non veg story नाना ने बनाया दिवाना - Page 6 - SexBaba
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non veg story नाना ने बनाया दिवाना

डिनर के बाद हम जब लौटे तो पापा भी आ चुके थे। हम सब रूम बैठ के गप्पे मार रहे थे।नानाजी सोने लगे मतलब की सोने का नाटक करने लगे। थोड़ी देर बाद मैं भी नींद आने का सीन बनाने लगी। जो की उनके प्लान के हिसाब से था। क्यू की नेहा ने पापा को बताया था की उसने हमें नींद की गोली खिला दी है।

पापा कहने लगे की ""चलो मैं जाता हु तुम लोगो को शायद बहोत नींद आ रही है। बाबूजी को यही सोने दो अब उन्हें जगाना ठीक नहीं होगा।""

ह्म्म्म्म जैसे हमें पता ही नहीं था की उन्होंने तिन लोगो के लिए रूम लिया था। और खुद के लिये सामने ही दूसरी रूम ली थी...।

हमने उनको गुड़ नाईट बोला। वो चले गए। 15 min के बाद नेहा भी चली गयी। नेहा ने रूम बाहर से लॉक कर दी और मैंने अंदर से।मैं धड़कते दिल से दरवाजा लॉक करके पलटी। तो देखा नानाजी मेरे पीछे ही खड़े थे।उनहोंने मुझे बाहो में भर लिया और पागलो की तरह मुझे चूमने लगे। मेरे गालो को होठो को गले को और पुरे बदन पे हाथ घुमाने लगे। मैं भी उनका साथ दिए जा रही थी। चूमते चूमते ही उन्होंने मेरे सारे कपडे उतार दिए। जब हम एक दूसरे को चूमते चूमते थक गए तो बेड पे धड़ाम से गिर गए।

मैं:= नानाजी... क्या आप भी मुझे तो पूरा नंगा कर दिया पर खुदके एक भी कपडे नहीं उतारे।

नानाजी ने मुझे अपनी और खीचा और मेरा पैर अपनी कमर पे रखा और लंड मेरी चूत में चुभाने लगे। मेरी नंगी गांड पे हाथ घुमाते हुए बोले...

""मैंने कहा रोका है उतार लो""

मैं:= वो तो उतार ही दूंगी...मैं बता नहीं सकती उस दिन से कितनी तड़प रही हु मैं...

नानाजी:= तड़प तो मैं भी रहा था कबसे....
 
नानाजी:= नहीं जो भी थी वो 30 के आस पास वाली थी।

मैं:= आपकी लैंग्वेज में आपने सिर्फ भोसड़े चोदे है.... कच्ची उम्र की चूत आज मिलने वाली है आपको....मैं मादक आवाज में बोली।

नानाजी:= हा मेरी जान... नानाजी मेरी गांड को पकड़ के अपनी और खीचते हुए बोले।

मैं:=उफ़्फ़्फ़ग नानाजीईईई...

नानाजी:= माधवी सच में बहोत ही सेक्सी हो तुम... और ये तुम्हारी चुचिया तो क़यामत है....।

मैं:= रहने दीजिये... मुझे चढ़ाने की जरुरत नहीं है... लेटी तो हु आपकी बाहो में... ये मखन लगाने की जरुरत नहीं है।

नानाजी:= नहीं सच में ये तुम्हारे जिस्म की खुशबू अह्ह्ह्ह और ये तुम्हारा संगेमरमर सा बदन उफ्फ्फ्फ्फ़ देख के ही लंड खड़ा हो जाता है।

मैं:=अगर ये बात है तो इन्तजार किस चीज का है.... डालिये अपना लंड मेरी चूत में ....मैं आहे भरती हुए बोली।

नानाजी:= तुम ऐसे बोलोगी तो दिन रात तुम्हे चोदते रहने का मन करेगा।

मैं:=दिन का तो पता नहीं पर हर रात ये लंड मुझे अपनी चूत चाहिए जितने दिन मैं यहाँ हु।

नानाजी:= हा मेरी गुड़िया रानी....ऐसे चोदुंगा तुम्हे की तुम ये छुट्टियां जिंदगी भर याद रखोगी....

