hotaks444
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माँ अब तक निवस्त्र होके मेरे सीने के निपल्स और बीच के हिस्से को चूमते हुए मेरे गाल,गले को चूमते हुए मेरे चेहरे को अपनी ओर किए मेरे होंठो का रस्पान करने लगी थी...हम दोनो एकदुसरे को स्मूच करते हुए बिस्तर पे लेट गये..मैं उसके पूरे बदन पे अपना हाथ फेर रहा था....मुझे वाहिनी कामसूत्र मुद्राओ में लिपटी वो शिल्पी आकृतियाँ दिखने लगी जो महिलाए वेशभूषा में थी और कैसे पुरुष उनके साथ आलिंगन में जकड़े हुए थे
मैने माँ के होंठो को चूस्ते हुए उसकी पीठ को सहलाना शुरू किया फिर उसके नितंबो के बीच हाथ ले जाते हुए छेद को छेड़ना शुरू किया....ऐसा लगा जैसे माँ की गान्ड का छेद कुलबुला सी गयी....वो मेरे सीने पे हाथ दोनो रखते हुए मुझे धकेलके मेरे उपर सवार हो गयी इस बीच मैं टीवी पे चल रही ब्लूफिल्म को बंद कर दिया...
अब माँ मेरे लिंग को अपने चूत के द्वार में लेने से पहले उसे चूस लेना चाहती थी इसलिए वो नीचे सरसराते हुए मेरे लौडे को अपने मुँह में घप्प से लिए चूसने लगी उसने इस बीच अपना मुँह मेरे अंडकोष के नीचे भी रगड़ा और वहाँ जीब फेरी...जिससे मैं स्खलन भरी हालात में आ गया आँखे मुन्दे उसके बालों को समेटते हुए एक टाँग उसकी पीठ पे रख दी....
मेरी टाँग के भार से ही उसका जिस्म मेरे टाँगों के बीच दब गया....वो एक हाथ से मेरी बालों से भरी जाँघ को सहलाते हुए मेरे लंड को मुँह में लिए अंदर बाहर चूसने लगी....इस बीच जब उसने जड़ तक मेरे लंड को मुँह के भीतर लिए चूसा और फिर उसे उगला तो उसके मुँह की लार मेरे लंड के सुपाडे से जुड़ी हुई थी उफ्फ क्या शानदार नज़ारा था वो किसी भूकि औरत की तरह अपनी हवस को मिटा रही थी कैसे चाव से मेरे लंड को चुस्स रही थी?
आदम : आहह माँ ऐसे ही बड़े प्यार से बड़े प्यार से (मैं कहते हुए माँ के मुँह को पोंछता हुआ उसके मुँह में फिर लंड दिया...वो घपप से लंड में लेके चुसते हुए मेरी तरफ देखने लगी)
उसने चुसते हुए मुझे इस नज़रों से देखा जैसे कि मुझे मज़ा आ रहा था कि नही? मैने उसे बस इशारा किया कि तू बस चुस्ती जा मैं तो सातवें आसमान पे हूँ मेरी जान...तेरे गरम मुँह के अहसास से ही पगला रहा हूँ..माँ कुछ देर तक मेरे लंड को चुस्सती छोड़ती रही...उसने मेरे अंडकोषो को भी बारी बारी से प्यार से चूसा और फिर मेरे अंडकोष के सिरे से होते हुए मेरे लिंग के सुपाडे तक अपनी जीब फिराई....इससे मेरा लंड एकदम सख़्त हो गया...
फिर वो धीरे धीरे उठ खड़ी हुई....अब वो अपनी चूत के द्वार में मेरे लंड को टिकाने लगी जैसे ही उसने मेरे खड़े लंड को हाथो में लिए दबोचा ज्यो ज्यो टट्टी करने की मुद्रा में अपनी दोनो टांगे मेरे इर्द गिर्द फैलाई अपनी चूत को मेरे लंड के उपर उतारने लगी त्यो त्यो उसके चेहरे के भाव बदलने लगे और उसका चेहरा अँग्रेजिन जैसा गुलाबी हो गया उसे सख़्त अपनी दरारो में घुसता मेरा लंड महसूस हुआ...वो धीरे धीरे मेरे लंड को अपनी चूत के भीतर तक सरकाने लगी और कुछ ही पल में मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अंदर तक समा गया....उसने मेरे लंड पे बैठते हुए एक आहह भरी साँस ली मेरी तरफ देखके मुस्कुराइ तो मैने उसकी दोनो कमर की तोंद को मसल्ते हुए एक करारा धक्का मारा...जिससे उसने अपनी गान्ड सख़्त कर ली और सर उपर उठाए दर्द से अकड़ गयी...
