Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत - Page 34 - SexBaba
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Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत

कुछ क्षण खामोशी रही....और फिर तपोती जैसे रो पड़ी..उसने जब मेरी ओर देखा तो मैने जानना चाहा कि उसकी क्या मर्ज़ी थी? उसने कुछ नही कहा बल्कि मेरे करीब एक एक कदम बढ़ाया और तुरंत मेरे गले से लिपटके रोने लगी...मैं उसके ज़ुल्फो को सहलाने लगा जानता था कि वो हां कर चुकी थी

उस रात मैने उसे छुआ नही उसे बस इतना कहा कि जब तक मैं तुम्हारी माँग ना भर दूं जब तक तुमसे शादी ना कर लू मैं तुम्हे छूउंगा भी नही....

हम करीब 3 दिन दार्जीलिंग में रहे...उसके बाद हम वापिस अपने टाउन पहुचे....माँ अंजुम को मैने खुलके विस्तार से सबकुछ बता दिया था....माँ ने ये बात तपोती से नही पूछी क्यूंकी वो मेरी माँ से काफ़ी डरी हुई थी कि उसे लगा कि शायद वो नाराज़ हो या उसे डान्टे फटकारे....पर माँ अंजुम ने तस्सली लेते हुए कहा कि तू बेटा अब जो इरादा कर लिया उसे अब अंजाम दे दे...

22 तारिक़ को तपोती और मैने उसकी मर्ज़ी के तेहेत मंदिर में शादी कर ली थी...वहाँ मेरे पिता मौज़ूद थे...मेरी माँ मेरी सबकुछ मेरी अंजुम वहाँ मज़ूद थी...वहाँ मेरा दोस्त मेरा जिगरी यार समीर भी था अपनी माँ सोफीया के साथ.....एक ओर राजीव दा और उनकी बीवी ज्योति भाभी मज़ूद थी...

हर कोई हम पर फूल बरसाए हंस रहा था जैसे खुशी मना रहा हो इस दिन के लिए...हमने दूसरे दिन परिवारिक रिवाज़ के अनुसार निक़ाह भी कर लिया....अब तपोती मेरी पूरी तरीके से बीवी बन चुकी थी...माँ अपनी बहू को लिए घर आई साथ में ज्योति भाभी और सोफीया भी उनके साथ थे...कमरे को सज़ा धजाके अंजुम तपोती को वहाँ बैठा छोड़ बाहर आ गयी....राजीव दा अपनी बीवी के साथ मेरे इन्विटेशन पे वापिस टाउन लौटे थे साथ में समीर को भी मैने ही फोन करके बुलाया था...हम सब हँसी मज़ाक कर रहे थे....समीर और राजीव ने मेरे इरादे से काफ़ी सहमति जताई थी....

उसके बाद वो लोग चले गये तो मैं फारिग हुआ घर में दाखिल हुआ....माँ बाबूजी को लिए अपने कमरे में घुस कर दरवाजा लगा चुकी थी मैं जानता था उसने तपोती और मुझे यूँ अकेला एक कमरे में किस वास्ते छोड़ा था?

ये हमारी सुहागरात थी और ये दिन सिर्फ़ मेरे और तपोती के अकेले का था....आज जैसे उसने खुद तपोती को मेरे लिए छोड़ दिया था कि उसका बेटा उसे जी भरकर प्यार करे....मैने तपोती को सुहागन के कपड़ों में पाया तो मुस्कुराए उसके पास बैठा

तपोती शरमाते हुए मुझसे नज़र चुरा रही थी...

."आज मेरा वादा पूरा हुआ तपोती अब मुझे अपने दिल की जो हसरत पूरी करनी है वो कर लेने दो".........

..तपोती ने मुस्कुराते हुए खुद ही मुझे अपने करीब खीच लिया मुझे उसके बदन पे हाथ लगाने से उसने ज़रा सा भी ऐतराज़ ना किया.....

आदम : तपोती मेरे से वादा करो कि ये शादी के बाद तुम मेरे घर को भी उतना ही मान दोगि जितना मुझे और ये ना भूलना कि मेरी माँ की भी मेरी ज़िंदगी में उतनी ही जगह है जितनी तुम्हारी....

तपोती : मैं जानती हूँ आदम मैं वचन देती हूँ कि अपने पति के साथ साथ उनके सभी जुड़े लोगो को उतना ही प्यार करूँगी और उतना ही उनका ध्यान रखूँगी

आदम फूला नही समाया तपोती के इस वचन से.....

आदम ने धीरे धीरे तपोती की साड़ी खीचके उतार दी थी....उसके ब्लाउस के बटन्स दोनो हाथो से खोलते हुए उसे मैने बीच से फाँक कर दिया जिससे अंदर की पिंक ब्रा उसके सामने आ गयी....तपोती की नाभि को सहलाते हुए आदम ने उसके गुदाज़ पेट पे हाथ नीचे ले जाते हुए उसके पेटिकोट की डोरी खीच डाली...उसने तपोती के एक एक गहनो को बड़े अहेतियात से उसके शरीर से अलग करके फ़ैक् दिया....

कान के झूमकों को उसने अपने दाँतों से खीच खीच के आदम ने उतारे थे...तपोती अब भी दुल्हन के लीबाज मे सजी हुई थी...वो बेन्तेहा खूबसूरत लग रही थी....आदम उसकी काजल लगी आँखो को देखते हुए उसके गुलाबी होंठो पे लगे लाल लिपस्टिक के रंग को देखने लगा उसने होंठो उंगली फैरि फिर उसने तपोती के बाल खोल दिए....
 
