hotaks444
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निशा ने जैसे ही आहट पाई तो वो उठके संजीब को दरवाजे पे प्रस्तुत पाई....वो झट से दौड़ते हुए उसके गले से लिपट गयी...संजीब ऐसे ही लज्जो के बदन को घुर्रे गरमाया हुआ था और उपर से कयि दिनो की ठरक निशा से ना मिलने को हो रही थी....वो बेढंगे तरीके निशा की पीठ और ज़ुल्फो को सहलाता हुआ उसके नितंबो को साड़ी के उपर से ही दबाने लगा...तो निशा ने उसे अपने से दूर किया..
निशा : संजीब ये क्या कर रहे हो? मुझे तुम्हें कुछ बताना है
संजीब : हाहाहा बस कयि दिनो की जैसे प्यास लगी हुई है..
निशा : नही संजीब पहले तुम्हें मेरी बात सुननी होगी (संजीब को कमरे में खीचते हुए दरवाजा बंद करते हुए)
संजीब : अरे जब घर पे कोई नही है तो दरवाजा लगाने की क्या ज़रूरत? और तुम्हारे चेहरे का रंग उतरा उतरा सा क्यूँ है? कयि दफ़ा कॉल भी करना चाहा तो तुमने रिसीव तक नही किया
निशा : मुझे प्ल्ज़्ज़ बचा लो संजीब मेरा जीना मुहाल हो गया है इस घर में...मेरा पति जानवर है जानवर मुझे दिन रात टॉर्चर कर रहा है वो (संजीब ने उसे शांत किया फिर ना चाहते हुए भी उस मतलबपरस्त इंसान ने पूछा कि आख़िर बात क्या है?)
एका एक निशा उसे बताने लगी कि आदम को सबकुछ मालूम चल चुका है..उन दोनो के नाजायेज़ संबंध के बारे में....कयि दफ़ा तो दोनो को उसने रंगे हाथो भी मिलते हुए पकड़ा था...जैसे जैसे संजीब को मालूम चलता गया वैसे वैसे उसके पाँव जैसे काँप उठे...उसकी फॅट गयी ये सुनके कि पति को सबकुछ मालूम चल गया है...बेरहाल अब उसका निशा के पास रुकना ख़तरे से खाली नही था...अब उसकी वो क्या मदद कर सकता था? उसने तो सोचा ऐसे ही संबंध बनाउन्गा और उसके पति को कुछ मालूम नही चल पाएगा...फिर भी संजीब ने सोचा कि चलो निशा को आश्वासन देके एक आखरी ही बार क्यूँ ना उसके साथ चुदाई की जाए...
संजीब उसे हाथ लगाने लगा फिर अपने मनिप्युलेटिव बातों में निशा को फिर फँसाने लगा..."देखो निशा जो हुआ सो हुआ तुम इतना फिकर क्यूँ करती हो? मुझसे संजीब पाटिल से तुम्हे दूर करने की उसकी इतनी ताक़त नही...एक कॉल घमाउन्गा ना तो साले को डोमेस्टिक वाय्लेन्स के तेहेत अपनी बीवी को पीटने के जुर्म में अंदर हो जाना पड़ेगा तुम फिकर मत करो"........
."नही संजीब तुम बस मुझे अब यहाँ से निकाल लो"......
"देखो निशा मैं ऐसा नही कर सकता हमारी सिचुयेशन ठीक नही है पर मैं वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें उस जानवर से दूर कर लूँगा".......संजीब वादा करने पे भी जैसे लड़खड़ा रहा था...वो आख़िर एक शादी शुदा औरत को अपने सर क्यूँ बांधना चाहेगा?...उसकी ज़रूरत तो निशा से सिर्फ़ संबंध बनाने तक ही थी या तो अपनी ज़रूरत पूरी करवाने पर...
निशा ने उसे बताया कि उसे किस तरह आदम ने सज़ा दी है..किस तरह उसके साथ ज़बरदस्ती की? उसे कितना दर्द झेलना पड़ा....संजीब तो मज़े ले रहा था....निशा ने अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस...तो संजीब ने उसकी ब्रा को खीचके नीचे किया तो पाया उसकी छातियाँ लटक चुकी थी और चुचियो पे लाल लाल निशान थे....यही नही उसकी नाभि के नीचे भी संजीब ने जब हाथ फिराया तो वहाँ भी उसे दाग दिखे ये सब चुदाई के वक़्त की निशानिया थी जो निशा ने सही थी...
संजीब : जाने दो उस कमीने की बात छोड़ो फिलहाल इतने दिनो बाद हम मिले है कम से कम इस कुछ पॅलो को तो एक साथ बिताए
निशा : पर संजीब तुम पक्का मुझे निजात दिला दोगे ना प्ल्ज़्ज़
संजीब : अरे मेरी जान सस्शह डरो मत मैं हूँ ना चलो अब घूम जाओ
निशा पलट गयी और साथ ही साथ संजीब ने उसे झुका दिया तो जैसे वो झुकी तो उसके नितंबो पे हाथ फेरते हुए जैसे ही संजीब ने एक उंगली गान्ड की गहराइयो में दाखिल करनी चाही...तो छेद ने घपप से उंगली को अंदर सरका लिया वो अस्चर्य से निशा की नितंबो को घूर्र रहा था और उसने हाथ से जैसे ही निशा की चूत भी उंगली डालना चाही तो महसूस हुआ कि चूत का भोसड़ा बन चुका था...उसकी एक उंगली नही बल्कि पाँचो की पाँच उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी...निशा की ढीली चूत और गान्ड का भोसड़ा बना देख संजीब खिजला गया
निशा : संजीब ये क्या कर रहे हो? मुझे तुम्हें कुछ बताना है
संजीब : हाहाहा बस कयि दिनो की जैसे प्यास लगी हुई है..
