hotaks444
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जाल पार्ट--62
गतान्क से आगे......
"ओह!समीर..आहह..ऐसे ही प्यार करते रहो..!",अपनी डाई बाँह समीर की गर्दन मे डाले कामया उसकी गोद मे बैठी थी.उसने 1 स्कर्ट & ब्लाउस पहना था & समीर उसकी गर्दन से लेके क्लीवेज तक अपने होंठ चला रहा था.उसका बाया हाथ कामया की कमर को थामे था & दया उसकी जाँघो के बीच घुसा वाहा की कोमलता परख रहा था.
"ऊहह..शरीर कहिनके..!",कामया ने मुस्कुराते हुए आशिक़ के गाल पे प्यार भरी चपत लगाई जोकि उसकी पॅंटी मे हाथ घुसा उसकी चूत को सहला रहा था & उसके क्लीवेज को दांतो से हौले-2 काट रहा था,"..उउन्न्ञनह..हाआंन्ननणणन्..!",कामया के जिस्म मे बिजली दौड़ रही थी.समीर की उंगली उसकी चूत की दीवारो को रगड़ने लगी थी.
समीर अपनी नाक उसके क्लीवेज मे घुसा के रगड़ते हुए उसके सीने को चूम रहा था.कामया का दिल भी अब उसके होंठो की गर्मी को सीने पे महसूस करने को मचल रहा था.उसने खुद ही अपने ब्लाउस के बटन्स खोल दिए & अपनी छातियो को ब्रा के कप्स से आज़ाद कर दिया.समीर ने अपने मुँह मे उसकी छातियो को बारी-2 से भरना शुरू कर दिया तो कामया सर पीछे झटकते हुए बहुत तेज़ आहें लेने लगी.
"आहह..अब रहा नही जाता,समीर..ओह..जल्दी से मुझे अपनी दुल्हन बनाओ..आन्न्नननणणनह..!",समीर की उंगली & ज़ुबान ने उसे उस कगार से नीचे धकेल दिया था जहा से गिरने मे जो मज़ा मिलता है वो & कभी महसूस नही होता,"..फिर हर रात,सारी-2 रात तुम्हारी बाहो मे ऐसे ही गुज़ारुँगी..1 पल को भी तुम्हे खुद से दूर नही जाने दूँगी..",समीर ने उसकी पॅंटी खींची तो कामया ने खुद ही स्कर्ट & पॅंटी को निकाला & उसकी पॅंट ढीली कर उसके जिस्म के दोनो तरफ टाँगे कर उसकी गोद मे बैठते हुए उसके लंड को अपनी गीली चूत मे ले लिया,"..ऊहह..!",लंड अंदर घुसा तो उसने सर को पीछे फेंका & समीर के सर को पकड़ उसे अपनी चूचियो मे दबाते हुए कमर हिलाने लगी.
"बस मानपुर वाला टेंडर खुले & हमे मिले.उसके बाद मैं रंभा को किनारे करूँगा & तुम बनोगी म्र्स.मेहरा.",समीर उसकी कमर को जकड़े उसकी चूचियो को चूस्ते हुए अपनी कमर हिला रहा था.
"मिस्टर.मेहरा,लॅमबर्ट बॅंक के मिस्टर.सूरी आज शाम 6 बजे आपसे मिल नही पाएँगे.",अचानक दरवाज़ा खुला & किसी की गुस्से से भरी आवाज़ आई.दोनो प्रेमी चौंके & कामया ने गर्दन घुमाई.जिस कुर्सी पे दोनो चुदाई कर रहे थे वो बिल्कुल दरवाज़े के सामने थी & समीर को उनकी मोहब्बत मे खलल डालने वाले को देखने के लिए गर्दन नही घुमानी पड़ी थी.
"रंभा..त-तुम..!",समीर खड़ा होने लगा & उसी वक़्त कामया भी उसकी गोद से उतरने लगी मगर वो लड़खड़ा गयी & फर्श पे गिर गयी.समीर जैसे ही खड़ा हुआ उसकी पॅंट सरर से नीचे सरक के उसकी आएडियो के गिर्द फँस गयी.रंभा को दोनो की हालत पे बहुत हँसी आ रही थी लेकिन उसने अपने दिल के भाव को चेहरे पे नही आने दिया.उसे अंदाज़ा तो था कि दोनो का रिश्ता चुदाई तक पहुँच गया होगा & शुरू मे इस ख़याल से उसे काफ़ी गुस्सा भी आया था मगर अब उसकी ज़िंदगी मे देवेन आ चुका था.अब उसे समीर की कोई ज़रूरत नही थी मगर फिर भी इन दोनो को सज़ा तो देनी ही थी.रंभा कुच्छ पल अंगारे बरसाती आँखो से दोनो को देखती रही-दोनो जल्दी-2 अपने-2 कपड़े पहन रहे थे,& फिर दरवाज़ा ज़ोर से बंद करते हुए वाहा से निकल गयी,"..रंभा..रंभा सुनो तो..!"
गलियारे से बाहर जाती रंभा को समीर के घबराए चेहरे को याद कर बहुत हँसी आ रही थी मगर उस से भी ज़्यादा हँसी उसे आई थी उसे देख के चौंक उठे समीर की गोद से फर्श पे दोनो टाँगे फैलाए गिरती कामया को देख के.
