hotaks444
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कुछ देर मैं उसके उपर ही लेटा रहा फिर जब वासना का तूफान शांत हुआ तो मैं उसकी बगल मे आ गया और उसके होटो की पप्पी लेकर उसका शुक्रिया अदा किया तो वो मेरे सीने से सट गयी हालाँकि मैं एक बार और उसको चोदना चाहता था पर उसने मना कर दिया तो फिर बस सोना ही रह गया था सुबह हुई अब मुझे वापिस गाँव आना था तो कुछ देर और राइचंद जी से गुफ्त गु हुवी और करीब दस बजे मैं वहाँ से गाँव के लिए चल पड़ा
पर तभी मुझे याद आया कि मुझे बॅंक मॅनेजर से मिलना है तो मैं बॅंक हो लिया असल मे मुझे मेरे कुछ खातो का पिछले समय की ट्रॅन्सॅक्षन डीटेल्स चाहिए थी तो बॅंक मे बड़ी ही देर लग गयी कुछ पैसे भी निकल वा लिए थे अब काफ़ी डेटा था तो मॅनेजर ने कहा सर टाइम लग रहा है आप एक काम करो अभी आप घर जाओ मैं 1-2 दिन मे पोस्ट से डीटेल्स भिजवा देता हू तो फिर बस घर ही जाना था
फिर मैं बॅंक से निकला तो तीन बज रहे थे मैं गाँव के लिए निकला तो फिर मुझे कुछ याद आया तो मैने फोन निकाला और एक नंबर डाइयल किया तो उसने मुझे मिलने के लिए बुला लिया असल मे ये वो आदमी था जो कुछ हथियारो की व्यवस्था करने वाला था अब ये काम बेहद ज़रूरी था तो उस से फिर डील होने लगी उसने कहा कि वो एक हफ्ते बाद सब काम कर्देगा तो कुछ पैसे अड्वान्स देकर मैं गाँव की ओर हो ही लिया
शाम हो रही थी मुझे जल्दी से जल्दी घर पहुच ना चाहिए था गाँव से थोड़ी ही दूर पर जब मैं था तो एक आदमी ने हाथ के इशारे से कार को रुकवाया तो मैने गाड़ी रोक दी वो बोला बाबूजी मेरे पैर मे चोट लगी है क्या आप मुझे गाँव तक छोड़ देंगे तो मैने कहा हाँ आजो उसके पास एक बॅग भी था तो मैने सोचा कि मैं ही उठा कर रख देता हू मैने गाड़ी का गेट खोला और बाहर आ गया पर ये तो साला गजब ही हो गया
मेरे बाहर आते ही झाड़ियों से कुछ 7-8 लोग और बाहर निकल आए और मुझे घेर लिया मैने कहा लुटेरे हो लूटने आए हो तो उनमे से एक बोला ना ठाकुर साहब ना ना धन ना चाहिए हमको आपका तो मैने कहा फिर क्या चाहते हो तो वो बोला हमारे मालिक ने कहा है कि ज़रा ठाकुर साहब की थोड़ी सी खातिरदारी करके आओ तो आ गये मैने कहा तो ठीक है फिर अपने मालिक का पता बताओ आज का डिन्नर उधर ही करता हूँ मैं
मैं अंदर ही अंदर समझ गया था की आज बेटा कलदाई आ गयी है आज तो गया तू काम से मैने फुर्ती करते हुवे जेब से पिस्टल निकाल ली तभी किसी का लात मेरे हाथ पर पड़ा और पिस्टल गिर गयी मैं कुछ समझपाता उस से पहले ही दना दन वार होना शुरू हो गया मुझ पर कुछ रियेक्शन करने का टाइम ही ना मिला बस फिर मेरी चीख ही गूंजने लगी उस वीराने मे
