hotaks444
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अगले दिन ही निशा लौटी कल रात को ही उसने आदम को कॉल किया और बोल दिया था कि वो सहेली के घर रुक रही है...आदम ने कुछ नही कहा.....जब घर पहुचि तो निशा चल नही पा रही थी जब वो घर पहुचि तो काफ़ी टांगे खोल खोल के फैला फैला के चल रही थी झट से कमरे में लौटी और लाज्जो को कही कि उबला पानी मेरे कमरे में छोड़के आ मुझे सिकाई करनी है पीठ की दर्द हो रहा है....
लज्जो शातिर औरत थी वैसे ही उसकी चाल वो समझ रही थी लाज्जो के इनकार करने के बाद कि वो मालिश कर दे...निशा ने उससे उबला पानी का बर्तन लिया और अपना कमरा लगा लिया....
लाज्जो चुगलखोर औरत थी...उसने झट से ये बात अंजुम को बताई....
अंजुम एक उम्रदराज पक्की मिचयोर्ड औरत थी..उबले पानी के बर्तन को कमरा बंद करके लगाने का क्या मतलब? ससुर तो कभी कमरे में झाँकते भी नही उसके और बेटा तो घर पे भी नही होता था सुबह को...अंजुम ने उससे मिलना भी था कल रात वो क्यूँ सहेली के यहाँ ठहरी...अंदर निशा अपनी चूत की सिकाई कर रही थी उसकी चूत एकदम लाल हो गयी थी..वो आह भर रही थी तो इतने में अंजुम ने दस्तक दी...आवाज़ लगाते ही जैसे निशा चिड गयी उसकी आवाज़ सुनके..वो उठी और अपनी पाज़ामी की डोरी को बाँधा....उसने जैसे दरवाजा खोला तो अंजुम को थोड़ा नाराज़ पाया
अंजुम : वैसे तो नही पूछना चाह रही थी पर पूछ रही हूँ पार्टी के बाद सहेली के यहाँ क्यूँ तुम ठहरी?
निशा : मैं जवाब देना मुनासिब नही समझती आपको
अंजुम : तुम मुझसे इस लहज़े में बात करोगी
निशा : घर आके करती भी क्या रोज़ रोज़ तो आपका बेटा मुझसे झगड़ता है और आजकल तो आपके कमरे में !
अंजुम : निशा तुम इस घर की बहू हो इसका ये मतलब नही कि तुम मुझसे ऐसे लहज़े में बात करोगी क्या हुआ है तुम्हें लाज्जो ने बताया कि तुमने उबला पानी सिकाई करने के लिए उससे माँगा (मन ही मन निशा लाज्जो को गाली दे रही थी)
लाज्जो चुपचाप पीछे खड़ी एकात में सब सुन रही थी....निशा ने अंजुम से थोड़ी बहसा बहसी की और कहा कि वो खुद अपना इलाज कर लेगी उन्हें और आदम को उसकी फिकर करने का कोई ज़रूरत नही...वो इतनी कॉन्फिडेंट्ली ये सब इसलिए कह पा रही थी क्यूंकी उसके दिल में कही ना कही डर था तो हिम्मत संजीब के भरोसा देने की वजह से...अंजुम ने कुछ नही कहा वो गुस्से में तमतमाए बाहर लौटी क्यूंकी उसका गुस्सा जब चढ़ता था तो निशा बच नही पाती
गुस्से पे काबू किए वो सोफे पे आके बैठ गयी सर पकड़े....लाज्जो ने देखा यही वक़्त है उसने आगे बढ़ कर अंजुम से कहा कि वो संजीब को जानती है और ये भी कह डाला कि उसकी सहेली उसके यहाँ काम करती थी...वहाँ वो भी एक दिन काम के लिए गयी थी बहुत बड़ा अय्याश आदमी है दस बार जूते भी औरतो से खा चुका....किसी के साथ ज़बरदस्ती के केस में अंदर भी हुआ था पर पिता जी ने उसे छुड़ा दिया था उसके...अकेले रहता है इसलिए फ़ायदा उठाता है...उसने ये तक कहा कि उसकी सहेली उसी की वजह से गर्भवती हुई थी..
