hotaks444
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वो मेरी बगल मे गिर गया. रचना अभी भी टॉपलेस थी. वो उठ कर राज शर्मा के वीर्य टपकते लंड को पास से देखने लगी.राज शर्मा ने उसके सिर को अपने हाथों से थाम कर अपने लंड पर झुकाया. रचना ने झिझकते हुए उसके लंड के टॉप पर अपने होंठ च्छुआ कर एक किस किया.
"लो इसे मुँह मे लेकर प्यार करो." राज शर्मा ने कहा तो वो झिझकने लगी.
" इसमे झिझक कैसी? तुम्हारे साथ संभोग तो कर नही रहा है. तूने कल के लिए कहा तो राज शर्मा ने मान लिया अब उसके लंड को प्यार करने से भी क्यों झिझक रही है. वैसे तो राज शर्मा के लंड को याद कर करके झाड़ जाती है अब नखरे दिखा रही है." मैने उसके ज़ज्बात को चोट पहुँचाया तो उसने भी बिना किसी कशमकश के अपने होंठ खोल कर राज शर्मा के लंड को अंदर प्रवेश करने की जगह दे दी. राज शर्मा का लंड उसके मुँह मे घुस गया उसके बाल खुल कर चेहरे को चारों ओर से ढांप लिए थे. मैने उसके बालों को चेहरे पर से हटाया तो रचना का प्यारा सा चेहरा राज शर्मा के लंड को अपने होंठों के बीच से अंदर बाहर करता नज़र आया. रचना राज शर्मा के लंड को तेज़ी से अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी. राज शर्मा अपनी गर्देन को बिस्तर से उठा कर रचना की हरकतों को निहार रहा था. रचना के सिर को अपने दोनो हाथों से थम रखा था. रचना राज शर्मा के लंड के साथ मच मैंतुन करते हुए उसके बॉल्स को अपने हाथों से सहला रही थी. बीच बीच मे लंड को अपने मुँह से निकाल कर उसके बाल्स पर अपनी जीभ फिरा देती थी. एक दो बार तो उसके एक एक बॉल को अपने मुँह मे भर कर भी उसने चूसा. राज शर्मा का लंड इतने सबके बाद भी सोया कैसे रह सकता था. वो वापस अपने पूरे फॉर्म मे आ गया था. अब उसे दोबारा सुलाना मेरी ज़िम्मेदारी थी. लेकिन मैने अपनी तरफ से कोई उतावलापन नही दिखाया. मैं इस बार राज शर्मा के रस का स्वाद रचना को देना चाहती थी. रचना का भी शायद यही प्लान था. इसलिए जब राज शर्मा का लंड उत्तेजना मे फुंफ़कारने लगा, झटके देने लगा तो रचना ने अपनी गति बढ़ा दी. राज शर्मा भी उसके सिर को सख्ती से पकड़ कर अपने लंड को पूरा अंदर करने की नाकाम कोशिश करने लगा. रचना हाँफ रही थी. काफ़ी देर से उस लंड से जो मशक्कत करना पड़ रहा था. आख़िर राज शर्मा ने उसके सिर को अपने लंड पर सख्ती से दबा कर ढेर सारा वीर्य उसके मुँह मे उडेल दिया. रचना साँस लेने को च्चटपटा रही थी मगर राज शर्मा के आगे उसकी एक नही चल पा रही थी. राज शर्मा ने उसे तभी छोड़ा जब उसका लंड पूरा खाली होकर सिकुड़ने लगा था.
राज शर्मा ने उसे खींच कर अपने पसीने से भीगे बदन से लिपटा लिया. रचना भी किसी कमजोर लता की तरह उसके बदन से लिपट गयी और अपने कसे हुए स्तनो को राज शर्मा की चौड़ी छाती पर मसल्ने लगी. राज शर्मा के लंड को अपने हाथों से सहला रही थी. रचना राज शर्मा के सीने मे अपना चेहरा छिपा कर आँखें बंद करके पड़ी थी.
कुछ देर बाद रचना धीरे से उठी और दौड़ते हुए सीधे बाथरूम मे घुस गयी. काफ़ी देर तक अपने बदन की गर्मी को ठंडे पानी से ठंडा करने के बाद ही वो बाहर निकली.
