mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी ) - Page 2 - SexBaba
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mastram kahani प्यार - ( गम या खुशी )

अपडेट -10 

मैं सोनल की उदासी समझ सकता था इसीलिए उसे समझाते हुए कहा .....


देख तुम दोनों में मेरे प्राण बास्ते है अब यदि वर्मा सर् के यहां वो लड़के तुम्हे परेशान करते है, तो में उन्हें जान से मार दूंगा पर सोच में हर वक़्त वहां नहीं रहूँगा अगर तुम दोनों को कुछ हो जाता हैं तो मैं क्या करूँगा इसीलिए अपनी सेफ्टी के लिए । और हाँ यदि तेरा कोई बॉयफ्रेंड है उस कोचिंग में तो बता दें मैं उसके लिए भी बात कर लूँगा ।


मेरी बात सुन कर सोनल शर्मा गई ..... जाओ भैया आप भी मुझे छेड़ते रहते हो , जाओ में नहीं करती बात आपसे ।


मैं ....कल तुम और दिया तैयार रहना सुबह चल कर इंस्टीट्यूट में बात करते है ।


सोनल " ठीक है भैया " बोलते हुए चली गई मैं भी फ्रेश होने चला गया , जब बाथरूम से बाहर आया तो मेरा फोन बज रहा था ।


मैं .... बोल ऋषभ 

ऋषभ .... क्या कर रहा है तू ।

मैं .... कोई खास नहीं तू बता ।

ऋषभ .... आज रात 8 बजे तैयार रहना डिस्को चलेंगे ।

मैं .... आज नहीं फिर कभी ।

ऋषभ .... क्यों ? 

मैं .... पागल तू तो रहने दे पूछ मत ।

ऋषभ .... क्यों क्या हुआ ? 

मैं .... एक तो लेट आया वहाँ और जब मेरा सिर फटा तो डॉक्टर के पास चलने के बदले वहाँ से खिसक लिया ।

ऋषभ ..... नहीं भाई ऐसी बात नहीं है वहाँ दिया और सोनल भी थी फिर कहाँ में उन दोनों को इतने लोगो के साथ चलने को कहता, कभी कभी तेरा भी दिमाग काम नहीं करता ।

मैं ... ok dude फिर भी यार मूड नहीं है।

ऋषभ .... कुछ नहीं सुन्ना मुझे मैं 8 बजे आऊंगा तैयार रहना ।
मैं ... ठीक है चल बाई मिलते है 8 बजे ।


अभी 7 ही बजे थे और घर में परमिशन लेनी थी क्योंकि जैसी हालात मेरी हुई थी यदि इस हालत में बिना बताये निकला तो माँ मेरे प्राण ही खा जाएंगी। इसीलिए मैंने दिया को पूरा मैटर समझाया और फिर चले हम दोनों सिमरन दी के पास ।


रीज़न ये था कि घर के बाहर जाने की परमिशन देती तो केवल माँ ही थीं पर माँ केवल दी कि बात ही सुनती थी । इसलिए कोई भी काम हो फसने वाला तो पहले दी को शीशे में उतारना पड़ता था फिर जाकर हमारा काम बनता था । 

मैं ओर दिया दी के अगल बगल बैठ कर दोनों लेफ्ट से दिया और मै राइट से गले लग गए ।

हम दोनों के गले लगते ही दीदी वोली ...... हटो क्या कर रहे हो दोनो ।

दिया ..... दीदी से प्यार ।

दी .... आज बड़ा प्यार आ रहा है तुम दोनों को ।

मैं .... क्या दीदी आपको तो हमारी कोई बात पसंद नहीं ।

दिया ..... हाँ भैया सही कहा देखो न जब देखो तब इनके लिए तो अपने दोस्त किरण, सुस्मिता, मिनाक्षी, कोमल यही सब हैं । हम दोनों तो जैसे पराये है। 

दी हम दोनों के कान पकड़ कर अपने से हटाते हुए ....

" चल - चल मस्का मारना बंद कर काम बता" । 

मैं ... क्या दीदी कोई काम होगा तभी आएंगे।

दी .. तो में यह मान लू की कोई काम नहीं तुमको मुझसे ।

दिया .... हाँ दी कोई काम नहीं तुमको ऐसा क्यों लगता हैं कि मैं कोई काम होगा तभी आउंगी ।

दी .... तो चल अभी हट अभी किचन में जाना है आती हु आधे घंटे में ।

मैं.... पर दीदी बात तो सुन लो ।

दी ( मुस्कुराते हुए ) ... अभी तो बोला की कोई काम नहीं।

दिया .... वो तो मैंने कहा था सच मे कोई काम नहीं , दीदी में तो चल कर तुम्हे किचन में हेल्प करूँगी ।

दी ... अरे वाह रहने दीजिए मेरी गुड़िया क्यों हम पर अहसान कर रही है, आप बस खाना खा लीजिए वो भी अपने हाथों से वो ही काफी है ।

मैं ... तू चुप कर छोटी , जाने दो न दी मेरी बात सुनो ।

दी .... हाँ बोल भी दे वरना आज तुम दोनों कोई काम थोड़ी ना करने दोगे ।

दिया ... अच्छा सुनो ना दी ।। 

दी .... अब बोलेगा या जाऊँ ।

मैं .... वो मुझे आज लेट नाईट छुट्टी चाहिए ।

दी .... और वो किस लिये ।

मैं .... वो डिस्को जाना है ।

दी .... किसी गर्लफ्रैंड के साथ जा रहा है ।

मैं ... नहीं ऋषभ के साथ ।

दी .. not approved 

मैं .... but why दी ? 

दी ... गर्लफ्रैंड के साथ डिस्को जाने की उम्र में लड़कों के साथ डिस्को जाना not acceptable ।

मैं .... दी ... मासूम चेहरा बनाते हुए ।

दी .... अच्छा ठीक है11 बजे तक आ जाना मैं माँ को बता दूंगी ।

मैं ....... ok दी माय lovely दी वहाँ से कुछ लाना है ।

दी ... अब मस्का लगाना बन्द कर और जा जाकर तैयार हो जा । 

Ok दी बोलकर मैं और दिया वहाँ से निकले की तभी ।

दी .... तू कहा चली छोटी चल किचन में ।

दिया .... ठुनकते हुए दी ।

दी .... आज कुछ नहीं मैं सुनने वाली तूने खुद हेल्प करने को कहा है ।

दिया मुझे घूरते हुए " तुम जाओ डिस्को में मजे करो और मुझे यहां फंसा दिया जाओ में बात नहीं करती " ठुनकते हुए चली गई ।


दीदी के साथ 7 : 30 बज चुके थे सो में भी उठकर तैयार होने चला गया ।
 
अपडेट -11

8 बजे ऋषभ भी आ गया फिर दीदी को बोलकर हम भी निकल लिए । डिस्को पहुंचा तो पूरा ग्रुप था सामने , सबने अपना टिकट पास दिखाया और हम डिस्को के अंदर चले गए । डांस फ्लोर पर सभी लड़के लडकिया डांस कर रहे थे ।

डिस्को केवल कपल allow होता है तो जिनके बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रैंड नहीं होते वो बाहर सिंगल वैट करते हैं जब उन जैसा कोई सिंगल मिलता है तो कपल में अंदर जाते है ।