मैं तो प्रतिरोध भी ना कर पाया था पता नही कब मेरे होश गुम होते चले गये जब मेरी आँख खुली तो मैं हॉस्पिटल मे था आँखे खुलते ही मैने महॉल देखा फिर मैने आवाज़ लगाई तो नर्स दौड़ते हुए आई और बोली अरे आप आराम से रूको ज़रा फिर उसने मुझे बैठने मे मदद करी और डॉक्टर को बुलाने चली गयी तब तक नंदू अंदर आ चुका था
उसने पानी भरी आँखो से मेरी ओर देखा और रोने लगा मैने कहा पगले कुछ नही हुआ मुझे बस कुछ चोट है ठीक हो जाएँगी फिर देखा तो लक्ष्मी भी अंदर आ गयी और मेरे पास स्टूल पर बैठ गयी और मेरा हाथ पकड़ कर पूछा कि ठीक हो मैने कहा जी ठीक हू तो पता चला कि आज 4 दिन बाद होश आया है डॉक्टर ने आकर कुछ इंजेक्षन दिए
फिर पता चला कि कोई हड्डी तो नही टूटी पर कुछ पसलियो मे चोट है और गुम चोट तो पूरे शरीर मे ही थी तबीयत से मारा था सालो ने मुझे पोलीस ने आकर बयान लिया तो मैने झूट बोलते हुए कहा कि सर मुझे कुछ याद नही है शायद कुछ चोर-लुटेरे थे तो इनस्पेक्टर ने कहा कि ठाकुर साहब चोर नही थे वो लोग गाड़ी से हमे 12 लाख रुपये मिले है अगर चोर होते तो ले जाते पर सिर्फ़ आप पर हमला पहले हवेली मे कोसीश और अब ये कुछ तो है जो आप बता नही रहे है मैने कहा मुझे कुछ भी नही पता है और वैसे भी ये पोलीस का काम है आप तहकीकात शुरू कीजिए
इनस्पेक्टर ने बड़ी घहरी नज़रो से देखा मुझे और फिर कहा कि कुछ याद आए तो इत्तिला दीजिए फिर चला गया लक्ष्मी बोली मुझे तो पक्का यकीन है कि नाहरगढ़ वालो न ही हमला करवाया है मैने कहा ऐसा क्यो लगता है तुम्हे जबकि मुझे भी यही लग रहा था मैने पूछा क़ी मुझे यहाँ तक किसने पहुचेया तो पता चला कि नंदू उसका बहनोई और उसकी बहन गाँव आ रहे थे
तो रास्ते मे उन्हे मेरी कार दिखी उसके पास ही मैं बेसूध पड़ा था उसका जीजा किसी सेठ का ड्राइवर था वो ही हॉस्पिटल लाया कार को फिर गाँव सूचना दी गयी मैने उन सबका धन्यवाद किया 5-6 दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी तो मैं हवेली आ गया हवेली की सुरक्षा कड़ी हो गयी थी अब गाँव के लोग भी थोड़ा सा दुखी थे मेरे उपर हुवे हमले को लेकर
बस दिन गुजर रहे थे लक्ष्मी एक दो दिन मे चक्कर लगा जाया करती थी , चंदा तो थी ही हम पर पुष्पा पूरे दिल ओ जान से मेरी तीमार दारी मे जुटी हुई थी अब वो 24 घंटे ही हवेली मे रहा करती थी कुछ ज़रूरी हो तो ही घर जाती थी वहाँ उसकी सास तो थी ही संभालने को धीरे धीरे मेरी हालत मे भी सुधार होने लगा था एक दोपहर पुष्पा ने मुझे दवाई पकडाई और बोली मालिक आपको क्या लगता है कॉन ऐसी हरकत कर सकता है
मैने कहा कोई भी हो सकता है , मेरे मामा भी हो सकते है वो बोली अरे एक मिनिट मे अभी आई मैने कहा कहाँ जा रही हो बताओ तो सही पर वो बाहर दौड़ पड़ी पाँच मिनिट बाद वो आई तो उसके हाथ मे एक लिफ़ाफ़ा था उसने कहा कि मालिक जिस दिन आप सहर गये थे उस दिन नाहरगढ़ से दो लोग आए थे और ये देकर गये थे फिर आप पे हमले की खबर आई तो फिर दिमाग़ से निकल गया