मैं:= ओह्ह्ह्ह उम्म्म नानाजी मैं भी आपके लंड को ऐसा मजा दूंगी की आप मेरी चूत की याद में खिचे चले आएंगे मुम्बई मुझे चोदने......

नानाजी:=उम्म्म्म माधवी अह्ह्ह क्या अदाएं है तुम्हारी.... देखो ना मेरा लंड कैसा गिला गिला कर दिया है तुमने अपनी बातो से....अंडरवियर के साथ साथ पैजामा भी गिला होने लगा है...

मैं:=सीसीसीसीसी आह्ह नानाजी चूत तो मेरी भी कम गीली नाही है अह्ह्ह्ह।

नानाजी:= जरा देखु तो... हम्म आहा क्या नरम और मुलायम चूत है तुम्हारी माधवी.... और इसका पानी उफ्फ्फ्फ्फ्फ।

मैं:= उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह नानाजी उस दिन आपके लंड का पानी उफ्फ्फ्फ़ बहोत ही अच्छा लगा था मुझे।

नानाजी:= तो तुम्हे रोका किसने है जाओ और लेलो टेस्ट .... पर मुझे भी तुम्हारी चूत का पानी टेस्ट करने दो...

मैं उठ के नानाजी का लंड पैंट के ऊपर से ही मुह में लेने लगी। फिर मैंने उनका पैंट अंडरवियर के साथ ही निकाल दिया। और उनका लंबा लंड हाथ पे पकड़ा। उसके लाल सुपाड़े पे प्रीकम किसी मोती की भाति चमक रहा था उफ्फ्फ्फ़ उम्म्म मैंने उसे अपनी जुबान से चाट लिया आह्ह्ह्ह्ह्ह।

नाना:=उफ्फ्फ्फ़ आह्ह्ह उम्म्म माधवी सीसीसी।

मैं:= क्या हुआ?

नानाजी:= ऐसा लगा जैसे किसीने गुलाब की पंखुड़ी मेरे लंड के ऊपर से फिराई हो अह्ह्ह्ह... माधवी मुझे भी तो चखाओ अपना रस....

मैं:= रुकिए ना अहह पहले मैं जी भर के चखलु फिर आप को देती हु।

नानाजी:= अरे उस दिन जैसे आके रख दो अपनी चूत मेरे मुह पे...

मैं पलट के उनके मुह के ऊपर बैठ गयी।

नानाजी मेरी गीली चूत को निहारते हुए बोले""स्स्स आह्हा माधवी तुम्हारी चूत कितनी गीली है उफ्फ्फ और इसकी खुशबू उम्म्म्म्म .....इतनी खूबसूरत है .... भगवान् ने भी इसे बनाया होगा तब उसका भी ईमान डौल गया होगा....."""

नानाजी की ऐसी बाते और उनके होठ और जुबान इस कदर मेरी चूत को लग रही थी की मैं क्या बताओ। अब तो वो और भी पानी छोड़े जा रही थी। हम दोनों इस कदर एक दूसरे के गुप्तांगो को चूस रहे थे चाट रहे थे की बस ये पहली और आखरी बार है।मैं नानाजी के होठो के और जुबान की आगे ज्यादा देर टिक नहीं पायी और झड़ गयी। मैंने भी हार नहीं मानी और उनके लंड को इस कदर चूसा और चाटा की 5 min में ही उनका पानी निकल गया। उम्म्म्म्म्म मैं उनके वीर्य की पिचकारियों को को अपने मुह पे लेने लगी उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ क्या गरम था उनका पानी उम्म्म्म्म मैंने खुदको और नानाजी के लंड को साफ़ किया। और उनकी छाती पे सर रखकर सोने लगी।
 
नानाजी:= उम्म्म वाह माधवी आज तुमने जिस तरीके से मेरे लंड को चूसा है वैसे किसीने आज तक नहीं चूसा....मजा आ गया।

मैं:= इतने में मजा आ गया अभी तो पूरी रात बाकी है नानाजी...............

