desiaks
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सलीम कुछ देर तक अंजलि के मादर जात नंगे बदन को देखता रहता है और अंजलि अपनी आँख बंद करके अपने पैर सिकोड़ने लगती है. लेकिन सलीम अंजलि का एक पैर पकड़ कर उसे फिर से सीधा कर देता है. सलीम फिर से अंजलि की गुदाज गोरी चिट्टी गान्ड को घूर्ने लगता है. सलीम बहुत ही प्यार से उसकी गान्ड के दोनो पाटों को चूमता है..
सलीम: मुउववाह मुऊुआाहह..
अंजलि सलीम के होंटो का स्पर्श अपनी नंगी गान्ड पर पाकर अपनी गांद को टाइट कर लेती है. अंजलि के मूह से बहुत ही मादक सिसकारी निकल जाती है. अब सलीम अंजलि को अचानक से सामने की तरफ घुमा देता है. बूढ़ा होने के बावजूद उसकी ताक़त देखी जा सकती थी कि कैसे उसने एक खिलोने की तरह अंजलि को कंधो से पकड़ कर पीठ के बल लिटा दिया. अंजलि के हाथ उसके सर की तरफ होने से जैसे ही अंजलि अपनी पीठ के बल लेट जाती है. अंजलि के ब्रा जिसके हुक बिस्तर पर ज़ोर से गिरने से टूट गये थे अब वो भी अंजलि की दूध जैसी मोटी चिकनी चुचियों का साथ छोड़ चुकी थी
सलीम एक-टक अंजलि की चुचियों को घूर रहा था. अंजलि को इस बात का एहसास होते ही कि उसकी चूंचिया एक बुड्ढे के सामने एक दम नंगी है वो उन्हे अपने हाथों से छिपाने की कोशिश करने लगती है. लेकिन अंजलि के छोटे-छोटे हाथ अब अंजलि की चूंचियो को पूरी तरह से छिपाने मे असमर्थ थे. सलीम अंजलि को इस तरह से देख कर बुरी तरह से बोखला जाता है. सलीम क्या इस वक़्त कोई भी अंजलि को इस तरह से देखता तो शायद ही खुद पर काबू कर पाता.
अंजलि की आँखों में शर्म और हवस दोनो देखी जा सकती थी. जबकि सलीम की आँखों में बेतहाशा हवस देखी जा सकती थी. तभी सलीम अपनी हवस भरी आँखों से घूरते हुए अंजलि से रिक्वेस्ट मे बोलता है..
सलीम: अंजलि अपने हाथ हटाओ ना देखो इस मनमोहक दृश्य के लिए मे कब से तड़प रहा था.
अंजलि इनकार मे अपनी गर्दन हिला देती है… इस वक़्त अंजलि की आँखें बंद थी.
सलीम: अंजलि एक बार मेरी तरफ देखो..
अंजलि: फिर से ना मे गर्दन हिला देती है..
सलीम बड़े प्यार से अंजलि के साइड मे बैठ कर अंजलि के चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर उसके चेहरे के पास जाता है और फुसफुसाते हुए बोलता है..
सलीम: अंजलि में जानता हूँ तुम भी मुझे पसंद करती हो. बस में चाहता हूँ कि तुम एक बार मेरी आँखों मे देखो. मे इस लम्हे को किसी वहशी दरिन्दा बनकर नहीं बल्कि तुम्हारा आशिक़ बनकर जीना चाहता हू.
अंजलि अब भी अपनी आँखें बंद रखती है.
सलीम: अगर तुम मुझे पसंद नहीं करती? अगर तुम मुझे सच मे प्यार नहीं करती? अगर ये मेरी ग़लत फहमी है कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती और मेने अब तक जो भी तुम्हारे साथ किया है ये सब एक तरह की ज़बरदस्ती है तो अपनी आँखें बंद रखो अंजलि में बिना कुछ किए यहाँ से चला जाता हूँ.
सलीम इतना बोलकर अंजलि के पास से उठ कर जाने लगता है कि अंजलि सलीम का हाथ पकड़ लेती है..
