hotaks444
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अपडेट -10
मैं सोनल की उदासी समझ सकता था इसीलिए उसे समझाते हुए कहा .....
देख तुम दोनों में मेरे प्राण बास्ते है अब यदि वर्मा सर् के यहां वो लड़के तुम्हे परेशान करते है, तो में उन्हें जान से मार दूंगा पर सोच में हर वक़्त वहां नहीं रहूँगा अगर तुम दोनों को कुछ हो जाता हैं तो मैं क्या करूँगा इसीलिए अपनी सेफ्टी के लिए । और हाँ यदि तेरा कोई बॉयफ्रेंड है उस कोचिंग में तो बता दें मैं उसके लिए भी बात कर लूँगा ।
मेरी बात सुन कर सोनल शर्मा गई ..... जाओ भैया आप भी मुझे छेड़ते रहते हो , जाओ में नहीं करती बात आपसे ।
मैं ....कल तुम और दिया तैयार रहना सुबह चल कर इंस्टीट्यूट में बात करते है ।
सोनल " ठीक है भैया " बोलते हुए चली गई मैं भी फ्रेश होने चला गया , जब बाथरूम से बाहर आया तो मेरा फोन बज रहा था ।
मैं .... बोल ऋषभ
ऋषभ .... क्या कर रहा है तू ।
मैं .... कोई खास नहीं तू बता ।
ऋषभ .... आज रात 8 बजे तैयार रहना डिस्को चलेंगे ।
मैं .... आज नहीं फिर कभी ।
ऋषभ .... क्यों ?
मैं .... पागल तू तो रहने दे पूछ मत ।
ऋषभ .... क्यों क्या हुआ ?
मैं .... एक तो लेट आया वहाँ और जब मेरा सिर फटा तो डॉक्टर के पास चलने के बदले वहाँ से खिसक लिया ।
ऋषभ ..... नहीं भाई ऐसी बात नहीं है वहाँ दिया और सोनल भी थी फिर कहाँ में उन दोनों को इतने लोगो के साथ चलने को कहता, कभी कभी तेरा भी दिमाग काम नहीं करता ।
मैं ... ok dude फिर भी यार मूड नहीं है।
ऋषभ .... कुछ नहीं सुन्ना मुझे मैं 8 बजे आऊंगा तैयार रहना ।
मैं ... ठीक है चल बाई मिलते है 8 बजे ।
अभी 7 ही बजे थे और घर में परमिशन लेनी थी क्योंकि जैसी हालात मेरी हुई थी यदि इस हालत में बिना बताये निकला तो माँ मेरे प्राण ही खा जाएंगी। इसीलिए मैंने दिया को पूरा मैटर समझाया और फिर चले हम दोनों सिमरन दी के पास ।
रीज़न ये था कि घर के बाहर जाने की परमिशन देती तो केवल माँ ही थीं पर माँ केवल दी कि बात ही सुनती थी । इसलिए कोई भी काम हो फसने वाला तो पहले दी को शीशे में उतारना पड़ता था फिर जाकर हमारा काम बनता था ।
मैं ओर दिया दी के अगल बगल बैठ कर दोनों लेफ्ट से दिया और मै राइट से गले लग गए ।
हम दोनों के गले लगते ही दीदी वोली ...... हटो क्या कर रहे हो दोनो ।
दिया ..... दीदी से प्यार ।
दी .... आज बड़ा प्यार आ रहा है तुम दोनों को ।
मैं .... क्या दीदी आपको तो हमारी कोई बात पसंद नहीं ।
दिया ..... हाँ भैया सही कहा देखो न जब देखो तब इनके लिए तो अपने दोस्त किरण, सुस्मिता, मिनाक्षी, कोमल यही सब हैं । हम दोनों तो जैसे पराये है।
दी हम दोनों के कान पकड़ कर अपने से हटाते हुए ....
