hotaks444
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लाजो ने तुरंत आदम को अपने से दूर धकेला और अपनी पेटिकोट की डोरी झट से बाँधी...फिर साड़ी को अपने बदन पे लपेट लिया....आदम ने तुरंत जैसे तैसे प्यज़ामे को पहना पर उभार के चलते माँ को शक़ ना हो जाए इसलिए उसने काफ़ी अहेतियात से दरवाजा खोला और एक आड़ हो गया....
माँ ने उसे पसीने पसीने पाया....आदम फिर उखड़े मन से बोला आप आ गयी ? आ जाओ.....इतना कहते हुए आदम कमरे में चला गया.....माँ की नज़र लाजो पे गयी
अंजुम : लाजो अभी तू यही है? तुझे देरी नही हुई
लाजो : आ.आ.आप ही ने कहा था
अंजुम : अच्छा अच्छा अब जा तू
आदम : माँ मैं उसे छोड़ देता हूँ
अंजुम : नही बेटा मैं उसे छोड़ आती हूँ वैसे भी अभी बाहर से ही लौटी हूँ आ लाजो
लाजो हाँफ रही थी उसने एक बार पलटके आदम की तरफ देखा....अपनी अधूरी प्रेम क्रीड़ा के बीच उसे उठके जाने में काफ़ी गुस्सा आया...क्यूंकी उसकी चूत पूरी गीली हुई सी थी...आदम ने उसे इशारा किया कि एक दिन ना सही अगले दिन तो पक्का....लाजो ने शरमाया फिर मुस्कुराया और अंजुम की आवाज़ देते ही वो बाहर निकल गयी....
आदम कमरे में आके हाथ मुँह धोया फिर उसने पेशाब किया अपने लंड से निकलते प्री-कम की बूँदो को पोंच्छा और लिंग को धोते हुए कमरे में लौट आया.....8 बज चुका था...आदम का दिल धक धक किए जा रहा था काश एक बार लाजो के साथ 1 घंटा और मिल जाता तो ना जाने क्यूँ आज उसे ताहिरा मौसी और रूपाली भाभी की याद आ गयी....
इतने में उसने पाया कि माँ आ गयी थी..."छोड़ आई उसे".....
."हां बेटा उफ्फ ग्रामीण सेवा की गाड़िया तो पूछो मत इतनी भीड़"........
"ह्म कोई बात नही दरवाजा लगा लो मच्छर आ रहा है बाहर से"........
अंजुम ने दरवाजा लगाया और खाना बनाने चली गयी....
माँ ने उसे पसीने पसीने पाया....आदम फिर उखड़े मन से बोला आप आ गयी ? आ जाओ.....इतना कहते हुए आदम कमरे में चला गया.....माँ की नज़र लाजो पे गयी
अंजुम : लाजो अभी तू यही है? तुझे देरी नही हुई
लाजो : आ.आ.आप ही ने कहा था
अंजुम : अच्छा अच्छा अब जा तू
आदम : माँ मैं उसे छोड़ देता हूँ
अंजुम : नही बेटा मैं उसे छोड़ आती हूँ वैसे भी अभी बाहर से ही लौटी हूँ आ लाजो
लाजो हाँफ रही थी उसने एक बार पलटके आदम की तरफ देखा....अपनी अधूरी प्रेम क्रीड़ा के बीच उसे उठके जाने में काफ़ी गुस्सा आया...क्यूंकी उसकी चूत पूरी गीली हुई सी थी...आदम ने उसे इशारा किया कि एक दिन ना सही अगले दिन तो पक्का....लाजो ने शरमाया फिर मुस्कुराया और अंजुम की आवाज़ देते ही वो बाहर निकल गयी....
आदम कमरे में आके हाथ मुँह धोया फिर उसने पेशाब किया अपने लंड से निकलते प्री-कम की बूँदो को पोंच्छा और लिंग को धोते हुए कमरे में लौट आया.....8 बज चुका था...आदम का दिल धक धक किए जा रहा था काश एक बार लाजो के साथ 1 घंटा और मिल जाता तो ना जाने क्यूँ आज उसे ताहिरा मौसी और रूपाली भाभी की याद आ गयी....
इतने में उसने पाया कि माँ आ गयी थी..."छोड़ आई उसे".....
."हां बेटा उफ्फ ग्रामीण सेवा की गाड़िया तो पूछो मत इतनी भीड़"........
"ह्म कोई बात नही दरवाजा लगा लो मच्छर आ रहा है बाहर से"........
अंजुम ने दरवाजा लगाया और खाना बनाने चली गयी....