Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा - Page 5 - SexBaba
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Mastram Sex kahani मर्द का बच्चा

लल्लू जो वही पास में खटिया पर लेटा था. उसे अपनी मा की बात सुन कर खशी आ गई.

ऋतु- (मन में) हे राम क्या बोल रही है ये रंडी. अपने बेटे से चुदना चाहती है. कैसे बता डू की में अब उसकी दीदी नही बल्कि बहूँ बन गई हूँ और वो मेरी सासू मा.

मा- मुआ तुम्हे क्या हुआ तू क्यू खांसने लगा.

लल्लू- कुछ नही मा. मूह में मक्खी चला गया था.

ऋतु- चलो अब थोड़ा आराम कर लो सब.

फिर सब उठ कर अपने अपने कमरे में आराम करने चले गये.

लल्लू ऋतु की और देख रहा था की शायद बुला ले उसे लेकिन ऋतु सीधा अपने कमरे में चली गई.

लल्लू बड़ा मायूष हो गया.
खटिया पर बैठा बैठ उब् गया था अब वो.
वहाँ से उठ के वो दालान पर आ गया.
तभी ऋतु बाहर निकल कर चुपके से लल्लू को बुलाने आ रही थी लेकिन लल्लू तो जा चुका था दालान पर.
ऋतु मायूष हो कर वापस कमरे में चली गई.

लल्लू दालान पर आया तो सुनील बैठा हुआ था जो लल्लू को देख कर उसे अपने पास बुलाया.

सुनील- बेटा कब चलना है बाज़ार.
लल्लू- जब कहे आप काका.

सुनील- थी है फिर जा कर तैयार हो जा फिर चलते है.

लल्लू वापस आँगन में आ कर मा के पास चला गया.
कमरे में काजल अकेली सो रही थी सोने से उसका सारी उसकी जाँघो तक ऊपर हो गया था.
लल्लू अपनी मा का मोटी जाँघ को देख कर उसे ऋतु की मोटी गदराई जंघे याद आने लगी.
उसकी मा की जंघे ऋतु के जाँघो से और भी मोटी और गोरी लग रही थी.
लल्लू ये देख कर अपने लॉडा मसलने लगा.

तभी काजल करवट बदल कर सो गई.
लल्लू घबरा कर पीछे हो गया.

लल्लू- ( पता नही क्या हो गया है मुझे.) मा ऊ मा. उठ.. मुझे बाज़ार जाना है. ज़रा कपड़े निकाल कर दे.

मा लल्लू की बात सुन कर आँखे खोल देखी.
मा- क्या हुआ. अभी तो नींद आया था और तुम उठा दिए.
लल्लू- मा मुझे बाज़ार जाना है. कपड़े दे ना.

काजल उठ कर लल्लू को कपड़े निकाल कर दे दी.

लल्लू कपड़े ले कर वही सारे कपड़े खोल नंगा हो गया और दूसरे कपड़े जो उसे काजल निकाल कर दी थी वो पहनने लगा.

काजल- ऐसे सारे कपड़े खोल कर नंगा नही होते कही भी. अब तुम बड़े हो गये हो ना.
काजल लल्लू के लौड़े को देखते हुए बोली.

काजल लल्लू के लौड़े को देख कर बहकति जा रही थी.

लल्लू- मा में कही भी थोड़े ना कपड़े खोल रहा हूँ. में तो कमरे में हूँ.

मा- लेकिन बेटा. अब तुम बड़े हो गये हो और यहाँ में भी तो हूँ. तू मेरे सामने ही नंगा हो गये.

लल्लू- मा तुम ही तो कहती हो की बच्चे मा बाप के लिए कभी बड़े नही होते. और अब तुम ही कहती हो की में बड़ा हो गया हूँ. अब तुम ही बताओ में कौन सी बात मानु.

काजल लल्लू की बात सुन कर अपना सर पीट ली.

काजल- बेटा आगे से ऐसे किसी के भी सामने नंगा नही होना. नही तो सब हँसेंगे तुम पर.

लल्लू- ठीक है मा.

लल्लू कपड़ा पहन कर दालान पर आ गया.
वहाँ सुनील भी तैयार था.
दोनो साथ में बाज़ार को चल दिए बुलेट पर.
 
सुनील के पास एक बुलेट थी.

बाज़ार गाँव से 5 किमी दूर था.
वहाँ जा कर सुनील लल्लू को ले कर एक रेडीमेड गारमेंट्स क दुकान में ले गया.

सुनील- भैया ज़रा मेरे बेटे क नाप क अच्छे अच्छे चार सेट निकाल दो.

दुकान वाला गाँव का ही था जो इन लोगो को अच्छी तरह पहचानता था.

दुकानदार- इधर आ जाओ बेटा.
फिर दुकानदार लल्लू के लिए चार सेट उसके नाप के पेंट शर्ट गांजी जांघा सब निकाल कर एक थैले में पॅक कर दिया.

वहाँ से निकल कर सुनील और लल्लू दूसरे दुकान पर आ गये.
ये शूस का दुकान था वहाँ से सुनील ने लल्लू के लिए एक जोड़े संडल और एक जोड़े जुते खरीद दी.

वहाँ से ये दोनो बाहर आ गये.
सुनील- और कुछ लेना है बेटा.

लल्लू- काका क्यू ना सब के लिए कुछ खाने को ले लू. बहुत दिन हो गया सब के लिए कुछ ले कर नही गये है.

सुनील- वो तो ले लेंगे बेटा लेकिन तुम्हे अपने लिए कुछ और चाहिए तो बता.

लल्लू- नही काका जी. आप के रहते मुझे और क्या माँगना पड़ेगा. आप माँगने से पहले ही सब ला देते है.

फिर सुनील लल्लू के साथ एक चाट वाले क दुकान पर जा कर सब के लिए चाट पॅक करवा लिया और फिर वही से गरमागर्म जलेबी भी ले ली.
सब ले कर दोनो फिर अपने गाँव को चल दिए.