समीर ने रंभा से कहा था कि वो आज देर रात बॉमबे से लौटेगा.यही बात सोनम को भी पता थी मगर दोपहर 12 बजे 1 फोन आया जिसे सोनम ने रिसीव किया,"ट्रस्ट ग्रूप,समीर मेहरा'स ऑफीस.हाउ मे आइ हेल्प यू?"
"हेलो,मैं लॅमबर्ट बॅंक से राजिंदर सूरी बोल रहा हू.आज शाम 6 बजे मुझे मिस्टर.मेहरा से ग्रांड वाय्लेट मे मिलना था मगर कुच्छ ऐसी एमर्जेन्सी आ गयी है कि मैं आज उनसे मिल नही पाऊँगा.मैने उनका मोबाइल ट्राइ किया था मगर वो मिल नही रहा तो प्लीज़ उन्हे ये मेसेज दे दीजिएगा & ये भी कह दीजिएगा कि इस बात के लिए मैं माफी चाहता हू.ओके..थॅंक्स!"
"जी..लेकिन..वो..",तब तक सूरी ने फोन रख दिया था,"..तो आज रात को वापस आ रहे थे.",सोनम सोच मे पड़ गयी थी & उसने ये बात फ़ौरन अपनी सहेली को बता दी जिसने उसे ये बात समीर को बताने से मना किया.जिस वक़्त सोनम का फोन आया था उस वक़्त रंभा प्रणव के साथ 1 शॉपिंग माल के बाहर कार मे बैठी थी.उस माल मे विदेशी डिज़ाइनर्स के स्टोर्स थे & वाहा उसे आज उस शख्स से मिलना था जिसका उसने अभी तक बस नाम ही सुना था-महादेव शाह.
"क्या बात है?किसका फोन था?",उसे परेशान देख प्रणव ने पुछा.
"मेरी 1 सहेली थी.उस से भी मिलना है.वही सोच रही थी."
"अच्छा,थोड़ी देर के लिए उसे भूल जाओ & ध्यान से सुनो.शाह ने मुझे कहा था कि वो तुमसे ऐसे मिलना चाहता है कि लगे कि तुम दोनो कही टकरा गये फिर वो तुमसे मेल-जोल बढ़ाएगा & मेरी तारीफ करेगा मगर कुच्छ इस तरह की तुम्हे ये शक़ ना हो कि हम मिले हैं."
"अच्छा.यानी अभी तुम दोनो हो तो मिले हुए मगर दुनिया के लिए तुमने भी डॅड की तरह उसका ऑफर ठुकरा दिया है.अब वो मुझसे तुम्हारे बारे मे ऐसे बात करेगा कि मुझे लगे की तुम दोनो दोस्त तो बिल्कुल नही हो मगर वो फिर भी तुम्हारी काबिलियत का लोहा मानता है.है ना?"
"हां.वो यही सोचता रहेगा कि वो मेरे साथ मिलके तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है जबकि हाक़ेक़त ये होगी कि हम दोनो उस बुड्ढे का इस्तेमाल कर रहे होंगे.",प्रणव उसकी होशियारी पे फिर हैरान हो गया था & 1 पल को उसे ये लगा कि कही उसने इस लड़की को अपने साथ मिलाके कोई ग़लती तो नही की है?..कही ऐसा ना हो कि आगे जाके वो उसे ही कोई धोखा ना दे दे..नही..नही..ऐसा नही हो सकता..इसे भी सहारे की ज़रूरत है & जब समीर जाएगा तो मेरे सिवा और मिलेगा कौन इसे?..,"..चलो,जाओ माल मे & उस से मुलाकात कर लो."
"ओके,डार्लिंग."रंभा ने उसे चूमा & फिर कार से उतार के माल मे चली गयी.कुच्छ पलो बाद 1 मशहूर इटॅलियन डिज़ाइनर का डिज़ाइन किया 1 ईव्निंग गाउन वो देख रही थी & 1 असिस्टेंट उसे उस ड्रेस के बारे मे बता रही थी जब सफेद बालो वाला 1 बूढ़ा मगर चुस्त शख्स उसके सामने आ खड़ा हुआ.असिस्टेंट उसे देख बड़ी शालीनता से पीछे हट गयी.
"एक्सक्यूस मे,आप म्र्स.मेहरा है ना?..म्र्स.रंभा मेहरा?"
"जी."
"इस तरह से आपको परेशान करने के लिए माफी चाहता हू मगर आपको देखा तो आपसे मिलने से खुद को रोक नही पाया.",रंभा ने उसे निगाहो से तोला.बुद्धा देखने मे अच्छा था & क्रीम कलर की कमीज़,भूरी टाइ & काले सूट के साथ आँखो पे चढ़ा रिमलेस चश्मा उसकी शख्सियत को रोबदार बना रहे थे.उसे देखने से ऐसा लगता था जैसे कि वो किसी ऊँचे खानदान से ताल्लुक रखता है.
"हेलो.",रंभा ने हाथ आगे बढ़ाया.
"हाई,मुझे महादेव शाह कहते हैं.",उसने रंभा का हाथ थाम उसे बड़ी शालीनता से चूमा..बुड्ढ़ा लड़कियो को इंप्रेस करना भी जानता था,"..जब आपके पति लापता हुए थे तब मैने आपको खबरों मे देखा था & आपकी हिम्मत की दाद दिए बिना नही रहा था."
