँ से उठते हुए धन्नो के पास आ गया- “धन्नो करुणा को क्या हो गया है?” मोहित अपना हाथ धन्नो की जाँघ पर रखते हुए कहा।

धन्नो- “देखो मोहित करुणा सही कह रही है अब हमारी शादी होने वाली है और अब हम यह सब नहीं कर सकती, तो प्लीज अब हमसे दूर ही रहो तो अच्छा है..” धन्नो ने भी मोहित का हाथ अपनी जाँघ से हटाते कहा।

मोहित दोनों लड़कियों का व्यवहार देखकर डर गया, और उनसे दूर बैठते हुए कहा- “ठीक है कोई बात नहीं जो हुआ सो हुआ मगर हम आपस में अच्छे दोस्त तो हैं."

करुणा- “हाँ मोहित हम आपस में दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे..” करुणा ने मोहित की बात सुनते हुए कहा।

तीनों फिर से आपस में बातें करने लगे।

करुणा- “मोहित रिया भाभी के साथ कब शादी कर रहे हो?” करुणा ने बातों-बातों में मोहित से पूछा।

मोहित- “बस अब तो दिल करता है की कल ही शादी कर लँ, मगर माँ कहती है की पहले पढ़ लो फिर शादी करना..” मोहित ने मायूस होते हुए कहा।

धन्नो- “मोहित वैसे रिया भाभी है बहुत सुंदर...” धन्नो ने रिया की तारीफ करते हुए कहा।

मोहित- “धन्नो तुम सच कह रही हो, वो बहुत सुंदर है, इसीलिए तो मुझे पसंद है...” मोहित ने रिया की तारीफ सुनते ही खुश होते हुए कहा।

धन्नो- “वैसे मोहित एक बात पूछ्रे बुरा तो नहीं मानोगे?” धन्नो ने मोहित से कहा।

मोहित- “नहीं धन्नो, तुमसे कैसे नाराज हो सकता हूँ, पूछो?” मोहित ने जल्दी से कहा।

धन्नो- “रिया भाभी के साथ तुम सेक्स कर चुके हो?” धन्नो ने मुश्कुराते हुए कहा।

मोहित- “धन्नो हर बार वो मना कर देती थी, मगर इस बार मैंने उसे पटा लिया और जल्दी से शादी का वादा किया तभी जाकर वो मानी...” मोहित ने ठंडी साँस लेते हुए कहा।

धन्नो मोहित की बात सुनकर खामोश हो गई।

कुछ देर की खामोशी के बाद मोहित ने कहा- “यार मुझे नींद आ रही है, मैं सो रहा हूँ..” यह कहते हुए मोहित । अपने बर्थ पर बिस्तर लगाते हुए सो गया।


करुणा और धन्नो कुछ देर तक आपस में बातें करते रही।

धन्नो- “करुणा जरा दीदी को तो फोन लगा लो, उसकी बहुत याद आ रही है और वैसे भी उन्हें हमने बताया भी नहीं की हम वापस आ रहे हैं.." धन्नो ने बातें करते हुए करुणा से कहा।

करुणा ने धन्नो की बात सुनते ही अपने मोबाइल से बिंदिया का नंबर लगाया, बिंदिया अपने खयालों में गुमसुम बेड पर बैठी थी की उसका मोबाइल बजने लगा। बिंदिया मोबाइल की आवाज सुनते ही होश में आते हुए जल्दी से मोबाइल उठाकर नंबर देखा, बिंदिया ने जैसे ही मोबाइल की तरफ देखा तो उसपर करुणा लिखा हुआ था।

बिंदिया ने अपने सारे गम भुलाकर खुश होते हुए फोन उठा लिया- “हेलो करुणा क्या हाल है?” बिंदिया ने फोन उठाते हुये कहा।।
 
करुणा- “दीदी हम बहुत बढ़िया हैं। आप बताओ क्या चल रहा है, और माँ और रोहन कैसे हैं?" करुणा ने एक साथ ही सबके बारे में पूछ लिया।

बिंदिया- “यहाँ सब ठीक ठाक हैं..” बिंदिया ने जवाब दिया।

करुणा- “दीदी हम वापस आ रहे हैं शाम तक पहुँच जाएंगे, लो धन्नो से बात करो...” करुणा ने बिंदिया को बताते हुए कहा।

धन्नो- “बिंदिया कैसी हो, हम वापस आ रहे हैं...” धन्नो ने बिंदिया से बात करते हुए कहा।

बिंदिया- “धन्नो मैं ठीक हूँ, तुम बताओ क्या चल रहा है?” बिंदिया ने धन्नो से कहा।

धन्नो- “दीदी बहुत बातें करनी है आपसे फोन पर नहीं बता सकती...” धन्नो ने बिंदिया से कहा।

बिंदिया- “धन्नो मुझे भी तुमसे बहुत बातें करनी है...” बिंदिया ने कहा।

धन्नो- “ठीक है दीदी। माँ को बता देना हम आ रहे हैं, मैं फोन बंद करती हूँ..." धन्नो ने यह कहते हुए फोन काट दिया। धन्नो और करुणा भी फोन बंद करने के बाद सोने की तैयारी करने लगी।

बिंदिया ने फोन रखने के बाद सोच लिया की वो धन्नो से इस बारे में बात करेगी। हो सकता है की वो कोई रास्ता ढूंढ़ ले?

ईशांत उस रेस्टोरेंट का मैनेजर आज बहुत खुश था क्योंकी उसका खास विदेशी मेहमान आ चुका था। वो हर बार इसी रेस्टोरेंट में ठहरता था और वो रात को अगर लड़की पसंद आ जाए तो ईशांत को मालामाल कर देता था। उस गैर-मुल्की का नाम रिचर्ड था और वो नाइजीरिया से था। वो इंडिया अपने किसी प्राजेक्ट के सिलसिले में आता था। आखिरी बार उसने ईशांत को कहा था की उसे कालेज की कोई लड़की चाहिये, जो पेशे वाली ना हो।


और ईशांत ने उसके लिए बंदोबस्त कर लिया था। अचानक ईशांत का मोबाइल बजा वो रिचई का ही फोन था। ईशांत ने जल्दी से फोन उठा लिया।

रिचई- “हेलो ईशांत रात का क्या प्रोग्राम है?" रिचर्ड ने ईशांत से सवाल किया।

ईशांत- “सर आपकी पसंद का इंतजाम कर दिया है, मगर इस बार जरा......” यह कहते हुए ईशांत चुप हो गया।

रिचर्ड- “हाँ हाँ हम समझ गये, तुम उसकी चिंता मत करो हम तुम्हें खुश कर देंगे। रात को 11:00 बजे उसे मेरे कमरे में भेज देना..” रिचर्ड ने ईशांत को नसीहत करते हुए कहा।

ईशांत- “ओके सर 11:00 बजे तक मैं उसे आपके कमरे में भेज दूंगा...” ईशांत ने खुश होते हुए कहा और फोन
को काट दिया। ईशांत ने फोन रखते ही बिंदिया का नंबर मिलाया।

बिंदिया ने जैसे ही मोबाइल पर ईशांत का नंबर देखा उसकी सांसें बहुत जोर से चलने लगी। बिंदिया ने फोन को उठाते हुए अपनी साँसों को सही करते हुए काल को रिसीव किया।

ईशांत- “हेलो मेडम मैं ईशांत बोल रहा हूँ..” दूसरी तरफ से आवाज आई।

बिंदिया- “हाँ बोलो क्या बात है?” बिंदिया ने अपनी धड़कते दिल को थामते हुए कहा।

ईशांत- “मेडम रात को 11:00 बजे आना है, उसके बाद मैं आपको सारी निगेटिव और वीडियो वापस दे दूंगा...” ईशांत ने बिंदिया से कहा।

बिंदिया- “ठीक है मैं आ जाऊँगी.” बिंदिया को इसके सिवा कोई चारा नहीं था।

ईशांत- “मेडम कोई चालकी करने की कोशिश मत करना, वरना सारी जिंदगी पछताती रहोगी..." ईशांत ने बिंदिया
को धमकी देते हुए कहा।