घर आ कर लल्लू अपने कपड़े को मा को पकड़ा दिया रखने को और खाने का समान रागिनी काकी को.

रागिनी आवाज़ दे कर अपने बड़ी बेटी मीनू को बुला कर उसे वो पॅकेट पकड़ा दी.

मीनू- इस में क्या है मा.

रागिनी- तुम लोगो को तो अपने भाई से कोई मतलब ही नही रहता. लेकिन ये तुम सब का ख़याल रखता है.

बाज़ार गया था तो सब के लिए कुछ खाने को लाया है. निकाल कर सब को दे.

मीनू खुशी से उछालती हुई वो पॅकेट ले कर रसोई में चली गई और वहाँ जा कर सब के लिए प्लेट में निकाल दी.

मीनू- वाउ चाट और जलेबी. बहुत दिन हो गये थे खाए हुए.

मीनू पहले दालान पर सभी मर्द लोगो को दे आई.
उसके बाद अपने मा और काकियों क ग्रूप में दे कर बाकी जितना बचा था सब ले कर अपने कमरे में चली गई.

लल्लू खटिया पर बैठा सब देख रहा था.
वो अपने लिए इंतजार कर रहा था की अब आएगा मेरा प्लेट अब आएगा लेकिन मीनू समझी की भाई लाया है तो वो वहाँ खा कर ही आया होगा. इसी चक्कर में लल्लू का उपवास हो गया.

काजल और ऋतु बार बार लल्लू को देख रहे थे.
काजल- मीनू. अपने भाई को नही दी तुम ने.

लल्लू- में खा कर आया हूँ. ( बोल कर वो वहाँ से उठ कर बाहर चला गया.)
बाहर आ कर लल्लू केई दिन से नदी किनारे नही गया था तो वहाँ चला गया.
अंधेरा होने तक लल्लू वही बैठा रहा.
सोचता रहा की उसकी क्या ग़लती है की वो एक जवान लड़का हो कर भी नादान है, बच्चो क जैसा है.
लल्लू को रोना आ रहा था अपने किस्मत पर की ऊपर वाले ने उसका शरीर तो बड़ा कर रहे है लेकिन दिमाग़ नही बढ़ा रहे.

अंधेरा होने के बाद लल्लू वहाँ फ्रेश हुआ ओर चल दिया घर की और.
 
दालान पर आ कर पहले नलका पर जा कर हाथ मूह धोया फिर आँगन आ गया.

लल्लू- मा मा कहाँ हो .

ऋतु- अब तू बड़ा हो गया है. ये बच्चो की तरह मा मा करना छोड़.

लल्लू- वो मा के पास मेरे कपड़े है. तो में सोच रहा था की एक बार पहन कर सारे देख लेता अगर कोई कमी होगी तो कल जा कर बदलवा लेंगे.

ऋतु- ये सब अब सुबह करना. तू मेरे साथ आ.

ऋतु लल्लू का हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गई.
वहाँ जाते ही ऋतु लल्लू के होंठो पर अपना होंठ लगा कर चूसने लगी.

लल्लू भी ऋतु का पूरा साथ दे रहा था.
लल्लू एक हाथ से ऋतु के मोटे चुचे को पकड़ कर मसलने लगा और दूसरे हाथ से उसके हाथ को पकड़ कर अपने लौड़े पर रख दिया जो अब थोड़ा थोड़ा खड़ा हो रहा था.

ऋतु अपने आँखे बंद किए मज़े से होंठ चुस्ती अपना चुचे मीस्वा रही थी और लल्लू के लौड़े को मसल रही थी एक हाथ से.

ऋतु- आज रात यही सो जाना. ( ऋतु लल्लू से अलग हो कर बोली)
लल्लू आगे बढ़ कर ऋतु को पकड़ लिया और गले लगा कर उसके होंठो को फिर से चूसने लगा.

ऋतु लल्लू के बालो में हाथ चलती उसका साथ दे रही थी.

ऋतु- अभी ये सब करना सही नही है. कोई आ जायगा तो मुस्किल होगी. अभी तू बैठ यहाँ में अभी आई.

ऋतु लल्लू को बेड पर बैठा कर खुद बाहर चली गई.
थोड़ी देर बाद जब वापस आई तो उसके हाथ में बाज़ार से लाया चाट और जलेबी थी.

ऋतु- ऐसे नाराज़ नही होते. मीनू समझी की तू खा कर आया है. इसी लिए तुम्हे नही दी थी.
ये खा ले तब तक खाना बन रहा है.

लल्लू चुप चाप नाश्ता कर लिया.

नाश्ते के बाद लल्लू बाहर आ कर आँगन में खाट पर बैठ गया.

काजल- दीदी के पास जा कर थोड़ा पढ़ाई कर ले.
काजल लल्लू के पास आ कर बोली.

लल्लू- नही. वहाँ उन लोगो के पास में नही जाउन्गा.
काजल- नाराज़ नही होते. वो सब तुम्हारी बहन है. सॉरी भी तो बोला था ना.

लल्लू- में नही जाउन्गा.

लल्लू उठ कर दालान पर आ गया.

शालिनी- क्या हुआ. क्या कह दी जो वो दालान भाग गया.

काजल- क्या कहूं . कभी कभी इसके जीवन की मुझे बड़ी चिंता होती है. इसका बाप कुछ समझता नही. कैसे कटेगी इसकी जिंदगी.

ऋतु- क्यू क्या हुआ मेरे बेटे को. कितना अच्छा बहादुर बच्चा है मेरा.

काजल- पता नही कभी कभी क्या हो जाता है इसे. अभी बोली हूँ दीदी लोगो के पास जा कर पढ़ाई कर ले तो मना कर दिया और दालान पर भाग गया.

ऋतु- तू चिंता मत कर सब ठीक हो जायगा.

