Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली - Page 3 - SexBaba
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Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली

मैंने दोनों को, डॉक्टर को और कामवाली औरत उनके घर के अन्दर के कमरे में देखा जिसका दरवाजा खुला था और मुझे सब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. डॉक्टर कुर्सी पर बैठा कुछ पढ़ रहा था और कामवाली कमरे की सफाई कर रही थी. डॉक्टर ने उसको कुछ कहा तो वो काम छोड़ कर आलमारी की तरफ गई और मैंने देखा की उस के हाथ में कुछ कपडे थे. उन कपड़ों को लेकर वो कमरे के अन्दर ही बाथरूम में चली गई. जब वो थोड़ी देर बाद वापस आई तो मैंने देखा की वो एक बहुत सुन्दर, गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी पहने हुए थी. शायद ये डॉक्टर की तरफ से कामवाली को तोहफा था और जरूर ही डॉक्टर ने उसको पहन कर दिखने को कहा था. वो एक टक उस को देख रहा था. जैसा की मैंने लिखा है की कामवाली सुन्दर थी, उस की भरी भरी चूचियां और भारी गांड उस गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी में बहुत सेक्सी लग रही थी. वो बातें कर रहे थे और वो डॉक्टर की तरफ बढ़ी. दोनों आपस में होठों का चुम्बन करने लगे और मेरा सोचना ठीक था की दोनों में चुदाई का रिश्ता था. मेरे लिए उन को देखना टाइम पास करने का अच्छा साधन था. वो दोनों अलग हुए और उस ने फिर से कमरे की सफाई करनी शुरू करदी. मैंने सोचा की शायद इतना ही होगा, पर मैं गलत थी. हलकी हलकी बरसात फिर से शुरू हो गई थी. वो अपनी सेक्सी कामवाली को ब्रा और चड्डी पहने काम करते देखता रहा और वो बातें करते रहे. जब वो उस के करीब से गुजरी तो डॉक्टर ने उस की भरी भरी चुचियों को दबा दिया. वो हंस पड़ी. अब डॉक्टर ने उस के पैरों के बीच हाथ डाल कर कुछ किया तो वो हवा में उछल पड़ी. जरूर डॉक्टर ने कामवाली की चूत में या गांड में ऊँगली की थी. वो उसकी तरफ देखती हुई फिर से हंस पड़ी. वो उस के पास आ कर खड़ी हुई तो डॉक्टर ने बैठे बैठे उस को कस कर पकड़ लिया. वो खड़ी थी वो प्यार से डॉक्टर के सिर के बालों में हाथ फिरा रही थी. डॉक्टर का सिर उस की भरी भरी चुचियों के बीच था और वो अपना चेहरा उस की चुचियों पर ब्रा के ऊपर से रगड़ रहा था. उस के हाथ उस की मोटी गांड को दबा रहे थे. उसने अपने हाथ से अभी अभी कामवाली को तोहफे में दी गई ब्रा की दोनों पट्टियाँ, बिना हुक खोले, उस के कंधे से नीचे करदी. कामवाली ने अपने हाथ नीचे करके ब्रा की पट्टियों से निकाल लिए और डॉक्टर ने उसकी ब्रा को नीचे पेट की तरफ करके उस की चुचियों को नंगा कर दिया. उस की गुलाबी ब्रा उसकी गुलाबी चड्डी से मिल रही थी और उस की बड़ी बड़ी चूचियां डॉक्टर के सामने थी डॉक्टर कामवाली की नंगी चुचियों पर अपना चेहरा रगड़ रहा था और उस ने उसकी एक निप्पल अपने मुंह में ले ली. उन लोगों की गर्मी मुझ में भी आने लगी. मेरी चूत में भी उन को देख कर हलचल मचने लगी. वो एक के बाद कामवाली की चूचियां और निप्पल किसी भूखे की तरह चूसता जा रहा था. कामवाली का सिर भी चूचियां चुसवाते हुए आनंद से आगे पीछे हिल रहा था. मैं उन को देख कर मज़ा ले रही थी और आप तो जानतें ही है के मैं कितनी सेक्सी हूँ और जो मैं देख रही थी वो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी था. मेरी जीन के अन्दर मेरी चड्डी गीली होने लगी और अपने आप ही मेरी उँगलियाँ मेरी जीन के ऊपर से ही जहाँ मेरी चूत थी, वहां पर फिरने लगी.

वो दोनों कुछ ऐसी पोजीसन में थे की मैं कामवाली का चेहरा नहीं देख पा रही थी. डॉक्टर कुर्सी पर दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था और मैं डॉक्टर का मुंह और कामवाली की गांड देख पा रही थी. अब कामवाली नीचे बैठ गई थी और डॉक्टर ने अपनी पेंट की जिप खोली तो कामवाली ने अपने हाथ से उसका लौड़ा पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैं इतनी दूर थी, फिर भी मैंने साफ़ साफ़ देखा की डॉक्टर का लंड काफी बड़ा था और उस के चरों तरफ काले काले बाल थे. कामवाली अपने हाथों से उस की झांटों को पीछे कर रही थी ताकि वो उसके काम के बीच में न आयें. कामवाली ने डॉक्टर के काले और बड़े लौड़े को चूमा और उस को धीरे धीरे हिलाने लगी. डॉक्टर अपनी कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर बैठ गया और अपने लंड पर कामवाली के कमाल का मज़ा लेने लगा. थोड़ी देर उसका लंड हिलाने के बाद उस ने लंड का सुपाडा अपने मुंह में ले कर कुछ देर टक चूसा. फिर, वो उस के लंड को पकड़ कर मुठिया मारने लगी जब की डॉक्टर के लौड़े का सुपाडा उस के मुंह में ही था. मुझे पता चल चुका था की वहां शायद लंड और चूत की चुदाई नहीं होने वाली है, सिर्फ हाथ का कमाल ही होगा.

मैंने भी अपनी जीन की जिप खोल ली और चड्डी के किनारे से अपनी बीच की ऊँगली, अपने पैर चौड़े करके अपनी चूत टक ले गई. मैंने जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली अपनी चूत के दाने पर फिरानी चालू की ताकि मैं जल्दी से झड़ सकूँ. और वहां, कामवाली तेजी से, डॉक्टर का लौड़ा चूसते हुए मुठ मार रही थी. मेरी ऊँगली की रफ़्तार भी मेरी चूत में बढ़ गई थी.

मैंने देखा की डॉक्टर की गांड कुर्सी से ऊपर हो रही है और अचानक ही उस ने कामवाली का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा लिया. जरूर की उस के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया था. कामवाली मज़े से डॉक्टर के लंड रस को पी रही थी. मेरी चूत पर मेरी ऊँगली के काम से मैं भी अब झड़ने के करीब थी. मैंने अपनी ऊँगली तेजी से अपनी गीली फुद्दी पर हिलानी शुरू करदी और मैं भी अपनी मंजिल पर पहुँच गयी. मेरी चड्डी मेरे चूत रस से और भी गीली हो गई. मैंने एक शानदार काम, चूत में ऊँगली करने का ख़तम किया. मेरी आँखें आनंद और स्वयं संतुस्ती से बंद हो गई.

जब मैंने आँखें खोली तो देखा की कामवाली डॉक्टर का लंड, अपना मुंह, अपनी गर्दन और अपनी चूचियां कपडे से साफ़ कर रही थी. शायद डॉक्टर के लंड का पानी उस के बदन पर भी फ़ैल गया था.

तभी मैंने रमेश की नीली जेन को अपने घर की तरफ आने वाली सड़क पर देखा. बरसात अब रुक चुकी थी. मैं खड़ी हुई और अपने कमरे की तरफ दौड़ी. मैंने दूसरी चड्डी ली और अपनी गीली चूत टिश्यू पेपर से साफ़ करने के बाद उस को पहन लिया.

मैं जल्दी से अपने प्रेमी का स्वागत करने नीचे आई. वो अपनी कार पार्क करने के बाद घर के अन्दर आया तो मेरी माँ भी आ गई थी. हम सब ने साथ साथ शाम की चाय पी और हल्का नाश्ता किया. वो ज्यादातर मेरी माँ से ही बात करता रहा और करीब ५.०० बजे हम अपने बनाये हुए प्रोग्राम पर रवाना हुए.
 
हम गोवा - मुंबई हाइवे पर थे और फिर से बरसात शुरू हो गई थी, इस बार जोर से. तेज बरसात के कारण बाहर अँधेरा हो गया था. मैं अपना सिर उसके कंधे पर रख कर बैठी हुई थी और बाहर हो रही बरसात मुझे सेक्सी बना रही थी, गरम कर रही थी. वो बहुत सावधानी से कार चला रहा था. रस्ते पर बहुत कम वाहन थे,

उस ने मेरे गाल पर चुम्बन लिया तो मैं अपना आपा खोने लगी. मैंने भी उस के गाल को चूमा. गाडी चलाते हुए उस ने मेरी चुचियों को दबाया. मैं जो चाहती थी, वो हो रहा था. उस ने फिर एक बार मेरी चुचियों को दबाया और मसला, इस बार जरा जोर से. चलती गाडी में जितना संभव था, उतना मैं उस से चिपक गई. अब मेरी चूचियां उस के हाथ पर रगड़ खा रही थी. मैंने उस के शर्ट के ऊपर का बटन खोल दिया. मेरी उँगलियाँ उस की चौड़ी, बालों भरी छाती पर, उस की मर्दाना निप्पल पर घूमने लगी. मैंने महसूस किया की उसकी निप्पल मेरे सेक्सी तरीके के कारण कड़क हो गई थी. मैंने एक के बाद एक, उसकी दोनों निप्पलों को मसला तो उसको मज़ा आया. मैंने नीचे देखा तो पाया की उस की पेंट के नीचे हलचल हो रही थी. मैंने मुस्कराते हुए उस की निप्पल को छोड़ कर अपना हाथ नीचे ले गई. मेरा एक हाथ उस की गर्दन के पीछे था और मेरी चूचियां अभी भी उसके हाथ पर रगड़ खा रही थी. मेरा दूसरा हाथ उस की पेंट के ऊपर, उसके तने हुए लंड पर था. उस ने अपने परों की पोजीसन ऐसी बना ली की वो कार चलता रहे और मैं उस के लौड़े से खेलती रहूँ. मैं उस का खड़ा हुआ लंड मसल रही थी और उस को बाहर निकालना चाहती थी. मैंने उस की जिप खोली तो उस ने भी अपने खड़े हुए लंड को चड्डी से बाहर निकालने में मेरी मदद की.