तपोती बिस्तर पे जैसे पीठ के बल लेट गयी....तपोती जानती थी कि सुहागरात तो वो पहले ही मना चुके थे....पर आज उनकी शादी हुई थी इसलिए अपने पति के सामने उसने खुद ही अपनी ब्रा का हुक खोल कर उसके फितो को अपने बाजुओं से निकालते हुए अपनी छाती से अलग करके एक ओर फ़ैक् दिया....जिससे तपोती की छातिया आदम के सामने प्रस्तुत हो गयी...

आदम ने एक को हाथो में भरके कस कर दबाया और दूसरे को मुँह में भर लिया...तपोती कसमसाई आदम के सर के बालों को सहला रही थी...जैसे उसे अपना दूध पिला रही हो....आदम ने बारी बारी से दोनो छातियो को खूब कस कर दबाया और दोनो को निपल सहित चूसा...फिर उसने तपोती को देखते हुए नीचे अपना हाथ ले गया और उसकी पैंटी को खीचके उतारने लगा....तपोती ने अपनी दोनो टांगे फैला दी जिससे पैंटी को उतारने में आदम को आसानी हुई...

पैंटी बिस्तर से नीचे गिर पड़ी....आदम ने अपनी शेरवानी को उतारा फिर अपनी पाजामे की डोरी खीच डाली उसके बाद अपने मोष्टंडे लंड की चमड़ी को आगे पीछे करते हुए तपोती की ओर मुस्कुरा के देखा....तपोती उसके शरीर को एकटक घूर्र रही थी....

तपोती की चूत आज एकदम शेव्ड थी....आदम ने पूछा तो उसने बताया कि लाजो ने दिन में ही उसे अपने बगल और चूत को सॉफ करने को कहा था...क्यूंकी आज उसकी सुहागरात जो थी....उसे तो यही लगा कि आज पत्नी के रूप में ही आदम उसे चोदेगा....लेकिन लाजो को तपोती ने नही बताया कि दार्जीलिंग में वो पहले ही सुहागरात मना चुके थे.....आदम हंस पड़ा

उसने तपोती के पवरोटी जैसी फूली चूत पे अपनी जीब लगाई और दाने को चूस्ते हुए चूत पे अपना मुँह रख दिया....तपोती ने टांगे और फैला ली और आदम जीब को गहराई तक घुसाते हुए चूत को वैसे ही चाट्ता रहा....उसने इस बार दो उंगली अंदर सरकानी चाही तो चूत की सख्ती ने उसे अंदर नही लिया...तपोती ने तत्काल अपने कुल्हो को ढीला छोड़ दिया...ताकि उंगली आसानी से अंदर प्रवेश कर सके...तपोती की गरम सख़्त चूत में उंगली किए आदम उसकी चूत पे मुँह रखके जीब से चाट भी रहा था....

तपोती उसे एकटक देखके लज़्जत में आहें भर रही थी...एक उंगली अपने मुँह में लिए दाँतों से जैसे लज़्जत में काट रही थी...आदम की ज़ुबान चूत पे तेज़ी से चलने लगे....कुछ ही देर में उसने अपनी चार उंगली अंदर की और तेज़ी से चूत को उंगली करने लगा....जिससे तपोती कुछ क्षण में ही अकड़ने लगी तो उसने आदम की हाथ को कस कर पकड़ लिया...जो चूत से अंदर बाहर हो रहा था...

आदम ने जब चूत से चार उंगली बाहर खीची...तो उसमें एकदम सफेद वीर्य भरा रस लगा हुआ था चिपचिपा सा जिसमें से महेक आ रही थी...तपोती साँस छोड़ रही थी जैसे वो हाँफ रही हो...

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उधर अंजुम की अभी आँख लगी ही थी कि दरवाजे पे दस्तक हुई...अंजुम हड़बड़ा के उठ बैठी आँखो में आई नींद टूट चुकी थी...उसने उठके एक बार लॅंप जलाया और घड़ी की ओर देखा सवा डेढ़ बजे थे सुबह के....उसने उठके अपनी नाइटी ठीक की बगल में उसका पति घोड़े बेचके सो रहा था करवट लिए....उसने दरवाजा खोला...दरवाजा खोलते ही उसने पाया कि आदम खुले बदन बस एक ढीला पाजामा डाले खड़ा है उसके पाजामे में लॉडा एकदम अकडा हुआ दिख रहा है..

अंजुम ने उसकी हालत को देखते हुए उससे पूछा क्या हुआ?........

.."माँ तेरी मदद चाहिए"........

"क्यूँ क्या हुआ?"......सच में अब ऐसे सुहागरात के वक़्त उसने इतनी रात गये जब दस्तक दी तो माँ को तो परेशान होना लाज़मी था...उसने तत्काल सवालिया निगाहो से ही देखा बेटे को.....

आदम : माँ तू थोड़ा असिस्ट कर दे वो तपोती एकदम कुँवारी है और उसके गुप्ताँग एकदम सख़्त जैसे डाल रहा हूँ वो दर्द से करहा उठती है....और आप तो जानती हो सुहागरात बीच में छोड़ देना ग़लत माना जाता है

अंजुम शरम के मारे लाल हो गयी "छी छी अरे तो बेटा इसमें मैं क्या करू? वो क्या सोचेगी कि तू उसकी सास के सामने उसके साथ करना चाह रहा है"............

"माँ उसे सब मालूम है मैने उसे सब बता रखा है".......

."क्या? ......माँ के आँखे हैरत से बड़ी बड़ी हो गयी...

