hotaks444
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"छ्चोड़िए ना!अभी नही.",अपनी सास का बिस्तर थी करती रीमा को विरेन्द्र जी ने पीछे से दबोचा तो वो छितक कर उनसे अलग हो गयी,"अभी भाय्या हैं घर मे.प्लीज़ आज नही."
"इतना डरती क्यू हो?उसे कुच्छ पता नही चलेगा.",उन्होने उसे गले से लगाया & उसकी गर्दन चूमने लगे.
"नही.आज नही.",रीमा कसमसाई.
"तो तुम्हारे कमरे मे चलते हैं."
"नही.",रीमा ने उन्हे परे धकेल दिया,"पागल हो गये हैं क्या?वाहा तो बिल्कुल नही,अगर भाय्या ने देख लिया तो मैं तो कहीं की ना रहूंगी!"
"तो ठीक है जब वो सो जाएगा तब तुम आ जाना,वरना मैं तुम्हारे कमरे मे आ जाऊँगा.",वो फिर उसके बदन से आ लगे.
"क्यू ज़िद करते हैं?छ्चोड़िए ना."अपनी सास के बिल्कुल बगल मे खड़ी हो अपने ससुर से लिपट कर उनसे किस करवाने मे रीमा को बहुत अजीब सा लग रहा था.
"पहले तुम वादा करो के शेखर के सोने के बाद तुम यहा आ जाओगी."
"ठीक है.पर आप भी वादा करिए की मुझे जितनी भी देर हो आप मेरे कमरे मे नही आएँगे."
"वादा किया.",कह के उन्होने रीमा का गाल चूम लिया.
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अपने कमरे मे आ रीमा ने सारी उतार कर नाइटी पहन ली.उसे प्यास लगी तो देखा की पलंग की साइड टेबल पे रखी बॉटल खाली है.वो बॉटल उठा पानी लेने किचन मे चली गयी.फ्रिड्ज से बॉटल निकाल उसने ग्लास मे पानी डाला & जैसे ही पी कर ग्लास रखा,उसे पीछे से किसी ने बाहो मे भर लिया.
वो चीखने ही वाली थी की 1 हाथ उसके मुँह पे आ गया,"श..!मैं हू,शेखर."
"क्या पागलपन कर रहे हैं?!पिताजी ने देख लिया तो.",शेखर ने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठो से लगा उसे खामोश कर दिया.वो चूमता हुआ उसे किचन से बाहर ले गया.रीमा डर गयी की अगर उसके ससुर अपने कमरे से बाहर आ गये तो.उसने छूटने की कोशिश की पर शेखर के होठ & बाहो की मज़बूर गिरफ़्त से बाहर नही निकल पाई.
शेखर उसे चूमता हुआ अपने कमरे मे ले आया & दरवाज़ा बंद कर उसी दरवाज़े से उसे उसने रीमा की पीठ अड़ा दी & उसके बदन को अपने बदन से दबा उसे पागलो की तरह चूमने लगा.
"प्लीज़...मत करिए...पिताजी हैं घर मे...",रीमा ने मस्ती से उखड़ती सांसो के बीच कहा.
"वो सो गये हैं.मैने खुद देखा है.तुम डरो मत,मैं हू ना.",शेखर ने उसकी नाइटी उठा उसकी बाई जाँघ को उठा लिया.अब वो अपने लंड से उसकी चूत पे धक्के लगा रहा था & उसकी जाँघ सहलाते हुए उसके होंठो का रस पे रहा था.उसकी इस हरकत ने रीमा को भी मस्ती मे ला दिया.वो भी उसके गिर्द बाहे लपेट उसके होंठो को चूमते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से लड़ाने लगी.
रीमा ने शेखर की शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसके हाथ उसकी पीठ पे फिसलने लगे.थोड़ी देर बाद उसने किस तोड़ी & शेखर की शर्ट को निकाल दिया.शेखर ने भी 1 हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोला & उसके कंधे से उसे सरका दिया.नाइटी 1 झटके मे ही नीचे ज़मीन पे पड़ी नज़र आई.