हम बेड पे लेटे लेटे थोडा रिलैक्स कर रहे थे।

मैं:= नानाजी उधर नेहा का क्या चल रहा होगा?

नानाजी:= क्या चलने वाला है....चूत में लंड लिए उछल उछल के चुद रही होगी।

मैं:=ह्म्म्म्म सच में नानाजी नेहा बहोत ही चुद्दकड़ है।

नानाजी:=छोडो उसे....एक बात बताओ मैंने सुना है की मुम्बई में कोई क्लब में नंगी लडकियोका डांस होता है।

मैं:= हा सुना है मैंने भी।

नानाजी:=कैसे होता है?

मैं:= आपको देखना है? तो अभी दिखा देती हु ना ...

मैं उठ के खड़ी हो गयी। नानाजी पीछे सरक के बेड से अपनी पीठ टिकाके बैठ गए। मैंने सेक्सी एक्सप्रेशन के साथ एक एक अदाएं दिखानी सुरु कर दी। मैं पलट के उन्हें अपनी गांड दिखाने लगी उस पर से हाथ घुमाते गए गांड मटकाने लगी।

नानाजी:= सीसीसीसी आह्ह माधवी क्या बात है अह्ह्ह्म मेरा लंड तो अपने आप ही खड़ा होने लगा है।

मैंने पलट के देखा तो सच में नानाजी के लंड में फिर से जान आने लगी थी। मैं फिर और जादा सेक्सी अदाएं दिखाने लगी। अपनी गांड के फाको को चौड़ा कर के उसे मटकाते हुए उनके करीब गयी जैसे वो उसे छुने के लिए उठे मैं आगे आ गयी। फिर मैंने अपने बूब्सको पकड़ के उन्हें मसलने लगी निप्प्ल्स को मुह में लेने की कोशिश करने लगी। साथ साथ उम्म्म्म अह्ह्ह सीसीसीसी ऐसी मादक आहे भरने लगी। 
 
ऐसा खुद के साथ खेलते खेलते मैं बहोत उत्तेजित हो रही थी। उधर नानाजी भी अपना लंड मुठियाने लगे थे। फिर मैं वहा सामने पड़े एक टेबल पे चूत को चौड़ा करके बैठ गयी। और नानाजी की तरफ देख के चूत को रगड़ने लगी। उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह सीसीसीसी मेरे मुह से ऐसी आवाजे सुन नानाजी भी अब जोश में आ रहे थे। मैंने अपनी चूत में एक उंगली घुसाई और फिर उसे अंदर बाहर करने लगी। फिर मैंने वही उंगली मुह में लेके चूसने लगी। ये देख नानाजी से रहा नहीं गया। वो उठके मेरे पास आये और मेरे चूत के दाने को अपने लंड से रगड़ने लगे।

नानाजी:=उफ्फ्फ्फ़ माधवी मेरी जान सीसीसी तुम सच में कमाल हो आह्ह्ह।

मैंने उन्हें अपने पैरो के शिंकजे में कमर से जकड लिया।और उन्हें एक लॉन्ग वेट किस्स किया और...

मैं:=उम्म्म नानाजी उफ्फ्फ्फ़ आपके लंड का यु रगड़ना बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह।

नानाजी ने मेरे पैरो को अलग किया और चूत को चाटने लगे। मैं उनके बाल पकड़ के उनका सर अपने चूत पे दबाने लगी।

मैं:=अह्ह्ह्ह उम् और और हहा हहा उम्म्म चाटिये उम्म्म।

नानाजी मेरी चूत सिर्फ चाट नहीं रहे थे बल्कि उसे अंदर तक गिला कर रहे थे।

मैं:= नानाजी अब बस कीजिये नाआअ उम्म्म अब डाल दीजिये अपना लंड चूत में.... बना दीजिये मुझे औरत अह्ह्ह्ह बहोत तड़प रही है उफ्फ्फ्ग्ग।

नानाजी:=उम्म्म माधवी यही सुनना चाहता था मैं....

