बॉब्बी का लंड अभी भी बहुत कड़ा था और उसकी मम्मी के मुख के आगे फडफडा रहा था. दिव्या ने जब कल्पना की कि उसके बेटे का विकराल, मोटा, चूत खुश कर देने वाला लौडा, उसकी चूत में गहराई तक घुस कर, अंदर बाहर होते हुए, कैसे उसकी चूत की खुदाई करेगा तो उसने अपनी चूत में ऐंठन महसूस की.
"वेल! मुझे उम्मीद है बेटा कि अब तुम पूरी तरह से संतुष्ट हो गये होगे" दिव्या हान्फते हुए बोलती है. "तुम वास्तव में मम्मी से अपना विशाल लंड चुसवाने में कामयाब हो गये. मेरा अनुमान है अब तुम अपनी मम्मी के साथ और गंदे काम करने की तम्मनाए भी कर रहे होगे'
बॉब्बी दाँत निकालते हुए हां में सिर हिलाता है. दिव्या अपने पावं पे खड़ी होती है. उसके हाथ अपनी शर्ट के बटनों को बेढंग तरीके से टटोलते हैं क्योंकि उसकी आँखे तो अपने बेटे के विशालकाय लंड पे जमी हुई थी वो चाह कर भी उससे नज़रें नही हटा पा रही थी.
"तो फिर मेरे ख़याल से अच्छा होगा अगर तुम अपने बाकी के कपड़े भी उतार दो. बॉब्बी अब जब हम ने सुरुआत कर ही ली है तो यही अच्छा होगा कि तुम्हारे दिमाग़ से यह घृणित हसरतें हमेशा हमेशा के लिए निकाल दी जाएँ.
बॉब्बी बेशर्मी से हंसता है और अपने शूस उतार कर, अपनी पैंट भी उतार देता है जो उसके घुटनो में इतनी देर से फँसी हुई थी. अब उसके जिस्म पर केवल एक कमीज़ बची थी. उसकी नज़र में मम्मी की जोरदार ठुकाई करने के लिए उसे अपनी कमीज़ उतारने की कोई ज़रूरत नही थी, एसी ठुकाई जिसकी शायद उसकी मम्मी तलबगार थी. वो नीचे फर्श पर बैठ जाता है और अपनी मम्मी को कपड़े उतारते हुए देखता है. दिव्या के गाल शरम से लाल हो जाते हैं जब वो अपनी कमीज़ उतार कर उपने उन मोटे मोटे गोल मटोल मम्मों को नंगा कर देती है. वो मम्मे जिन पर उसे हमेशा गुमान था और हो भी क्यों ना, इस उमर में भी उसके मम्मे किसी नवयुवती की तरह पूरे कसावट लिए हुए थे. पूरी तरह तने हुए मम्मे जो बाहर से जितने मुलायम और कोमल महसूस होते थे दबाकर मसलने पर उतने ही कठोर लगते थे. दूधिया रंगत लिए हुए मम्मों का शृंगार थे गहरे लाल रंग के चुचक जो इस वक़्त तन कर पूरी तरह से उभरे हुए थे. मम्मी की पतली और नाज़ुक कमर के उपर झूलते हुए वो विशालकाय मम्मे किसी अखंड ब्रह्मचारी का ब्रह्म्चर्य भंग करने के लिए काफ़ी थे.
"तुम्हारे चेहरे के हावभाव को देखकर लगता है तुम्हे अपनी मम्मी के मोटे मम्मे भा गये हैं, बॉब्बी मैं सच कह रही हूँ ना? दिव्या बेशरमी से अपने बेटे को छेड़ती है. उसके हाथ अपनी पतली कमर पे थिरकते हुए उपर की ओर बढ़ते हैं और वो अपने विशाल, गद्देदार मम्मों को हाथों में क़ैद करते हुए उन्हे कामुकतापूर्वक मसल्ति है. दिव्या अपने पावं को हिलाते हुए अपनी उँची ऐडी की सॅंडेल्ज़ निकाल देती है. फिर उसकी जीन्स का नंबर आता है. काम-लोलुप मम्मी अपने काँपते हाथों से जीन्स का बटन खोलती है और फिर उसे भी अपने जिस्म से अलग कर देती है. एक काले रंग की कच्छि के अलावा पूरी नग्न माँ अपने बेटे के पास बेड पर बैठ जाती है
"बॉब्बी आगे बढ़ो, अब तुम अपनी मम्मी के मम्मों को चूस सकते हो. मेरा अनुमान है तुम मूठ मारते हुए इन्हे चूसने की कल्पना ज़रूर करते होगे."
अपनी मम्मी की बात के जवाब में बॉब्बी सहमति के अंदाज़ में सिर हिलाता है. फिर वो अपनी मम्मी के सामने घुटनो के बल होते हुए उसके विशाल और कड़े मम्मों को हाथों में भर लेता है. चुचकों पर अंगूठे रगड़ते हुए वो किसी भूखे की तरह उन जबरदस्त मम्मों को निचोड़ने और गुंथने लग जाता है. मम्मों के मसलवाने का आनंद सीधा दिव्या की चूत पर असर करता है और उसके जिस्म मे एक कंपकपि सी दौड़ जाती है.
"तुम _ तुम चाहो तो उनको चूस सकते हो, अगर तुम्हारा मन करता है तो..." दिव्या काँपते हुए लहज़े मे बोलती है.
