hotaks444
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जाल पार्ट--92
गतान्क से आगे......
"बपत साहब,अब मच्चली पकड़नी हो तो चारा डालना ही पड़ेगा ना & लगता है मच्चली ने चारा खा भी लिया है."
"क्या?!",देवेन ने उसे सारी बात बताई,"हूँ..मामला ख़तरनाक लगता है पर भाई,तुम निकल जाओगे तो वो साला पकड़ मे कैसे आएगा?”
“आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे मैं को पोलिसेवला हू.”,देवेन ने उसी के अंदाज़ मे जवाब दिया तो बपत ने ठहाका लगाया,”..बपत साहिब,मुझे अपनी परवाह नही पर कुच्छ लोग हैं जिनकी ज़िम्मेदारी मेरे सर है & मैं उन्हे तकलीफ़ मे नही डाल सकता इसीलिए तो आपको फोन किया है कि किसी तरह डेवाले पोलीस को उसके बारे मे सुराग दे दीजिए की वो यहा आ सकता है.
“हूँ..करता हूँ कुच्छ.”,दोनो की बात ख़त्म हो गयी.
“महादेव डार्लिंग.”,रंभा अपने आशिक़ के सीने पे सर रखे उसकी झांतो मे बाए हाथ को फिरा रही थी.
“बोलो जानेमन.”,शाह उसकी ज़ुल्फो की खुश्बू मे मदहोश रहा था.
“उस कामीने के मारने के बाद हम शादी कब करेंगे?”
“1 महीने का इंतेज़ार करना होगा हमे.”
“इतना लंबा!”,रंभा बाई कोहनी पे उचकी.उसके चेहरे पे नाखुशी सॉफ दिख रही थी.
“मेरी जान,इतना इंतेज़ार तो ज़रूरी है वरना किसी को शक़ सकता है.”
“पर मैं कैसे रहूंगी इतने दिनो तक आपके बिना.”,वो किसी बच्चे की तरह मचल रही थी.
“अरे!बस चंद दिनो की तो बात है.”
“नही!मैं नही जानती कुच्छ वो मरेगा & मैं आपके पास आ जाऊंगी.”,शाह उसकी बचकानी ज़िद सुनके थोड़ा घबरा गया था.रंभा ने भी भाँप लिया कि उसने कुच्छ ज़्यादा नाटक कर दिया है,”..मैं क्या करू!जानती हू आप सही कह रहे हैं..”वो फिर उसके सीने पे लेट गयी,”..पर अब सब्र नही होता ना!”
“मैं समझता हू,रंभा.ऐसा ही कुच्छ तो मेरा भी हाल है.”
“अच्छा छ्चोड़िए उस बात को..”,रंभा ने बात बदली,”..हम शादी करेंगे कहा & कैसे?”
“यही तो मैं भी सोच रहा था.किसी मंदिर मे शादी कर के मॅरेज रिजिस्ट्रार के ऑफीस से सर्टिफिकेट निकलवा लेंगे.”
“हां,पर किस मंदिर मे शादी करेंगे?इस शहर मे तो हमे कोई भी पहचान सकता है.”
“हां,यहा से दूर जाना होगा पर ज़्यादा दूर नही जा सकते.वरना किसी को शक़ हो सकता है कि पति की मौत के महीने भर बाद ही तुम कहा चल दी.”,शाह सोचने लगा.रंभा के ज़हन मे फ़ौरन ही इस काम के लिए सही जगह आ गयी थी पर वो चुप रही & थोड़ी देर सोचने का नाटक करती रही.
“1 जगह है.”,वो किसी बच्ची की तरह उच्छली जिसने होमवर्क मे मिले मुश्किल सवाल का सही जवाब ढूंड लिया हो.
“कौन सी?”
“क्लेवर्त.”,शाह उसे गौर से देखने लगा.रंभा का दिल धड़क उठा पर उसने बड़ी मासूमियत से पुछा,”क्या हुआ?..वो जगह ठीक नही रहेगी क्या?”