काजल- कैसे चिंता ना करू. एक ही तो लड़का है. एक था तो उसे सब आर्मी में भेज रखे है और एक ये है तो वो भी बच्चे जैसा. शरीर बढ़ रहा है लेकिन दिमाग़ अभी भी बच्चो का ही है.

शालिनी- इतना मत सोचा कर. सब सही हो जायगा. वक्त सब सही कर देगा.

गौरी..( शालिनी गौरी को आवाज़ देती बोली.)

गौरी- क्या है. पढ़ाई कर रही हूँ में.

शालिनी- जा दालान पर भाई है उसे बुला कर ले जा अपने साथ बैठा कर पढ़ा.

गौरी भुनभुनाती हुई दालान चली गई लल्लू को बुलाने.

गौरी- भाई पढ़ाई करने चलो.

लल्लू- मुझे नही पढ़ना है.

सुनील- गंदी बात बेटा. जा अपनी बहन के साथ जा कर पढ़ाई कर.

लल्लू अब सुनील काका की बात ताल भी नही सकता था कोई और होता तो मना भी कर देता.

लल्लू वहाँ से उठ कर गौरी के साथ चल दिया.

गौरी लल्लू को ले कर अपने कमरे में पहुचि जहा दो टेबल लगा कर सभी लड़किया उसके चारो और कुर्सी पर बैठे थे.

लल्लू वहाँ जा कर खड़ा हो गया.
 
गौरी लल्लू को ले कर अपने कमरे में पहुचि जहा दो टेबल लगा कर सभी लड़किया उसके चारो और कुर्सी पर बैठे थे.

लल्लू वहाँ जा कर खड़ा हो गया.

गौरी- भाई पढ़ने आया है. मा बोली है भाई को पढ़ा देने को.

सोनम- आ भाई मेरे पास बैठ.

लल्लू सोनम के पास जा कर खड़ा हो गया. वहाँ सोनम के पास रानी बैठी हुई थी. कोई दूसरा कुर्सी खाली नही था.

सोनम- रानी तुम दूसरे कुर्सी पर चली जा. यहाँ भाई को बैठने दे.

रानी उठ कर वहाँ से दूसरी और चली गई.

लल्लू उस कुर्सी पर बैठ गया.

लल्लू- थैंक यु रानी.

रानी लल्लू की बात सुन कर मुस्कुरा दी.

सोनम- भाई अब मुझे बता कुंभ में क्या क्या किया.

लल्लू- लेकिन दीदी मा तो पढ़ने को बोली है ना.

सोनम- पढ़ेंगे भी भाई लेकिन पहले बता ना वहाँ क्या हुआ था. हम सब तुम्हारे मूह से सुनना चाहते है.

लल्लू सिर उठा कर देखा तो सभी लल्लू के चेहरे को ही देख रहे थे.

लल्लू- दीदी सब से पहले तो सुबह जो हुआ उसके लिए सॉरी. में ध्यान नही दिया. वो मा बता रही थी की में अभी बच्चा हूँ ना तो इसी लिए में दरवाजा नही खटकाया.

दूसरी बात कुंभ की कहानी में सुनाऊंगा लेकिन आप सब को मुझ से वादा करना पड़ेगा की आप सब मुझ से कभी नाराज़ नही होंगे.
आप लोग मुझ से नाराज़ होते हो तो मेरे यहाँ( अपने छाती में दिल वाले हिस्से पर हाथ रख कर) बहुत दर्द होता है. मुझे ज़ोर ज़ोर से रोने का मान करने लगता है. फिर मेरा मन करता है की में खुद को कुछ कर लू.

लल्लू के आँखो से आँसू निकल रहे थे और यही हाल सभी बहनो का भी था.

कोमल कुर्सी से उठ कर दौड़ कर आई और लल्लू को गले से लगा कर पूरे चेहरे को चूमने लगी.
सोनम पास ही बैठी थी तो वो तो सब से पहले लल्लू को अपने आगोश में ले ली.

कोमल रोते हुए - ऐसी बाते करेगा तो बता तुझे मारू नही तो क्या प्यार करू. क्यू करता है तू ऐसा. अगर तुझे कुछ हो जायगा तो में कैसे जियूँगी. में भी मर जाउन्गी.

कोमल रोती हुई बोलती भी जा रही थी और लल्लू को चूमे भी जा रही थी.

रोमा- अरी मोटी हट यहाँ से. ये सिर्फ़ तेरा ही भाई नही है. हम सब का भी है.

कोमल को हटा कर रोमा लल्लू को अपने गले से लगा ली.

मीनू- अरी घोड़ी हट यहाँ से. ये तेरा ही नही हम सब का भी भाई है.

रोमा को खिचती मीनू बोली.

सोनम- एक मिनिट एक मिनिट. सब हाथों ज़रा यहाँ से.
सोनम सभी बहनो में बड़ी थी तो सब सोनम की बात मानते थे.
सभी बहने लल्लू को छोड़ कर हट गई.

सोनम- भाई तुम ने बहुत ग़लत बात बोली है. जिसको तुम्हे सज़ा मिलेगा.

रोमा- प्लीज़ दीदी. अब फिर मत रुला भाई को नही तो काका बहुत मारेंगे.

सोनम- चुप. सब चुप. कोई कुछ नही बोलेगा. जा जा कर पहले दरवाजा लगा.

लल्लू सिर झुकाए कुर्सी पर बैठा था.
रोमा जा कर दरवाजा लगा दी.

सोनम खड़ी हो कर लल्लू का हाथ पकड़ कर उठाई और उसे पकड़ कर बेड के पास ले आई और वहाँ बेड पर धकेल कर गिरा दी.

सोनम- लो भाई अब तुम सब का भाई तैयार है. सब टूट पड़ो एक साथ.
पहले एक एक कर के गले लगाने में परेशानी होती थी ना.

कोमल- वाउ दी. आप ने तो डरा ही दिया था. में तो समझी की आज पक्का घर से निकलना पड़ेगा.