"थॅंक यू."
"आपके ससुर मिस्टर.मेहरा के लिए भी मेरे दिल मे बस इज़्ज़त & तारीफ ही थी.मैं उनके साथ काम भी करना चाहता था लेकिन उन्हे मंज़ूर नही था.",रंभा ने उसे सवालीयो निगाहो से देखा.
"मैं 1 इन्वेस्टर हू.कंपनीज़ मे पैसा लगाता हू & बदले मे उनके चंद शेर्स मुझे मिलते हैं & यही मेरी कमाई का ज़रिया है.ट्रस्ट मे भी इनवेस्ट करने की मेरी ख्वाहिश थी मगर मिस्टर.मेहरा नही माने."
"ओह.ये कारोबारी बातें तो मैं नही जानती.",रंभा इस वक़्त 1 अमीर खानदान की बहू थी जिसकी ज़िंदगी बस कपड़े,गहनो & पार्टीस के गिर्द ही घूमती थी.
"& मैं आपसे कोई शिकवा भी नही कर रहा!",वो हंसा तो रंभा भी थोड़ा शरमाते हुए हंस दी..अगर उस बुड्ढे को लड़कियो से चिकनी-चुपड़ी बातें करना आता था तो वो भी मर्दों को अपनी उंगलियो पे नचाने मे माहिर थी!
"आपके पति से मिलने की ख़ुशनसीबी तो अभी तक हासिल नही हुई है मुझे मगर मिस्टर.प्रणव से मैं काई मर्तबा मिला हू.उन्होने भी मेरी पेशकश ठुकरा ही दी थी लेकिन वो आदमी बहुत काबिल हैं.जब तक वो ग्रूप मे हैं,आपकी कंपनी महफूज़ है."
"जी.वो बहुत भले इंसान है & हमसब उन्हे बहुत पसंद करते हैं.कारोबार मे आप हमारे साथ नही जुड़ पाए पर ज़ाति तौर पे तो जुड़ सकते हैं..",ये बात रंभा नेकुच्छ इस तरह से कही कि शाह को लगा कि कही वो उस से दोहरे मतलब वाली बात तो नही कर रही लेकिन रंभा के मासूमियत से मुस्कुराते चेहरे को देख उसे अपनी सोच ग़लत लगी मगर वो सोच मे तो पड़ ही गया था.यही तो रंभा चाहती थी & जान बुझ के उसने वो बात कही थी,"..कभी आइए हमारे घर.आप आदमी दिलचस्प मालूम होते हैं.",शाह फिर से उसकी बात मे मतलब ढूँढने लगा मगर 1 बार फिर रंभा के मासूम चेहरे ने उसे उलझा दिया.
"ज़रूर आऊंगा लेकिन उसके पहले आपको कभी हमारी मेहमाननवाज़ी कबूलनी पड़ेगी."
"ज़रूर.ऐसा करना तो मेरे लिए बड़ी खुशी की बात होगी."
"मेरा यकी कीजिए रंभा जी,आपसे ज़्यादा खुशी मुझे होगी.अच्छा,अब बहुत वक़्त लिया आपका.अब & परेशान नही करूँगा.",वो 1 किनारे हो गया तो रंभा ने अपना हाथ फिर से आगे बढ़ाया.
"नाइस मीटिंग यू,मिस्टर.शाह."
"सेम हियर.",शाह ने उसके हाथ को दोबारा चूमा & फिर स्टोर से बाहर चला गया.
रंभा कोई 15 मिनिट बाद कुच्छ समान खरीद माल से निकली & प्रणव को फोन किया,"मिल लिया उस से.सब ठीक रहा."
"वेरी गुड,डार्लिंग.",रंभा का अगला पड़ाव था ट्रस्ट फिल्म्स का ऑफीस.वो फिल्म जिसके बारे मे रंभा ने गौर किया था कि अगर उसमे 1 साइड हेरोयिन का रोल थोड़ा बढ़ा दिया जाए तो वो और निखर जाएगी,उसकी शूटिंग 70% हो गयी थी & उसी फुटेज को आज डाइरेक्टर,एडिटर,कॅमरमन,राइटर & बाकी लोग देखने वाले थे.फिल्म का हीरो अभी शहर से बाहर था & कामया विदेश से अभी लौटी नही थी.
सोनम के फोन से रंभा का माथा ठनका था & उसने ये फ़ैसला किया कि पहले तो ये पता करेगी कि कामया शहर मे है या नही.अगर वो शहर मे होती तो बहुत मुमकिन था कि उस से मिलने के लिए समीर ने झूठ बोला हो.रंभा कार चलाते हुए सोच रही थी कि कौन हो सकता है जो उसे कामया के शहर मे होने की सही खबर दे सकता था.उसने 1-2 फोन घुमाए तो पता चला कि कामया के शहर मे 4 मकान हैं.वो जिस मकान मे रहती है उसमे उसकी मा भी साथ ही रहती है.2 उसने किराए पे दे रखे हैं.अब बचा 1 & 1 फिल्मी रिपोर्टर से उसे पता चला कि यही वो कबीर के साथ रंगरलियाँ मनाती है.
