hotaks444
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ये कहाँ फंसा दिया जान तुमने......
अब तो हड्डी गले में अटक गई है जिसे निकले बिना चैन नहीं मिलेगा, खैर अब इंतजार अब इंतजार-e- मोहब्बत का नहीं था अब तो मलाल प्यार का इजहार मै किस खूबसूरती से करता हूं उसका, पर यह फिलिंग कहां से लाऊं पर करना तो था ही इसीलिए मेरा पहला ट्राय….....
मैं अपने बाया पाँव से घुटने पर और दायाँ को जमीन पर टिका कर चेयर की तरह मोड़ मै परिधि के हाथ पकड़ कर.......
"आई लव यू जान क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो"
परिधि....यस ऑफ़ कोर्स जान मै तो ना जाने कब से तुम्हें चाहती हूँ।
ओय ओय,बईमान सड़क पर 100लड़कों ने बोला होगा ऐसा तूने सबका प्रपोज़ल एसेप्ट कर लिया क्या? सिम्मी ने परिधि को ऐसा बोल कर फिर मुझसे ...
" नहीं सर यह तो बहुत ओडेनरी है नहीं चलेगी"
मैं....... बड़े मायूस मनसे ठीक है दूसरा ट्राई करता हूं।
इधर परिधि मेरी हालत देख कर मन मन मुस्कुरा रही थी और शरारत भरी नजरों से देख रही थी मानो कर रही हो.... "बाबू कुछ और ट्राई करो इनका दिल इससे नहीं मानने वाला" मुझे ही सब कुछ समझ में नहीं आ रहा था किया किया जाए फिर अचानक से मुझे ख़याल आया और मैंने परिधि के दोनो है पकड़ कर बीच फ्लोर पर किया,2 कदम पीछे हटा शाहरुख सर के स्टाइल मे दोनों बाहे फैलाकर...
"दिल का क्या राज है जाने क्या कर गए
जैसे अंधेरों में तुम चांदनी भर गए
करके चांद तारों को मशहूर इतना क्यों
कमबख्त इनसे खूबसूरत है तो
"आई लव यू" तू रूह रूह येह"
परिधि ने गले लगाकर एक बार सिर्फ..."love u to Jaanu"
और उधर से अंजलि......ओओओओ ओओओओ ए परिधि की बच्ची तू तो पागल हो गई है क्या? ऐसा कोई हां बोलता है। अब तू तबतक नहीं बोलेगी जब तक हमारा इशारा ना हो। और आप मिस्टर राहुल जरा अदा से कहो ताकि हमें भी लगे यही है इजहारे- मोहब्बत।
अब क्या करूं जान कहां फंसा दिया तुमने मै एक बार अपनी जान की और देखा, इस बार अपने दोनों कान पकड़ते सॉरी का इशारा किया मैं उसके इस हरकत पर धीमे स्माइल देते हुऐ फिर से सोचने लगा और फिर मैंने परिधि के पास जाकर...
मैंने परिधि का एक हाथ पकड़ कर उसे चेयर से उठाया, धीरे से उसे बीच में लाया, अपने एक हाथ धीरे से उसके आंखों के पास से गुजारा, और परिधि ने अपने आप से बंद कर ली । मैं उसकी कान की बालियां से नीचे गर्दन पर प्यार से हाथ फिराया, इक आह के साथ परिधि ने थोड़ा गर्दन झुका लिया फिर मैंने अपना एक हाथ परिधि के कमर पे डाल कर उसे प्यार से अपनी ओर खिंचा उसने अपना पूरा भार मेरे कंधे पर छोड़कर अपने आपको बिल्कुल मुझे सौप दिया। मैं उसे अपने कंधो के दम पर थामे रहा और परिधि जमीन की ओर झुकी थी। मैं धीरे से अपने दूसरे हाथ से उससे लटो को उसके चेहरे से हटाया, परिधि के चेहरे को निहार उसी को दी सर ने उसे थामे रहा और अचानक ही मेरे होंठ परिधि के होटों की तरफ बढ़ाने लगें।
हम इतने पास आ चुके थे कि हमारी सांसें आपस में टकरा रही थी, परिधि को यह एहसास हुआ तो धीरे से उसने धीरे से आंखें खोली जैसे आगे बढ़ने की सहमति दे रही हो कि आगे बढ़ो।
हमारे होंठ एक दूसरे के इतने करीब हो चले थे, कि आपस में स्पर्श हो रहे थे। स्पर्श मात्र से ही मेरे अंदर एक भूचाल सा आ गया। मैं एकदम से परिधि के सांसों के साथ खोता ही जा रहा था इससे पहले की मै उस अप्सरस से आगे बढ़ पाटा की तभी तालियों की गड़गड़ाहट से हमारा ध्यान दूसरी तरफ खिंचा लिया।
तीनो नीलू ,सिम्मी और अंजलि ने हमें घेर रखा था,जब हमें होश आया तब मै और परिधि एक दम से झटके के साथ अलग हुए। परिधि शर्म से पानी पानी हो गई और मैं उन तीनों से नजरे नहीं मिला पाराहे थे।
नीलू.......साबश!! इसे कहते हैं असली प्रपोज़ दिल ख़ुश कर दिया आपने।
अंजलि ......अब तुझे i love You Jaan बोलना हैं तो जा कर बैठ गई टेबल पर ।
सिम्मी...." Sorry लव बर्ड"हमने इतने रोमांटिक सीन यही ख़त्म करवा दिया।तुम दोनों इतने पैसेंनेट दिख राहे थे की हमें लगा की अभी ही दोनों की सुहागरात ना हो जाए। Sorry फ्रेंड बाकी का आप कही प्राइवेट मे कंटिन्यू करना।
जहाँ एक ओर मै इन तीनों की बात पर थोड़ा सरमा रहा था और थोडा मुस्करा रहा था वहीपरिधि शर्म से पानी पानी हो गई थी।अब हम सब टेबल पर बैठ गये जहा अब नीलू ने परिधि को छेड़ना शुरू किया।
नीलू.....बता ना परिधि तुझे कैसा लगा राहुल का परफॉर्मेंस?