“नही मेरी रानी,वो बिल्कुल सही जगह है!”,शाह का संजीदा चेहरा अचानक हंसते चेहरे मे तब्दील हो गया & वो रंभा को बाँहो मे भर चूमने लगा,कैसे सोचा तुमने उस जगह के बारे मे?”
“आपको याद होगा जब समीर लापता हुआ था तो मैं उसके डॅडी के साथ उसे ढूँदने के चक्कर मे वाहा गयी थी.वाहा जो हुआ बहुत बुरा हुआ पर उस जगह की खूबसूरती & सैलानियो की पसंदीदा जगह होने के बावजूद वाहा की शान्ती ने मेरे दिल मे घर कर लिया.हम बड़ी आसानी से वाहा जाके चुपचाप शादी कर सकते हैं.”
“अच्छा ये बताइए..”,रंभा ने सवाल किया,”..समीर की मौत के बाद ट्रस्ट ग्रूप की मीटिंग कब होगी?”
“मुझे लगता है कि उसकी मौत के बाद क्रिया-कर्म & फिर क़ानूनी फॉरमॅलिटीस निपटाते हुए 1 महीने का वक़्त गुज़र जाएगा.मीटिंग भी तब ही होगी.”
“अच्छा,तो फिर 1 काम करते हैं ना!हम उसकी मौत के 15-20 दिन बाद ही वाहा चले जाते हैं & शादी कर लेते हैं फिर वापस आ जाएँगे & फिर जब सही मौका आएगा तब दुनिया को बताएँगे की आप & मैं पति-पत्नी हैं.”
“हूँ.बात तो ठीक लगती है तुम्हारी.”,शाह सोच रहा था.
“अच्छा,अब जब भी उसकी मौत का इंतेज़ाम करें तब मुझे बुला लीजिएगा.”,रंभा बिस्तर से उतरी & सोच मे पड़ गयी.उसका ब्लाउस तो शाह लगभग फाड़ ही चुका था.शाह उसकी उलझन समझ गया & मुस्कुराता हुआ बिस्तर से उठा & अलमारी खोल 1 पॅकेट रंभा को थमाया जिसमे 1 ड्रेस थी.
“ये किसकी है?”,रंभा ने उसे छेड़ा.
“जिसकी भी हो,अब तो तुम्हारी है.”,शाह ने भी वैसे ही जवाब दिया तो दोनो खिलखिला उठे.
देवेन विजयंत मेहरा को लेके उस घर से निकला & डेवाले की सड़को पे घूमने लगा.रंभा ने महादेव शाह के घर से निकलते ही उसे फोन किया तो उसने रंभा को सारी बात बताई.रंभा फ़ौरन उनके पास पहुँची & तीनो देवेन के साथ उसकी कार मे बैठ आगे के बारे मे सोचने लगे.
"रंभा,इस वक़्त हमे दयाल को छ्चोड़ सिर्फ़ शाह पे ध्यान देना चाहिए.मुझे लगता है कि जैसे ही हम उसकी पोल खोल विजयंत को दुनिया के सामने लाएँगे,विजयंत के इस हाल का राज़ भी खुद बा खुद खुल जाएगा."
"हां,आपकी बात ठीक है पर अभी आप जाएँगे कहा?"
"तुम्हारी बात से मुझे आइडिया आया है."
"क्या?"
"हम क्लेवर्त जाते हैं."
"क्या?!पर वाहा रहेंगे कहा?"
"अरे!उसके पास वो गाँव भूल गयी,हराड.",रंभा के गाल उस गाँव मे उसकी & देवेन की पहली रात को याद कर सुर्ख हो गये.
"वाहा उसी बुड्ढे की मदद लेंगे?"
"हां."
"ठीक है.पर फिर समीर का काम."
"उसकी फ़िक्र मत करो.बस तुम मुझे फोन से सब बताती रहना."
"ओके.",रंभा दोनो मर्दो से गले मिली & उन्हे अलविदा कह के वाहा से सोनम से मिलने चली गयी.सोनम के साथ उसके घर पे बैठी वो काफ़ी देर तक गप्पे लड़ाती रही फिर उसकी दी गयी समीर के शेड्यूल की कॉपी ले वाहा से चली आई.घर आके उसने देखा की सोनम के दिए गये & समीर की ब्लॅकबेरी से निकले शेड्यूल बिल्कुल 1 जैसे थे.