आदम : ढीली ढीली छोड़ मेरी रानी ढीली करो ना
अंजुम ने बेटे की बात सुनते हुए अपने बदन को ढीला छोड़ना शुरू किया साथ ही साथ आदम को चूत की सख्ती कम होती जान पड़ी...मैने फिर एक करारा धक्का मारा तो माँ काँप उठी...उनके स्वर में फिर आहह फूटा...उसकी आँखो में दर्द के भाव प्रकट हुए और मैं मुस्कुराया...मैं माँ की नाभि और पेट को सहलाते हुए उसकी कमर कस कर हाथो में जकड़े....एक शॉट और करारा मारा इससे माँ काँपी ज़रूर पर इस बार सिसक उठी...
हम इसी मुद्रा में थोड़ी देर ठहरे रहे...फिर धीरे धीरे मैने धक्के मारने शुरू किए....और कुछ ही देर में माँ की चूत फ़चा फ़च मेरे लंड को अंदर गहराई तक लेते हुए उगल रही थी...उसकी चूत एकदम खुल चुकी थी मेरा लंड खाने की उसे जैसे आदत सी हो गयी थी...मैं उसकी गुलाबी चूत पेलता हुआ इस बार उसके छातियो को दबाते हुए उठके उस पर मुँह लगा लिया दोनो निपल्स को चाटते चुसते हुए मैने उसे अपने सीने से लगा लिया
अंजुम : ऑश बेटा आ उम्म्म आहह बेटा
आदम : हान्न्न मामा अहहह उहह उहगग (माँ ने मेरी पीठ और मैने माँ को कस कर पकड़ लिया हम एकदुसरे की पीठ को सहला रहे थे मैने इस बीच माँ के गले पीठ और चेहरे को चूमते हुए उसके चेहरे पे अपना चेहरा रगड़ा)
माँ को मेरी सख़्त दाढ़ी चुभ रही थी पर उसमें भी उसे मज़ा आ रहा था उसके कोमल गाल लाल हो गये और मेरी कामवासना की आग ऐसी भड़की कि मैं उसे अपने आलिंगन में जकड़े तेज़ तेज़ उसकी चुदाई करने लगा...उस पोस्चर में कुछ देर में ही माँ झरने लगी...जब उसने सख्ती से अपनी चूत मेरे लंड पे कस ली और लगभग चिल्लाते हुए झड गयी...मैने उसके शांत होने की प्रतीक्षा की फिर उसे अपनी बाहों में वैसी ही समेटे सीधा बिस्तर पे लिटाया...
मैने माँ के होंठो को चूस्ते हुए उसकी पीठ को सहलाना शुरू किया फिर उसके नितंबो के बीच हाथ ले जाते हुए छेद को छेड़ना शुरू किया....ऐसा लगा जैसे माँ की गान्ड का छेद कुलबुला सी गयी....वो मेरे सीने पे हाथ दोनो रखते हुए मुझे धकेलके मेरे उपर सवार हो गयी इस बीच मैं टीवी पे चल रही ब्लूफिल्म को बंद कर दिया...
अब माँ मेरे लिंग को अपने चूत के द्वार में लेने से पहले उसे चूस लेना चाहती थी इसलिए वो नीचे सरसराते हुए मेरे लौडे को अपने मुँह में घप्प से लिए चूसने लगी उसने इस बीच अपना मुँह मेरे अंडकोष के नीचे भी रगड़ा और वहाँ जीब फेरी...जिससे मैं स्खलन भरी हालात में आ गया आँखे मुन्दे उसके बालों को समेटते हुए एक टाँग उसकी पीठ पे रख दी....
मेरी टाँग के भार से ही उसका जिस्म मेरे टाँगों के बीच दब गया....वो एक हाथ से मेरी बालों से भरी जाँघ को सहलाते हुए मेरे लंड को मुँह में लिए अंदर बाहर चूसने लगी....इस बीच जब उसने जड़ तक मेरे लंड को मुँह के भीतर लिए चूसा और फिर उसे उगला तो उसके मुँह की लार मेरे लंड के सुपाडे से जुड़ी हुई थी उफ्फ क्या शानदार नज़ारा था वो किसी भूकि औरत की तरह अपनी हवस को मिटा रही थी कैसे चाव से मेरे लंड को चुस्स रही थी?
