Maa Sex Story आग्याकारी माँ - Page 5 - SexBaba
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Maa Sex Story आग्याकारी माँ

उसकी सोचो को झटका लगता है जब डोर बेल्ल बजती है और वो बेड से उठ कर गेट खोलने को चल देती है.... बाहर शिप्रा और सतीश खड़े थे शिप्रा अंदर चलि जाती है और सतीश सोनाली से नजरे नहि मिला पा रहा था, वो अपनी गर्दन झुकाए घर के अंदर चल देता है... उसकी हरकत को देख कर सोनाली के होंठो पर स्माइल आ जाती है और वो गेट बंद करके किचन की और चल देती है... शिप्रा अपने रूम मे चेंज करने गई हुई थि, सतीश सोनाली को.किचन की तरफ जाता देख कर.....

सतीश- आप कहा जा रही हो माँ?

सोनाली पलट कर उसकी तरफ देखति है तो सतीश अपनी नजरे चुरा कर इधर उधर देखने लगता है, सोनाली अपने होंठो पर स्माइल लिए हुये- किचन मे जा रही हु, खाना बनाने के लिये...

सतीश- पर तुम्हे तो डॉक्टर ने आराम करने को बोला है ना...

सोनाली- पर अब तो मे ठीक हूँ ना और खाना ही तो बनाना है खाना बनाने मे कोई इतनी बड़ी दिक्कत थोड़े ही आ जाएगी....

सतीश अब उसकी नजारो मे एकटक देखते हुए उसकी तरफ बड जाता है- देखो माँ आपको आराम करना चाहिए और एक टाइम का खाना नहि खाएँगे तो हम मर थोड़े ही जाएंगे...

सोनाली- एक थप्पड़ मारूंगी अगर कभी ऐसी बात अपने मुह से निकाली तो....

सतीश उसके बिलकुल करीब पहुच कर उसकी आँखों मे झाकते हुये- एक हि क्या... एक हजार मार लेना पर आपको काम नहि करने दूँगा, आज तो आपको आराम करना ही पड़ेगा और आप खुद नहि जाओगी तो मे आपको गोदी मे उठा के ले जाऊंगा......

सोनाली भी एकटक सतीश की नजरो मे ही देख रही थी और उनमे उसे अपने लिए अताह प्रेम नजर आ रहा था...

सोनाली- अच्छा तू इतना बड़ा हो गया है की अब अपनी मम्मी को गोद मे उठा लगा...

सतीश-क्यों आपको यकीन नहि है क्या की मैं इतना बड़ा हो गया हूँ की आपको अपनी बाहो मे उठा सकू........

सोनाली- नहि मुझे तो यकीन नहि की तू इतना बड़ा हो गया की मुझ जैसी मोटी को अपनी बाँहों मे उठा सके, बहुत वजन है मेरे में...

सतीश- आप और मोटी....?

सतीश सोनाली की गर्दन के पीछे अपना एक हाथ ले जाता है और एक हाथ उसके पैरों के पीछे लगा कर उसे अपनी बाँहों मे उठा लेता है.....

सोनाली उसकी इस हरकत से चौक जाती है- अरेरे... सतीश मे गिर जाऊंगी...

सतीश- क्यों यकीन नहि क्या मुझ पर... ?

सोनाली कुछ नहि कहती और डरणे का बहाना करके उसके गले मे अपनी बाहे दाल देती है सतीश उसे अपनी बाँहों मे उठाये हुये उसके रूम की तरफ चल देता है....

सोनाली एकटक उसे ही देख रही थि, उसे सतीश पर बहुत प्यार आ रहा था... सतीश सोनाली के रूम मे जाकर उसे बेड पर लीटा देता है.... और फिर उसके पास बैठकर....

सतीश- हम्म्म्म आप और मोटी....

सोनाली- क्यों नहि हूँ क्या?

सतीश- फूल जितना वजन नहि है आपमें और कह रही हो अपने आप को मोटी, आप तो फूल की तरह नाजुक हो मम्मी.... और अब तो यकीन हो गया ना की आपका बेटा अब बड़ा हो गया है....

सोनाली- हम्म्म मुझे तो पता ही नहि चला की कब तू जवान हो गया.... तू तो अब इतना बड़ा हो गया की अपनी माँ का वजन भी तुझे कुछ नहि लग रहा....

सतीश ताव मे आकर- अरे माँ आपने अभी देखा ही कहा है की आपका बेटा कितना बड़ा हो गया है, जब देख लोगी तब पता चलेगा की आपका बेटा इतना बड़ा हो गया है आप जैसी कइयो को हैंडल कर सकता है....

ओर ये सब बोल कर सतीश झेप जाता है उसे यकीन ही नहि होता की उसने फिर से इतनी बड़ी बेवकूफ़ी कैसे कर दि... सोनाली उसकी ये बात सुनकर मुस्कुरा देती है....

सोनाली- अब बातो से ही अपनी माँ का पेट् भरेगा क्या? वैसे तो बड़ी चिंता करता है अपनी माँ की और इस बात की बिलकुल फ़िक्र नहि की तेरी माँ ने सुबह से नाश्ते के अलावा कुछ भी नहि खाया है....

सतीश- आरे मुझे तो ध्यान ही नहि था, आप वेट करो मे अभी खाने की ब्यवस्था करता हु....

ओर सतीश बेड से उठ कर चल देता है तभी उसे सीडियों से उतरती शिप्रा नजर आती है, वो बिना रुके गेट की तरफ चल देता है की तभी शिप्रा पीछे से उसे आवाज देकर रोक लेती है...

शिप्रा- भाई कहा जा रहे हो और माँ कहा है?

सतीश- माँ की तबियत सही नहि है

शिप्रा परेशान होते हुये- क्यों क्या हुआ माँ को?

सतीश-कुछ नहि हल्का सा बुखार था मैंने डॉक्टर अंकल को बुलवा के दिखवाया उन्होंने कहा है की माँ को आराम की सख्त जरुरत है और वो कुछ ही दिनों मे फिट हो जाएंगी...

शिप्रा-ओह्ह, पर तुम कहा जा रहे थे.....

सतीश-बाहर से खाना लेने जा रहा हु, क्युकी मैंने मम्मी से खाना बनाने को मना कर दिया है, उन्हें आराम की जरुरत है इसलीये....

शिप्रा- तो बाहर जाने की क्या जरुरत है मे घर पर ही खाना बना लेती हु थोडे टाइम मे खाना तैयार कर लुंगी....

सतीश उसकी तरफ हैरत से देखते हुये- क्या कहा तूने?? खाना तू बनाएगी.... है है ह

शिप्रा रुआंसी होते हुये- क्यों मे नहि बना सकती क्या?

 
सतीश- हा, बना सकती है पर आज हमे डाबर हाजमोला की जरुरत पडने वाली है तेरे खाने को पचाने के लिये....

शिप्रा- क्या भैया, जाओ मे नहि बनाती ले आओ बाहर से...

ओर शिप्रा रूठ कर सोफ़े पर जाकर बैठ जाती है....

सतीश उसके पास जाकर उसे उठा कर अपने गले से लगा लेता है- अरे पगली मे तो मजाक कर रहा था... चल अब जल्दी से उठ मेरे पेट् मे चुहे कुद रहे है जल्दी से खाना बना दे.....

शिप्रा खुश होकर उससे अलग होती है- बस आप थोड़ी देर वेट करो मे अभी बनाती हूँ पर पहले मम्मी से मिललु...

ओर शिप्रा सोनाली के रूम की तरफ बढ़ जाती है और सतीश भी उसके पीछे चल देता है... शिप्रा सोनाली के रूम मे जाकर उसके बेड पर बैठ कर उसके गले लग जाती है और उसका हाल चाल पुछने लगती है और मैं बाहर गेट पर खड़ा ये सब देख रहा था, मैं अपनी आँखों से मम्मी के हर मूवमेंट और हर एक्सप्रेशन को कैच करने की कोसिश कर रहा था, मेरी नजरे उन्ही पर टिकी हुई थी और ये बात उन्होंने भी जान ली थी और उनके होंठो पर एक स्माइल आ गई थि, और वो शिप्रा से बात करते हुए बिच बिच मे मेरी तरफ देख रही थी और मे तो जैसे खो ही गया था उनकी सुंदरता मै...