अगले दिन देवेन हराड पहुँचा & उसे फोन किया तो रंभा ने उसे समीर के शेड्यूल के गॅप के बारे मे बता दिया.देवेन ने उसे ये बात शाह को बताने को कहा.रंभा ने ऐसा ही किया तो शाह ने उसे अगले दिन मिलने को कहा.
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इधर देवेन हराड गया उधर दयाल उसके घर के सामने वाले मकान पर गया उसकी तलाश मे.उसने भी उस काली कार की ही तरह पूरे इलाक़े का चक्कर लगाया पर उसे कुच्छ ना मिला.काली कार के ड्राइवर ने उसे बताया था कि वाहा कुच्छ भी गड़बड़ नही दिखी थी.दयाल वापस लौट गया पर उसने सोच लिया था कि उस पते पे नज़र तो रखनी ही पड़ेगी.
उसने 1 आदमी को इस काम पे लगाया भी पर कुच्छ नतीजा नही निकला.वो तारीख भी आके चली गयी जो इशतहार मे लिखी थी पर उस दिन भी दयाल के आदमी को वाहा कोई नही दिखा.
इस सब से पहले कुच्छ & हुआ जिस से चारो तरफ सनसनी फैल गयी.
जिस रोज़ देवेन & विजयंत डेवाले से निकले उसके ठीक 4 दिन बाद मानपुर प्रॉजेक्ट का टेंडर खुला & जैसी की उमीद थी वो ट्रस्ट ग्रूप को ही मिला.समीर इस बात का जश्न मानने के लिए शहर के बाहर बने मेहरा परिवार के फार्महाउस के लिए रवाना हो गया.कामिनी वाहा पहले से ही पहुँच चुकी थी.
डेवाले से बाहर निकलते हाइवे पे 5 किमी के सफ़र के बाद 1 रास्ता बाई तरफ चला जाता है जिसके दोनो तरफ खाली झाड़-झंखाड़ से भरी ज़मीन है.इस रास्ते पे कोई 2किमी चलने के बाद बड़े ही आलीशान & खूबसूरत फार्म्हाउसस दिखने लगते हैं.इन्ही मे से 1 फार्महाउस मेहरा परिवार का था.समीर खुशी मे डूबा सीटी बजाता उस सड़क पे बढ़ा जा रहा था कि पीछे से 1 ट्रक ने हॉर्न बजाया.उसने उसे आगे जाने देने के लिए कार थोड़ी किनारे की.वो ट्रक बगल से आगे जाने लगा पर जब उस ट्रक का पिच्छला हिस्सा समीर की ड्राइविंग सीट के बराबर आया तो ट्रक ड्राइवर ने अचानक ट्रक को बाई तरफ मोड़ा.ट्रक का पिच्छला हिस्सा समीर की कार से टकराया जो अपना बॅलेन्स खोती सड़क के किनारे की कच्ची ज़मीन पे चली गयी & 1 पेड़ से टकराई.
शाम 5 बजते-2 कामया बहुत घबरा गयी.समीर ना तो अपना फोन उठा रहा था ना ही वो दफ़्तर मे था.2 बजे मिलने की बात तय हुई थी & अब 3 घंटे बीट चुके थे.उसकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे.उसने 5 बजे फिर समीर के दफ़्तर फोन किया & सोनम को सारी बात बताई.सोनम ने सबसे पहले ये खबर प्रणव को दी & उसके बाद अपने मोबाइल से अपनी सहेली को.
प्रणव ने भी समीर को ढूंडना शुरू किया पर जब उसे भी समीर कही नही मिला तो उसने पोलीस कमिशनर के दफ़्तर फोन करने की सोची पर वो फोन मिलाता उस से पहले ही घबराई & बौखलाई सोनम उसके कॅबिन मे घुसी,"सर.."
"क्या हुआ सोनम?"