*नानाजी खड़े हुए और अपना लंड मेरे चूत से सटा दिया और धीरे से लंड का सुपाड़ा अंदर डाल दिया। चूत और सुपाड़ा दोनों गीले थे इसके वजह से मुझे दर्द नहीं हुआ। मैं अपनी सांस रोके आखे बंद करके उनकी अगली हरकत का इन्तजार करने लगी।

नानाजी धीरेधीरे अपना लंड मेरी चूत में डाल रहे थे। उनके लंड की गर्माहट मुझे महसूस हो रही थी। और अपनी चूत का फैलाव भी मैं महसूस कर पा रही थी। नानाजी दबाव थोडा बढ़ा रहे थे। मुझे अब थोडा दर्द का अहसास ही रहा था। मेरे चहरे से उन्हें ये पता चल रहा था।

नानाजी:= माधवी बस थोडा और फिर दर्द नहीं होगा।

मई:= उईई माँउफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ग आपका लंड है इतना बड़ा नानाजी सीसीसीसी धीरे धीरे डालिये।

नानाजी ने अपना आधा लंड मेरी चूत में था। वो उसे बाहर निकाल के फिर से अंदर डालने लगे। जैसे मेरी चूत थोड़ी ढीली हुई वैसे उन्होंने फिर अपना लंड अंदर डालने लगे। जब उनका थोडा ही लंड बाहर था उन्होंने एक झटका मारा और पूरा लंड अंदर पेल दिया।

आआआआआआआ मर गयी उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ मेरे मुह से चीख निकल गयी। नानाजी ने मेरे होठो को अपने होठो में कैद करके मेरी चीख दबा दी। मैंने उन्हें अपनी बाहो में जकड लिया। वो मेरे पीठ को सहलाते हुए मेरे गालो को चूमने लगे।

मैं:=उफ़्फ़्फ़ नानाजी आप बड़े गंदे हो इतनी जोर सेकोई झटका देता है क्या?

नानाजी:= उम्म्म्म अभी तुम ऐसे कह रही हो जब तुम्हे मजा आने लगेगा तब तुम ही जोर जोर से चोदने के लिए कहोगी।

नानाजी अब अपनी कमर थोड़ी आगे पीछे करके अपना लंड मेरी चूत में थोडा थोडा अंदर बाहर कर रहे थे। उनके लंड की तपन और कडा पण अब मुझे अच्छा लगने लगा था। मेरा दर्द अब लगभग गायब हो चूका था। मैं भी अब अपनी चूत को थोडा उनके लंड पे दबा रही थी।
 
नानाजी भी समझ गए की मुझे मजा आने लगा है। वो अब धीरे धीरे मुझे चोदने लगे। अब वो लंड थोडा जादा बाहर निकालने लगे। जैसे उनका लंड अंदर जाता मेरा मुह अहह करके खुल जाता।

मैं:=ओह्ह्ह्ह नानाजी उम्म्म मैं ये सोच के डर रही थी की आपका इतना बड़ा लण्ड मेरी चूत में कैसे जाएगा। लेकिन देखिए ना आपका पूरा लंड निगल लिया इस निगोड़ी चूत ने अह्ह्ह्ह उम्म्म्म बहोत अच्छा लग रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ आपके लंड की गर्माहट उम्म्म्म्म्म आखिर आपने मुझे कली से फूल बना ही दिया उम्म्म्म्म्म।

नानाजी:= हा मेरी जान सीसीसीसीसी ऐसी कसी हुई चूत उफ्फ्फ्फ़ बहोत दिनों बाद मिली है उम्म्म तुम्हारी चूत का गीलापन मेरे लंड को और भी कडा कर रही है।

मैं:=और आपके लंड का कडा पण मेरी चूत और भी गीली कर रहा है। सीसीसीसी आह्ह्ह्ह्ह् ओह्ह्ह्ह नानाजी अब समझ आ रहा है की क्यू लोग कहते है की चुदाई से बड़ा कोई सुख नहीं।

नानाजी:=ह्म्म्म सच कहती हो तुम.... और अगर चुदने वाली तुम्हारी जैसी हो तो और भी मजा आता है।