रंभा ने फिल्म कंपनी के 1 कर्मचारी को कामया से कोई कॉस्ट्यूम्स की फिटिंग सेशन्स का अपायंटमेंट फिक्स करने के बहाने उसी फ्लॅट पे भेजा.लेकिन काम वैसे तो कामया के सेक्रेटरी का था मगर उस से कहने से ये पता नही चलता कि कामया शहर मे थी या नही.लड़का तेज़-तर्रार था & 1 घंटे मे ही इस खबर के साथ वापस लौटा की कामया फ्लॅट पे तो नही थी मगर शहर मे थी.वो सवेरे ही लौटी थी & सीधा अपने फ्लॅट पे गयी थी लेकिन उस लड़के के वाहा पहुचने से 30 मिनिट पहले ही वो वाहा से अकेली कही चली गयी थी.
रंभा अब समझ गयी थी कि कामया कहा मिलेगी.वो प्रीव्यू थियेटर पहुँची & बाकी लोगो के साथ फिल्म के रशस देखने लगी,"अब मुझे फिल्म मेकिंग की बारीकियो के बारे मे तो पता नही..",सारी फुटेज देखने के बाद वो डाइरेक्टर से मुखातिब हुई,"..मगर जो देखा वो कमाल का था!"
"थॅंक यू,मा'म.",डाइरेक्टर तारीफ सुन खुश हो गया था.प्रोड्यूसर्स अमूमन ऐसा कम ही करते थे.
"वैसे 1 बात कहने की हिमाकत करू?"
"अरे!कैसी बात कर रही हैं,मॅ'म!आप प्रोड्यूसर हैं.आप हुक कीजिए."
"जी नही..",.रंभा हँसी,"..हुक्म नही करूँगी वो आपका काम है.1 बात पुच्छनी थी मुझे."
"हां-2."
"वो जो साइड हेरोयिन है उसका किरदार बड़ा पवरफुल है.मान लीजिए उसे थोड़ा बढ़ाते हैं तो फिल्म और अच्छी नही हो जाएगी?",डाइरेक्टर उसके सवाल पे कुच्छ बोला नही & साथ बैठे राइटर को देखा & फिर एडिटर & कॅमरमन को.
"देखिए,मॅ'म.असल कहानी वैसी ही है जैसी आप कह रही हैं लेकिन कामया फिर फिल्म मे काम नही करती & उसे खोने का रिस्क हम ले नही सकते थे."
"ओके.तो उस लड़की के बस 3-4 सीन्स बढ़ाते हैं.कहानी तो तब भी मज़बूत हो जाएगी.कामया का रोल काटने की भी ज़रूरत नही है."
"तो फिर फिल्म की लंबाई बढ़ जाएगी,मॅ'म."
"कोई बात नही.अभी फिल्म 130 मिनिट की है.हमारे एडिटर साहब अगर उसे किसी तरह बस 140 मिनिट या उस से कम की कर दें तो ज़्यादा फ़र्क नही पड़ेगा.",डाइरेक्टर ने एडिटर को देखा तो उसने हां मे सर हिलाया.
"पर मॅ'म 1 दूसरी उलझन खड़ी हो जाएगी फिर."
"वो क्या?"
"कामया को शायद ये पसन्द ना आए कि उसके स्टारिंग रोल वाली फिल्म मे सपोर्टिंग आक्ट्रेस का भी दमदार रोल है."
"डाइरेक्टर साहब..",रंभा हँसी,"..कामया भूल गयी होगी कि उसकी शुरुआत भी इसी तरह हुई होगी छ्होटे-मोटे रोल्स से मगर आप तो नही भूले होंगे.सबसे अहम चीज़ है फिल्म,ना कामया ना वो सपोर्टिंग हेरोयिन.लोग अपने पैसे खर्च कर फिल्म केवल कामया को देखने के लिए नही जाते,वो जाते हैं 1 अच्छी फिल्म देखने अब चाहे वो कामया के फॅन्स हो चाहे ना हों.अगर केवल किसी सितारे की वजह से ही फिल्म देखी जाती तो बच्चन साहब की कोई फिल्म तो कभी पिटी ही नही होती क्यूकी उनसे ज़्यादा फॅन्स तो शायद ही किसी सितारे के होंगे!"
"ओके.मॅ'म.",उसकी आख़िरी बात पे सभी हंस पड़े थे,"..जैसा आप कहें."
"ओके,डाइरेक्टर साहब.कामया को मैं संभाल लूँगी.आप उसकी फ़िक्र मत कीजिएगा.",इसके बाद रंभा सीधा वाहा पहुँची थी जहा कि उसे पता था कि कामया & समीर उसे ज़रूर मिलेंगे-कामया के दफ़्तर.कामया शहर मे थी नही तो दफ़्तर बंद होगा & वाहा कोई स्टाफ भी नही आएगा.अब ऐसी जगह से बेहतर जगह कौन होगी छुप के मिलने के लिए.2 घंटे बाद रंभा की सोच बिल्कुल सही साबित हुई थी.
वो कामया के दफ़्तर से निकली & अपनी कार मे बैठ अपने बंगल की ओर चल दी.पिच्छले 3 दिनो से वो इस बात को लेके परेशान थी कि देवेन से मिलने & विजयंत मेहरा की हालत के बारे मे जानने के लिए गोआ जाए तो क्या बहाना बना के जाए.आज उसके पति ने खुद ही उसे बहाना पेश कर दिया था..थॅंक यू,समीर!..वो हँसी & कार की रफ़्तार बढ़ा दी.