अंजुम और कुछ कह भी पाती तो बेटे ने उसके हाथ को कस कर पकड़ा और कहा कि साथ चले वो एक औरत है और एक औरत ही दूसरी औरत को उस हालातों में संभाल सकती है....अंजुम जानती थी कि बेटे का औज़ार काफ़ी सख़्त और मोटा है दर्द तो कुँवारी तपोती को होना ही था...पर फिर भी तपोती को सब मालूम है सुनके उसे झटका लगा कि वो क्या सोचेगी उन दोनो के बारे में

उस वक़्त अंजुम को कहने का मौका नही मिला फिर भी उसने यही कहा कि तुम दोनो तो हमबिस्तर हुए थे तो फिर आज कैसे नही तू तपोती की चुदाई कर पा रहा....पर आदम ने कहा कि उस वक़्त तपोती ने उसे झेल ज़रूर लिया था पर आज करने से उसे फिर ब्लीडिंग हो रही है....अंजुम को समझ आया कि तपोती ने अपना कुँवारापन पूरी तरीके से नही खोया था....वो चप्पल पहनी अपने पति को सोया छोड़ कमरे का दरवाजा अच्छे से लगाई...फिर बेटे का हाथ पकड़े उसके रूम में अंदर आई...

अंजुम जैसे अंदर आई उसने तपोती को दर्द में पाया वो पूरी नंगी लेटी हुई थी तकिये के पास एक तौलिया था जिसपे हल्का हल्का खून लगा हुआ था और बिस्तर पे फूल की पंखुड़िया जो उसने बिछाए थे बिखरे हुए थे...तपोती अंजुम को देखके शरम से पानी पानी हो गयी....

आदम ने दरवाजा लगाया कमरे का और दोनो को देख मुस्कुराया.....अंजुम ने तपोती के पास आके उसके माथे पे हाथ फेरा...तपोती साँसें खीच रही थी...

अंजुम : बेटा तुम ठीक हो?

तपोती : ह..हां क..ककिी बहुउत दर्द्द होने लगा ये देख ना सके तो आपको बुला लिए (तपोती ने जैसे नज़रें झुका ली)

अंजुम ने बेटे को डांटा "एक नंबर का बेअकल है तू...ये बीवी है तेरी आराम से करता बेवकूफ़ ऐसे कोई करता है कितना चेहरे पे दर्द सिमटा हुआ है इसके कुछ नही आता तुझे"......अंजुम की फटकार से आदम झेंप सा गया

अंजुम ने तपोती को शांत किया फिर अपने बेटे को उसने कहा कि अपना पाजामा उतारे और कोशिश करे...पाजामा उतारते ही दन दनाके माँ और तपोती के सामने उसका झूलता लंड सलामी देने लगा....उसके आकार को देख अंजुम ने ज़ोर से थूक घुन्टा...ये पहली बार था कि वो बेटे और उसकी बीवी के बीच बैठी हुई थी...
 
आदम ने कस कर अपना लंड तपोती की चूत में फिराया और उसकी टांगे अपने कंधो पे रखके पुश करना शुरू किया...सुपाडा जैसे अंदर गया तो तपोती ने दाँतों पे दाँत रख लिए...

."सस्स माँ".......तपोती ने सिसकी भरी...

."सस्सह कुछ नही होगा बाबू कुछ नही होगा स शांत".......माँ अंजुम उसके चेहरे के पसीने को पोंछते हुए उसके चेहरे को थपथपा रही थी...

"बेटा आहिस्ते से कर धीरे धीरे कर".....

आदम ने अपने लिंग को पकड़े थोड़ा आहिस्ते से पर थोड़े दबाव दिए अंदर को घुसाया...तो चूत के दोनो हिस्सो को जैसे चीरता हुआ लंड अंदर दाखिल होने लगा....अंजुम ने गौर किया कि तपोती दर्द से आँखे भीच रही है तो उसने दोनो हाथो से तपोती के चेहरे को सख्ती से थामा...."कर बेटा थोड़ा और ज़ोर लगा बाहर मत निकाल ना"......आदम ने पालन करते हुए कस कर एक आखरी दबाव दिया....

तो उसे अहसास हुआ कि तपोती ने चूत को एकदम सख़्त कर दिया...जिससे लंड अंदर फस गया....आदम को जलन सी महसूस हुई...उसने माँ को कहा...तो माँ ने अपनी बहू के बालों पे हाथ फेरते हुए उसे चूत ढीली करने को कहा..जैसे जैसे चूत ढीली हुई लंड और अंदर उसे अपने भीतर महसूस होने लगा..

अंजुम : हो गया ? (माँ ने बेटे से सवाल किया)

आदम : हां माँ सस्स ऐसा लग रहा है जैसे कितनी सख्ती है?

अंजुम : निकालना मत कुछ देर ऐसे ही ठहर

अंजुम ने बेटे की पीठ पे हाथ रखकर उसके दोनो हाथो को मोड़ के मुट्ठी में बदला और बिस्तर के इधर उधर रखकर उसका सहारा लिए बेटे को झुकने को कहा...आदम ने जब वैसे किया तो तपोती फिर रो पड़ी...क्यूंकी उसके झुकने से लंड का पूरा दबाव उसे अपनी चूत में हुआ था जिसका उसे दर्द हुआ...

"बाबू नही रोते नही सस्सह बस एक औरत हो झेलना सीखोगी नही तो सम्भालोगि कैसे? आगे कितने दर्द सहने होते है तुम्हें इस सांड़ को संभालना है"........अंजुम हंसते हुए तपोती के आँसुओं को पोंछते कहने लगी....
 