मैं:=ओह्ह्ह्ह्ह नानाजी आपके लंड को चूत में लेके मैं कितनी खुश हु मैं बता नहीं सकती। उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह ये अंदर बाहर हो रहा है ना तो ऐसे लग रहा है जैसे मेरा बदन हवा में उड़ रहा है। आपके हर धक्के के साथ जो मीठा दर्द हो रहा है उसके बारे में मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकती। उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह।

नानाजी:= तुम्हे बताने को जरुरत नहीं है मैं तुम्हारे चहरे पे देख सकता हु।

नानाजी अब थोडा जादा स्पीड से मेरी चूत चोद रहे थे। मैं भी अब झड़ने के कगार पे थी।

मैं:= अह्ह्ह्ह्ह हा..हा..अह्ह्ह और उम् हाआआआ चोदिये ना और तेज डालिये ना और अंदर सीसीसीसीसीसीसीसी अह्ह्ह्ह्ह बहोत उछल रही थी ये नानाजी आपके लंड के लिए उम्म्म्म चोदिये ऐसे अह्ह्ह्ह्ह।

नानाजी:= हा मेरी रानी उम्म्म्म आज ऐसा चोदुंगा ऐसे की फिर कभी तुम्हे परेशान नहीं करेगी।
 
नानाजी ने मेरी टाँगे अपने हाथो में लेके पूरा खोल दिया और बहोत स्पीड से अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगे। उनके लंड की स्किन मेरे चूत के कोने कोने को आंनद पहोचा रही थी।चप चप की आवाज पुरे रूम में घूम रही थी। नानाजी खप खप खप मुझे चोदे जा रहे थे। मैं आखे बंद किये उनके हर धक्के का पूरा मजा लेरही थी।

मैं:=धीरे ना अह्ह्ह्ह फट जायेगी मेरी चूत उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह जोर से उम्म्म्म हा ऐसेही उफ्फ्फ्फ्फ़ और चोदिये एअह्ह्ह्ह् उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह मेरा बस होनेवाला है हा डालिये अपना लंड उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह।

मैं झड़ने लगी थी। मैंने नानाजी की कमर को पकड़ लिया उनसे लिपट गयी। 2 min तक मैं अपनी आखे भी खोल नहीं पायी। जब मैंने आखे खोली तो नानाजी मेरी तरफ देख के मुस्कुरा रहे थे।

मैं:=ओह्ह्ह नानाजी उम्म्म... बस मैं इतना ही बोल पायी। उनका लंड अभी भी मेरी चूत में था। उन्होंने मुझे वैसेही उठाया और बेड पे सुला दिया और मुझे गले पे किस्स करने लगे। मेरे कानो को काटने लगे। निप्पल को चुटकी में लेके मसलने लगे।वो बहोत माहिर खिलाड़ी थे। उन्हें पता था की लड़की को फिर से उत्तेजित कैसे किया जाता है।

मैं:=नहीं ना प्लीज अह्ह्ह दर्द होता है। मैं सिसकती हुए बोली।

नानाजी:= इस दर्द में भी अपना ही मजा है....

सच कह रहे थे वो ये ऐसा दर्द था जो कोई भी औरत मना नहीं कराती क्यू की इस दर्द के पार ही तो *स्वर्ग का आंनद है।

उनकी इस छेड़ छाड़ से मेरे चूत के छेद में फिर से काम लहर दौड़ने लगी थी। मैं अपनी गांड उचका के उन्हें सिग्नल दिए जा रही थी। वो मेरे सिग्नल समझ गए। और फिर से अपना लंड आगे पीछे करने लगे।

अब वो सुरवात से ही जोर के धक्के लगा रहे थे। मैंने अपनी चूत चौड़ी करके उन्हें और जोरसे चोदने को उकसा रही थी।क्यू किमुझे भी अब जोरदार धक्के अपनी चूत में चाहिए थे।

