hotaks444
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अजय- “आप माँ को बार-बार बीच में लाते हैं। आप माँ के सामने भी कह रहे थे की मेरे दोस्त माँ को भी । सक्करकंदा खिलाते थे या नहीं? उन दोनों की क्या मजाल की मेरी माँ की तरफ आँख उठाकर भी देख लेते? सालों के काट के हाथ में पकड़ा देता। भैया आपकी भी हद हो गई। माँ को कह दिया की उसके लिए केलों की कमी नहीं रखेंगे। भला माँ क्या सोचेगी? अच्छा बताइए, क्या आप अपने नीचे वाला केला माँ को भी खिला देंगे?"
विजय- “अरे तू नहीं जानता, माँ जैसी जवान, शौकीन और मस्त औरत की पीड़ा। पिताजी ने पिछले 15 साल से बिस्तर पकड़ रखा था। वो अपने खुद के काम खुद नहीं कर सकते थे। तो माँ को चोदना तो दूर उसे वो शायद हाथ भी ना लगाते हों। और अपनी माँ जैसी स्वाभिमानी और मान मर्यादा का खयाल रखने वाली औरत से यह उम्मीद थोड़े ही की जा सकती है की उसने गाँव में यार पाल रखे हों। कहने का मतलब पिछले 15 साल से । उसकी चूत अनचुदी है, वो चुदासी है, उसे लण्ड की जरूरत है। भाई माँ की मस्त गदराई चूत और फूली गाण्ड की सेवा के लिए मेरा लौड़ा तो हमेशा तैयार है। अरे बाबा ना ना। मैंने भी किसके सामने यह बात कह दी। तू कहीं मेरा भी काट के मेरे हाथ में ना पकड़ा दे..” ।
अजय- “मेरे हाथों आप वाले की काटने की बात। भैया सुनकर ही मेरे शरीर में तो झुरझुरी सी दौड़ गई। आप वाले गुड्डे को तो मैं अपनी तिजोरी में बंद करके ताला लगा दूंगा...”
विजय- “अब पैंट भी खोलो ना, अपनी तिजोरी के मुँह का तो दर्शन करवा। माँ को चोदने की बात करके लण्ड मूसल सा खड़ा हो गया है। अपनी मस्त माँ को चोदने की बात करके यह हाल है तो उसको पूरी नंगी करके चोदते समय क्या होगा?”
अजय खड़ा हो गया और उसने अपनी पैंट और शर्ट उतार दी। अब वो ब्रीफ और बनियान में था। कहा- “भैया कल आपने मेरा चूस के जो मजा दिया था, उस मजा को तो मैं बता नहीं सकता। वैसा मजा मुझे कल से पहले जिंदगी में कभी नहीं मिला। लण्ड चुसवाने में इतना मजा है मुझे पता ही नहीं था। मैं तो सातवें आसमान की सैर कर रहा था। भैया आज मैं भी आपका चूसूंगा और आपको भी वो मजा दूंगा जो मजा कल आपने मुझे दिया था...”
मैंने ब्रीफ के ऊपर से अजय की उभरी गाण्ड अपनी मुट्ठी में कस ली और जोर-जोर से दबाने लगा- “तो तू मेरा लण्ड चूसेगा? कल तो तू बार-बार मुझे मना कर रहा था। तुझे पेशाब करने वाली चीज से घिन नहीं आएगी?”
अजय- “भैया, अब तो आप मेरे मुँह में धार भी मार देंगे तो घिन नहीं आएगी। भैया जितना प्यार मुझे आपसे है। उतना ही प्यार आपके लण्ड से है। मैं आपका गुलाम हूँ, आपके लण्ड का सेवक हूँ, आपकी हर बात मानना ही मेरा सबसे बड़ा धर्म है...”
विजय- “अरे तू नहीं जानता, माँ जैसी जवान, शौकीन और मस्त औरत की पीड़ा। पिताजी ने पिछले 15 साल से बिस्तर पकड़ रखा था। वो अपने खुद के काम खुद नहीं कर सकते थे। तो माँ को चोदना तो दूर उसे वो शायद हाथ भी ना लगाते हों। और अपनी माँ जैसी स्वाभिमानी और मान मर्यादा का खयाल रखने वाली औरत से यह उम्मीद थोड़े ही की जा सकती है की उसने गाँव में यार पाल रखे हों। कहने का मतलब पिछले 15 साल से । उसकी चूत अनचुदी है, वो चुदासी है, उसे लण्ड की जरूरत है। भाई माँ की मस्त गदराई चूत और फूली गाण्ड की सेवा के लिए मेरा लौड़ा तो हमेशा तैयार है। अरे बाबा ना ना। मैंने भी किसके सामने यह बात कह दी। तू कहीं मेरा भी काट के मेरे हाथ में ना पकड़ा दे..” ।
अजय- “मेरे हाथों आप वाले की काटने की बात। भैया सुनकर ही मेरे शरीर में तो झुरझुरी सी दौड़ गई। आप वाले गुड्डे को तो मैं अपनी तिजोरी में बंद करके ताला लगा दूंगा...”
विजय- “अब पैंट भी खोलो ना, अपनी तिजोरी के मुँह का तो दर्शन करवा। माँ को चोदने की बात करके लण्ड मूसल सा खड़ा हो गया है। अपनी मस्त माँ को चोदने की बात करके यह हाल है तो उसको पूरी नंगी करके चोदते समय क्या होगा?”
अजय खड़ा हो गया और उसने अपनी पैंट और शर्ट उतार दी। अब वो ब्रीफ और बनियान में था। कहा- “भैया कल आपने मेरा चूस के जो मजा दिया था, उस मजा को तो मैं बता नहीं सकता। वैसा मजा मुझे कल से पहले जिंदगी में कभी नहीं मिला। लण्ड चुसवाने में इतना मजा है मुझे पता ही नहीं था। मैं तो सातवें आसमान की सैर कर रहा था। भैया आज मैं भी आपका चूसूंगा और आपको भी वो मजा दूंगा जो मजा कल आपने मुझे दिया था...”
मैंने ब्रीफ के ऊपर से अजय की उभरी गाण्ड अपनी मुट्ठी में कस ली और जोर-जोर से दबाने लगा- “तो तू मेरा लण्ड चूसेगा? कल तो तू बार-बार मुझे मना कर रहा था। तुझे पेशाब करने वाली चीज से घिन नहीं आएगी?”
अजय- “भैया, अब तो आप मेरे मुँह में धार भी मार देंगे तो घिन नहीं आएगी। भैया जितना प्यार मुझे आपसे है। उतना ही प्यार आपके लण्ड से है। मैं आपका गुलाम हूँ, आपके लण्ड का सेवक हूँ, आपकी हर बात मानना ही मेरा सबसे बड़ा धर्म है...”