थोड़ि देर बात करके शिप्रा बाहर खाना बनाने चलि जाती है... और सतीश अंदर सोनाली के पास जाकर बैठ जाता है....

सोनाली- गेट पर खड़े हुए तू घुर घुर कर क्या देख रहा था.......

सतीश- कुछ नहि देख रहा था की आप माँ बेटी मे आपस मे कितना प्यार है....

सोनाली- और कुछ तो नहि देख राह था ना....

सतीश- ह्ह्ह्हम्मम्म, देख तो रहा था....

सोनाली- क्या?

सतीश-आपको नहि पता की मे क्या देख रहा था....

सोनाली- अगर पता होता तो तेरे से पूछती क्या?

सतीश- मे इस दुनिया की सबसे खूबसूरत लेडी को देख रहा था......

सोनाली- अच्छा और कौन है ओ....

सतीश- ये तो मे अभी नहि बता सकता.... पर जल्द ही आपको पता चल जायेगा.....

सतीश को समझ आ गया था की उसकी माँ को उससे ऐसी बाते करने मे कोई प्रॉब्लम नहि है और न ही वो उसकी किसी बात से नाराज है.... जब्कि इधर सोनाली भी अपने बेटे से अपनी तारीफ़ सुनकर गरम हो रही थी इतनी तारीफ़ तो कभी उसके हस्बैंड ने भी नहि करी थी जितनी की सतीश ने एक दिन मे कर दी थी..... कुछ तो था जो सोनाली को सतीश की तरफ अट्रॅक्ट कर रहा था अब चाहे वो सतीश का प्यार हो या फिर खुद उसकी जिस्म की आग जोकि काफी समय से ख़त्म नहि हुई थी और अब वो उसे अपने बेटे की तरफ ही आकर्षित कर रही थी..... पर जो भी हो सोनाली को इससे कोई आपत्ति नहि थी वो खुल कर सतीश के साथ मजे लेने का मन बना चुकी थी पर कही अंदर से उसकी आत्मा उसे अपने बेटे की तरफ अट्रॅक्ट होने से रोक रही थी और यहि वजह थी जोकि सोनाली अपने ऊपर कण्ट्रोल करी हुई थी वरना तो सतीश के प्यार को देख कर तो उसे ऐसा लग रहा था की अभी सतीश को अपनी बाँहों मे लेकर उसे जी भर कर प्यार करे......
सोनाली अपनी सोच मे खोई हुई थी....

सतीश- कहा खो गई माँ?

सोनाली की सोच पर ब्रेक लगता है...

सोनाली- हुह्ह्... नहि कुछ भी तो नही...

सतीश उठ कर टीवी ऑन कर लेता है और रिमोट लेकर सोनाली के बगल मे ही अपनी पीठ टीका कर लेट जाता है.... और सोनाली के साथ बात करते हुए टीवी देखने लगता है थोड़ी देर मे ही उन्हें शिप्रा कीआवाज सुनाई देती है जोकि उन्हें खाने के लिए बाहर बुला रही थी.... सतीश टीवी को ऑफ करके सोनाली के साथ बाहर आ गया शिप्रा ने खाना लगा दिया था, सतीश और सोनाली खाने की टेबल पर पहुच कर शिप्रा के साथ खाना खाते है....

शिप्रा- खाना कैसा बना है?

सतीश-इसे तुम खाना कहती हो इसे खा कर तो मुझे उल्टी आ रही है... आखिर इतना बुरा खाना कैसे बना सकती हो तुम्...

सोनाली मुस्कुरा कर- क्यू परेशान कर रहा है उसे, अच्छा तो बना है खाना...

शिप्रा- इसमें इसकी कोई ग़लती नहि माँ भला बन्दर क्या जाने अद्रक का स्वाद........

सतीश- क्या माँ आपने भी इस छिपकली के दिमाग ख़राब कर रखा है... इतनी झूटी तारीफ भी मत करो इसकी...

शिप्रा- ओये बन्दर चुपचाप खाना खा और नहि खाना तो उठ जा....

सतीश- खाने की थाली से उठा नहि करते और वैसे भी बहुत जोर की भूख लगी है वरना तो मे इस खाने को हाथ भी नहि लगाता और हाँ मुझे अब इस बारे मे कोई बहस नहि करनी इसलिये मुह बंद करके खाना खा...

ओर सतीश चुपचाप खाना खाने लगता है शिप्रा और सोनाली एक दूसरे की तरफ देख कर मुस्कुरा देती है...

खाना ख़तम करके सतीश सोनाली के साथ उसके कमरे मे आ जाता है और शिप्रा बर्तन किचन मे ले जाती है...

सोनाली- आज खाना वाक़ई मे बहुत अच्छा बना खा कर मजा आ गया...

सतीश- हम्म खाना तो वाक़ई मे टेस्टी था पता नहीं छिपकली ने इतना बढ़िया खाना कैसे बना लिया..

सोनाली उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखति है...

सतीश- अब आप ऐसे क्यों मुझे देख कर हस रही हो...

सोनाली- मे देख रही हूँ कि तु बाहर तो बहुत बुराई कर रहा था शिप्रा के खाने की और अंदर तू उलटी गंगा बहा रहा है....

सतीश- क्या माँ अगर मे उसके सामने कह देता तो उसका दिमाग सातवे आसमान पर पहुच जाता अपनी तारीफ सुनकर...

सोनाली बस मुस्कुरा देती है... सतीश सोनाली की मेडिसिन उसे देता है और किचन मे से एक गिलास पानी लेकर उसे खाने को देता है.... सोनाली मेडिसिन अपने हाथों मे लेकर मुह बनाते हुये....
सोनाली- सतीश क्या ये दवाई खानी जरुरी है...

सतीश- दवाई तो आपको खानी ही पड़ेगी वरना आप ठीक कैसे होगी...

सोनाली- पर मे तो बिलकुल ठीक हूँ अब...

सतीश- कोई बहाना नहि चलेगा आपका जल्दी से दवा खाओ और फिर आराम करो...

सोनाली दवाई ख़ाति है और फिर बेड पर आँखें बंद करके लेट जाती है... सतीश उसके सर पर हाथ फिराता है...

सतीश- अब आप आराम करो और मे बाहर ही सोफ़े पर लेटा हूँ किसी चीज की जरूरत हो तो आवाज लगा देना...

सोनाली अपनी आँखे बंद कर सतीश की केयर मे छुपे प्यार को महसूस करके मुस्कुरा रही थी...

 
सतीश सोनाली के रूम मे से निकल कर बाहर ड्राइंग रूम मे आकर सोफ़े पर बैठ जाता है और टीवी ऑन करके चैनल चेंज करके कुछ देखने लायक मटेरियल सर्च करने लगता है पर सब पर वही घिसि पिटी मूवी और बकवाश सीरिअल्स, बोर होकर सतीश म्यूजिक का चैनल लगा कर म्यूजिक सुनने लगता है..... थोड़ी देर मे ही उसे नींद आने लगती है और वो टीवी ऑफ करके सोफ़े पर ही सो जाता है...

शाम को ६ बाजे शिप्रा उसे उठाती है...
सतीश- क्यों परेशान कर रही है यार सोने दे ना...

शिप्रा- ओये शाम के ६ बजे है और तुझे अभी भी सोने की पड़ी है....

सतीश अपना मोबाइल उठा कर टाइम देखता है उसमे ६:०५ हो रहे थे, सतीश तुरंत सोफ़े से उठ कर बैठ जाता है... और अपने रूम की तरफ बढ़ जाता है... रूम से फ्रेश होने के बाद वो बाहर आ जाता है और सोनाली के रूम की तरफ बढ़ जाता है... शिप्रा सोनाली के पास ही बैठि हुई उससे बाते कर रही थी सतीश भी बेड पर जाकर अपने पैर फैला कर लेट जाता है...

शिप्रा- ओये मनहूस अभी तो सो कर उठा है और अब फिर से लेट गया..

सतीश कुछ कहता नहि बस उसे घुर कर देखता है, सोनाली शिप्रा के कंधे पर थप्पड़ मारते हुये- क्यों छेडती है तू उसे इतना जा जाकर चाय बना ले सबके लिये...

शिप्रा अपना कन्धा सहलाते हुए किचन की तरफ बढ़ जातीहै.... सतीश अब अपना सर सोनाली के गोद मे रख कर लेट जाता है अब उसका फेस के आगे सोनाली का नंगा गोरा मख़मली पेट् था.... और सोनाली भी प्यार से उसके बालों मे अपना हाथ फिराने लगती है....

