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- Dec 5, 2013
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लल्लू जो वही पास में खटिया पर लेटा था. उसे अपनी मा की बात सुन कर खशी आ गई.
ऋतु- (मन में) हे राम क्या बोल रही है ये रंडी. अपने बेटे से चुदना चाहती है. कैसे बता डू की में अब उसकी दीदी नही बल्कि बहूँ बन गई हूँ और वो मेरी सासू मा.
मा- मुआ तुम्हे क्या हुआ तू क्यू खांसने लगा.
लल्लू- कुछ नही मा. मूह में मक्खी चला गया था.
ऋतु- चलो अब थोड़ा आराम कर लो सब.
फिर सब उठ कर अपने अपने कमरे में आराम करने चले गये.
लल्लू ऋतु की और देख रहा था की शायद बुला ले उसे लेकिन ऋतु सीधा अपने कमरे में चली गई.
लल्लू बड़ा मायूष हो गया.
खटिया पर बैठा बैठ उब् गया था अब वो.
वहाँ से उठ के वो दालान पर आ गया.
तभी ऋतु बाहर निकल कर चुपके से लल्लू को बुलाने आ रही थी लेकिन लल्लू तो जा चुका था दालान पर.
ऋतु मायूष हो कर वापस कमरे में चली गई.
लल्लू दालान पर आया तो सुनील बैठा हुआ था जो लल्लू को देख कर उसे अपने पास बुलाया.
सुनील- बेटा कब चलना है बाज़ार.
लल्लू- जब कहे आप काका.
सुनील- थी है फिर जा कर तैयार हो जा फिर चलते है.
लल्लू वापस आँगन में आ कर मा के पास चला गया.
कमरे में काजल अकेली सो रही थी सोने से उसका सारी उसकी जाँघो तक ऊपर हो गया था.
लल्लू अपनी मा का मोटी जाँघ को देख कर उसे ऋतु की मोटी गदराई जंघे याद आने लगी.
उसकी मा की जंघे ऋतु के जाँघो से और भी मोटी और गोरी लग रही थी.
लल्लू ये देख कर अपने लॉडा मसलने लगा.
तभी काजल करवट बदल कर सो गई.
लल्लू घबरा कर पीछे हो गया.
लल्लू- ( पता नही क्या हो गया है मुझे.) मा ऊ मा. उठ.. मुझे बाज़ार जाना है. ज़रा कपड़े निकाल कर दे.
मा लल्लू की बात सुन कर आँखे खोल देखी.
मा- क्या हुआ. अभी तो नींद आया था और तुम उठा दिए.
लल्लू- मा मुझे बाज़ार जाना है. कपड़े दे ना.
काजल उठ कर लल्लू को कपड़े निकाल कर दे दी.
लल्लू कपड़े ले कर वही सारे कपड़े खोल नंगा हो गया और दूसरे कपड़े जो उसे काजल निकाल कर दी थी वो पहनने लगा.
काजल- ऐसे सारे कपड़े खोल कर नंगा नही होते कही भी. अब तुम बड़े हो गये हो ना.
काजल लल्लू के लौड़े को देखते हुए बोली.
काजल लल्लू के लौड़े को देख कर बहकति जा रही थी.
लल्लू- मा में कही भी थोड़े ना कपड़े खोल रहा हूँ. में तो कमरे में हूँ.
मा- लेकिन बेटा. अब तुम बड़े हो गये हो और यहाँ में भी तो हूँ. तू मेरे सामने ही नंगा हो गये.
लल्लू- मा तुम ही तो कहती हो की बच्चे मा बाप के लिए कभी बड़े नही होते. और अब तुम ही कहती हो की में बड़ा हो गया हूँ. अब तुम ही बताओ में कौन सी बात मानु.
काजल लल्लू की बात सुन कर अपना सर पीट ली.
काजल- बेटा आगे से ऐसे किसी के भी सामने नंगा नही होना. नही तो सब हँसेंगे तुम पर.
लल्लू- ठीक है मा.
लल्लू कपड़ा पहन कर दालान पर आ गया.
वहाँ सुनील भी तैयार था.