मैने उसे अपने साथ सोने के लिए मनाना चाहा मगर वो मेरी बात बिल्कुल भी नही मानी और अपने बेडरूम मे चली गयी. कुछ ही देर मे राज शर्मा भी खर्राटे लेने लगा. मैं दबे पाओ उठी और रचना के बेडरूम मे झाँक कर देखा. रचना बिल्कुल निवस्त्र लेटी हुई थी. उसका एक हाथ दोनो पैरों के जोड़ों के बीच रखा हुआ था और उसकी लंबी लंबी उंगलियाँ उसकी योनि के अंदर बाहर हो रही थी. वो अपने दोनो पैरों को एक दूसरे के साथ सख्ती से भींच रखी थी. और उन्हे एक दूसरे पर रगड़ रही थी. उसके मुँह से हल्की हल्की कराह की आवाज़ निकल रही थी. मैने उसको डिस्टर्ब करना उचित नही समझा और उसी तरह दबे पाओ वापस चली आए. आज की रात उसके फ़ैसले की रात थी. उसे नींद तो आनी ही नही थी. हो सकता है सारी रात सोचने मे निकल जाए. इसलिए मैं उसे किसी तरह की रुकावट नही देना चाहती थी.
अगली सुबह मैं उठी तो सामने रचना को खड़े हुए पाया. उसके हाथ मे चाइ की ट्रे थी.
"उठ गयी राधा?" उसने चहकते हुए पूछा. उसका चेहरा खुशी से दमक रहा था. उसने एक छोटी सी, जांघों के बीच तक लंबी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी उसके कंधे से दो डोरियों पर लटकी हुई थी. उसके पहनावे को और उसके बातों की खनक से मैं समझ गयी कि उसने फ़ैसला कर लिया है और वो फ़ैसला मैं जैसा चाहती हूँ वैसा ही हुआ है.
"आ बैठ बिस्तर पर." मैने बिस्तर मे जगह बनाते हुए कहा. मैं उस वक़्त बिल्कुल नग्न थी. राज शर्मा भी नग्न एक ओर करवट लेकर लेटा हुया था.
" लगता है रात को बेचारा ठीक से सो नही पाया. तूने लगता है बिकुल ही निचोड़ लिया है इसे." रचना ने कहा.
" अरे ये तो पूरा सांड है सांड. घंटो धक्के मारता रहे फिर भी इसके लंड पर कोई असर नही पड़ता. तू झेलेगी तब पता चलेगा कि किस चीज़ से बना है ये पहाड़." मैने रचना की जांघों पर एक चिकोटी काटी.
" तू मुझे बहुत परेशान करती है. मेरी सबसे अच्छी सहेली मेरी सबसे बड़ी दुश्मन बन रही है." रचना ने मुझे गुदगुदी करते हुए कहा, "क्यों मेरे जज्बातों को हवा दे रही है. जब से पहली बार तेरे
राज शर्मा को देखा था तब से ही मन ही मन मैं इसे चाहती थी. लेकिन तूने हमारे बीच परे पर्दे को टुकड़े टुकड़े कर दिया. अगर मैं तेरे राज शर्मा को लेकर भाग गयी तो?"
" तो क्या तूने अपनी सहेली को इतने कमजोर दिल वाला समझा है क्या? मुझे मालूम है कि मैं तुम दोनो से जितना प्यार करती हूँ तुम दोनो मुझसे उससे भी कहीं ज़्यादा प्यार करते हो."
हम दोनो के दूसरे को गुद गुडी कर रहे थे, चिकोटी काट रहे थे. इस तरह छीना झपटी मे बहुत जल्दी ही रचना का भी हमारे जैसा ही हाल हो गया. उसकी नाइटी भी उसके बदन से मैने नोच कर अलग कर दी. हम तीनो उस कमरे मे बिल्कुल नग्न थे. राज शर्मा भी इस धीन्गा मुष्टि मे सोया नही रह सका और आँखें रगड़ता हुया उठा. सामने एक नही दो दो नग्न खूबस्सूरत महिलाओं को देख कर उसका लंड एकदम से हरकत करने लगा. हम दोनो नेउसे धक्का देकर बिस्तर पर वापस गिरा दिया और उसके ऊपर कूद कर उसके लंड को सहलाने मसल्ने लगे. राज शर्मा हमारी हरकतों का मज़ा लेने लगा. वो हम दोनो को अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा और हमारी कमर को अपने बाजूयों मे भर कर अपने सीने से जाकड़ लिया. उसके बाजुओं मे इतना दम था कि हम दोनो छ्छूटने के लिए च्चटपटाने लगे. रचना किसी तरह उसकी बाजुओं से फिसल गयी और उसे ठेंगा दिखाती हुई अपने कपड़े उठाकर कमरे से भाग गयी.