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क्रमशः.......
गतान्क से आगे......
"ओह!समीर..आहह..ऐसे ही प्यार करते रहो..!",अपनी डाई बाँह समीर की गर्दन मे डाले कामया उसकी गोद मे बैठी थी.उसने 1 स्कर्ट & ब्लाउस पहना था & समीर उसकी गर्दन से लेके क्लीवेज तक अपने होंठ चला रहा था.उसका बाया हाथ कामया की कमर को थामे था & दया उसकी जाँघो के बीच घुसा वाहा की कोमलता परख रहा था.
"ऊहह..शरीर कहिनके..!",कामया ने मुस्कुराते हुए आशिक़ के गाल पे प्यार भरी चपत लगाई जोकि उसकी पॅंटी मे हाथ घुसा उसकी चूत को सहला रहा था & उसके क्लीवेज को दांतो से हौले-2 काट रहा था,"..उउन्न्ञनह..हाआंन्ननणणन्..!",कामया के जिस्म मे बिजली दौड़ रही थी.समीर की उंगली उसकी चूत की दीवारो को रगड़ने लगी थी.
समीर अपनी नाक उसके क्लीवेज मे घुसा के रगड़ते हुए उसके सीने को चूम रहा था.कामया का दिल भी अब उसके होंठो की गर्मी को सीने पे महसूस करने को मचल रहा था.उसने खुद ही अपने ब्लाउस के बटन्स खोल दिए & अपनी छातियो को ब्रा के कप्स से आज़ाद कर दिया.समीर ने अपने मुँह मे उसकी छातियो को बारी-2 से भरना शुरू कर दिया तो कामया सर पीछे झटकते हुए बहुत तेज़ आहें लेने लगी.
"आहह..अब रहा नही जाता,समीर..ओह..जल्दी से मुझे अपनी दुल्हन बनाओ..आन्न्नननणणनह..!",समीर की उंगली & ज़ुबान ने उसे उस कगार से नीचे धकेल दिया था जहा से गिरने मे जो मज़ा मिलता है वो & कभी महसूस नही होता,"..फिर हर रात,सारी-2 रात तुम्हारी बाहो मे ऐसे ही गुज़ारुँगी..1 पल को भी तुम्हे खुद से दूर नही जाने दूँगी..",समीर ने उसकी पॅंटी खींची तो कामया ने खुद ही स्कर्ट & पॅंटी को निकाला & उसकी पॅंट ढीली कर उसके जिस्म के दोनो तरफ टाँगे कर उसकी गोद मे बैठते हुए उसके लंड को अपनी गीली चूत मे ले लिया,"..ऊहह..!",लंड अंदर घुसा तो उसने सर को पीछे फेंका & समीर के सर को पकड़ उसे अपनी चूचियो मे दबाते हुए कमर हिलाने लगी.
"बस मानपुर वाला टेंडर खुले & हमे मिले.उसके बाद मैं रंभा को किनारे करूँगा & तुम बनोगी म्र्स.मेहरा.",समीर उसकी कमर को जकड़े उसकी चूचियो को चूस्ते हुए अपनी कमर हिला रहा था.
"मिस्टर.मेहरा,लॅमबर्ट बॅंक के मिस्टर.सूरी आज शाम 6 बजे आपसे मिल नही पाएँगे.",अचानक दरवाज़ा खुला & किसी की गुस्से से भरी आवाज़ आई.दोनो प्रेमी चौंके & कामया ने गर्दन घुमाई.जिस कुर्सी पे दोनो चुदाई कर रहे थे वो बिल्कुल दरवाज़े के सामने थी & समीर को उनकी मोहब्बत मे खलल डालने वाले को देखने के लिए गर्दन नही घुमानी पड़ी थी.
"रंभा..त-तुम..!",समीर खड़ा होने लगा & उसी वक़्त कामया भी उसकी गोद से उतरने लगी मगर वो लड़खड़ा गयी & फर्श पे गिर गयी.समीर जैसे ही खड़ा हुआ उसकी पॅंट सरर से नीचे सरक के उसकी आएडियो के गिर्द फँस गयी.रंभा को दोनो की हालत पे बहुत हँसी आ रही थी लेकिन उसने अपने दिल के भाव को चेहरे पे नही आने दिया.उसे अंदाज़ा तो था कि दोनो का रिश्ता चुदाई तक पहुँच गया होगा & शुरू मे इस ख़याल से उसे काफ़ी गुस्सा भी आया था मगर अब उसकी ज़िंदगी मे देवेन आ चुका था.अब उसे समीर की कोई ज़रूरत नही थी मगर फिर भी इन दोनो को सज़ा तो देनी ही थी.रंभा कुच्छ पल अंगारे बरसाती आँखो से दोनो को देखती रही-दोनो जल्दी-2 अपने-2 कपड़े पहन रहे थे,& फिर दरवाज़ा ज़ोर से बंद करते हुए वाहा से निकल गयी,"..रंभा..रंभा सुनो तो..!"
गलियारे से बाहर जाती रंभा को समीर के घबराए चेहरे को याद कर बहुत हँसी आ रही थी मगर उस से भी ज़्यादा हँसी उसे आई थी उसे देख के चौंक उठे समीर की गोद से फर्श पे दोनो टाँगे फैलाए गिरती कामया को देख के.