कमरे मे अंधेरा था & खिड़की से आती स्ट्रीट लाइट की रोशनी मे उसका बदन कुच्छ नुमाया & कुच्छ छिप रहा था & कुच्छ ज़्यादा ही नशीला लग रहा था.शेखर ने उसकी जाँघ को उठाए हुए उसे फिर चूमना शुरू कर दिया.दरवाज़े से लगी रीमा भी उसकी नंगी पीठ सहलाती उसका साथ देने लगी.
चूमते हुए शेखर नीचे उसकी गोरी गर्दन पे आया & कुच्छ देर वाहा बिताने के बाद नीचे उसकी छातियो पे झुक गया."ऊहह..!",रीमा ने अपना निचला होंठ अपने दन्तो तले दबा कर अपनी आ को रोका.उसके दिमाग़ के किसी कोने मे अभी भी ये ख़याल था कि कही उसके ससुर को उसके & शेखर के बीच के खेल का पता ना चल जाए.
शेखर की जीभ उसके निपल को छेड़ रही थी,निपल चाटते हुए उसने पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश की पर नाकाम रहा.रीमा ने मस्त हो अपनी कमर हिला उसके लंड मे रगड़ दी & उसके सर को अपनी छाती पे और भींच दिया.काफ़ी देर तक शेखर उसके सीने के उभारो को चूमता,चूस्ता रहा & वाहा अपने मुँह से उसने अपने बाप के बनाए निशानो मे थोड़ा और इज़ाफ़ा कर दिया.
फिर वो अपने घुटनो पे बैठ गया & उसकी बाई जाँघ को अपने हाथ से हटा अपने कंधे पे रख लिया.उसकी जीभ उसके नेवेल रिंग को छेड़ती हुई उसकी नाभि की गहराई मापने लगी.
"ऊन्नह...!",रीमा मस्ती से छट-पटाई & 1 हाथ अपने सर पे रख उसे पीछे झुका कर दूसरे हाथ से शेखर के सर के बालो को भींचती हुई उसके सर को अपने पेट पे दबा दिया.शेखर उसके गोल,सपाट पेट को चूमते हुए नीचे आने लगा.थोड़ी देर तक वो उसके निचले पेट को चूम रीमा को तड़पाता रहा जो चाह रही थी कि जल्द से जल्द वो अपनी लपलपाति जीभ उसकी चूत मे घुसा दे.
"इतना डरती क्यू हो?उसे कुच्छ पता नही चलेगा.",उन्होने उसे गले से लगाया & उसकी गर्दन चूमने लगे.
"नही.आज नही.",रीमा कसमसाई.
"तो तुम्हारे कमरे मे चलते हैं."
"नही.",रीमा ने उन्हे परे धकेल दिया,"पागल हो गये हैं क्या?वाहा तो बिल्कुल नही,अगर भाय्या ने देख लिया तो मैं तो कहीं की ना रहूंगी!"
"तो ठीक है जब वो सो जाएगा तब तुम आ जाना,वरना मैं तुम्हारे कमरे मे आ जाऊँगा.",वो फिर उसके बदन से आ लगे.
"क्यू ज़िद करते हैं?छ्चोड़िए ना."अपनी सास के बिल्कुल बगल मे खड़ी हो अपने ससुर से लिपट कर उनसे किस करवाने मे रीमा को बहुत अजीब सा लग रहा था.
"पहले तुम वादा करो के शेखर के सोने के बाद तुम यहा आ जाओगी."
"ठीक है.पर आप भी वादा करिए की मुझे जितनी भी देर हो आप मेरे कमरे मे नही आएँगे."
"वादा किया.",कह के उन्होने रीमा का गाल चूम लिया.
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अपने कमरे मे आ रीमा ने सारी उतार कर नाइटी पहन ली.उसे प्यास लगी तो देखा की पलंग की साइड टेबल पे रखी बॉटल खाली है.वो बॉटल उठा पानी लेने किचन मे चली गयी.फ्रिड्ज से बॉटल निकाल उसने ग्लास मे पानी डाला & जैसे ही पी कर ग्लास रखा,उसे पीछे से किसी ने बाहो मे भर लिया.
वो चीखने ही वाली थी की 1 हाथ उसके मुँह पे आ गया,"श..!मैं हू,शेखर."