बिंदिया- “वो मैं जानती हूँ, मैं कोई चालाकी नहीं करूंगी..." यह कहते हुए बिंदिया ने फोन काट दिया और मायूस होकर बेड पर लेट गई।

बिंदिया अभी सोच ही रही थी की उसकी माँ आ गई और बिंदिया उसके साथ जाते हुए खाना खाने लगी। बिंदिया
को खाना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।

सोनाली- “बेटी क्या हो गया है तुम्हें? बहुत परेशान लग रही हो, रोहन से झगड़ा हो गया है क्या?" सोनाली ने अपनी बेटी को मायूस देखकर कहा।

बिंदिया- “नहीं माँ ऐसी कोई बात नहीं... वो करुणा का फोन आया था वो वापस आ रहे हैं शाम तक पहुँच जाएंगे...” बिंदिया ने बात को बदलते हुए कहा।।


सोनाली- “इतनी जल्दी वो वापस आ रहे हैं?” सोनाली ने हैरान होते हुए कहा।

बिंदिया ने जैसे तैसे खाना खतम किया और वहाँ से उठते हए अपने कमरे में आकर लेट गई। बिंदिया को सोचते-सोचते कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
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मोहित की जब आँख खुली तो शाम के 4:00 बज रहे थे, उसने जल्दी से उठते हुए अपना मुँह हाथ धोते हुए करुणा और धन्नो को भी उठा दिया। धन्नो और करुणा भी उठकर अपना मुँह हाथ धो लिया और बैठते हुए मोहित से कहा- “हमारा स्टेशन कितनी दूर है?”

मोहित- “अगला स्टेशन हमारा ही है। बस 15 मिनट बाकी हैं...” मोहित ने धन्नो का जवाब दिया।

थोड़ी ही देर में उनका स्टेशन आ गया और वो तीनों ट्रेन से उतरते हुए एक टैक्सी में बैठकर अपने घर पहुँच । गये। वो तीनों के घर पहुँचते ही सोनाली ने सवालों की बौछार कर दी। मोहित ने सोनाली को सारी बात बता दी की ठाकुर के दोनों बेटों ने धन्नो और करुणा को पसंद किया है और मेले में कैसे हमला हुवा।

सोनाली- “यह तो बहुत अच्छा हुआ, मेरा सारा बोझ हल्का हो गया। मगर उनपर हमला किसने किया?" मोहित की बात सुनते ही सोनाली ने हैरान होते हुए कहा।

मोहित- “वो तो अभी तक पता नहीं चला आँटी..” मोहित ने कहा।

सोनाली- “ठीक है तुम सब सामान रखकर फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं खाना बना देती हूँ...”

सभी अपने-अपने कमरे में जाने लगे। उनके जाते ही बिंदिया भी वहाँ जाते हुए धन्नो के कमरे में आ गई, बिंदिया ने अंदर दाखिल होते ही दरवाजा बंद कर लिया।

धन्नो- “क्या बात है दीदी बहुत परेशान दिख रही हो?” धन्नो ने बिंदिया के अंदर आते ही उससे कहा।

बिंदिया ने थोड़ी देर तक खामोशी के बाद धन्नो को शुरू से सारी बात बता दी और धन्नो से गले लगकर रोते हुए कहने लगी- “धन्नो मैं क्या करूं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है, मैं रोहन से बेवफाई नहीं कर सकती...”

* * * * * * * * *

*धन्नो बिंदिया कि जगह होटल में चुदने गई

धन्नो- “बिंदिया चुप करो मैं कुछ करती हूँ..” धन्नो ने बिंदिया को चुप कराते हुए कहा।

बिंदिया- “आज रात 11:00 बजे बुलाया है उन्होंने, इतनी जल्दी क्या करोगी तुम?” बिंदिया ने अपने पल्लू से
आँसू पोंछते हुए कहा।


धन्नो- “दीदी तुम अपना फोन और उनका पता मुझे दे दो, मैं उनके पास जाकर कुछ रास्ता निकाल लँगी...” धन्नों ने बिंदिया से कहा।

बिंदिया- “अगर वो नहीं माने तो मैं किसी को मुँह दिखाने के काबिल नहीं रहूंगी..” बिंदिया ने फिर से अपनी मोटी आँखों से आँसू बहाते हुए कहा।

धन्नो- “बिंदिया, तुम्हारे खातिर मैं कुछ भी कर जाऊँगी। मगर तुम्हें बदनाम नहीं होने देंगी, मुझपर भरोसा रखो...” धन्नो ने बिंदिया को यकीन दिलाते हुए कहा।

बिंदिया ने अपना मोबाइल और उस रेस्टोरेंट का पता धन्नो को दे दिया, और कहा- “धन्नो अब मेरी इज्जत तुम्हारे हाथ में है...”

धन्नो- “तुम बेफिकर सो जाओ, सुबह तक सारी नेगेटिव और वीडियो मैं तुम्हें लाकर दे दूंगी...” धन्नो ने बिंदिया को तसल्ली देते हुए कहा।

बिंदिया- “ठीक है दीदी मैं जा रही हूँ..” यह कहते हुए बिंदिया वहाँ से चली गई।

धन्नो फ्रेश होने के लिए बाथरूम में घुस गई। धन्नो फ्रेश होने के बाद बेड पर बैठकर रात के बारे में सोचने लगी।

सोनाली- “चलो खाना लगा दिया है...” सोनाली ने अंदर आते हुए कहा।

धन्नो सोनाली की बात सुनने के बाद उसके साथ बाहर आकर सबके साथ खाना खाने लगी। खाना खाने के बाद कुछ देर तक सभी आपस में बैठकर बातें करने लगे। रात के 9:30 बज रहे थे।

धन्नो ने बहाना करते हुए कहा- “सफर के कारण बहुत थकान हो रही है, मुझे बहुत नींद आ रही है...”

धन्नो की बात सुनकर सभी वहाँ से उठकर सोने की तैयारी करने लगे। धन्नो अपने कमरे में आकर तैयार होने लगी। उसने सोच लिया था की वो बिंदिया को वो गंदा काम नहीं करने देगी, चाहे उसके लिए उसे अपना जिम क्यों ना इश्तेमाल करना पड़े। धन्नो ने एक ब्लैक ब्रा, सफेद पैंटी, पिंक ब्लाउज़ और पिंक साड़ी पहन ली जो सब बिल्कुल नये थे। धन्नो मेकप करने के बाद ड्रेसिंग टेबल के सामने आ गई। धन्नो खुद को देखकर ही शर्मा गई, वो बहुत खूबसूरत लग रही थी। धन्नो वैसे ही बहुत सुंदर थी, मगर तैयार होने के बाद तो वो स्वर्ग की अप्सरा लग रही थी।

धन्नो ने टाइम देखा तो 10:30 बज रहे थे, धन्नो ने जल्दी से एक बड़ा नकाब उठाकर अपने आपको ढक लिया। धन्नो ने नकाब ऐसे ओढ़ा था की उसकी सिर्फ आँखें दिखाई दे रही थी। धन्नो अपने कमरे से निकलकर बिंदिया के कमरे में आ गई। बिंदिया धन्नो को देखकर हैरान रह गई। उसे यकीन हो गया की की इस नकाब में वो कमीना मैनेजर उसे कभी पहचान नहीं पाएगा।
 
धन्नो- “दीदी चाबी दो लेट हो रही है..” धन्नो ने आते ही बिंदिया से कहा।

बिंदिया- “तुम सच में मेरे लिए फरिश्ते से कम नहीं..” बिंदिया ने धन्नो को चाबी देते हुए कहा।


धन्नो चाबी लेते हुए बिना कुछ बोले वहाँ से चली गई। धन्नो ने बाहर आते हुए आराम से दरवाजा खोलते हुए बाहर से लाक कर दिया और एक रिक्शा को रोककर उसमें बैठते हुए चाबी अपने पर्स में रख ली।।

“कहाँ जाना है मेमसाहब?” धन्नो के बैठते ही रिक्शावाला बोला।

धन्नो- “रायल गोल्ड रेस्टोरेंट...”

