Mastaram Stories हवस के गुलाम - Page 12 - SexBaba
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Mastaram Stories हवस के गुलाम

सलीम कुछ देर तक अंजलि के मादर जात नंगे बदन को देखता रहता है और अंजलि अपनी आँख बंद करके अपने पैर सिकोड़ने लगती है. लेकिन सलीम अंजलि का एक पैर पकड़ कर उसे फिर से सीधा कर देता है. सलीम फिर से अंजलि की गुदाज गोरी चिट्टी गान्ड को घूर्ने लगता है. सलीम बहुत ही प्यार से उसकी गान्ड के दोनो पाटों को चूमता है..

सलीम: मुउववाह मुऊुआाहह..

अंजलि सलीम के होंटो का स्पर्श अपनी नंगी गान्ड पर पाकर अपनी गांद को टाइट कर लेती है. अंजलि के मूह से बहुत ही मादक सिसकारी निकल जाती है. अब सलीम अंजलि को अचानक से सामने की तरफ घुमा देता है. बूढ़ा होने के बावजूद उसकी ताक़त देखी जा सकती थी कि कैसे उसने एक खिलोने की तरह अंजलि को कंधो से पकड़ कर पीठ के बल लिटा दिया. अंजलि के हाथ उसके सर की तरफ होने से जैसे ही अंजलि अपनी पीठ के बल लेट जाती है. अंजलि के ब्रा जिसके हुक बिस्तर पर ज़ोर से गिरने से टूट गये थे अब वो भी अंजलि की दूध जैसी मोटी चिकनी चुचियों का साथ छोड़ चुकी थी

सलीम एक-टक अंजलि की चुचियों को घूर रहा था. अंजलि को इस बात का एहसास होते ही कि उसकी चूंचिया एक बुड्ढे के सामने एक दम नंगी है वो उन्हे अपने हाथों से छिपाने की कोशिश करने लगती है. लेकिन अंजलि के छोटे-छोटे हाथ अब अंजलि की चूंचियो को पूरी तरह से छिपाने मे असमर्थ थे. सलीम अंजलि को इस तरह से देख कर बुरी तरह से बोखला जाता है. सलीम क्या इस वक़्त कोई भी अंजलि को इस तरह से देखता तो शायद ही खुद पर काबू कर पाता.

अंजलि की आँखों में शर्म और हवस दोनो देखी जा सकती थी. जबकि सलीम की आँखों में बेतहाशा हवस देखी जा सकती थी. तभी सलीम अपनी हवस भरी आँखों से घूरते हुए अंजलि से रिक्वेस्ट मे बोलता है..

सलीम: अंजलि अपने हाथ हटाओ ना देखो इस मनमोहक दृश्य के लिए मे कब से तड़प रहा था.

अंजलि इनकार मे अपनी गर्दन हिला देती है… इस वक़्त अंजलि की आँखें बंद थी.

सलीम: अंजलि एक बार मेरी तरफ देखो..

अंजलि: फिर से ना मे गर्दन हिला देती है..

सलीम बड़े प्यार से अंजलि के साइड मे बैठ कर अंजलि के चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर उसके चेहरे के पास जाता है और फुसफुसाते हुए बोलता है..

सलीम: अंजलि में जानता हूँ तुम भी मुझे पसंद करती हो. बस में चाहता हूँ कि तुम एक बार मेरी आँखों मे देखो. मे इस लम्हे को किसी वहशी दरिन्दा बनकर नहीं बल्कि तुम्हारा आशिक़ बनकर जीना चाहता हू.

अंजलि अब भी अपनी आँखें बंद रखती है.

सलीम: अगर तुम मुझे पसंद नहीं करती? अगर तुम मुझे सच मे प्यार नहीं करती? अगर ये मेरी ग़लत फहमी है कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती और मेने अब तक जो भी तुम्हारे साथ किया है ये सब एक तरह की ज़बरदस्ती है तो अपनी आँखें बंद रखो अंजलि में बिना कुछ किए यहाँ से चला जाता हूँ.

सलीम इतना बोलकर अंजलि के पास से उठ कर जाने लगता है कि अंजलि सलीम का हाथ पकड़ लेती है..

सलीम पीछे मूड कर देखता है तो अंजलि की आँखों मे आँसू थे. सलीम और अंजलि की आँखें आपस मे टकराती है और दोनो एक दूसरे की आँखों मे खो जाते है..
 
धीरे-धीरे सलीम अंजलि के नज़दीक जाता है और उसके गुलाबी लबो पर अपने होंठ रख देता है. इस बार अंजलि भी सलीम का हल्के हल्के साथ देने लगती है और सलीम के होंठो को चूसने लगती है... दोनो एक दूसरे को हल्के हल्के चूम रहे थे. दोनो एक दूसरे को छोटे-छोटे चुंबन दे रहे थे. सलीम अंजलि को चूमते ते हुए अंजलि के हाथ उसकी चुचियों से हटा देता है.. अंजलि को अब किसी बात पर ऑब्जेक्षन नहीं था. अंजलि के हाथ सलीम के सर की ओर करके एक गहरा चुंबन लेता है और अंजलि के होंटो को चूमने लगता है.. बीच बीच मे सलीम अंजलि के होंठों को अपने दाँतों मे दबा कर चबाने लगता है. जिस से अंजलि को हल्का हल्का दर्द होने लगता है. कि अचानक अंजलि भी इस बार सलीम के होंटो को दाँतों मे पकड़ लेती है. अंजलि के ऐसा करते ही सलीम चुंबन तोड़ते हुए उठने की कोशिश करता है कि उसके होंटो मे अंजलि के दाँतों से कट लग जाता है.. जिस से सलीम की एक चीख निकल जाती है.. सलीम को चीखता देख अंजलि भी अपनी किस तोड़ देती है..

सलीम: साली काट ती है..