परिधि......तू चुप कर, जाओ मै नहीं बताती।
अब अंजलि मुझे छेड़ते हुए
अंजलि.....क्यों राहुल सर बिच मै कैसे छोड़ दिये।
मैं.....क्या अंजलि जी आप भी एक तो खुद ही कहती हैं प्रपोज़ करने और अभी ऐसा सवाल पूछ रही है, मैं तो एक्ट कर रहा था।
अंजलि ..... पर आपको देखकर तो ऐसा नहीं लगा।
मैं...... वो एक्टिंग ही क्या जो रियल ना लगे।
अंजलि...... तो फिर किस भी कर लेते जनाब रोका किसने था, एक्टिग में सही किस देखने को तो मिलती।
अब परिधि से नहीं रहा गया
परिधि .....प्लीज यार अब ऐसी बातें बंद करो शर्म आती है
अब सिम्मी बात पकड़ते हुऐ
" जानेमन तुझे कब से शर्म आने लगी तू तो बोलती थे कि मुझे किसी भी बात की परवाह नहींहोती तो आज कैसे आज तुझे शर्म आने लगी"
परिधि अब बोले तो क्या बोले मुझे इन तीनो की मुलाकात याद आ गई।की कैसे तीनो ने प्लान करके मेरी क्लास लेने आई थीं। जो सक्सेस नहीं हो पाई।पर आज इन तीनो ने हम दोनों को ही घेर रखा था।
खैर अब मैंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुये
"हम किसी और बारे मे बात कर सकते है क्या?या नहीं आप सबको यही कंटीन्यू करनी है तो आ जाइए और मुझे कुछ लीजिए"
मेरी बात सुनकर अंजलि......उफ़्फ़्फ़ लो अब जीजाजी भी नाराज हो रहे है क्यों परिधि दी
अब मैं क्या करूँ इन पर तो किसी भी बात का असर नहीं हो रहा,मैं अपनी ही उलझनो मे खोया था कि परिधि पुराने वाले अंदाज मे आते हुये
परिधि ....अब क्या महारानी हमारी पूरी रासलीला तुम्हे देखनी है या अब हम दोनों को अकेला छोड़ देगी।जैसी बता वैसी करुँगी अभी।
परिधि की बात सुन कर तीनो शांत हुये,फिर हम सब कुछ देर बाते करने के बाद तीनो चली गईं।अब उस कॉफी शॉप में बस मैं और मेरी परछाई परिधि थीं।
मैं........परी..... परी
परिधि.....हुन्नन्न!!
मैं...... आज तुम इतनी प्यारी क्यों लग रही हो?
परिधि......(इतराते हुये) हटो जब सामने होती हूँ तभी मुझसे प्यार जताते हो और जब दूर होती हूँ
मैं..... जब दूर होती हु तो रुलाते हो यही कहना चाहती हो ना।
परिधि......नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं
मैं..... नहीं जान मैं समझता हु कल मैंने तुम्हे बहुत परेसान किया था। चाहता तो नहीं था पर परिस्थितिया कुछ ऐसी पैदा हो गई थी की......
परिधि......अभी चलो यहाँ से अब मुझे यहाँ अच्छा नहीं लग रहा।
मैं....... ठीक है चलो
हम दोनो कार मे बैठे और निकल पड़े।
मैं...... परी !!कहाँ चलना हैं?
परिधि .....वही शॉपिंमाल और कहाँ
मैं......एक बात पुछना चाह रहा था खैर जाने दो चलो
ये कहाँ फंसा दिया जान तुमने......