आदम : आहह माँ ऐसे ही बड़े प्यार से बड़े प्यार से (मैं कहते हुए माँ के मुँह को पोंछता हुआ उसके मुँह में फिर लंड दिया...वो घपप से लंड में लेके चुसते हुए मेरी तरफ देखने लगी)
उसने चुसते हुए मुझे इस नज़रों से देखा जैसे कि मुझे मज़ा आ रहा था कि नही? मैने उसे बस इशारा किया कि तू बस चुस्ती जा मैं तो सातवें आसमान पे हूँ मेरी जान...तेरे गरम मुँह के अहसास से ही पगला रहा हूँ..माँ कुछ देर तक मेरे लंड को चुस्सती छोड़ती रही...उसने मेरे अंडकोषो को भी बारी बारी से प्यार से चूसा और फिर मेरे अंडकोष के सिरे से होते हुए मेरे लिंग के सुपाडे तक अपनी जीब फिराई....इससे मेरा लंड एकदम सख़्त हो गया...
फिर वो धीरे धीरे उठ खड़ी हुई....अब वो अपनी चूत के द्वार में मेरे लंड को टिकाने लगी जैसे ही उसने मेरे खड़े लंड को हाथो में लिए दबोचा ज्यो ज्यो टट्टी करने की मुद्रा में अपनी दोनो टांगे मेरे इर्द गिर्द फैलाई अपनी चूत को मेरे लंड के उपर उतारने लगी त्यो त्यो उसके चेहरे के भाव बदलने लगे और उसका चेहरा अँग्रेजिन जैसा गुलाबी हो गया उसे सख़्त अपनी दरारो में घुसता मेरा लंड महसूस हुआ...वो धीरे धीरे मेरे लंड को अपनी चूत के भीतर तक सरकाने लगी और कुछ ही पल में मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अंदर तक समा गया....उसने मेरे लंड पे बैठते हुए एक आहह भरी साँस ली मेरी तरफ देखके मुस्कुराइ तो मैने उसकी दोनो कमर की तोंद को मसल्ते हुए एक करारा धक्का मारा...जिससे उसने अपनी गान्ड सख़्त कर ली और सर उपर उठाए दर्द से अकड़ गयी...
आदम : ढीली ढीली छोड़ मेरी रानी ढीली करो ना
अंजुम ने बेटे की बात सुनते हुए अपने बदन को ढीला छोड़ना शुरू किया साथ ही साथ आदम को चूत की सख्ती कम होती जान पड़ी...मैने फिर एक करारा धक्का मारा तो माँ काँप उठी...उनके स्वर में फिर आहह फूटा...उसकी आँखो में दर्द के भाव प्रकट हुए और मैं मुस्कुराया...मैं माँ की नाभि और पेट को सहलाते हुए उसकी कमर कस कर हाथो में जकड़े....एक शॉट और करारा मारा इससे माँ काँपी ज़रूर पर इस बार सिसक उठी...
हम इसी मुद्रा में थोड़ी देर ठहरे रहे...फिर धीरे धीरे मैने धक्के मारने शुरू किए....और कुछ ही देर में माँ की चूत फ़चा फ़च मेरे लंड को अंदर गहराई तक लेते हुए उगल रही थी...उसकी चूत एकदम खुल चुकी थी मेरा लंड खाने की उसे जैसे आदत सी हो गयी थी...मैं उसकी गुलाबी चूत पेलता हुआ इस बार उसके छातियो को दबाते हुए उठके उस पर मुँह लगा लिया दोनो निपल्स को चाटते चुसते हुए मैने उसे अपने सीने से लगा लिया
अंजुम : ऑश बेटा आ उम्म्म आहह बेटा
आदम : हान्न्न मामा अहहह उहह उहगग (माँ ने मेरी पीठ और मैने माँ को कस कर पकड़ लिया हम एकदुसरे की पीठ को सहला रहे थे मैने इस बीच माँ के गले पीठ और चेहरे को चूमते हुए उसके चेहरे पे अपना चेहरा रगड़ा)
माँ को मेरी सख़्त दाढ़ी चुभ रही थी पर उसमें भी उसे मज़ा आ रहा था उसके कोमल गाल लाल हो गये और मेरी कामवासना की आग ऐसी भड़की कि मैं उसे अपने आलिंगन में जकड़े तेज़ तेज़ उसकी चुदाई करने लगा...उस पोस्चर में कुछ देर में ही माँ झरने लगी...जब उसने सख्ती से अपनी चूत मेरे लंड पे कस ली और लगभग चिल्लाते हुए झड गयी...मैने उसके शांत होने की प्रतीक्षा की फिर उसे अपनी बाहों में वैसी ही समेटे सीधा बिस्तर पे लिटाया...