अंजलि सलीम की ये बात सुन कर हँसने लगती है. अंजलि के हँसने से अंजलि की 34डी की चूंचिया उपर नीचे होकर मस्त हिलने लगती है. अंजलि को हंसता देख कर सलीम के चेहरे पर भी स्माइल आ जाती है. इस वक़्त कोई भी उन दोनो को देख कर ये नहीं कह सकता था कि कोई बुद्धा किसी हाउस वाइफ के साथ रंगरलियाँ मना रहा हो बल्कि उन दोनो को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दो लवर रोमॅन्स कर रहे हों.

सलीम फिर से अंजलि के होंटो को चूमता है तो सलीम के होंटो से निकला हल्का हल्का खून अंजलि के लबों पर लगने लगता है. तभी सलीम अंजलि से चुंबन तोड़ कर अंजलि की गर्दन पर किस करने लगता है. अंजलि अपनी गर्दन इधर उधर करने लगती है. तभी सलीम अंजलि की गर्दन को चूमते हुए धीरे-धीरे अंजलि की विशाल मगर खूबसूरत चूंचियो की ओर जाने लगता है. अंजलि सलीम को रोकने के लिए अपने हाथ नीचे लाने की कोशिश करती है मगर उसके दोनो हाथ सलीम के हाथो की क़ैद मे थे. तभी सलीम अंजलि को चूमते हुए अंजलि की विशाल चुचियों के बीच मे चूमता है और अंजलि अपनी पीठ हवा में उठा देती है और बिल्कुल धनुष बान की तरह हो जाती है.सलीम अंजलि को ऐसे देख कर उपर उठ कर अंजलि की आँखों मे देखता है और मुस्कुराते हुए अंजलि की चुचियों की ओर अपना मूह लेजाने लगता है. अंजलि सलीम को इस तरह से स्लो मोशन मे अपनी चुचियों की तरफ बढ़ते देख शर्म से पानी पानी हो जाती है लेकिन उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान भी थी.. अब सलीम अंजलि की छाती से धीरे धीरे ज़ुबान चलाते हुए अंजलि के निपल के एक इंच की दूरी पर चारों और अपनी ज़ुबान फिराने लगता है. सलीम की इस हरकत से अंजलि के पूरे बदन मे करेंट दौड़ने लगता है. अंजलि के सरीर पर रोम जैसे दाने उभर आते है.. और उसका निपल जो पहले से और भी कड़क होने लगता है. अब सलीम उसी तरह अंजलि के दूसरे निपल के साथ भी करता है. सलीम इसी तरह 2-3 मिनिट अंजलि को परेशान करता है जिस से अंजलि फ्रस्टरेट हो जाती है. और उसी फ्रस्ट्रेशन में अंजलि के मूह से एक निकल जाता है और बोलती है..

अंजलि: अया एम्म्म करो ना…?

सलीम अंजलि की आवाज़ सुन कर मुस्कुराते हुए अंजलि से बोलता है..

सलीम: क्या करूँ..?

अंजलि: कुछ बोलती नहीं बस मुस्कुराते हुए सलीम की ओर देखती है..

सलीम ये तो जान चुका था कि अंजलि बहुत ही सिंपल सी हाउसवाइफ है वो कोई बस्ती की रांड़ नहीं है जो इस तरह से खुले आम जैसा कहूँ वैसा बोले.. इस लिए वो खुद ही शुरुआत करता है..

सलीम: क्या करूँ.. तुम्हारे लबों को चुमू…?

अंजलि सलीम के ऐसे पूछने पर शर्मा जाती है और साथ ही मुस्कुरा जाती है..

अंजलि: ना मे गर्दन हिलाते हुए.. नहीं… पहले किस करने से पहले पर्मिशन ली थी क्या..

सलीम: नहीं…. वो क्या है ना उस वक़्त तो मुझे किस करनी थी ना..

अंजलि सलीम के बचकाने से जवाब से मुस्कुरा देती है..

तभी सलीम
सलीम: ओह तो क्या तुम्हारे ये मस्त आम चुसू..

अंजलि: इसस्शह कुछ भी बोलते हो..

सलीम: नहीं .. तो फिर क्या करूँ..

सलीम ऐसा बोल कर फिरसे अंजलि के निपल के चारों और अपनी जीभ फिराने लगता है लेकिन निपल को टच भी नहीं करता.
 
अंजलि: मुस्कुराते हुए धीरे से बोलती है
अंजलि: वही..

सलीम: वापस अंजलि की तरफ देखते हुए.. क्या..?

अंजलि: वही जो आपने कहा..

सलीम: तुम्हारी मस्त मोटी – मोटी चूंचिया चुसू..

अंजलि: अपनी आँख बंद करके बहुत ही मादक स्वर में ह्म्‍म्म्मम करती है..

सलीम अंजलि के इस तरह से बेक़रार होने पर मुस्कुराता हुआ सीधा अंजलि का निपल मूह मे लेकर चूसने लगता है.. और अंजलि सलीम के इस सीधे हमले से एक दम बैचैन हो जाती है और वो अपने सर के पीछे चादर को अपनी मुट्ठी में कस लेती है और अपने होंटो को आपस मे दबा लेती है फिर भी अंजलि के मूह से एक सिसकारी निकल ही जाती है..

अंजलि: आअहह ह्म म्‍म्म्मम

सलीम दूसरी ओर पुचह पुक्क पुच की आवाज़े करते हुए अंजलि की चुचियों को चूस्ता रहता है.

2-3 मिनिट अंजलि की बाई चुचि चूसने के बाद सलीम अंजलि की दाहिनी चूंची को भी ठीक उसी तरह से चूसने लगता है. 2-3 मिनिट की चुसाई के बाद सलीम अंजलि के हाथ छोड़ कर अंजलि की दोनो चुचियों को अपने हाथो मे पकड़ कर दबा देता है..

अंजलि: अयाया धीरे… दर्द होता है..