कितना सुन्दर लंड है मेरे प्रेमी का. गहरे भूरे रंग का, करीब 7 / 7.5 इंच लम्बा, 3 इंच मोटा और कड़क लंड.

( मैंने उस के लंड को नापा था जब हम एक बार अलग अलग तरीके ले लौडों के बारे में बात कर रहे थे. इसीलिए मुझे उस के लंड का नाप मालुम है.) गरम, शख्त और मज़बूत. उस के लंड के सुपाड़े पर चमड़ी है और और सुपाड़े पर छेद बहुत प्यारा लगता है. मुझे हमेशा ही उसके मर्दानगी भरे लंड को देखना अच्छा लगता है. मैं बहुत भग्यशाली हूँ की मुझे ऐसा प्रेमी मिला है जो मेरी तरह हमेशा, कहीं भी, कभी भी, प्यार और चुदाई का खेल खेलने को तैयार रहता है. उस लंड की ऊपर की चमड़ी बहुत आसानी से नीचे हो जाती है, जब मैं उस के खड़े लंड को पकड़ कर नीचे दबाती हूँ. उस का गुलाबी सुपाडा मेरी आँखों के सामने आ जाता है. उस के लंड के सुपाड़े पर, छेद पर पानी की एक बूँद आ गई थी जो की आप जानतें है ये चुदाई के पहले का पानी है. उस ने भी कार चलाते हुए मेरी चूत पर मेरी जीन के ऊपर से ही हाथ फिराया जिस से मेरी गर्मी बढ़ने लगी और हमेश की तरह मेरी चूत ने भी रस निकालना चालू कर दिया. मुझे पता है की रमेश का कार चलाने पर बहुत अच्छा नियंत्रण होता है और वो कार चलाने में बहुत ही माहिर है. इसलिए मैं चलती कार में उसके साथ चुदाई का खेल खेलते समय चिंता नहीं करती जब वो कार चला रहा होता है. मैंने धीरे से उस के खड़े लंड को पकड़ कर हिलाया, जैसे वो कामवाली डॉक्टर का हिला रही थी. मेरे छूने से उस का कड़क लौड़ा और भी सख्त हो गया. बाहर हो रही बरसात हमारी भावनाओं को भड़का रही थी और हम चलती कार में हमारा पसंदीदा काम करने लगे. मैंने रमेश की आँखों में देखा तो उन में मेरे लिए प्यार के सिवाय कुछ और नहीं था. मैंने उस के लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करना शुरू किया. कुछ समय बाद मैंने अपना सिर नीचे करके उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुंह में लिया. मैं अपनी जीभ उस के लंड मुंड पर घुमा कर उस के पानी का स्वाद लिया. उस का लंड चूसते हुए भी, चलती कार में मेरा मुठ मारना लगातार चालू था. मुझे पक्का था की कोई भी बाहर से नहीं देख सकता था की अन्दर चलती कार में हम क्या कर रहें है. कार के शीशे गहरे रंग के थे और बाहर बरसात होने की वजह से वैसे भी अँधेरा था. बाहर बरसात और तेज होने लगी थी जो कार में हम दोनो को गरम, और गरम, सेक्सी बना रही थी. मैं एक बार तो घर पर डॉक्टर और उसकी कामवाली को देख कर अपनी चूत अपनी ही ऊँगली से चोद चुकी थी, और अब मैं चाहती थी की लंड और चूत के मिलन से पहले उस के लंड को भी हिला हिला कर, मुठ मार कर उसके लंड का रस भी निकाल दूँ. कार की छोटी जगह में झुक कर उस के लंड को चूसने में तकलीफ हो रही थी क्यों की हिलने जगह बहुत ही कम थी. उस ने भी इस बात को समझा और मैं सीधी हो कर बैठ गई. उस ने फिर मेरी चुचियों को मसला और दबाया, मेरी चूत पर हाथ फिराया. मैंने बैठे बैठे उस के लंड को कस कर पकड़ा और शुरू हो गई जोर जोर से मुठ मारने का काम करने को. वो भी बार बार मेरी चुचियों से खेल रहा था, दबा रहा था, मसल रहा था और मेरी चूत पर भी हाथ फिरा रहा था. चुदाई की, सेक्स की गर्मी बढती गई. हम दोनों को ही मज़ा आ रहा था. मैं सोच रही थी की उस के लंड का पानी जब निकलेगा, तब कार में, उस के कपड़ों पर फ़ैल जाएगा. मुझे पता है की उस का लंड, बहुत दूर तक, बहुत तेजी से और बहुत सारा पानी निकालता है. मैं अपना मुठ मारने का काम कर रही थी और उस ने कार में पड़ा छोटा तौलिया अपने हाथ में ले लिया. मैं समझ चुकी थी की ये लंड से निकलने वाले पानी को फैलने से रोकने के लिए है. वो कार चला रहा था और मैं उस के लंड पर मुठ मार रही थी. मुठ मारते मारते मैंने उस के लंड में और ज्यादा शाख्ती महसूस की तो मुझे पता चल गया की उस का पानी निकलने वाला है. एक हाथ से वो ड्राइव कर रहा था और एक हाथ में अपने लंड के पास तौलिया पकड़े हुए था.

अचानक उसके मुंह से निकला "ऊऊह जुलीईई ईईईए" और उसने तौलिया अपने लंड के मुंह पर रखा. मैंने जल्दी से तौलिया पकड़ कर उस के लंड पर लपेट दिया और फिर से उस के लंड को तौलिये के ऊपर से पकड़ लिया. उस का लंड पानी छोड़ने लगा जो तौलिये में जमा होता जा रहा था. पानी निकालते हुए उस का लंड मेरे हाथ में नाच रहा था. मैं उस के लंड को टाईट पकड़े रही. उस के चेहरे पर संतोष के भाव थे और मैं खुस थी की मैंने अच्छी तरह से मुठ मार कर उस के लंड को शांत किया था. मैंने तौलिये से उस के लंड को साफ़ किया और फिर उसने अपने लंड के पानी से भीगा हुआ तौलिया चलती कार से बाहर गीली सड़क पर, थोड़ी से खिड़की खोल कर फ़ेंक दिया. जब उसने खिड़की खोली थी तो पानी की कुछ बूँदें अन्दर आई, हमें अच्छा लगा. उस का लंड अभी भी आधा खड़ा, आधा बैठा था. न ज्यादा कड़क, न ज्यादा नरम. आप जानतें है की हमेशा ही खड़े लंड को थोड़ी कोशिश के बाद चड्डी और पेंट से बाहर निकाला जा सकता है, पर खड़े लंड को वापस चड्डी और पेंट में डालना मुश्किल है. नरम लंड को आसानी से वापस कपड़ों के अन्दर डाला जा सकता है. उस ने वापस अपना नरम लंड अपनी जिप के अन्दर, पेंट में, चड्डी में डाल लिया.

करीब 6.30 हो चुके थे और हम हमारे घर से करीब १०० किमी दूर थे. अभी भी भारी बरसात हो रही थी और बाहर बहुत अँधेरा हो गया था और हमारी कार चली जा रही थी. मैंने रमेश से पूछा की क्या प्रोग्राम है तो उस ने बताया की कोई 30 की. मी. आगे एक रेसोर्ट है और उस का प्रोग्रामे वहां जाने का था पर अब, जबकि मौसम ऐसा है तो क्यों न कार में ही चुदाई की जाए.
 
मैं मान गई कार में चुदवाने को क्यों की मैंने कभी कार में नहीं चुदवाया था. मैं भी कार में चुदवाने का अनुभव लेना चाहती थी. मुझे हमेशा अलग अलग पोजीसन में, अलग अलग जगह में चुदवाने में बहुत मज़ा आता है. मैंने उस से पूछा की कैसे हम हाइवे पर कार में चुदाई कर सकतें है तो उसने मुस्करा कर जवाब दिया " अगर मैं तुम को हाइवे पर कार में चोदूंगा तो इस मौसम और अँधेरे में कोई मेरी कार की पीछे से गांड मार देगा." मैं उसकी बात सुन कर हंस पड़ी.