" चल - चल मस्का मारना बंद कर काम बता" ।
मैं ... क्या दीदी कोई काम होगा तभी आएंगे।
दी .. तो में यह मान लू की कोई काम नहीं तुमको मुझसे ।
दिया .... हाँ दी कोई काम नहीं तुमको ऐसा क्यों लगता हैं कि मैं कोई काम होगा तभी आउंगी ।
दी .... तो चल अभी हट अभी किचन में जाना है आती हु आधे घंटे में ।
मैं.... पर दीदी बात तो सुन लो ।
दी ( मुस्कुराते हुए ) ... अभी तो बोला की कोई काम नहीं।
दिया .... वो तो मैंने कहा था सच मे कोई काम नहीं , दीदी में तो चल कर तुम्हे किचन में हेल्प करूँगी ।
दी ... अरे वाह रहने दीजिए मेरी गुड़िया क्यों हम पर अहसान कर रही है, आप बस खाना खा लीजिए वो भी अपने हाथों से वो ही काफी है ।
मैं ... तू चुप कर छोटी , जाने दो न दी मेरी बात सुनो ।
दी .... हाँ बोल भी दे वरना आज तुम दोनों कोई काम थोड़ी ना करने दोगे ।
दिया ... अच्छा सुनो ना दी ।।
दी .... अब बोलेगा या जाऊँ ।
मैं .... वो मुझे आज लेट नाईट छुट्टी चाहिए ।
दी .... और वो किस लिये ।
मैं .... वो डिस्को जाना है ।
दी .... किसी गर्लफ्रैंड के साथ जा रहा है ।
मैं ... नहीं ऋषभ के साथ ।
दी .. not approved
मैं .... but why दी ?
दी ... गर्लफ्रैंड के साथ डिस्को जाने की उम्र में लड़कों के साथ डिस्को जाना not acceptable ।
मैं .... दी ... मासूम चेहरा बनाते हुए ।
दी .... अच्छा ठीक है11 बजे तक आ जाना मैं माँ को बता दूंगी ।
मैं ....... ok दी माय lovely दी वहाँ से कुछ लाना है ।
दी ... अब मस्का लगाना बन्द कर और जा जाकर तैयार हो जा ।
Ok दी बोलकर मैं और दिया वहाँ से निकले की तभी ।
दी .... तू कहा चली छोटी चल किचन में ।
दिया .... ठुनकते हुए दी ।
दी .... आज कुछ नहीं मैं सुनने वाली तूने खुद हेल्प करने को कहा है ।
दिया मुझे घूरते हुए " तुम जाओ डिस्को में मजे करो और मुझे यहां फंसा दिया जाओ में बात नहीं करती " ठुनकते हुए चली गई ।
दीदी के साथ 7 : 30 बज चुके थे सो में भी उठकर तैयार होने चला गया ।
मैं सोनल की उदासी समझ सकता था इसीलिए उसे समझाते हुए कहा .....
देख तुम दोनों में मेरे प्राण बास्ते है अब यदि वर्मा सर् के यहां वो लड़के तुम्हे परेशान करते है, तो में उन्हें जान से मार दूंगा पर सोच में हर वक़्त वहां नहीं रहूँगा अगर तुम दोनों को कुछ हो जाता हैं तो मैं क्या करूँगा इसीलिए अपनी सेफ्टी के लिए । और हाँ यदि तेरा कोई बॉयफ्रेंड है उस कोचिंग में तो बता दें मैं उसके लिए भी बात कर लूँगा ।
मेरी बात सुन कर सोनल शर्मा गई ..... जाओ भैया आप भी मुझे छेड़ते रहते हो , जाओ में नहीं करती बात आपसे ।
मैं ....कल तुम और दिया तैयार रहना सुबह चल कर इंस्टीट्यूट में बात करते है ।
सोनल " ठीक है भैया " बोलते हुए चली गई मैं भी फ्रेश होने चला गया , जब बाथरूम से बाहर आया तो मेरा फोन बज रहा था ।
मैं .... बोल ऋषभ
ऋषभ .... क्या कर रहा है तू ।
मैं .... कोई खास नहीं तू बता ।
ऋषभ .... आज रात 8 बजे तैयार रहना डिस्को चलेंगे ।
मैं .... आज नहीं फिर कभी ।
ऋषभ .... क्यों ?
मैं .... पागल तू तो रहने दे पूछ मत ।
ऋषभ .... क्यों क्या हुआ ?