फिर सारी बहने एक साथ लल्लू पर टूट पड़ी.
 
अब बेचारा लल्लू नीचे दबा हुआ था और उसके ऊपर सोनम, रोमा, मीनू, कोमल, रानी और गौरी सभी बहने कूद गई थी.

लल्लू सब से नीचे बड़ा बेबस सा बस इन लोगो का अत्याचार सहे जा रहा था.

कोई लल्लू के गाल चूमती तो कोई ललाट तो कोई चीन, कोई उसे गुदगुदी लगाती तो कोई उसके गाल में दाँत गाढ़ती .
लल्लू का हाथ भी इन लोगो के बीच दबा हुआ था जिस कारण ये किसी को अपने ऊपर से हटा भी नही पा रहा था.

तभी इस उठा पटक में किसी ने लल्लू के होंठो पर अपने होंठ रख दिया तो किसी ने लल्लू के लौड़े को अपने हाथ से पकड़ लिया.
अब लल्लू के लिए ये सब ज़्यादा हो रहा था.

लल्लू जैसे तैसे अपना हाथ निकाला नीचे से तब तक किस ने उसके होंठो को चूम रहा था पता ही नही चला. लल्लू अब अपना हाथ उसके लौड़े को पकड़े हाथ को पकड़ने को बढ़ाया तो लल्लू का हाथ जा कर सोनम के बड़े बड़े टॅंकर पर जा लगा.
तब तक जिस ने लल्लू के लौड़े को पकड़े था वो लल्लू के लौड़े को एक बार कस कर मरोड़ दिया और फिर छोड़ दिया.
लल्लू के मूह से एक अया निकल गई.
फिर लल्लू को भी शरारत सूझी.

लल्लू ने हाथ बढ़ा कर अंदर ले गया और जिसका भी दूध पकड़ में आया ज़ोर से दबा दिया.

सोनम दीदी सब से पहले अलग हो गई और लल्लू को अजीब सी शंका भरी नज़रो से देखने लगी.

उसके बाद लल्लू फिर एक बार नीचे हाथ लाया और फिर एक दूध पकड़ कर बड़ा दिया.

इस बार मीनू आहह करती अपने दूध को सहलाती हुई वहाँ से हट गई.
अब वहाँ कुल चार बहने और लल्लू रह गया था.

लल्लू- दीदी लोग प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो. आगे से में कोई ग़लती नही करूँगा.
प्लीज़ अब बख्श दो.

फिर कोमल लल्लू को छोड़ कर अलग हो गई. अब टीन रह गये थे तो लल्लू को पता था की रोमा और रानी को गुदगुदी बहुत लगता है.

लल्लू उन दोनो को पटक कर गुदगुदी लगाना शुरू कर दिया.

इसी उठा पटक में रोमा की टी शर्ट से एक चुचि पूरा बाहर आ गया.
लल्लू रोमा के दूध को देख कर हांग हो गया.
बिल्कुल राउंड शेप में गोरा दूध उस पर एक किशमिश के दाने के बराबर चूचुक.
रोमा मारे शरम के वहाँ से उठ कर भाग गई.
ये घटना रानी और गौरी भी देख ली तो वो दोनो भी धीरे से खड़ी हो गई.

लल्लू अब अकेला बेड पर लेटा हुआ था.

लल्लू उठ कर बैठ गया.
लल्लू- दी सब आ जाओ यहाँ फिर बताता हूँ की वहाँ क्या हुआ था परसो सुबह.

फिर सभी बहने एक एक कर वहाँ आ कर बैठ गई लल्लू के चारो और सिवाय रीमा के
वो शरम से बाहर चली गई.

फिर लल्लू वहाँ कुंभ में जो हंगामा हुआ वो कह सुनाया.

सुन कर सब बहने बहुत इम्प्रेस हुई.
तभी रोमा सब को खाना खाने बुलाने आई तो सब उठ कर खाना खाने चले गये.
मर्द लोग पहले ही खाना खा चुके थे.
सभी लॅडीस एक बार में ही अपना खाना निकाल कर बैठ जाती है खाने और लल्लू को सोनम अपने साथ बैठा लेती है खाने को.

सोनम- भाई आज मेरे साथ खाना खाएगा.

काजल- क्या बात है आज बड़ा प्यार आ रहा है अपने भाई पर.

गौरी- काकी, क्या है ये. हम प्यार करे. तो बड़ा प्यार आ रहा है और ना करे तो भाई से प्यार ही नही करता.
गौरी की बात सुन कर सब हँसने लगे.

खाना हो जाने के बाद सब बहने झूठा बर्तन ले कर चली गई.
 
ऋतु- लल्लू बेटा. तू आज मेरे पास सो जाना.
लल्लू- (खुश होता हुआ). ठीक है काकी.

फिर लल्लू उठ कर ऋतु के कमरे में चला गया सोने.
बेड पर लेट कर लल्लू ऋतु के आने का इंतजार करने लगा.

रात के किसी पहर लल्लू को अपने लौड़े पर कुछ गर्माहट फील हुआ तो उसकी आँखे खुल गई.

रात सोने जब आया इस कमरे में तो ऋतु के इंतजार करते करते ही लल्लू को नींद आ गई.
बाहर ऋतु सब के साथ बैठे कुंभ की कहानी सुना रही थी.

जब सब एक एक कर उठ कर अपने अपने कमरे में सोने चले गये तब भी काफ़ी देर इंतजार करने के बाद ऋतु आई थी अपने कमरे में.
कमरे में आते ही ऋतु अपनी पानी छोड़ती चूत के हाथो मजबूर हो कर सारे कपड़े निकाल कर एक और रख दी और लल्लू के लौड़े को धोती से निकाल कर उसे मूह में ले कर चुभलने लगी.

लल्लू का मज़े से बुरा हाल था.