मैने कहा तू बैठ ज़रा , तो पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी मैने वो एन्वेलप खोला तो उसमे एक रजिस्ट्री थी जिसमे नाहर गढ़ की फॅमिली ने मेरी वाली ज़मीन जो कई सालो से दबाई हुई थी वो मुझे वापिस दे दी थी मैने 3-4 बार वो रेजिस्ट्री पढ़ी अब साला ये क्या हो गया ये तो बात ही घूम गयी मैने कहा पुष्पा टेबल पे रखी डायरी मे से वकील साहब को फोन लगाओ और उन्हे कल यहाँ बुलाओ
फिर मैने उसको सारी बात बताई तो वो बोली मालिक कही कोई खेल ना खेल रहे हो वो लोग मैने कहा हो सकता है पर ज़मीन तो वापिस करदी उन्होने अगले दिन वकील आया तो मैने राइचंद जी को भी गाड़ी से इधर ही बुलवा लिया फिर विचार विमर्श होता रहा मैने कहा अब उनका धन्यवाद तो करना ही चाहिए वैसे भी अब मैं काफ़ी हद तक ठीक हो गया हू
मुझे अब रिश्तेदारो से मिल ही लेना चाहिए तो राइचंद जी घबरा गये और बोले आप वहाँ नही जाएँगे बस तो मैने उनका मन रखने को बोल दिया ठीक है नही जाउन्गा पर मैने अपना इरादा कर ही लिया था वकील बोला मैं कल ही जाकर वो ज़मीन अपने क़ब्ज़ मे ले लेता हू मैने कहा ठीक है
फिर मैं और राइचंद जी अनुमान लगाते रहे कि आख़िर हमला किसने करवाया क्योंकि वो घात लगा कर किया गया वार था तो किसी को तो पता था ही कि मैं आ रहा हू साला कॉन हो सकता है अगले कुछ दिनो मे हवेली के लोगो को हथियार भी मिल गये थे खेतो का काम लक्ष्मी देख रही थी तो चिंता नही थी हफ्ते भर बाद की बात है उस दिन सुबह से ही बड़ी बारिश हो रही थी
तो रात तक सिलसिला चलता रहा , पर रात को बारिश तूफ़ानी हो गयी थी रात के खाने के बाद मैं किताब पढ़ रहा था तो पुष्पा दूध लेकर आई मैने पूछा बाहर लोगो का खाना हो गया तो वो बोली हाँ मलिक रात वाले लोग घर से ही खाकर आते है मोसम ठंडा सा है तो मैं बस उनको चाइ पकड़ा कर ही आई हू आज पुष्पा काली साड़ी मे बड़ी ही गजब लग रही थी
मेरे दिल पर तो कटार ही चल गयी थी उसके उस रूप को देख कर मैने कहा पुष्पा मुझे तुमसे आज एक बात करनी है वो बोली जी कहिए मैने कहा ज़रा इधर तो आओ तो वो बेड के पास आकर खड़ी हो गयी मैने कहा मेरे पास बैठो तो वो सकुचाने लगी पर मैने उसको अपने पास बिठा लिया और उसका हाथ पकड़ कर बोला कि पुष्पा मैने कई दिन पहले तुमसे एक सवाल किया था उसका जवाब नही मिला मुझे अभी तक
उसका सुन्दर मुखड़ा लाल हो गया पर वो चुप ही रही मैने कहा तुम्हे तो पता ही है मैं तुमको दिल से अपना मानता हू क्या तुम मुझे दोस्त होने का हक़ भी नही दे सकती हो तो वो बोली मालिक ऐसी बात नही है पर ……. …….. मैने कहा पर क्या तो वो बोली हवेली मे इतने लोग होते है बात खुल गयी तो मेरा क्या होगा मैं उसकी हथेली को दबाते हुए कहा कि क्या तुम्हे भरोसा नही मुझ पर