मैं .... एक तो लेट आया वहाँ और जब मेरा सिर फटा तो डॉक्टर के पास चलने के बदले वहाँ से खिसक लिया ।
ऋषभ ..... नहीं भाई ऐसी बात नहीं है वहाँ दिया और सोनल भी थी फिर कहाँ में उन दोनों को इतने लोगो के साथ चलने को कहता, कभी कभी तेरा भी दिमाग काम नहीं करता ।
मैं ... ok dude फिर भी यार मूड नहीं है।
ऋषभ .... कुछ नहीं सुन्ना मुझे मैं 8 बजे आऊंगा तैयार रहना ।
मैं ... ठीक है चल बाई मिलते है 8 बजे ।
अभी 7 ही बजे थे और घर में परमिशन लेनी थी क्योंकि जैसी हालात मेरी हुई थी यदि इस हालत में बिना बताये निकला तो माँ मेरे प्राण ही खा जाएंगी। इसीलिए मैंने दिया को पूरा मैटर समझाया और फिर चले हम दोनों सिमरन दी के पास ।
रीज़न ये था कि घर के बाहर जाने की परमिशन देती तो केवल माँ ही थीं पर माँ केवल दी कि बात ही सुनती थी । इसलिए कोई भी काम हो फसने वाला तो पहले दी को शीशे में उतारना पड़ता था फिर जाकर हमारा काम बनता था ।
मैं ओर दिया दी के अगल बगल बैठ कर दोनों लेफ्ट से दिया और मै राइट से गले लग गए ।
हम दोनों के गले लगते ही दीदी वोली ...... हटो क्या कर रहे हो दोनो ।
दिया ..... दीदी से प्यार ।
दी .... आज बड़ा प्यार आ रहा है तुम दोनों को ।
मैं .... क्या दीदी आपको तो हमारी कोई बात पसंद नहीं ।
दिया ..... हाँ भैया सही कहा देखो न जब देखो तब इनके लिए तो अपने दोस्त किरण, सुस्मिता, मिनाक्षी, कोमल यही सब हैं । हम दोनों तो जैसे पराये है।
दी हम दोनों के कान पकड़ कर अपने से हटाते हुए ....
" चल - चल मस्का मारना बंद कर काम बता" ।
मैं ... क्या दीदी कोई काम होगा तभी आएंगे।
दी .. तो में यह मान लू की कोई काम नहीं तुमको मुझसे ।
दिया .... हाँ दी कोई काम नहीं तुमको ऐसा क्यों लगता हैं कि मैं कोई काम होगा तभी आउंगी ।
दी .... तो चल अभी हट अभी किचन में जाना है आती हु आधे घंटे में ।
मैं.... पर दीदी बात तो सुन लो ।
दी ( मुस्कुराते हुए ) ... अभी तो बोला की कोई काम नहीं।
दिया .... वो तो मैंने कहा था सच मे कोई काम नहीं , दीदी में तो चल कर तुम्हे किचन में हेल्प करूँगी ।
दी ... अरे वाह रहने दीजिए मेरी गुड़िया क्यों हम पर अहसान कर रही है, आप बस खाना खा लीजिए वो भी अपने हाथों से वो ही काफी है ।
मैं ... तू चुप कर छोटी , जाने दो न दी मेरी बात सुनो ।
दी .... हाँ बोल भी दे वरना आज तुम दोनों कोई काम थोड़ी ना करने दोगे ।
दिया ... अच्छा सुनो ना दी ।।
दी .... अब बोलेगा या जाऊँ ।
मैं .... वो मुझे आज लेट नाईट छुट्टी चाहिए ।
दी .... और वो किस लिये ।
मैं .... वो डिस्को जाना है ।
दी .... किसी गर्लफ्रैंड के साथ जा रहा है ।
मैं ... नहीं ऋषभ के साथ ।
दी .. not approved
मैं .... but why दी ?
दी ... गर्लफ्रैंड के साथ डिस्को जाने की उम्र में लड़कों के साथ डिस्को जाना not acceptable ।
मैं .... दी ... मासूम चेहरा बनाते हुए ।
दी .... अच्छा ठीक है11 बजे तक आ जाना मैं माँ को बता दूंगी ।
मैं ....... ok दी माय lovely दी वहाँ से कुछ लाना है ।
दी ... अब मस्का लगाना बन्द कर और जा जाकर तैयार हो जा ।
Ok दी बोलकर मैं और दिया वहाँ से निकले की तभी ।
दी .... तू कहा चली छोटी चल किचन में ।
दिया .... ठुनकते हुए दी ।
दी .... आज कुछ नहीं मैं सुनने वाली तूने खुद हेल्प करने को कहा है ।
दिया मुझे घूरते हुए " तुम जाओ डिस्को में मजे करो और मुझे यहां फंसा दिया जाओ में बात नहीं करती " ठुनकते हुए चली गई ।
दीदी के साथ 7 : 30 बज चुके थे सो में भी उठकर तैयार होने चला गया ।