सतीश- अब आपकी तबियत कैसी है मोम...

सोनाली- मे तो एकदम ठीक हूँ और अब तो हर काम भी खुद कर सकती हूँ पर तुम दोनों मुझे बिस्तर से उठेने ही नहि दे रहे....

सतीश- अभी आप काम के बारे मे कोई फ़िक्र मत करो वो हम हैंडल कर लेंगे आप बस अपनी सेहत का ध्यान रखो...

सतीश की नजरे सोनाली के नंगे पेट् पर ही टीकी हुई थी और उसका मन कर रहा था की वो आगे बढ़ कर उसके पेट् पर अपने होंठ रख कर उसे खूब चुसे और चाटे पर वो ये सब नहि कर सकता था क्युकी उसे डर था की कही जल्दवाजी मे सब बिगड ना जाये और कही माँ को पता चल गया तो पता नहि वो क्या सोचेगी उसके बारे में... वो थोड़ी देर तक वैसे ही लेटे रहता है और फिर हिम्मत करके उसकी कमर मे अपना एक हाथ दाल देता है और अपना चेहरा आगे बड़ा लेता है अब सोनाली के नंगे पेट् और उसके चेहरे मे कुछ इंच का ही गैप था... सोनाली सतीश की गरम साँसों को अपने पेट् पर महसूस कर रही थी और सतीश भी उसकी खुश्बु को सूँघ पा रहा था...
सतीश बहुत एक्ससायटेड हो रहा था और वो अपने होठ आगे बड़ा कर उसके पेट् पर रख देता है... सतीश की इस हरक़त से सोनाली के बदन मे करंट सा दौड जाता है और वो सतीश के बालों को अपनी मुट्ठि मे भीच कर उसको अपने पेट् से और चिपका लेती है... सतीश को अपनी माँ से ये उम्मीद नहि थी पर वो सब कुछ भूल कर इन पलो का मजा लेने लगता है.... थोड़ी देर मे सोनाली को होश आता है तो उसे अपनी हरक़त पर घिन आती है वो सोचती है की सतीश मुझे प्यार से ये सब कर रहा है और मे अपनी हवस उससे मिटा रही हु...

सोनाली थोड़ी देर मे ही होश मे आ जाती है तो उसे अपनी हरक़त पर शर्म आती है और वो अपने हाथ उसके बालों से हटा लेती है.... सोनाली को यकीन नहि हो रहा था की वो कैसे अपने बेटे के साथ ये सब कर सकती है
सोनाली को अपने ऊपर शर्म आ रही थी की कैसे वो अपने बेटे के साथ ये कर सकती है, जबकी उसका बेटा उसे प्यार के कारन गोद मे सर रख कर लेटा हुआ था.....
पर तभी उसका दूसरा दिमाग उसका विरोध करता है- तू पागल है सोनाली, सतीश तेरे गोद मे सर रख कर ही नहि लेटा बल्कि वो तेरे पेट् पे किस कर रहा है...

सोनाली अपने मन मे- वो किस नहि कर रहा है वो अपनी माँ को प्यार कर रहा है, और वो मेरे बारे मे कुछ गलत नहि सोच सकता....

सोनाली अपने मन को समझा रही थी की उसका बेटा उसके लिए कोई गलत सोच नहि रखता पर वो आज दिन मे अपने बेटे साथ हुई कन्वर्सेशन को भूल गई थी पर वो नहि जानती की उसका बेटा उसे प्यार नहि कर रहा बल्कि केवल अपनी हवस मिटा रहा था....

सतीश अपने होठ उसके नंगे पेट् पर रखे ही उसके जिस्म की खुश्बु और उसके स्पर्श का मजा ले रहा था....

थोड़ि देर मे ही शिप्रा चाय लेकर रूम मे एंटर होती है तो वो सतीश को सोनाली की गोद मे सर रखे लेटा देखति है, पीछे से उसे ये दिखाइ नहि देता की सतीश अपनी माँ के पेट् पर होठ रखे हुए था....

शिप्रा- क्या बात है बड़ा प्यार हो रहा है माँ बेटे में...

 
शिप्रा की आवाज सुनकर सतीश एकदम से उठ कर बैठ जाता है,
सतीश- बड़ी जल्दी चाय बना ली तूने...

शिप्रा- तेरी तरह सुस्ती से काम नहि करती मैं...

सतीश- तू कुछ ज्यादा ही नहि बोलने लगी है...

शिप्रा- ज्यादा नहि सही बोल रही हु...
सतीश- रुक अभी बताता हूँ तुझे

ओर सतीश तुरंत बेड से उठने लगता है की तभी सोनाली उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लेती है- तुम लोग थोड़ी देर बिना लडे नहि रह सकते...
सतीश- इसी ने सुरुआत करी थी मे तो चुपचाप लेटा हुआ था...
सोनाली- तुझे मैंने पहले भी मना किया है की इसे मत छेड़ा कर फिर क्यों छेडती है तू इसे...
शिप्रा सब को चाय देती है और चुपचाप वहि बैठ कर चाय पिने लगती है...

ऐसे ही हलकी फुल्की बातों और छेड़छाड़ करते पता ही नहि चलता की कब ८ बज जाते है... शिप्रा किचेन मे खाना बनाने चलि जाती है और सोनाली सतीश के साथ बाहर आकर सोफ़े पर बैठ कर साँस बहु वाले टिपिकल शोज देखने लगती है सतीश बोर तो बहुत हो रहा था पर वो एक पल के लिए भी अपनी माँ से अलग नहि होना चाह रहा था.. और वो उसके कंधे पर सर रख कर बैठ जाता है....

सोनाली- क्या बात है आज बहुत प्यार आ रहा है अपनी माँ पर...

सतीश कुछ कहता नहि बस बैठा रहता है...

८:४५ तक शिप्रा खाना तैयार कर लेती है सब साथ मे खाना खाते है और फिर शिप्रा किचन. के काम निपटाने लगती है और सतीश और सोनाली, सोनाली के रूम मे जाकर टीवी देखने लगते है...
थोड़ि देर मे ही शिप्रा आ जाती है और सोनाली के बगल मे लेट कर वो भी टीवी देखने लगती है.... अब सीन ये था की सोनाली बिच मे थी और उसके लेफ्ट हैंड की तरफ सतीश लेटा हुआ था और राईट हैंड की तरफ शिप्रा लेटी हुई थि, थोड़ी देर तक टीवी देखने के बाद सोनाली चादर उठा कर सब के ऊपर दाल देती है अब एक चादर मे सोनाली सतीश और शिप्रा तीनो लोग थे... सोनाली और शिप्रा तो टीवी देखने मे व्यस्त थे पर सतीश का ध्यान तो अपनी माँ की तरफ था और वो सोच रहा था की कैसे वो अपनी माँ की बॉडी को टच करके उसका आनंद उठाये....