कोई 2 / 3 किमी आगे आने के बाद उस ने कार हाइवे से नीचे उतार कर पेड़ों के झुण्ड की तरफ बढ़ाई. आखिर उस ने कार वहां खड़ी की जहाँ चारों तरफ घने पेड़ थे. मैंने देखा की हमारी कार दो बड़े पेड़ों के बीच खड़ी थी. हम हाइवे से ज्यादा दूर भी नहीं थे. बाहर चारों तरफ पानी भरा था. बड़े बड़े पेड़ों के बीच हमारी ब्लू रंग की कार को इस मौसम में और अँधेरे में हाइवे से देख पाना संभव नहीं था. ये एक बहुत महफूज़ जगह थी पहली बार कार में चुदाई करने के लिए. भारी बरसात लगातार हो रही थी और हम बड़ी बड़ी पानी की बूंदों को हमारी कार की छत पर गिरते हुए सुन सकते थे.

रमेश मेरी तरफ घूमा और बोला " डार्लिंग! क्या तुम इस सेक्सी मौसम में कुछ बीअर पीना चाहोगी? "

" जरूर. क्या कार में है बीअर ?." मैंने पुछा.

उस ने पिछली सीट से एक थैली उठाई जिसमे कुछ फॉस्टर बियर कॅन्स थे. उस ने एक कैन खोल कर मुझे दिया और एक अपने लिए खोल लिया.

"चीअर्स" हम ने एक साथ बोला और धीरे धीरे बीअर पीने लगे.

मैं - कार में कैसे करेंगे ? पिछली सीट पर?

रमेश - पिछली सीट पर कर सकतें है पर इस छोटी कार में जगह बहुत कम है. मैं सोच रहा हूँ की क्यों न आगे की सीट पर किया जाए जिस पर तुम बैठी हो. हम सीट को पीछे करके जगह बना सकतें है.

मैं - इस सीट पर? कैसे होगा इतनी कम जगह में?

रमेश - ठीक है. हम यहाँ शुरू करतें है. अगर जरूरत हुई तो पिछली सीट पर चले जायेंगे. मैं कुछ बता नहीं सकता क्यों की मैंने कार में कभी नहीं किया है. आज पहली बार है.

मैं - मेरा भी तो पहली बार है. ठीक है. हम पहली बार ट्राई करतें हैं साथ साथ.

हम बीअर पी रहे थे और बाहर का बरसाती मौसम हमारे तन बदन में आग लगा रहा था. एक तो हम दोनों वैसे ही स्वभाव से सेक्सी है और ऊपर से ये मौसम. हम दोनों ही जानते है की समय और जगह कैसे सही इस्तेमाल किया जाता है. हम लोग सेक्सी बातें कर रहे थे और कार में, हाइवे के पास और बरसात के मौसम में एक मजेदार चुदाई के लिए तैयार हो रहे थे. वहां, पेड़ों के बीच कार में बैठे बैठे हम को हाइवे पर आती जाती गाड़ियों की रौशनी दिखाई दे रही थी पर हमें पता था की कोई भी हम को देख नहीं पायेगा. हमने बीअर का एक एक कैन ख़तम किया और फैसला किया की चुदाई होने के बाद, वापस जाते समय बीअर पीने का दूसरा दौर चलाएंगे. जगह बनाने के लिए उस ने मुझे मेरी सीट पीछे करने को कहा. मैंने सीट पीछे की तो वो करीब करीब पीछे की सीट को छू गई. अब मेरी सीट के सामने काफी जगह हो गई थी. मैं अभी भी सोच रही थी की इस सीट पर वो मुझे कैसे चोदेगा. अब मैंने सीट की पीठ को पीछे धकेला तो मैं अधलेटी पोजीसन में हो गई.

वो बोला - डार्लिंग! हम केवल अपने नीचे के कपड़े ही उतारेंगे ताकि हम आराम से चुदाई कर सकें. अगर अचानक कोई आ गया तो ऊपर के कपड़े पहने होने की वजह से हम नंगे नहीं दिखेंगे.

मैं उस की बात समझ कर मान गई, हालांकि चुदवाते समय मुझे शरीर पर कपड़े बिलकुल भी पसंद नहीं है. पर मैं मौके की नजाकत को समझ रही थी, इस लिए ऊपर के कपड़े बदन पर रख कर चुदवाने को राज़ी हो गई.

उसने अपनी पेंट और चड्डी उतार कर पिछली सीट पर फ़ेंक दी. अब केवल वो अपनी शर्ट पहने हुए था. मैंने देखा की उस का लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था जैसे उस में हवा भरी जा रही थी. उसका लंड लम्बा होता जा रहा था, मोटा होता जा रहा था और ऊपर की और उठ रहा था. मैंने भी अपनी जीन और चड्डी उतार कर पिछली सीट पर उस के कपड़ों पर फ़ेंक दिए. अब मैं भी ऊपर केवल अपना टॉप पहने हुए थी और नीचे से हम दोनों नंगे थे. उसने कार की ड्राइविंग सीट भी पीछे करदी ताकि थोड़ी और जगह हो जाए. मेरा बहुत मन हो रहा था की वो मेरी चुचियों को चूसे, पर मैं समझ रही थी की हम किसी बंद कमरे में नहीं है. और मैं अपनी चूत, अपनी गांड और अपनी चूचियां किसी और को नहीं दिखाना चाहती थी.

उस ने शायद मेरी आँखों को पढ़ लिया था. वो बोला - " जूली ! एक काम करो. मैं जिस तरह चुदाई करने की सोच रहा हूँ, उस में मैं तुम्हारी चूचियां चोदते वक़्त नहीं चूस पाऊँगा. पर मैं तुम को चुदाई का पूरा पूरा मज़ा देना चाहता हूँ और साथ ही खुद भी पूरा मज़ा लेना चाहता हूँ. तुम अपनी ब्रा का हुक खोल लो और अपने टॉप के नीचे के दो बटन भी खोल लो. इस तरह तुम्हारी चूचियां नंगी भी रहेगे और ढकी हुई भी रहेंगी. मौके का फायदा उठा लेंगे. "

मैं उस की बात सुन कर खुस हो गई. हम दोनों ही जानते है की चुदवाते समय मुझे अपनी चूचियां और निप्पल चुस्वाना बहुत पसंद है. मैंने वैसा ही किया जैसा उस ने कहा. मेरी चूचियां अब मेरे टॉप के नीचे से चुसवाने को तैयार थी.

अब तक उसका गरम लंड पूरी तरह तन कर चूत से मिलने को तैयार हो गया था. मैं जानती थी की मेरी चुदाई बहुत देर तक होने वाली है क्यों की चाचा की तरह रमेश भी चुदाई के मामले में बहुत मज़बूत है और बहुत देर चोदने के बाद उस के लंड का पानी निकलता है. और ऊपर से मैंने अभी कुछ देर पहले मुठ मार कर एक बार उसके लंड रस को निकाल दिया था तो और भी ज्यादा वक़्त तक चोदने वाला है मुझे.
 
खैर, अब वक़्त आ गया था असली चुदाई का. मैंने उस के खड़े हुए लंड को पकड़ा तो वो हमेशा की तरह बहुत गरम था. मैं बहुत भाग्यशाली हूँ की मेरे प्रेमी का लौड़ा इतना मज़बूत, इतना लम्बा, इतना मोटा और इतना गरम है. मैं तो कहती हूँ की ये लौड़ा नहीं, चोदने की मशीन है. चुदाई की शुरुआत हमने होंठो के चुम्बन से की. हम एक दुसरे के गरम, रसीले होंठ चूसने लगे. होठों के चुम्बन से चुदाई की आग और भी भड़क गई. उस ने मुझे अपने ऊपर खींच तो मेरे हाथ उस की गर्दन के पीछे और उस के हाथ मेरी गोल गोल, कड़क गांड पर फिरने लगे. मेरी चूत में खुजली होने लगी और वो गीली होने लगी. वो मेरी गंद दबा रहा था और अपनी उँगलियाँ मेरी गांड की गोलियों के बीच की दरार में घुमा रहा था. मैं और भी गरम होने लगी. रमेश ये अच्छी तरह जानता है की कम समय में मुझे कैसे गरम किया जाता है और वो वही काम एक बार फिर कर रहा था. मेरी जीभ को अपने मुंह में ले कर उसने आइस क्रीम की तरह चूसा, चुभलाया. उस के हाथ लगातार मेरी नंगी गांड पर घूम रहे थे. उसकी उंगली मेरी गांड पर घुमती हुई थोड़ी से मेरी गांड में घुसी तो मैं उछल पड़ी. जब उस ने अपनी ऊँगली मेरी गांड में अन्दर बाहर हिलाई तो मज़ा ही आ गया. हाइवे पर गाड़ियाँ आ जा रही थी और कोई भी हम को देख नहीं सकता था. हमारी कार पेड़ों के बीच में थी और हम दो जवान प्रेमी उसमे चुदाई का मज़ा ले रहे थे, बिना किसी की नज़र में आये. आप जानतें है की इस से पहले मैंने कई बार चलती हुई कार में अपने हाथ और मुंह का कमाल उसके लंड पर दिखाया था, बिना किसी की नज़र में आये और ये पहला मौका था जब हम पूरी चुदाई कार में करने वाले थे, उसी तरह, बिना नज़र में आये. मैंने उस का तना हुआ, चुदाई के लिए तैयार लंड पकड़ कर उसके मुंह की चमड़ी नीचे की तो उसके लौड़े का गुलाबी सुपाडा बाहर आ कर चमक उठा. हमने चुम्बन ख़तम किया और मैं अपनी सीट पर बैठ कर लम्बी लम्बी साँसे लगी. उस के हाथ पकड़ कर मैंने उनको अपनी चुचियों पर रखा तो वो मेरी चुचियों को मेरे टॉप के ऊपर से दबाने लगा. उस का लंड अभी भी मेरी पकड़ में था. उस ने अपना मुंह मेरी चुचियों तक लाने के लिए अपनी पोजीसन बदली और मेरे टॉप के नीचे का भाग ऊपर किया तो मेरी तनी हुई दोनों सेक्सी चूचियां उस के चेहरे के सामने थी. मेरी गहरे भूरे रंग की निप्पल तन कर खड़ी थी, एक निप्पल को उस ने अपने मुंह में लिया और दूसरी को अपनी उँगलियों के बीच में. मेरी एक निप्पल को किसी भूखे बच्चे को तरह चूस रहा था और दूसरी निप्पल को किसी शैतान बच्चे की तरह मसल रहा था. मेरी फुद्दी अब टक पूरी गीली हो चुकी थी और उस में चुदवाने के लिए खुजली हो रही थी. इस पोजीसन में मैं उस के लौड़े को देख नहीं पा रही थी पर वो अभी भी मेरे हाथ में था और मैंने उस को भी थोड़ा पानी छोड़ते हुए महसूस किया. यानि वो भी मेरी चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा था. हम अपने अलग ही, चुदाई के संसार में थे और हमारा पूरा धयान चुदाई पर ही था, हम चुदाई में ही मगन थे. उस ने मेरी दूसरी चूची को चूसने के लिए फिर अपनी पोजीसन बदली. जो निप्पल पहले मसली जा रही थी वो अब चुसी जा रही थी और जो पहले चुसी जा चुकी थी वो अब मसली जा रही थी. उस छोटी सी कार में चुदाई का तूफ़ान उठ रहा था और बाहर बरसात हो रही थी. किसी को पता नहीं था की वहां एक कार है और कार में हम चुदी चुदाई खेल रहे थे.