लाज्जो : उस दिन जब वो आया तो मुझे लगा कि कहीं इसे देखा देखा लग रहा है उसने किसी औरत को नही छोड़ा बूढ़ी जवान उसने हमारी सहेली को प्रेग्नेंट करके छोड़ दिया...वो तो उसके माँ बाप ने काफ़ी ज़ोर जबरन मुआवज़ा भी लिया उस लड़के से और फिर उसके बाद हमारी सहेली की दो बिहाए से शादी करवा दी
अंजुम : और तू मुझे ये सब अब कह रही हैं बेवकूफ़ लड़की पहले नही कह सकती थी
लज्जो : आदम बाबू नाराज़ होते हुए मुझपे सोचते मैं झूठ कह रही हूँ
अंजुम : अफ इसका मतलब कि उसी से ये कमीनी फसि हुई है (आदम की ज़िंदगी को जैसे बर्बाद होते देख अंजुम को धक्का सा लगा था)
लाज्जो ने कुछ कुछ इशारा तो अंजुम को दिया कि ऐसे टाँगें फैलाना और सिकाई करवाना ये सब का मतलब चुदाई से रिलेटेड होता है...दो औरतें थी इसलिए खुल्लम खुल्ला इशरार बार बार सेक्स के उपर ही दोनो का आ रहा था....अंजुम ने कुछ नही कहा ये उसका घरेलू मामला था....लाज्जो ने निशा की ज़िंदगी में आग लगा दी थी वो वहाँ से निकल गयी...उसके जाते ही अंजुम ने फ़ैसला कर लिया कि वो ये बात बेटे से नही कहेगी वरना क्या पता उसके दिल पे क्या गुज़रे? फिर भी उसे तो शक़ था लेकिन उसकी ममता आज उसे धिक्कार रही थी कि उसके चलते ये सब कुछ हुआ आज उसे अपने बेटे से सिर्फ़ उसकी बदौलत दूर होना पड़ा कहीं आदम को धोका तो नही दे रही थी निशा क्या यही उसकी चिड़चिड़ेपन का कारण था...अंजुम ने ठान लिया कि अब निशा के राज़ो से पर्दाफाश अब वो खुद करेगी और उसे अपने बेटे की ज़िंदगी से खुद अलग करेगी...
वो सीधे उठी और तेज़ कदमो से सीडियाँ चढ़ते हुए चौथे माले पे पहुचि और फिर ज्योति के घर पहुचि...जहाँ राजीव दा उन्हें देखके चौंक उठे..
“ऊफ्फ यानी कि मेरा शक़ सही निकला अंजुम आंटी”……राजीव के कदम ठहरे और उन्होने अंजुम की तरफ देखते हुए कहा….पीछे ज्योति भाभी भी खड़ी सबकुछ सुन रही थी…
अंजुम : कैसा शक़?
ज्योति : दरअसल उस दिन ये आपके यहाँ यही बताने आ रहे थे….(ज्योति भाभी ने अंजुम को बताया कि कैसे उसने उस दिन डॅन्स क्लास के वक़्त निशा को संजीब के साथ बाइक पे जाते देखा)
अंजुम का जैसे शक़ अब और गहरा होता जा रहा था…उसने मुँह पे हाथ रखके एक बार ज्योति की ओर देखा…फिर राजीव से कहा “कुछ भी करो राजीव बेटा पर आदम की ज़िंदगी बचा लो मुझे अगर पहले मालूम होता तो मैं अपने बेटे का रिश्ता कभी इस गंदी औरत से तय नही करती इसकी माँ ने इतना बड़ा झूठ छुपाया मुझसे”….राजीव ने माँ को शांत किया
राजीव : सुनिए अंजुम आंटी आप फिकर ना कीजिए आदम मेरे छोटे भाई जैसा है भला उसे मैं कैसे गुमराह रहने दे सकता हूँ मैं नोटीस भी कर रहा हूँ कि जबसे शादी हुई है घर में आते ही उसने आपके और आपके बेटे के बीच तफरीह पैदा कर दी है मैं अब तक इसलिए चुप था कि शायद बात सम्भल जाएगी मिया बीवी का मामला घरेलू मामला है पर अब पानी सर से उपर जा रहा है आपकी बात सुनके तो अब मुझे पूरा यकीन है कि लाज्जो झूठ नही कह रही….ये तो अच्छा ही हुआ जो हमे मालूम चल गया
!
