desiaks
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उसकी सोचो को झटका लगता है जब डोर बेल्ल बजती है और वो बेड से उठ कर गेट खोलने को चल देती है.... बाहर शिप्रा और सतीश खड़े थे शिप्रा अंदर चलि जाती है और सतीश सोनाली से नजरे नहि मिला पा रहा था, वो अपनी गर्दन झुकाए घर के अंदर चल देता है... उसकी हरकत को देख कर सोनाली के होंठो पर स्माइल आ जाती है और वो गेट बंद करके किचन की और चल देती है... शिप्रा अपने रूम मे चेंज करने गई हुई थि, सतीश सोनाली को.किचन की तरफ जाता देख कर.....
सतीश- आप कहा जा रही हो माँ?
सोनाली पलट कर उसकी तरफ देखति है तो सतीश अपनी नजरे चुरा कर इधर उधर देखने लगता है, सोनाली अपने होंठो पर स्माइल लिए हुये- किचन मे जा रही हु, खाना बनाने के लिये...
सतीश- पर तुम्हे तो डॉक्टर ने आराम करने को बोला है ना...
सोनाली- पर अब तो मे ठीक हूँ ना और खाना ही तो बनाना है खाना बनाने मे कोई इतनी बड़ी दिक्कत थोड़े ही आ जाएगी....
सतीश अब उसकी नजारो मे एकटक देखते हुए उसकी तरफ बड जाता है- देखो माँ आपको आराम करना चाहिए और एक टाइम का खाना नहि खाएँगे तो हम मर थोड़े ही जाएंगे...
सोनाली- एक थप्पड़ मारूंगी अगर कभी ऐसी बात अपने मुह से निकाली तो....
सतीश उसके बिलकुल करीब पहुच कर उसकी आँखों मे झाकते हुये- एक हि क्या... एक हजार मार लेना पर आपको काम नहि करने दूँगा, आज तो आपको आराम करना ही पड़ेगा और आप खुद नहि जाओगी तो मे आपको गोदी मे उठा के ले जाऊंगा......
सोनाली भी एकटक सतीश की नजरो मे ही देख रही थी और उनमे उसे अपने लिए अताह प्रेम नजर आ रहा था...
सोनाली- अच्छा तू इतना बड़ा हो गया है की अब अपनी मम्मी को गोद मे उठा लगा...
सतीश-क्यों आपको यकीन नहि है क्या की मैं इतना बड़ा हो गया हूँ की आपको अपनी बाहो मे उठा सकू........
सोनाली- नहि मुझे तो यकीन नहि की तू इतना बड़ा हो गया की मुझ जैसी मोटी को अपनी बाँहों मे उठा सके, बहुत वजन है मेरे में...
सतीश- आप और मोटी....?
सतीश सोनाली की गर्दन के पीछे अपना एक हाथ ले जाता है और एक हाथ उसके पैरों के पीछे लगा कर उसे अपनी बाँहों मे उठा लेता है.....
सोनाली उसकी इस हरकत से चौक जाती है- अरेरे... सतीश मे गिर जाऊंगी...
सतीश- क्यों यकीन नहि क्या मुझ पर... ?
सोनाली कुछ नहि कहती और डरणे का बहाना करके उसके गले मे अपनी बाहे दाल देती है सतीश उसे अपनी बाँहों मे उठाये हुये उसके रूम की तरफ चल देता है....
सोनाली एकटक उसे ही देख रही थि, उसे सतीश पर बहुत प्यार आ रहा था... सतीश सोनाली के रूम मे जाकर उसे बेड पर लीटा देता है.... और फिर उसके पास बैठकर....
सतीश- हम्म्म्म आप और मोटी....
सोनाली- क्यों नहि हूँ क्या?
सतीश- फूल जितना वजन नहि है आपमें और कह रही हो अपने आप को मोटी, आप तो फूल की तरह नाजुक हो मम्मी.... और अब तो यकीन हो गया ना की आपका बेटा अब बड़ा हो गया है....
सोनाली- हम्म्म मुझे तो पता ही नहि चला की कब तू जवान हो गया.... तू तो अब इतना बड़ा हो गया की अपनी माँ का वजन भी तुझे कुछ नहि लग रहा....