उस का एक हाथ मेरे पैरों के जोड़ की तरफ बढ़ा तो मैंने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी सफाचट, चिकनी चूत पर आराम से हाथ फिरा सके. हाथ फिराते फिराते उस की बीच की ऊँगली मेरी गीली फुद्दी के बीच की दरार में घुस गई. वो अपनी ऊँगली मेरी चूत के बीच में ऊपर नीचे मेरी चूत के दाने को मसलता हुआ घुमा रहा था. चूची चुसवाने से और चूत में ऊँगली करवाने से मेरे मुंह से सेक्सी आवाजें निकलने लगी. उस के मुंह में मेरी निप्पल और मेरे हाथ में उस का लंड, दोनों और कड़क हो गए. मैं भी उस का लंड चुसना चाहती थी और 69 पोजीसन के बारे में सोचा मगर कार में ये संभव नहीं था. मेरी चूत में उस की ऊँगली लगातार घूम रही थी और मैं संतुष्टि के स्टेशन की तरफ बढ़ने लगी. उस की ऊँगली अब मेरी चूत में घुस कर चुदाई कर रही थी. मेरी फुद्दी को उसकी ऊँगली चोद रही थी. जैसे ही उस को पता चला की मैं पहुँचने वाली हूँ, उस ने मेरी चूत की चुदाई अपनी ऊँगली से जोर जोर से करनी शुरू करदी. वो मेरी चूत को अपनी ऊँगली से इतनी अच्छी तरह से, सेक्सी अंदाज़ में चोद रहा था की मैं झड़ने वाली थी और मरी नंगी गांड अपने आप ही हिलने लगी. मेरे मुंह से जोर से संतुष्टि की आवाज निकली और मैं झड़ गई. मैंने उसकी ऊँगली को अपने पैर, गांड और चूत टाईट करके अपनी चूत में ही जकड़ लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी.

आखिर मैंने उस से कह दिया की मैं उस के गरम लंड को चखना चाहती हूँ. मैं उस को इतना गरम करना चाहती की उस के लंड का पानी मेरी चूत में जल्दी ही बरस जाए. मैं उसको भी अपने अगले झड़ने के साथ झाड़ना चाहती थी. इस के लिए जरूरी था के मैं उस को चुदाई के आधे रास्ते पर चूत की चुदाई शुरू करने के पहले ही ले जाऊं.

हम ने फिर अपनी पोजीसन बदली और वो कार की पेसेंजर सीट पर अधलेटा हो गया और मैं ड्राइविंग सीट पर आ गई. उस का गरम, लम्बा, मोटा और पूरी तरह तना हुआ चुदाई का सामान लंड कार की छत की तरफ मुंह कर के खड़ा हुआ था जिस का नीचे का भाग मैंने अपने हथेली में पकड़ा. उस के लंड का सुपाडा पहले से ही बाहर था जिस को मैंने सीधे अपने मुंह में ले कर चुसना शुरू कर दिया. हे भगवान्, कितना गरम लंड है उसका. मैंने उस के लंड से बाहर आते पानी को चखा और अपनी जीभ उस के लंड के सुपाड़े पर घुमाने लगी. मेरा हाथ उस के लंड को पकड़ कर धीरे ऊपर नीचे होने लगा. मैं ड्राईवर सीट पर अपने घुटनों के बल बैठ कर, झुक कर उस के लंड को चूस रही थी, और मेरी नंगी गांड ऊपर हो गई थी. ये उस को खुला निमंत्रण था. उस ने अपना हाथ मेरी गोल नंगी गांड पर घुमाते हुए फिर से मेरी टाईट गांड में अपनी ऊँगली डाल दी. मैं उस को उस को उस का लौड़ा चूस कर, मुठ मार कर गरम कर रही थी और वो मुझे मेरी गांड में अपनी ऊँगली धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के गरम कर रहा था. रमेश को गांड मारना पसंद नहीं था पर मेरी गांड में ऊँगली करना उस को हमेशा अच्छा लगता था, और सच कहूँ तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता था. उस की मेरी गांड में घूमती ऊँगली मुझे चुदवाने के लिए बेचैन कर रही थी. रमेश एक बहुत अच्छा चुद्दकद है और मैं खुश हूँ की वो मेरा होने वाला पति है.
 
मेरी उस के लंड की धीरे धीरे चुसाई और धीरे धीरे मुठ मारे अब तेज हो चली थी. मेरी दोनों चूचियां हवा में लटक रही थी और आगे पीछे हिल रही थी, मेरी गांड में उसकी ऊँगली भी बराबर घूम रही थी.

जब मैंने महसूस किया की मैं उस को उसके लंड की चुसाई से और मुठ मार कर आधे रास्ते तक ले आई हूँ और अब चूत और लंड की चुदाई में हम साथ साथ झड़ सकतें है, तो मैंने उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला.

वो पेसेंजर सीट पर उसी तरह अधलेटा था और उस ने मुझे उसी पोजीसन में अपने ऊपर आने को कहा. मैं उस पर लेट गई. मेरी पीठ उस की छाती पर थी और उस का खड़ा हुआ चुदाई का औजार, उस का लंड मेरी गांड के नीचे था. उस के दोनों पैरो को मैंने अपने दोनों पैरो के बीच में ले कर चुदाई की पोजीसन बनाई. एक हाथ से मैंने मैंने कार के दरवाजे के ऊपर के हँडल का सहारा और सपोर्ट लिया और मेरा दूसरा हाथ ड्राईवर सीट के ऊपर था. मैं अब उस के लंड पर सवारी करने को तैयार थी. अपने दोनों हाथो के सपोर्ट से मैंने अपनी गांड ऊपर की तो उस का लंड राजा मेरी गीली, गरम और चिकनी चूत के नीचे आ गया.

हम इस तरह की अधलेटी पोजीसन में पहली बार चुदाई करने जा रहे थे और वो भी कार में. ये एक यादगार चुदाई होने वाली थी. उस के लम्बे लंड को अपनी चूत के दरवाजे पर लाने के लिए मुझे अपनी गांड काफी ऊपर उठानी पड़ी. उसने अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर मेरी चूत के दरवाजे पर सही जगह लगाया. अब ये मेरी जिम्मेदारी थी की मैं उस को अपनी सुविधा के अनुसार अपनी चूत में उतारूँ. मैंने अपनी गांड थोड़ी नीचे की तो उसके गरम लंड का अगला भाग मेरी चूत में घुस गया. ये छोटी जगह में चुदाई के लिए एक मुश्किल पोजीसन थी. अब जरूरत थी हम दोनों को अपनी चुदाई की काबलियत दिखने की ताकि हम एक अच्छी चुदाई का मज़ा ले सकें. लग रहा था जैसे मैं उस के लंड डंडे पर बैठी हूँ. मैंने अपनी पकड़ दरवाजे के हँडल पर थोड़ी ढीली की तो मेरी गांड थोड़ी और नीचे आई जिस से उस का औजार मेरी चूत की अंदरूनी दीवारों को रगड़ता हुआ और थोड़ा मेरी चूत में घुस गया. मैंने अभी भी दरवाजे के उपरी हँडल और ड्राईवर सीट का सहारा ले रखा था. मैं थोड़ी ऊपर हुई तो उस का लंड करीब करीब मेरी चूत से बाहर आ गया. सिर्फ उस के लंड का सुपाडा ही मेरी रसीली चूत के अन्दर था. मैंने अचानक मेरे हाथों का सपोर्ट छोड़ दिया और झटके के साथ अपनी नंगी गांड नीचे की. मेरी चूत में झटके से उसके लम्बे लंड के घुसने से मेरी चूत में थोड़ा दर्द जरूर हुआ पर उस का पूरा का पूरा लंड मेरी चूत ने खा लिया. उस का पूरा लौड़ा मेरी फुद्दी में लिए मैं उस के लंड पर, उस की गोद में बैठी थी और लम्बी लम्बी साँसे ले रही थी. मैंने नीचे देखा, उस की गोलियों की थैली उस के पैरों के बीच लटक रही थी. उस के लम्बे लंड का मुंह मेरी चूत में, मेरे पेट टक पहुँच चुका था. चुदाई करने के लिए धक्के लगाने के लिए हमने अपनी पोजीसन बनाई और मैंने फिर से एक बार अपनी गांड ऊपर की. अब नीचे से वो अपने गांड ऊपर नीचे करके अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करके मुझे आसानी से चोद सकता था और मैं भी ऊपर से चोद सकती थी और चुदवा सकती थी. उसने एक धक्का मेरी चूत में अपने लंड का अपनी गांड उठाकर लगाया तो उस का लंड फिर मेरी चूत में घुस गया. जब उस ने अपनी गांड नीचे की तो फिर उस का लंड थोड़ा बाहर आया. मैं भी हँडल और सीट पकड़ कर धक्के लगाने में उसका साथ देने लगी. जब उस की गांड नीचे होती तो मैं अपनी गांड ऊपर करती ताकि लंड थोड़ा बाहर आये और जब उसकी गांड ऊपर होती तो मैं अपनी गांड नीचे करती ताकि लंड पूरी तरह फिर मेरी रसीली चूत में घुस जाए.