क्रमशः...........................
"लो इसे मुँह मे लेकर प्यार करो." राज शर्मा ने कहा तो वो झिझकने लगी.
" इसमे झिझक कैसी? तुम्हारे साथ संभोग तो कर नही रहा है. तूने कल के लिए कहा तो राज शर्मा ने मान लिया अब उसके लंड को प्यार करने से भी क्यों झिझक रही है. वैसे तो राज शर्मा के लंड को याद कर करके झाड़ जाती है अब नखरे दिखा रही है." मैने उसके ज़ज्बात को चोट पहुँचाया तो उसने भी बिना किसी कशमकश के अपने होंठ खोल कर राज शर्मा के लंड को अंदर प्रवेश करने की जगह दे दी. राज शर्मा का लंड उसके मुँह मे घुस गया उसके बाल खुल कर चेहरे को चारों ओर से ढांप लिए थे. मैने उसके बालों को चेहरे पर से हटाया तो रचना का प्यारा सा चेहरा राज शर्मा के लंड को अपने होंठों के बीच से अंदर बाहर करता नज़र आया. रचना राज शर्मा के लंड को तेज़ी से अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी. राज शर्मा अपनी गर्देन को बिस्तर से उठा कर रचना की हरकतों को निहार रहा था. रचना के सिर को अपने दोनो हाथों से थम रखा था. रचना राज शर्मा के लंड के साथ मच मैंतुन करते हुए उसके बॉल्स को अपने हाथों से सहला रही थी. बीच बीच मे लंड को अपने मुँह से निकाल कर उसके बाल्स पर अपनी जीभ फिरा देती थी. एक दो बार तो उसके एक एक बॉल को अपने मुँह मे भर कर भी उसने चूसा. राज शर्मा का लंड इतने सबके बाद भी सोया कैसे रह सकता था. वो वापस अपने पूरे फॉर्म मे आ गया था. अब उसे दोबारा सुलाना मेरी ज़िम्मेदारी थी. लेकिन मैने अपनी तरफ से कोई उतावलापन नही दिखाया. मैं इस बार राज शर्मा के रस का स्वाद रचना को देना चाहती थी. रचना का भी शायद यही प्लान था. इसलिए जब राज शर्मा का लंड उत्तेजना मे फुंफ़कारने लगा, झटके देने लगा तो रचना ने अपनी गति बढ़ा दी. राज शर्मा भी उसके सिर को सख्ती से पकड़ कर अपने लंड को पूरा अंदर करने की नाकाम कोशिश करने लगा. रचना हाँफ रही थी. काफ़ी देर से उस लंड से जो मशक्कत करना पड़ रहा था. आख़िर राज शर्मा ने उसके सिर को अपने लंड पर सख्ती से दबा कर ढेर सारा वीर्य उसके मुँह मे उडेल दिया. रचना साँस लेने को च्चटपटा रही थी मगर राज शर्मा के आगे उसकी एक नही चल पा रही थी. राज शर्मा ने उसे तभी छोड़ा जब उसका लंड पूरा खाली होकर सिकुड़ने लगा था.
राज शर्मा ने उसे खींच कर अपने पसीने से भीगे बदन से लिपटा लिया. रचना भी किसी कमजोर लता की तरह उसके बदन से लिपट गयी और अपने कसे हुए स्तनो को राज शर्मा की चौड़ी छाती पर मसल्ने लगी. राज शर्मा के लंड को अपने हाथों से सहला रही थी. रचना राज शर्मा के सीने मे अपना चेहरा छिपा कर आँखें बंद करके पड़ी थी.
कुछ देर बाद रचना धीरे से उठी और दौड़ते हुए सीधे बाथरूम मे घुस गयी. काफ़ी देर तक अपने बदन की गर्मी को ठंडे पानी से ठंडा करने के बाद ही वो बाहर निकली.