सलीम पीछे मूड कर देखता है तो अंजलि की आँखों मे आँसू थे. सलीम और अंजलि की आँखें आपस मे टकराती है और दोनो एक दूसरे की आँखों मे खो जाते है..
सलीम: मुउववाह मुऊुआाहह..
अंजलि सलीम के होंटो का स्पर्श अपनी नंगी गान्ड पर पाकर अपनी गांद को टाइट कर लेती है. अंजलि के मूह से बहुत ही मादक सिसकारी निकल जाती है. अब सलीम अंजलि को अचानक से सामने की तरफ घुमा देता है. बूढ़ा होने के बावजूद उसकी ताक़त देखी जा सकती थी कि कैसे उसने एक खिलोने की तरह अंजलि को कंधो से पकड़ कर पीठ के बल लिटा दिया. अंजलि के हाथ उसके सर की तरफ होने से जैसे ही अंजलि अपनी पीठ के बल लेट जाती है. अंजलि के ब्रा जिसके हुक बिस्तर पर ज़ोर से गिरने से टूट गये थे अब वो भी अंजलि की दूध जैसी मोटी चिकनी चुचियों का साथ छोड़ चुकी थी
सलीम एक-टक अंजलि की चुचियों को घूर रहा था. अंजलि को इस बात का एहसास होते ही कि उसकी चूंचिया एक बुड्ढे के सामने एक दम नंगी है वो उन्हे अपने हाथों से छिपाने की कोशिश करने लगती है. लेकिन अंजलि के छोटे-छोटे हाथ अब अंजलि की चूंचियो को पूरी तरह से छिपाने मे असमर्थ थे. सलीम अंजलि को इस तरह से देख कर बुरी तरह से बोखला जाता है. सलीम क्या इस वक़्त कोई भी अंजलि को इस तरह से देखता तो शायद ही खुद पर काबू कर पाता.
अंजलि की आँखों में शर्म और हवस दोनो देखी जा सकती थी. जबकि सलीम की आँखों में बेतहाशा हवस देखी जा सकती थी. तभी सलीम अपनी हवस भरी आँखों से घूरते हुए अंजलि से रिक्वेस्ट मे बोलता है..
सलीम: अंजलि अपने हाथ हटाओ ना देखो इस मनमोहक दृश्य के लिए मे कब से तड़प रहा था.
अंजलि इनकार मे अपनी गर्दन हिला देती है… इस वक़्त अंजलि की आँखें बंद थी.
सलीम: अंजलि एक बार मेरी तरफ देखो..
अंजलि: फिर से ना मे गर्दन हिला देती है..
सलीम बड़े प्यार से अंजलि के साइड मे बैठ कर अंजलि के चेहरे को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर उसके चेहरे के पास जाता है और फुसफुसाते हुए बोलता है..
सलीम: अंजलि में जानता हूँ तुम भी मुझे पसंद करती हो. बस में चाहता हूँ कि तुम एक बार मेरी आँखों मे देखो. मे इस लम्हे को किसी वहशी दरिन्दा बनकर नहीं बल्कि तुम्हारा आशिक़ बनकर जीना चाहता हू.
अंजलि अब भी अपनी आँखें बंद रखती है.
सलीम: अगर तुम मुझे पसंद नहीं करती? अगर तुम मुझे सच मे प्यार नहीं करती? अगर ये मेरी ग़लत फहमी है कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती और मेने अब तक जो भी तुम्हारे साथ किया है ये सब एक तरह की ज़बरदस्ती है तो अपनी आँखें बंद रखो अंजलि में बिना कुछ किए यहाँ से चला जाता हूँ.
सलीम इतना बोलकर अंजलि के पास से उठ कर जाने लगता है कि अंजलि सलीम का हाथ पकड़ लेती है..
सलीम पीछे मूड कर देखता है तो अंजलि की आँखों मे आँसू थे. सलीम और अंजलि की आँखें आपस मे टकराती है और दोनो एक दूसरे की आँखों मे खो जाते है..