अंजुम ने बेटे के कुल्हो पे दोनो हाथ रखके और उसे कस कर नीचे तपोती पे झुका दिया एकदम....माँ उन दोनो के सामने खड़ी हुई और फिर बेटे को इशारा किया....आदम ने दोनो चुचियो को अपने मुट्ठी में कस लिया....और वैसे ही लंड को उसकी चूत की गहराईयो में डाले रहा....कुछ देर बाद तपोती शांत होने लगी...

आदम ने चुचियो को मुँह में भर लिया और कूल्हें आगे पीछे करने शुरू कर दिए...लंड चूत के अंदर बाहर होने लगा.....तपोती के चेहरे पे फिर दर्द के भाव आने से लगे....अंजुम को अपने बेटे को अपनी बीवी को चोदते हुए देख शरम आ रही थी....उसे अच्छा तो नही लग रहा था कि बेटा यूँ उसके सामने एक लड़की को चोद रहा है...पर वो उसकी बीवी थी और उसका भी हक़ था....

धीरे धीरे तपोती का दर्द आहों में तब्दील होने लगा...फिर वो खुद ही आदम से लिपट गयी...उसके पीठ पे हाथ फैरने लगी....अंजुम वहीं बैठी एक बार अपनी नाइटी से अपने गुप्ताँग को सहलाए होंठो से दाँत काटने लगी उसे अपनी ये बेशरम हरकत रास ना आई और वो मन ही मन हंस पड़ी....

तपोती शांत हो चुकी थी..आदम कस्स कस कर उसकी चूत फाड़ रहा था.....दोनो आहें लेने लगे थे....तपोती बीच बीच में अंजुम की तरफ देखती तो अंजुम उसे कहती कि वो ध्यान ना दे इधर उधर....इतने में आदम ने अपने तपोती के तपते होंठो को मुँह में भरके चुस्स लिया....अंजुम वैसी ही खड़ी दोनो को चुदाई करते देखने लगी....

कुछ ही देर में आदम एकदम कस कस कर धक्के लगाने लगा तो तपोती अपना सर इधर उधर मारते हुए कसमसाने लगी...अंजुम ने बेटे के कंधे पे हाथ रखा लेकिन बेटा वैसे ही धक्के पेलता रहा....."बस बस बेटा बस हो गया अब निकाल ले निकाल ले बेटा कंट्रोल बेटा काबू कर खुद पर".......

.आदम अकड़ ही जाता लज़्ज़त में उसने एकदम से तपोती को थाम लिया और उसके होंठो को चूमते हुए उसके उपर से हट गया...फ़ुउच्च से गीली चूत से लंड बाहर निकल आया...

अंजुम ने बेटे के हटते ही तौलिया से तपोती की चूत को अच्छे से पोन्छा उसने पाया कि खून आना बंद हो गया था पर हल्का हल्का वीर्य के साथ मिलके निकल रहा था...तपोती पष्ट पड़ गयी थी....आदम अपने झूलते लंड को मसल्ते हुए माँ को अपनी बहू के गुप्तांगो को सॉफ करते देख रहा था....

अंजुम : देखा मैने क्या कहा था? ये सब धीरे धीरे होता है फिर तभी मज़ा आएगा तुम दोनो को (कहते कहते शर्मां गयी तपोती ने मुँह पे हाथ रख लिया मुस्कुरा के)

अंजुम : अब उठो तपोती उठने में तक़लीफ़ तो नही हो रही ना

तपोती : जी नही सस्स (उठते हुए)

अंजुम ने उसे नंगे ही उठाया और फिर उसे कुतिया की मुद्रा में झुका दिया..

."अभी पहली बार है ज़्यादा दर्द लगे तो मना कर देना सेक्स में कभी भी कुछ छुपाना नही चाहिए....जब तक रज़ामंदी औरत की ना हो तब तक कुछ भी करना बेकार है अच्छा तपोती अपनी गान्ड को ढीली छोड़ो"........तपोती के कुल्हो को भीचते हुए अंजुम ने कहा..

तपोती ने ठीक वैसा किया अंजुम ने इस बीच उसके कुल्हो को थोड़ा फैलाक़े चौड़ा कर दिया ताकि बेटा अपना लिंग उस द्वार में अच्छे से दाखिल कर सके...

.आदम ने मुस्कुराते हुए माँ के कुल्हो को सहलाया तो माँ ने उसे आँख दिखाई....आदम शैतानी मुस्कुराहट देता हुआ..बिस्तर पे उठ खड़ा हुआ फिर धीरे धीरे तपोती के पीछे सवार होने लगा...

"हाँ आहिस्ते आहिस्ते से रुक वो लगा जेल्ली".......

आदम ने ट्यूब अपने लिंग पर लगाया फिर उसने तपोती के सुराख पे भी लगाया....और उसके बाद अपना लिंग उसके भीतरी क्षेत्र में दाखिल करने लगा...जैसे जैसे लिंग अंदर जाने लगा...तपोती को हल्का सा तेज़ दर्द उठा...वो दर्द से बिलबिला उठी....

"म्मामा आहह स"........वो रोई सी आवाज़ में फिर चीखी तो अंजुम ने आगे आके उसे फिर कस कर थामा....

"आदम धीरे धीरे ज़ोर से मत करना"......
 
आदम आदेश अनुसार माँ के अहेतियात करने से धीरे धीरे ज़ोर देने लगा...