सलीम अंजलि की कोई भी बात जैसे सुन ही नहीं रहा हो. अब सलीम बिल्कुल जानवर बन जाता है. सलीम कभी अंजलि की बाई तो कभी दाहिनी चूंची को चूस रहा था तो कभी काट रहा था.. लग भाग 10 मिनिट तक सलीम और अंजलि इसी तरह से अपनी आहों और चीखों से कमरे को गूंजाते रहते है.. अब अंजलि के बर्दाश्त के बाहर था तो अंजलि सलीम को धक्का देकर अपनी चूंची सलीम के मूह से निकाल कर देखने लगती है.. अंजलि की चूंचिया उसकी छाती से लेकर निपल के चारों ओर तक काटने और चूसने के निशान से लाल नीली पड़ी थी. और सलीम के थूक से गीली हो कर चमक रही थी.

अंजलि की आँखों में हल्के से मोती जैसे आँसू तैर रहे थे. अंजलि यूँही आँखों को सलीम की ओर उठा कर देखती है जैसे कह रही हो देखो तुमने क्या किया है जानवर कहीं के.

सलीम अंजलि की आँखों में देखते हुए वापस अंजलि के करीब जाकर उसकी दोनो आँखों को चूम लेता है.

इन हालातों में अंजलि और सलीम दोनो की आँखों मे लाल डोरे तैर रहे थे. दोनो हवस के नशे मे चूर थे. जहाँ तक सलीम की बात है सलीम तो बहुत पहले ही अपने मंसूबे सॉफ कर चुका था लेकिन अंजलि को देख कर यही लग रहा था जैसे वो भी अब खुद को इस मोके इस लम्हे के लिए तैयार कर चुकी थी. इसकी क्या वजह हो सकती है ये तो वक़्त आने पर पता चलेगा खेर हम आगे बढ़ते है अपनी कहानी “हवस का गुलाम” के साथ….
 
सलीम धीरे-धीरे अपनी रोमॅंटिक हरकतों से अंजलि को गरम कर रहा था साथ ही साथ अंजलि को ऐसा एहसास दे रहा था जैसे अंजलि का सबकुछ अब वो बुड्ढ़ा ही हो. उसे दर्द भी दे रहा था तो खुशी भी दे रहा था, सलीम एक तरफ जहाँ अंजलि को रुला रहा था तो एक तरफ उसे अपनी बचकानी हरकतों से हंसा भी रहा था. अभी कुछ ही देर बीती थी कि सलीम एक बार फिर से अंजलि के उपर सवार हो जाता है. सलीम अंजलि की आँखों मे देखते हुए..

सलीम: जान अब अगर तुम्हारी इजाज़त हो तो आगे बढ़ा जाए.

अंजलि सलीम के मूह से “जान” शब्द सुन कर चोंक जाती है लेकिन चोन्कने से ज़्यादा शरमा रही थी. अंजलि उसी शर्मीले चेहरे को साइड मे करके होले से बोलती है..
अंजलि: में कोई तुम्हारी जान नहीं हूँ.

सलीम: मुस्कुराता हुआ अच्छा नहीं हो मेरी जान तो ज़रा मेरी आँखों मे झाँक कर बोलो.

अंजलि: सलीम की आँखों मे देखती है.. और वो बोलने ही जा रही थी कि वो सलीम की जान नहीं है अचानक अंजलि को सलीम का चेहरा देख कर हँसी आजाती है..

सलीम भी अंजलि के ऐसे हँसने पर मुस्कुरा देता है..

सलीम फिर से धीरे-धीरे अंजलि के चेहरे को किस करता है फिर उसके गालो को चूमते हुए उसके होंटो पर अपनी ज़ुबान फिराते हुए उसके गले तक आजाता है और धीरे धीरे अंजलि की विशाल चुचियों को चूमते हुए सलीम अंजलि की नाभि ने ज़ुबान डाल देता है..

सलीम के ऐसा करते ही एक बार फिर से अंजलि धनुष बन जाती है.. फिर सलीम धीरे धीरे बेड से नीचे उतरते हुए अंजलि की टाँगों मे बीच मे आजाता है. सलीम बहुत ही रोमॅंटिक और हवसी तरीके से अंजलि की इन्नर जांघों को चूमने और चाटने लगता है.. अंजलि सलीम के मूह को अपनी चूत की आस पास फील करके बुरी तरह से थर थरा रही थी.

सलीम अचानक से अपनी ज़ुबान बाहर निकाल कर अंजलि की थाइ को चाट ते हुए अंजलि की चूत की ओर जाने लगता है अंजलि सलीम को अपनी चूत की और बढ़ता देख आँखें बंद कर लेती है और धीरे धीरे हवस की आग मे जलते हुए वो इतनी बेक़रार हो गई कि उसकी छोटी सी चूत का हल्का सा मूह खुलते और बंद होते देखा जा सकता था. सलीम जैसे ही उसकी चूत से 6-7 इंच की दूरी पर पहुँचा अंजलि ने अपनी दोनो टाँगो को पास मे कर लिया जिस से सलीम का चेहरा अंजलि की जांघों के बीच मे फँस गया और वो अंजलि की चूत तक नहीं पहुँच पाया.

तभी सलीम हौले से अंजलि के घुटनो को पकड़ कर मोड़ देता है और उन्हीं घुटनो को पकड़ कर अंजलि के पैर धीरे धीरे खोलता है. इस बार सलीम ज़ोर नहीं लगा रहा था. और अंजलि भी कभी अपने पैरों को टाइट कर लेती तो कभी हल्का हल्का ढीला छोड़ देती.. थोड़ी सी कोशिश से सलीम अंजलि के पैरों को मोड़ कर खोलने मे कामयाब हो गया.