मैने उसे अपने साथ सोने के लिए मनाना चाहा मगर वो मेरी बात बिल्कुल भी नही मानी और अपने बेडरूम मे चली गयी. कुछ ही देर मे राज शर्मा भी खर्राटे लेने लगा. मैं दबे पाओ उठी और रचना के बेडरूम मे झाँक कर देखा. रचना बिल्कुल निवस्त्र लेटी हुई थी. उसका एक हाथ दोनो पैरों के जोड़ों के बीच रखा हुआ था और उसकी लंबी लंबी उंगलियाँ उसकी योनि के अंदर बाहर हो रही थी. वो अपने दोनो पैरों को एक दूसरे के साथ सख्ती से भींच रखी थी. और उन्हे एक दूसरे पर रगड़ रही थी. उसके मुँह से हल्की हल्की कराह की आवाज़ निकल रही थी. मैने उसको डिस्टर्ब करना उचित नही समझा और उसी तरह दबे पाओ वापस चली आए. आज की रात उसके फ़ैसले की रात थी. उसे नींद तो आनी ही नही थी. हो सकता है सारी रात सोचने मे निकल जाए. इसलिए मैं उसे किसी तरह की रुकावट नही देना चाहती थी.
अगली सुबह मैं उठी तो सामने रचना को खड़े हुए पाया. उसके हाथ मे चाइ की ट्रे थी.
"उठ गयी राधा?" उसने चहकते हुए पूछा. उसका चेहरा खुशी से दमक रहा था. उसने एक छोटी सी, जांघों के बीच तक लंबी नाइटी पहन रखी थी. नाइटी उसके कंधे से दो डोरियों पर लटकी हुई थी. उसके पहनावे को और उसके बातों की खनक से मैं समझ गयी कि उसने फ़ैसला कर लिया है और वो फ़ैसला मैं जैसा चाहती हूँ वैसा ही हुआ है.
"आ बैठ बिस्तर पर." मैने बिस्तर मे जगह बनाते हुए कहा. मैं उस वक़्त बिल्कुल नग्न थी. राज शर्मा भी नग्न एक ओर करवट लेकर लेटा हुया था.
" लगता है रात को बेचारा ठीक से सो नही पाया. तूने लगता है बिकुल ही निचोड़ लिया है इसे." रचना ने कहा.
" अरे ये तो पूरा सांड है सांड. घंटो धक्के मारता रहे फिर भी इसके लंड पर कोई असर नही पड़ता. तू झेलेगी तब पता चलेगा कि किस चीज़ से बना है ये पहाड़." मैने रचना की जांघों पर एक चिकोटी काटी.
" तू मुझे बहुत परेशान करती है. मेरी सबसे अच्छी सहेली मेरी सबसे बड़ी दुश्मन बन रही है." रचना ने मुझे गुदगुदी करते हुए कहा, "क्यों मेरे जज्बातों को हवा दे रही है. जब से पहली बार तेरे
राज शर्मा को देखा था तब से ही मन ही मन मैं इसे चाहती थी. लेकिन तूने हमारे बीच परे पर्दे को टुकड़े टुकड़े कर दिया. अगर मैं तेरे राज शर्मा को लेकर भाग गयी तो?"
" तो क्या तूने अपनी सहेली को इतने कमजोर दिल वाला समझा है क्या? मुझे मालूम है कि मैं तुम दोनो से जितना प्यार करती हूँ तुम दोनो मुझसे उससे भी कहीं ज़्यादा प्यार करते हो."
हम दोनो के दूसरे को गुद गुडी कर रहे थे, चिकोटी काट रहे थे. इस तरह छीना झपटी मे बहुत जल्दी ही रचना का भी हमारे जैसा ही हाल हो गया. उसकी नाइटी भी उसके बदन से मैने नोच कर अलग कर दी. हम तीनो उस कमरे मे बिल्कुल नग्न थे. राज शर्मा भी इस धीन्गा मुष्टि मे सोया नही रह सका और आँखें रगड़ता हुया उठा. सामने एक नही दो दो नग्न खूबस्सूरत महिलाओं को देख कर उसका लंड एकदम से हरकत करने लगा. हम दोनो नेउसे धक्का देकर बिस्तर पर वापस गिरा दिया और उसके ऊपर कूद कर उसके लंड को सहलाने मसल्ने लगे. राज शर्मा हमारी हरकतों का मज़ा लेने लगा. वो हम दोनो को अपनी बाहों मे भर कर चूमने लगा और हमारी कमर को अपने बाजूयों मे भर कर अपने सीने से जाकड़ लिया. उसके बाजुओं मे इतना दम था कि हम दोनो छ्छूटने के लिए च्चटपटाने लगे. रचना किसी तरह उसकी बाजुओं से फिसल गयी और उसे ठेंगा दिखाती हुई अपने कपड़े उठाकर कमरे से भाग गयी.
क्रमशः...........................