तपोती की आँखो से आँसू गिरने लगे...उसके पाँव के पंजो में दर्द होने लगा उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई गरम सलाख उसके भीतर किसी ने डाल दी हो...उस जलन से वो रह नही पा रही थी...उसका दम जैसे निकल रहा था....अंजुम उसके बदन को सहलाते हुए उसे चुप कर रही थी....आदम ने थोड़ा कस कर पुश किया तो उसे अहसास हुआ कि और अंदर लिंग जा नही रहा था....उसने माँ को ये बात कहा तो माँ ने उसे इशारे इशारे से हल्का सा ज़ोर देने को कहा...

आदम जानता था उसे उस पर्दे को फाड़ना था...उसने पूरी ताक़त से करारा धक्का लगा दिया जिससे पर्दे को फाड़ते हुए लिंग और भी गहराई में जा धंसा....तपोती दर्द से रह ना पाई और रोने लगी...आदम वैसे ही उसके कुल्हो को पकड़े उस पर सवार रहा...

"काकी . निकालने बोलो इन्हेंन्न दर्द हो रहा हाई बहुत्त दर्द हो रहा है"......अंजुम ने उसे शांत करना चाहा..पर तपोती ने दर्द से कस कर अंजुम की कलाईयों को पकड़ा हुआ था....

आदम ने धीरे धीरे लंड को बाहर निकाल लिया जिससे तपोती का सिकुडा छेद एकदम खुल चुका था सुपाडे पे हल्का हल्का खून लगा हुआ था...तपोती दम साध के ढीली पड़ गयी....आदम ने फिर से उसके ढीली चूतड़ में अपना लंड घुसा डाला तो तपोती फिर चीख उठी...आदम ने इस बार कस कर उसे कंधो से जकड लिया और एक दो धक्के मारे जिससे तपोती दर्द सहन ना कर पाई और खुद की ही . को हिलाए लिंग बाहर करने लगी....

ऐसे ही कुछ देर तक आदम ने किया फिर लिंग बाहर को खीचा फिर तपोती के शांत पड़ते ही फिर उसके छेद के अंदर सरका दिया कुछ मर्तबा करने के बाद तपोती अब आहिस्ते आहिस्ते से अपनी गान्ड के भीतर लंड को झेलने लगी थी...अंजुम ने मना किया आदम को कि ज़्यादा ज़ोर से नही और कम करे...आदम ने . से अपना लंड बाहर निकाल लिया और तपोती को फिर लेटा दिया....उसने फिर तपोती की चूत में अपना लंड सॉफ किया फिर डाला....चूत अब आराम से लंड को अंदर बाहर ले रही थी...तपोती फिर शांत पड़ गयी....अंजुम बेटे की तरफ देख रही थी जो उसकी चुदाई में लगा हुआ था...

कुछ ही पल में आदम अकड़ने लगा और उसने अपना वीर्य चूत के भीतर ही उडेल दिया....वो पैड के टूटे पत्ते के भाती तपोती पे ढेर हो गया....अंजुम ने उसके शरीर को तपोती के उपर से हटाया....फिर उसने तपोती के बदन को छुआ जो गरम हो गया था....अंजुम ने फिर तपोती के गुप्तांगो पे मलम लगाया फिर उबला पानी किए कमरे में लौटी..फिर उसकी चूत और गान्ड की छेद को खूब सैका जिससे हल्का हल्का तपोती को राहत मिली....

जाते जाते उसने पष्ट पड़े अपने बेटे और बहू पे रज़ाई ओढ़ने को देते हुए कहा कि और तपोती को हाथ ना लगाए अभी उसने पूरी तरीके से अपना कुँवारापन खोया है उसे दर्द है उसे आराम करने दे.....कहते हुए अंजुम कमरे से चली तो गयी पर उसे महसूस हुआ कि उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी

उसे कमरे में आके नहाना पड़ गया.....अगले दिन वो सुबह देर से उठी जब लाजो आई...आदम उठ गया था पर तपोती वैसी ही नंगी रज़ाई ओढ़े सो रही थी...जब लाजो ने उसे उठाया तो उसका शरीर दर्द कर रहा अंजुम तब तक जाग चुकी थी अंजुम ने उससे पूछा कि उसे मालूम है कि उसके और बेटे के बीच क्या रिश्ते है? तपोती ने शरम से कहा बेहतर होगा ये आप ना पूछे जब मालूम है तो इस बारे में कुछ ना पूछिए अंजुम ने लज्जा पाया ....बेटा ऑफीस जा चुका था....अंजुम ने लाजो से कहा कि कुछ दिन वो तपोती के गुप्तांगो की सिकाई किया करे ताकि वो ठीक हो सके....लाजो ने शरमाते हुए स्वीकार कर लिया....

आदम का नसीब खराब कि सुहागरात मानने के कुछ ही दिन में तपोती को मांसिक हो गया...जबकि आदम ने उसके साथ पूरी तरीके से सेक्स किया था...इससे आदम अपनी बीवी को कुछ दिनो तक छू भी ना सका...लेकिन माँ अंजुम का उसे अब भी ख्याल था....वो रात माँ को भी तन्हाई में नही छोड़ता था...यही वजह थी कि उसने दो औरत को बखूबी संभाल लिया था और उन्हें अपने घर में बीवी के रूप में दर्ज़ा दे रखा था...
 
अंजुम ने बेटे की पीठ पे हाथ रखकर उसके दोनो हाथो को मोड़ के मुट्ठी में बदला और बिस्तर के इधर उधर रखकर उसका सहारा लिए बेटे को झुकने को कहा...आदम ने जब वैसे किया तो तपोती फिर रो पड़ी...क्यूंकी उसके झुकने से लंड का पूरा दबाव उसे अपनी चूत में हुआ था जिसका उसे दर्द हुआ...