लल्लू ऋतु के चुचे को पकड़ कर मीसता हुआ उसके मुख चोदन का आनंद लेने लगा. थोड़ी देर बाद लल्लू ऋतु को बेड पर खिच कर अपने ऊपर उल्टा लेटा लिया 69 क पोज़िशन में और उसके मूह में फिर से अपना लॉडा घुसा दिया.
लल्लू ऋतु के मूह को चोदते हुए ऋतु का मटकी के कुवारे छेद को अपने जीभ से कुरदने लगा.

लल्लू- ऋतु ये कब दोगी.
मुझे तुम्हारा ये मटकी जान ले रहा है.

ऋतु- वो तब मिलेगा जब यहाँ घर में दो दिन के लिए कोई नही होगा. सिर्फ़ हम दोनो ही होंगे.

लल्लू- क्या. ये तो कभी नही होगा.

ऋतु- में अगर तुम्हारा लॉडा अपने ढोलकी में लूँगी तो दो दिन चाहिए मुझे रेस्ट के लिए क्योंकि उसको तुम बिल्कुल फाड़ दोगे. और में चिल्लाउन्गि भी बहुत तो अगर सब होंगे तो सब को पता चल जायगा और सभी लोग हमारे कमरे में इकट्ठा हो जाएँगे.

लल्लू- ये कैसा शर्त है यार.

ऋतु- क्या करू. मेरा भी मन करता है लेकिन जब चुदी हुई चुत का तुम माँ चोद दिए तो ढोलकी में तो अभी तक कुछ भी नही गया है.

ऋतु लल्लू के लौड़े पर ढेर सारा थूक डाल कर उस पर बैठ गई और उठक बैठक लगाती बोली.

लल्लू आगे हाथ से उसकी चुचियो का मर्दन कर रहा था और उधर ऋतु लल्लू के लौड़े पर कूदती हुई उसे चोद रही थी

ऋतु की चूत तो किसी टॅंकर की तरह आज पानी छोड़ रही थी.
पूरे कमरे में गच्छ फ़च्छ फ़च्छ गच्छ की मधुर आवाज़ आ रही थी.

अब लल्लू अपने मूड में आ रहा था.

वो ऋतु को पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया और उसके फटी बुर में अपना लॉडा एक ही बार में जड़ तक घुसा कर हुचक हचक कर चोदने लगा.

ऋतु आहे भरती हुई मज़े से कराहती हुई कमर उठा उठा कर लल्लू के ताल से ताल मिलाए जा रही थी.
चुदवाए जा रही थी.

चूत बहुत गीली थी तो लल्लू का लॉडा बड़ी आसानी से फिसल रही थी.
लल्लू लॉडा निकाल कर उसे ऋतु के मूह में घुसा दिया और चूत में तीन उंगली पेल कर चोदने लगा.
ऋतु तो लल्लू की पूरी दीवानी हो गई थी.

लौड़े को चूस कर उस पर लगा ऋतु की चूत का सारा पानी पिलाने के बाद एक बार फिर लल्लू ऋतु को पलटा कर उसे घोड़ी बना दिया और उसके ढोलकी को पकड़ कर एक ही बार में पूरा जड़ तक लॉडा ठूंस दिया.
दर्द से ऋतु कराह उठी.
लेकिन लल्लू को इसका कोई फ़र्क नही पड़ा.
वो अब दनादन पूरा लॉडा टोपे तक निकाल कर एक ही बार में जड़ तक ठोकता जा रहा था.

ऋतु इस बीच एक बार फारिग हो गई थी और अब दूसरी बार नंबर लगाने वाली थी.
ऋतु-. ईीसस मेरा होने वाला है. प्लीज़ आराम से. हर बार दर्द देता है..
लॉडा है की क्या है ये.

ऋतु- हाय्यी माआ रीि. इसे देख काजल तेरा बेटा तेरे जेठानी को कैसे अपना घोड़ी बना रखा है.
हाइईयाईीई मैं गई.
ऋतु चिल्लाते हुए झड़ने लगी.

लल्लू ऋतु के ढोलक को सहलाता मसलता पीछे से जम के चोदता हुआ उसके ऊपर, ऋतु के गान्ड पर ढेर हो गया.

दोनो ऐसे ही लुढ़के एक दूसरे से चिपके
नींद की हसीन वादियो में खो गये.
 
अपडेट 18.

सुबह के 4 बजे लल्लू की नींद खुल गई.
लल्लू अंगड़ाई लेता हुआ उठ बैठा. गर्दन घुमा कर एक बार ऋतु की और देखा.

इस समय ऋतु के मुखड़े पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे.
ऋतु नंगी पेट के बल एक पैर मोड़ कर सो रही थी.

लल्लू ऋतु के गोल बड़े ढोलकी को देख कर उसका बाबूराव सर उठाने लगा.

लल्लू ऋतु के मटके को अपने दोनो हाथो से सहलाता हुआ उसके दोनो मटकों को अपने मूह में भर भर कर काटने चाटने लगा.

लल्लू को ऋतु के मुड़े हुए पैर के बीच से बर क गुलाबी छेद मन लुभा रहा था.
लल्लू एक उंगली उस छेड़ में घुसा कर निकल लिया और अपने मूह में डाल कर चूसने लगा.

ऋतु लल्लू के इन सुखद हरकतों से कुन्मूनाने लगी.

लल्लू उठ कर ऋतु के पीछे आया और अपने बाबू रॉ पर भेर सारा थूक से चुपड़ कर उसे ऋतु की चूत के सुराख पर लगा कर अंदर ठेल दिया.

ऋतु केसमसा कर उठाने लगी.

लल्लू- ऐसे ही लेटी रह मेरी बुलबुल. सुबह सुबह ठुकाई का मज़ा तो ले.

ऋतु- हाय्यी दैयय्याअ, मेरे सैयया क्या आप का मन रात में नही भरा.

लल्लू- ऐसी लुगाई के होते हुए किस मूरख का मन भर सकता है. मेरा बस चले तो में तो दिन रात तुम्हे ऐसे ही लिटा कर चोदता रहूँ. तेरे जैसे घोड़ी को दिन रात हुमच हुम्मच कर चोदना चाहिए.