अंदर फिर आप की मर्जी की पार्टनर कंटिन्यू करते है या अकेले एन्जॉय करते हैं ।


तो मैं जिनकी गर्लफ्रैंड नहीं थी उनके लिए भी सैम एग्रीमेंट था , लेकिन मैं किसी से ज्यादा मेल जोल नहीं रखता इसीलिए उसे बोल दिया ... " You can enjoy alone bec'z I didn't know how to dance " 


मैंने अबतक देखा भी नहीं कि मेरे साथ कौन अंदर आई थी , लेकिन में हमेशा ही ऐसा करता था जब कभी डिस्को आता था ।पर उसकी अपनी ही लॉजिक थी । वो प्यार भरे सब्दो में समझाते हुए ... सब यहां कपल में आये हैं सो प्लीज को ऑपरेट और बस एक डांस ।


उसकी बात सुनते हुए पहले तो मैंने उसे देखा फिर चोंकते हुए कहा ... काजल तुम डफ़र ।


काजल .. डफर मैं हु या तू । डांस के लिए मना कर रहा है । मैं अब क्या दूसरे लड़को के साथ जाऊ डांस करने । यार बड़ी मुश्किल से आई हूं ऊपर से तुम भी मना कर रहे हो । चल ना एक डांस से कुछ नहीं होता ।

काजल हमारे साथ पढ़ने वाली ही हमारी क्लासमेट थी जो हमारी दोस्त भी थी । लेकिन उतने दिनों में पहली बार काजल को डिस्को में देखा था । खैर अब तो मजबूरी थी मेरे साथ उस डांस फ्लोर पर थिरकना इसीलिए मैं भी मजबूरन चला ।

मैं जब डांस फ्लोर पर पहुंचा तो पहली बार गौर किया काजल के फिगर पर , काजल किसी ब्यूटी क्यूईन से कम नहीं दिख रही थी ।


स्लीवलेस शर्ट और मिनी स्कर्ट में कमाल दिख रही थी काजल ऊपर से जो आज वो मेक अप कर के आई थी वो किसी के भी ऊपर बिजली गिराने के लिए काफी था । curly बाल जो हेयर स्टाइल था सच कहूँ तो कातिलाना था उसके ऊपर उसकी मुस्कान एकदम जानलेवा ।


मैं इतने analysis से पहली बार काजल को इस तरह देख रहा था । वैसे भी इस उम्र में खूबसूरत लड़की को यू देखना किसी भी लड़के के लिए नार्मल बात थी । पर मैं जो पहले इन सब मामलो में कभी इन्वॉल्व नहीं हुआ पहली बार मैं भी थोड़ा attract सा हो गया ।

काजल जब मुझे देखी की मैं उसे बड़े ध्यान से देख रहा तो अपनी एक प्यारी सी मुस्कान के साथ मुझे अपने साथ फ्लोर तक ले आई और मेरे हाथों को अपनी कमर पर रखते हुए मुझे डांस करने का इशारा करने लगी । 


मैं ( कंपते हाथो से ) ... k .. k काजल मुझे डांस करना नहीं आता ।

काजल ने मेरे होंठ पर उंगली रखते हुए ... shhh dance time no talk ।


फिर हम दोनों डांस करने लगे , उनके दोनों हाथ मेरी गर्दन पर और राइट पैर मेरे दोनो पैरो के बीच में और खुद को मुझसे चिपकते हुए बस खो जाने वाली धुन पर कमर हिलाने लगी।


अपनी आंखें बंद करके बस कमर और पैर हिला रही थी और मैं सर ऊपर करके सब फील कर रहा था । काजल के लगातार मुझसे चिपके रहने की वजह से मैं उत्तेजित हो गया था । आह हा क्या अनुभव था ।

मैं तो बिल्कुल काम सागर में गोते लगा रहा था । अब तो काजल से ज्यादा में excited हो था डांस के लिए । अब मेरी पकड़ मजबूत हो गई थी हाथ उसके waist के नीचे दूसरी पीठ पर बिल्कुल पकड़ मजबूत बनाये ।


आलम यह था कि अब हमारे बीच से हवा भी नहीं गुजर रही थी उसका हर अंग मुझे महसूस हो रहा था । ओह हो ये क्या हो रहा है मैं तो बिल्कुल काजल में डूब जाने को बेकरार बैठा था । एक तो कच्ची उम्र और ऐसा होना काम सागर की चाहतों को गोता खाना ही था । 


ऐसा नहीं मैं डिस्को पहली बार आया था , डिस्को तो पहले भी आ चुका था लेकिन आज तक किसी के साथ डांस करने नहीं गया और सबको वही बोलता जो काजल को बोला "sorry alone enjoy कर लो " 

पर आज जब काजल के साथ डांस किया तो एक अलग ही सुख का अनुभव हुआ । जिसे दूसरे सब्दों में वासना भी कहते है क्या बताऊँ कैसा लग रहा था । 


फाइनली जब मुझसे बर्दास्त नहीं हुआ तो मैंने काजल को खुद से अलग किया बस इतना कहा "वाशरूम से आ रहा हूँ " पर अब तो ऐसा लग रहा था कि आग दोनो तरफ बराबर लगी थी। काजल की आँखे बिल्कुल नशे में ऐसा की अपना सुध बुध खो चुकी हो , सरीर अब उसके बस में नहीं हो ।


जब मैंने उसे कहा कि मैं वाशरूम जा रहा हूँ तो वह कुछ नहीं बोली पर वो भी मेरे साथ चल दी ।



ऐसा लग रहा था कि मदहोशि हमारे कंट्रोल के बाहर है और एक दूसरे के समर्पित हम वाशरूम पहुंच गए ।

कहानी जारी रहेगी ......
 
अपडेट -12


ऐसा लग रहा था ये मदहोशी हमारे कंट्रोल के बाहर है और एक दूसरे के समर्पित हम वाशरूम पहुंच गए ।


यूँ तो उस पल मैं और काजल एक अलग ही दुनिया में थे । काम का पूरा खुमार हम दोनों के तन बदन में सुलग चुका था ।
वाशरूम में आते ही काजल ने डोर लॉक किया और हम एक दूसरे से लिपट गये । मैं बस उसके आगोश में समाता चला गया । बाहों में भर कर काजल लगातार मुझे चूमे जा रही थीं । जिसका ना तो में विरोध कर रहा था और ना ही साथ दे रहा था ।


कुछ समय जब हम यूँ ही एक दूसरे के आगोश में लिपटे रहे फिर मैं आगे बढ़ कर काजल को चूमे जा रहा था । मेरे लिए यह पहला अनुभव था जब मैं किसी लड़की के साथ इतना आगे बढ़ा था ।


एक अलग ही दुनिया में खिंचे जा रहा था और काम सागर लगातार बढ़ता जा रहा था । कुछ देर हम यू ही एक दूसरे को चूमते रहे , हम दोनों इस समय पागल हो गए थे और हमे रोकने वाला कोई नहीं था ।


थोड़ा और आगे बढ़ ही रहे थे कि काजल के फोन की घंटी बजी । पहली घंटी तो पूरी बज कर कट चुकी थी फिर भी हमारे ध्यान में कोई फर्क नहीं आया । लेकिन दूसरी घंटी के साथ ही काजल अपनी वास्तविक स्थिति से अवगत हुई ।



काजल को जैसे 440v का झटका लगा और खुद से मुझ को अलग कर दिया । इस समय हम दोनों की सांसें काफी तेज चल रही थी । धड़कन की आवाज साफ सुनाई दे रही थी । मैं तो अब भी खुमार में सवालिया नजरों से काजल को देखने लगा था ।


कुछ देर बाद काजल भी खुद को नार्मल करती हुई वाशरूम से बाहर निकल गई । मैं भी जब अपनी चेतना में आया तो ख्याल आया यह क्या कर दिया । अब काजल क्या सोच रही होगी और ये सब कैसे हो गया । इन्ही सब बातों को सोचते हुए मैं बाहर चला आया और आकर काजल के बगल में बैठ गया । हम दोनों कुछ पल यूँ ही शांत बैठे रहे फिर काजल ही इस चुप्पी को तोड़ते हुए ....