सतीश यहि सोचते सोचते सोनाली के कंधे पर अपना सर रख देता है और सोनाली के डीप ब्लाउज मे से झांक रही उसकी दूध की गहराई को देखने लगता है सोनाली उसके सर पर अपना हाथ रख कर उसे प्यार से थपथपाने लगती है जिससे सतीश का सर सरक कर उसके सीने पर आ जाता है... अब सतीश की आँखों के सामने सोनाली का क्लीवेज था, और सोनाली भी सतीश की गरम साँसों को अपने क्लीवेज पर महसूस. कर रहीथी.... अब सतीश अपना हाथ चादर के
अंदर से ही अपनी माँ की जाँघो पर रख देता है. पर ये सब करते समय उसकी फट बहुत रही थी ये सोच कर की पता नहि इस बात पर उसकी माँ क्या एक्शन लेगी... पर सोनाली कोई रियेक्ट नहि करती और चुपचाप टीवी देखति रहती है, अपनी माँ की तरफ से कोई रियेक्ट न पाकर उसकी हिम्मत बढ़ जाती है और वो अपने हाथ को अपनी माँ की जाँघ पर रख कर ऊपर की तरफ बढ़ाने लगता है... सोनाली उसकी इन हरकतो से गरम होने लगती है और उसकी तेज सांसो के साथ उसके दूध ऊपर निचे होने लगते है... सतीश सोनाली की ऊपर निचे होती चटियों से समझ जाता है की उसकी माँ अब गरम हो गई है और वो भी इस सबके मजे ले रही है... सतीश अब अपनी माँ की जांघों को सहलाते हुए अपने हाथ को ऊपर की तरफ बढाता है अब उसका हाथ अपनी माँ की चुत को छूने ही वाला था की सोनाली अपने हाथ से उसके हाथ को पकड़ लेती है, पर वो अपनी नजरे टीवी पर से नहीं हटाती है, सोनाली की चुत सतीश की हरकतों से गिली हो गई थी... और वो इससे आगे नहि बड़ना चाहती थी क्युकी उसे पता था की वो अपने पर कण्ट्रोल नहि कर पायेगी और वो शिप्रा के कारन उससे कुछ कह भी नहि पा रही थी... और सतीश भी ये बात समझ गया था और वैसे भी उसकी माँ के विरोध मे दम नहि था क्युकी उसने बहुत हलके से उसके हाथ को पकड़ा था सतीश एक झटका देकर अपने हाथ को झटका देकर चुरा लेता है और अपने हाथ को अपनी माँ की चुत और अपने जन्मस्थान पर साड़ी और पेटीकोट के ऊपर से ही रख देता है... सतीश का हाथ अपनी चुत पर पड़ते ही सोनाली की बॉडी मे करंट दौड जाता है उसकी समझ बंद हो जाती है और वो बड़ी मुस्किल से अपने मुह से निकलने वाली सिसकारी को रोकती है, उसकी चुत जोकि पहले से गिली थी एकदम से पानी छोड़ देती है... सोनाली की साँसे अब और भी तेज हो गई थी...

ईधर चादर के अंदर माँ बेटे ये सब कर कर रहे थे उधर शिप्रा टीवी देखने मे ही मस्त थी उसे तो ये भी नहि पता था की उसकी माँ और भाई अंदर ही अंदर क्या गुल खिला रहे है . . सतीश अब अपने हाथ को उसकी चुत पर से निचे तक फिरा देता है...

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ईधर चादर के अंदर माँ बेटे ये सब कर कर रहे थे उधर शिप्रा टीवी देखने मे ही मस्त थी उसे तो ये भी नहि पता था की उसकी माँ और भाई अंदर ही अंदर क्या गुल खिला रहे है . . सतीश अब अपने हाथ को उसकी चुत पर से निचे तक फिरा देता है...
सतीश अब अपने हाथ को उसकी चुत पर से निचे तक फिरा देता है... सोनाली फिर से अपना हाथ बड़ा कर सतीश के हाथ को पकड़ कर दबा कर उसे रुकने का इशारा करती है पर सतीश अब कहा रुकने वाला था वो बहुत एक्ससायटेड हो गया था और उसका लंड अब पेण्ट मे पूरा खड़ा हो गया था... सतीश सोनाली की चुत को भी तेजी मे रब करने लगता है.... और ऊपर अपनी माँ की ऊपर निचे होती छातियों को देख रहा था....

सोनाली का तो बुरा हाल हो गया था उसे लग रहा था की अब वो किसी भी समय झड जायेगी.... क्युकी अपनी बेटी के पास ही अपने बेटे से अपनी चुत सहलवाने से वो काफी गरम हो गई थी और ये उसके लिए बिलकुल नया अनुभव था उसका पति तो हमेशा अकेले मे ही उसके बदन से खेलता था पर उसका बेटा तो अपनी बहन के सामने ही अपनी माँ के शरीर से खेल रहा था....

थोड़ि देर मे ही सोनाली अपने चरम पर पहुच जाती है और वो सतीश का हाथ कस कर अपनी चुत पर दबा लेती है और उसकी चुत अपना सारा रस बहा देती है... सोनाली की आँखे मजे की अधिकता मे बंद हो जाती है और लाख रोक्ने के बावजूद उसके मुह से सिसकारी निकल ही जाती है....

सोनाली-आह्हः...उफ्फ्फ्....

उसके मुह से सिसकारी सुनकर शिप्रा का ध्यान टीवी पर से हटता है...

शिप्रा-क्या हुआ मोम...

सतीश भी अपना हाथ छुड़ा कर बैठ कर अन्जान बनते हुए अपने चेहरे पर चिंता का भाव लिये हुये...

सतीश- क्या हुआ मोम...

सोनाली थोड़ी देर तक आँखें बंद करे लेती रहती है और अपनी साँसों को कण्ट्रोल करने लगती है... उसे तो यकीन ही नहि हो रहा था की वो आज इतनी जल्दी चरम पर कैसे पहुच गई और आज उसे काफी समय बाद उसकी चुत ने इतना रस बहाया था ....

शिप्रा बहुत टेंशन मे आ गयी थी वो समझ रही थी की उसकी माँ की तबियत ख़राब हो रही है वो सोनाली को हिलाते हुये- माँ क्या हुआ आपको, आप ठीक तो हो ना, आप कुछ बोलती क्यों नही...

सोनाली आँखे बंद करे ही- मे ठीक हु, जा एक गिलास पानी ले आ...

शिप्रा बेड से उठ कर चलि जाती है, उसके जाते ही

सतीश- माँ आप ठीक तो हो ना....

सोनाली अपनी आँखे खोलती है उस पर अभी भी खुमारी छायी हुई थि, सोनाली सतीश की तरफ देखति है और बेड से उठ कर बाथरूम की तरफ चलि जाती है....

सतीश सोनाली के देखने के तरीके से कुछ समझ नहि पाता की उसकी आँखों मे उसके लिए गुस्सा था या फिर प्यार..

सोनाली बाथरूम मे जाकर अपनी साड़ी और पेटीकोट उतार देती है, उसकी चुत ने इतना पानी बहाया था की पेटीकोट के साथ साथ साड़ी भी गिली हो गई थी...
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सोनाली अपनी चुत को देखति है तो उसके गाल लाल हो जाते है उसकी चुत के लब खुले हुये थे और सतीश की रगडन के कारन वो लाल हो गई थी.... सोनाली अपनी चुत को पानी से साफ़ करती है.... साड़ी तो पहनने के लायक रही नहि थी इसलिये वो अपना ब्लाउज भी उतार देती है और बाथरूम मे टँगी नाइटी पहन लेती है अब सोनाली के दिमाग से ख़ुमारी का नशा उतर गया था और अब उसे सतीश के साथ किये गए काम पर शर्म आ रही थी वो मन ही मन अपने आपको कोस रही थी की कैसे उसने अपने बेटे के साथ ये सब किया, और सतीश ग़लती तो उसकी भी है वो कैसे अपनी माँ के साथ ये सब कर सकता है, मे उसे कितना शरीफ समझती थी पर वो तो....

ओर सतीश की हरकतो को याद करके उसके होठो पर मुस्कान आ जाती है... पर थोड़ी ही देर मे उसके मन मे अन्तर्द्वन्द चल्ने लगता है जहा एक मन इस सबके पक्ष मे था वहि दूसरा मन इसका विरोध कर रहा था....

ये तुझे क्या हो गया है सोनाली तू कैसे अपने बेटे के साथ ये कर सकती है भला कभी कोई माँ अपने बेटे के साथ ऐसे सम्बन्ध बनाती है, तू अपने जिस्म की प्यास बुजाने के लिए इस हद तक गिर सकती है ये मैंने सोचा भी नहि था...

ओर अब सोनाली को ये सब बहुत गलत लग रहा था और साथ ही साथ उसे सतीश पर गुस्सा आ रहा था की कैसे वो अपनी माँ के साथ ऐसी गन्दी हरकत कर सकता है.... मुझे उससे बात करनी ही होगी इस बारे में...

सोनाली बाथरूम से बाहर आती है, वो देखति है की शिप्रा भी बेड पर बैठि है... वो शिप्रा के सामने शांत रहना ही उचित समझती है...और बेड पर आकर शिप्रा के बगल मे बैठ जाती है और पानी का गिलास लेकर अपने गले को तर करने लगती है....

शिप्रा- आप ठीक तो हो ना मोम....

सोनाली- हा मे ठीक हूँ बेटी,..

 
शिप्रा थोड़ी देर वहि बैठि रहती है, और फिर गुड़ नाईट बोल कर निकल जाती है....