अंजलि की खुली टाँगों के बीच अंजलि की खुलती बंद होती एक दम चिकनी चूत देख कर सलीम पागल सा हो गया. फिर भी खुद को काबू मे करते हुए सलीम ने बहुत ही संयम रखते हुए अंजलि की चूत को ना छूते हुए अंजलि की चूत के चारों ओर अपनी ज़ुबान से चाट ने लगा.लगभग यही कोई 2.5 या 3 इंच की दूरी बरक़रार रखते हुए सलीम अंजलि की चूत के होंटो के आस पास चाटने लगा और ज़ुबान से अंजलि की चूत के चारो ओर हल्की हल्की गुद गुदि करने लगा. सलीम की इस हरकत से अंजलि अंदर तक हिल गयी.. अभी कुछ 30 सेकेंड भी नहीं हुए थे की अंजलि की चूत ने पानी छोड़ दिया.

अंजलि की चूत का पानी सीधा सलीम के ललाट से होते हुए उसकी नाक और होंटो से होते हुए उसकी ठुड्डी से नीचे बहने लगा. अंजलि अभी अभी अपने ऑर्गॅज़म से काँप रही थी. ये पहला ऑर्गॅज़म था अंजलि का सलीम चाचा के साथ. अंजलि आँख बंद करके अपने ऑर्गॅज़म के (चर्म सुख) का आनंद उठा ही रही थी कि सलीम अपनी ज़ुबान पर अंजलि की चूत के पानी का जायका ले रहा था.
 
अब जब शेर के मूह खून लग ही चुका था तो सलीम क्यूँ शिकार करने से पीछे रहता. सलीम ने बिना देर किए अंजलि की चूत को अपने होंटो मे क़ैद कर लिया.. अंजलि सलीम के इस अचानक किए हमले से फिर से काँप उठी तो वो सलीम के चेहरे को उठा कर दूर करने की कोशिश करने लगी लेकिन सलीम अब अंजलि के लिए पागल हो चुका था.

अंजलि: अयाया हँहममम क्या कर रहे हो चाचा… हहूऊ ओह्ह्ह आह हटो बुड्ढे.. ये गंदा है…

मगर सलीम तो अपनी ही धुन मे खोया हुआ था. अब सलीम पागलों की तरह अंजलि की चूत चाट रहा था और अंजलि सलीम को रोकना बंद करके आँखें बंद करके अपने अगले ऑर्गॅज़म के करीब पहुँच रही थी. अब अंजलि खुद अपने पैरों को खोल कर अपने हाथों मे थाम कर सलीम को अपना काम करने दे रही थी. अंजलि के मन मे उलझने थी लेकिन हवस की आग मे जलते रहना अब उसके बस की बात नहीं थी.

थोड़ी ही देर मे अंजलि एक बार फिर से अपनी कमर हवा मे उठा देती है और एक बार फिर से झड जाती है.. और सलीम बेसबरों की तरह अंजलि के पानी का जायका ले रहा था.. अंजलि एकदम बदहवास मे पड़ी थी और सलीम अभी भी उसकी चूत से चिपका पड़ा था..

सलीम: अंजलि आज में तुझे वो मज़ा दूँगा कि तुझे चुदाई मे मेरे अलावा दुनिया का कोई भी शक्स आजाए तेरे बदन की आग नहीं मिटा पाएगा.

अंजलि: सलीम के मूह से सीधे सीधे लफ़्ज़ों मे अपने साथ होने वाले अगले पलो के बारे मे सुनकर शरमा जाती है.मज़े की बात ये ही थी कि अभी तक अंजलि सलीम के खड़े हथियार के दर्शन नहीं कर पाई. लेकिन अब उसके मन मे भी सलीम के हथियार को देखने की लालसा आ चुकी थी . दरअसल अब अंजलि चाहती थी कि उसकी ताबड तोड़ चुदाई हो. लेकिन वो अब भी खुल कर बोलने मे शरमा रही थी.

सलीम मन मे: तो तू अब भी शरमा रही है अच्छा है. शर्म तो औरत का गहना होती है. तू शरमाती रहना और मे तेरी मारता रहूँगा.
धीरे-धीरे सलीम अंजलि के बदन के उपर जाने लगता है एक बार फिर से अंजलि सलीम के लंड को नहीं देख पाती वो चुपके चुपके कोशिश तो कर रही थी लेकिन सलीम उसे दिखा नहीं रहा था..

तभी सलीम अंजलि की गर्दन को किस करते हुए.

सलीम: मेरी जान अब तेरी बारी है मुझे प्यार करने की. मेरे हथियार को खड़ा करने की. ताकि ये तुझे बेपनाह प्यार कर सके और तेरी चूत की कुटाई करके तेरे बदन को ठंडा कर सके.

अंजलि: सलीम की ये बात सुन कर बिल्कुल शरमा जाती है.

लेकिन अगले ही पल सलीम अंजलि को बिस्तर पर बिठा देता है और खुद उसके सामने खड़ा हो जाता है. अंजलि की आँखों के सामने सलीम का जंगबहादुर था. जिसे देख कर अंजलि शॉक में आ जाती है. और उसका दिल 100हॉर्स पवर से दौड़ने लगता है.

इतना भयानक हथियार अंजलि ने पहले कभी नहीं देखा था. ना ही उसके पति ड्यू के पास ऐसा हथियार था.. अंजलि के पति का लंड भी दूसरे लोगो की तरह 5 या 5.5 इंच का रहा होगा लेकिन सलीम अपने 8-8.5 इंच के लंड को लेकर खड़ा था.

अंजलि अपनी आँखों के सामने भयानक दिख रहे सलीम के लंड को देख कर शॉक रह जाती है. अंजलि अभी अपने ख्यालों मे ही गुम थी कि सलीम की आवाज़ अंजलि को उसके ख्यालों से बाहर निकाल लाती है..

सलीम: पसंद आया तुम्हे

सलीम अंजलि से ऐसे पूछते हुए अपने लंड को अपने हाथों से मसल्ने लगता है..
 