"सर,पोलीस आई है."
"हां तो.",प्रणव खड़ा हुआ.
"समीर सर की कार मिली है."
"क्या?!..कहा?!",प्रणव तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ा..शाह ने उसे तो कुच्छ नही बताया था फिर क्या उसने उसे बिना बताए सब कर दिया?
"उनकी लाश मिली है,सर."
"क्या बकती हो?!",प्रणव की आँखे हैरत से फॅट गयी.तभी 1 पोलीस वाला उसके कॅबिन के खुले दरवाज़े से अंदर घुसा.
"ये सही कह रही है,मिस्टर.प्रणव.हमे समीर जी की कार मिली है.उसका आक्सिडेंट हुआ लगता है पर साथ ही 1 लाश भी मिली है उस कार मे जिसका चेहरा बुरी तरह ज़ख़्मी है.मैं इसीलिए यहा आया हू ताकि आप या फिर कोई ऐसा शख्स जो उन्हे करीब से जानता हो,वो चल के उस लाश की शिनाख्त कर ले."
"मिस्टर.समीर मेहरा की वसीयत मे कही भी ये ज़िक्र नही है कि ट्रस्ट ग्रूप के उनके शेर्स का क्या किया जाए.इस सूरते हाल मे ये शेर्स उनकी बीवी रंभा मेहरा को जाने चाहिए..",समीर की मौत के 10 दिन बाद मेहरा परिवार के बुंगले के हॉल मे वकील समीर की वसीयत पढ़ने के बाद बोल रहा था जिसे सारे परिवार वाले सुन रहे थे,"..पर अगर आप मे से किसी को भी इस बात से ऐतराज़ हो तो आप अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.",वकील ने सभी की ओर देखा.
तीनो औरतें सफेद सारी मे बैठी थी.रंभा सर झुकाए थी & ऐसे बैठे थी जैसे उसे किसी बात से कोई मतलब नही पर हक़ीक़त ये थी कि वो सब कुच्छ बड़े ध्यान से सुन-देख रही थी.
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क्रमशः.......
गतान्क से आगे......
"बपत साहब,अब मच्चली पकड़नी हो तो चारा डालना ही पड़ेगा ना & लगता है मच्चली ने चारा खा भी लिया है."
"क्या?!",देवेन ने उसे सारी बात बताई,"हूँ..मामला ख़तरनाक लगता है पर भाई,तुम निकल जाओगे तो वो साला पकड़ मे कैसे आएगा?”
“आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे मैं को पोलिसेवला हू.”,देवेन ने उसी के अंदाज़ मे जवाब दिया तो बपत ने ठहाका लगाया,”..बपत साहिब,मुझे अपनी परवाह नही पर कुच्छ लोग हैं जिनकी ज़िम्मेदारी मेरे सर है & मैं उन्हे तकलीफ़ मे नही डाल सकता इसीलिए तो आपको फोन किया है कि किसी तरह डेवाले पोलीस को उसके बारे मे सुराग दे दीजिए की वो यहा आ सकता है.
“हूँ..करता हूँ कुच्छ.”,दोनो की बात ख़त्म हो गयी.
“महादेव डार्लिंग.”,रंभा अपने आशिक़ के सीने पे सर रखे उसकी झांतो मे बाए हाथ को फिरा रही थी.
“बोलो जानेमन.”,शाह उसकी ज़ुल्फो की खुश्बू मे मदहोश रहा था.
“उस कामीने के मारने के बाद हम शादी कब करेंगे?”
“1 महीने का इंतेज़ार करना होगा हमे.”
“इतना लंबा!”,रंभा बाई कोहनी पे उचकी.उसके चेहरे पे नाखुशी सॉफ दिख रही थी.
“मेरी जान,इतना इंतेज़ार तो ज़रूरी है वरना किसी को शक़ सकता है.”
“पर मैं कैसे रहूंगी इतने दिनो तक आपके बिना.”,वो किसी बच्चे की तरह मचल रही थी.
“अरे!बस चंद दिनो की तो बात है.”