दोनो साथ में बाज़ार को चल दिए बुलेट पर.
ऋतु- (मन में) हे राम क्या बोल रही है ये रंडी. अपने बेटे से चुदना चाहती है. कैसे बता डू की में अब उसकी दीदी नही बल्कि बहूँ बन गई हूँ और वो मेरी सासू मा.
मा- मुआ तुम्हे क्या हुआ तू क्यू खांसने लगा.
लल्लू- कुछ नही मा. मूह में मक्खी चला गया था.
ऋतु- चलो अब थोड़ा आराम कर लो सब.
फिर सब उठ कर अपने अपने कमरे में आराम करने चले गये.
लल्लू ऋतु की और देख रहा था की शायद बुला ले उसे लेकिन ऋतु सीधा अपने कमरे में चली गई.
लल्लू बड़ा मायूष हो गया.
खटिया पर बैठा बैठ उब् गया था अब वो.
वहाँ से उठ के वो दालान पर आ गया.
तभी ऋतु बाहर निकल कर चुपके से लल्लू को बुलाने आ रही थी लेकिन लल्लू तो जा चुका था दालान पर.
ऋतु मायूष हो कर वापस कमरे में चली गई.
लल्लू दालान पर आया तो सुनील बैठा हुआ था जो लल्लू को देख कर उसे अपने पास बुलाया.
सुनील- बेटा कब चलना है बाज़ार.
लल्लू- जब कहे आप काका.
सुनील- थी है फिर जा कर तैयार हो जा फिर चलते है.
लल्लू वापस आँगन में आ कर मा के पास चला गया.
कमरे में काजल अकेली सो रही थी सोने से उसका सारी उसकी जाँघो तक ऊपर हो गया था.
लल्लू अपनी मा का मोटी जाँघ को देख कर उसे ऋतु की मोटी गदराई जंघे याद आने लगी.
उसकी मा की जंघे ऋतु के जाँघो से और भी मोटी और गोरी लग रही थी.
लल्लू ये देख कर अपने लॉडा मसलने लगा.
तभी काजल करवट बदल कर सो गई.
लल्लू घबरा कर पीछे हो गया.
लल्लू- ( पता नही क्या हो गया है मुझे.) मा ऊ मा. उठ.. मुझे बाज़ार जाना है. ज़रा कपड़े निकाल कर दे.
मा लल्लू की बात सुन कर आँखे खोल देखी.
मा- क्या हुआ. अभी तो नींद आया था और तुम उठा दिए.
लल्लू- मा मुझे बाज़ार जाना है. कपड़े दे ना.
काजल उठ कर लल्लू को कपड़े निकाल कर दे दी.
लल्लू कपड़े ले कर वही सारे कपड़े खोल नंगा हो गया और दूसरे कपड़े जो उसे काजल निकाल कर दी थी वो पहनने लगा.
काजल- ऐसे सारे कपड़े खोल कर नंगा नही होते कही भी. अब तुम बड़े हो गये हो ना.
काजल लल्लू के लौड़े को देखते हुए बोली.
काजल लल्लू के लौड़े को देख कर बहकति जा रही थी.
लल्लू- मा में कही भी थोड़े ना कपड़े खोल रहा हूँ. में तो कमरे में हूँ.
मा- लेकिन बेटा. अब तुम बड़े हो गये हो और यहाँ में भी तो हूँ. तू मेरे सामने ही नंगा हो गये.
लल्लू- मा तुम ही तो कहती हो की बच्चे मा बाप के लिए कभी बड़े नही होते. और अब तुम ही कहती हो की में बड़ा हो गया हूँ. अब तुम ही बताओ में कौन सी बात मानु.
काजल लल्लू की बात सुन कर अपना सर पीट ली.
काजल- बेटा आगे से ऐसे किसी के भी सामने नंगा नही होना. नही तो सब हँसेंगे तुम पर.
लल्लू- ठीक है मा.
लल्लू कपड़ा पहन कर दालान पर आ गया.
वहाँ सुनील भी तैयार था.
दोनो साथ में बाज़ार को चल दिए बुलेट पर.