रिक्शेवाले ने धन्नो की बात सुनकर रिक्शा को आगे बढ़ा दिया। यह रेस्टोरेंट उस शहर का सबसे बड़ा रेस्टोरेंट होटेल था जिसका पता हर रिक्शेवाले को था। धन्नो ने की घड़ी की तरफ देखा 11:00 बजने में सिर्फ 3 मिनट बचे थे।

तभी बिंदिया वाला फोन बजने लगा। धन्नो ईशांत का नाम देखकर ही समझ गई की उस मैनेजर का फोन है। धन्नो ने काल रिसीव करते हुए फोन अपने कान पर लगाता। फोन उठाते वक़्त एक अंजान डर से धन्नों का दिल जोर से धड़क रहा था।

ईशांत- “हेलो मेडम क्या इरादा है, अभी तक तुम नहीं पहुँची?” दूसरी तरफ से आवाज आई।

धन्नो- “जी मैं रिक्शा में हैं, जल्द ही पहुँच जाऊँगी..” धन्नो ने डरते-डरते कहा।

ईशांत- “ठीक है जल्दी आ जाओ...” इतना कहने के बाद फोन कट गया।

धन्नो- “थोड़ा तेज चलाओ ना." फोन के काटते ही धन्नो ने रिक्शेवाले से कहा।

धन्नों की बात सुनकर रिक्शेवाले ने रिक्शे की स्पीड बढ़ा दी। थोड़ी ही देर में रिक्शा एक आलीशान रेस्टोरेंट के सामने रुक गया। धन्नो ने जल्दी से रिक्शेवाले को किराए के पैसे दिए और खुद रेस्टोरेंट में अंदर दाखिल हो गई। धन्नो का दिल अंदर दाखिल होते हुए बहुत जोर से धड़क रहा था, क्योंकी वो ईशांत को नहीं जानती थी। धन्नों के अंदर दाखिल होते ही एक शख्स काउंटर से उठकर धन्नो की तरफ आने लगा। धन्नो समझ गई के वोही ईशांत है।

धन्नो- “मुझे नेगेटिव और वीडियो दे दो..” धन्नो ने उस शख्स के करीब आते ही उससे कहा।

ईशांत- “हाँ हाँ मिल जाएंगे, पहले काम तो पूरा करो...” ईशांत ने दाँत निकालते हुए कहा।

धन्नो- “किस रूम में जाना है मुझे?” धन्नो ने अपना चेहरा झुकाते हुए कहा।

ईशांत- “मेरे साथ आओ मेडम। वो कोई आम आदमी नहीं है, हमारा खास ग्राहक है नाइजीरिया से, अगर तुम्हें । सब कुछ चाहिये तो कोई शिकायत नहीं आनी चाहिये...” ईशांत ने धन्नो के साथ चलते हुए उसे समझते हुए कहा। ईशांत बिल्कुल नहीं जान पाया था की यह वो नहीं, कोई और लड़की है। वैसे भी उसे एक खूबसूरत लड़की चाहिये थी अपने ग्राहक के लिए, जो धन्नो थी।\

ईशांत धन्नो को लेकर लिफ्ट में आ गया। थोड़ी ही देर में लिफ्ट खुली और ईशांत धन्नो के साथ लिफ्ट से उतरकर चलने लगा। रूम नंबर 542 के पास आते ही ईशांत रुक गया और दरवाजे को हल्का नाक किया। धन्नो का दिल बहुत जोर से धड़क रहा था उसका सारा जिश्म उस विदेशी के बारे में सोचकर की वो कैसा होगा? काँप रहा था। थोड़ी देर में ही दरवाजा खुला।

धन्नो सामने के शख्स को देखकर थोड़ी देर के लिए डर गई,क्योंकी रिचर्ड का कद बहुत लंबा 6'2" इंच था, और उसका रंग बिल्कुल कोयले की तरह काला था। धन्नो को उसे देखते ही घिन आ रही थी।

ईशांत- “सर यह रही आपकी अमानत...” ईशांत ने दरवाज खुलते ही उस शख्स से कहा।

रिचर्ड- “अंदर आ जाओ..” उस शख्स ने धन्नो को घूरते हुए कहा।

धन्नो डरते-डरते अंदर दाखिल हो गई।

रिचर्ड- “बैंक्स ईशांत देखते हैं तुम्हारा स्पेशल गिफ्ट..." रिचर्ड ने दरवाजा बंद करते हुए कहा।

धन्नो पहले कभी फाइव स्टार रेस्टोरेंट में नहीं गई थी। कमरे के अंदर दाखिल होते ही वो हैरान रह गई। उस कमरे में एसी, फ्रिज, टीवी, डबलबेड, अटैच बाथरूम समेत जरूरत की हर चीज मौजूद थी। रिचर्ड ने अंदर आते ही फ्रिज से एक बोतल शराब की और कुछ बर्फ के टुकड़े निकाले जिन्हें वो दो ग्लास में बरफ डालकर उनमें शराब डालने लगा। धन्नो वहाँ पर डरी सहमी खड़ी थी।

रिचर्ड- “जानेमन बैठो ना खड़ी क्यों हो?” रिचर्ड ने ग्लासों में शराब डालते हुए धन्नो से कहा।

धन्नो बहुत डरी हुई थी। वो जाकर बेड पर बैठ गई। रिचर्ड ने दोनों ग्लास भरने के बाद उन्हें उठाते हुए एक धन्नो की तरफ बढ़ा दिया।

धन्नो- “जी मैं शराब नहीं पीती..” धन्नो ने नजरें झुकाए हुए कहा।

रिचर्ड- “कोई बात नहीं, पर अपना नकाब तो हटाओ। इस शराब के साथ हमें आपके हुश्न को भी पीना है." रिचर्ड ने शराब का एक ग्लास पीने के बाद वापस टेबल पर रखते हुए कहा।
 
धन्नो- “जी हमें शर्म आ रही है...” धन्नो ने सहमे हुए कहा।

रिचर्ड- “हम हैं, तुम हो, फिर शर्म कैसी जानेमन?” रिचर्ड ने धन्नो की बात सुनकर कहा।


आप ही उतार दीजिये...” धन्नो ने अपना सिर नीचे करते हुए कहा।

धन्नो की बात सुनकर रिचई मन ही मन में बहुत खुश होने लगा की आज उसे बहुत ही बढ़िया लड़की चोदने के लिए मिल रही थी, जो अपना नकाब भी खुद नहीं हटा पा रही थी। रिचर्ड ने शराब का दूसरा ग्लास भी पीने के। बाद धन्नों के करीब जाते हुए उसका नकाब हटा दिया। नकाब हटते ही गुलाबी साड़ी में धन्नो बिल्कुल एक अप्सरा लग रही थी। रिचई धन्नो को देखकर बहुत खुश हुवा। उसने आज तक कितनी ही खूबसूरत लड़कियों को चोदा था, पर धन्नो उसे सबसे अच्छी लग रही थी। रिचर्ड धन्नो के करीब जाकर बैठ गया और उसका कोमल हाथ पकड़कर अपना होंठों पर रखते हुए उसे चूमने लगा। धन्नो के हाथ पर रिचर्ड के होंठों के पड़ते ही सिहरने लगा।

रिचर्ड- “मेम जरा उठकर खड़ी हो जाओ...” रिचर्ड ने धन्नो के हाथों को चूमने के बाद उससे कहा।

धन्नो रिचर्ड की बात सुनकर उठकर खड़ी हो गई।

रिचर्ड- “अब जरा गोल घूम जाओ..” रिचर्ड ने धन्नो के खड़े होते ही उससे कहा।

दरसल रिचई धन्नो को खड़ा करके उसके जिम के फिगर को देखना चाहता था। धन्नो जैसे ही घूमते हुए उल्टा हुई, रिचर्ड ने उसकी गाण्ड को देखते हुए अपना हाथ उसकी गाण्ड पर रख दिया और उसे सहलाने लगा। गाण्ड पर रिचर्ड का हाथ पड़ते ही धन्नो के मुँह से “आअह्ह्ह...” निकल गई। रिचई धन्नो की गाण्ड को दबाते हुए उठकर खड़ा हो गया और गोल घूमते हुए धन्नो की साड़ी को उसके जिश्म से अलग कर दिया।