लज्जो शातिर औरत थी वैसे ही उसकी चाल वो समझ रही थी लाज्जो के इनकार करने के बाद कि वो मालिश कर दे...निशा ने उससे उबला पानी का बर्तन लिया और अपना कमरा लगा लिया....
लाज्जो चुगलखोर औरत थी...उसने झट से ये बात अंजुम को बताई....
अंजुम एक उम्रदराज पक्की मिचयोर्ड औरत थी..उबले पानी के बर्तन को कमरा बंद करके लगाने का क्या मतलब? ससुर तो कभी कमरे में झाँकते भी नही उसके और बेटा तो घर पे भी नही होता था सुबह को...अंजुम ने उससे मिलना भी था कल रात वो क्यूँ सहेली के यहाँ ठहरी...अंदर निशा अपनी चूत की सिकाई कर रही थी उसकी चूत एकदम लाल हो गयी थी..वो आह भर रही थी तो इतने में अंजुम ने दस्तक दी...आवाज़ लगाते ही जैसे निशा चिड गयी उसकी आवाज़ सुनके..वो उठी और अपनी पाज़ामी की डोरी को बाँधा....उसने जैसे दरवाजा खोला तो अंजुम को थोड़ा नाराज़ पाया
अंजुम : वैसे तो नही पूछना चाह रही थी पर पूछ रही हूँ पार्टी के बाद सहेली के यहाँ क्यूँ तुम ठहरी?
निशा : मैं जवाब देना मुनासिब नही समझती आपको
अंजुम : तुम मुझसे इस लहज़े में बात करोगी
निशा : घर आके करती भी क्या रोज़ रोज़ तो आपका बेटा मुझसे झगड़ता है और आजकल तो आपके कमरे में !
अंजुम : निशा तुम इस घर की बहू हो इसका ये मतलब नही कि तुम मुझसे ऐसे लहज़े में बात करोगी क्या हुआ है तुम्हें लाज्जो ने बताया कि तुमने उबला पानी सिकाई करने के लिए उससे माँगा (मन ही मन निशा लाज्जो को गाली दे रही थी)
लाज्जो चुपचाप पीछे खड़ी एकात में सब सुन रही थी....निशा ने अंजुम से थोड़ी बहसा बहसी की और कहा कि वो खुद अपना इलाज कर लेगी उन्हें और आदम को उसकी फिकर करने का कोई ज़रूरत नही...वो इतनी कॉन्फिडेंट्ली ये सब इसलिए कह पा रही थी क्यूंकी उसके दिल में कही ना कही डर था तो हिम्मत संजीब के भरोसा देने की वजह से...अंजुम ने कुछ नही कहा वो गुस्से में तमतमाए बाहर लौटी क्यूंकी उसका गुस्सा जब चढ़ता था तो निशा बच नही पाती
गुस्से पे काबू किए वो सोफे पे आके बैठ गयी सर पकड़े....लाज्जो ने देखा यही वक़्त है उसने आगे बढ़ कर अंजुम से कहा कि वो संजीब को जानती है और ये भी कह डाला कि उसकी सहेली उसके यहाँ काम करती थी...वहाँ वो भी एक दिन काम के लिए गयी थी बहुत बड़ा अय्याश आदमी है दस बार जूते भी औरतो से खा चुका....किसी के साथ ज़बरदस्ती के केस में अंदर भी हुआ था पर पिता जी ने उसे छुड़ा दिया था उसके...अकेले रहता है इसलिए फ़ायदा उठाता है...उसने ये तक कहा कि उसकी सहेली उसी की वजह से गर्भवती हुई थी..