काजल माहौल को हल्का करते हुए ... तुमने तो कहा था तुम्हे डांस नहीं आता लेकिन तुम तो अच्छा डांस करते हो ।

मैं ... नहीं ऐसी कोई बात नहीं वो एक दो स्टेप्स ही आते हैं ।

काजल.... कहाँ खोए हो जनाब ।

मैं... नहीं समझा काजल , क्या मतलव है इस सवाल का? 


काजल... अरे इतनी सुंदर लड़की साथ में बैठी है और तुम हो कि ध्यान ही नहीं दे रहे हो ।

मैं.... ऐसा तुम्हारा सोचना है पर सच कहूँ तो तुम वो पहली लड़की हो जिसके साथ मैने डांस किया ।


इतने में काजल कुछ बोलने वाली थी मैं बीच में ही टोकते हुए बोला....
" सुनो काजल अभी जो कुछ भी हुआ उसके लिए सॉरी मैं अपनी भावनाओं पर कंट्रोल नहीं रख पाया पर मेरे दिल में कोई और हैं जिसे मैं धोखा नहीं दे सकता । प्लीज कौन , क्यों जैसे शब्द मत पूछना अगर तुम्हारी भावनाओं को मेरी वजह से ठेस पहुंची है तो सॉरी" ।


कुछ देर हम दोनों चुप रहे और फिर काजल अपनी बात रखते हुए ... " सॉरी तो मुझे कहना चाहिये कि मैं भी थोड़ा अनकंट्रोल हो गई जिस से तुम्हे यह मौका मिला आगे बढ़ने का । रही बात तुम्हारी गर्लफ्रैंड की तो वो बहुत लकी है जिसे तुम्हारे जैसा बॉयफ्रेंड मिला । लेकिन एक बात कहूं यदि मैं ना रुकती तो तुम भी नहीं रुकने वाले थे तो यह बात तुम रहने दो की तुम्हारे दिल में कोई है , यदि ऐसा होता तो तुम इतने आगे बढ़ते ही नहीं " ।


मैं ... पता नहीं काजल आई एम रेरली सॉरी पता नहीं ये कैसे हो गया लेकिन मेरा विश्वास करो मैं वैसा बिल्कुल नहीं जैसा दूसरे लड़के होते हैं ।


काजल ... हाँ जानती हूँ ज्यादा सोचो मत और खबरदार जो इसकी चर्चा किसी से की , मैं भी ना पता नहीं क्या हुआ मुझे जो मैं भी काबू ना रख पाई ।


मैं... नहीं गलती मेरी भी है अच्छा किया जो मुझे रोक दिया ।
और हाँ मुझे अपनी गर्लफ्रैंड के बारे में कुछ बता रही थी उसके बारे में दोबारा सोचना पड़ेगा । वैसे taunt अच्छा कर लेती हो ।


आह काश मैं वो लड़की होती जो तुम्हारी गर्लफ्रैंड होती फिर मेरे गले लगते हुए , गर्लफ्रैंड ना सही दोस्त तो है ही । उसकी बात सुनकर मैं भी अपनी मुस्कान को नहीं रोक पाया और उसके सर पर हाथ मरते हुए ... पागल है तू ।



हमारे बीच बातो का सिलसिला यू ही चलता रहा और बातो बातो मैं उसे रूही के बारे में बताया और उसे जानकर बहुत हैरानी हुई कि अबतक मैंने उसे कोई purpose क्यों नहीं किया । काजल ने मेरी मदद करने का प्रोमिस किया कुछ देर उसके साथ वक़्त बिताने के बाद घर बापस लौट आया ।


घर में आते ही मैं अपने कमरे में सोने चला गया । सुबह कोई काम था नहीं इसीलिए देर तक सोता रहा । मेरी नींद 9 बजे सोनल के जगाने से खुली ... सोनल क्या कर रही हैं सोने दे ना आज कोई काम नहीं है ।


सोनल ..... क्या भैया भूल गए आज वो केमिस्ट्री क्लास की बात करने जाना है । 

सोनल की बात सुनते ही मुझे याद आया ओह आज तो अमित इंस्टीट्यूट जाना है फिर मैंने सोनल से कहा ...... जा तू और दिया नीचे इंतजार कर ।
 
अपडेट -13
सोनल नीचे गई कुछ देर बाद में भी फ्रेश होकर नीचे चला गया । हमलोग नास्ता करके इंस्टीट्यूट चल दिए । वहाँ का सारा काम करने के बाद हम वापस लौटे कुछ खास काम नहीं था बस एक ही काम को छोड़कर .... पड़े अपने बिस्तर में रूही के बारे में सोचना ।

" ओह रूही तुम कब मेरे दिल की आवाज सुनोगी " 


रूही के खयालो में डूबते ही मेरी आँख लग गई और करीब 5 बजे खुली। फ्रेश होकर में नीचे हॉल में गया बस यूं ही टाइम पास करता रहा पर यह मुझे हुआ क्या है मेरा मन तो किसी काम में लग ही नहीं रहा और ना ही चेहरे पर खुशी थी । अभी लगभग 26 घंटे ही हुए रूही से मिले दिल तो बिल्कुल तड़प रहा था । और एक लंबी मायूसी की ..... क्या कभी रूही मेरे प्यार को समझ पाएगी । 


नीचे माँ , सिमरन, दिया तीनो बैठे हैं पर मेरा मन तो कहीं और ही था ।


मैं चुपचाप अपने कमरे में बिना कुछ बोले फिरसे वापस आ गया । एक भवर की तरह रूही के खयालो में बस डूबता ही चला जा रहा था । मेरे ऐसा करने से शायद मेरी फैमिली में सबको अटपटा लगा इसीलिए तीनो माँ , दिया और सिमरन मेरे कमरे में आ गए ।


मैं अभी अपने बिस्तर पर उदास बैठा था कि माँ मेरे बगल में बैठ जाती हैं । बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए .... 
" क्या हुआ बेटू बहुत दिनों से देख रही हूं तू बहुत उदास रहता है क्या हुआ बता मुझे " 


मैं कुछ नहीं बोल पाया बस माँ की गोद में लेट जाता हूँ । और माँ फिर से मेरे सर पर हाथ फेरते हुए ... क्या हुआ बेटू ।


अब मेरा बर्दास्त कर पाना मुश्किल था अनयास ही मेरे आंखों से आंसू निकलने लगते है और मैं रोने लगता हूँ । अब सब बिल्कुल मौन होकर मेरा रोना देख रहे थे ।


रोते रोते मेरा रोना सिसकियों में बदल गया पर ना तो मुझे पता था कि यह आंसू मेरी आंखों में क्यों आए और ना ही मैं किसी के सवाल का जवाब दे पाता कि मैं क्यों रो रहा हूँ ।


इसीलिए मैंने माँ से धीरे से कहा .... माँ इस समय मैं अकेले रहना चाहता हूँ प्लीज ।

फिर माँ के कहने पर सभी नीचे चले गए और इधर मैं अभी भी अपने आंसुओ को रोकने की कोशिश करता हूँ । पर आज तो दिल के हाथों मजबूर था । अब रोना धीरे धीरे कम हुआ पर मायूसी वो कहाँ से जाने वाली थी वो तो अभी भी मेरे पास ही थीं । 

अभी रात के 11बज रहे थे कि अचानक मेरे फ़ोन की घंटी बजती है ।

अभी मैंने कॉल तो पिक नहीं किया था लेकिन दिल धक धक चेहरे पर चमक , और कंपते हाथो से पिक किया कॉल ....