समीर ने रंभा से कहा था कि वो आज देर रात बॉमबे से लौटेगा.यही बात सोनम को भी पता थी मगर दोपहर 12 बजे 1 फोन आया जिसे सोनम ने रिसीव किया,"ट्रस्ट ग्रूप,समीर मेहरा'स ऑफीस.हाउ मे आइ हेल्प यू?"
"हेलो,मैं लॅमबर्ट बॅंक से राजिंदर सूरी बोल रहा हू.आज शाम 6 बजे मुझे मिस्टर.मेहरा से ग्रांड वाय्लेट मे मिलना था मगर कुच्छ ऐसी एमर्जेन्सी आ गयी है कि मैं आज उनसे मिल नही पाऊँगा.मैने उनका मोबाइल ट्राइ किया था मगर वो मिल नही रहा तो प्लीज़ उन्हे ये मेसेज दे दीजिएगा & ये भी कह दीजिएगा कि इस बात के लिए मैं माफी चाहता हू.ओके..थॅंक्स!"
"जी..लेकिन..वो..",तब तक सूरी ने फोन रख दिया था,"..तो आज रात को वापस आ रहे थे.",सोनम सोच मे पड़ गयी थी & उसने ये बात फ़ौरन अपनी सहेली को बता दी जिसने उसे ये बात समीर को बताने से मना किया.जिस वक़्त सोनम का फोन आया था उस वक़्त रंभा प्रणव के साथ 1 शॉपिंग माल के बाहर कार मे बैठी थी.उस माल मे विदेशी डिज़ाइनर्स के स्टोर्स थे & वाहा उसे आज उस शख्स से मिलना था जिसका उसने अभी तक बस नाम ही सुना था-महादेव शाह.
"क्या बात है?किसका फोन था?",उसे परेशान देख प्रणव ने पुछा.
"मेरी 1 सहेली थी.उस से भी मिलना है.वही सोच रही थी."
"अच्छा,थोड़ी देर के लिए उसे भूल जाओ & ध्यान से सुनो.शाह ने मुझे कहा था कि वो तुमसे ऐसे मिलना चाहता है कि लगे कि तुम दोनो कही टकरा गये फिर वो तुमसे मेल-जोल बढ़ाएगा & मेरी तारीफ करेगा मगर कुच्छ इस तरह की तुम्हे ये शक़ ना हो कि हम मिले हैं."
"अच्छा.यानी अभी तुम दोनो हो तो मिले हुए मगर दुनिया के लिए तुमने भी डॅड की तरह उसका ऑफर ठुकरा दिया है.अब वो मुझसे तुम्हारे बारे मे ऐसे बात करेगा कि मुझे लगे की तुम दोनो दोस्त तो बिल्कुल नही हो मगर वो फिर भी तुम्हारी काबिलियत का लोहा मानता है.है ना?"
"हां.वो यही सोचता रहेगा कि वो मेरे साथ मिलके तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है जबकि हाक़ेक़त ये होगी कि हम दोनो उस बुड्ढे का इस्तेमाल कर रहे होंगे.",प्रणव उसकी होशियारी पे फिर हैरान हो गया था & 1 पल को उसे ये लगा कि कही उसने इस लड़की को अपने साथ मिलाके कोई ग़लती तो नही की है?..कही ऐसा ना हो कि आगे जाके वो उसे ही कोई धोखा ना दे दे..नही..नही..ऐसा नही हो सकता..इसे भी सहारे की ज़रूरत है & जब समीर जाएगा तो मेरे सिवा और मिलेगा कौन इसे?..,"..चलो,जाओ माल मे & उस से मुलाकात कर लो."
"ओके,डार्लिंग."रंभा ने उसे चूमा & फिर कार से उतार के माल मे चली गयी.कुच्छ पलो बाद 1 मशहूर इटॅलियन डिज़ाइनर का डिज़ाइन किया 1 ईव्निंग गाउन वो देख रही थी & 1 असिस्टेंट उसे उस ड्रेस के बारे मे बता रही थी जब सफेद बालो वाला 1 बूढ़ा मगर चुस्त शख्स उसके सामने आ खड़ा हुआ.असिस्टेंट उसे देख बड़ी शालीनता से पीछे हट गयी.
"एक्सक्यूस मे,आप म्र्स.मेहरा है ना?..म्र्स.रंभा मेहरा?"
"जी."
"इस तरह से आपको परेशान करने के लिए माफी चाहता हू मगर आपको देखा तो आपसे मिलने से खुद को रोक नही पाया.",रंभा ने उसे निगाहो से तोला.बुद्धा देखने मे अच्छा था & क्रीम कलर की कमीज़,भूरी टाइ & काले सूट के साथ आँखो पे चढ़ा रिमलेस चश्मा उसकी शख्सियत को रोबदार बना रहे थे.उसे देखने से ऐसा लगता था जैसे कि वो किसी ऊँचे खानदान से ताल्लुक रखता है.
"हेलो.",रंभा ने हाथ आगे बढ़ाया.
"हाई,मुझे महादेव शाह कहते हैं.",उसने रंभा का हाथ थाम उसे बड़ी शालीनता से चूमा..बुड्ढ़ा लड़कियो को इंप्रेस करना भी जानता था,"..जब आपके पति लापता हुए थे तब मैने आपको खबरों मे देखा था & आपकी हिम्मत की दाद दिए बिना नही रहा था."