इस तरह उस का लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर होता हुआ मुझे चोदने लगा और मैं अपनी चूत चुदवाने लगी. हम दोनों को ही इस नयी चुदाई की पोजीसन में मज़ा आ रहा था. उस ने भी अपने हाथ मेरी गांड के नीचे रखे जिस से मुझे सहारा मिला और मैं और भी ज्यादा आराम से अपनी गांड ऊपर नीचे हिला सकती थी. वो मेरी गांड को दबा रहा था, पकड़ रहा था, सहारा दे रहा था और हमारे बीच चुदाई का कार्यक्रम हाइवे के पास, नीचे जंगल में खड़ी कार में चलने लगा और किसी को पता नहीं चल रहा था की वहां हम दोनों के बीच में चुदाई हो रही है. दो चुदक्कड़ एक दुसरे को पूरी ताकत से, पूरी काबलियत से चोद कर मज़ा ले रहे थे, मज़ा दे रहे थे.
 
हमारा धक्के मारना, चोदना और चुदवाना लगातार जारी था और जरूरत के अनुसार हमारी गति बढती गई. मेरी चूत की अंदरूनी दीवार उस के लंड की रगड़ खा कर मस्त हो गई. चुदाई की गर्मी कार के अन्दर बढती गई और बाहर लगातार बरसात होती रही. हमारे चोदने - चुदवाने की गति जोर जोर से लंड चूत के धक्कों के साथ बढती चली गई. मेरा सिर आगे पीछे हो रहा था और गांड ऊपर नीचे हो रही थी, वो मेरी गांड दबा रहा था और बीच बीच में मेरे बोबे भी मेरे टॉप के ऊपर से दबा देता था. बाहर बरसात का संगीत था, पानी की बूँदें कार की छत पर गिर कर आवाज कर रही थी तो अन्दर कार में उस का लम्बा मोटा लंड मेरी चूत को रगड़ता हुआ, अन्दर बाहर होता हुआ, फचा फच की आवाज कर रहा था. मेरे दोनों हाथों में अपने शरीर का वजन सँभालने की वजह से दर्द होने लगा तो मैंने अपने हाथ छोड़ कर, थोड़ा झुक कर अपने दोनों हाथ उस की जांघों पर रख लिए जिस से मुझे थोड़ा आराम मिला. चुदाई लगातार जारी थी. उसका लंड मेरी चूत को चोदते जा रहा था, .......... चोदते जा रहा था.

मैं चुदवाते हुए झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी और मुझे लग रहा था की उस के लंड का रस भी मेरे झड़ने के साथ ही निकलेगा क्यों की उस के लंड का सुपाडा मेरी चूत में मोटा होता जा रहा था और उस के धक्कों की रफ़्तार बढ़ रही थी.

मेरे पैरों में ऐंठन होने लगी जो की झड़ने के करीब होने का सबूत था. मैंने मज़े के मारे अपना नीचे का होंठ दांतों में दबा लिया और मैं करीब करीब चिल्ला ही उठी - " आह -- ओह आह...... मैं तो गई डार्लिंगग्गग्गग्गग! "

और मैं झड़ चुकी थी. मेरा हो गया था. मैंने चुदाई की मंजिल पा ली थी. मैंने उस के धक्के मारते लंड को अपनी चूत में जकड़ा तो वो बोला - " जूली ........ मेरा भी निकलने वाला है ...... डार्लिंग जूली.......... आह............."

मैंने अपनी चूत की पकड़ उस के लंड पर ढीली की और वो मुझे फिर से चोदने लगा. और कोई १० / १२ धक्कों के बाद वो भी आनंद के कारण चिल्लाया ..." जूली.इ इ इ इ .............. "

और एक जोरदार धक्के के साथ उस के लंड ने अपने प्रेम रस की बरसात मेरी चूत के अन्दर करनी शुरू करदी. उस का लंड मेरी चूत को अन्दर से अपने प्रेम रस से भरने लगा. उस ने मुझे कस कर पकड़ लिया और उस का लंड नाच नाच कर मेरी चूत में अपने पानी का फव्वारा छोड़ रहा था. मैंने उस के लंड को अपनी चूत मे जकड़ लिया और पीछे हो कर, उसकी छाती पर अपनी पीठ टिका कर उस के ऊपर, उस के जैसे अधलेटी हो गई.

हम दोनों ही खुश थे क्यों की मेरे विदेश जाने और उस के दिल्ली जाने के पहले हम एक शानदार और यादगार चुदाई कर चुके थे.

हम कुछ देर यूँ ही पड़े रहे और उस का लंड नरम होने लगा था, उस के लंड का मेरी चूत में छोड़ा हुआ प्रेम रस मेरी चूत से वापस बाहर निकलना शुरू हो गया था. मेरे थोड़ी सी गांड हिलाते ही उस का नरम पड़ता लंड मेरी चूत से बाहर निकल आया. इस के साथ ही उस के लंड का काफी सारा पानी मेरी चूत से बाहर निकल आया.

मैं उठ कर ड्राईवर सीट पर आ गई और कार के देश बोर्ड से टिश्यू पेपर निकाले ताकि मैं अपनी चूत पूँछ सकूँ और कुछ टिश्यू पेपर रमेश को भी दिए ताकि वो भी अपना लंड साफ़ कर सके और जहाँ जहाँ उस के लंड से निकला पानी गिरा था, वो भी साफ़ कर सके.

इतनी देर चुदवाने के बाद मैं अब मूतना चाहती थी. बाहर अभी भी बरसात हो रही थी तो मैंने रमेश को कहा की मुझे मूतना है और उस से पुछा की क्या कार में छतरी है तो उस ने कहा की नहीं है और उस ने कहा की वो भी मूतना चाहता है. हम दोनों साथ में हंस पड़े. उस ने मुझसे कहा की वो कार के बाहर जाए बिना ही, कार के अन्दर से बाहर मूत सकता है. एक मर्द होने का ये फायदा है. और उस ने अपनी तरफ का कार का दरवाजा थोड़ा खोला और अपने लंड को पकड़ कर, लंड से मूत की धार बाहर फेंकता हुआ, कार में सीट पर बैठा बैठा ही मूतने लगा. उस के लंड से मूत की तेज धार निकल रही थी जो दूर तक जा रही थी. बिना कार में मूत की एक भी बूँद गिराए उस ने अपना मूतना पूरा किया और कार का दरवाजा वापस बंद करते हुए बोला की "बरसात बहुत जोर से हो रही है. वापस जाते समय रास्ते में जो भी पहला होटल मिलेगा, वहां मैं गाडी रोक दूंगा और तुम वहां आराम से मूत लेना. "

मैं बोली " मैं भी यहाँ तुम्हारी तरह मूतने की कोशिश करती हूँ. "

वो हंस पड़ा और बोला " ओक ! ठीक है. कोशिश करो पर कार के अन्दर मत मूत देना. "

मैंने कार का ड्राईवर साइड का दरवाजा खोला, अपने पैर कार की बाहर की तरफ घुमाए, पैर चौड़े किये, अपनी चूत के होठों पर दोनों तरफ दो उँगलियाँ रखी और अपने गांड उठाली और जोर लगा कर तेजी से अपना मूत बाहर फेंकने लगी. मेरी उँगलियों का दबाव मेरी मूत करती चूत पर होने की वजह से मेरे मूत की धार बाहर तक जा रही थी. मैंने इस काम को सफलता पूर्वक कर लिया और फिर से टिश्यू पेपर से अपनी चूत साफ़ की. मेरे मूत की कुछ बूँदें नीचे, कार के दरवाजे / सीट के पास गिरी थी पर बाहर होती बरसात का पानी भी उन पर गिरा था सो अपने आप ही सफाई हो गई थी.