“नही!मैं नही जानती कुच्छ वो मरेगा & मैं आपके पास आ जाऊंगी.”,शाह उसकी बचकानी ज़िद सुनके थोड़ा घबरा गया था.रंभा ने भी भाँप लिया कि उसने कुच्छ ज़्यादा नाटक कर दिया है,”..मैं क्या करू!जानती हू आप सही कह रहे हैं..”वो फिर उसके सीने पे लेट गयी,”..पर अब सब्र नही होता ना!”
“मैं समझता हू,रंभा.ऐसा ही कुच्छ तो मेरा भी हाल है.”
“अच्छा छ्चोड़िए उस बात को..”,रंभा ने बात बदली,”..हम शादी करेंगे कहा & कैसे?”
“यही तो मैं भी सोच रहा था.किसी मंदिर मे शादी कर के मॅरेज रिजिस्ट्रार के ऑफीस से सर्टिफिकेट निकलवा लेंगे.”
“हां,पर किस मंदिर मे शादी करेंगे?इस शहर मे तो हमे कोई भी पहचान सकता है.”
“हां,यहा से दूर जाना होगा पर ज़्यादा दूर नही जा सकते.वरना किसी को शक़ हो सकता है कि पति की मौत के महीने भर बाद ही तुम कहा चल दी.”,शाह सोचने लगा.रंभा के ज़हन मे फ़ौरन ही इस काम के लिए सही जगह आ गयी थी पर वो चुप रही & थोड़ी देर सोचने का नाटक करती रही.
“1 जगह है.”,वो किसी बच्ची की तरह उच्छली जिसने होमवर्क मे मिले मुश्किल सवाल का सही जवाब ढूंड लिया हो.
“कौन सी?”
“क्लेवर्त.”,शाह उसे गौर से देखने लगा.रंभा का दिल धड़क उठा पर उसने बड़ी मासूमियत से पुछा,”क्या हुआ?..वो जगह ठीक नही रहेगी क्या?”
“नही मेरी रानी,वो बिल्कुल सही जगह है!”,शाह का संजीदा चेहरा अचानक हंसते चेहरे मे तब्दील हो गया & वो रंभा को बाँहो मे भर चूमने लगा,कैसे सोचा तुमने उस जगह के बारे मे?”
“आपको याद होगा जब समीर लापता हुआ था तो मैं उसके डॅडी के साथ उसे ढूँदने के चक्कर मे वाहा गयी थी.वाहा जो हुआ बहुत बुरा हुआ पर उस जगह की खूबसूरती & सैलानियो की पसंदीदा जगह होने के बावजूद वाहा की शान्ती ने मेरे दिल मे घर कर लिया.हम बड़ी आसानी से वाहा जाके चुपचाप शादी कर सकते हैं.”
“अच्छा ये बताइए..”,रंभा ने सवाल किया,”..समीर की मौत के बाद ट्रस्ट ग्रूप की मीटिंग कब होगी?”
“मुझे लगता है कि उसकी मौत के बाद क्रिया-कर्म & फिर क़ानूनी फॉरमॅलिटीस निपटाते हुए 1 महीने का वक़्त गुज़र जाएगा.मीटिंग भी तब ही होगी.”
“अच्छा,तो फिर 1 काम करते हैं ना!हम उसकी मौत के 15-20 दिन बाद ही वाहा चले जाते हैं & शादी कर लेते हैं फिर वापस आ जाएँगे & फिर जब सही मौका आएगा तब दुनिया को बताएँगे की आप & मैं पति-पत्नी हैं.”
“हूँ.बात तो ठीक लगती है तुम्हारी.”,शाह सोच रहा था.
“अच्छा,अब जब भी उसकी मौत का इंतेज़ाम करें तब मुझे बुला लीजिएगा.”,रंभा बिस्तर से उतरी & सोच मे पड़ गयी.उसका ब्लाउस तो शाह लगभग फाड़ ही चुका था.शाह उसकी उलझन समझ गया & मुस्कुराता हुआ बिस्तर से उठा & अलमारी खोल 1 पॅकेट रंभा को थमाया जिसमे 1 ड्रेस थी.