सतीश ताव मे आकर- अरे माँ आपने अभी देखा ही कहा है की आपका बेटा कितना बड़ा हो गया है, जब देख लोगी तब पता चलेगा की आपका बेटा इतना बड़ा हो गया है आप जैसी कइयो को हैंडल कर सकता है....
ओर ये सब बोल कर सतीश झेप जाता है उसे यकीन ही नहि होता की उसने फिर से इतनी बड़ी बेवकूफ़ी कैसे कर दि... सोनाली उसकी ये बात सुनकर मुस्कुरा देती है....
सोनाली- अब बातो से ही अपनी माँ का पेट् भरेगा क्या? वैसे तो बड़ी चिंता करता है अपनी माँ की और इस बात की बिलकुल फ़िक्र नहि की तेरी माँ ने सुबह से नाश्ते के अलावा कुछ भी नहि खाया है....
सतीश- आरे मुझे तो ध्यान ही नहि था, आप वेट करो मे अभी खाने की ब्यवस्था करता हु....
ओर सतीश बेड से उठ कर चल देता है तभी उसे सीडियों से उतरती शिप्रा नजर आती है, वो बिना रुके गेट की तरफ चल देता है की तभी शिप्रा पीछे से उसे आवाज देकर रोक लेती है...
शिप्रा- भाई कहा जा रहे हो और माँ कहा है?
सतीश- माँ की तबियत सही नहि है
शिप्रा परेशान होते हुये- क्यों क्या हुआ माँ को?
सतीश-कुछ नहि हल्का सा बुखार था मैंने डॉक्टर अंकल को बुलवा के दिखवाया उन्होंने कहा है की माँ को आराम की सख्त जरुरत है और वो कुछ ही दिनों मे फिट हो जाएंगी...
शिप्रा-ओह्ह, पर तुम कहा जा रहे थे.....
सतीश-बाहर से खाना लेने जा रहा हु, क्युकी मैंने मम्मी से खाना बनाने को मना कर दिया है, उन्हें आराम की जरुरत है इसलीये....
शिप्रा- तो बाहर जाने की क्या जरुरत है मे घर पर ही खाना बना लेती हु थोडे टाइम मे खाना तैयार कर लुंगी....
सतीश उसकी तरफ हैरत से देखते हुये- क्या कहा तूने?? खाना तू बनाएगी.... है है ह
शिप्रा रुआंसी होते हुये- क्यों मे नहि बना सकती क्या?
सतीश- आप कहा जा रही हो माँ?
सोनाली पलट कर उसकी तरफ देखति है तो सतीश अपनी नजरे चुरा कर इधर उधर देखने लगता है, सोनाली अपने होंठो पर स्माइल लिए हुये- किचन मे जा रही हु, खाना बनाने के लिये...
सतीश- पर तुम्हे तो डॉक्टर ने आराम करने को बोला है ना...
सोनाली- पर अब तो मे ठीक हूँ ना और खाना ही तो बनाना है खाना बनाने मे कोई इतनी बड़ी दिक्कत थोड़े ही आ जाएगी....
सतीश अब उसकी नजारो मे एकटक देखते हुए उसकी तरफ बड जाता है- देखो माँ आपको आराम करना चाहिए और एक टाइम का खाना नहि खाएँगे तो हम मर थोड़े ही जाएंगे...
सोनाली- एक थप्पड़ मारूंगी अगर कभी ऐसी बात अपने मुह से निकाली तो....
सतीश उसके बिलकुल करीब पहुच कर उसकी आँखों मे झाकते हुये- एक हि क्या... एक हजार मार लेना पर आपको काम नहि करने दूँगा, आज तो आपको आराम करना ही पड़ेगा और आप खुद नहि जाओगी तो मे आपको गोदी मे उठा के ले जाऊंगा......
सोनाली भी एकटक सतीश की नजरो मे ही देख रही थी और उनमे उसे अपने लिए अताह प्रेम नजर आ रहा था...
सोनाली- अच्छा तू इतना बड़ा हो गया है की अब अपनी मम्मी को गोद मे उठा लगा...
सतीश-क्यों आपको यकीन नहि है क्या की मैं इतना बड़ा हो गया हूँ की आपको अपनी बाहो मे उठा सकू........