ऋतु- (मज़े से आहह भरती हुई..) आहह तो चोद ना. की तू मर्द का बच्चा है. मुझे तो शक हो रहा है. तेरे नीचे एक घोड़ी नंगी चूड़ने के लिए लेटी है और तू चुद चोदने के बदले बाते चोद रहा है.

लल्लू ऋतु की बातों को सुन् कर गुस्से में लंड निकाल कर जड़ तक एक ही बार में ठोक दिया.

ऋतु- हाय्यी मर गइइ. आअहह ऐसी हिी ठोककक अपने घोड़ि को.
 
लल्लू अब ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से पूरा लॉडा टोपा तक निकाल कर जड़ तक ठोकता उसके गान्ड को ज़ोर ज़ोर से मसलता चोदने लगा.

कमरा दोनो की आहो से गूँज रहा था.
ऋतु के कामरस से पूरा कमरा महक रहा था.
ऋतु आहे भरती हुई अपने होंठो को दाँत से दबाए चुद रही थी.

लल्लू ऋतु को चोदता हुआ अपना एक उंगली थूक से गीला किया और ऋतु के गान्ड के अनचुदी गुलाबी छेड़ में कुरदते हुए घुसा दिया.

ऋतु- आहह मुआअ ये क्या कर रहा हाीइ.
आहहे भरती हुई ऋतु इस दोहरे हमले को झेल नही पाई और झड़ गई.

झड़ कर ऋतु निढाल हो कर लेट गई.
लल्लू लॉडा निकाल कर ऋतु को पीठ के बल पलटा दिया और उसकी चूत को मूह में भर कर चूसने लगा.

लल्लू अपनी दो उंगली ऋतु की चूत में डाल कर चूत के अंदर घुमाता हुआ ऋतु की चूत को चूस रहा था.
फिर अपने उंगली को निकाल कर ऋतु के मूह में घुसा दिया. और इधर अपना लॉडा ऋतु की चूत में.

लल्लू ऋतु की चूत में लंड डाल कर उस में अपने लंड को गोल गोल घुमाता हुआ चोदने लगा.

तभी ऋतु लल्लू के कमर में अपने पैर की कैची बना कर पलट गई.
अब लल्लू नीचे था और ऋतु ऊपर.
अब कमान ऋतु के हाथ में था.

ऋतु लल्लू के चूचुक को अपने जीभ से छेड़ते हुए अपने गान्ड को कभी लल्लू के कमर पर घिसते हुए आगे पीछे होती तो कभी अपने गान्ड को गोल गोल घुमाती.
थोड़ी देर में दोनो एक साथ झड़ गये.
 
ऋतु लल्लू के चूचुक को अपने जीभ से छेड़ते हुए अपने गान्ड को कभी लल्लू के कमर पर घिसते हुए आगे पीछे होती तो कभी अपने गान्ड को गोल गोल घुमाती.
थोड़ी देर में दोनो एक साथ झड़ गये.

लल्लू ऋतु के एक टंकी को पकड़ कर ज़ोर से उसके चूचुक को दबा कर मसल दिया.

ऋतु ज़ोर से सिसक उठी.

लल्लू बेड से उतर का कपड़े पहन बाहर आ गया.

काजल- ( जो उठ गई थी. आँगन में झाड़ू लगा रही थी) क्या बात है बेटा. आज तो तू लेट उठा है.

लल्लू- हा मा, आज लेट आँख खुली.

काजल- कोई बात नही बेटा. होता है कभी कभी.

लल्लू वहाँ से निकल कर दालान पर आया.

सुनील- बेटा उठ गया तू.
चल आज खेत में पानी लगाने का काम हम काका भतीजे को मिला है.

लल्लू- कोई बात नही काका. ये तो सब से आसान काम है. मोटर चला कर बस देखते रहो की कही कोई मेढ ना टूट गया हो. बस.

सुनील हँसता हुआ उसकी पीठ को थपथपा कर साथ चल दिया.

लल्लू एक कुदाल अपने कंधे पर ले रखा था और एक कुदाल उसके काका.

दोनो खेत पहुच कर वहाँ खेत के चारो और सुनील घूम कर देख रहा था तब तक लल्लू भी जा कर मोटर चालू कर दिया.

बहुत बड़े एरिया में पानी लगाना था जिस में दोनो काका भतीजे को शाम हो गया.

सुनील के बाकी भाई दूसरे कामो में बिज़ी थे.
इस बीच एक मजदूर को भेज कर ये दोनो घर से अपने लिए खाना भी मंगवा लिए थे.

शाम को दोनो लोगो का शरीर बहुत दर्द कर रहा था.
पानी डल गया तो दोनो मोटर बंद कर घर की ओर चल दिए.

लल्लू- काका आज तो आप ने पूरा थका दिया.
सुनील- नही बेटा. ये तो सब से आसान काम है. मोटर चालू...

लल्लू- बस बस काका. में समझ गया. कोई भी काम आसान नही होता.
सुनील- गुड, अब तुम समझदार हो गये बेटा.

लल्लू- काका मुझे आप से दो बाते करना है.
सुनील- तुम्हे पूछने की ज़रूरत कब से पड़ने लगी बेटा. बेझिझक बोलो.

लल्लू- पहली बात की मुझे भी बुलेट चलाना सीखा दीजिए.
सुनील- ठीक है. ये तो में भी सोच रहा था. अब दूसरी बात बोलो.

लल्लू- दूसरी बात. मुझे भी अब अलग कमरा चाहिए. अब में बड़ा हो गया हूँ ना.

सुनील- हाहाहा.. ठीक है. कमरा चाहिए तो बोल देना मा को वो सॉफ करवा देंगे.

लल्लू- काका आप ही बोल देना ना. आप की बात कोई नही टालता. दीदी लोग जिस केमरे में रहती है उसके बगल वाला कमरा खाली ही है तो वो में ले लूँगा.