अब तो हड्डी गले में अटक गई है जिसे निकले बिना चैन नहीं मिलेगा, खैर अब इंतजार अब इंतजार-e- मोहब्बत का नहीं था अब तो मलाल प्यार का इजहार मै किस खूबसूरती से करता हूं उसका, पर यह फिलिंग कहां से लाऊं पर करना तो था ही इसीलिए मेरा पहला ट्राय….....
मैं अपने बाया पाँव से घुटने पर और दायाँ को जमीन पर टिका कर चेयर की तरह मोड़ मै परिधि के हाथ पकड़ कर.......
"आई लव यू जान क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो"
परिधि....यस ऑफ़ कोर्स जान मै तो ना जाने कब से तुम्हें चाहती हूँ।
ओय ओय,बईमान सड़क पर 100लड़कों ने बोला होगा ऐसा तूने सबका प्रपोज़ल एसेप्ट कर लिया क्या? सिम्मी ने परिधि को ऐसा बोल कर फिर मुझसे ...
" नहीं सर यह तो बहुत ओडेनरी है नहीं चलेगी"
मैं....... बड़े मायूस मनसे ठीक है दूसरा ट्राई करता हूं।
इधर परिधि मेरी हालत देख कर मन मन मुस्कुरा रही थी और शरारत भरी नजरों से देख रही थी मानो कर रही हो.... "बाबू कुछ और ट्राई करो इनका दिल इससे नहीं मानने वाला" मुझे ही सब कुछ समझ में नहीं आ रहा था किया किया जाए फिर अचानक से मुझे ख़याल आया और मैंने परिधि के दोनो है पकड़ कर बीच फ्लोर पर किया,2 कदम पीछे हटा शाहरुख सर के स्टाइल मे दोनों बाहे फैलाकर...
"दिल का क्या राज है जाने क्या कर गए
जैसे अंधेरों में तुम चांदनी भर गए
करके चांद तारों को मशहूर इतना क्यों
कमबख्त इनसे खूबसूरत है तो
"आई लव यू" तू रूह रूह येह"
परिधि ने गले लगाकर एक बार सिर्फ..."love u to Jaanu"
और उधर से अंजलि......ओओओओ ओओओओ ए परिधि की बच्ची तू तो पागल हो गई है क्या? ऐसा कोई हां बोलता है। अब तू तबतक नहीं बोलेगी जब तक हमारा इशारा ना हो। और आप मिस्टर राहुल जरा अदा से कहो ताकि हमें भी लगे यही है इजहारे- मोहब्बत।
अब क्या करूं जान कहां फंसा दिया तुमने मै एक बार अपनी जान की और देखा, इस बार अपने दोनों कान पकड़ते सॉरी का इशारा किया मैं उसके इस हरकत पर धीमे स्माइल देते हुऐ फिर से सोचने लगा और फिर मैंने परिधि के पास जाकर...
मैंने परिधि का एक हाथ पकड़ कर उसे चेयर से उठाया, धीरे से उसे बीच में लाया, अपने एक हाथ धीरे से उसके आंखों के पास से गुजारा, और परिधि ने अपने आप से बंद कर ली । मैं उसकी कान की बालियां से नीचे गर्दन पर प्यार से हाथ फिराया, इक आह के साथ परिधि ने थोड़ा गर्दन झुका लिया फिर मैंने अपना एक हाथ परिधि के कमर पे डाल कर उसे प्यार से अपनी ओर खिंचा उसने अपना पूरा भार मेरे कंधे पर छोड़कर अपने आपको बिल्कुल मुझे सौप दिया। मैं उसे अपने कंधो के दम पर थामे रहा और परिधि जमीन की ओर झुकी थी। मैं धीरे से अपने दूसरे हाथ से उससे लटो को उसके चेहरे से हटाया, परिधि के चेहरे को निहार उसी को दी सर ने उसे थामे रहा और अचानक ही मेरे होंठ परिधि के होटों की तरफ बढ़ाने लगें।
हम इतने पास आ चुके थे कि हमारी सांसें आपस में टकरा रही थी, परिधि को यह एहसास हुआ तो धीरे से उसने धीरे से आंखें खोली जैसे आगे बढ़ने की सहमति दे रही हो कि आगे बढ़ो।
हमारे होंठ एक दूसरे के इतने करीब हो चले थे, कि आपस में स्पर्श हो रहे थे। स्पर्श मात्र से ही मेरे अंदर एक भूचाल सा आ गया। मैं एकदम से परिधि के सांसों के साथ खोता ही जा रहा था इससे पहले की मै उस अप्सरस से आगे बढ़ पाटा की तभी तालियों की गड़गड़ाहट से हमारा ध्यान दूसरी तरफ खिंचा लिया।
तीनो नीलू ,सिम्मी और अंजलि ने हमें घेर रखा था,जब हमें होश आया तब मै और परिधि एक दम से झटके के साथ अलग हुए। परिधि शर्म से पानी पानी हो गई और मैं उन तीनों से नजरे नहीं मिला पाराहे थे।
नीलू.......साबश!! इसे कहते हैं असली प्रपोज़ दिल ख़ुश कर दिया आपने।
अंजलि ......अब तुझे i love You Jaan बोलना हैं तो जा कर बैठ गई टेबल पर ।
सिम्मी...." Sorry लव बर्ड"हमने इतने रोमांटिक सीन यही ख़त्म करवा दिया।तुम दोनों इतने पैसेंनेट दिख राहे थे की हमें लगा की अभी ही दोनों की सुहागरात ना हो जाए। Sorry फ्रेंड बाकी का आप कही प्राइवेट मे कंटिन्यू करना।
जहाँ एक ओर मै इन तीनों की बात पर थोड़ा सरमा रहा था और थोडा मुस्करा रहा था वहीपरिधि शर्म से पानी पानी हो गई थी।अब हम सब टेबल पर बैठ गये जहा अब नीलू ने परिधि को छेड़ना शुरू किया।
नीलू.....बता ना परिधि तुझे कैसा लगा राहुल का परफॉर्मेंस?