मेरे पैर भी थोड़े बरसात के पानी से मूतने के समय गीले हो गए थे. मैंने अपनी चड्डी और जीन पहनने के पहले अपने पैरों को भी पूंछा. उस ने मेरी ब्रा का हुक पीछे से लगाया और अपने कपड़े पहनने लगा. मैंने अपने टॉप के खुले हुए बटन बंद किये.

हम अब घर जाने के लिए तैयार थे. हम दोनों ही एक मजेदार चुदाई बाहर होती बरसात में कार के अन्दर कर चुके थे और वो भी हाइवे के पास, बिना किसी को पता चले. ये एक बहुत ही रोमांचक और याद रहने वाली चुदाई थी.

हम दोनों वापस अपने घर की तरफ कार में बीअर पीते हुए चल पड़े.

क्रमशः..........................
 
जुली को मिल गई मूली – 9

गतान्क से आगे…………………….

मैं अपनी जिंदगी मे चुदाई के मज़े मे पूरा विश्वास रखती हूँ और एक अच्छी चुदाई के लिए तय्यार रहती हूँ. बहुत से पढ़ने वाले सोचते है कि मैं बहुत चुड़क्कड़ हूँ और कोई भी मुझे चोद सकता है. मोस्ट्ली रीडर्स मुझको चोद्ना चाहते है, ये उनकी मैनल से पता चलता है.

हां.......... मैं बहुत सेक्सी हूँ, पर सब को पता होना चाहिए कि मैं अपने चाचा और अपने प्रेमी से चुद्वा कर पूरी तरह सन्तुस्त हूँ. जब भी मेरा चुदाई का मन होता है, चाचा और प्रेमी तय्यार है, और जब उनके लंड को चूत चाहिए, मेरी चूत तय्यार है. कभी कभी ऐसा मौका भी आता है जब दोनो मे से कोई भी अवेलबल ना हो तो मैं अपनी उंगलियों का या मेरे वाइब्रटर का इस्तेमाल करती हूँ.

एक बार ऐसा मौका आया जब मेरे चाचा और मेरा प्रेमी दोनो ही कुछ समय के लिए बाहर गये थे, तब मैने थोड़े समय के लिए एक कमसिन लड़के से चुद्वाया था. उस लड़के के साथ ये कुछ दिनो का ही चुदाई का रिश्ता था, इसलिए मैने इस के बारे मे दोनो को ही, मेरे चाचा को और मेरे प्रेमी को नही बताया. ये राज़ सिर्फ़ मेरे तक है.

कभी कभी मुझे बहुत बुरा महसूस होता है कि मैने सच्चाई च्छुपाई है पर मैं ये सोच कर चुप हो जाती हूँ कि मेरी किस्मत मे ये ही था क्यों कि उस समय मैं चुदाई के लिए मजबूर हो गयी थी.

मैं ये लिख कर ये साबित नही करना चाहती की मैने जो किया सही किया, पर मेरे मे सच को कबूल करने की ताक़त है, भले ही वो सही हो या ग़लत, पर मैने जो किया, वो कबूल किया. मेरा ये मान ना है कि जो एक बार हो गया, उसको फिर "बिना किया" नही किया जा सकता और हम को सच को स्वीकार करना ही पड़ेगा. मुझे पता है कि बहुत से लोग है, लड़का/लड़की तथा आदमी/औरत, जिन्होने अपने परिवार मे चुदाई की है या चुदाई करवाई है, पर वो सब इस को सीक्रेट रखते है. मैने भी अपने चाचा से चुद्वाया और इस को अपने पेरेंट्स से सीक्रेट रखा. पर, मुझे गर्व है अपने आप पर की मैने अपने चाचा से चुद्वाने की बात अपने प्रेमी से सीक्रेट नही रखी. उस को सब कुछ सच सच बता दिया, और आप सब रीडर्स को भी तो बताया है.

खैर................ अब असली कहानी पर आती हूँ....... 

उस समय मैं करीब 24 साल की थी और किसी भी लड़की से बेहतर अपनी चुदाई की जिंदगी के मज़े ले रही थी. मैने अपनी ग्रॅजुयेशन पूरी करली थी और मैं अब पूरी तरह अपने परिवारिक बिज़्नेस को देख रही थी. जैसा कि मैने पहले बताया है, हमारा फार्म प्रॉडक्ट्स एक्सपोर्ट्स का बिज़्नेस है और मैं अपने चाचा के साथ एक्सपोर्ट मार्केटिंग की ज़िम्मेदारी उठा रही थी. मेरे पापा खेती और प्रोडक्षन का काम देखते है. हमारा बहुत बड़ा फार्म है जहाँ हम काजू और आम की खेती करतें है. हमारे फार्म का एक बड़ा हिस्सा अभी भी एक घना जंगल है जिसको हम ने अभी भी अपने नेचर लव की वजह से डेवेलप नही किया. या यौं कहिए कि अभी तक इस की ज़रूरत ही नही पड़ी थी हमारे प्रॉडक्ट के लिए.

हमारे फार्म मे काम करने वालों के लिए हम ने इसी जंगल मे जाने वाले रास्ते पर उनको घर बना कर दिए है उनके रहने के लिए. इसी तरह फार्म के एक किनारे हमारा कॉटेज भी है. जब भी मैं वहाँ जाती थी, अपने फार्म का पूरा चक्कर लगाती थी और प्रोग्रेस देखती थी खेती की. मैं जंगल मे भी जाती थी घूमने के लिए और किसी पेड़ के नीचे बैठ कर कभी कभी आराम भी कर लेती थी क्यों कि मुझे जंगल मे घूमना, नेचर को देखना अच्छा लगता था. इस जंगल मे कोई भी जंगली जानवर नही था.

मेरा प्रेमी देल्ही मे सर्विस करता था और उस समय देल्ही मे ही था. जब भी लीव मिलती, वो गोआ आ जाता था. मेरे चाचा काम से गोआ के बाहर गये हुए थे.

एक दिन, मैं अपने फार्म पहुँची. उस समय दोपहर के 3.00 बजे थे. मैने अपनी कार कॉटेज मे पार्क की और फार्म का एक राउंड लिया. वो गर्मी का समय था. जब मैं जंगल के पास थी तो मैने थोड़ी थकान महसोस की. मैं जंगल के अंदर गयी तो घने पेड़ों के बीच बहुत ही अच्छा फील हुआ. वहाँ ठंडी हवा चल रही थी. मैने अपनी पानी की बॉटल निकाली और एक बड़े पेड़ के नीचे बैठ कर पानी पिया. मुझे वहाँ बहुत अच्छा लग रहा था और मैने कुछ देर पेड़ के नीचे आराम करने की सोची. पता नही, बैठे बैठे कब मेरी आँख लग गई. मैं करीब आधे घंटे के बाद उठी.
 
मेरी पेशाब करने की इच्छा हुई. मैं उसी पेड़ के नीचे मूट लेती पर मैने सोचा अगर वर्कर्स के घर की तरफ से कोई मुझे ढूढ़ता हुआ आ गया तो मुझे मूत ते हुए देख लेगा. मीं नही चाहती कि कोई मेरी नंगी चूत या मेरी नंगी गंद देख ले. मैं पास की एक चट्टान की तरफ बढ़ी ताकि उसके पीछे मूत सकूँ. उस चट्टान के पीछे पहुँच कर मैने अपनी जीन्स के बटन खोले, उसको नीचे किया, फिर चड्डी को भी नीचे किया और मूतने बैठ गई. अचानक मुझे कोई आवाज़ सुनाई दी जैसे कोई नज़दीक ही बातें कर रहा है. मैने मूत ते हुए इधर उधर देखा पर कोई नही दिखा. मैं मूत कर खड़ी हुई और अपनी चड्डी और जीन्स वापस पहन ली. मैं अभी भी सोच रही थी कि आवाज़ कहाँ से आई थी. थोड़ा आगे एक और बड़ी चट्टान थी और मुझे लगा की आवाज़ वहाँ से आई है. तब तक एक बार फिर से आवाज़ आई, और कुछ समय तक आती रही. मुझे लगा की उस चट्टान के पीछे दो आदमी बातें कर रहे थे. मैं जान ना चाहती थी कि आख़िर बात क्या है. मैं सावधानी से, बिना आवाज़ किए उस चट्टान की तरफ बढ़ी. मैं उस चट्टान के उपर पहुँची और जो मैने वहाँ देखा, मेरी आँखों को विस्वास नही हुआ. मेरी आँखें खुली की खुली रह गई.

मैने ऐसा पहले कभी भी नही देखा था. एक दम अधभूत नज़ारा था वो. वहाँ केवल एक आदमी था, शायद 40 बरस के आस पास होगा और वो लोकल गोआ की भासा मे चुदाई के आनंद मे बोल रहा था. वो अपनी कमर के नीचे नंगा था और उपर केवल एक शर्ट पहने हुए था. उसकी पॅंट और चड्डी पास ही ज़मीन पर पड़ी थी. मुझे उसका पीछे का भाग और उसकी नंगी गंद दिख रही थी. और जिसको देख कर मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी थी वो यह थी कि ना तो वो मूठ मार रहा था और ना ही किसी औरत को चोद रहा था. वो तो एक बकरी को चोद रहा था. उसके पैर फैले हुए थे ताकि बकरी की चूत मे उसका लंड आराम से आ जा सके. उसने उस बकरी को पीछे से पकड़ा हुआ था और उस को किसी औरत की तरह चोद रहा था. वो उस बकरी को रानी, डार्लिंग..... ऐसे बुला रहा था अपनी चुदाई की मस्ती मे. उसकी गंद आगे पीछे हो रही थी. और वो बकरी चुप चाप खड़ी हुई उस आदमी से चुद्वा रही थी जैसे उस को भी चुद्वा कर मज़ा आ रहा हो.