कॉल पिक करते ही दूसरी साइड से रूही के नम्बर से किरण बात करती हैं ।

मैं ... हेलो रूही इतनी रात में कैसे कॉल किया ।

किरण ... हेलो राहुल ।

अब ये क्या है रुही के फोन से इसने क्यों कॉल किया ... इतनी रात सब ठीक तो है ।

किरण .... हाँ सब ठीक है अच्छा सुनो लो पहले रूही से बात कर लो ।

रूही से ही बात करने के लिए तो फोन उठाया था तुम तो जबरदस्ती बीच में आ रही हो ।

रूही .... हेलो राहुल ।

मैं ... कैसे हो रूही मैम इतनी रात कैसे याद किया ।

रूही .... मैं अच्छी हु , चोट कैसी है राहुल ।

( मैं खुश होते हुए लगता हैं इसके दिल में भी मेरे लिए कुछ तो है ) 

मैं ( खुशी से ) ... अब तो आराम है वैसे सब ठीक तो है इतने रात कॉल किया ।

रूही ... सब ठीक है चिंता की कोई बात नहीं बस एक बात पूछनी थी ।


टाइम पॉज हो गया जैसे अभी मेरे लिए ।
दिल धक - धक 
पैर कंपते हुए 
कान बिल्कुल खड़े 
आंखे बड़ी 
मन में हलचल ।


ऐसा की अब रूही ने purpose किया तो हार्ट फैल हो जाएगा ।
रूही ... राहुल क्या हुआ तुम सुन रहे हो ना ।

मैं ... हाँ हाँ मैं यही हु पूछो क्या पूछना हैं ।

रूही ... क्या कल तुम ग्राउंड पर आओगे ? 

मैं ( धत्त ये भी ना ) .... हाँ आऊंगा ।

रूही .... फिर ठीक है कल मिलते है ग्राउंड पर ।

इसने तो पूरे अरमानो का कचरा कर रात काली कर दी अब सुबह क्या सवाल करेगी यही ख्याल से नींद नहीं आएगी ।

मैं ... " रूही बात को अटका कर क्यों सुबह तक जगाना चाह रही हो इससे अच्छा तो फ़ोन ही नहीं करती " 

रुही .... कल बात करती हूं सुबह कुछ जरूरी बात है सामने ही हो सकती हैं ।

मैं ... ठीक है बाई गुड़ नाईट ।


वो कहते है ना अंत भला तो सब भला वही मेरे साथ हो रहा था । सारा दिन आग में तपने के बाद अंत में कुछ राहत मिली ।ये प्यार भी कितना अजीब होता हैं । कुछ समय पहले जो मेरी आँखों में पानी की वजह एक चमक थी अब । चेहरा बिल्कुल खिला हुआ , सागर की लहरों की बनती दिल में हजरों तरंगे उठती हुई । एक अजीब सा सुकून जो मैं अपने आप मे महसूस कर रहा था ।

अब इस रात मे तो नींद भी नहीं आएगी । नींद तो अब जैसे मुझसे कोसों दूर हो फिर भी सुबह जागने के ख्याल से मैं सोने की नाकाम कोशिश करता रहा । अंत में मुझे नींद आ ही गई । कब वो तो पता नहीं पर मैं उठा अपने रूटीन टाइम पर 4 बजे ही ।
 
अपडेट - 14 


खैर ग्राउंड पहुंच कर मैं ऋषभ से मिला । इतना खुश होता देख ऋषभ से रहा नहीं गया और पूछ बैठा । 


" क्या भाई आज कुछ ज्यादा ही खुश हो रहे हो बात क्या है "


मैं कुछ इस तरह जवाब देता हूँ ।

" प्रेमी आशिक , आवारा
पागल,मजनू,दीवाना ।
मोहोब्बत ने यह नाम हमको दिए हैं, 
तुम्हें जो पसंद हो अजी फरमाना "


मेरी बात सुनते ही ऋषभ बोल पड़ा ... तू तो बिल्कुल बदला लग रहा है , कौन है वो मुझसे अबतक नहीं मिलवाया ।

मैं .... मिल लेना मेरे भाई पहले कुछ इकरार ए मोहोब्बत तो होने दो ।


मेरी बात सुनकर ऋषभ हँसने लगा हमारी बाते यूँ ही चलती रही, फिर 5:30 तक किरण भी आ गई और अब निगाहों में वो चेहरा भी आ गया जिसके दीदार मात्र से मैं अलौकिक सुख सागर में गुम हो जाता हूँ । अब मैं ऋषभ को अलविदा बोल कर रूही और किरण के पास पहुंचा । 


किरण से नॉर्मली कहा .... गुड़ मोर्निंग और फिर रूही से हाथ मिलाकर गुड़ मोर्निंग कहा ।

मेरे इस प्रकार व्यव्हार करने से किरण को बर्दाश्त नहीं हुआ और पूछ ही दी एक धीमी मुस्कान के साथ ..... क्या बात है हीरो हाथ मिला रहे हो और मुझसे सिर्फ गुड़ मोर्निंग ।

इस समय लगता हैं मैं बिल्कुल बावला हो गया था मैंने तुरंत दोनो बाहें फैलाकर .... आओ तुम्हें हग करूँ ।

मेरा इतना बोलना था कि दोनो हँसने लगी ।

उन्हें हँसते हुए देख मैं थोड़ा शर्माया की तभी किरण ने एक क्यूट सा एक्सप्रेशन देती हुई मेरे सर पर हाथ फेरते हुई बोली ..... शुरू करे प्रैक्टिस ।

फिर हमने प्रैक्टिस शुरू की मैं तो दौड़ नहीं सकता था , इसीलिए स्टार्ट कैसे करना है और कंसिस्टेंसी कैसे बनाए रखना है किरण को बता कर जल्द से रुही के पास पहुंचा ।


रूही अभी थोड़ी सीरियस मूड में शान्त खडी थी ।

मैं ... क्या सोच रही हो रूही ।

रूही ... कुछ नहीं ।

मैं ... आज ग्राउंड कैसे आना हुआ ? 

रूही ... तुमसे कुछ बात करनी थी बताई तो थी ।


रूही के मुँह से ये बात सुनते ही एक बार फिर समय मेरे लिए थम सा गया । अब तो दिल की धड़कनें मेरा सीना चीरकर बाहर आने को तैयार धक - धक ।


मैं ... हाँ बताओ ना क्या बात है ( कंपते होठो से पूछा ) ।

रूही .... ( सीरियस होते हुए ) क्या तुम मुझे लाइक करते हो ? 


ओह ये कौन सा पल है मेरा तो कलेजा ही बाहर आ गया , जो बात मैं बोल ना सका वो रूही ने खुद सामने से बोल दी ।

मैं चेहरे पर अनगिनत भाव लेते हुए कुछ नहीं बोला केवल सहमति भारी नजरो से रूही की ओर देखता रहा ।

रूही अब फिर सीरियस होते हुए ...