लाज्जो : उस दिन जब वो आया तो मुझे लगा कि कहीं इसे देखा देखा लग रहा है उसने किसी औरत को नही छोड़ा बूढ़ी जवान उसने हमारी सहेली को प्रेग्नेंट करके छोड़ दिया...वो तो उसके माँ बाप ने काफ़ी ज़ोर जबरन मुआवज़ा भी लिया उस लड़के से और फिर उसके बाद हमारी सहेली की दो बिहाए से शादी करवा दी
अंजुम : और तू मुझे ये सब अब कह रही हैं बेवकूफ़ लड़की पहले नही कह सकती थी
लज्जो : आदम बाबू नाराज़ होते हुए मुझपे सोचते मैं झूठ कह रही हूँ
अंजुम : अफ इसका मतलब कि उसी से ये कमीनी फसि हुई है (आदम की ज़िंदगी को जैसे बर्बाद होते देख अंजुम को धक्का सा लगा था)
लाज्जो ने कुछ कुछ इशारा तो अंजुम को दिया कि ऐसे टाँगें फैलाना और सिकाई करवाना ये सब का मतलब चुदाई से रिलेटेड होता है...दो औरतें थी इसलिए खुल्लम खुल्ला इशरार बार बार सेक्स के उपर ही दोनो का आ रहा था....अंजुम ने कुछ नही कहा ये उसका घरेलू मामला था....लाज्जो ने निशा की ज़िंदगी में आग लगा दी थी वो वहाँ से निकल गयी...उसके जाते ही अंजुम ने फ़ैसला कर लिया कि वो ये बात बेटे से नही कहेगी वरना क्या पता उसके दिल पे क्या गुज़रे? फिर भी उसे तो शक़ था लेकिन उसकी ममता आज उसे धिक्कार रही थी कि उसके चलते ये सब कुछ हुआ आज उसे अपने बेटे से सिर्फ़ उसकी बदौलत दूर होना पड़ा कहीं आदम को धोका तो नही दे रही थी निशा क्या यही उसकी चिड़चिड़ेपन का कारण था...अंजुम ने ठान लिया कि अब निशा के राज़ो से पर्दाफाश अब वो खुद करेगी और उसे अपने बेटे की ज़िंदगी से खुद अलग करेगी...
वो सीधे उठी और तेज़ कदमो से सीडियाँ चढ़ते हुए चौथे माले पे पहुचि और फिर ज्योति के घर पहुचि...जहाँ राजीव दा उन्हें देखके चौंक उठे..
“ऊफ्फ यानी कि मेरा शक़ सही निकला अंजुम आंटी”……राजीव के कदम ठहरे और उन्होने अंजुम की तरफ देखते हुए कहा….पीछे ज्योति भाभी भी खड़ी सबकुछ सुन रही थी…
अंजुम : कैसा शक़?
ज्योति : दरअसल उस दिन ये आपके यहाँ यही बताने आ रहे थे….(ज्योति भाभी ने अंजुम को बताया कि कैसे उसने उस दिन डॅन्स क्लास के वक़्त निशा को संजीब के साथ बाइक पे जाते देखा)
अंजुम का जैसे शक़ अब और गहरा होता जा रहा था…उसने मुँह पे हाथ रखके एक बार ज्योति की ओर देखा…फिर राजीव से कहा “कुछ भी करो राजीव बेटा पर आदम की ज़िंदगी बचा लो मुझे अगर पहले मालूम होता तो मैं अपने बेटे का रिश्ता कभी इस गंदी औरत से तय नही करती इसकी माँ ने इतना बड़ा झूठ छुपाया मुझसे”….राजीव ने माँ को शांत किया
राजीव : सुनिए अंजुम आंटी आप फिकर ना कीजिए आदम मेरे छोटे भाई जैसा है भला उसे मैं कैसे गुमराह रहने दे सकता हूँ मैं नोटीस भी कर रहा हूँ कि जबसे शादी हुई है घर में आते ही उसने आपके और आपके बेटे के बीच तफरीह पैदा कर दी है मैं अब तक इसलिए चुप था कि शायद बात सम्भल जाएगी मिया बीवी का मामला घरेलू मामला है पर अब पानी सर से उपर जा रहा है आपकी बात सुनके तो अब मुझे पूरा यकीन है कि लाज्जो झूठ नही कह रही….ये तो अच्छा ही हुआ जो हमे मालूम चल गया
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