वो बोली आप कैसी बात करते है , मैने उसे सीधा आमंत्रण देते हुवे कहा कि ठीक है मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू सारा काम निपटा कर आओगी ना तो वो उठी और दरवाजे की तरफ चल पड़ी और वहाँ पहुच कर जब उसने मुझे स्माइल दी तो मैं तो मर ही गया ……
पर तभी मुझे याद आया कि मुझे बॅंक मॅनेजर से मिलना है तो मैं बॅंक हो लिया असल मे मुझे मेरे कुछ खातो का पिछले समय की ट्रॅन्सॅक्षन डीटेल्स चाहिए थी तो बॅंक मे बड़ी ही देर लग गयी कुछ पैसे भी निकल वा लिए थे अब काफ़ी डेटा था तो मॅनेजर ने कहा सर टाइम लग रहा है आप एक काम करो अभी आप घर जाओ मैं 1-2 दिन मे पोस्ट से डीटेल्स भिजवा देता हू तो फिर बस घर ही जाना था
फिर मैं बॅंक से निकला तो तीन बज रहे थे मैं गाँव के लिए निकला तो फिर मुझे कुछ याद आया तो मैने फोन निकाला और एक नंबर डाइयल किया तो उसने मुझे मिलने के लिए बुला लिया असल मे ये वो आदमी था जो कुछ हथियारो की व्यवस्था करने वाला था अब ये काम बेहद ज़रूरी था तो उस से फिर डील होने लगी उसने कहा कि वो एक हफ्ते बाद सब काम कर्देगा तो कुछ पैसे अड्वान्स देकर मैं गाँव की ओर हो ही लिया
शाम हो रही थी मुझे जल्दी से जल्दी घर पहुच ना चाहिए था गाँव से थोड़ी ही दूर पर जब मैं था तो एक आदमी ने हाथ के इशारे से कार को रुकवाया तो मैने गाड़ी रोक दी वो बोला बाबूजी मेरे पैर मे चोट लगी है क्या आप मुझे गाँव तक छोड़ देंगे तो मैने कहा हाँ आजो उसके पास एक बॅग भी था तो मैने सोचा कि मैं ही उठा कर रख देता हू मैने गाड़ी का गेट खोला और बाहर आ गया पर ये तो साला गजब ही हो गया
मेरे बाहर आते ही झाड़ियों से कुछ 7-8 लोग और बाहर निकल आए और मुझे घेर लिया मैने कहा लुटेरे हो लूटने आए हो तो उनमे से एक बोला ना ठाकुर साहब ना ना धन ना चाहिए हमको आपका तो मैने कहा फिर क्या चाहते हो तो वो बोला हमारे मालिक ने कहा है कि ज़रा ठाकुर साहब की थोड़ी सी खातिरदारी करके आओ तो आ गये मैने कहा तो ठीक है फिर अपने मालिक का पता बताओ आज का डिन्नर उधर ही करता हूँ मैं
मैं अंदर ही अंदर समझ गया था की आज बेटा कलदाई आ गयी है आज तो गया तू काम से मैने फुर्ती करते हुवे जेब से पिस्टल निकाल ली तभी किसी का लात मेरे हाथ पर पड़ा और पिस्टल गिर गयी मैं कुछ समझपाता उस से पहले ही दना दन वार होना शुरू हो गया मुझ पर कुछ रियेक्शन करने का टाइम ही ना मिला बस फिर मेरी चीख ही गूंजने लगी उस वीराने मे
मैं तो प्रतिरोध भी ना कर पाया था पता नही कब मेरे होश गुम होते चले गये जब मेरी आँख खुली तो मैं हॉस्पिटल मे था आँखे खुलते ही मैने महॉल देखा फिर मैने आवाज़ लगाई तो नर्स दौड़ते हुए आई और बोली अरे आप आराम से रूको ज़रा फिर उसने मुझे बैठने मे मदद करी और डॉक्टर को बुलाने चली गयी तब तक नंदू अंदर आ चुका था