"थॅंक यू."
"आपके ससुर मिस्टर.मेहरा के लिए भी मेरे दिल मे बस इज़्ज़त & तारीफ ही थी.मैं उनके साथ काम भी करना चाहता था लेकिन उन्हे मंज़ूर नही था.",रंभा ने उसे सवालीयो निगाहो से देखा.
"मैं 1 इन्वेस्टर हू.कंपनीज़ मे पैसा लगाता हू & बदले मे उनके चंद शेर्स मुझे मिलते हैं & यही मेरी कमाई का ज़रिया है.ट्रस्ट मे भी इनवेस्ट करने की मेरी ख्वाहिश थी मगर मिस्टर.मेहरा नही माने."
"ओह.ये कारोबारी बातें तो मैं नही जानती.",रंभा इस वक़्त 1 अमीर खानदान की बहू थी जिसकी ज़िंदगी बस कपड़े,गहनो & पार्टीस के गिर्द ही घूमती थी.
"& मैं आपसे कोई शिकवा भी नही कर रहा!",वो हंसा तो रंभा भी थोड़ा शरमाते हुए हंस दी..अगर उस बुड्ढे को लड़कियो से चिकनी-चुपड़ी बातें करना आता था तो वो भी मर्दों को अपनी उंगलियो पे नचाने मे माहिर थी!
"आपके पति से मिलने की ख़ुशनसीबी तो अभी तक हासिल नही हुई है मुझे मगर मिस्टर.प्रणव से मैं काई मर्तबा मिला हू.उन्होने भी मेरी पेशकश ठुकरा ही दी थी लेकिन वो आदमी बहुत काबिल हैं.जब तक वो ग्रूप मे हैं,आपकी कंपनी महफूज़ है."
"जी.वो बहुत भले इंसान है & हमसब उन्हे बहुत पसंद करते हैं.कारोबार मे आप हमारे साथ नही जुड़ पाए पर ज़ाति तौर पे तो जुड़ सकते हैं..",ये बात रंभा नेकुच्छ इस तरह से कही कि शाह को लगा कि कही वो उस से दोहरे मतलब वाली बात तो नही कर रही लेकिन रंभा के मासूमियत से मुस्कुराते चेहरे को देख उसे अपनी सोच ग़लत लगी मगर वो सोच मे तो पड़ ही गया था.यही तो रंभा चाहती थी & जान बुझ के उसने वो बात कही थी,"..कभी आइए हमारे घर.आप आदमी दिलचस्प मालूम होते हैं.",शाह फिर से उसकी बात मे मतलब ढूँढने लगा मगर 1 बार फिर रंभा के मासूम चेहरे ने उसे उलझा दिया.
"ज़रूर आऊंगा लेकिन उसके पहले आपको कभी हमारी मेहमाननवाज़ी कबूलनी पड़ेगी."
"ज़रूर.ऐसा करना तो मेरे लिए बड़ी खुशी की बात होगी."
"मेरा यकी कीजिए रंभा जी,आपसे ज़्यादा खुशी मुझे होगी.अच्छा,अब बहुत वक़्त लिया आपका.अब & परेशान नही करूँगा.",वो 1 किनारे हो गया तो रंभा ने अपना हाथ फिर से आगे बढ़ाया.
"नाइस मीटिंग यू,मिस्टर.शाह."
"सेम हियर.",शाह ने उसके हाथ को दोबारा चूमा & फिर स्टोर से बाहर चला गया.
रंभा कोई 15 मिनिट बाद कुच्छ समान खरीद माल से निकली & प्रणव को फोन किया,"मिल लिया उस से.सब ठीक रहा."
"वेरी गुड,डार्लिंग.",रंभा का अगला पड़ाव था ट्रस्ट फिल्म्स का ऑफीस.वो फिल्म जिसके बारे मे रंभा ने गौर किया था कि अगर उसमे 1 साइड हेरोयिन का रोल थोड़ा बढ़ा दिया जाए तो वो और निखर जाएगी,उसकी शूटिंग 70% हो गयी थी & उसी फुटेज को आज डाइरेक्टर,एडिटर,कॅमरमन,राइटर & बाकी लोग देखने वाले थे.फिल्म का हीरो अभी शहर से बाहर था & कामया विदेश से अभी लौटी नही थी.
सोनम के फोन से रंभा का माथा ठनका था & उसने ये फ़ैसला किया कि पहले तो ये पता करेगी कि कामया शहर मे है या नही.अगर वो शहर मे होती तो बहुत मुमकिन था कि उस से मिलने के लिए समीर ने झूठ बोला हो.रंभा कार चलाते हुए सोच रही थी कि कौन हो सकता है जो उसे कामया के शहर मे होने की सही खबर दे सकता था.उसने 1-2 फोन घुमाए तो पता चला कि कामया के शहर मे 4 मकान हैं.वो जिस मकान मे रहती है उसमे उसकी मा भी साथ ही रहती है.2 उसने किराए पे दे रखे हैं.अब बचा 1 & 1 फिल्मी रिपोर्टर से उसे पता चला कि यही वो कबीर के साथ रंगरलियाँ मनाती है.