" मैं जनती हु की तुम मुझे पसंद करते हो पर बेहतर यही होगा कि अब इस बात को आगे ना बढ़ाया जाए " 

मैं अपने आप से ही .... 

" हे भगवान ये क्या हो गया किस बात की सजा है कहीं यह नाराज तो नहीं , नहीं मुझे लगता हैं कुछ और ही बात बोल रही हैं पर मैं समझ नहीं पा रहा " 

अब मैं अनगिनत सवालों भरी नजरों से बस रूही को देख रहा था ।

एक बार फिर रूही अपनी बात बढ़ते हुए ...

" देखो तुम बहुत अच्छे हो , हैंडसम हो,स्मार्ट हो, तुम्हे मुझ से भी अच्छी लड़की मिल जाएगी पर एक बात तय है कि यदि तुमने मुझसे कोई उम्मीद रखी कि मैं कोई कम्मिटेड रिलेशनशिप निभाऊं तुम्हारे साथ तो पॉसिबल नहीं है क्योंकि तुम्हारा और मेरा कोई मेल नहीं " 


हे भगवान यह क्या हो रहा है मैं पागल हो जाऊंगा ।

पर रूही अपनी बात रखते हुए ...

" देखो शुरुआत में ही अपने अरमानों को काबू में कर लो तो यह ज्यादा अच्छा रहेगा हम दोनो के लिए क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मेरा तुमसे मिलना बात करना तुम्हें किसी गलत फहमी की ओर ले जाये " 


मैं बस मौन अपनी आँखों से उसे देखता रहा । मेरी तो दुनियां ही उजड़ गई टूटे अरमानो और टूटे हुए दिल से बस उसे देखता रहा ।

रूही फिर से .... 


" अगर तुम्हारे मन में कोई सवाल या कुछ जानना हो तो अभी पूछ लो क्योंकि मैं नहीं चाहती कि अभी के बाद हम इस बारे मे दोबारा बात करे । और हाँ यदि मुझे थोड़ा भी चाहते हो 1% भी तो आज के बाद मुझसे इस बात की कोई उम्मीद नहीं रखना की कोई कम्मिटेड रिलेशनशिप है हमारे बीच । हम सिर्फ दोस्त हैं उसके आगे कुछ नहीं " 


मेरी हालत बयान करने को शब्द नहीं थे , ये क्या हो रहा है मेरे साथ । बस अपने उजड़े अरमानो के साथ रोया सा मुँह लेकर बोला .... जैसा तुम कहो ।


" तुम खुश रहो " 


एक पल में ही अब मेरी पूरी दुनिया उजड़ चुकी थी । मैंने केवल नम आंखों से रूही की सूरत एक बार देखी पीछे मुड़ा और वापस वापस अपने घर चला गया । 


माँ शायद मन्दिर गई थी दिया अभी तक सो रही थी और दी मोर्निंग वाक कर अभी लौटी थी । वो हॉल में बैठकर न्यूज़पेपर पढ़ रही थीं । मैंने उन्हें देखा नजरें नीचे किया और जल्दी से अपने रूम की ओर जाने लगा क्योंकि अब दिल इतना रोयासा हो गया था और मैं नहीं चाहता था कि कोई भी मेरा रोना देख ले । 
 
अपडेट -15
दीदी ( पीछे से टोकते हुए ) .... सुन बेटू इधर आ ।

मैं ( धीमी आवाज में ) .... मुझे कुछ काम है नास्ते पर मिलता हूँ 

वो तो मेरी दी थी मुझे बचपन से देखती और समझति आ रही थी । मेरी बदली आवज ने जैसे उनके दिल में दस्तक दी हो और वो जल्दी से मेरे पास आ गई ।

मैं बस नीची नजरों से दी को बोला .... बाद में मिलता हूँ ।


पर दी कहाँ मानने वाली थी उन्होंने जबरदस्ती हॉल में बैठा लिया और मेरा चेहरा ऊपर करते हुए .... " क्या हुआ मेरे भैया को कल से परेशान हैं, बता मुझे क्या बात है " 

मैं कुछ देर शांत रहा फिर दी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए .... " क्या अपनी दीदी को भी नहीं बताएगा " 

अब मेरी हालत ऐसी थी कि मुझसे बर्दाश्त कर पाना मुश्किल हो रहा था मैं दीदी से लिपट गया और रोने लगा । दी यूँ तो बहुत मजबूत दिल की थी मगर मेरा दर्द इतना गहरा, मेरा रोना इतना दर्दनाक था कि उनकी आंखें भी नम हो चुकी थी ।
पर अगले ही पल खुद को संभालते हुए उन्होंने मुझसे पूछा .....
क्या हुआ रूही ने ऐसा क्या बोल दिया ।


अब मैं अपने चेतना से बाहर निकलते हुए सवालिया निगाहों से दीदी की ओर देखा । दीदी शायद मेरी बात समझ गई और बोल पड़ी .... किरण का फोन आया था वही बता रही थीं कि तुम अचानक से चले आए । 


मैं खुद को नाकाम नॉर्मल होने की कोशिश करते हुए ... रूही से नहीं पूछा किरण ने की मैं क्यों आया ।


दी ... रूही ने किरण को कुछ नहीं बताया बस इतना बोली राहुल से ही पूछ लेना ।

मैं कुछ सोचता रहा फिर दीदी से बोला कि किरण को फोन करके बोल दो की मुझे कुछ जरूरी काम था ।

दीदी ने मुझे कुछ नॉर्मल होता देख बोली ... " वो तो मैं किरण को जो बोलना है बोल ही दूंगी " । उन्होंने मेरा हाथ अपने सर पर रखते हुए .. " पहले तुझे मेरी कसम तू सच सच बताएगा क्या बात है " ।

लाचार होकर मैंने पूरी बात बता दी अपने पहले दिन के एहसास से लेकर अब तक की पूरी कहानी । मेरी बात सुनकर दी कुछ देर शांत रही फिर बोली ...


" सुन भाई मैं तुम्हें यह नहीं कह रही कि तुम रूही को भूल जाओ पर रूही अपनी जगह बिल्कुल सही है " 


इतना सुना तो मैं दी को बस हैरत भारी नजरों से देखता रहा । मुझे इस तरह के जवाब की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी दी से...



कहानी जारी रहेगी ......
 
. अपडेट -15


एक उम्मीद आज सुबह ग्राउंड पर टूटी और दूसरी यहाँ । दी ने भी मेरा साथ नहीं दिया, मुझे लगा दी शायद मुझे हौंसला दे पर यहाँ तो वह मुझे अलग होने को कह रही हैं।


खैर दी अपनी बातें आगे बढ़ते हुए....


" देख गलत तब होता कि अगर यह सब वो तुम्हे न बताती और तेरे दिल में क्या है वो ना जानते हुए भी उसे बढ़ावा देती, और फिर जहां से तुम्हारा लौटना ना हो ऐसे समय पर तुम्हें बताती पर उसने तो सुरुआत में ही तुम्हे इस रिश्ते को ना आगे बढ़ाने को बोली "

"बेटू मैं भी एक लड़की हु और हर लड़की की कुछ परेशानियां होती हैं । दोस्त तक की बात तो ठीक है पर उसे भी शायद यह लगा हो तुमसे मिलना , बात करना, हँसना बोलना तुम्हे कोई गलतफहमी मे ना डाल दें इसीलिए वो भी सब कुछ सुरुवात में ही क्लियर कर दी " ।

अब मुझसे रहा ना गया मैं आंखों में आँसू लिए चिढ़ते हुए...