अब रूम मे केवल सतीश और सोनाली ही थे, दोनों ही एक दूसरे से बहुत कुछ कहना चाहते थे पर हिम्मत कोई नहि कर पा रहा था.....

सतीश बेड से उठता है और ड्रावर मे से दवाई निकल कर सोनाली को देता हुआ- माँ आप दवाई खा कर आराम करो मे भी सोने जाता हु...

सोनाली नोटिस करती है की सतीश उससे अब नजरे नहि मिला रहा था, शायद उसे अपनी माँ से नजरे मिलने मे अब शर्म आ रही थी....

सोनाली अपने मन मे- देखो तो इसको अब नजरे मिलाने मे शर्म आ रही है और वो सब करते हुए शर्म नहि आई इसे जरा सी...

सोनाली को अब सतीश का चेहरे देख कर हसि आ रही थी पर वो अपनी मुस्कान को छुपाते हुए उसके हाथ से दवाई लेकर खा लेती है....

सतीश- अब आप सो जाइये.. गुड़ नाईट

ओर इतना कह कर सतीश बाहर जाने लगता है...

सोनाली- सतीश

सतीश सोनाली की आवाज सुनकर पलटते हुये- हा माँ

सोनाली- अगर तुझे प्रॉब्लम न हो तो क्या तू आज मेरे पास सो सकता है,

सतीश को तो अपने कानो पर यकीन ही नहि होता की उसकी माँ उसे अपने पास सोने को कह रही है, उसका मन तो खुसी के मारे उछलने को कर रहा था पर वो अपने पर कण्ट्रोल करता हुआ- जैसा आप कहे...

सोनाली- ठीक है तो फिर नीचे वाली ड्रावर मे से टेबलेट की शीषी है उसमे से एक टेबलेट निकालकर मुझे देदे...

सतीश थोड़ा अस्मजस मे पड़ जाता है की उसकी माँ किस चीज की मेडिसिन लेती है...

सतीश-टेबलेट कैसी टेबलेट मोम....

सोनाली- वो बेटा मुझे रात को नींद नहि आती इस्लिये मुझे डॉक्टर ने स्लीपिंग पिल्स दी है ताकि मे रात को आराम से सो सकु...

सतीश अपने मन मे- ओह्ह तभी मे कहु की कल रात को मेरे इतना सब कुछ करने के बावजूद माँ की नींद कैसी नहि टुटी...

सतीश सोनाली को स्लीपिंग पिल्स की शीषी निकल कर दे देता है... सोनाली उसमे से २ टेबलेट निकल कर खा लेती है....

सतीश- माँ एक बार मे २ टेबलेट...

सोनाली पानी का गिलास रखते हुये- हा बेटा क्युकी मे नहि चाहती की मेरी नींद रात को किसी वजह से टूटे...

सतीश को तो ऐसा लग रहा था जैसे उसकी माँ ने उसे चोदने की परमिशन दे दी हो और वो उससे कह रही हो की मे नहि चाहती की जब तू मुझे चोदे तब मेरी नींद तूट जाए....

सतीश शीशी को ड्रावर मे वापस रखता है और लाइट्स ऑफ करके सोनाली के बगल मे आकर लेट जाता है... सोनाली टेबल लैंप ओन कर लेती है और लेट जाती है, एक चादर के अंदर मा और बेटे दोनों लेटे हुए थे....

सतीश का लंड तो अभी से आगे के बारे मे सोच कर खड़ा हुआ था और वो आँखे बंद करके अपनी माँ के सोने का इन्तजार कर रहा था...

सोनाली पर स्लीपिंग पिल्स का असर होने लगा था और वो धीरे धीरे नींद के आग़ोश मे जाने लगी थी...

ओर इधर सतीश बहुत उत्तेजित हुआ जारहा था उसे तो ये सब किसी सपने सा लग रहा थ, उसे एक पोर्न मूवी याद आ जाती है जिसमे एक बेटे को ये पता चल जाता है की उसकी माँ नींद की गोलियां खाकार सोती है और फिर उस रात उसकी माँ के सोने के बाद वो उसके रूम मे आता है और फिर अपनी सोती हुई माँ की जमकर चुदाई करता है...
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सतीश की आँखों के सामने वो सभी स्लीपिंग सेक्स वाली वीडियो आ जाती है जो उसने देखि थि, सतीश को स्लीप सेक्स बहुत पसंद था और किसी सोती हुई लड़की के साथ सेक्स करना उसकी फंतासी थि, जोकि आज पूरी होने वाली थी वो भी अपनी ही माँ के साथ्.... सतीश अपनी माँ के सोने का बड़ी बेसब्री से इन्तजार कर रहा था... उसको एक एक मिनट एक एक वर्ष के समान लग रहा था.... जैसे तइसे वो आधा घंटा कटता है...

 
सतीश अपनी माँ के सोने का बड़ी बेसब्री से इन्तजार कर रहा था.... उसको एक एक मिनट एक एक बर्ष के समान लग रहा था.... जैसे तइसे वो आधा घंटा कटता है...
आधा घंटा होते ही वो उठ कर सोनाली की तरफ करवट लेकर लेट जाता है.... और अपनी माँ को हिला कर और आवाज लगा कर चेक करता है की वो सो गई है की नहि, जब काफी देर तक आवाज देणे के बावजूद वो कोई रिस्पांस नहि देती तब सतीश को कन्फर्म होता है की उसकी माँ पर गोलियों का असर हो गया है और अब वो नहि जगने वाली...

सतीश बेड से उठ कर रूम का डोर अंदर से लॉक करता है और वापस बेड पर आकर अपनी माँ के ऊपर से चादर को.हटा देता है, अब उसकी आँखों के सामने उसकी माँ ब्लैक कलर की नाइटी मे पीठ के बल सो रही थि, नाइटी उसके घुटनो पर से सरक गई थि, और अब उसकी टांगे घुटनो तक उसके सामने थी.... टेबल की रौशनी मे उसकी सफ़ेद टाँगे देख कर सतीश की आँखे चौंधिया जाती है... सतीश आगे बढ़ कर उसकी नाइटी की रॉब खोल देता है और नाइटी को उसके ऊपर से खिसका कर साइड मे कर देता है.... अब उसकी माँ उसके सामने मादरजात नंगी थी....
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और उसका मख़मली सफ़ेद जिस्म सतीश की आँखों के सामने था सतीश तुरंत ही अपने कपडे उतार देता है और अपनी माँ के साइड मे आ जाता है और फिर अपनी माँ के जिस्म को ऊपर से निचे और निचे से ऊपर तक अपनी आँखे फाडे देखता है वो अपने माँ के जिस्म को अपनी आँखों मे बसाना चाहता है और फिर जब वो निचे से ऊपर उसके एक एक अंग अंग को देखता हुआ उसके रसीले गुलाबी होठो तक पहुचता है तो उससे कण्ट्रोल नहि होता और वो उसके ऊपर आकर उसके होठो को अपने होठो मे भर कर चुस्ने लगता है वो आज अपनी माँ के होठो का सारा रस पि जाना चाहता था.... थोड़ी देर तक होठो को चुस्ने के बाद वो उसकी गर्दन को चाटता हुआ निचे आता है और अब उसकी आँखों के सामने उसकी माँ की चूचियां थी जिन निप्पल्स से उसने बचपन मे दूध पिया था आज उन्ही को अपने मुह मे लेकर.चूस रहा था और साथ ही साथ चूचियों को मसल रहा था.... एक निप्पल को मुह से निकलता तो दूसरे को मुह मे भर लेता काफी देर तक चूचियों से खेलने के बाद वो अपनी जीभ से उसके जिस्म को चाटता हुआ निचे की और बढ़ता है... और उसकी नैवल पर पहुच कर उसमे अपनी जीभ डालकर उसको चाटता है और फिर निचे बड़कर सोनाली के पैरों को फैला देता है उसके सामने उसका जन्मस्थान था जहा से वो निकला वो जगह उसकी आँखों के सामने थी... वह आँखे फाडे अपनी माँ की चुत को देख रहा था, सोनाली की चुत एकदम क्लीन थी एक भी बाल नहि था उसकी चुत पर... एकदम फूली हुई चुत उसकी दोनों फाके खुली हुई थि, सतीश देखता है की उसकी चुत गिली थी यानी उसकी माँ नींद मे ये सब फील कर रही थी और उसकी चुत पानी बहा रही थी....
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सतीश से कण्ट्रोल नहि होता और वो अपनी माँ की चुत मे अपना मुह दे देता है और उसकी चुत को अपने मुह मे भर कर अमृतपान करने लगता है, अब वो अपनी जीभ निकाल कर चुत को कुरेदने लगता है... कभी वो उसके चुत के डेन को अपने मुह मे लेकर चूसता और कभी उसकी चुत मे अपनी जीभ अंदर बाहर करता...