रंभा ने फिल्म कंपनी के 1 कर्मचारी को कामया से कोई कॉस्ट्यूम्स की फिटिंग सेशन्स का अपायंटमेंट फिक्स करने के बहाने उसी फ्लॅट पे भेजा.लेकिन काम वैसे तो कामया के सेक्रेटरी का था मगर उस से कहने से ये पता नही चलता कि कामया शहर मे थी या नही.लड़का तेज़-तर्रार था & 1 घंटे मे ही इस खबर के साथ वापस लौटा की कामया फ्लॅट पे तो नही थी मगर शहर मे थी.वो सवेरे ही लौटी थी & सीधा अपने फ्लॅट पे गयी थी लेकिन उस लड़के के वाहा पहुचने से 30 मिनिट पहले ही वो वाहा से अकेली कही चली गयी थी.
रंभा अब समझ गयी थी कि कामया कहा मिलेगी.वो प्रीव्यू थियेटर पहुँची & बाकी लोगो के साथ फिल्म के रशस देखने लगी,"अब मुझे फिल्म मेकिंग की बारीकियो के बारे मे तो पता नही..",सारी फुटेज देखने के बाद वो डाइरेक्टर से मुखातिब हुई,"..मगर जो देखा वो कमाल का था!"
"थॅंक यू,मा'म.",डाइरेक्टर तारीफ सुन खुश हो गया था.प्रोड्यूसर्स अमूमन ऐसा कम ही करते थे.
"वैसे 1 बात कहने की हिमाकत करू?"
"अरे!कैसी बात कर रही हैं,मॅ'म!आप प्रोड्यूसर हैं.आप हुक कीजिए."
"जी नही..",.रंभा हँसी,"..हुक्म नही करूँगी वो आपका काम है.1 बात पुच्छनी थी मुझे."
"हां-2."
"वो जो साइड हेरोयिन है उसका किरदार बड़ा पवरफुल है.मान लीजिए उसे थोड़ा बढ़ाते हैं तो फिल्म और अच्छी नही हो जाएगी?",डाइरेक्टर उसके सवाल पे कुच्छ बोला नही & साथ बैठे राइटर को देखा & फिर एडिटर & कॅमरमन को.
"देखिए,मॅ'म.असल कहानी वैसी ही है जैसी आप कह रही हैं लेकिन कामया फिर फिल्म मे काम नही करती & उसे खोने का रिस्क हम ले नही सकते थे."
"ओके.तो उस लड़की के बस 3-4 सीन्स बढ़ाते हैं.कहानी तो तब भी मज़बूत हो जाएगी.कामया का रोल काटने की भी ज़रूरत नही है."
"तो फिर फिल्म की लंबाई बढ़ जाएगी,मॅ'म."
"कोई बात नही.अभी फिल्म 130 मिनिट की है.हमारे एडिटर साहब अगर उसे किसी तरह बस 140 मिनिट या उस से कम की कर दें तो ज़्यादा फ़र्क नही पड़ेगा.",डाइरेक्टर ने एडिटर को देखा तो उसने हां मे सर हिलाया.
"पर मॅ'म 1 दूसरी उलझन खड़ी हो जाएगी फिर."
"वो क्या?"
"कामया को शायद ये पसन्द ना आए कि उसके स्टारिंग रोल वाली फिल्म मे सपोर्टिंग आक्ट्रेस का भी दमदार रोल है."
"डाइरेक्टर साहब..",रंभा हँसी,"..कामया भूल गयी होगी कि उसकी शुरुआत भी इसी तरह हुई होगी छ्होटे-मोटे रोल्स से मगर आप तो नही भूले होंगे.सबसे अहम चीज़ है फिल्म,ना कामया ना वो सपोर्टिंग हेरोयिन.लोग अपने पैसे खर्च कर फिल्म केवल कामया को देखने के लिए नही जाते,वो जाते हैं 1 अच्छी फिल्म देखने अब चाहे वो कामया के फॅन्स हो चाहे ना हों.अगर केवल किसी सितारे की वजह से ही फिल्म देखी जाती तो बच्चन साहब की कोई फिल्म तो कभी पिटी ही नही होती क्यूकी उनसे ज़्यादा फॅन्स तो शायद ही किसी सितारे के होंगे!"
"ओके.मॅ'म.",उसकी आख़िरी बात पे सभी हंस पड़े थे,"..जैसा आप कहें."
"ओके,डाइरेक्टर साहब.कामया को मैं संभाल लूँगी.आप उसकी फ़िक्र मत कीजिएगा.",इसके बाद रंभा सीधा वाहा पहुँची थी जहा कि उसे पता था कि कामया & समीर उसे ज़रूर मिलेंगे-कामया के दफ़्तर.कामया शहर मे थी नही तो दफ़्तर बंद होगा & वाहा कोई स्टाफ भी नही आएगा.अब ऐसी जगह से बेहतर जगह कौन होगी छुप के मिलने के लिए.2 घंटे बाद रंभा की सोच बिल्कुल सही साबित हुई थी.
वो कामया के दफ़्तर से निकली & अपनी कार मे बैठ अपने बंगल की ओर चल दी.पिच्छले 3 दिनो से वो इस बात को लेके परेशान थी कि देवेन से मिलने & विजयंत मेहरा की हालत के बारे मे जानने के लिए गोआ जाए तो क्या बहाना बना के जाए.आज उसके पति ने खुद ही उसे बहाना पेश कर दिया था..थॅंक यू,समीर!..वो हँसी & कार की रफ़्तार बढ़ा दी.
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क्रमशः.......