परिधि......तू चुप कर, जाओ मै नहीं बताती।
अब अंजलि मुझे छेड़ते हुए
अंजलि.....क्यों राहुल सर बिच मै कैसे छोड़ दिये।
मैं.....क्या अंजलि जी आप भी एक तो खुद ही कहती हैं प्रपोज़ करने और अभी ऐसा सवाल पूछ रही है, मैं तो एक्ट कर रहा था।
अंजलि ..... पर आपको देखकर तो ऐसा नहीं लगा।
मैं...... वो एक्टिंग ही क्या जो रियल ना लगे।
अंजलि...... तो फिर किस भी कर लेते जनाब रोका किसने था, एक्टिग में सही किस देखने को तो मिलती।
अब परिधि से नहीं रहा गया
परिधि .....प्लीज यार अब ऐसी बातें बंद करो शर्म आती है
अब सिम्मी बात पकड़ते हुऐ
" जानेमन तुझे कब से शर्म आने लगी तू तो बोलती थे कि मुझे किसी भी बात की परवाह नहींहोती तो आज कैसे आज तुझे शर्म आने लगी"
परिधि अब बोले तो क्या बोले मुझे इन तीनो की मुलाकात याद आ गई।की कैसे तीनो ने प्लान करके मेरी क्लास लेने आई थीं। जो सक्सेस नहीं हो पाई।पर आज इन तीनो ने हम दोनों को ही घेर रखा था।
खैर अब मैंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुये
"हम किसी और बारे मे बात कर सकते है क्या?या नहीं आप सबको यही कंटीन्यू करनी है तो आ जाइए और मुझे कुछ लीजिए"
मेरी बात सुनकर अंजलि......उफ़्फ़्फ़ लो अब जीजाजी भी नाराज हो रहे है क्यों परिधि दी
अब मैं क्या करूँ इन पर तो किसी भी बात का असर नहीं हो रहा,मैं अपनी ही उलझनो मे खोया था कि परिधि पुराने वाले अंदाज मे आते हुये
परिधि ....अब क्या महारानी हमारी पूरी रासलीला तुम्हे देखनी है या अब हम दोनों को अकेला छोड़ देगी।जैसी बता वैसी करुँगी अभी।
परिधि की बात सुन कर तीनो शांत हुये,फिर हम सब कुछ देर बाते करने के बाद तीनो चली गईं।अब उस कॉफी शॉप में बस मैं और मेरी परछाई परिधि थीं।
मैं........परी..... परी
परिधि.....हुन्नन्न!!
मैं...... आज तुम इतनी प्यारी क्यों लग रही हो?
परिधि......(इतराते हुये) हटो जब सामने होती हूँ तभी मुझसे प्यार जताते हो और जब दूर होती हूँ
मैं..... जब दूर होती हु तो रुलाते हो यही कहना चाहती हो ना।
परिधि......नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं
मैं..... नहीं जान मैं समझता हु कल मैंने तुम्हे बहुत परेसान किया था। चाहता तो नहीं था पर परिस्थितिया कुछ ऐसी पैदा हो गई थी की......
परिधि......अभी चलो यहाँ से अब मुझे यहाँ अच्छा नहीं लग रहा।
मैं....... ठीक है चलो
हम दोनो कार मे बैठे और निकल पड़े।
मैं...... परी !!कहाँ चलना हैं?
परिधि .....वही शॉपिंमाल और कहाँ
मैं......एक बात पुछना चाह रहा था खैर जाने दो चलो