मैं समझ गयी कि शायद वो बकरी उस की रेग्युलर चुदाई की पार्ट्नर थी. चुदाई की मस्ती मे वो बहुत कुछ बोल रहा था, कुछ मैं समझी और कुछ नही भी समझी. वो आदमी शायद हमारे फार्म पर काम करता था और उस को इस से अच्छी और सेफ जगह बकरी को चोद्ने के लिए और कहीं नही मिली थी. एक बार फिर मैने एक अलग तरह की चुदाई देखी कि कैसे जानवर को चोदा जाता है. वो मुझे नही देख सका क्यों कि मैं तो उसके पीछे थी, चट्टान के उपर और घने पेड़ होने की वजह से शॅडो भी नही था. वो लापरवाही से, पूरे मज़े से बकरी को चोद रहा था और मज़ा ले रहा था. अब वो और ज़ोर ज़ोर से अपनी गंद हिलाने लगा था और ज़ोर ज़ोर से बोलने लगा था. उस के धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसका लंड तेज़ी से बकरी की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था. अब शायद वो झरने के नज़दीक था. अचानक उस ने बकरी को ज़ोर से पकड़ लिया और मैं समझ गयी कि उसने अपने लंड का पानी बकरी की चूत मे छ्चोड़ दिया है. और वो बकरी अभी भी चुप चाप खड़ी थी जैसे उस को भी इस चुदाई का पूरा मज़ा आया हो.

थोड़ी देर बाद उस ने अपना लंड बकरी की चूत से बाहर निकाला. मैने देखा कि उसका लंड एक दम काला, लंबा और काफ़ी मोटा था. शायद उस बकरी को उसके लंबे और मोटे लंड से चुद्वाने मे बहुत मज़ा आया होगा. उस ने नीचे पड़ी पेड़ की पत्तियों से अपना लंड सॉफ किया और अब मैने देखा की बकरी भी थोड़ी आगे हो गयी और अपनी चूत चाट कर सॉफ करने लगी.

मैं पीछे मूडी और अपने कॉटेज की तरफ रवाना हो गई. जो मैने देखा था वो मेरी ज़िंदगी मे पहली बार देखा था. इस तरह किसी आदमी को बकरी को चोदते हुए मैने पहले कभी नही देखा था. मैं अपने कॉटेज मे जल्दी से जल्दी पहुँचना चाहती थी क्यों कि वो नज़ारा देखने के बाद मैं गरम होने लगी थी और मेरी चड्डी मेरी चूत से निकलने वाले रस से गीली होने लगी थी.

मैं अपने कॉटेज मे पहुँची और मैं दरवाजा अंदर से बंद किया. आप की सूचना के लिए बता दूं कि किसी का भी कॉटेज के अंदर बिना बुलाए आना मना है. रोज़ सुबह एक सफाई वाली औरत आ कर अंदर से सफाई करती है. वॉचमन बाहर की बाउंड्री के गेट पर रहता है. इस लिए यहाँ मैं आज़ाद थी, कॉटेज के अंदर कुछ भी करने के लिए.
 
मैने बेडरूम मे आ कर अपने सभी कपड़े उतार कर नंगी हो कर अटॅच्ड बाथरूम मे आ गई. मैने शवर चालू किया और शवर के ठंडे पानी के नीचे खड़ी हो कर अपने सेक्सी नंगे बदन पर हाथ फिराना चालू किया. मेरा मन हो रहा था कि काश मेरे चाचा या मेरा प्रेमी मेरे साथ इस समय होता तो मैं जम कर चुद्वाती. लेकिन क्या करती, दोनो ही नही थे, दोनो ही गोआ के बाहर थे. मैने अपना एक हाथ अपनी रसीली चूत पर रखा और दूसरे हाथ से अपनी चुचियों को मसल्ने लगी. मेरी सफाचत चूत बाहर और अंदर के पानी से पूरी तरह गीली थी. मेरा बदन ठंडे पानी के नीचे भी गरम हो रहा था और फिर मैं अपने आप को ज़्यादा देर तक रोक नही पाई. मैने अपनी चूत मे अपनी उंगली डाली और जल्दी जल्दी अपनी चूत को अपनी ही उंगली से चोद्ने लगी. मेरी उंगली मेरी चिकनी और रसीली चूत मे अंदर बाहर होने लगी. क्यों कि मैं पहले से ही काफ़ी गरम थी जब से मैने उस आदमी को बकरी की चूत चोद्ते हुए देखा था, मैं जल्दी ही झार गई, पर मुझे ज़्यादा मज़ा नही आया. मेरी उंगली अभी भी मेरी चूत के अंदर ही थी और मैने अपने दोनो पैर भींच रखे थे. थोड़ी देर बाद मैने अपनी चूत से अपनी गीली उंगली निकाली और शवर बंद कर दिया.

फिर मैने नल खोला और अपने दोनो पैर चौड़े करके, नल की धार के नीचे अपनी चूत को अड्जस्ट कर के बैठी. अब नल की तेज धार सीधी मेरी चूत पर आ रही थी. चूत पर गिरता नल का पानी मुझे बहुत मज़ा दे रहा था. ये एक अनोखा तरीका है खुद को चोद्ने का. नल की बहती हुई तेज धार जो सीधी मेरी खुली हुई चूत के बीच मे गिर रही थी और जल्दी ही मेरा बदन अकड़ने लगा और मैं एक झटका खा कर बहुत ज़ोर से झर गई. मैं तो जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी इतनी ज़ोर से झार के.

अपने जलते हुए बदन की गर्मी मिटा कर मैं बाथरूम से बाहर आई तो करीब 5.30 हो चुके थे.

मुझे रात की ड्यूटी करने वाले वॉचमन को कुछ ज़रूरी इन्स्ट्रक्षन देने थे इस लिए मैं कपड़े पहन कर बाहर आई. दिन की ड्यूटी करने वाला वॉचमन गेट पर अपने कॅबिन मे था. मैने उस से रात के वॉचमन ( मदन ) के बारे मे पूछा तो उसने बताया कि वो अपने रूम मे है जो कि हमारे कॉटेज के पीछे बना हुआ था. दोनो वॉचमन के रहने के लिए रूम कॉटेज के पीछे बने थे. मैने उसको बुलाने के बजाय खुद ही उस के रूम की तरफ जाने की सोची.

मैं जब उसके रूम के पास पहुँची तो पाया कि उसका रूम अंदर से बंद है. अचानक मैने कुछ आवाज़ें सुनी ऊ..... .आ ..... ऊऊओह .......... आआहह.

मैं जानती थी कि मदन अकेला रहता था. फिर ये आवाज़ें कैसी? ज़रूर वो किसी औरत को अपने रूम मे बुला कर चोद रहा था, पर मैने कोई जानना आवाज़ नही सुनी. मैं उसके रूम की खुली खिड़की की तरफ बढ़ी. उस दिन का दूसरा अनोखा ड्रामा देख कर मैं दंग रह गई.

मदन पूरी तरह नंगा था और उस के साथ एक 16 / 17 बरस का लड़का था, वो भी पूरा नंगा था. मदन उस लड़के की गंद मार रहा था. लड़का घोड़ी बना हुआ था और उस लड़के को पीछे से कुत्ते की तरह चोद रहा था. मदन का लंड पूरा उस भोले भाले दिखने वाले लड़के की गंद मे था और वो लड़का दर्द के मारे ऊऊहह.....आआहह आआहह कर रहा था. जब भी मदन अपने लॅंड का धक्का उसकी गंद मे लगता, लड़का दर्द के मारे धीरे धीरे चिल्लाता था. वो बहुत ही प्यारा सा और सुंदर लड़का था. उसकी गंद छ्होटी सी थी पर बहुत ही प्यारी लग रही थी गोल गोल. उस लड़के का लंड गुलाबी रंग का था. लड़के का लंड मोटा नही था पर लंबा था. मैने देखा की मदन का लंड भी कोई मोटा नही था पर फिर भी उस लड़के को गंद मरवाने मे दर्द हो रहा था. उस लड़के का लंड मुझे पूरा दिख रहा था क्यों कि वो घोड़ी बना हुआ था और मदन पीछे से उसकी गंद मार रहा था. मिने गंद मारने और मरवाने की कई मूवी देखी थी पर पहली बार अपनी आँखों के सामने किसी को गंद मारते और मरवाते हुए देख रही थी. उस लड़के की गंद मारते हुए मदन ने अपना हाथ नीचे करके उस लड़के के पतले, गुलाबी लंड को पकड़ा और उस को हिलाने लगा. वो उस लड़के की गंद मार रहा था और उसके लंड को पकड़ कर मूठ मार रहा था. थोड़ी देर बाद उस ने उस लड़के की गंद से अपना लंड निकाल कर सॉफ किया तो मैने देखा की मदन का लंड साधारण लंबाई का था और मोटा भी नही था लेकिन मज़बूत लग रहा था उस का काला लंड. अब वो दोनो नंगे एक दूसरे के आमने सामने बैठे थे. मदन ने उस लड़के के हाथ मे अपना लंड दिया और उस को मूठ मारने को कहा. लड़के ने वो ही किया जो मदन ने कहा था. उसने मदन का लंड अपनी हथेली मे पकड़ा और उपर नीचे.... उपर नीचे करते हुए मूठ मारने लगा. मदन पहले ही उस की गंद मार कर गरम हो चुका था इस लिए जल्दी ही उस के लंड ने पानी निकाल दिया. फिर मदन ने उस लड़के के प्यारे से, गुलाबी लंड को पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाते हुए मूठ मारने लगा. अब लगता था की लड़के को भी मूठ मरवाने मे मज़ा आने लगा था और उसकी आँखें बंद होने लगी थी. जिस तरह उसने मदन के लंड पर मूठ मारी थी, उस से लगता था की उस लड़के को चुदाई के बारे मे ज़्यादा मालूम नही था. मदन ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मूठ मार रहा था लेकिन काफ़ी समय तक लड़के का पानी नही निकला था. लगता था बड़ा हो कर वो चुदाई का उस्ताद बनेगा और किसी भी औरत या लड़की को बहुत देर तक चोदेगा. मदन ने तक कर अपना हाथ बदली किया और अपने दूसरे हाथ से फिर से ज़ोर ज़ोर से उस लड़के के लंड को हिलाते हुए आगे पीछे...... उपर नीचे करने लगा. थोड़ी देर बाद लड़के की गंद उपर होने लगी और उसके लंड ने ज़ोर से हवा मे पानी छ्चोड़ा.