उसने पानी भरी आँखो से मेरी ओर देखा और रोने लगा मैने कहा पगले कुछ नही हुआ मुझे बस कुछ चोट है ठीक हो जाएँगी फिर देखा तो लक्ष्मी भी अंदर आ गयी और मेरे पास स्टूल पर बैठ गयी और मेरा हाथ पकड़ कर पूछा कि ठीक हो मैने कहा जी ठीक हू तो पता चला कि आज 4 दिन बाद होश आया है डॉक्टर ने आकर कुछ इंजेक्षन दिए
फिर पता चला कि कोई हड्डी तो नही टूटी पर कुछ पसलियो मे चोट है और गुम चोट तो पूरे शरीर मे ही थी तबीयत से मारा था सालो ने मुझे पोलीस ने आकर बयान लिया तो मैने झूट बोलते हुए कहा कि सर मुझे कुछ याद नही है शायद कुछ चोर-लुटेरे थे तो इनस्पेक्टर ने कहा कि ठाकुर साहब चोर नही थे वो लोग गाड़ी से हमे 12 लाख रुपये मिले है अगर चोर होते तो ले जाते पर सिर्फ़ आप पर हमला पहले हवेली मे कोसीश और अब ये कुछ तो है जो आप बता नही रहे है मैने कहा मुझे कुछ भी नही पता है और वैसे भी ये पोलीस का काम है आप तहकीकात शुरू कीजिए
इनस्पेक्टर ने बड़ी घहरी नज़रो से देखा मुझे और फिर कहा कि कुछ याद आए तो इत्तिला दीजिए फिर चला गया लक्ष्मी बोली मुझे तो पक्का यकीन है कि नाहरगढ़ वालो न ही हमला करवाया है मैने कहा ऐसा क्यो लगता है तुम्हे जबकि मुझे भी यही लग रहा था मैने पूछा क़ी मुझे यहाँ तक किसने पहुचेया तो पता चला कि नंदू उसका बहनोई और उसकी बहन गाँव आ रहे थे
तो रास्ते मे उन्हे मेरी कार दिखी उसके पास ही मैं बेसूध पड़ा था उसका जीजा किसी सेठ का ड्राइवर था वो ही हॉस्पिटल लाया कार को फिर गाँव सूचना दी गयी मैने उन सबका धन्यवाद किया 5-6 दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी तो मैं हवेली आ गया हवेली की सुरक्षा कड़ी हो गयी थी अब गाँव के लोग भी थोड़ा सा दुखी थे मेरे उपर हुवे हमले को लेकर
बस दिन गुजर रहे थे लक्ष्मी एक दो दिन मे चक्कर लगा जाया करती थी , चंदा तो थी ही हम पर पुष्पा पूरे दिल ओ जान से मेरी तीमार दारी मे जुटी हुई थी अब वो 24 घंटे ही हवेली मे रहा करती थी कुछ ज़रूरी हो तो ही घर जाती थी वहाँ उसकी सास तो थी ही संभालने को धीरे धीरे मेरी हालत मे भी सुधार होने लगा था एक दोपहर पुष्पा ने मुझे दवाई पकडाई और बोली मालिक आपको क्या लगता है कॉन ऐसी हरकत कर सकता है
मैने कहा कोई भी हो सकता है , मेरे मामा भी हो सकते है वो बोली अरे एक मिनिट मे अभी आई मैने कहा कहाँ जा रही हो बताओ तो सही पर वो बाहर दौड़ पड़ी पाँच मिनिट बाद वो आई तो उसके हाथ मे एक लिफ़ाफ़ा था उसने कहा कि मालिक जिस दिन आप सहर गये थे उस दिन नाहरगढ़ से दो लोग आए थे और ये देकर गये थे फिर आप पे हमले की खबर आई तो फिर दिमाग़ से निकल गया
मैने कहा तू बैठ ज़रा , तो पास रखी कुर्सी पर बैठ गयी मैने वो एन्वेलप खोला तो उसमे एक रजिस्ट्री थी जिसमे नाहर गढ़ की फॅमिली ने मेरी वाली ज़मीन जो कई सालो से दबाई हुई थी वो मुझे वापिस दे दी थी मैने 3-4 बार वो रेजिस्ट्री पढ़ी अब साला ये क्या हो गया ये तो बात ही घूम गयी मैने कहा पुष्पा टेबल पे रखी डायरी मे से वकील साहब को फोन लगाओ और उन्हे कल यहाँ बुलाओ