अंजलि सलीम की आवाज़ ठीक से सुन नहीं पाई वो तो बस सलीम की अचानक आवाज़ सुन कर अपने ख्यालों से बाहर निकली थी. अंजलि सलीम को अपना लंड मसल्ते देख रही थी.

सलीम एक बार फिर से अंजलि से सवाल पूछता है..

सलीम: अंजलि पसंद आया मेरा हथियार..

अंजलि: डरी सहमी सी सलीम की आँखों मे देखती है. अंजलि के मूह से बस इतना ही निकल पाया..

अंजलि: इतना बड़ा…..

सलीम:अरे मेरी जान तुझे सिर्फ़ यही खुश कर सकता है.. इसके अलावा दूसरा तुम्हे वो खुशी नहीं दे पाएगा..

अंजलि सलीम की ये बात सुन कर फिर से ख्यालों की दुनिया में जाकर सोचने लगती है कि अगर इसे मेने ग़लती से ले भी लिया तो दूसरा लेने के काबिल मे बचूंगी ही कहाँ.. यही मुझे मार डालेगा..

सलीम अंजलि का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर हाथ रखता है.. अंजलि एक दम स्लो मोशन मे जैसा सलीम कर रहा था वैसे होने देती है. दर असल इस वक़्त अंजलि का दिमाग़ सुन्न हो चुका था.

सलीम अंजलि के हाथ की मुट्ठी बनाकर अंजलि के हाथ मे अपना लंड दे देता है और धीरे-धीरे अंजलि के हाथ को हिलाते हुए अपने लंड को अंजलि के हाथ से मूठ मरवाता है..

अंजलि एक पल को सलीम के चेहरे की ओर देखती है…

सलीम भी मुस्कुराता हुआ अंजलि की ओर देखता है और धीरे-धीरे अपनी कमर आगे पीछे करने लगता है. अब सलीम अंजलि की मुट्ठी ऐसे छोड़ रहा था जैसे वो कोई गान्ड मार रहा हो.

अंजलि एक बार फिर से सलीम के लंड के सुपाडे को उसके मुट्ठी से बाहर आते और अंदर जाते देखने लगती है.. अंजलि को ये सलीम के लंड को ऐसे देखना पसंद आता है. अंजलि का ऐसा चेहरा था जैसे वो कोई दुनिया का आठवा (8थ) अजूबा देख रही हो.. सलीम का लाल सुपाडा पूरी तरह से अंजलि की आँखो के सामने सिर्फ़ 5-6 इंच की दूरी तय करके फिर से उसकी मुट्ठी मे गुम हो जाता.

लगभग 3-4 मिनिट अंजलि की मुट्ठी की चुदाई के बाद सलीम अपनी कमर को आगे की ओर ज़्यादा पुश करने लगता है. माफ़ कीजिएगा अपने लंड को आगे पुश करने लगता है. कुछ ही धक्कों मे सलीम का लंड अंजलि के मूह के पास आजाता है.. अंजलि सलीम की ओर देखने लगती है. अंजलि सलीम की ओर देखते हुए कुछ बोलने को मूह खोलती है कि सलीम अपनी कमर को एक धक्का मारता है. इस धक्के से सलीम के लंड का सुपाडा अंजलि के होंटो के बीच घप से घुस जाता है.. सलीम तुरंत ही अपना लंड बाहर निकाल लेता है. सलीम के लंड का सुपाडा जैसे ही अंजलि के होंटो को खोल कर उसके मूह मे घुसता है सलीम की एक आह निकल जाती है और अंजलि इस अचानक हमले से पीछे की ओर चली जाती है..

अंजलि तुरंत फर्श पर थूकने लगती है..

सलीम: जान

अंजलि: शट अप… खुद तो गंदे हो मुझे भी गंदा बना दो.. ऐसे कोई भला करता है क्या.

सलीम: मेने भी तो तुम्हारी चूत चाटी थी और देखो तुम्हे मज़ा भी आया था..
 
अंजलि तुरंत फर्श पर थूकने लगती है..

सलीम: जान

अंजलि: शट अप… खुद तो गंदे हो मुझे भी गंदा बना दो.. ऐसे कोई भला करता है क्या.

सलीम: मेने भी तो तुम्हारी चूत चाटी थी और देखो तुम्हे मज़ा भी आया था..

अंजलि सलीम के मूह से ऐसे डाइरेक्ट वर्ड सुन कर शर्म से पानी-पानी हो जाती है.
अंजलि: शरमाते हुए शट अप… तुम्हारा क्या है तुम तो जाहिल गँवार हो.. और गंदे भी हो.. छी कहाँ-कहाँ मूह लगाते रहते हो.

सलीम अच्छा ऐसी बात है.. सलीम आगे बढ़ कर अंजलि को उठा कर बेड पर एक बार फिर से लिटा देता है..

अंजलि… आउच.. क्या कर रहे हो.. हटो.

सलीम अंजलि की कोई भी बात नहीं सुनता… और अंजलि की टांगे खोल कर अंजलि की टाँगों के बीच मे आजाता है..

अंजलि के लिए ये सब बहुत जल्दी हो रहा था.. हालाँकि अंजलि सेक्स की आग में जल रही थी लेकिन अभी भी वो बहुत थोड़ा ही सही लेकिन विरोध कर रही थी.. उसे लगा सलीम उसके साथ सेक्स करने वाला है..

सलीम अंजलि के विरोध को देख कर अंजलि से बोलता है..

सलीम: तुम्हारी सारी जान तुम्हारी चूत में है ना जान. आज में तुम्हारी सारी जान तुम्हारी चूत से कैसे निचोड़ लूँगा तुम देखना.

अंजलि सलीम के डाइरेक्ट वर्ड से बुरी तरह से शरमा रही थी और साथ ही साथ मन ही मन सलीम को गालियाँ दे रही थी. अभी अंजलि शरमा ही रही थी कि सलीम एक बार फिर से अंजलि की टाँगो को खोल कर अपना मूह अंजलि की चूत पर लगा देता है.

