hotaks444
New member
- Joined
- Nov 15, 2016
- Messages
- 54,521
रिसेस मे दीपिका मॅम के पास जाने की बात कुछ और थी और अभी की बात कुछ और....क्या पता अंदर क्या हो रहा हो, कौन-कौन अंदर हो और किस पोज़िशन मे उपर से मैं ठहरा सरीफ़ लड़का....कंप्यूटर लॅब का गेट खुला था तो इसके हिसाब से अंदर का टेंपरेचर नॉर्मल होना चाहिए, मैने पहले अंदर झाँका और मेरा अंदाज़ा सही था, अंदर का टेंपरेचर बिल्कुल नॉर्मल था....दीपिका मॅम पीसी पर बैठी माउस को इधर उधर कर रही थी, और उसी समय जैसे उसे अहसास हो गया कि गेट पर कोई है और उसने अपनी नज़रें घुमा कर मुझे देखा.....
"एक बार ये लंड चूस ले तो मज़ा ही आ जाए....आअहह"दीपिका मॅम के सेक्सी होंठो को देखकर मेरे अरमान उछल पड़े, जिसे शांत करते हुए मैने दीपिका मॅम से अंदर आने की पर्मिशन माँगी....
"अरमान, तुम...इस वक़्त,अभी तो होड़ सर की क्लास है ना..."
"भगा दिया उन्होने..."अंदर आते हुए मैने कहा
"फिर क्या कर दिया...."मुझे सामने वाली चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए उसने पुछा....
"इस बार कुछ नही किया, इसीलिए भगा दिया...."
"अच्छा ये बताओ..."माउस पर से हाथ हटाकर उसने एक हाथ को अपने सर पर टिकाया और उंगलिया होंठो पर फिराते हुए बोली"तुम्हारा 12थ मे कितना मार्क्स था..."
यही एक ऐसा सवाल था, जिसका आन्सर देने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता था, लेकिन उस वक़्त मुझे ये नही मालूम था कि यही सवाल मेरी ज़िंदगी का आख़िरी सवाल बन जाएगा, जिसका आन्सर मैं बाद मे देना चाहूँगा....
"93.60 % " मैने जवाब दिया....
"क्या..."अपने सर को दूसरे हाथ से टिकते हुए वो बोली"सच बोलो..."
"इंटरनेट चल रहा है क्या..."
"यस,..."
"216328075 इस मी रोल नंबर. , रिज़ल्ट चेक कर लो...."
"ओके ,लीव...."तिरछि नज़र से उसने कही और देखते हुए कहा,"तुम क्या सोचकर आए थे..."
"मैं यहाँ कंप्यूटर पर स्नेक गेम खेलने आया था..."
"वो गेम तुम अभी नही खेल सकते..."उसने एक बार फिर अपना हाथ बदला और बोली"अंदर कॅबिन मे एक सर बैठे हुए है..."
"धत्त तेरी की...."मैं बड़बड़ाया
"अब जाओ,वरना....."मेरी तरफ अपना चेहरा करके वो बोली...
"वरना..."मैने भी अपना फेस उसकी तरफ किया...
"वरना, तुम मुझे कभी छु भी नही पाओगे और असाइनमेंट फिर से दे दूँगी..."
दीपिका मॅम की बात सुनकर मैं इस कदर हड़बड़ाया की चेर से बस नीचे गिरने वाला था ,वो हंस पड़ी और मुझे एक बार फिर वहाँ से जाने के लिए कहा....मैने एक बार उसके गुलाबी होंठ और चुचियों को देखका और वहाँ से मायूस कदमो से बाहर निकला और अभी बाहर ही निकला था कि सामने से विभा आती हुई दिखाई दी,...मुझे वहाँ सीजी लॅब के बाहर देखकर उसके कदम रुक गये...
"सुनने मे आया है कि तुमने अपना बॉय फ्रेंड चेंज कर दिया..."
"बॉय फ्रेंड चेंज नही किया, सिर्फ़ पुराने को छोड़ा है...अभी मैं बिल्कुल अकेली हूँ..."
"मुझे बना लो, अपना बाय्फ्रेंड..."
"व्हाई, तुममे ऐसी क्या खास बात है..."
तब तक हम दोनो वहाँ बीच रास्ते से हटकर थोड़ा किनारे आ गये, क्लासस चल रही थी इसलिए कोई उधर आए ये मुश्किल ही था.....
"व्हाई का क्या मतलब, मुझसे काबिल बाय्फ्रेंड पूरे कॉलेज मे नही मिलेगा...."
"रियली..."
"101 % ,सच है...."
वो अब शांत हो गयी और अपना मूह बंद करके मुझे देखती रही, वैसे लड़की कभी चुप हो जाए ,ये नही होता लेकिन उस वक़्त ऐसा ही कुछ हो रहा था ,वो एकदम से चुप होकर जैसे मुझे चेक कर रही थी मैं उसका बाय्फ्रेंड बनने लायक हूँ या नही....