सुनील- पता है तुम्हे. जब मेरी शादी नही हुआ था तब में भी उसी कमरे में रहता था.

लल्लू- सच काका.
सुनील- हा. बिल्कुल सच.

यू ही बाते करते दोनो घर पहुच गये.

आँगन आ कर लल्लू खाट पर जा कर गिर गया.

लल्लू- आ, आज बहुत थक गया.

ऋतु- आ गया मेरा बेटा. तक गया है. कोई बात नही. आ में तुम्हारा बदन दबा दूं.

ऋतु लल्लू के पास जा कर उसे पेट के बल उल्टा कर उसके बदन को दबाने लगी.

मा- घोड़ा जैसा हो गया है और तुझे शरम नही आती की अपने काकी से बदन दबवा रहा है

लल्लू- अपनी काकी से नही दबवा रहा बल्कि अपनी प्यारी बीबी से दबवा रहा हूँ. ( लास्ट का शब्द धीरे से बोला जो सिर्फ़ ऋतु ही सुन पाई)

ऋतु मुस्कुराती हुई उसकी पीठ पर एक मुक्का लगा दी.

लल्लू- क्या हुआ क्या में कुछ ग़लत कहा.

ऋतु शरमाती हुई सर ना में हिला दी.

थोड़ी देर बाद लल्लू काकी को पकड़ कर अपने साथ खटिया पर बैठा कर उसके चुचे को सब से छुप कर मसल देता.

ऋतु शर्मा कर वहाँ से भाग गई.

तब तक सोनम नाश्ता ले कर लल्लू को पकड़ा दी.

लल्लू- आआयईी, आज सूरज किधर से निकला भाई. ये में क्या देख रहा हूँ. दीदी किचन से निकली है.

सोनम- मा.. देखो कैसे बोल रहा है भाई. क्या में काम नही करती.( सोनम पैर पटक कर बच्चो की तरह नाटक करती बोली)
ऋतु- बिल्कुल करती हो बेटी. लेकिन सिर्फ़ अपने कमरे में अपना बेड तोड़ने का.

ऋतु की बात सुन कर सब हँसने लगे.

सोनम- मामा.. तुम भी सब के साथ मिल गये.

लल्लू आगे बढ़ कर सोनम को अपने गले से लगा लिया.
लल्लू- मेरे प्यारी दीदी को काम करने की क्या ज़रूरत है. उन के लिए इतने लोग है तो काम करने को.

सोनम- मेरा प्यारा भाई.
सोनम कस्स कर लल्लू को गले लगा ली.

सोनम की बड़े बड़े दूध लल्लू के छाती में घुस गये.
लल्लू का रोमांच से रोया रोया खड़े हो गये.
अब लल्लू का बाबूराव अपना सर उठाने लगा था.
लल्लू भी सोनम को अपने गले से लगाए उसकी पीठ पर हाथ फेर रहा था.
लल्लू को बहुत मज़ा आ रहा था.
अब लल्लू का लॉडा आधा खड़ा हो गया था जिसे सोनम अपने पेट पर फील कर रही थी.

सोनम मारे शरम के अपना मूह लल्लू के छाती में छुपा ली फिर लल्लू के आगोश से निकल कर अपने कमरे में चली गई.
 
लल्लू नाश्ता कर घर से दालान पर आ गया.
थोड़ी देर अपने दादू से बात करने के बाद उठ कर दालान से बाहर आ गया.

बहुत दिन हो गये थे गाँव घूमे हुए तो लल्लू सोचा की एक बार गाँव घूम लिया जाये.

शेड से अपना रेंजर बाइसिकल निकाला जो एक बार जिद् कर सुनील काका से खरीद वाया था.
सोचा जब तक काका बुलेट नही सिखाते तब तक अपने इस रेंजर से ही गाँव घूम लिया जाये.

दालान पर जा कर एक बार दद्दू को बोल लल्लू अपना रेंजर ले कर गाँव भ्रमण पर निकल गया.

लल्लू का गाँव बहुत बड़ा था. लगभग 1000 घर होंगे इस गाँव में.

लल्लू के दादा जी के पास अपना पुस्तैनि काफ़ी ज़मीन थी और लल्लू के दादा जी दो भाई थे जिन में एक भाई आर्मी में कर्नल थे. उन्होने शादी नही की थी.
रिटाइयर्मेंट के कुछ साल बाद ही उनका डेत हो गया था.
तो उनका प्रॉपर्टी पैसा सब इनको ही मिला.

लल्लू के दादा जी के पास ज़मीन जायदाद रुपया पैसा किसी चीज़ की कोई कमी है .
खाते पीते परिवार से है ये.
गाँव में अच्छा नाम है इनके परिवार का.

लल्लू अपने रेंजर पर बैठा गाँव घूम रहा था. पहले वो बाज़ार गया वहाँ पापा को एक चाय दुकान पर बैठा देख कर वहाँ से वापस गाँव के दूसरी ओर चल दिया.

लल्लू डेली सुबह अपने खेत की ओर के एक नदी के पास जाता है जो गाँव के दो दिशा से हो कर बहता है. वो नदी गाँव के पूरब से हो कर आता है और लल्लू के खेत उत्तर की ओर है तो उस दिशा में बहता हुआ दूसरे गाँव से हो कर आगे बढ़ जाता है.

लल्लू गाँव के पूर्व दिशा को घूमता हुआ जा रहा था.

तभी एक आदमी अपने 10 साल के बेटे को छड़ी ( स्टिक) से मार रहा था.

लल्लू वहाँ रुक गया.
लल्लू- क्या बात है चाचा क्यू मार रहे हो बचे को.

वो आदमी- पढ़ने को बोलता हूँ तो पढ़ता नही है. सारा दिन आवारगर्दी करता रहता है. अभी घर आया है आवारगर्दी कर के.