निशा : नही संजीब पहले तुम्हें मेरी बात सुननी होगी (संजीब को कमरे में खीचते हुए दरवाजा बंद करते हुए)
संजीब : अरे जब घर पे कोई नही है तो दरवाजा लगाने की क्या ज़रूरत? और तुम्हारे चेहरे का रंग उतरा उतरा सा क्यूँ है? कयि दफ़ा कॉल भी करना चाहा तो तुमने रिसीव तक नही किया
निशा : मुझे प्ल्ज़्ज़ बचा लो संजीब मेरा जीना मुहाल हो गया है इस घर में...मेरा पति जानवर है जानवर मुझे दिन रात टॉर्चर कर रहा है वो (संजीब ने उसे शांत किया फिर ना चाहते हुए भी उस मतलबपरस्त इंसान ने पूछा कि आख़िर बात क्या है?)
एका एक निशा उसे बताने लगी कि आदम को सबकुछ मालूम चल चुका है..उन दोनो के नाजायेज़ संबंध के बारे में....कयि दफ़ा तो दोनो को उसने रंगे हाथो भी मिलते हुए पकड़ा था...जैसे जैसे संजीब को मालूम चलता गया वैसे वैसे उसके पाँव जैसे काँप उठे...उसकी फॅट गयी ये सुनके कि पति को सबकुछ मालूम चल गया है...बेरहाल अब उसका निशा के पास रुकना ख़तरे से खाली नही था...अब उसकी वो क्या मदद कर सकता था? उसने तो सोचा ऐसे ही संबंध बनाउन्गा और उसके पति को कुछ मालूम नही चल पाएगा...फिर भी संजीब ने सोचा कि चलो निशा को आश्वासन देके एक आखरी ही बार क्यूँ ना उसके साथ चुदाई की जाए...
संजीब उसे हाथ लगाने लगा फिर अपने मनिप्युलेटिव बातों में निशा को फिर फँसाने लगा..."देखो निशा जो हुआ सो हुआ तुम इतना फिकर क्यूँ करती हो? मुझसे संजीब पाटिल से तुम्हे दूर करने की उसकी इतनी ताक़त नही...एक कॉल घमाउन्गा ना तो साले को डोमेस्टिक वाय्लेन्स के तेहेत अपनी बीवी को पीटने के जुर्म में अंदर हो जाना पड़ेगा तुम फिकर मत करो"........
."नही संजीब तुम बस मुझे अब यहाँ से निकाल लो"......
"देखो निशा मैं ऐसा नही कर सकता हमारी सिचुयेशन ठीक नही है पर मैं वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें उस जानवर से दूर कर लूँगा".......संजीब वादा करने पे भी जैसे लड़खड़ा रहा था...वो आख़िर एक शादी शुदा औरत को अपने सर क्यूँ बांधना चाहेगा?...उसकी ज़रूरत तो निशा से सिर्फ़ संबंध बनाने तक ही थी या तो अपनी ज़रूरत पूरी करवाने पर...
निशा ने उसे बताया कि उसे किस तरह आदम ने सज़ा दी है..किस तरह उसके साथ ज़बरदस्ती की? उसे कितना दर्द झेलना पड़ा....संजीब तो मज़े ले रहा था....निशा ने अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस...तो संजीब ने उसकी ब्रा को खीचके नीचे किया तो पाया उसकी छातियाँ लटक चुकी थी और चुचियो पे लाल लाल निशान थे....यही नही उसकी नाभि के नीचे भी संजीब ने जब हाथ फिराया तो वहाँ भी उसे दाग दिखे ये सब चुदाई के वक़्त की निशानिया थी जो निशा ने सही थी...
संजीब : जाने दो उस कमीने की बात छोड़ो फिलहाल इतने दिनो बाद हम मिले है कम से कम इस कुछ पॅलो को तो एक साथ बिताए
निशा : पर संजीब तुम पक्का मुझे निजात दिला दोगे ना प्ल्ज़्ज़
संजीब : अरे मेरी जान सस्शह डरो मत मैं हूँ ना चलो अब घूम जाओ
निशा पलट गयी और साथ ही साथ संजीब ने उसे झुका दिया तो जैसे वो झुकी तो उसके नितंबो पे हाथ फेरते हुए जैसे ही संजीब ने एक उंगली गान्ड की गहराइयो में दाखिल करनी चाही...तो छेद ने घपप से उंगली को अंदर सरका लिया वो अस्चर्य से निशा की नितंबो को घूर्र रहा था और उसने हाथ से जैसे ही निशा की चूत भी उंगली डालना चाही तो महसूस हुआ कि चूत का भोसड़ा बन चुका था...उसकी एक उंगली नही बल्कि पाँचो की पाँच उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी...निशा की ढीली चूत और गान्ड का भोसड़ा बना देख संजीब खिजला गया