फिर मैने उसको सारी बात बताई तो वो बोली मालिक कही कोई खेल ना खेल रहे हो वो लोग मैने कहा हो सकता है पर ज़मीन तो वापिस करदी उन्होने अगले दिन वकील आया तो मैने राइचंद जी को भी गाड़ी से इधर ही बुलवा लिया फिर विचार विमर्श होता रहा मैने कहा अब उनका धन्यवाद तो करना ही चाहिए वैसे भी अब मैं काफ़ी हद तक ठीक हो गया हू
मुझे अब रिश्तेदारो से मिल ही लेना चाहिए तो राइचंद जी घबरा गये और बोले आप वहाँ नही जाएँगे बस तो मैने उनका मन रखने को बोल दिया ठीक है नही जाउन्गा पर मैने अपना इरादा कर ही लिया था वकील बोला मैं कल ही जाकर वो ज़मीन अपने क़ब्ज़ मे ले लेता हू मैने कहा ठीक है
फिर मैं और राइचंद जी अनुमान लगाते रहे कि आख़िर हमला किसने करवाया क्योंकि वो घात लगा कर किया गया वार था तो किसी को तो पता था ही कि मैं आ रहा हू साला कॉन हो सकता है अगले कुछ दिनो मे हवेली के लोगो को हथियार भी मिल गये थे खेतो का काम लक्ष्मी देख रही थी तो चिंता नही थी हफ्ते भर बाद की बात है उस दिन सुबह से ही बड़ी बारिश हो रही थी
तो रात तक सिलसिला चलता रहा , पर रात को बारिश तूफ़ानी हो गयी थी रात के खाने के बाद मैं किताब पढ़ रहा था तो पुष्पा दूध लेकर आई मैने पूछा बाहर लोगो का खाना हो गया तो वो बोली हाँ मलिक रात वाले लोग घर से ही खाकर आते है मोसम ठंडा सा है तो मैं बस उनको चाइ पकड़ा कर ही आई हू आज पुष्पा काली साड़ी मे बड़ी ही गजब लग रही थी
मेरे दिल पर तो कटार ही चल गयी थी उसके उस रूप को देख कर मैने कहा पुष्पा मुझे तुमसे आज एक बात करनी है वो बोली जी कहिए मैने कहा ज़रा इधर तो आओ तो वो बेड के पास आकर खड़ी हो गयी मैने कहा मेरे पास बैठो तो वो सकुचाने लगी पर मैने उसको अपने पास बिठा लिया और उसका हाथ पकड़ कर बोला कि पुष्पा मैने कई दिन पहले तुमसे एक सवाल किया था उसका जवाब नही मिला मुझे अभी तक
उसका सुन्दर मुखड़ा लाल हो गया पर वो चुप ही रही मैने कहा तुम्हे तो पता ही है मैं तुमको दिल से अपना मानता हू क्या तुम मुझे दोस्त होने का हक़ भी नही दे सकती हो तो वो बोली मालिक ऐसी बात नही है पर ……. …….. मैने कहा पर क्या तो वो बोली हवेली मे इतने लोग होते है बात खुल गयी तो मेरा क्या होगा मैं उसकी हथेली को दबाते हुए कहा कि क्या तुम्हे भरोसा नही मुझ पर
वो बोली आप कैसी बात करते है , मैने उसे सीधा आमंत्रण देते हुवे कहा कि ठीक है मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हू सारा काम निपटा कर आओगी ना तो वो उठी और दरवाजे की तरफ चल पड़ी और वहाँ पहुच कर जब उसने मुझे स्माइल दी तो मैं तो मर ही गया ……