मैं:=ओह्ह्ह्ह हा उम्म्म उफ्फ्फ्फ़ क्या लंड है आपका नानाजी उम्म्म्म और जैसे आप चोद रहे हो हाय रे उम्म्म्म ऐसा लगता है बस आप युही मेरी चूत चोदते रहो जिंदगी भर उम्म्म्म ये रात कभी खत्म ही ना हो।

नानाजी:=माधवी स्स्स्स अह्ह्ह तुम सच में बहोत ही सेक्सी हो। जिस तरह से तुमने मेरे लंड को जकड़ा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ और तुम्हारी चूत की अंदर की गर्मी मेरे लंड को ऐसे लग रही है जैसे मैंने किसी भट्टी में लंड दाल दिया है।

मैं:=उम्म्म्म आपने ही तो उसे इतना गरम किया है....अब भुगतो। आप ने ही आग लगायी है अंदर और आप के फायर ब्रिगेड का पानी ही उसे शांत कर सकताहै उम्म्म्म।

नानाजी शायद थक रहे थे अब उनके धक्के थोड़े कम हो रहे थे। लेकिन मेरी चूत में तो शोले भड़क रहे थे। मैंने नानाजी को रोका और उन्हें निचे लेटाके मैंने उनका लंड अपनी चूत में ले लिया अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह उनका सीधा खड़ा लंड मेरी चूत में किसी खुटे की तरह महसूस हो रहा था।

मैं अपनी गांड पटक पटक के उसे अपनी चूत की गहराई में लेने लगी। मैं:=अह्ह्ह्ह्ह सीसीसीसीसी उम्म्म वाओ नानाजी उम्म्म ये पोजीशन तो बहोत ही अछि है सीसीसीसी अह्ह्ह्ह लंड चूत में अंदर तक महसूस हो रहा है उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मजा है ये....कही मर ही न जाउ।

नानाजी:= उम्म्म माधवी अह्ह्ह्ह तुम्हारी चूत में अदर बाहर होता लंड और तुम्हारी फैली हुई चूत को देखने में बहोत मजा आ रहा है।

मैं तेजी से उसे अंदर लेने लगी। उसकी रगड़ मेरे चूत में एक अलग ही आंनद की अनुभूति करा रही थी। नानाजी भी अपनी गांड उठाकेउनका लंड मेरी चूत में पेले जा रहे थे।

अब नानाजी मुझे अपने घुटनो के सहारे आगे की तरफ झुकाया और पीछे जाके मेरी गांड के फाको को फैलाने लगे। मुझे लगा की शायद वो मेरी गांड मारना चाहते है।

मैं:= नहीं नानाजी प्लीज गांड में नहीं...

नानाजी:= अरे नहीं बेटा गांड नहीं चोद रहा।
 
उन्होंने पिछेसे मेरी चूत में अपना लंड डाला और मेरी गांड को पकड़ कर खप खप अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे।

मैं:=उफ़्फ़ग़ाफ़ अह्ह्ह्ह उम्म्म एअह्ह्ह्ह् चोदो अह्ह्ह और तेज उम्म्म फाड़ दो मेरी चूत उम्म्म्म बहोत अच्छा लग रहा है अह्ह्ह्ह।

नानाजी:=हा सीसीसीसी आज तो फाड़ ही डालूँगा उफ्ग्फ्फ्ग्ग सीसीसी।

नानाजी किसी जंगली जानवर जैसे मेरी चूत चोदे जा रहे थे।मैं झड़ चुकी थी। लेकिन आज मैं बहोत चुदना चाहती थी।इसलिए उनके लंड की चोटे सहे जा रही थी। और उन्हें चोदने के लिए उकसाए जा रही थी। मेरी चूत फिर से सट सट करने लगी थी। उधर नानाजी भी अब किसी मशीन की तरह लगातार धक्के दिये जा रहे थे।

नानाजी:= उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह माधवी मेरा छूटने वाला है उफ्फ्फ।

मैं:=हा नानाजी चोदिये जोर से और और उम्मम्मम्माह्ह्ह्ह्ह् आज मेरी भी चूत का भोसड़ा बना दीजिये अपने लंड से उम्म्म्म्म्म्म्म दाल दीजिये अपना पानी मेरी चूत में उफ्फ्फ्फ्फ्फ अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।