"क्या पागलपन कर रहे हैं?!पिताजी ने देख लिया तो.",शेखर ने अपने होंठ उसके गुलाबी होंठो से लगा उसे खामोश कर दिया.वो चूमता हुआ उसे किचन से बाहर ले गया.रीमा डर गयी की अगर उसके ससुर अपने कमरे से बाहर आ गये तो.उसने छूटने की कोशिश की पर शेखर के होठ & बाहो की मज़बूर गिरफ़्त से बाहर नही निकल पाई.
शेखर उसे चूमता हुआ अपने कमरे मे ले आया & दरवाज़ा बंद कर उसी दरवाज़े से उसे उसने रीमा की पीठ अड़ा दी & उसके बदन को अपने बदन से दबा उसे पागलो की तरह चूमने लगा.
"प्लीज़...मत करिए...पिताजी हैं घर मे...",रीमा ने मस्ती से उखड़ती सांसो के बीच कहा.
"वो सो गये हैं.मैने खुद देखा है.तुम डरो मत,मैं हू ना.",शेखर ने उसकी नाइटी उठा उसकी बाई जाँघ को उठा लिया.अब वो अपने लंड से उसकी चूत पे धक्के लगा रहा था & उसकी जाँघ सहलाते हुए उसके होंठो का रस पे रहा था.उसकी इस हरकत ने रीमा को भी मस्ती मे ला दिया.वो भी उसके गिर्द बाहे लपेट उसके होंठो को चूमते हुए उसके मुँह मे अपनी जीभ घुसा उसकी जीभ से लड़ाने लगी.
रीमा ने शेखर की शर्ट मे हाथ घुसा दिया & उसके हाथ उसकी पीठ पे फिसलने लगे.थोड़ी देर बाद उसने किस तोड़ी & शेखर की शर्ट को निकाल दिया.शेखर ने भी 1 हाथ पीछे ले जाके उसकी नाइटी का ज़िप खोला & उसके कंधे से उसे सरका दिया.नाइटी 1 झटके मे ही नीचे ज़मीन पे पड़ी नज़र आई.
कमरे मे अंधेरा था & खिड़की से आती स्ट्रीट लाइट की रोशनी मे उसका बदन कुच्छ नुमाया & कुच्छ छिप रहा था & कुच्छ ज़्यादा ही नशीला लग रहा था.शेखर ने उसकी जाँघ को उठाए हुए उसे फिर चूमना शुरू कर दिया.दरवाज़े से लगी रीमा भी उसकी नंगी पीठ सहलाती उसका साथ देने लगी.
चूमते हुए शेखर नीचे उसकी गोरी गर्दन पे आया & कुच्छ देर वाहा बिताने के बाद नीचे उसकी छातियो पे झुक गया."ऊहह..!",रीमा ने अपना निचला होंठ अपने दन्तो तले दबा कर अपनी आ को रोका.उसके दिमाग़ के किसी कोने मे अभी भी ये ख़याल था कि कही उसके ससुर को उसके & शेखर के बीच के खेल का पता ना चल जाए.
शेखर की जीभ उसके निपल को छेड़ रही थी,निपल चाटते हुए उसने पूरी चूची को अपने मुँह मे भरने की कोशिश की पर नाकाम रहा.रीमा ने मस्त हो अपनी कमर हिला उसके लंड मे रगड़ दी & उसके सर को अपनी छाती पे और भींच दिया.काफ़ी देर तक शेखर उसके सीने के उभारो को चूमता,चूस्ता रहा & वाहा अपने मुँह से उसने अपने बाप के बनाए निशानो मे थोड़ा और इज़ाफ़ा कर दिया.
फिर वो अपने घुटनो पे बैठ गया & उसकी बाई जाँघ को अपने हाथ से हटा अपने कंधे पे रख लिया.उसकी जीभ उसके नेवेल रिंग को छेड़ती हुई उसकी नाभि की गहराई मापने लगी.
"ऊन्नह...!",रीमा मस्ती से छट-पटाई & 1 हाथ अपने सर पे रख उसे पीछे झुका कर दूसरे हाथ से शेखर के सर के बालो को भींचती हुई उसके सर को अपने पेट पे दबा दिया.शेखर उसके गोल,सपाट पेट को चूमते हुए नीचे आने लगा.थोड़ी देर तक वो उसके निचले पेट को चूम रीमा को तड़पाता रहा जो चाह रही थी कि जल्द से जल्द वो अपनी लपलपाति जीभ उसकी चूत मे घुसा दे.