अब सतीश से और कण्ट्रोल नहि होता और वो उसकी टाँगो के बिच बैठ कर अपना लंड चुत पर टीका कर उसके पानी से अपने टोपे को गिला करता है और फिर चुत पर सेट करता है और हल्का सा पुश करता है पर उसका लंड चुत से फिसल जाता है... सतीश फिर लंड को सेट करके थोड़े जोर से पुश करता है उसका लंड का टोपा सोनाली की चुत के लबो को फैलाता हुआ अंदर घुस जाता है सतीश के मुह से एक सिसकि निकल जाती है... उसकी माँ की चुत उसकी सोच से ज्यादा टाइट थी.... सतीश जैसे ही अपने लंड को और पुश करने की कोशिश करता है उसका लंड उसकी माँ की चुत को फैलाता हुआ थोड़ा और अंदर चला जाता है, सोनाली की बॉडी मे हलचल होती है शायद उसे थोड़ा पैन फील हुआ था, अब सतीश का ३.५ इंच लंड सोनाली की चुत मे फसा हुआ था, सतीश को अपना लंड सोनाली की चुत मे काफी कसा हुआ फील हो रहा था उससे ऐसा लग रहा था की उसका लंड माँ की चुत की गर्मी को बर्दाश्त नहि कर पायेगा और अभी लीक हो जायेगा वो अपने ऊपर कण्ट्रोल करता है अब वो अपनी कमर को धक्का देकर अंदर करने की कोशिश करता है उसका लंड बहुत कसा हुआ थोड़ा सा अंदर जाता है पर सोनाली की बॉडी मे दर्द की वजह से हलचल होती है और इस बार तो उसके मुह से सिसकि भी निकल जाती है, सतीश समझ जाता है की उसकी माँ दर्द को फील कर रही है और उस से सोते टाइम सेक्स करना पॉसिबल नहि है क्युकी दर्द की वजह से वो बेहोषी से बाहर आ सकती थी और अगर वो नींद से उठ गई और उसने अपने आप को इस पोजीशन मे देख लिया तो मेरी तो शामत आ जायेगी....

 
सतीश जितना अपनी माँ की चुत मे लंड कर पाया था उसी से काम चलाने की सोचता है और वो अपने लंड को टोपे तक बाहर निकाल कर वापस अंदर करके झटके लगाने लगता है और ये सब वो बड़े ही आराम से कर रहा था ताकि उसकी माँ को दर्द न हो....

सतीश अब धीरे धीरे धक्के मारता हुआ अपनी माँ की चुदाई कर रहा था और उसे इसमें बहुत मजा आ रहा था.... उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड किसी आग की भट्टी मे जा रहा हो और वो ज्यादा देर तक नहि टिक पाता, उसके लंड की नसे फुलने लगती है और उसे ऐसा लगता है जैसे की वो झड़ने वाला है और वो अपने लंड को अपनी माँ की चुत से बाहर निकालता है और अपना सारा माल उसकी चुत पर दाल देता है.... आज उसके लंड ने बहुत माल निकाला था और वो माल झड़ने के बाद अपनी माँ के बगल मे लेट जाता है और अपनी साँसों को कण्ट्रोल करने लगता है....

सतीश को बहुत कमजोरी फील हो रही थी.... और वो अपनी आंखे बंद कर के लैटा था की तभी

ह. दी(हरामी दिमाग)- कसम से यार आज तो मजा आ गया...

सतीश-ओह्ह तो तू आ ही गया मे सोच ही रहा था की तू आखिर ग़ायब कहा हो गया...

ह.दी- ग़ायब नहि हुआ था बस तू वही सब कर रहा था जो मे चाहता था इस्लिये मे नहि आया, जब तू अपने उस चूतिये दिमाग से काम लेगा तब तब मे तुझे दिशा दिखाने आऊंगा...

सतीश- मे जनता हूँ तू मुझे कौन सी दिशा दिखायेगा तेरी सारी दिशाएं चुत पर जाकर ही ख़तम होती है... और देख आज तूने मुझसे मेरी ही माँ चुदवा दि...

ह.दि- तो क्या हुआ मजा तो तुझे भी आया ना, क्या चुत थी साली की एकदम कसी हुई...

सतीश- हम्म मजा तो आया पर अगर पूरा लंड दाल कर चुदाई करता तो अलग ही मजा आता....

ह.दी- मे तो आज ही पूरा लंड दाल कर उसे चुदवा देता पर साले तूने मेरी न सुन कर उस बगुला भगत की बात सुन ली और थोड़े से काम चला लिया....

सतीश- अबे पर माँ जाग जाती तो....

ह.दी- तो क्या??? कहती की बेटा पूरा लंड दाल कर चुदाई कर थोड़े मे मजा नहि आ रहा....

सतीश- भोसडी के गांड फाड़ देती मेरी....

ह.दी- अबे हाँ गांड को तो मे भूल ही गया क्या मस्त गांड है साली की एकदम गोल गोल... साले मेरी बात मान इससे पहले की वो तेरी गांड फाडे तू ही उसकी गांड मे अपना लंड दाल के उसकी गांड फाड़ दे.... हेहहे...

सतीश- भोसडी के हमेशा लंड से सोचियो कभी दिमाग का यूज़ भी कर लिया कर.... और हाँ अब मुझे डिस्टर्ब मत कर जा सोने दे मुझे...

ह.दी- भलाई का तो जमाना ही नहि है साले एक तो मे इतना मस्त आईडिया दे रहा हु, ऊपर से तू मुझे ही सुना रहा है लवडू कहि का... जा रहा हूँ मे पर एक बार सोच ले इतना मस्त मौका नहि मिलेगा देख कितना मस्त माल तेरे पास लेटा है तेरे पास और इसकी गांड तो तू देख ही चुका है हाय क्या जालिम गांड है मुर्दे का भी खड़ा हो जाए अगर वो देख ले तो... हहाहा.. पर वो देखेगा कैसे...हेहेह... पर तू तो देख ही सकता है चूतिये की दुम्...

ओर इसी के साथ( हरामी दीमाग) चला जाता है पर सतीश के मन मे उथल पुथल मचा जाता है और जो सतीश अभी कमजोरी फील कर रहा था अब उसका लंड अपनी माँ की गांड के बारे मे सोच कर फुल्ली खड़ा होकर झटके खा रहा था...

सतीश उठ कर बैठ जाता है और अपनी माँ की तरफ देखता है उसकी माँ उसी कंडीशन मे थी... सतीश अपनी माँ को अपने हाथो से पलट कर उनकी करवट बदल देता है और उन्हें पेट् के बल लेता देता है...
कब उसकी माँ की चौडी गोल गांड उसकी आँखों के सामने थी सतीश गांड को अपने हाथ मे लेकर मसलने लगता है और पागलो की तरह उसकी पूरी गांड पर किश करने लगता है और उसे अपनी जीभ से चटने लगता है... अब सतीश अपनी माँ की गांड के दोनों पाटो को फैला देता है अब सोनाली की गांड का छेद उसके सामने खुल कर आ गया था सतीश अपनी नाक अपनी माँ के गांड के पास लेजा कर उसकी खुसबू को अपने अंदर खिंच लेता है... अपनी माँ की गांड की खुसबू से वो मदहोश होने लगता है... क्या खुसबू है गांड की आह्ह्ह्ह...
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ओर सतीश एक दो बार उसकी खुसबू को अपने अंदर खिंचता है और फिर अपनी जीभ से उसके छेद को लीक करने लगता है... और फिर उसे चाट चाट कर उसे पूरा गिला कर देता है... बहुत देर तक अपनी माँ की गुद्वार से खेलने के बाद वो अपना लंड उसकी गांड की पाटो मे फसा कर धक्के लगाने लगता है.... आह्हः माँ क्या गांड है तुम्हारी मन तो कर रहा है की अपना लंड आपकी गांड मे दाल कर.खुब कस कर आपकी गांड मारु.... और वो गस्से लगाने लगता है..