नानाजी एक तेज धक्के के साथ अपना लंड मेरी चूत में दबा दिया और अंदर ही पिचकारी छोड़ने लगे। उनकी पिचकारी का स्पीड ऐसा था की वो मुझे अंदर तक महसूस हो रहा था। उनके वीर्य की गर्माहट ने मेरी चूत की सारि गर्मी निकाल दी। उनका पानी मेरी चूत में इस तरह से रेंग रहा था की उसकी सरसराहट ने मुझे भी झड़ने पे मजबूर कर दिया।
 
मैं नानाजी के छाती पे सर रखकर उनके पेट को सहला रही थी। आज अपनी विर्जिनिटी मैं खो चुकी थी। कुछ खोने से भी इतनी ख़ुशी मिलती है वो आज पता चला। नानाजी अब बहोत थके हुए लग रहे थे। पर मुझे एक बार और चुदना था। मैं नानाजी का नरम लंड को पकड़ कर सहलाने लगी। लेकिन उसमे कुछ भी बदलाव नहीं आ रहा था।

मैं:= नानाजी ये अभी इतना छोटा और नरम क्यू हो गया? और अब खड़ा क्यू नहीं हो रहा ?

नानाजी:=अरे पागल मैं अब जवान थोड़े रह गया हु? अभी अभी दो बार झड़ चूका हु। अब मुझे नहीं लगता की ये खड़ा होगा।

मैं:=ऐसा मत बोलिये नानाजी ....मुझे एक बार और चोदिये ना।...मैं उन्हें बहोत ही मादक अदा से बोली।

नानाजी:= ह्म्म्म्म लगता है तुम्हारी चूत को अब रहा नहीं जा रहा। ऐसा ही होता है एक बार चूत के मुह को लंड का पानी लग जाता है तो उसे बस बार बार पीने को उतावली हो जाती है।

मैं:= अगर ऐसा है तो आपने पहले क्यू नहीं बताया? मुझे कुछ नहीं पता बस मुझे एक बार उसे अपने चूत में लेना है।

नानाजी:= ठीक है देखो कोशिश करके...

मैं उसे अपने नाजुक हाथो से धीरे धीरे सहलाने लगी। फिर उसे अपने होठो से चूमने लगी। उनके लंड के उस पॉइंट को जुबान से छेड़ रही थी। पर उसका कुछ ख़ास फायदा नहीं हो रहा था। मुझे याद आया की नानाजी को नेहा की गांड बहोत पसंद है।

मैं:= नानाजी आपको नेहा की गांड बहोत पसंद है ना?

नानाजी:= हा क्यू?

मैं:=मेरी अच्छी नहीं है क्या?

नानाजी:=ऐसा कुछ नहीं है तुम्हारी भी अच्छी है।

मैं:=नहीं आप झूठ बोल रहे है ...आपको सिर्फ नेहा की ही पसंद है।

नानाजी:= नहीं सच में... तभी नहीं देखा कैसे तुम्हारी गांड देखके मेरा लंड उफान पे चढ़ गया था।

मैं:= तो अभी मैं फिरसे आपको अपनी गांड के जलवे दिखाती हु। देखते है आपका लंड फिर से खड़ा होता है क्या?
 
नानाजी पीछे सरक कर बैठ गए। मैंने उनकी और अपनी गांड की और घुटनो पे चली गयी। अपनी गांड हिला के उनके चहरे के पास लेके जाने लगी। दोनों हाथो से अपने नितम्ब दबाने लगी। फाको को अलग करके उन्हें अंदर तक दिखाने लगी। मुह से आअह्ह्ह्ह्ह सीसीक्वक उम्म्म्म्म्म ऐसी आवाजे निकालने लगी। इसका असर अब नानाजी पे होने लगा था।वो आखे फाड़े कर सब देख रहे थे। उनका लंड भी अब खड़ा होने लगा था। मैं उनके पास गयी और उनके चेहरे को पकड़ कर अपनी चुचियो पे दबाने लगी। उनके होठो से गांड घिसने लगी। पर जब भी वो अपनी तरफ से कुछ करना चाहते मैं उन्हें रोक देती।