सोनाली- नहि मुझे तो यकीन नहि की तू इतना बड़ा हो गया की मुझ जैसी मोटी को अपनी बाँहों मे उठा सके, बहुत वजन है मेरे में...
सतीश- आप और मोटी....?
सतीश सोनाली की गर्दन के पीछे अपना एक हाथ ले जाता है और एक हाथ उसके पैरों के पीछे लगा कर उसे अपनी बाँहों मे उठा लेता है.....
सोनाली उसकी इस हरकत से चौक जाती है- अरेरे... सतीश मे गिर जाऊंगी...
सतीश- क्यों यकीन नहि क्या मुझ पर... ?
सोनाली कुछ नहि कहती और डरणे का बहाना करके उसके गले मे अपनी बाहे दाल देती है सतीश उसे अपनी बाँहों मे उठाये हुये उसके रूम की तरफ चल देता है....
सोनाली एकटक उसे ही देख रही थि, उसे सतीश पर बहुत प्यार आ रहा था... सतीश सोनाली के रूम मे जाकर उसे बेड पर लीटा देता है.... और फिर उसके पास बैठकर....
सतीश- हम्म्म्म आप और मोटी....
सोनाली- क्यों नहि हूँ क्या?
सतीश- फूल जितना वजन नहि है आपमें और कह रही हो अपने आप को मोटी, आप तो फूल की तरह नाजुक हो मम्मी.... और अब तो यकीन हो गया ना की आपका बेटा अब बड़ा हो गया है....
सोनाली- हम्म्म मुझे तो पता ही नहि चला की कब तू जवान हो गया.... तू तो अब इतना बड़ा हो गया की अपनी माँ का वजन भी तुझे कुछ नहि लग रहा....
सतीश ताव मे आकर- अरे माँ आपने अभी देखा ही कहा है की आपका बेटा कितना बड़ा हो गया है, जब देख लोगी तब पता चलेगा की आपका बेटा इतना बड़ा हो गया है आप जैसी कइयो को हैंडल कर सकता है....
ओर ये सब बोल कर सतीश झेप जाता है उसे यकीन ही नहि होता की उसने फिर से इतनी बड़ी बेवकूफ़ी कैसे कर दि... सोनाली उसकी ये बात सुनकर मुस्कुरा देती है....
सोनाली- अब बातो से ही अपनी माँ का पेट् भरेगा क्या? वैसे तो बड़ी चिंता करता है अपनी माँ की और इस बात की बिलकुल फ़िक्र नहि की तेरी माँ ने सुबह से नाश्ते के अलावा कुछ भी नहि खाया है....
सतीश- आरे मुझे तो ध्यान ही नहि था, आप वेट करो मे अभी खाने की ब्यवस्था करता हु....
ओर सतीश बेड से उठ कर चल देता है तभी उसे सीडियों से उतरती शिप्रा नजर आती है, वो बिना रुके गेट की तरफ चल देता है की तभी शिप्रा पीछे से उसे आवाज देकर रोक लेती है...
शिप्रा- भाई कहा जा रहे हो और माँ कहा है?
सतीश- माँ की तबियत सही नहि है
शिप्रा परेशान होते हुये- क्यों क्या हुआ माँ को?
सतीश-कुछ नहि हल्का सा बुखार था मैंने डॉक्टर अंकल को बुलवा के दिखवाया उन्होंने कहा है की माँ को आराम की सख्त जरुरत है और वो कुछ ही दिनों मे फिट हो जाएंगी...
शिप्रा-ओह्ह, पर तुम कहा जा रहे थे.....
सतीश-बाहर से खाना लेने जा रहा हु, क्युकी मैंने मम्मी से खाना बनाने को मना कर दिया है, उन्हें आराम की जरुरत है इसलीये....
शिप्रा- तो बाहर जाने की क्या जरुरत है मे घर पर ही खाना बना लेती हु थोडे टाइम मे खाना तैयार कर लुंगी....
सतीश उसकी तरफ हैरत से देखते हुये- क्या कहा तूने?? खाना तू बनाएगी.... है है ह
शिप्रा रुआंसी होते हुये- क्यों मे नहि बना सकती क्या?