hotaks444
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कुछ क्षण खामोशी रही....और फिर तपोती जैसे रो पड़ी..उसने जब मेरी ओर देखा तो मैने जानना चाहा कि उसकी क्या मर्ज़ी थी? उसने कुछ नही कहा बल्कि मेरे करीब एक एक कदम बढ़ाया और तुरंत मेरे गले से लिपटके रोने लगी...मैं उसके ज़ुल्फो को सहलाने लगा जानता था कि वो हां कर चुकी थी
उस रात मैने उसे छुआ नही उसे बस इतना कहा कि जब तक मैं तुम्हारी माँग ना भर दूं जब तक तुमसे शादी ना कर लू मैं तुम्हे छूउंगा भी नही....
हम करीब 3 दिन दार्जीलिंग में रहे...उसके बाद हम वापिस अपने टाउन पहुचे....माँ अंजुम को मैने खुलके विस्तार से सबकुछ बता दिया था....माँ ने ये बात तपोती से नही पूछी क्यूंकी वो मेरी माँ से काफ़ी डरी हुई थी कि उसे लगा कि शायद वो नाराज़ हो या उसे डान्टे फटकारे....पर माँ अंजुम ने तस्सली लेते हुए कहा कि तू बेटा अब जो इरादा कर लिया उसे अब अंजाम दे दे...
22 तारिक़ को तपोती और मैने उसकी मर्ज़ी के तेहेत मंदिर में शादी कर ली थी...वहाँ मेरे पिता मौज़ूद थे...मेरी माँ मेरी सबकुछ मेरी अंजुम वहाँ मज़ूद थी...वहाँ मेरा दोस्त मेरा जिगरी यार समीर भी था अपनी माँ सोफीया के साथ.....एक ओर राजीव दा और उनकी बीवी ज्योति भाभी मज़ूद थी...
हर कोई हम पर फूल बरसाए हंस रहा था जैसे खुशी मना रहा हो इस दिन के लिए...हमने दूसरे दिन परिवारिक रिवाज़ के अनुसार निक़ाह भी कर लिया....अब तपोती मेरी पूरी तरीके से बीवी बन चुकी थी...माँ अपनी बहू को लिए घर आई साथ में ज्योति भाभी और सोफीया भी उनके साथ थे...कमरे को सज़ा धजाके अंजुम तपोती को वहाँ बैठा छोड़ बाहर आ गयी....राजीव दा अपनी बीवी के साथ मेरे इन्विटेशन पे वापिस टाउन लौटे थे साथ में समीर को भी मैने ही फोन करके बुलाया था...हम सब हँसी मज़ाक कर रहे थे....समीर और राजीव ने मेरे इरादे से काफ़ी सहमति जताई थी....
उसके बाद वो लोग चले गये तो मैं फारिग हुआ घर में दाखिल हुआ....माँ बाबूजी को लिए अपने कमरे में घुस कर दरवाजा लगा चुकी थी मैं जानता था उसने तपोती और मुझे यूँ अकेला एक कमरे में किस वास्ते छोड़ा था?
ये हमारी सुहागरात थी और ये दिन सिर्फ़ मेरे और तपोती के अकेले का था....आज जैसे उसने खुद तपोती को मेरे लिए छोड़ दिया था कि उसका बेटा उसे जी भरकर प्यार करे....मैने तपोती को सुहागन के कपड़ों में पाया तो मुस्कुराए उसके पास बैठा
तपोती शरमाते हुए मुझसे नज़र चुरा रही थी...
."आज मेरा वादा पूरा हुआ तपोती अब मुझे अपने दिल की जो हसरत पूरी करनी है वो कर लेने दो".........
..तपोती ने मुस्कुराते हुए खुद ही मुझे अपने करीब खीच लिया मुझे उसके बदन पे हाथ लगाने से उसने ज़रा सा भी ऐतराज़ ना किया.....
आदम : तपोती मेरे से वादा करो कि ये शादी के बाद तुम मेरे घर को भी उतना ही मान दोगि जितना मुझे और ये ना भूलना कि मेरी माँ की भी मेरी ज़िंदगी में उतनी ही जगह है जितनी तुम्हारी....
तपोती : मैं जानती हूँ आदम मैं वचन देती हूँ कि अपने पति के साथ साथ उनके सभी जुड़े लोगो को उतना ही प्यार करूँगी और उतना ही उनका ध्यान रखूँगी
आदम फूला नही समाया तपोती के इस वचन से.....
आदम ने धीरे धीरे तपोती की साड़ी खीचके उतार दी थी....उसके ब्लाउस के बटन्स दोनो हाथो से खोलते हुए उसे मैने बीच से फाँक कर दिया जिससे अंदर की पिंक ब्रा उसके सामने आ गयी....तपोती की नाभि को सहलाते हुए आदम ने उसके गुदाज़ पेट पे हाथ नीचे ले जाते हुए उसके पेटिकोट की डोरी खीच डाली...उसने तपोती के एक एक गहनो को बड़े अहेतियात से उसके शरीर से अलग करके फ़ैक् दिया....