मैं बेड पे लेट गयी और घुटनो को मोड़ के अपने पेट के पास ले लिए जिससे मेरी चूत और गांड के छेद उन्हें एक साथ दिखने लगे।

मैंने उनकी आखो में देखते हुए अपनी बिच वाली उंगली मुह में लेके चूसने लगी। और फिर उसे अपनी चूत में डाल दिया उसे अंदर बाहर करते हुए बोली"" अह्ह्ह्ह उम्म्म नानाजी ऐसेही चोद रहे थे ना आप अभी मेरी चूत उम्म्म्म्म बड़ा मजा आया उफ्ग्ग्ग"""

फिर मैंने उंगली फिर से मुह में ली और इस बार उंगली गांड के छेद में डाल दी। 
 
उस्सस्सस्स उफ्फ्फ्फ्फ़ आउच बहोत अजीब सा फील हो रहा था। लेकिन मैंने देखा की मेरी इस हरकत से नानाजी बहोत उत्तेजित हो रहे थे। उनका लंड अब पहले की तरह टाइट हो चूका था। सो मैंने उंगली अंदर बाहर करते हुए बोला""" आह्ह्ह्ह नानाजी उम्म्म्म आप मेरी गांड ऐसे ही चोदना चाहते है ना?"""

नानाजी:=अपना लंड मुठियाते हुए.... हा मेरी जान उफ़्फ़्फ़्फ़ क्या मस्त लग रही हो... आखिर अपनी अदाओं से मेरा लंड खड़ा कर ही दिया तुमने।

मैं:=उम्म्म्म नानाजी आईये ना चाटिये न मेरी चूत अह्ह्ह्ह मेरी गांड भी उम्म्म्म।

नानाजी उठ के मेरी चूत और गांड चाटने लगे. वो इसतरह से गांड के छेद को छेड़ रहे थे की अब तो मेरी गांड में भी खुजली होने लगी थी। लेकिन मुझे गांड नहीं चुदवानी थी।

मैं:= नानाजी उफ़्फ़फ़फ़फ़ अह्ह्ह्ह्ह मुझे भी तो दीजिये ना कुछ चूसने के लिए उम्म्म्म।

नानाजी ने अपना लंड मेरे मुह के नजदीक ले आये और मैं उसे अपने मुह में लेके चूसने लगी। उसे और भी टाइट करने लगी। नानाजी मेरी चूत को चाट रहे थे । मेरे क्लिट को जुबान से खेलने लगे और मेरी गांड में एक उंगली डाल दी।


""" उम्म्म्म्म्म नहीं ना नानाजी आह्ह्ह्ह्ह् औऊच उम्म्म "" मेरे मुह से दर्द और आंनद भरी चीखे निकले लगी। मेरी चूत की आग अब बहोत बढ़ गयी थी। "" आह्ह्ह्ह नानाजी अब बर्दास्त नहीं होता प्लीज डाल दीजिये ना अपना लंड मेरी चूत में"""।

नानाजी:= हा माधवी अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा ... तुम मेरे लंड पे बैठ जाओ... मैं बहोत थक गया हु।

मैं उनका लंड पकड़ कर उसे अपनी चूत में लेने लगी मुझे दर्द तो बहोत हो रहा था पर चुदने का इरादा मेरे उस दर्द को सहने की ताकत दे रहा था।।

लंड मेरी चूत में समां चूका था। मैं कुछ पल के लिए रुकी और फिर अपनी गांड उठा उठा के लंड को अंदर बाहर करने लगी। उम्म्म्म्म्म अह्ह्ह्ह्ह सट सट मेरी चूत के अंदर बाहर होता लंड मैं अब मिरर में देख सकती थी। मैंने जानबुझ के गांड नानाजी की तरफ की हुई थी। वो भी मेरी गांड के उभार को दबाते हुए निचे से अपना लंड मेरी चूत में पेल रहे थे। 
 
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