“ये किसकी है?”,रंभा ने उसे छेड़ा.
“जिसकी भी हो,अब तो तुम्हारी है.”,शाह ने भी वैसे ही जवाब दिया तो दोनो खिलखिला उठे.
देवेन विजयंत मेहरा को लेके उस घर से निकला & डेवाले की सड़को पे घूमने लगा.रंभा ने महादेव शाह के घर से निकलते ही उसे फोन किया तो उसने रंभा को सारी बात बताई.रंभा फ़ौरन उनके पास पहुँची & तीनो देवेन के साथ उसकी कार मे बैठ आगे के बारे मे सोचने लगे.
"रंभा,इस वक़्त हमे दयाल को छ्चोड़ सिर्फ़ शाह पे ध्यान देना चाहिए.मुझे लगता है कि जैसे ही हम उसकी पोल खोल विजयंत को दुनिया के सामने लाएँगे,विजयंत के इस हाल का राज़ भी खुद बा खुद खुल जाएगा."
"हां,आपकी बात ठीक है पर अभी आप जाएँगे कहा?"
"तुम्हारी बात से मुझे आइडिया आया है."
"क्या?"
"हम क्लेवर्त जाते हैं."
"क्या?!पर वाहा रहेंगे कहा?"
"अरे!उसके पास वो गाँव भूल गयी,हराड.",रंभा के गाल उस गाँव मे उसकी & देवेन की पहली रात को याद कर सुर्ख हो गये.
"वाहा उसी बुड्ढे की मदद लेंगे?"
"हां."
"ठीक है.पर फिर समीर का काम."
"उसकी फ़िक्र मत करो.बस तुम मुझे फोन से सब बताती रहना."
"ओके.",रंभा दोनो मर्दो से गले मिली & उन्हे अलविदा कह के वाहा से सोनम से मिलने चली गयी.सोनम के साथ उसके घर पे बैठी वो काफ़ी देर तक गप्पे लड़ाती रही फिर उसकी दी गयी समीर के शेड्यूल की कॉपी ले वाहा से चली आई.घर आके उसने देखा की सोनम के दिए गये & समीर की ब्लॅकबेरी से निकले शेड्यूल बिल्कुल 1 जैसे थे.
अगले दिन देवेन हराड पहुँचा & उसे फोन किया तो रंभा ने उसे समीर के शेड्यूल के गॅप के बारे मे बता दिया.देवेन ने उसे ये बात शाह को बताने को कहा.रंभा ने ऐसा ही किया तो शाह ने उसे अगले दिन मिलने को कहा.
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इधर देवेन हराड गया उधर दयाल उसके घर के सामने वाले मकान पर गया उसकी तलाश मे.उसने भी उस काली कार की ही तरह पूरे इलाक़े का चक्कर लगाया पर उसे कुच्छ ना मिला.काली कार के ड्राइवर ने उसे बताया था कि वाहा कुच्छ भी गड़बड़ नही दिखी थी.दयाल वापस लौट गया पर उसने सोच लिया था कि उस पते पे नज़र तो रखनी ही पड़ेगी.
उसने 1 आदमी को इस काम पे लगाया भी पर कुच्छ नतीजा नही निकला.वो तारीख भी आके चली गयी जो इशतहार मे लिखी थी पर उस दिन भी दयाल के आदमी को वाहा कोई नही दिखा.
इस सब से पहले कुच्छ & हुआ जिस से चारो तरफ सनसनी फैल गयी.
जिस रोज़ देवेन & विजयंत डेवाले से निकले उसके ठीक 4 दिन बाद मानपुर प्रॉजेक्ट का टेंडर खुला & जैसी की उमीद थी वो ट्रस्ट ग्रूप को ही मिला.समीर इस बात का जश्न मानने के लिए शहर के बाहर बने मेहरा परिवार के फार्महाउस के लिए रवाना हो गया.कामिनी वाहा पहले से ही पहुँच चुकी थी.