" मैंने ऐसा क्या गुनाह कर दिया मैं तो बस उसे देख कर ही खुश हो जाता था । हाँ जब मैं purpose करता तब मना करती , मैने तो उसे purpose भी नहीं किया । हम तो दोस्त भी थे फिर ये क्यों कहा की मुझसे मिलने की कोशिश मत करना "।


दी.... बेटू फिर गलत सोच रहा है । देख जबतक तू purpose करता तब तक शायद ज्यादा देर ना हो जाये इसीलिए सब क्लियर कर दी और शायद उसकी कोई मजबूरी भी रही हो ।


अब हम दोनों शांत बैठे थे फिर मैंने दी से मिन्नतों भरे शब्दों में कहा.... दीदी बस मेरी इतनी मदद करना कि किसी को यह मत बताना मेरे साथ क्या हुआ ,बोल देना की एक्सीडेंट में मेरा कोई दोस्त अब इस दुनियां में नहीं रहा इसीलिए मैं परेशान हो गया हूँ ।


सुन बेटू मैंने तेरी बात मान पर मेरा एक काम करोगे । मैंने पूछा "क्या" फिर दी बोली कुछ दिनों के लिए कही घूम आओ ।


मैंने अपना एटीएम दी को दिया और बोला सब arrange करके मुझे बता देना मैं अकेला ही जाऊंगा । मैं दी कि बात मान कर राजी हो गया और मैं अपनी तन्हाई के साथ ऊपर अपने रूम में चला गया ।


आज का दिन मेरे लिए काला दिन था । मैं रोता तड़पता अपने रूम से बाहर नहीं आया । दिया और माँ ने भी कई बार दरवाजा खटखटाया पर मैंने किसी को अन्दर नहीं आने दिया । मुझे मालूम भी नहीं कि आखिर रुही ने किस वजह से मुझे मना कर दिया और यह बात मुझे खटकी मुझे काफी बुरा लग रहा था ।


अगले दिन सुबह 


मैं किरण से मिला चूंकि उसकी प्रैक्टिस करवाने की जिम्मेदारी मेरी थी तो उसे अंत में सारे नुस्खे बता कर बोल दिया कि मैं 10 दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ तो अब मैं ग्राउंड नहीं आ सकता । यदि मेरे आने तक तुम्हारा टेस्ट नहीं होता तो मैं एक बार चेक कर लूंगा । इतना बोल मैन उससे विदा ली और घर लौट आया ।


हॉल में ही मुझे दी मिल गई फिर उन्होंने मुझे पूरा प्रोग्राम समझाया । मुझे कुछ दिनों के लिए अपने मासी के घर जाना था जो कि दिल्ली में रहती हैं । सारी पैकिंग दी कर चुकी थीं और मुझे सुबह 10 बजे की ट्रेन से निकलना था ।


दी और मैं बात कर ही रहे थे कि तभी पापा वहाँ आये । पापा ने बहुत दुःख व्यक्त किया जो भी मेरे दोस्त के साथ हुआ था (दी को बताई कहानी पर ) फिर मेरे कंधे पर हाथ रख कर बोले तू किसी बात की चिंता मत कर यह सब तो जीवन का ही एक पहलू है ।


पापा ने मुझे कुछ आध्यात्म की बाते बताई जो मुझे अब बिल्कुल भी सुन्ना पसन्द नहीं था । कुछ देर यूँ ही बाते चलती रही पापा ने फिर मुझे पैसे भी दिए ।


अब समय हो चुका था मेरे जाने का इसीलिए सब मुझे छोड़ने स्टेशन आ रहे थे पर मैंने सबको मना कर दिया पर मेरे मना करने से क्या होता हैं किसी ने मेरी बात नहीं मानी और मेरे साथ साथ स्टेशन चल पड़े । सबको दी ने कहानी बता दी थी इसीलिए कोई मेरे चुप रहने का कारण नहीं पूछ रहा था। 


फाइनली स्टेशन पहुंचा वहाँ सीट कंफर्म कर मैं अपनी बर्थ पर पहुंचा । मेरे साथ मेरे घरवाले मुझे छोड़ने बर्थ तक आये फिर मैंने सबसे विदा लेकर उन्हें घर भेज दिया ।


सबके जाने के बाद मैं अपनी तन्हाई में फिर से डूब गया । वहाँ मेरे साथ कौन है कौन नहीं इससे मुझे कोई लेना देना नहीं था , अब शुरू हुआ मेरे चंडीगढ़ से दिल्ली का सफर मेरे उजड़े अरमानो के साथ । 


पर कहते हैं ना आपका बुरा वक़्त कभी जल्दी नहीं जाता वही इस समय इस सफर पर मेरे साथ हुआ । मैं अपने ग़मो के साथ अपनी बर्थ पर चुप चाप लेटा रहा और रूही के साथ बिताए हसीन लम्हो को याद कर अपने मायूसी को दूर करने की कोशिश कर रहा था । एक पल याद कर खुश हो जाता उसके दूसरे पल आंखों में आंसू होते ।


मुझे बाकी के बर्थ का पता नहीं पर हाँ चंडीगढ़ से यही कोई 5 घटे बाद ट्रेन गाजियाबाद जंक्शन पर रुकी मैं अबतक सोया था । मेरे पास कुछ लोग आपस में बात कर रहे थे उनमें से एक ने मुझे उठाया.... भाई साहब ।


मैं... हुन्न बताये ।
 
अपडेट - 16
आदमी 1.... हम ( 4 लोग थे ) जरा नीचे जा रहे है यह बच्चा मेरा सो रहा है प्लीज् इसका ध्यान रखयेगा । मुझे क्या करना था मैं तो खुद अपनी इस चेतना से नॉर्मल होने की कोशिश कर रहा था । मैंने उसे देखने की हामी भरते हुए उन्हें जाने के लिए बोला ।


फिर चारों नीचे उतर गए । ट्रेन जंक्शन पर खड़ी थी और अभी सिग्नल भी नहीं हुए थे मैं उदास तन्हा अकेला बैठा था ।


मेरे फ़ोन की घंटी बजी मैने उठाया कॉल दिया का था । वो मुझसे बात करने लगी आज वो भी बहुत इमोशनल थी पहली बार जो मैं उससे दूर जा रहा था , दिया मुझे मिस कर रही थीं ।
हमारी बातें यू ही चलती रही पर मैं अपने दर्द से बाहर नहीं निकल पा रहा था इसीलिए मैंने दिया को बाद में बात करने को कहा ।


अभी मैंने कॉल कट ही किया था कि 4,5 लोग ट्रेन के कंपार्टमेंट में अंदर आये सब के सब 5'8 से 6 फ़ीट के थे । देखने में फिट और किसी पहलवान की तरह । वो मेरी बर्थ के पास आये वहाँ का माहौल देखा , पर मैं अब भी अपनी चेतनाओं में डूबा हुआ था कोई मतलब नहीं । कि तभी एक आदमी ने उस बच्चे को उठा लिया । मुझे थोड़ा अटपटा लगा तो मैंने उन्हें टोक दिया ।


" हेल्लो सर लाल को कहाँ ले जा रहे हो " 

उनमें से एक आदमी आगे आया मुझे गौर से देखा ( दोस्तो बताना चाहूंगा कि अभी मेरी फिजिकल कंडीशन ऐसी थी कि कोई भी देख कर या तो पागल या फकीर समझता ) 

जो मुझे घूर रहा था अब सवाल पूछते हुए ।

आदमी 1 ... क्या यह लाल तुम्हारे साथ है ।

मैं... नहीं ।

आदमी 1.... तो क्यों पूछ रहा है ? 