रिचर्ड- “वाउ... तुम तो सच में एक अप्सरा हो...” रिचर्ड धन्नो की साड़ी को उतारने के बाद उसके दूध जैसे गोरे नंगे बदन को गुलाबी ब्लाउज़ और सफेद पैंटी में खड़ा देखकर कहा।

धन्नो अपना सिर नीचे किए हुए खड़ी थी। रिचर्ड ने धन्नो को देखते हुए अपनी शर्ट और पैंट को उतार दिया, रिचर्ड ने अब धन्नो के पास आते हुए उसके पीछे खड़ा होकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और अपने होंठों से उसके कंधे को चूमने लगा।

रिचर्ड के हाथ अपने नंगे पेट पर और उसके होंठ अपने कंधे पर पड़ते ही धन्नो को अपने पूरे शरीर में सिहरन होने लगी। रिचर्ड ने धन्नो को कसकर पकड़ रखा था, जिस वजह से उसकी गाण्ड उसके अंडरवेर में खड़े लण्ड से चिपकी हुई थी। धन्नो अपनी गाण्ड पर रिचर्ड का लण्ड लगाते ही समझ गई के उसका लण्ड बहुत तगड़ा है। रिचर्ड ने धन्नो के कंधे को चूमते हुए अपने हाथ से उसके पेट से हटाते हुए उसके ब्लाउज़ को उतार दिया। रिचर्ड ने ब्लाउज़ के उतारते ही धन्नो की गोरी पीठ को अपनी जीभ से चाटते हुए उसकी ब्लैक ब्रा के हुक भी खोल। दिए। धन्नो भी रिचर्ड की हरकतों से गरम होकर तेज साँसें ले रही थी। अब रिचर्ड ने धन्नो को अपनी बाहों में उठाते हुए उसे बेड पर जाकर सीधा लेटा दिया।

रिचर्ड धन्नो की टाँगों के बीच आते हुए उसके ऊपर लेट गया। रिचर्ड का लण्ड धन्नो को अपनी चूत पर रगड़ता हुआ महसूस हो रहा था। धन्नो की ब्रा के हुक खुले हुए थे, मगर वो अभी तक उसकी चूचियों के ऊपर थी।


धन्नो सीधा लेटे हुए अपनी आँखें बंद किए हुए थी। रिचई ने उसके ऊपर लेटते हुए अपने काले होंठ धन्नों के गुलाबी होंठों पर रख दिए और बेतहाशा चूमने लगा। धन्नो के होंठों को चूमते हुए रिचर्ड का लण्ड तनकर उसकी चूत पर जोर से रगड़ने लगा।

धन्नो की चूत भी रिचई के लण्ड को महसूस करके रस टपकाने लगी थी। धन्नो भी अपनी आँखें खोलकर अपने नरम गोरे हाथ रिचर्ड की काली सख़्त पीठ पर घुमाने लगी। रिचर्ड धन्नो को गरम होता देखकर उसके होंठों को खोलते हुए उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगा। धन्नो को रिचई के मुँह से बहुत गंदी बदबू आ रही थी। मगर एक तो उसे बहुत मजा आ रहा था और फिर वो यह सब करने के लिए मजबूर भी थी।

रिचर्ड कुछ देर तक धन्नो की जीभ को चाटने के बाद उसकी जीभ को छोड़ते हुए उसके कंधे को चूमने लगा। रिचर्ड धन्नो के कंधे को चूमते हुए नीचे होते हुए उसकी ब्रा के ऊपर बने उसकी चूचियों के उभार को चाटने लगा। धन्नो रिचर्ड का मुँह अपनी चूचियों के करीब महसूस करते ही जोर से सिसकने लगी।

रिचर्ड ने धन्नो की चूचियों के उभारों को चूमते हुए अपने हाथों से उसकी ब्लैक ब्रा को उसके जिश्म से हटा दिया। धन्नो की ब्रा के हटते ही उसकी गोरी-गोरी गुलाबी दाने वाली चूचियों को देखकर रिचर्ड पागल हो गया। रिचर्ड ने बिना कोई देर किए धन्नो की दोनों चूचियों को अपने हाथों से सहलाते हुए उसकी एक चूची के गुलाबी दाने को अपने मुँह में भर लिया और उसे बहुत जोर से चूसने लगा। रिचर्ड के मुँह में अपनी चूची के जाते ही। धन्नो को अपने पूरे शरीर में जोर की सिहरन होने लगी। धन्नो के मुँह से जोर की सिसकियां निकालने लगी,और उसकी चूत उत्तेजना में ज्यादा पानी बहाने लगी।

धन्नो अपने हाथ रिचई के बालों में डालकर अपनी चूची पर दबाने लगी। रिचर्ड अपना पूरा मुँह खोलकर उसकी चूची को जितना हो सकता था अपने मुँह में लेकर चूसने लगा। रिचर्ड कुछ देर तक धन्नो की दोनों चूचियों को बारी-बारी चाटने के बाद नीचे होते हुए अपनी जीभ उसके गोरे पेट पर फिराते हुए धन्नो की पैंटी तक पहुँच गया। धन्नो की सफेद पैंटी उसकी चूत के पानी से गीली हो चुकी थी। रिचर्ड धन्नो की पैंटी पर नाक रखकर अपनी साँसें जोर से पीछे खींचते हुए उसकी गंध सँघने लगा। रिचर्ड को धन्नो की चूत से निकले हुए पानी से भीगी पैंटी की गंध बहुत अच्छी लग रही थी।

रिचर्ड ने अपने दोनों हाथों से धन्नो की पैंटी को पकड़ते हुए नीचे सरकाते हुए उतार दिया। धन्नो की गुलाबी चूत पर हल्के बाल थे। रिचर्ड धन्नो की गुलाबी रस टपकाती चूत को देखकर खुश हो गया। रिचर्ड ने नीचे झुकते हुए धन्नो की चूत पर अपने काले होंठ रख दिए। अपनी चूत पर रिचर्ड के होंठ पड़ते ही धन्नो जोर से “आअह्ह्ह..” करके सिसकने लगी।

रिचर्ड धन्नो की चूत को चूमते हुए अपनी जीभ निकालकर उसके दाने पर फिराने लगा। धन्नो की हालत बहुत बिगड़ चुकी थी। उसके पूरे जिम में चींटियां रेंग रही थी। धन्नो के मुँह से जोर की सिसकियां निकल रही थी और उसकी चूत से पानी टपक रहा था। रिचर्ड अपनी जीभ को नीचे करते हुए धन्नो की चूत के छेद तक आ गया और अपनी जीभ से उसकी चूत से निकलता हुआ नमकीन टेस्टी पानी चाटने लगा। धन्नो भी रिचर्ड की जीभ अपनी चूत के होंठों के बीच महसूस करके जोर से सिसकते हुए चूतड़ों को उसकी जीभ पर उछालने लगी।
 
रिचई ने अपनी जीभ को कड़ा करते हुए धन्नो की चूत के छेद में घुसा दिया। रिचई की जीभ अपनी चूत में घुसते ही धन्नो जोर से “आअहहह... इसस्स..” करने लगी। रिचर्ड की जीभ बहुत लंबी थी वो अपनी जीभ को धन्नो की चूत में तेजी के साथ अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा।

धन्नो- “आअह्ह्ह... ओहह.. आह्ह्ह...” आपकी जीभ बहुत लंबी है, बहुत मजा आ रहा है इसे जोर से अंदर-बाहर करो..” धन्नो उत्तेजना के मारे पागल होकर सिसकते हुए बोली।

धन्नो को रिचर्ड की जीभ लण्ड जितना ही मजा दे रही थी। उसका पूरा जिम गरम होकर कांप रहा था और वो मजे से अपने चूतड़ उठा-उठाकर रिचर्ड की जीभ अपनी चूत में ले रही थी। धन्नो का जिश्म अचानक बहुत जोर से काँपने लगा और उसकी चूत बहुत जोर के झटके खाते हुए पानी छोड़ने लगी- “आअह्ह्ह... ओफफ्फ़...” करके झड़ते हुए धन्नो के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकलने लगी और उसने अपने हाथों से रिचर्ड के सिर को पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया।