मैं वहाँ से हट गई और वापस मैन गेट पर आ कर दिन के वॉचमन को मदन को मेरे पास कॉटेज के ऑफीस मे भेजने को कहा.
 
मैं वापस कॉटेज मे आ गई और सोच रही थी उस के बारे मे, जो दो अनोखी चुदाई मैने पिछले दो घंटों मे देखी थी. बहुत ही अलग किस्म की दो चुदाई. आदमी बकरी को चोद रहा था और आदमी लड़के को चोद रहा था.

मैं उस प्यारे से लड़के के बारे मे सोच रही थी. खास करके उसके गुलाबी लंड के बारे मे जो बहुत ही प्यारा लगता था. मैने कभी किसी लड़के का गुलाबी लंड नही देखा था., देखा था तो डार्क कलर का मेरे पापा का लंड, मेरे चाचा का लंड और मेरे प्रेमी का लंड. हां, और उस दिन बकरी चोद्ते आदमी का और लड़के को चोद्ते मदन का लंड. तो ये थी लंड की लिस्ट जो अब तक मैने देखे थे.

हां, तो बात उस लड़के के पतले, लंबे और गुलाबी लंड की हो रही थी. सब से खास बात मैने नोट की वो ये कि उस लड़के का पानी निकलने मे काफ़ी वक़्त लगा था. किसी भी औरत को सॅटिस्फाइ करने के लिए ये बहुत ज़रूरी है कि मर्द का पानी निकलने मे बहुत टाइम लगे. मैने मन ही मन उस लड़के का गुलाबी लंड अपनी चूत मे डलवा कर कम से कम एक बार तो चुद्वाने की ठान ली. मैने चाचा और अपने प्रेमी के बारे मे सोचा, पर ईमानदारी की बात ये है कि उस लड़के के गुलाबी लंड ने मुझे इतना मोहित किया कि मेरे दिमाग़ मे घूम फिर कर वो और उसका प्यारा सा गुलाबी लंड ही आ रहा था.

मदन मेरे सामने खड़ा था और उसके चेहरे से ये बिल्कुल भी नही लग रहा था कि अभी अभी वो एक छ्होटे लड़के की गंद मार कर आया है. वो एकदम नॉर्मल लग रहा था. मुझे जो इन्स्ट्रक्षन उस को देने थे वो मैने दिए. मैने उसको उस लड़के की गंद मारने के बारे मे कोई बात नही की. जब मैने उसको जाने को कहा तो उसने मुझसे अपने एक रिश्तेदार की नौकरी की रिक्वेस्ट की. मैं समझ गई कि वो उस लड़के की बात कर रहा था.

मैने पूछा - कौन है वो?

मदन - मेमसाब, वो मेरा एक रिश्तेदार है, मेरे ही गाँव का है, उस का नाम रतन है और वो 17 साल का है. वो पढ़ा लिखा नही है और बहुत ही ग़रीब है. लेकिन बहुत समझदार, मेहनती और ईमानदार है. वो अपनी मा का एक ही लड़का है और उस का बाप नही है. उसको मैने ये सोच कर यहाँ बुला लिया की उसको कुछ ना कुछ तो काम यहाँ मिल जाएगा. उस को खेती के बारे मे भी पता है.

मैं उस को पूछना चाहती थी कि उस के साथ वो अपने रूम मे क्या कर रहा था, पर मैने इस के बारे मे चुप रहना ही ठीक समझा. मैने ये भी सोचा कि अगर मैने अभी उस लड़के को बुलाया तो में अपने आपे मे नही रहूंगी क्यों कि उसका प्यारा सा गुलाबी लंड मेरे दिमाग़ मे घर कर चुका था. मैने सोच समझ कर उस से चुद्वाने का सोचा.

मैने मदन से कहा कि मैं कल फिर आने वाली हूँ, तब वो उस लड़के को मेरे पास ले आए.

और मैं घर के लिया रवाना हो गई. रास्ते मे ही, कार चलते चलते मैने उस लड़के को नौकरी देने की सोच ली.

घर पहुँचने के बाद मैने अपने पापा से बात की और हम ने उस को अपने कॉटेज की देख भाल करने के काम के लिए रखने का डिसाइड किया.

अगले दिन, मैं फिर फार्म हाउस गई और वहाँ ग्राउंड फ्लोर पर अपने ऑफीस मे बैठी काम कर रही थी की मदन और वो लड़का (रतन) ऑफीस मे आए.

मदन ने लड़के से कहा " ये हमारी मेम्साब है."

रतन ने आगे आ कर मेरे पैरों को हाथ लगाया और बोला

" मेमसाब! मेरा नाम रतन है. मैं बहुत ईमानदारी और बहुत मेहनत से काम करूँगा. आप जो भी काम बताएँगी, वो करूँगा, जो भी सॅलरी देंगी, ले लूँगा, मुझे नौकरी की बहुत ज़रूरत है क्यों कि मेरी एक बुद्धि और बीमार मा है गाँव मे. हम बहुत ग़रीब है."

मैं - मदन, तुम जाओ. मैं इस लड़के से बात करना चाहूँगी.

मदन चला गया और मैने रतन से बैठने को कहा.

रतन - मेमसाब! आप के सामने मैं कैसे बैठ सकता हूँ.

मैं - तुम बैठ सकते हो, क्यों कि अभी तक तुम मेरे नौकर नही हो, मैने अभी तक तुम को नौकरी पर नही रखा है.

और वो डरता हुआ धीरे से एक कुर्सी के कोने पर बैठ गया.

मैं - मदन से तुम्हारा क्या रिश्ता है?

रतन - कोई नज़दीक का रिश्ता नही है मेम्साब! दूर के रिश्ते मे मेरा भाई लगता है.

मैं - तुम क्या काम कर सकते हो?

रतन - जो आप कहेंगी मेम्साब. मैं खेती का काम कर सकता हूँ, आप के लिए खाना बना सकता हूँ, जो आप बोलेंगी वो काम करूँगा.

मैं - यहाँ मदन के साथ कितने दिनो से रह रहे हो?

रतन - आज चौथ दिन है मेम्साब. मदन ने कहा था कि जब भी साहेब या मेम्साब आएँगे, वो मेरी नौकरी के लिए बात करेगा.

मैं - ठीक है. तुम को नौकरी मिल जाएगी, पर मुझे झूट बोलने वाले पसंद नही है.

रतन - मैं झूट नही बोलूँगा मेम्साब. हमेशा सच बोलूँगा.

मैं - तुम मदन के साथ रहना चाहते हो या अलग रूम मे रहना चाहते हो?

रतन - जैसा आप चाहें मेम्साब.

मैं - तुम क्या चाहते हो?

रतन - मुझे सब मंजूर है मेम्साब. अगर आप मुझे अलग रूम देती है तो मैं अपनी मा को यहाँ बुला लूँगा या किसी के साथ अड्जस्ट करलूंगा. जैसा आप चाहें.

मैं - क्या तुम मदन को पसंद करते हो?

रतन - बहुत पसंद करता हूँ मेम्साब. उसी के कारण तो मुझे नौकरी मिली है.

मैं - वो उस का एहसान है तुम पर. मैने पूछा है क्या तुम मदन को सही मे पसंद करते हो?

वो कुछ जवाब नही दे सका और मैं इस का कारण समझती थी. उसको मदन से अपनी गंद मरवाना पसंद नही था. शायद वो अपनी ख़ुसी से अपनी गंद नही मरवाता था.

मैं - मैने तुम से कहा था, मुझे झूठ बोलने वाले पसंद नही है. तुम्हारा मदन से सही मे क्या रिश्ता है? मेरा मतलब कल शाम को 5.30 / 6.00 बजे से है.

उस की आँखें चौड़ी हो गई और मूह खुला का खुला रह गया. वो समझ गया कि मुझे सब पता चल गया है. उसने मेरे पैर पकड़ लिए और बोला " मुझे माफ़ कार्दिजिए मेम्साब. मैं वो सब करने को मजबूर था. मुझे शरम आती है पर मुझसे ज़बरदस्ती की गयी थी. मैं अब वैसा कभी नही करूँगा."

और वो एक बच्चे की तरह रोने लगा.
 
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