अंजलि एक बार फिर से अंदर तक हिल जाती है. सलीम अपनी ज़ुबान से अंजलि की चूत के दाने को छेड़े जा रहा था और अंजलि पीछे होने की कोशिश कर रही थी.

सलीम बार-बार अंजलि को पीछे होते देख गुस्सा हो जाता है और अंजलि की दोनो टाँगो को उठा कर अपने कंधो पर रख लेता है और अपने हाथ अंजलि की पीठ से होते हुए अंजलि के दोनो कंधो को पकड़ कर अपनी ओर खींच कर पकड़ लेता है.. अब अंजलि पीछे क्या दाएँ बाएँ भी नहीं हो सकती थी.. इन सब के दौरान सलीम का मूह अंजलि की चूत पर ही था. अब सलीम अंजलि की चूत पागलों की तरह चूस रहा था.. कुछ ही पल मे अंजलि अपने दूसरे-तीसरे ऑर्गॅज़म की तरफ पहुँच जाती है… सलीम अंजलि के अकड़ते हुए बदन को देख कर समझ जाता है कि अंजलि झड़ने वाली है लेकिन सलीम अपना मूह अंजलि की चूत से नहीं हटा ता.. अंजलि एक बार फिर से सलीम के मूह मे झड जाती है.. इस बार अंजलि का ऑर्गॅज़म 2 से 2.30 मिनिट मे ही हो गया था.. अंजलि हाँफ ने लगती है.. अभी अंजलि अपनी सांसो को संभाल ने की कोशिश कर ही रही थी कि उसे सलीम की स्लर्प्प्प्प स्लरप्प की आवाज़ सुनाई देती है.. और अंजलि एक बार फिर से शरमा जाती है.. जब अंजलि को एहसास होता है कि वो अभी सलीम के मूह पर झड गई थी और सलीम उसकी चूत से मूह लगा कर उसकी चूत के पानी का जायका ले रहा है.

अंजलि शरमाती हुई हंसते हुए सलीम से बोलती है..

अंजलि: उफ्फ ये क्या कर रहे हो बुड्ढे हटो वहाँ से गंदा है ये सब..

सलीम अंजलि की एक भी बात नहीं सुनता.. बस एक बार मूह उठा कर इतना सा जवाब देता है..
सलीम: तुझे दिखाई नहीं देता तेरी चूत चाट रहा हूँ...

सलीम के मूह से अपने लिए ऐसे वर्ड सुन कर अंजलि फिर से शरमा जाती है.. अब तो जैसे सवाल पूछना भी अंजलि के लिए आफ़त बन चुका था.

अब सलीम अंजलि के उपर लेट जाता है और अंजलि के होंटो को अपने मूह मे ले लेता है.. अंजलि के मूह मे अपनी ही चूत का स्वाद आता है तो अंजलि अपना मूह हटाने की कोशिश करती है लेकिन सलीम अंजलि को ऐसा नहीं करने देता.. सलीम अपनी ज़ुबान अंजलि के मूह मे डालने की कोशिश करता है कि अंजलि ज़ोर लगा कर अपना मूह बंद कर लेती है…
 
सलीम चालाकी दिखाते हुए अपना हाथ अंजलि की चूत पर रख लेता है और अपने एक पैर से अंजलि का एक पैर दबा कर रखता है.. अंजलि दूसरे पैर से अपनी चूत को बचाने की कोशिश करने लगती है लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी होती है. तब तक सलीम अपनी बीच की एक उंगली अंजलि की चूत में डाल देता है.. अंजलि खूब पैर पटक ती है लेकिन कोई फ़ायदा नहीं था… सलीम 3-4 बार अपनी उंगली चूत में अंदर बाहर करने के बाद भी जब अंजलि का मूह नहीं खुलते देखता है तो दोनो बीच वाली उंगली चूत में डाल देता है. दर्द से अंजलि का मूह खुल जाता है.. लेकिन अब सलीम जहाँ एक तरफ अंजलि की चूत मे अपनी दोनो बीच की उंगलियाँ डाल रखा था वही अंजलि के मूह खुलते ही अपनी ज़ुबान अंजलि के मूह मे डाल देता है..

अब सलीम अंजलि को चूमते हुए अपनी उंगलियाँ अंजलि की चूत के अंदर बाहर करने लगता है. अंजलि अभी 2-3 मिनिट पहले ही अपने ऑर्गॅज़म को प्राप्त कर चुकी थी लेकिन व्याग्रा के असर ने उसे एक बार फिर से गरम कर दिया.. अंजलि की चूत से धीरे-धीरे पानी निकालने लगता है. अंजलि किसी तरह खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी. लेकिन सलीम उसे अब कोई मोका नहीं देना चाहता था.. सलीम तेज़ी से अपनी उंगलियाँ अंजलि की चूत के अंदर बाहर करने लग गया.. अंजलि जहाँ सलीम का हाथ पकड़ रखी थी उसका हाथ रोकने के लिए लेकिन सलीम के ज़ोर के आगे अंजलि की कैसे चल सकती थी.. कुछ 40-45 सेकेंड मे ही अंजलि एक बार फिर से ऑर्गॅज़म को प्राप्त हो गई. उसकी चूत ने ढेर सारा पानी निकाला था. उसके बिस्तर पर आधे हाथ जितना बड़ा गीला धब्बा बन गया था.. सलीम की हथेली पूरी तरह से अंजलि की चूत के रस से सनी थी..

सलीम अपनी किस तोड़ कर अंजलि को देखता है.. अंजलि आँखें बंद किए हाँफ रही थी.. लेकिन सलीम एक बार फिरसे अपनी उंगलियो को तेज़ी से अंजलि की चूत में तेज़ी से चलाने लगता है.. अंजलि का मूह इस बार किसी बंधन मे नहीं था.. अंजलि सिसकारिया लेती हुई एक बार फिर से अपने ऑर्गॅज़म की ओर बढ़ गयी.. अंजलि अब और ज़्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकी और अंजलि ने अपनी कमर उपर की ओर उठा दी. अंजलि की चूत से एक लंबी सी धार बह कर बिस्तर पर गिर गई . लगभग 30-30 सेकेंड मे एक बार फिर से अंजलि की चूत ने पानी छोड़ दिया था…और आधे हाथ का धब्बा अब पूरे एक हाथ का बन गया था.