धन्नो कुछ देर तक अपनी आँखें बंद करके झड़ने का मजा लेने लगी। रिचई धन्नो की चूत से निकलता हुआ पानी चाटने लगा। रिचर्ड का पूरा मुँह धन्नो की चूत के निकले हुए पानी से भीग चुका था। धन्नो ने जब अपनी
आँखें खोली तो रिचर्ड के चहरे को देखकर उसे हँसी आ गई।

रिचर्ड ने धन्नो की बेड पर पड़ी हुई साड़ी को उठाकर अपना मुँह साफ कर लिया और अपने अंडरवेर में हाथ डालकर उसे उतार दिया। रिचर्ड का अंडरवेर उतरते ही धन्नों का पूरा जिश्म डर और उत्तेजना के मारे काँपने लगा। रिचर्ड का अंडरवेर उतरते ही उसके जिम की तरह उसका काला लण्ड जो तनकर पूरा 9" इंच लंबा और फूलकर 3 इंच मोटा हो चुका था धन्नो की आँखों के सामने स्प्रिंग की तरह उछलने लगा।

रिचर्ड अंडरवेर उतारने के बाद सीधा लेटते हुए बोला- “जानेमन आओ इसको अपने मुँह में लेकर प्यार करो...”

धन्नो- “नहीं मुझे घिन आती है, मैं यह सब नहीं कर सकती...” धन्नो को रिचर्ड का लण्ड देखने से ही डरावना लग रहा था, मुँह में लेने की बात से उसने इनकार करते हुए कहा।

रिचर्ड- “साली अपनी चूत तो बहुत मजे के साथ मुझसे चुसवा रही थी और जब मेरी बारी आई तो इनकार करती हो..” रिचर्ड ने गुस्से से धन्नो की तरफ देखते हुए कहा।।

धन्नो रिचई को गुस्से में देखकर डर गई और डरते-डरते अपना हाथ आगे बढ़ाकर रिचई का लण्ड अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाने लगी, क्योंकी वो किसी भी कीमत पर आज ही यहाँ से पीछा छुड़ाना चाहती थी।

रिचर्ड- “आअह्ह्ह... स्वीट गर्ल यह हुई ना बात...” धन्नो का नरम हाथ अपने लण्ड पर पड़ते ही रिचर्ड सिसकते हुए बोला।

रिचई का लण्ड इतना मोटा था की धन्नो के एक हाथ में नहीं समा पा रहा था। इसलिए धन्नो अपने दोनों हाथों से उसे पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। रिचर्ड का लण्ड धन्नो के हाथों से सहलाने से भयानक होता जा रहा था।


रिचई- “ओह्ह... इसे अपनी जीभ से चाटो बहुत मजा आ रहा है...” रिचई ने सिसकते हुए धन्नो से कहा।

धन्नो ने अपनी जीभ निकाली और रिचर्ड के मोटे काले सुपाड़े पर फिराने लगी।

रिचर्ड- “ओईए पूरे लण्ड को ऐसे ही चाटो...” रिचर्ड ने अपने लण्ड पर धन्नो की जीभ पड़ते ही सिसकते हुए कहा।

धन्नो को रिचई के लण्ड का स्वाद बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था, मगर वो मजबूर थी। धन्नो अपनी जीभ को रिचर्ड के लण्ड पर टोपे से लेकर जड़ तक फिराने लगी।

रिचर्ड- “आअह्ह... ऐसे ही चाटो...” रिचई धन्नो की जीभ अपने पूरे लण्ड पर फिराने से जोर से सिसकते हुए उठकर बैठ गया और अपनी पीठ के पीछे दो तकिये रख लिए। फिर रिचर्ड ने धन्नो को बालों से पकड़ते हुए अपने लण्ड से अलग करते हुए कहा- “अपना मुँह खोलो...”

धन्नो समझ गई की रिचर्ड अपना काला मूसल उसके मुँह में डालना चाहता है। धन्नो ने जितना हो सकता था अपना मुँह खोल दिया। रिचई ने धन्नो को वैसे ही बालों से पकड़े हुए उसका मुँह अपने लण्ड के सुपाड़े पर टिका दिया और अपने हाथ से उसके सिर को अपने लण्ड पर जोर से दबा दिया। रिचर्ड के लण्ड का काला मोटा टोपा
धन्नो के मुँह को फैलाता हुए धन्नो के मुँह में चला गया।

धन्नो की आँखों से दर्द के मारे आँसू निकलने लगे, क्योंकी रिचई के मोटे लण्ड ने उसके मुँह को पूरी तरह फैला रखा था। रिचर्ड अब धन्नो के सिर को अपने दोनों हाथों से पकड़कर अपने लण्ड पर धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा। रिचर्ड ने कुछ देर ऐसा करने के बाद अपना लण्ड धन्नो के मुँह से निकाल दिया, क्योंकी धन्नो के आँसू देखकर उसे उसपर रहम आ गया।

रिचर्ड का लण्ड अपने मुँह से निकलते ही धन्नो बहुत जोर से खांसने लगी। रिचर्ड ने धन्नो को सीधा लेटाते हुए उसकी टाँगों को घुटनों तक मोड़ते हुए उसके चूतड़ों के नीचे दो तकिये रख दिए। अब धन्नो की चूत का छेद । बिल्कुल खुलकर रिचर्ड के सामने थी। रिचर्ड अपने लण्ड को धन्नो की चूत पर रगड़ने लगा। रिचर्ड के ऐसा करने से धन्नो के मुँह से सिसकियां निकलने लगी और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे पानी निकलने लगा।


रिचर्ड ने अपने लण्ड को धन्नो की चूत से निकलते हुए पानी से गीला करते हुए उसके छेद पर टिका दिया। रिचर्ड ने धन्नो को टाँगों से पकड़ते हुए अपने सारे जिश्म का दबाव धन्नो की चूत पर डाल दिया।
 
धन्नो- “आह्ह्ह... ओह... ओईए प्लीज... आराम से डालो आपका बहुत मोटा है...” रिचर्ड के लण्ड का सुपाड़ा धन्नो की चूत में अपनी जगह बनता हुआ घुस चुका था जिस वजह से धन्नो हल्का चीखते हुए रिचर्ड से बोली।
रिचर्ड अपने लण्ड के सुपाड़े को ही धन्नो की चूत में फँसाए हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा।

धन्नो- “आअह्ह्ह... ऐसे ही आराम से...” रिचर्ड के हल्के धक्कों से धन्नो को बहुत मजा आने लगा, जिस वजह से वो सिसकते हुए बोली। धन्नो की चूत से उत्तेजना के मारे बहुत ज्यादा पानी निकल रहा था।


रिचई ने धन्नो को बहुत ज्यादा गरम देखकर उसकी टाँगों को पकड़कर एक करारा धक्का मार दिया।

धन्नो- “ओईई माँ आह्ह्ह... फट गई...” रिचई का आधा लण्ड धन्नो की चूत को चीरता हुआ अंदर घुस चुका था, जिस वजह से धन्नो छटपटा रही थी। धन्नो ने वैसे तो अपनी चूत में बहुत लण्ड लिए थे, मगर रिचर्ड का लण्ड बहुत मोटा होने के कारण उसको तकलीफ हो रही थी।

रिचर्ड अपने आधे लण्ड से ही धन्नो की चूत में हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। धन्नो की चूत गीली होने के
कारण थोड़ी देर में ही उसके मुँह से कामुक सिसकियां निकलने लगी। रिचर्ड अब अपने लण्ड को बहुत जोर-जोर से धन्नो की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। धन्नों का पूरा जिश्म भी शानदार मजे के अहसास के साथ झूम रहा था। धन्नो मजे से हवा में उड़ते हुए जन्नत की सैर कर रही थी।

रिचर्ड अपने लण्ड को हर धक्के के साथ धन्नो की चूत में और ज्यादा जोर लगाकर डाल रहा था जिस वजह से उसका लण्ड 7 इंच तक धन्नो की चूत में घुस चुका था। रिचर्ड का लण्ड अब और अंदर नहीं जा पा रहा था। रिचर्ड ने धन्नो को उसकी टाँगों से पकड़ते हुए बहुत जोर से उसकी चूत में धक्के मारते हुए अपना लण्ड जड़ तक घुसा दिया।

धन्नो- “ओईई... आअह्ह्ह... मार डाला आहह्ह... मेरी चूत फट गई निकालो...” धन्नो रिचर्ड का पूरा लण्ड घुसते ही बहुत जोर से छटपटाने लगी।

रिचर्ड ने अपना पूरा वजन बहुत जोर से धन्नो पर डालकर उसे जकड़ लिया ताकी उसकी चूत से लण्ड ना निकले, और धन्नो के ऊपर झुकते हुये कहा- “कम ओन बेबी बस अब पूरा घुस गया शांत हो जाओ..”