बॉब्बी अपनी मम्मी के जिस्म पर पसरते हुए मुँह खोल कर एक तने हुए चुचक को अपने होंठो मे भर लेता है. कामुकतापूर्वक वो अपने गालों को सिकोडता हुआ अपनी मम्मी के विशाल मम्मे को सडॅक सुड़ाक कर चूस्ता है. ठीक उसी प्रकार जैसे कभी वो बचपन में मम्मी का दूध पीते हुए करता था. दिव्या ऋण ऋण करती है., उसकी चूत की प्यास हर बीतते पल के साथ बढ़ती जा रही थी. वो अपने प्यारे बेटे के सिर को कोमलता से सहलाते हुए उसे अपने मम्मे चूसने के लिए उकसाती है जो उसके बेटे को पसंद भी था.
"तुम _ तुम मेरी चूत को अब छू सकते हो." दिव्या फुसफुसाते हुए बोलती है. "मेरा ख़याल है तुम वो भी ज़रूर करना चाहते हो"
बॉब्बी अपना हाथ नीचे सरकाता हुआ अपनी मम्मी जाँघो के दरम्यान ले जाता है और अपनी उंगली उसकी चूत पर कच्छि के उपर से दबाता है. वो अचानक मम्मे को चूसना बंद कर देता है, चेहरे पर विजयी भाव लिए हुए वो उसकी आँखो में झाँकता है.
"हाए मम्मी! तुम्हारी चूत तो एकदम गीली हो गयी है"
दिव्या लज्ज्जातरन हो जाती है. वो यह तो जानती थी कि उसकी फुददी गीली है, मगर यह नही जानती थी कि इतनी गीली है कि उसकी जांघे भीतर से, उसकी चूत से रिसने वाले तैल के कारण पूरी तरह चिकनी हो गयी थी और सामने से कच्छि उसकी गीली चूत से बुरी तरह से चिपकी हुई थी. उसका बेटा कच्छि को पकड़ता है और उसे खींच कर उसके जिस्म से अलग कर देता है. अब उसकी मम्मी उसके सामने पूरी तरह से नंगी पड़ी थी. बॉब्बी माँ की जाँघो को फैलाते हुए उसकी गीली और फडफडा रही स्पन्दन्शील चूत को निहारता है.
बॉब्बी प्रत्याशित रूप से अपनी माँ की मलाईदर चूत देखकर मंत्रमुग्ध हो जाता है.
"बेटा तुम मेरी ओर इस तरह किस लिए देख रहे हो?" दिव्या हाँफती हुए बोलती है. "तुम अपने इस मूसल लंड को सीधे मेरी चूत में क्यों नही घुसेड देते? मैं जानती हूँ तुम्हारे मन की यही लालसा है भले ही मैं तुम्हारी सग़ी माँ हूँ?"
"नही मैं पहले इसे चाटना चाहता हूँ." बॉब्बी बुदबुदाता है.
बॉब्बी अपनी मम्मी की लंबी टाँगो के बीच में पसरते हुए उसकी जाँघो को उपर उठाता है ताकि उसका मुँह माँ की फूली हुई गीली और धढकती हुई चूत तक आसानी से पहुँच जाए. दिव्या को एक मिनिट के बाद जाकर कहीं समझ में आता है कि उसका अपना बेटा उसकी चूत चूसना चाहता है. और जब उसके बेटे की जिव्हा कमरस से लबालब भरी हुई उसकी चूत की सुगंधित परतों पर पहला दबाव देती है तो उसका जिस्म थर्रा उठता है. उसके रोंगटे खड़े हो जाते हैं और वो मदहोशी में अपने होन्ट काटती है.
"उंगघ! ही....बॉब्बी! तुम _ तुम ये क्या कर रहे हो बेटा? उंगघ! उंगघ!"
मगर बॉब्बी चूत चूसने में इतना व्यसत था कि उसने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया. स्पष्ट था कि उसे अपनी मम्मी की चूत का ज़ायक़ा बहुत स्वादिष्ट लगा था, अपनी जिव्हा को रस से चमक रही गुलाबी चूत में उपर नीचे करने में उसे बड़ा मज़ा आ रहा था. दिव्या ने तुरंत ही अपने मन में एक डर महसूस किया कि मालूम नही वो अपने बेटे के सामने अब कैसे वर्ताव करेगी. वो अपने बेटे द्वारा चूत चूसे जाने से पहले ही बहुत ज़यादा कामोत्तेजित थी. और जब उसके बेटे ने मात्र अपनी जिव्हा के इस्तेमाल से ही उसकी कुलबुला रही चूत को और भी गीला कर दिया था, उसकी खुजली में और भी इज़ाफ़ा कर दिया था तो आगे चलकर उसकी क्या हालत होगी? उसे यह बात सोचते हुए भी डर लग रहा था कि कहीं वो मदहोशी में अपनी सूदबुध ना खो बैठे और बेटे के सामने एक रांड़ की तरह वार्ताव ना करने लग जाए.
"नही, बेटा! तुम्हे __उंगघ__ तुम्हे मम्मी की चूत चूसने की कोई ज़रूरत नही है. उंगघ! बस अपनी मम्मी को चोद डालो, बेटा. में जानती हूँ तुम सिर्फ़ यही चाहते हो!"