कान के झूमकों को उसने अपने दाँतों से खीच खीच के आदम ने उतारे थे...तपोती अब भी दुल्हन के लीबाज मे सजी हुई थी...वो बेन्तेहा खूबसूरत लग रही थी....आदम उसकी काजल लगी आँखो को देखते हुए उसके गुलाबी होंठो पे लगे लाल लिपस्टिक के रंग को देखने लगा उसने होंठो उंगली फैरि फिर उसने तपोती के बाल खोल दिए....
उस रात मैने उसे छुआ नही उसे बस इतना कहा कि जब तक मैं तुम्हारी माँग ना भर दूं जब तक तुमसे शादी ना कर लू मैं तुम्हे छूउंगा भी नही....
हम करीब 3 दिन दार्जीलिंग में रहे...उसके बाद हम वापिस अपने टाउन पहुचे....माँ अंजुम को मैने खुलके विस्तार से सबकुछ बता दिया था....माँ ने ये बात तपोती से नही पूछी क्यूंकी वो मेरी माँ से काफ़ी डरी हुई थी कि उसे लगा कि शायद वो नाराज़ हो या उसे डान्टे फटकारे....पर माँ अंजुम ने तस्सली लेते हुए कहा कि तू बेटा अब जो इरादा कर लिया उसे अब अंजाम दे दे...
22 तारिक़ को तपोती और मैने उसकी मर्ज़ी के तेहेत मंदिर में शादी कर ली थी...वहाँ मेरे पिता मौज़ूद थे...मेरी माँ मेरी सबकुछ मेरी अंजुम वहाँ मज़ूद थी...वहाँ मेरा दोस्त मेरा जिगरी यार समीर भी था अपनी माँ सोफीया के साथ.....एक ओर राजीव दा और उनकी बीवी ज्योति भाभी मज़ूद थी...
हर कोई हम पर फूल बरसाए हंस रहा था जैसे खुशी मना रहा हो इस दिन के लिए...हमने दूसरे दिन परिवारिक रिवाज़ के अनुसार निक़ाह भी कर लिया....अब तपोती मेरी पूरी तरीके से बीवी बन चुकी थी...माँ अपनी बहू को लिए घर आई साथ में ज्योति भाभी और सोफीया भी उनके साथ थे...कमरे को सज़ा धजाके अंजुम तपोती को वहाँ बैठा छोड़ बाहर आ गयी....राजीव दा अपनी बीवी के साथ मेरे इन्विटेशन पे वापिस टाउन लौटे थे साथ में समीर को भी मैने ही फोन करके बुलाया था...हम सब हँसी मज़ाक कर रहे थे....समीर और राजीव ने मेरे इरादे से काफ़ी सहमति जताई थी....
उसके बाद वो लोग चले गये तो मैं फारिग हुआ घर में दाखिल हुआ....माँ बाबूजी को लिए अपने कमरे में घुस कर दरवाजा लगा चुकी थी मैं जानता था उसने तपोती और मुझे यूँ अकेला एक कमरे में किस वास्ते छोड़ा था?
ये हमारी सुहागरात थी और ये दिन सिर्फ़ मेरे और तपोती के अकेले का था....आज जैसे उसने खुद तपोती को मेरे लिए छोड़ दिया था कि उसका बेटा उसे जी भरकर प्यार करे....मैने तपोती को सुहागन के कपड़ों में पाया तो मुस्कुराए उसके पास बैठा
तपोती शरमाते हुए मुझसे नज़र चुरा रही थी...
."आज मेरा वादा पूरा हुआ तपोती अब मुझे अपने दिल की जो हसरत पूरी करनी है वो कर लेने दो".........
..तपोती ने मुस्कुराते हुए खुद ही मुझे अपने करीब खीच लिया मुझे उसके बदन पे हाथ लगाने से उसने ज़रा सा भी ऐतराज़ ना किया.....
आदम : तपोती मेरे से वादा करो कि ये शादी के बाद तुम मेरे घर को भी उतना ही मान दोगि जितना मुझे और ये ना भूलना कि मेरी माँ की भी मेरी ज़िंदगी में उतनी ही जगह है जितनी तुम्हारी....
तपोती : मैं जानती हूँ आदम मैं वचन देती हूँ कि अपने पति के साथ साथ उनके सभी जुड़े लोगो को उतना ही प्यार करूँगी और उतना ही उनका ध्यान रखूँगी
आदम फूला नही समाया तपोती के इस वचन से.....
आदम ने धीरे धीरे तपोती की साड़ी खीचके उतार दी थी....उसके ब्लाउस के बटन्स दोनो हाथो से खोलते हुए उसे मैने बीच से फाँक कर दिया जिससे अंदर की पिंक ब्रा उसके सामने आ गयी....तपोती की नाभि को सहलाते हुए आदम ने उसके गुदाज़ पेट पे हाथ नीचे ले जाते हुए उसके पेटिकोट की डोरी खीच डाली...उसने तपोती के एक एक गहनो को बड़े अहेतियात से उसके शरीर से अलग करके फ़ैक् दिया....
कान के झूमकों को उसने अपने दाँतों से खीच खीच के आदम ने उतारे थे...तपोती अब भी दुल्हन के लीबाज मे सजी हुई थी...वो बेन्तेहा खूबसूरत लग रही थी....आदम उसकी काजल लगी आँखो को देखते हुए उसके गुलाबी होंठो पे लगे लाल लिपस्टिक के रंग को देखने लगा उसने होंठो उंगली फैरि फिर उसने तपोती के बाल खोल दिए....