धन्नो को अपनी चूत में बहुत दर्द हो रहा था जिस वजह से उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे। रिचर्ड ने धन्नो के ऊपर झुकते हुए उसकी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और बहुत जोर-जोर से चूसते हुए अपने हाथ से उसकी दूसरी चूची को सहलाने लगा। रिचर्ड ने जैसे ही धन्नो की चूची को अपने मुँह में लिया उसे अपने पूरे जिम में सिहरन होने लगी और उसकी चूत का दर्द कुछ कम हो गया।

रिचर्ड कुछ देर तक यूँ ही धन्नो की दोनों चूचियों को एक-एक करके चूसता रहा। धन्नो की चूत का दर्द अब बिल्कुल कम हो चुका था और अब वो गरम होकर अपने चूतड़ों को हिलाने लगी। रिचर्ड भी धन्नो की चूचियों को छोड़ते हुए सीधा हो गया और धन्नो के चूतड़ों के नीचे से तकिये निकाल दिए। रिचर्ड ने तकिया निकालने के बाद धन्नो को टाँगों से पकड़ते हुये अपना लण्ड हल्के धक्कों के साथ उसकी चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

रिचर्ड का लण्ड अपनी चूत में बहुत अंदर तक रगड़ खाता हुआ महसूस करके धन्नो मजे से बहुत जोर-जोर से
आअह्ह्ह... इस्स्स्स ...” करके सिसकने लगी।

धन्नो को अपने पूरे शरीर में बहुत जोर की सिहरन हो रही थी, और रिचर्ड के लण्ड से उसे इतना मजा आ रहा था की अब वो अपने चूतड़ों को बहुत जोर-जोर से उसके लण्ड पर उछालने लगी और उसकी चूत उत्तेजना के मारे बहुत ज्यादा गीली हो चुकी थी। रिचर्ड अपने लण्ड को अब बहुत तेजी के साथ धन्नो की चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। वो अपना लण्ड टोपे तक खींचकर फिर बहुत जोर से धन्नो की चूत में जड़ तक घुसा रहा था। रिचर्ड के हर धक्के के साथ धन्नों का पूरा जिम मजे के अहसास से कांप उठता और उसके मुँह से जोर की सिसकियां निकालने लगती।

रिचई का लण्ड इतना मोटा और लंबा था की धन्नो की चूत में अंदर-बाहर होते हुए उसकी चूत में बहुत गहराई तक जोर की रगड़ दे रहा था, जिस वजह से धन्नो का पूरा शरीर एक अनोखे मजे से हवा में उड़ रहा था। धन्नो झड़ने के बिल्कुल करीब थी। उसने मजे से अपनी टाँगों को रिचर्ड की कमर में फंसा दिया। धन्नो के ऐसा करने । से रिचर्ड का लण्ड अब और ज्यादा तेजी और ताकत के साथ उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था।
 
धन्नो का पूरा जिश्म एसी के होते हुए पशीने में भीग चुका था। वो रिचर्ड का लण्ड अपनी चूत से निकलते ही। अपनी टाँगों से उसकी कमर को वापस अपनी चूत की तरफ धक्का देते हुए अपने चूतड़ों को बहुत जोर से उसके लण्ड पर दबा रही थी। ऐसा करते हुए धन्नो के मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।

धन्नो- “आअह्हह.. मैं झड़ने वाली हूँ बहुत जोर से धक्के मारो आह्ह्ह... हाँ ऐसे ही ओईए..” धन्नो का पूरा जिम यह कहते हुए झटके खाने लगा और उसकी चूत से पानी की नदियां बहने लगी।

रिचर्ड धन्नो को झड़ता हुआ देखकर उसकी चूत में बहुत जोर से अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा और धन्नो
मजे से अपनी आँखें बंद करके रिचर्ड के लण्ड को बहुत मजे से अपनी चूत में अंदर-बाहर होते हुए महसूस करने लगी।

रिचर्ड- “मेडम मजा आया... कैसा महसूस कर रही हो?” धन्नो ने जैसे ही झड़ने के बाद अपनी आँखें खोली रिचर्ड
ने उसकी टाँगों को पकड़कर मोड़ते हुए उसके ऊपर झुककर उसके गुलाबी होंठों को चूमते हुए कहा।

धन्नो को जैसे होश ही नहीं था। धन्नो ने रिचई के होंठ चूमने से होश में आते हुए अपने चूतड़ों को रिचर्ड के लण्ड पर उछालकर कहा- “सर आज मुझे जितना मजा आया मैं लफ़्ज़ों में नहीं बता सकती...”

रिचई धन्नो की बात सुनकर फिर से उसके होंठों को चूमते हुए अपने लण्ड को उसकी चूत में बहुत जो-जोर से
अंदर-बाहर करने लगा। धन्नो को इतना ज्यादा मजा आ रहा था की उसने अपनी जीभ निकालकर रिचर्ड के मुँह में डाल दी, जिसे वो अपने होंठों से चूसते हुए धन्नो की चूत में अपना लण्ड अंदर-बाहर करने लगा।

धन्नों ने अपने हाथ रिचई के बालों में डाल दिए और अपनी जीभ को उसके मुँह से निकालते हुए रिचर्ड की जीभ को पकड़कर चाटने लगी। धन्नो की इस हरकत से रिचर्ड को इतना मजा आया की वो अपने हाथों से धन्नो की चूचियों को जोर से पकड़कर दबाने लगा। रिचर्ड अचानक अपने लण्ड को धन्नो की चूत से निकालकर उसके ऊपर से उठते हुए उसके साइड में सीधा लेट गया।

धन्नो की चूत से लण्ड निकलते वक्त पक्क की आवाज आई क्योंकी रिचर्ड का मोटा लण्ड धन्नो की चूत को बहुत जोर से फैलाए हुए था। धन्नो को रिचर्ड के मोटे और लंबे लण्ड से चुदवाते हुए इतना मजा आ रहा था की वो पहले तो उसकी इस हरकत से हैरान रह गई, मगर फिर वो समझ गई की रिचई उसे अपने ऊपर लेना। चाहता है। धन्नो ने जल्दी से उठते हुए अपनी दोनों टाँगें फैला दी और रिचर्ड के लण्ड को अपने हाथ से पकड़ते हुए अपनी चूत के छेद पर रखते हुए उसपर अपना पूरा वजन डाल दिया।

धन्नो के वजन डालते ही रिचर्ड का पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस गया जिस वजह से उसके मुँह से मजे के मारे
आअह्ह...” की सिसकी निकल गई।

धन्नो रिचर्ड के लण्ड पर बहुत जोर से उछलने लगी। धन्नो का पूरा शरीर रिचर्ड का लण्ड अंदर-बाहर होने से मजे के अहसास से टूट रहा था। रिचर्ड ने धन्नो की कमर में हाथ डालते हुए उसे अपने ऊपर झुका लिया। रिचर्ड धन्नो की चूचियों को अपने हाथों से मसलते हुए उन्हें चाटने लगा और नीचे से अपने लण्ड को बहुत जोर-जोर से धन्नो की चूत में अंदर-बाहर करने लगा।