"तुम्हारी एज कम है....सॉरी "
"इसने तो सच मे सोचना शुरू कर दिया" अंदर ही अंदर खुद को हॅंडसम मानते हुए मैं बोला"मैं मज़ाक कर रहा था, अब चलता हूँ, मेरे दोस्त इंतेज़ार कर रहे होंगे मेरा...."
वो भला क्यूँ रोकती मुझे, उसने अपना सर हिलाकर मुझे जाने के लिए कहा और मैं वहाँ से निकला ही था कि मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा.....कॉल अननोन नंबर से थी
"अबे अरमान, जल्दी आ जल्दी...चौक के पास सीडार को सिटी वालो ने घेर लिया है...जल्दी आ...और जितने लड़के मिले ,उनसबको बुला लेना...."एक चीखती हुई आवाज़ मेरे कानो को फाड़ गयी....
मैं कुछ देर तक सन्न खड़ा रहा, मैं वाहा खड़े रहकर यही सोचता रहा कि ये सच था या कोई मेरे साथ मज़ाक कर रहा है, क्या सच मे सीडार को वरुण और उसके दोस्तो ने घेर लिया है या फिर वो लोग मुझे घेरने के प्लान मे है, जो भी हो मुझे एक बार कॉलेज के मेन गेट के पास वाले चौक के पास तो जाना ही था, मैने दौड़ते हुए सीढ़िया चढ़ि और नवीन से उसकी बाइक की चाबी लेकर अरुण के साथ कॉलेज से बाहर निकला....
क्या होगा यदि उनलोगो ने सीडार का वही हाल कर दिया जो हमने वरुण और उसके दोस्तो का किया था, क्या इज़्ज़त रह जाएगी हमारी कॉलेज मे, और उपर से कुछ दिनो बाद एलेक्षन भी होने वाला है....उस वक़्त बाइक चलाते हुए मेरे मन मे यही सब घूम रहा था, अरुण ने कयि बार मुझसे पूछा भी कि क्या हुआ है, मैं क्यूँ इतना हड़बड़ा रहा हूँ और मैं उसे कहाँ ले जा रहा हूँ....लेकिन मैने उसके एक भी सवाल का जवाब नही दिया और सीधे चौक पर जा पहुचा...हमारा कॉलेज आउटर एरिया मे था ,इसलिए उधर भीड़-भाड़ कम ही रहता था लेकिन इस वक़्त वहाँ बहुत से लड़के जमा हुए थे , और यदि मैं सही था तो वहाँ खड़े लड़को मे से अधिकतर लड़के सिटी वाले थे...हॉस्टिल वालो को पहुचने मे अभी टाइम था.....
मैने नवीन की बाइक चौक से कुछ दूरी पर ही रोक दी, जिसका कारण थी एश...वो बीसी गौतम की कार उसी वक़्त वहाँ जाने कहाँ से पहुच गयी, जिसमे शायद एश भी होगी मैने अंदाज़ा लगाया......
"लौट जा अरमान, एश के सामने लड़ाई ,झगड़ा करने का मतलब है ,उससे दूरी....गौतम से तो उसका बचपन का प्यार है,इसलिए वो उससे जुड़ी हुई है...लेकिन यदि उसने आज तुझे गुंडागर्दी करते हुए देख लिया तो वो कभी तुझसे बात तक नही करेगी...."
"अबे बाइक आगे बढ़ा, वहाँ कुछ पंगा हो रहा है..."अरुण ने मुझे मेरे ख़यालात से निकालते हुए कहा...
"सीडार को सिटी वालो ने घेर लिया है और हॉस्टिल के लड़के आ रहे है...लेकिन तब तक सीडार मार खा जाएगा..."
"तो तू देख क्या रहा है, बाइक स्टार्ट कर और चढ़ा दे, सालो पर...माँ कसम यदि दूसरो के हक़ के लिए लड़ने वाले सीडार को कुछ हुआ तो, लानत है हमपर..."
उस वक़्त मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए थी, मुझे बाइक को फुल स्पीड करके आगे बढ़ाना चाहिए था, लेकिन जैसे मेरे हाथ जम गये थे , जिसकी सिर्फ़ एक वजह थी , वो वजह कार मे बैठी हुई एश थी...
"अबे बीसी ,बाइक आगे बढ़ा..."अरुण ने चिल्लाकर कहा...
"यार,वो एश कार मे बैठी है..."
"तो क्या..."मेरे खास दोस्त ने मुझे अजीब तरह से देखा, जैसे उसे यकीन ही ना हो रहा हो कि ये मैं कह रहा हूँ....
"तू जाएगा या नही..."
"हम बहुत कम लोग है यार, पिट जाएँगे..."
"चल ठीक है..."बाइक से उतार कर अरुण बोला"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ, आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."आगे बढ़ते हुए अरुण ने कहा.....