मैं... क्योंकि इसकी जिम्मेदारी कुछ लोग मुझे सौप कर गए है।

आदमी2... कोन से लोग ।

मैं.... अभी आएंगे तो उन्ही से पूछ लेना ( मेरा व्याकुल मन अब थोड़ा भी उनसे बात करने का नहीं कर रहा था ) 


उसने मुझे फिर देखा आस पास बात की और वही बैठ गया । पर लाल अभी भी अचेत अवस्था में था । उसे उनलोगों ने काफी जगाने की कोशिश की पर उठा नहीं । मैं अपनी बर्थ पर लेटा सब देख रहा था इतने में ट्रेन ने हॉर्न देना शुरू किया । अब ट्रेन चल दी पर यह क्या वो चारो तो ट्रेन में बैठे ही नहीं । अब मुझे क्या कोई आये या जाए ,पर अब मुझे इन सब से ज्यादा प्यार लूट जाने की चिंता हो रही थीं । फिर मैंने सोचा अभी 10मि मे दिल्ली आ जायेगा लाल को यदि कोई लेने आया तो ठीक वरना मैं इसे पुलिस को दे दूँगा ।

मैं इन्हीं सब सोच में लगा कि तबतक दिल्ली भी आ गया ।

चारों जो लाल को घेरे बैठे थे अब गेट पर खड़े थे । स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही में लाल को उठाने लगा पर शायद वो बेहोश था इस वजह से नहीं उठ रहा था । मैंने किसी तरह अपने कंधे का सहारा दे उसे बाहर लाया । पर बाहर आते ही मुझे कुछ cops और कुछ रोते बिलखते लोगों ने घेर लिया ।


लेकिन मुझे अब भी इस सब से कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि मेरा अपना ही गम था और मैं उसमें खोया हुआ था । तो दोस्तो यह मामला किडनैपिंग का है जिसमें अब मैं शक के घेरे में था । सब ने बच्चे को मुझ से अलग किआ । बच्चे को उसके परिवार को सौंप दिया। और मुझे वहीं पास के थाने ले जाया गया ।


आप सब यही सोच रहे होंगे क्या बकवास है पर सच तो यही है जो प्यार का गम होता हैं इसमें जीना एक सजा के बराबर होता हैं और मौत वो खूबसूरत तोहफा हैं जो हँसके कबूल किया जाता हैं। तभी तो लोग प्यार में आत्महत्या कर लेते है खुद को इतनी तकलीफ देते है पर उफ तक नहीं करते ।


खैर वापस कहानी पर आते है पुलिस स्टेशन में...
.
मेरे गाल पर थप्पड़ पड़ रहे थे और कानों में एक सवाल 
..
" बता तेरे साथ और कौन कौन है कबूल कर " 


पर मैं तो जैसे उसका थप्पड़ तोहफे की तरह कबूल करता । आज तो जैसे यह लोग मेरा दर्द पर मरहम लगा रहे हो । 3र्ड डिग्री के लिए भी गया उधर मेरे ऊपर डंडे पर डंडे पड़ते गए और मैं बिना कुछ कहे उस सवाल पर मुस्कुरा देता । उनका गुस्सा इधर भड़क जाता और मैं राहत महसूस करता । 



फाइनली मैं बेहोश हो गया कितनी देर पता नहीं । यही करीब 8 बजे मेरी नींद खुली तो मैं किसी आलीशान बुगलौ मैं था......


कहानी जारी रहेगी.....
 
अपडेट - 17


मैं थोड़ी हैरानी मे की यहाँ कैसे पहुंचा ।


दर्द पूरे शरीर में था जो कि मुझे महसूस हो रहा था फिर मैं सारे घटनाक्रम को याद करने लगा । बीती बातो को याद करके मैं फिर से शून्य ( 0 ) की स्थिति में पहुंच गया और फिर अनयास ही मेरी आँखों से आंसू छलक आए ।


मैं फिर से उसी तड़प मै डूब गया तभी दरवाजे पर आहत हुई मैं पीछे मुड़ा और शॉक्ड हो गया.....


दरवाजे पर वही लाल और उसके साथ दिल्ली के मशहूर उद्योगपति मोहित चौहान भी साथ मे थे । ये सब क्या हो रहा है मेरे साथ समझ से परे था । 


मोहित जी मेरे पास आते ही पूछने लगे... बहुत दर्द हो रहा है क्या ( शायद मुझे रोता हुआ देख पूछ रहे हो) अबतक उनके परिवार के दूसरे सदस्य भी आ पहुंचे । 


मैंने मोहित जी से पूछा... अंकल आप किस दर्द की बात कर रहे है ।

बड़ी हैरानी से देखते हुए.... वही जो पुलिस ने तुम्हें टॉर्चर किआ था..।

पता नहीं मुझे क्या हो गया मैंने हँसते हुए जवाब दिया... अंकल वहाँ तो मेरे दर्द पर मरहम लगा था इतना सुकून तो मैंने कई दिनों से महसूस नहीं किया पर हाँ दर्द अब हो रहा है ।




मेरी बात शायद सबके परे थी इसीलिए सब के सब मेरे जवाब के बाद मुझे बड़ी हैरानी के साथ देख रहे थे । अब सब चुप मेरी ओर देख रहे थे मैं चुप्पी तोड़ते हुए... अंकल यह तो बातये मामला क्या था और मैं यहाँ कैसे पहुंच गया । 


फिर अंकल ने सारी बात बता दी कैसे उसका बच्चा 1 हफ्ते पहले किडनैप हुआ पुलिस ने कैसे इन्वेस्टिगेशन की ।


फिर प्लानिंग कर उन्हें दिल्ली आने पर मजबूर किया, मेरा उस केस में फंसा और क्लीन होना और अंत में... मुझे माफ़ कर दो बेटा मेरी वजह से तुम्हारे साथ यह सब हुआ ।


मैं बिना किसी रिएक्शन के उनकी बातें सुनता रहा और बिना किसी एक्सप्रेशन उनसे कहा... अपने तो मेरे दर्द की दवाई करवाई है , शुक्रिया अंकल पर अब मैं चलता हूँ ।

मेरी बात जैसे उनके लिए पहेली थी समझ से परे लेकिन मेरी जाने की बात पर पूरा परिवार ज़िद पर आ गया... नहीं कुछ दिन यहाँ बिता कर जाओ । और फाइनली मैंने हाँ कर दी ।


लेकिन मुझे वहाँ किसी का भी होना अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि मैं तो अब बस रोना चाहता था । अपनी वीरान दुनिया में अकेला रहना चाहता था इसीलिए मैंने सब को बोल दिया कि... मैं अभी आराम करना चाहता हूँ ।


फिर अंकल ने मुझे मेरा फ़ोन दिया और वहाँ से चले गए कहा घर पर बता देना 


और इसी बीच मेरे घर पर जिस दिन से दिल्ली के लिए निकला मतलब2 दिन पहले..