धन्नो को इतना मजा आ रहा था की वो दूसरी बार झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी। धन्नो को अपने पूरे शरीर में अजीब मजे की सनसनाहट हो रही थी। धन्नो अपनी चूची को रिचर्ड के मुँह से निकालते हुए सीधी हो गई। और रिचई के लण्ड पर बहुत तेजी के साथ उछलने लगी। धन्नो दूसरी बार झड़ने के बिल्कुल करीब थी इसलिए वो रिचर्ड के लण्ड को अपनी चूत से टोपे तक खींचकर फिर एकदम से उसपर धप्प के साथ बैठ रही थी, जिस वजह से रिचई का लण्ड जड़ तक घुसने से उसके मुँह से बहुत जोर की सिसकियां निकल रही थी।

धन्नों का पूरा जिश्म पशीने से भीग चुका था। धन्नो जैसे-जैसे झड़ने के करीब आ रही थी वैसे-वैसे वो रिचर्ड के लण्ड पर बहुत तेजी के साथ ऊपर-नीचे हो रही थी। धन्नो की गुलाबी चूचियों से पशीने का पानी टपक रहा था और उसके ऊपर-नीचे होते हुए उसकी चूचियां बहुत जोर से हिल रही थी। अचानक धन्नो का जिम काँपने लगा और वो बहुत जोर से हाँफते हुए तेजी के साथ रिचर्ड के लण्ड पर उछालने लगी।

धन्नो- “आअहह्ह... मैं झड़ी आह्ह्ह...” कहते हुए धन्नो की चूत रिचर्ड के लण्ड पर पानी छोड़ने लगी।

धन्नो की आँखें झड़ते हुए बंद हो गई और उसकी चूत से पानी निकलने के कारण रिचई के लण्ड पर ऊपर-नीचे होने से ठप -प की आवाजें निकलने लगी। धन्नो कुछ देर तक रिचर्ड के लण्ड पर उछलने के बाद उसके ऊपर ढेर हो गई।

धन्नो दो बार झड़ चुकी थी पर रिचर्ड अभी तक नहीं झड़ा था। धन्नो के अपने ऊपर ढेर होते ही रिचर्ड ने उसके गुलाबी होंठों को चूमते हुए अपने ऊपर से उठाते हुए उल्टा लेटा दिया। धन्नो दो बार झड़ने के बाद बिल्कुल थक चुकी थी। रिचर्ड ने धन्नो को उल्टा करते ही उसकी गाण्ड के गोरे छेद को निहारते हुए अपनी जीभ को निकालकर उसपर फिराने लगा।
 
धन्नो- “आअह्ह्ह... इस्स्स्स ... क्या कर रहे हो?” धन्नो जो दो बार झड़ने के बाद बिल्कुल शांत पड़ी थी रिचर्ड की जीभ अपनी गाण्ड पर लगते ही जोर से काँपते हुए बोली।

रिचर्ड की जीभ अपनी गाण्ड पर लगते ही धन्नो के पूरे शरीर में अजीब किस्म की गुदगुदी होने लगी। रिचर्ड ने कुछ देर तक धन्नों की भूरी गाण्ड को चाटने के बाद अपनी एक उंगली को धन्नो की चूत से निकलते हुए पानी से गीला करके उसकी गाण्ड में डाल दी और बहुत जोर से अंदर-बाहर करने लगा।



धन्नो- “ओईए... क्या कर रहे हो, मुझे वहाँ पर मत करो...” रिचर्ड की उंगली अपनी गाण्ड में घुसते ही धन्नो ने जोर से सिसकते हुए कहा।।

रिचर्ड ने धन्नो की बात पर कोई ध्यान ना देते हुए अपनी एक उंगली को निकालकर अब अपनी दो उंगलियां उसकी गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा।

धन्नो- “आह्ह्ह... नहीं मैं आपको यहाँ नहीं करने देंगी प्लीज... मुझे छोड़ दो...” रिचई की दो उंगलियां अपनी गाण्ड में घुसते ही धन्नो समझ गई की वो उसकी गाण्ड मारना चाहता है।

रिचर्ड- “डार्लिंग कुछ नहीं होगा तुमको वैसा ही मजा आएगा जैसा कुछ देर पहले आ रहा था...” रिचर्ड ने अपनी दोनों उंगलियां यूँ ही धन्नो की गाण्ड में अंदर-बाहर करते हुए उसे समझाते हुए कहा।

धन्नो- “नहीं सर, मुझे छोड़ दीजिये। आपका बहुत मोटा और बड़ा है। मैं इसे अपनी गाण्ड में बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी...” धन्नो ने डर के मारे अपने आपको रिचर्ड पर सीधा करते हुए कहा।

रिचर्ड- “डार्लिंग, तुम खामखाह डर रही हो कुछ नहीं होगा..” रिचर्ड ने धन्नो को मजबूती से पकड़ रखा था, इसलिए वो सीधी ना हो सकी।

रिचर्ड ने अपनी दोनों उंगलियां धन्नो की गाण्ड से निकालते हुए अपना लण्ड उसकी गाण्ड पर टिका दिया। धन्नो
का पूरा जिश्म डर से काँपने लगा। धन्नो को लग रहा था की आज उसकी खैर नहीं। अगर रिचर्ड ने अपना मूसल लण्ड उसकी गाण्ड में घुसाया तो वो आज जिंदा नहीं बचेगी। रिचर्ड धन्नो की गाण्ड पर अपने लण्ड का दबाओ डालने वाला ही था की धन्नो ने बहुत जोर लगाकर रिचर्ड को अपने ऊपर से हटा दिया और बेड से उठते हुए वहाँ पर एक प्लेट में फलों के साथ पड़ा हुआ चाकू उठा लिया।

रिचर्ड- “अरे मेडम आप तो खफा हो गई। चलो मैं आपकी गाण्ड नहीं मारता, पर यह चाकू मुझे दे दो...” रिचर्ड ने धन्नो के हाथ में चाकू देखकर घबराते हुए कहा।

धन्नो- “नहीं चुपचाप जाकर बेड पर बैठ जाओ वरना मैं तुम्हें चाकू मार देंगी...” धन्नो ने गुस्से से कहा।

रिचई धन्नो की बात सुनकर इर गया और जाकर बेड पर बैठ गया। धन्नो रिचर्ड के बेड पर बैठते ही अपने
कपड़े पहनने लगी और कपड़े पहनकर उस कमरे से निकल गई। धन्नो कमरे से निकलकर सीधा ईशांत के पास
आ गई।

ईशांत- “तुम कौन हो और वो लड़की कहाँ है?” ईशांत ने धन्नो को बिना नकाब के देखकर घबराते हुए कहा।

धन्नो- “मैं उसकी बहन हूँ और मैं ही उस कुत्ते के कमरे में गई थी, अपनी खैरियत चाहते हो तो सारे सबूत मेरे हवाले कर दो...” धन्नो ने अपनी पीठ के पीछे छुपाया हुआ चाकू ईशांत को दिखाते हुए कहा।

ईशांत- “तुमने उसे तो कुछ नहीं किया?” ईशांत ने हकलाते हुए कहा।

धन्नो- “नहीं वो सही सलामत कमरे में है जल्दी से मुझे सबूत दे दो...” धन्नो ने ईशांत को जवाब देते हुए कहा।

ईशांत- “देख लड़की तुम मुझे मारकर यहाँ से जिंदा नहीं जा सकती। यह चाकू मुझे दे दो...” ईशांत ने धन्नो को धमकी देते हुए कहा।।

धन्नो- “हाँ मैं जानती हूँ मगर मैं तुम्हें कहाँ मार रही हूँ? मैं अभी अपने जिस्म पर घाव बनाती हूँ और पोलिस स्टेशन जाकर कहती हूँ की आपने मुझे ब्लैकमेल करके यहाँ बुलाया और उस काले भूत के साथ रात रहने पर। मजबूर किया और उसने मुझसे संभोग करते हुए मुझपे टार्चर किया...” धन्नो ने चाकू का रुख अपनी तरफ करते हुए कहा।

ईशांत- “नहीं तुम ऐसा नहीं कर सकती, तुम मुझे डरा रही हो..." ईशांत ने मुश्कुराते हुए कहा।