"बाबू नही रोते नही सस्सह बस एक औरत हो झेलना सीखोगी नही तो सम्भालोगि कैसे? आगे कितने दर्द सहने होते है तुम्हें इस सांड़ को संभालना है"........अंजुम हंसते हुए तपोती के आँसुओं को पोंछते कहने लगी....

अंजुम ने बेटे के कुल्हो पे दोनो हाथ रखके और उसे कस कर नीचे तपोती पे झुका दिया एकदम....माँ उन दोनो के सामने खड़ी हुई और फिर बेटे को इशारा किया....आदम ने दोनो चुचियो को अपने मुट्ठी में कस लिया....और वैसे ही लंड को उसकी चूत की गहराईयो में डाले रहा....कुछ देर बाद तपोती शांत होने लगी...

आदम ने चुचियो को मुँह में भर लिया और कूल्हें आगे पीछे करने शुरू कर दिए...लंड चूत के अंदर बाहर होने लगा.....तपोती के चेहरे पे फिर दर्द के भाव आने से लगे....अंजुम को अपने बेटे को अपनी बीवी को चोदते हुए देख शरम आ रही थी....उसे अच्छा तो नही लग रहा था कि बेटा यूँ उसके सामने एक लड़की को चोद रहा है...पर वो उसकी बीवी थी और उसका भी हक़ था....

धीरे धीरे तपोती का दर्द आहों में तब्दील होने लगा...फिर वो खुद ही आदम से लिपट गयी...उसके पीठ पे हाथ फैरने लगी....अंजुम वहीं बैठी एक बार अपनी नाइटी से अपने गुप्ताँग को सहलाए होंठो से दाँत काटने लगी उसे अपनी ये बेशरम हरकत रास ना आई और वो मन ही मन हंस पड़ी....

तपोती शांत हो चुकी थी..आदम कस्स कस कर उसकी चूत फाड़ रहा था.....दोनो आहें लेने लगे थे....तपोती बीच बीच में अंजुम की तरफ देखती तो अंजुम उसे कहती कि वो ध्यान ना दे इधर उधर....इतने में आदम ने अपने तपोती के तपते होंठो को मुँह में भरके चुस्स लिया....अंजुम वैसी ही खड़ी दोनो को चुदाई करते देखने लगी....

कुछ ही देर में आदम एकदम कस कस कर धक्के लगाने लगा तो तपोती अपना सर इधर उधर मारते हुए कसमसाने लगी...अंजुम ने बेटे के कंधे पे हाथ रखा लेकिन बेटा वैसे ही धक्के पेलता रहा....."बस बस बेटा बस हो गया अब निकाल ले निकाल ले बेटा कंट्रोल बेटा काबू कर खुद पर".......

.आदम अकड़ ही जाता लज़्ज़त में उसने एकदम से तपोती को थाम लिया और उसके होंठो को चूमते हुए उसके उपर से हट गया...फ़ुउच्च से गीली चूत से लंड बाहर निकल आया...

अंजुम ने बेटे के हटते ही तौलिया से तपोती की चूत को अच्छे से पोन्छा उसने पाया कि खून आना बंद हो गया था पर हल्का हल्का वीर्य के साथ मिलके निकल रहा था...तपोती पष्ट पड़ गयी थी....आदम अपने झूलते लंड को मसल्ते हुए माँ को अपनी बहू के गुप्तांगो को सॉफ करते देख रहा था....

अंजुम : देखा मैने क्या कहा था? ये सब धीरे धीरे होता है फिर तभी मज़ा आएगा तुम दोनो को (कहते कहते शर्मां गयी तपोती ने मुँह पे हाथ रख लिया मुस्कुरा के)

अंजुम : अब उठो तपोती उठने में तक़लीफ़ तो नही हो रही ना

तपोती : जी नही सस्स (उठते हुए)

अंजुम ने उसे नंगे ही उठाया और फिर उसे कुतिया की मुद्रा में झुका दिया..

."अभी पहली बार है ज़्यादा दर्द लगे तो मना कर देना सेक्स में कभी भी कुछ छुपाना नही चाहिए....जब तक रज़ामंदी औरत की ना हो तब तक कुछ भी करना बेकार है अच्छा तपोती अपनी गान्ड को ढीली छोड़ो"........तपोती के कुल्हो को भीचते हुए अंजुम ने कहा..
 
तपोती ने ठीक वैसा किया अंजुम ने इस बीच उसके कुल्हो को थोड़ा फैलाक़े चौड़ा कर दिया ताकि बेटा अपना लिंग उस द्वार में अच्छे से दाखिल कर सके...

.आदम ने मुस्कुराते हुए माँ के कुल्हो को सहलाया तो माँ ने उसे आँख दिखाई....आदम शैतानी मुस्कुराहट देता हुआ..बिस्तर पे उठ खड़ा हुआ फिर धीरे धीरे तपोती के पीछे सवार होने लगा...

"हाँ आहिस्ते आहिस्ते से रुक वो लगा जेल्ली".......

आदम ने ट्यूब अपने लिंग पर लगाया फिर उसने तपोती के सुराख पे भी लगाया....और उसके बाद अपना लिंग उसके भीतरी क्षेत्र में दाखिल करने लगा...जैसे जैसे लिंग अंदर जाने लगा...तपोती को हल्का सा तेज़ दर्द उठा...वो दर्द से बिलबिला उठी....

"म्मामा आहह स"........वो रोई सी आवाज़ में फिर चीखी तो अंजुम ने आगे आके उसे फिर कस कर थामा....

"आदम धीरे धीरे ज़ोर से मत करना"......