उसे बहुत मजा आ रहा था और दस मिनट तक गस्से लगाने के बाद वो अपना पानी अपनी माँ की गांड पर निकाल देता है और फिर अपने लंड को उसकी नाइटी से साफ़ करके अपने कपडे पहनता है और सोनाली को सीधा लीटा कर उसकी नाइटी को सही करता है और उसे बाँध देता है... और बेड पर लेट कर दोनों के ऊपर चादर लेकर लेट जाता है...

सतीश अपने सोये हुए लंड को थप थपाते हुए चिंता न कर जल्द ही तुझे माँ की चुत और गांड मे घुसाउंगा बस थोड़ा सब्र कर ले क्युकी सब्रा का फल मीठा होता है....

ओर थोड़ी ही देर मे सतीश भी थकान के कारन सपनो की हसीन वादियों मे खो जाता है....

 
अगले दिन जब सोनाली बेड से उठती है तो वह देखति है की सतीश उसके ऊपर हाथ और पैर डाले सोये हुए था सतीश का हाथ सोनाली की छातियों पर और उसकी टाँगे सोनाली की नंगी टाँगो पर थी क्युकी उसकी नाइटी उसकी टाँगो से खिसक गई थि, सोनाली को कल सतीश के साथ की गई हरकतो का ध्यान आता है और उसकी चुत गिली होने लगती है... सोनाली सोचने लगती है की कल कैसे उसके बेटे ने उसकी चुत मसलि थी और चुत मसल कर ही मुझे झड़वा दिया था...

सोनाली के होंठो पर स्माइल आ जाती है और फिर वो अपनी सोच से बाहर निकल कर उसके हाथ को अपने ऊपर से हटा कर बैठ जाती है, सोनाली सतीश की तरफ देखति है वो आराम से सो रहा था सोते हुए वो बहुत मासूम लग रहा था, सोनाली को सतीश पर बहुत प्यार आता है वो उसके बालो मे प्यार से हाथ फिराती है और फिर उसे अपने पैर मे कुछ चुभता हुआ मेहसुस होता है सोनाली समझ जाती है की उसके पैर मे सतीश का लंड चुभ रहा है, सोनाली उसके पैर को अपने ऊपर से हटा देती है और उसे सीधा लीटा देती है इस सब मे सतीश के ऊपर से चादर हट जाती है और शार्ट मे तम्बू बनाये उसका लंड अब सोनाली की आँखों के सामने था...

सोनाली जोकि उसके लंड को पहले भी बिना कपड़ो के देख चुकी थी शार्ट मे बने तम्बू से नजरे नहि हटा पाती और उसकी चुत से पानी निकलने लगता है...

सोनाली- हाय कितना अच्छा है मेरे बेटे का.... कितना मजा आएगा जब ये चुत मे जायेगा कसम से फाड़ के रख देगा...

ओर सोनाली अपने उपर कण्ट्रोल नहि कर पाती और अपना एक हाथ उसके लंड पर रख देती है और उसकी लम्बाई का अनुमान लगाने लगती है उसके लंड पर अपना हाथ फिराके... सोनाली की चुत पानी छोड़ने लगी थी और वो बहुत गरम होने लगी थी सोनाली अपना एक हाथ सतीश के लंड पर फिराते हुये एक हाथ अपनी चुत पर रख कर उसे मसलने लगती है और फिर वो झुक कर सतीश के लंड के टोपे पर एक किस करती है और फिर अपनी जीभ निकाल कर उसके लंड के टोपे पर फिराती है... वो और जोश के साथ अपनी चुत को मसल रही थी और तभी उसकी चुत पानी छोड़ देती है और वो झड जाती है...
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इस सबके साथ ही वो अपनी चुत के पानी को नाइटी से साफ़ करती है और वाश रूम की तरफ चल देती है... उसे अपने ऊपर यकीन नहि हो रहा था की वो अपने बेटे के साथ ये सब कैसे कर सकती है... मैंने अपने पति के अलावा कभी किसी दूसरे के बारे मे कभी नहि सोचा, काफी लोग मुझे चोदने की ट्राय करते रहे पर मैंने कभी किसी को लिफ्ट नहि दी और आज तक अपने पतिव्रता धरम का पालन किया पर आज अपने बेटे के साथ ही ये सब कर रही थि, आखिर ये सब मुझे हो क्या रहा है मे क्यों अपने ही बेटे की तरफ अट्रॅक्ट हो रही हु... ये गलत है मुझे अपने बेटे के साथ ये सब नहि करना चहिये, जमाना क्या सोचेगा की एक माँ ने अपनी जिस्म की आग बुजाने के लिए अपने ही बेटे के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बना लिये...

पर तभी उसके दिमाग मे दूसरा ख्याल आता है की अगर मे अपने बेटे के साथ कर भी लुंगी तो इसमें बुराई ही क्या है, कही बाहर जाकर मुह काला करने से अच्छा है की मे घर की चार दीवारी मे अपने बेटे के साथ ही जिस्मानी सम्बन्ध बना लु... बाहर जाकर करने से बदनामी का डर भी रहेगा, जबकी घर मे करने से बदनामी की चिंता भी नहि और रही बात ज़माने की तो ये बात हम माँ बेटे के बिच ही रहेगी तो उन्हें कुछ कहने का मौका भी नहि मिलेंगा... और वैसे भी मैंने नेट पर न जाने कितनी माँ और बेटे के सेक्स की कहानी पडी है और जब कहानी एक्सिस्ट करती है तो ये सम्बन्ध भी एक्सिस्ट करता होगा, न जाने कितनी ही औरते अपने ही बेटे के साथ चुदाई करती होगी पर किसी को पता भी नहि चलता, तो अगर मे भी अपने बेटे के साथ सेक्स कर लु तो इसमें बुराई ही क्या है...

सोनाली इन्ही सब सोचो मे खोई हुई फ्रेश होकर शावर लेने लगती है और इन सोचो मे खोई होने के कारन ही वो गेट को लॉक करना भूल गई थी...

जबकी उधर दूसरी तरफ सतीश को बहुत तेज पेशाब आ रही थी और वो बेड से उठ कर वाशरूम की तरफ भागता है और जैसे ही गेट खोलता है उसकी आँखे जोकि अभी भी नींद मे होने की वजह से पूरी तरह नहि खुली थि, चौडी होकर पूरी खुल जाती है उसके सामने उसकी माँ पूरी नंगी होकर शावर ले रही थी और दूसरी तरफ गेट खुलने की आवाज से सोनाली भी पीछे पलट जाती है और उसकी आँखे भी आस्चर्य से फटी की फटी रह जाति है.... उसके सामने उसका बेटा खड़ा था और दोनों ही इस कदर शॉकेड थे की न तो सोनाली को अपने नंगे बदन को ढकने का ख्याल था और न ही सतीश को दरवाजे से हट्ने का ख्याल था... और अब तो सतीश का पेशाब भी अटक गया था और उसका लंड शार्ट मे झटके खा रहा था उसकी आँखे अपनी माँ के जिस्म को देखने मे ही व्यस्त थी... सोनाली का सेक्सी बदन पानी से भिग कर और भी सेक्सी हो गया था...

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सोनाली का पानी मे भिगा बदन देख कर सतीश का गला सूखने लगा था और अनायास ही उसका हाथ लंड पर चला गया उधर वो शार्ट मे से ही अपने लंड को सहलाने लगा, सोनाली की नजर भी सतीश के लंड पर ही टीकी हुई थी और जब वो देखति है की सतीश उसे देख कर अपना लंड सेहला रहा है तो उसके गाल शर्म से लाल हो जाते है और वो होश मे आते हुये....

सोनाली- सतीश तुम यहाँ क्या कर रहे हो? जाओ बाहर जाओ मे अभी नहा कर आती हु...

सतीश भी होश मे आता है और दरवाजा बंद करके बाहर चला जाता है, पर उसे एक बात का सुकुन था की उसकी माँ उस पर गुस्सा नहि थी....