अंजलि का शरीर इस अद्भुत बॅक टू बॅक ऑर्गॅज़म के कारण काँप रहा था. उसकी कमर बार बार हवा मे उठ रही थी. सलीम दूर से अंजलि को काँपते देख रहा था.. अंजलि का सर भारी हो चुका था और उसका शरीर बिल्कुल हल्का हो गया था.. अंजलि को ज़ोर दार प्यास लगी थी.. अंजलि पानी के ग्लास की ओर हाथ बढ़ाती है कि सलीम पानी का ग्लास पकड़ कर दूर रख देता है.. अंजलि बिस्तर पर पड़ी सलीम की ओर देखती है… सलीम अंजलि का हाथ पकड़ कर अंजलि को बिस्तर के नीचे उतार कर खड़ा कर देता है.. अंजलि के पैर काँप रहे थे उसे खड़े होने मे दिक्कत आ रही थी सलीम एक बार फिर से अंजलि के पीछे चला जाता है.. अंजलि इस वक़्त सलीम को रोकने की हालत मे नहीं थी… सलीम अंजलि के पीछे जाकर अपना लंड अंजलि की चूत के उपर रख देता है.. बड़ी सावधानी से..

सलीम के ऐसा करते ही अंजलि ओवरएग्ज़्साइट्मेंट मे एक बार फिर से झड जाती है.. इस बार अंजलि सलीम के लंड पर झड रही थी.. अंजलि झड़ती हुई खड़ा नहीं हो पा रही थी. वो झड़ी हुई अपनी टांगे खोले ही नीचे बैठने लगती है लेकिन सलीम उसकी बाजू पकड़े उसे खड़ा रखता है.

सलीम:- अंजलि देखो तुम्हारी चूत अपने रस से मेरे लोड्‍े को कैसे नहला रही है..

अंजलि सलीम के मूह से ऐसी बात सुन कर शरमा जाती है..

अब अंजलि एक बार फिरसे खड़ी होने की कोशिश करती है. कैसे जैसे अंजलि खड़ी होती है लेकिन सलीम फिर से अंजलि को आगे की ओर झुका देता है.

अंजलि आगे झुकते हुए गिरने वाली होती है लेकिन सलीम अंजलि को पकड़े रखता है. अंजलि अभी सम्भल ही रही थी कि सलीम उसकी चूत पर अपना लंड घिसने लगता है. सलीम पीछे से धक्के मारने लगता है.. सलीम के धक्कों से अंजलि की चूत फड्फडा रही थी. अंजलि को एक अद्भुत मज़ा आ रहा था. लेकिन उसका शरीर बिल्कुल कमजोर था.. अंजलि काँप रही थी और सलीम उसकी चूत के उपर से अपना लंड रगड़ रहा था..

एक बार फिर से अंजलि गरम हो गयी थी… और धीरे-धीरे अपने ऑर्गॅज़म की तरफ बढ़ने लगी थी.. अंजलि सलीम को बार बार मना कर रही थी.

अंजलि: रुक जाओ.. प्लीज़ रुक जाओ.. में बर्दाश्त नहीं कर सकती..

लेकिन सलीम बिना अंजलि की एक बात सुने लगातार अंजलि की चूत पर धक्के मार रहा था.. करीब 3-4 मिनिट बाद अंजलि की टांगे एक बार फिर से काँपने लगी उसका बदन अकड़ने लगा.. अंजलि अपनी गर्दन उपर की ओर करके एक लंबी आहह भरते हुए सलीम के लंड पर झड़ने लगी…

अंजलि के झड़ने के बाद सलीम अंजलि को धीरे-धीरे अपनी पकड़ से आज़ाद कर देता है.. अंजलि आज़ाद होने के साथ ही धीरे-धीरे नीचे फर्श पर बैठ जाती है.
 
अंजलि: रुक जाओ.. प्लीज़ रुक जाओ.. में बर्दाश्त नहीं कर सकती..

लेकिन सलीम बिना अंजलि की एक बात सुने लगातार अंजलि की चूत पर धक्के मार रहा था.. करीब 3-4 मिनिट बाद अंजलि की टांगे एक बार फिर से काँपने लगी उसका बदन अकड़ने लगा.. अंजलि अपनी गर्दन उपर की ओर करके एक लंबी आहह भरते हुए सलीम के लंड पर झड़ने लगी…

अंजलि के झड़ने के बाद सलीम अंजलि को धीरे-धीरे अपनी पकड़ से आज़ाद कर देता है.. अंजलि आज़ाद होने के साथ ही धीरे-धीरे नीचे फर्श पर बैठ जाती है.

अंजलि बहुत ज़्यादा थक चुकी थी.. तो सलीम बेड के दूसरी साइड जाकर पानी का ग्लास लाकर अपने हाथ से अंजलि को पानी पिलाता है. अंजलि सलीम के हाथों से पानी पी रही थी. अंजलि सलीम को ऐसे पानी पिला रहा था जिसे देख कर अंजलि को सलीम पर बहुत प्यार आता है.. पानी पीने के बाद अंजलि सलीम से..

अंजलि: पहले खुद मेरी हालत ऐसी करते हो फिर प्यार जताते हो. आख़िर कैसे आदमी हो तुम . में तुम्हे कभी सोचती हूँ कि समझने लगी हूँ तो कभी तुम बिल्कुल समझ के बाहर हो जाते हो..

सलीम: तू सिर्फ़ इतना समझ ले कि मे तुझे बहुत प्यार करता हूँ.