.आदम आदेश अनुसार माँ के अहेतियात करने से धीरे धीरे ज़ोर देने लगा...

तपोती की आँखो से आँसू गिरने लगे...उसके पाँव के पंजो में दर्द होने लगा उसे ऐसा लग रहा था जैसे कोई गरम सलाख उसके भीतर किसी ने डाल दी हो...उस जलन से वो रह नही पा रही थी...उसका दम जैसे निकल रहा था....अंजुम उसके बदन को सहलाते हुए उसे चुप कर रही थी....आदम ने थोड़ा कस कर पुश किया तो उसे अहसास हुआ कि और अंदर लिंग जा नही रहा था....उसने माँ को ये बात कहा तो माँ ने उसे इशारे इशारे से हल्का सा ज़ोर देने को कहा...

आदम जानता था उसे उस पर्दे को फाड़ना था...उसने पूरी ताक़त से करारा धक्का लगा दिया जिससे पर्दे को फाड़ते हुए लिंग और भी गहराई में जा धंसा....तपोती दर्द से रह ना पाई और रोने लगी...आदम वैसे ही उसके कुल्हो को पकड़े उस पर सवार रहा...

"काकी . निकालने बोलो इन्हेंन्न दर्द हो रहा हाई बहुत्त दर्द हो रहा है"......अंजुम ने उसे शांत करना चाहा..पर तपोती ने दर्द से कस कर अंजुम की कलाईयों को पकड़ा हुआ था....

आदम ने धीरे धीरे लंड को बाहर निकाल लिया जिससे तपोती का सिकुडा छेद एकदम खुल चुका था सुपाडे पे हल्का हल्का खून लगा हुआ था...तपोती दम साध के ढीली पड़ गयी....आदम ने फिर से उसके ढीली चूतड़ में अपना लंड घुसा डाला तो तपोती फिर चीख उठी...आदम ने इस बार कस कर उसे कंधो से जकड लिया और एक दो धक्के मारे जिससे तपोती दर्द सहन ना कर पाई और खुद की ही . को हिलाए लिंग बाहर करने लगी....

ऐसे ही कुछ देर तक आदम ने किया फिर लिंग बाहर को खीचा फिर तपोती के शांत पड़ते ही फिर उसके छेद के अंदर सरका दिया कुछ मर्तबा करने के बाद तपोती अब आहिस्ते आहिस्ते से अपनी गान्ड के भीतर लंड को झेलने लगी थी...अंजुम ने मना किया आदम को कि ज़्यादा ज़ोर से नही और कम करे...आदम ने . से अपना लंड बाहर निकाल लिया और तपोती को फिर लेटा दिया....उसने फिर तपोती की चूत में अपना लंड सॉफ किया फिर डाला....चूत अब आराम से लंड को अंदर बाहर ले रही थी...तपोती फिर शांत पड़ गयी....अंजुम बेटे की तरफ देख रही थी जो उसकी चुदाई में लगा हुआ था...

कुछ ही पल में आदम अकड़ने लगा और उसने अपना वीर्य चूत के भीतर ही उडेल दिया....वो पैड के टूटे पत्ते के भाती तपोती पे ढेर हो गया....अंजुम ने उसके शरीर को तपोती के उपर से हटाया....फिर उसने तपोती के बदन को छुआ जो गरम हो गया था....अंजुम ने फिर तपोती के गुप्तांगो पे मलम लगाया फिर उबला पानी किए कमरे में लौटी..फिर उसकी चूत और गान्ड की छेद को खूब सैका जिससे हल्का हल्का तपोती को राहत मिली....

जाते जाते उसने पष्ट पड़े अपने बेटे और बहू पे रज़ाई ओढ़ने को देते हुए कहा कि और तपोती को हाथ ना लगाए अभी उसने पूरी तरीके से अपना कुँवारापन खोया है उसे दर्द है उसे आराम करने दे.....कहते हुए अंजुम कमरे से चली तो गयी पर उसे महसूस हुआ कि उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी

उसे कमरे में आके नहाना पड़ गया.....
 
जाते जाते उसने पष्ट पड़े अपने बेटे और बहू पे रज़ाई ओढ़ने को देते हुए कहा कि और तपोती को हाथ ना लगाए अभी उसने पूरी तरीके से अपना कुँवारापन खोया है उसे दर्द है उसे आराम करने दे.....कहते हुए अंजुम कमरे से चली तो गयी पर उसे महसूस हुआ कि उसकी चूत पानी छोड़ चुकी थी

उसे कमरे में आके नहाना पड़ गया.....अगले दिन वो सुबह देर से उठी जब लाजो आई...आदम उठ गया था पर तपोती वैसी ही नंगी रज़ाई ओढ़े सो रही थी...जब लाजो ने उसे उठाया तो उसका शरीर दर्द कर रहा अंजुम तब तक जाग चुकी थी अंजुम ने उससे पूछा कि उसे मालूम है कि उसके और बेटे के बीच क्या रिश्ते है? तपोती ने शरम से कहा बेहतर होगा ये आप ना पूछे जब मालूम है तो इस बारे में कुछ ना पूछिए अंजुम ने लज्जा पाया ....बेटा ऑफीस जा चुका था....अंजुम ने लाजो से कहा कि कुछ दिन वो तपोती के गुप्तांगो की सिकाई किया करे ताकि वो ठीक हो सके....लाजो ने शरमाते हुए स्वीकार कर लिया....