 
सतीश बाहर बेड पर बैठ जाता है और अभी की घटना के बारे मे सोचने लगता है, उसकी आँखों के आगे बार बार उसकी माँ का नंगा भिगा हुआ जिस्म आ रहा था... तभी वाशरूम के गेट खुलने की आवाज से उसका ध्यान टुटता है और वो अपनी नजर उठा कर उस और देखता है उसकी माँ सिर्फ एक टॉवल लपेटे ही वाशरूम से बाहर आई थी जोकि उसके निप्पल से थोड़ी ऊपर ही बांधी हुई थी और निचे उसकी गांड तक ही थी वो उसकी पूरी नंगी जाँघे उसमे से दिखाइ दे रे रही थि, सोनाली सतीश को देखते हुए मिरर की तरफ चल देती है और फिर मिरर के सामने खड़े होकर अपने बाल सँभालने लगती है.... और सतीश को तो जैसे होश ही नहि था वो तो घूर घूर कर अपनी माँ को ही देखे जा रहा था... और सोनाली भी मिरर मे से उसे अपनी तरफ घुरता हुआ देख रही थी और उसे अपनी तरफ ऐसे घुरता देख कर उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ जाती है... उसे बहुत अच्छा लगता है की उसका बेटा उसको ऐसे खा जाने वाली नजरो से देख रहा है....

सोनाली ने अपने बेटे के साथ सम्बन्ध बनाने की तरफ अपना पहला कदम बड़ा दिया था.... उसके बेटे की हरकतो ने और उसके लंड ने उसे इतना मजबूर कर दिया था की अब वो सारी शर्म हया भूल कर अपने जिस्म को अपने बेटे के सामने एक्सपोसे कर रही थी.....
सोनाली कंघी करते हुए बस सतीश को ही देखे जा रही थी... और सतीश उसके तो होश ही उड़ गए थे उसने बिलकुल भी अपनी माँ से ये एक्सपेक्ट नहि किया था की वो ये जानने के बावजूद की उसका बेटा उसका रूम मे इस तरह से बाहर आ जाएगी...

सोनाली अपने चेहरे पर स्माइल लाते हुये- ऐसे घूर घूर कर क्या देख रहा है सतीश..?

सतीश सोनाली के इस अनएक्सपेक्टेड क्वेश्चन से हडबडा जाता है, पर अपने को सँभालते हुए वो बेड से उठ कर उसके तरफ बढ़ता है और उसे पीछे से हग कर लेता है और उसके कान के पास अपना मुह ले जाकर उसके कान सरगोशी करते हुये....

सतीश- मे इस स्वर्ग से आई अप्सरा को देख रहा हु....

सोनाली अपने चूतडों पर सतीश के खड़े लंड को महसूश कर रही थि, पर वो उसे हटाने की कोई कोशिश नहि करति...

सोनाली एक सेक्सी सी स्माइल देते हुये- अच्छा तो तुझे मे अप्सरा दिखाइ देती हु...

सतीश- सच कह रहा हूँ माँ आज तुम इतनी सेक्सी लग रही हो की तुम पर से नजरे ही नहि हट रहि.....

सोनाली मुस्कुराते हुये- धत तुझे शर्म नहि आती अपनी माँ को सेक्सी कहते हुये...

सतीश- तो इसमें गलत ही क्या है आज तो आप इतनी सेक्सी लग रही हो की आप के सामने सभी बॉलीवुड एक्ट्रेस पानी भरती नजर आयेंगी....

सोनाली अपनी तारीफ सुनकर फूले नहि समां रही थी...
सतीश भी अपनी माँ को फ्रैंक होता देख कर अपने लंड को उनकी चूतडो पर और दबा देता है....

सतीश की इस हरकत से सोनाली के मुह से आह निकल जाती है और उसकी आँखे मजे मे बंद हो जाती है...

सतीश- क्या हुआ माँ??

सोनाली- वो मुझे पीछे कुछ चुभ रहा है...

सतीश- कहा चुभ रहा है माँ और क्या चुभ रहा है....

सोनाली- वोह मेरे पिछे..

सतीश- हा आपके पीछे कहा??

सोनाली हिम्मत करके - वो पीछे हिप्स मे कुछ चुभ रहा है...

सतीश अपने लंड को उसकी गांड पर रगडते हुये

सतीश- क्या चुभ रहा है मोम...

सोनाली- ओ...

सतीश- हा क्या बोलो माँ??

ओर सतीश अपने मुह मे सोनाली के कान को भरकर चुसते हुये...

सोनाली पर मधहोशी छाने लगती है और उसकी चुत गिली होने लगती है...

सोनाली- वो मेरे हिप्स पे...

सतीश- क्या आपके हिप्स पर...

सोनाली- वो तेरा पेनिस मेरे हिप्स पर चुभ रहा है...

सतीश- ओह्ह तो ऐसा बोलो ना, आपने भी जरा सी बात बोलने मे इतना टाइम लगा दिया....

ओर सतीश सोनाली से अलग हो जाता है सोनाली पलट कर उसके शार्ट की तरफ देखति है जिसमे टेंट बना हुआ था...

सोनाली अपने मुह पर हाथ रखते हुए ऐसे रियेक्ट करती है जैसे पहली बार उसका लंड देख रही हो- हाय... ए... ये क्या है?
सतीश- क्या है मतलब? पेनिस है....

सोनाली- पर ये इतना बड़ा कैसे?

सतीश- आपको देख कर ही ये इतना बड़ा हो गया है मोम...

सोनाली बनावटी गुस्सा दिखाते हुये- तुम्हे शर्म नहि आती ये कहते हुए की तुम्हारा पेनिस मुझे देख कर यानि की अपनी माँ को देख कर ही तुम्हारा पेनिस खड़ा है...

सतीश सोनाली की तरफ बढ़ता है और उसकी कमर को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खिंच कर उसे अपने से सटाते हुये...

सतीश-अगर आपको इस तरह कोई बुढ्ढा भी देख ले न तो उसका भी खड़ा हो जायेगा मे तो फिर भी जवान हु.... और वैसे भी इसे क्या पता की सामने जो अप्सरा खड़ी है वो मेरी माँ है या कोई और.... ये तो जब भी कोई सेक्सी माल देखता है तब खड़ा हो जाता है पर आज जब आपको देखा है तब पता चला की असली माल तो मेरे ही घर मे था और मे बाहर ढूंढ रहा था....
सोनाली जोकि उसके आँखों मे झाँक कर देख रही थी- अच्छा तो मे तुझे माल नजर आती हु...

सतीश अपने हाथ सोनाली के चूतडो पर रख कर उसकी चुत को अपने लंड पर दबाता है और अपने होठो को उसके होंठो के पास ले जाता है...

सतीश- आप कोई ऐसा वैसा माल नहि हो बल्कि एकदम काँचा माल हो, जिसे देख कर उसका अपना बेटा ही उसका दीवाना हो गया है और वो भी अबसे नहि बल्कि तबसे जबसे मैंने आपको मस्टरबैट करते देखा है....

सोनाली सतीश की बात सुनकर चौक जाती है और उसकी आँखे आस्चर्य से बड़ी हो जाती है वो सतीश की आँखों मे देखते हुये- तुमने मुझे मस्टरबैट करते देखा पर क़ब्....

सतीश उसे सारी बात बता देता है की कैसे उसने पहले दिन अपनी माँ को मैस्टरबेट करते देखा और फिर बसंती के साथ भी उसे देखा....

पर सतीश उसे ये नहि बताया की वो दो रात को उसके जिस्म के साथ खेल चुका है बल्कि कल रात तो उसने अपना पेनिस उसकी चुत मे भी दाल दिया था...

सोनाली उसकी बात सुनकर शर्म से अपनी नजरे झुका लेती है और एक सेक्सी सी स्माइल के साथ- तू बहुत शैतान हो गया है तुझे शर्म नहि आई अपनी मम्मी को मस्टरबैट करते देख कर...

सतीश सोनाली की चिन पकड़ कर उसके चेहरे को ऊपर उठता है सोनाली शर्म से अपनी आँखे बंद करे हुए थी....

सतीश उसको ऐसे देख कर अपने पर कण्ट्रोल नहि कर पाता और अपने प्यासे होंठ उसके तपते होंठो पर रख देता है और उसे किस करने लगता है....

सतीश के किस करने से सोनाली चौक कर अपनी आँखे खोलती है और उसकी आँखे खुल कर बड़ी हो गई थी... उसे यकीन ही नहि हो रहा था की उसका बेटा उसे किस कर रहा है पर वो इस बात को अपने दिमाग से निकालकर किस मे खो जाती है और वो भी सतीश के किस का रिस्पांस देणे लगी थी....

 
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