धन्नो- “मैं जानती थी तुम यही कहोगे, अब देखो मैं क्या कर सकती हूँ...” धन्नो ने उस चाकू की नोक से अपने एक बाजू को थोड़ा चीर दिया। धन्नो के ऐसा करने से उसकी बाजू से खून निकालने लगा।

ईशांत- “लड़की तुम पागल हो गई हो, अपने बाजू पर अपना दुपट्टा बांधो... धन्नों के बाजू से खून बहता हुआ देखकर ईशांत ने घबराते हुए कहा।।

धन्नो- “पहले सारे सबूत दो..” धन्नो ने ईशांत की तरफ देखते हुए कहा।

ईशांत- “हाँ मेरे साथ आओ अभी देता हूँ...” ईशांत ने वैसे ही घबराते हुए कहा।

धन्नो ईशांत की बात सुनकर अपने जख़्म पर अपनी साड़ी से थोड़ा कपड़ा फाड़कर बाँध दिया और ईशांत के साथ जाने लगी।

ईशांत धन्नो को उसी कमरे में ले आया जहाँ से वो सारे कमरों की रकार्डिंग करता था। ईशांत ने वहाँ से एक कैसेट उठाकर धन्नो को दे दी और वहाँ पर एक टेबल से एक लिफाफा उठाकर धन्नो की तरफ बढ़ा दिया, जिसमें सारे फोटोस और निगेटिवस थीं।

धन्नो- “देखो मैं यह लेकर जा रही हैं। मगर आज के बाद तुमने मेरी दीदी को परेशान करने की कोशिश की तो मैं तुम्हारी सारी पोल पोलिस के सामने खोल दूंगी की कैसे तुम भोली भाली लड़कियों को फँसाते हो?” धन्नो ने वो निगेटिवस और कैसेट उठाकर जाते हुए कहा।
 
धन्नो के जाने बाद ईशांत ने सुख की साँस ली। वो जल्दी से रिचर्ड के कमरे की तरफ भागा। रिचर्ड का कमरा बाहर से बंद था जिसे खोलकर वो अंदर दाखिल हो गया। ईशांत ने रिचई के कमरे में दाखिल होते हुए कहा
सर आप ठीक तो हैं..” ।

रिचर्ड- “हाँ मैं ठीक हूँ। मगर वो लड़की कौन थी?” रिचर्ड ने ईशांत से पूछा।

ईशांत- “आई आम वेरी सारी सर... मैं अभी किसी दूसरी लड़की का बंदोबस्त करता हूँ..." ईशांत ने रिचर्ड से माफी माँगते हुए कहा और जल्दी से रिचर्ड के कमरे से निकलकर अपने मोबाइल से एक कालगर्ल का नंबर डायल करते हुए उसे फौरन होटेल में आने के लिए कहा।

लड़की- “किस कमरे में जाना है?” रिचर्ड अपने खयालों में ही बैठा था की वो लड़की आ गई जिसे उसने अभी फोन किया था।

ईशांत- “देखो लड़की आज जिस कमरे में तुम जा रही हो वो हमारे बाहरी मुल्क का महमान है उसका खास खयाल रखना...” ईशांत ने उस लड़की को कमरे का नंबर बताते हुए कहा।

वो लड़की ईशांत की बात सुनकर उसके बताए हुए कमरे की तरफ जाने लगी। ईशांत उस लड़की के जाते ही धन्नो के बारे में सोचने लगा और ठंडी साँस लेते हुए मन ही मन में बोला- “चलो जान छूटी उस बला से...”

धन्नो होटेल से निकलकर बाहर आ गई और इधर-उधर देखते हुए रिक्शा या किसी टैक्सी का इंतजार करने लगी। उस वक़्त रात का 1:00 बज चुका था, सारा रास्ता वीरान था। अचानक एक बहुत बड़ी कार धन्नो के सामने आकर रुक गई और उसका शीशा नीचे होने लगा।

चलोगी हमारे साथ?” शीशे के नीचे होते ही उस कार को चलाने वाला एक खूबसूरत कोई 28 साल का शख्स जो शराब के नशे में था धन्नो को ऊपर से नीचे तक घूरते हुए बोला।

धन्नो- “हम धंधे वाली नहीं हैं...” धन्नो समझ गई की इतनी रात को सड़क पर अकेला पाकर वो शख्स उसे धंधे वाली समझ रहा है।

आई आम सारी। पर इतनी रात को आप यहां पर क्या कर रही हैं?” उस शख्स ने हैरानी से धन्नो की तरफ देखते हुए कहा।

धन्नो- “जी वो हम किसी दूसरी शहर से आए हैं। बस स्टैंड पर हमें कोई सवारी नहीं मिल रही थी तो एक शख्स यहाँ आ रहा था, उसके साथ हम यहाँ तक आ गये..." धन्नो ने बड़ी सफाई से झूठ बोलते हुए कहा।

“आओ बैठो। हम आपको घर तक छोड़ देते हैं...” उस शख्स ने धन्नो को घूरते हुए कहा।

धन्नो- “जी आपके साथ?” धन्नो को डर लग रहा था की कहीं वो किसी और मुशीबत में ना पड़ जाए।

“अरे डरो मत हम शराब डेली पीते हैं। मगर हमारा असूल है की लड़की अगर हाँ करे तो छोड़ना नहीं और अगर ना करे तो हाथ लगाना नहीं। वैसे भी इतनी रात को आपको कोई सवारी नहीं मिलेगी...” उस लड़के ने धन्नो को सफाई देते हुए कहा।

धन्नो ने सोचा- “सही तो कह रहा है, इतनी रात को सवारी कहाँ से मिलेगी?” और वो जल्दी से जाकर उस लड़के के साथ आगे की सीट पर बैठ गई।

विशाल नाम है मेरा.." धन्नो के बैठते ही उस लड़के ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा।

धन्नो- “जी हमारा नाम धन्नो है...” धन्नो ने डरते हुए उस लड़के से हाथ मिला दिया।

विशाल ने धन्नो से हाथ मिलाने के बाद गाड़ी को चलाना शुरू कर दिया- “आप कहां रहती हो?” विशाल ने गाड़ी
को चलाते हुए पूछा।

धन्नो ने विशाल को अपना ऐड्रेस बता दिया, और कहा- “विशाल आप इतनी रात को यहाँ क्या कर रहे थे, और
आप क्या करते हो?” धन्नो ने उस लड़के से पूछा।

विशाल- “आजकल सुकून तलाश कर रहा हूँ..." धन्नो की बात सुनकर विशाल गहरी सोच में चला गया और फिर हँसते हुए बोला।

धन्नो ने विशाल की तरफ देखते हुए कहा- “आप मुझे अच्छे खानदान के लगते हैं। फिर आप यह शराब और अपनी ऐसी हालत क्यों बन रखी है?”

विशाल- “नशीब की बात है मेडम... जिसे हमने चाहा उसी ने किसी और को चाहा और कुदरत को देखो जिसे उसने चाहा उसने किसी और को चाहा और वो अपने प्यार का गम बर्दाश्त ना कर सकी और खुदकशी कर ली...” विशाल ने ठंडी आह भरते हुए कहा।

धन्नो- “आई आम सारी... हमने आपसे यह सब कुछ पूछकर आपको तकलीफ पहुँचाई...” धन्नो ने विशाल की बात सुनते ही हैरान होते हुए कहा।।

विशाल- “नहीं मेडम, कोई बात नहीं। गम बाँटने से हल्का होता है बढ़ता नहीं, और वैसे भी अब सारी जिंदगी बस उनकी याद में ही गुजारनी है..” विशाल ने फिर से ठंडी आह्ह्ह... भरते हुए कहा। उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।

धन्नो- “विशाल एक बात कहूँ बुरा मत मानना..." धन्नो ने विशाल से कहा।

विशाल- “हाँ पूछो आपसे क्या बुरा मानना?” विशाल ने धन्नो से कहा।

धन्नो- “जब उसने आपको अपना माना ही नहीं तो फिर आप उसके पीछे अपनी जिंदगी को क्यों बर्बाद कर रहे हो?” धन्नो ने विशाल के गम को देखकर उससे सलाह देते हुए कहा।
 
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