शाम का समय यही कोई 5 बजे 

सिमरन दिया से 


दी... बात हुई थी राहुल से ।

दिया... हैं 3 बजे के आसपास हुई थी ।

दी.. क्या सब बोल रहा था ।

दिया.... कुछ नहीं दीदी बस बोला दिल्ली पहुंच कर बात करता हूँ । अभी कॉल लगाऊ क्या भैया को ।

सिमरन... नहीं रहने दे दिया आराम कर रहा होगा तू एक काम कर मासी से पूछ लें पहुचा की नहीं ।


दिया अब मासी को फ़ोन लगते हुए 

मासी... हेलो ।

दिया... नमस्ते मासी में दिया ।

मासी...हाँ बेटा बोल ।

दिया.... मासी राहुल भैया पहुँच गए? 

मासी... अबतक नहीं बेटा ।

इतना सुनकर दिया ने बाई बोलकर फ़ोन कट कर दिया । अब फिर दिया सिमरन बात करने लगी ।

दिया... भैया नहीं पहुचे अभी तक ।

दी... लगता हैं ट्रेन लेट होगी। 



दिया... हाँ दी मुझे भी ऐसा ही लगता है ।


फिर दोनों अपने काम मे लग जाते है । अब शाम 6 बजे दी ने मासी से बात की लेकिन फिर वही जवाब नहीं पहुंचा ।


अब थोड़ी सि चिंतित दी ने रेल इंक्यूरी में फ़ोन लगाया तो पता चला ट्रेन अपने समय पर दिल्ली पहुंच गई है यानी 3:45 पर । 



दी को अब और ज्यादा चिंता होने लगी राहुल को कॉल करने लगी पर फ़ोन स्वीच ऑफ ।



कहानी जारी रहेगी....
 
अपडेट - 18



दी बड़ी मायूसी के साथ गुमसुम अपने कमरे में बैठी थी और तभी । दिया उसे बुलाने आई.... दीदी माँ तुम्हे किचन में बुला रही हैं ।


दी बड़ी मायूसी और दर्द भरी आवाज के साथ.... दिया, बेटू अभी तक नहीं पहुंचा । मैंने पता किआ तो ट्रेन भी टाइम पर थी ।


अभी दिया भी थोड़ी चिंता में, और इसी चिंता में उसने राहुल को कॉल किआ फ़ोन अब भी स्विच ऑफ था ।


दोनो बहने अब चिंता के भवर में की... अभी तक नहीं पहुंचा, फ़ोन भी ऑफ, कहाँ गया होगा, एक कॉल तो कर देता ।


फिर सिमरन ने पापा को फ़ोन लगाया ऑफिस.... हेल्लो पापा ।

पापा... हाँ बेटा बोलो ।


सिमरन.... पापा अभी तक राहुल नहीं पहुंचा ।

पापा... ट्रेन लेट होगी ।

सिमरन... नहीं पापा ट्रेन तो टाइम पर दिल्ली पहुंच गई और राहुल का फोन भी ऑफ है ।

पापा... बेटा हो सकता है दिल्ली घूम रहा हो अभी रात तक फ़ोन आ जायेगा ।


इसी तरह अब 8 बज चुके थे राहुल का कोई फ़ोन नहीं आया , दी उदास अपने कमरे में आंसू बहा रही थीं । एक अनजाने से डर के बीच.. " राहुल ने कही कोई गलत कदम तो नहीं उठा लिया " 


अब दिया सिमरन के पास आती हैं उसे उदास रोता देख वो भी चुपचाप अपनी बहन के बगल में बैठ जाती है और आंसू तो उसके भी छलक जाते है । तभी दोनो को ढूंढते माँ अंदर आ जाती है । दिया और सिमरन की हालत देख माँ बिल्कुल शॉक्ड हो जाती है फिर करण जानने के बाद कहती हैं...


" चलो शांत हो जाओ दोनो , अब उसे बड़ा हो जाने दो , अकेले घूमेगा तभी दुनियादारी की समझ आएगी..." 


लेकिन अंदर ही अंदर माँ के मन में भी चिंता जाग जाती है ।



अगले दिन सुबह 5 बजे 


ट्रिंग ट्रिंग... हेल्लो मासी... हाँ बोल बेटा.... राहुल पहुंचा.... अभी तक नहीं बेटा फ़ोन कट ।


माँ , पापा, छोटी, तुम सब सोते रहो मैं जा रही हूं । माँ कमरे से बाहर आते हुए.... क्या हुआ सिमरन सुबह - सुबह क्यों सारा घर सर पर उठाया है ।


अबतक घर के सारे लोग हॉल में आ चुके थे ।

दी सब से... राहुल अबतक नहीं पहुंचा, पता नहीं कहाँ होगा , ये लड़का भी ना सबको परेशान करता है आने दो इसे इसकी तो मैं खबर लेती हूँ । 


दी कि बात वाकई चिंता वाली थी माँ और पापा के लिए । अब चिंता की लकीरें सबके चेहरे पर साफ नजर आ रही थीं । अब जैसे जैसे वक़्त बीते बैचैनी बढ़ती जा रही थीं ।

अभी दिन के 12 बज रहे थे दी बहाना मार कर किरण के घर चली गई । अभी किरण के घर रूही और किरण की माँ थी ।


आंटी किचन में खाना बना रही थी और रूही हॉल में बैठकर टीवी देख रही थीं । जैसे ही रूही की नजर सिमरन पर पड़ी तो वो चोंक गई । क्योंकि इस समय सिमरन के चेहरे से साफ लग रहा था कि बहुत रोई और चिंता में थी ।


जब रूही ने सिमरन की ऐसी स्थिति देखी तो दौड़ कर सिमरन के पास गई और अंदर अपने रूम में ले गई । रूही ने सिमरन को हैरान भरी नजरों से देखते हुए... " यह आपने क्या हाल बना रखा है , क्या बात है बताओ ना प्लीज "


सिमरन ने फिर सारी बात बताई ग्राउंड से लेकर दिल्ली जाने की प्लानिंग तक फिर दिल्ली ना पहुँचना । और अंत मे..


" मैं ये नहीं कहूंगी की तुमनें गलत किया क्योंकि मैं भी एक लड़की हूँ और लड़की की परेशानी समझ सकती हूं पर इतना जरूर कहना चाहूंगी कि तुम्हे इतनी जल्दी फैसला नहीं लेना चाहिए था । क्योंकि संसार में एक बार भगवान मिल सकता हैं पर सच्चा आशिक़ नहीं " 


रूही बस दी को चुपचाप सुनती रही और दी इतना बोलकर वहाँ से घर लौट आई ।


अब समय बीतता चला गया शाम 5 बजे तक हमारे सारे दोस्त, रिस्तेदार, और जानकारों को सूचना मिल चुकी थी मेरे गायब होने की और रात होते होते घर में मातम छा गया ।


अगले दिन भी यही हालत थी ।


अब यहां मेरा फ़ोन ऑन...

फ़ोन ऑन होते ही 400 मिस्ड कॉल मेरे मोबाइल पर जिसमें अधिकतर घर से कॉल था , फिर कुछ कॉल ऋषभ के , कुछ रिलेटिव और कुछ अननोन कॉल थे ।


अब मेरा दिमाग दोहरी चिंता में था एक तो अपने प्यार के लूट जाने का गम और दूसरी की अब घर पर क्या बताऊ क्योंकि मैं उन्हें किडनेपिंग वाली बात बता कर परेशान नहीं कर सकता था । मैं इन्हीं सब बातो को सोच रहा था कि मुझे ऋषभ का ख्याल आया और मैंने कॉल लगा दी ।


ट्रिंग ट्रिंग 
 
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