अंजलि: आख़िर ये कैसा प्यार है..तुम मुझसे प्यार करते हो. लेकिन मेरी ननद के साथ हम बिस्तर होना चाहते हो.

सलीम: में तुमसे प्यार करता हूँ. तुम्हारी ननद तो सिर्फ़ टाइम पास है. और तुम्हारी ननद के लिए इस लिए बोला कि अगर तुम मेरी मदद करोगी अपनी ननद चोदने मे तो मुझे पूरा यकीन हो जाएगा कि तुम भी मुझसे उतना ही प्यार करती हो जितना कि में तुमसे करता हूँ..

अंजलि सलीम की डाइरेक्ट बात सुन कर पानी पानी हो जाती है.. नीचे से तो थी ही.. पानी पीकर अंदर से भी हो गयी थी.. लेकिन सलीम की बात सुन कर वो बिल्कुल शर्म से नहा जाती है..

तभी सलीम पानी का ग्लास वापस रख कर अंजलि के पास आता है और अपना लंड अंजलि के होंटो के पास ले जाता है..
सलीम: चल मूह खोल और साबित कर मुझसे प्यार करती है कि नही.

अंजलि: अपना मुहशर्म से दूसरी ओर कर लेती है..

सलीम अंजलि को अपना मूह दूसरी ओर करते देख अपने लंड से उसके गाल पर स्लॅप मारता है. और अपना लंड धीरे-धीरे अंजलि के गोरे गालों पर रगड़ ने लगता है… धीरे-धीरे अंजले के होंटो के बाहर रगड़ता हुआ बोलता है.. चल मूह खोल.

अंजलि धीरे-धीरे सलीम के दबाव मे अपना मूह खोलने लगती है कि सलीम का सुपाडा अंजलि के मूह मे घप से घुस जाता है.

हालाँकि सलीम का बड़ा सा चूत ख़ाता पीता लंड अंजलि के मूह मे बड़ी मुश्किल से घुस पा रहा था फिर भी अंजलि के गरम मूह मे सलीम अपने लंड का सुपाडा डालने मे सफल हो गया था..
 

अब सलीम धीरे-धीरे अपनी कमर हिला कर अंजलि का मूह चोदने लगता है.. और अंजलि अपने हाथों से सलीम का काला लंड पकड़ कर अपने मूह मे चूस रही थी.

अभी तोड़ा सा लंड ही अंजलि के मूह मे था लेकिन 3-4 मिनिट की मुख चुदाई के बाद सलीम अच्छे से अंजलि का मूह चोद रहा था..

अंजलि के मूह में सलीम का लंड ठीक से जा भी नही पा रहा था. हालाँकि कभी-कभी देव अंजलि को अपना लंड चूसने के लिए ज़ोर ज़बरदस्ती करता था इस लिए अंजलि को लंड चूसने से परहेज हो ऐसा भी नही था. लेकिन सलीम के लंड का साइज़ अंजलि के मुँह के लिए बहुत ज़्यादा था. अभी भी अंजलि को सलीम के लंड के सुपाडे से ज़्यादा लंड मूह मे लेने में दिक्कत हो रही थी. लेकिन सलीम अब बहुत बैचैन हो चुका था.. सलीम अंजलि के सर के पीछे हाथ ले जा कर अपनी कमर से हल्के-हल्के धक्के लगाने लगता है.

जब अंजलि के जबड़े में दर्द होने लगा तो वो पीछे होने लगी लेकिन सलीम ने अंजलि के सर को पकड़ कर एक बार ज़ोर से धक्का मारा कि सलीम का 3.5-4 इंच लंड अंजलि के मूह मे चला गया. सलीम के धक्का देते ही अंजलि उउउम्म्म्म ह्म करके उंघने लगती है.

सलीम अपना लंड हल्का सा बाहर निकाल कर फिर से उतना ही लंड वापस अंदर डाल देता है. अंजलि का जबड़ा बुरी तरह से दुख रहा था तो अंजलि अपना मूह ढीला छोड़ देती थी जिस से कभी-कभी अंजलि के दाँत सलीम के लंड को लगने लगे. जिस से सलीम के लंड मे दर्द होने लगा तो सलीम ने अपना लंड अंजलि के मूह से बाहर निकाल लिया. अंजलि एक बार आराम से बैठ कर अपने जबड़े को रिलॅक्स करने लगती है. और सलीम अपने लंड को देखने लगता है. सलीम के लंड पर अंजलि की लिपस्टिक लगी हुई थी और कहीं-कहीं पर अंजलि के दाँत भी लगे हुए थे. कि अंजलि खुद को रिलॅक्स करके सलीम की ओर देखते हुए बोलती है..

अंजलि:- जानवर कहीं के… पता भी है मेरा मूह दुखने लगा था. और तुम ज़बरदस्ती..

सलीम अंजलि की बात काट ते हुए..
सलीम: जानवर कहीं की तुझे पता भी है मुझे कितना दर्द हो रहा है..

अंजलि सलीम के मूह से जानवर सुन कर सलीम की ओर गुस्से से देखने लगती है. सलीम अपना लंड अंजलि को दिखाने लगता है..
सलीम: देखो तुम्हारे दाँतों के निशान. कितना जल रहा है तुझे इसकी सज़ा तो मिलेगी.

अंजलि सलीम के लंड की ओर देखती है तो उसे अपनी लिपस्टिक सलीम के लंड के चारों ओर दिखती है. वो भी उसके आधे से कम लंड पर थी. जिसका मतलब सॉफ था कि अंजलि ने अभी तक सलीम का आधा लंड भी मूह मे नहीं लिया था कि उसका जबड़ा दुखने लगा. अंजलि सलीम के जंग-बहादुर को देख कर यही सोच रही थी कि वो इसे चूत में कैसे ले पाए गी. इसे तो मूह में भी नहीं ले पा रही हूँ ठीक से..

 
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