आदम का नसीब खराब कि सुहागरात मानने के कुछ ही दिन में तपोती को मांसिक हो गया...जबकि आदम ने उसके साथ पूरी तरीके से सेक्स किया था...इससे आदम अपनी बीवी को कुछ दिनो तक छू भी ना सका...लेकिन माँ अंजुम का उसे अब भी ख्याल था....वो रात माँ को भी तन्हाई में नही छोड़ता था...यही वजह थी कि उसने दो औरत को बखूबी संभाल लिया था और उन्हें अपने घर में बीवी के रूप में दर्ज़ा दे रखा था...

"हेलो?"..............आज शादी को 20 दिन हो चुके थे मैं दफ़्तर के लॅपटॉप पे काम कर ही रहा था कि इतने में पाया कि तपोती का कॉल था....मैने झट से फोन रिसीव किए उठाया और मुस्कुराते हुए कहा

तपोती : अरे अभी आप ऑफीस में रात 8 बजने को है

आदम : अरे बाबा वो रिपोर्ट तय्यार कर रहा था....और फिर एफसीआइ ऑफीस भी गया था ना तो लेट हो गया अभी ऑफीस पहुचा हूँ कहो क्या बात है? सब्ज़िया ख़तम हो गयी क्या? या तरकारी लाना है? चिकन,फिश कुछ (एक गृहस्थ परिवार चल रहा था मेरा जिस बाबत मैने उससे पूछा)

तपोती : सब्ज़ी तरकारी सब है लेकिन मुझे चाहिए कि आप जल्दी घर आओ बस

आदम : क्यूँ? आज कोई स्पेशल डे ओह्ह याद आया तुम्हारे पीरियड्स ख़तम हो गये ना इसलिए

तपोती : छी बस आपको हमेशा यही सब सूझता रहता है जो कहा है फ़ौरन करो घर आओ बस

आदम : तुम्हारी फेव पेस्ट्री लाउ क्या? वहीं स्ट्रॉबेरी आंड वेनिला वाली (मैने नज़ाकत से पूछा वो हमेशा ऑफीस से पहले चटोरी लड़की की तरह कुछ ना कुछ ज़रूर फरमाइश करती थी मुझे)

तपोती : ले आओ पर तुम भी आओ

आदम : युवर विश ईज़ माइ कमॅंड मेडम

तत्काल फोन मैने काटते हुए पॉकेट में रखा....और ऑफीस से निकला फारिघ् हुए रात 8:30 बजते बजते...फिर बाइक से शॉप गया वहाँ से पूरे परिवार के लिए पेस्ट्री ली...मैने बेज़ार से जाते वक़्त माँ के लिए सुखी सीफूड फिश खरीद ली जो वो कयि दिनो से पिता जी से कह रही थी जो वो लाए नही थे आजकल रात को ही आते थे क्यूंकी उन्होने टाउन में बड़ा सा फॅब्रिकेशन लाइन खोल दिया था...

मैं घर आया बाइक पार्क की...कमरे में दाखिल हुआ तो माँ ने मेरा रास्ता रोका और पहले मुझसे सारी चीज़ें ली...पेस्ट्री का एक बॉक्स लेते हुए मैने उसे सारे सामान दे दिए...."अरे माँ तपोती कोताई? (किधर है)".....
 
..माँ ने मुस्कुराते हुए कहा होगी अपने कमरे में मुझे तो काम है मैं तो रसोईघर में जा रही हूँ

आदम : अरे माँ ये लो (माँ ने झोले से मछली देख मुस्कुराया जैसे उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा हो)

आदम : तेरी फेव सीफूड वाली फिश क्रिस्पी बनाना

अंजुम : अच्छा तो बीवी के साथ साथ माँ का भी ख्याल है

आदम : हाहाहा बीवी तो तू भी है

अंजुम : बस बस बहुत मास्का लगता है जा कमरे में जाके थोड़ा मुँह हाथ धो और आराम कर

आदम : लेकिन माँ तूने! अज़ीब है तपोती के बारे में पूछा तो रसोईघर चली गयी उफ्फ क्या करती है ये दोनो औरतें घर में

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मैं सवालो के घेरे में जैसे ही अपने कमरे में आया तो पाया लाइट्स ऑफ थी लाइट ऑफ करने जा ही रहा था कि मैने देखा कि माँ ने दरवाजा बाहर से लगा दिया..

."अरे माँ ये क्या कर रही हो अरे माँ ये क्या हरकत है? माँ दरवाजा खोलो"........मैने माँ को आवाज़ लगाई पर उसने दरवाजा ना खोला

"पता नही क्या हो रहा है?".........इतने में मैं पलटकर देखा कि तब तक किसी ने बिस्तर और टेबल पे कॅंडल्स जलाए छोड़े हुए थे....मैं मुस्कुरा के समझ रहा था कि ये मेरे लिए सर्प्राइज़ है....कमरा कॅंडल की रोशनी से जगमग कर रहा था..फिर भी आस पास अंधेरा था....

"तपोती तपोती कहाँ हो तुम? देखो अगर ये कोई शरारत है ना तो देख लेना मैं तुम्हें आज छोड़ूँगा नही आज कमरे से निकलने ही नही दूँगा तुम्हें तपोती".........अभी मैं आवाज़ दिए पास के सोफे पे बैठा ही था कि इतने में पाया कि बाथरूम का दरवाजा खुला...

मैने गौर से देखा तो पाया उन पाओ में पायल थे...जिनके चलने से छन्न छन्न की सुरीली आवाज़ निकल रही थी...जैसे जैसे तपोती बाहर आई मेरी निगाह उसके पाओ से होते हुए उपर की ओर उठने लगी और एका एक मेरे नेत्र एकदम फैल गये वो दृश्य देखके....
 
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