डेवाले से बाहर निकलते हाइवे पे 5 किमी के सफ़र के बाद 1 रास्ता बाई तरफ चला जाता है जिसके दोनो तरफ खाली झाड़-झंखाड़ से भरी ज़मीन है.इस रास्ते पे कोई 2किमी चलने के बाद बड़े ही आलीशान & खूबसूरत फार्म्हाउसस दिखने लगते हैं.इन्ही मे से 1 फार्महाउस मेहरा परिवार का था.समीर खुशी मे डूबा सीटी बजाता उस सड़क पे बढ़ा जा रहा था कि पीछे से 1 ट्रक ने हॉर्न बजाया.उसने उसे आगे जाने देने के लिए कार थोड़ी किनारे की.वो ट्रक बगल से आगे जाने लगा पर जब उस ट्रक का पिच्छला हिस्सा समीर की ड्राइविंग सीट के बराबर आया तो ट्रक ड्राइवर ने अचानक ट्रक को बाई तरफ मोड़ा.ट्रक का पिच्छला हिस्सा समीर की कार से टकराया जो अपना बॅलेन्स खोती सड़क के किनारे की कच्ची ज़मीन पे चली गयी & 1 पेड़ से टकराई.
शाम 5 बजते-2 कामया बहुत घबरा गयी.समीर ना तो अपना फोन उठा रहा था ना ही वो दफ़्तर मे था.2 बजे मिलने की बात तय हुई थी & अब 3 घंटे बीट चुके थे.उसकी समझ मे नही आ रहा था कि क्या करे.उसने 5 बजे फिर समीर के दफ़्तर फोन किया & सोनम को सारी बात बताई.सोनम ने सबसे पहले ये खबर प्रणव को दी & उसके बाद अपने मोबाइल से अपनी सहेली को.
प्रणव ने भी समीर को ढूंडना शुरू किया पर जब उसे भी समीर कही नही मिला तो उसने पोलीस कमिशनर के दफ़्तर फोन करने की सोची पर वो फोन मिलाता उस से पहले ही घबराई & बौखलाई सोनम उसके कॅबिन मे घुसी,"सर.."
"क्या हुआ सोनम?"
"सर,पोलीस आई है."
"हां तो.",प्रणव खड़ा हुआ.
"समीर सर की कार मिली है."
"क्या?!..कहा?!",प्रणव तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ा..शाह ने उसे तो कुच्छ नही बताया था फिर क्या उसने उसे बिना बताए सब कर दिया?
"उनकी लाश मिली है,सर."
"क्या बकती हो?!",प्रणव की आँखे हैरत से फॅट गयी.तभी 1 पोलीस वाला उसके कॅबिन के खुले दरवाज़े से अंदर घुसा.
"ये सही कह रही है,मिस्टर.प्रणव.हमे समीर जी की कार मिली है.उसका आक्सिडेंट हुआ लगता है पर साथ ही 1 लाश भी मिली है उस कार मे जिसका चेहरा बुरी तरह ज़ख़्मी है.मैं इसीलिए यहा आया हू ताकि आप या फिर कोई ऐसा शख्स जो उन्हे करीब से जानता हो,वो चल के उस लाश की शिनाख्त कर ले."
"मिस्टर.समीर मेहरा की वसीयत मे कही भी ये ज़िक्र नही है कि ट्रस्ट ग्रूप के उनके शेर्स का क्या किया जाए.इस सूरते हाल मे ये शेर्स उनकी बीवी रंभा मेहरा को जाने चाहिए..",समीर की मौत के 10 दिन बाद मेहरा परिवार के बुंगले के हॉल मे वकील समीर की वसीयत पढ़ने के बाद बोल रहा था जिसे सारे परिवार वाले सुन रहे थे,"..पर अगर आप मे से किसी को भी इस बात से ऐतराज़ हो तो आप अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.",वकील ने सभी की ओर देखा.
तीनो औरतें सफेद सारी मे बैठी थी.रंभा सर झुकाए थी & ऐसे बैठे थी जैसे उसे किसी बात से कोई मतलब नही पर हक़ीक़त ये थी कि वो सब कुच्छ बड़े ध्यान से सुन-देख रही थी.
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क्रमशः.......