लल्लू- तो चाचा, आराम से प्यार से समझाओ ना. ज़रूरी थोड़े है की बच्चे मार से ही समझते है.

वो आदमी- में अपने बेटे को मारू या काटु तुम कौन होते हो बोलने वाले.
पढ़ेगा नही तो क्या तुम्हारी तरह बना दूं.

लल्लू को उस आदमी की बात सीधा दिल पर लगी.

लल्लू- भगवान करे चाचा मेरे जैसा किस्मत सब को मिले. जैसा मेरा परिवार है. जैसे मुझे प्यार करने वाले दादा, काका, काकी, मा, पापा, बहन है. वैसा तो बिरले इंसान को ही मिलता है.
वैसे में लल्लू ज़रूर हूँ लेकिन तुम से तो समझदार ही हूँ.

आदमी- जाओ जाओ. मेरे दिमाग़ ना खराब करो.

तभी घर से बाहर उस आदमी की पत्नी आई.

औरत- माफ़ करना बेटा. ये आज फिर पी कर आया है और तुम से उलझ गया. तुम जाओ बेटा. ये इसका रोज का काम है.

लल्लू- में जा ही रहा था चाची. चाचा बच्चे को पीट रहे थे तो में रुक गया था.
वैसे हमारे यहाँ तो दारू का बॅन लगा है बेचना और पीना तो फिर चाचा को दारू कहाँ से मिल गया.

औरत- क्या बेटा. कितना भी बॅन लग जाये लेकिन बेचने और पीने वाले को मिल ही जाता है.
एक नया कोई आया है वो यहाँ के पोलीस को पैसा खिला कर उधर नदी के पास झोपड़ी बना कर बेचता है. पोलीस वाले भी आ कर पीते है. कोई कुछ नही कहता है उसे.

लल्लू- अपने लड़के को घर ले जाओ काकी. रात हो रही है तो में भी चलता हूँ.

आदमी वहाँ से जा चुका था और वो औरत अपने बेटे को ले कर घर के अंदर चली गई.
लल्लू रेंजर को पॅड्ल मारता हुआ आगे बढ़ गया.

लल्लू- फला ये गाँव में नया कौन आ गया जिस ने गाँव में गंदगी फैलाना शुरू कर दिया. देखना पड़ेगा. ( लल्लू अपने आप से बाते करता नदी की ओर चला जा रहा था.

लल्लू- राम राम चाचा. अभी अब कहाँ जा रहे हो.

गाँव के एक जानकार को देख कर लल्लू बोला.

आदमी- लल्लू बेटा ये रात को तुम कहाँ जा रहे हो.

लल्लू- चाचा पहले मैने पूछा है तो मुझे जवाब दो की अभी अब कहाँ चल दिए.

आदमी- वो बेटा अभी मुझे नाइट ड्यूटी लगी है तो वही ड्यूटी पर जा रहा हूँ. अब तुम बताओ.

लल्लू- बहुत दिन हो गया था इधर आप सब से मिले हुए तो में भी घूमने आ गया था इधर.

आदमी- लल्लू बेटा दिन में घुमा करो. अभी अब घर जाओ. सुनील को पता चला तो तुम्हे तो गुस्सा करेगा ही साथ ही मुझे भी डान्टेगा की जब तुम देखे थे तो रात को घूमने से मना क्यू नही किए.

लल्लू- अच्छा ठीक है चाचा. में भी वापस घर जाता हूँ.

आदमी- हा बिल्कुल. कल दिन में आना. में भी घर ही रहूँगा. चाची से भी मिल लेना.

लल्लू- ठीक है चाचा.

लल्लू वहाँ से वापस हो गया

अब कल देखता हूँ कौन है ये आज तो बच गया.

वापस घर आ कर शेड में रेंजर खड़ी कर नलका पर हाथ पैर धो कर दालान पर आ गया.

अभी दालान पर सारे काका दादू के साथ बैठे थे.
सुनील- कहाँ से आ रही है सवारी बच्चे.

लल्लू सुनील के पास आ कर बैठते हुए बोला
लल्लू- काका में तो ऐसे ही गाँव घूमने गया था लेकिन आप के मित्र सरोज चाचा मिल गये तो वो वापस घुमा दिए.

दादू- कौन सरोज.

लल्लू- दादू वही जो बिजली बिभाग में काम करते है. अभी ड्यूटी जा रहे थे तो रास्ते में मिल गये. कहने लगे सुनील को पता चला तो हम दोनो पर गुस्सा करेगा इस लिए अभी तू घर जा. तो में वापस घर आ गया.

पापा- तुम्हे कितनी बार बोला है. रात को बाहर नही जाते तुम्हारे समझ में ही कुछ नही आता. गधा कही का.

लल्लू डर कर सिर झुका लिया.

लल्लू- काका बुलेट चलाना कब सिखाएँगे.

पापा- कोई ज़रूरत नही है. चोट लग जाएगी. अभी तुम से वो नही संभलेगा. अभी तुम बच्चे हो.

लल्लू वहाँ से उठ कर आँगन में आ गया.
लल्लू- ( फला में सच में गधा हूँ. पापा वहाँ थे तो क्या ज़रूरत थी ये सब बोलने की. हाअ.. मैने देखा भी तो नही था पापा को वहाँ बैठा हुआ. पता नही कहाँ छुप कर बैठे रहे थे.)

मा- क्या बडबडा रहा है तू अपने आप में.

पापा- ( दालान से आँगन आते हुए) लाट साहब बुलेट चलाना सीखना चाहते हैं.

मा- हा तो क्या हो गया. सीखने दीजिए.

पापा- जैसा पागल बेटा है. वैसी ही मा है.

पापा कमरे में जा कर लेट गये.

मा आँखो में आँसू ले कर रसोई में चली गई.

लल्लू आँगन में खड़ा सब देख रहा था.
काजल को यू रोता देख कर लल्लू को बहुत बुरा लग रहा था.
 
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