सीडार वहाँ लड़को के बीच घिरा हुआ बहस कर रहा था और इधर मेरा सबसे खास दोस्त जा रहा था, वही मेरे ख्वाबो मे आने वाली एक परी ,अपने शहज़ादे के साथ कार मे बैठी थी, और मैं वहाँ चौक से कुछ दूरी पर उलझन मे फँसा हुआ नवीन की बाइक पर बैठा हुआ था....
जब हमारे सामने दो रास्ते हो तो हमे किसी एक को चुनने मे ग़लती हो जाती है वहाँ तो मेरे पास तीन रास्ते थे....पहला ये था कि मैं बाइक से उतर का सीडार का साथ देने घुस जाऊ, और मार खाऊ...लेकिन ये फ्यूचर इंजिनियर होने के नाते मुझे शोभा नही देता.....दूसरा रास्ता ये था कि चौक की तरफ बढ़ रहे मैं अपने खास दोस्त का किडनॅप कर लूँ और उसे अपने साथ लेजा कर पिटने से बचा लूँ, लेकिन यदि मैं ऐसा करता तो मैं शायद अरुण को खो देता...जो मैं नही चाहता था.... तीसरा रास्ता ये था कि मैं चुप चाप अपनी बाइक मोड़ लूँ और वापस जाकर नेक्स्ट क्लास अटेंड कर लूँ...लेकिन ये इंजिनियरिंग कॉलेज मे पढ़ने वाले लड़के की पहचान नही थी और ना ही मेरी.....लेकिन मैने वैसा ही किया मैने तीसरा ही रास्ता चुना,क्यूंकी यही मुझे सही लगा...मैं उस वक़्त सबकुछ भूलकर, सामने चौक पर फँसे सीडार को अनदेखा करके अपनी बाइक कॉलेज के तरफ घुमाई.....
"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ कि आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."मेरे कानो मे ये आवाज़ गूँज़ रही थी , ये आवाज़ सिर्फ़ गूँज़ ही नही रही थी ये आवाज़ मेरा कान भी फाड़ रही थी,...दुनिया मे काई रास्ते होते है ,जो किसी ना किसी मंज़िल तक पहुचते है ,वो तो हमपर डिपेंड करता है की हम किस रास्ते पर चलते है....किसी की आवाज़ का कानो मे गूंजना ये सब मैने सिर्फ़ फ़िल्मो मे देखा था लेकिन उस दिन मैने खुद महसूस किया और जब वो आवाज़ बंद नही हुई तो मैने बाइक वापस अरुण की तरफ घुमाई......
"लिफ्ट चाहिए सर..."
"तू...तू तो चला गया था..."
"चल आजा , ऐक्शन करते है..."
"तू करने क्या वाला है..."बाइक पर सवार होते हुए उसने कहा...
"वो सब छोड़ और ये बता सीडार का वजन कितना होगा...."
"लवडा मैं यहाँ किलो बात लेकर नही बैठा हूँ..."शुरू मे उसने ऐसा कहा,लेकिन जब मैं पीछे मुड़ा तो जैसे समझ गया कि मैं क्या कहना चाहता हूँ....मैने बाइक स्टार्ट की और बाइक सीधे चौक की तरफ दौड़ा दी,...अब मैं समझ गया था कि मुझे क्या करना है...मुझे तीनो मंज़िले पानी थी, सीडार को बचाना भी था, अरुण को अपने साथ भी रखना था और एश.........और नॉर्मल इंसान एक वक़्त पर केवल एक ही रास्ते पर चल सकता है,इसलिए उस वक़्त मैने उन तीनो मंज़िलो की तरफ जाने वाले तीनो रास्तों को मिलाकर एक कर दिया चौक के पास पहुचते ही मैने एकदम ज़ोर से हॉर्न मारा जिससे कुछ लड़के दूर हुए ,सालो ने मुझे बाद मे पहचाना लेकिन तब तक मैने और अरुण ने सीडार को एक झटके से उठाया और तेज़ी से आगे निकल गये......
"गॉगल्स होता तो और भी रोल जमता बे अरुण..."बाइक के शीशे मे खुद को निहारते हुए मैने कहा,
इस वक़्त हम तीनो ठीक उसी ग्राउंड पर थे जहाँ कुछ दिनो पहले हम हॉस्टिल वालो ने मार धाड़ की थी....
"अबे ,मुझे छोड़ेगा ,या ऐसे ही टांगे रहेगा..."
"सॉरी सर..."सीडार से अपनी पकड़ ढीली करते हुए अरुण ने कहा....
सीडार उस वक़्त बहुत तमतमाया हुआ था और अरुण ने जैसे ही सीडार को छोड़ा,वो नीचे उतर कर किसी को कॉल करने लगा...
"ग्राउंड पर लेकर आ सब लड़को को, आज फिर मारूँगा उस बीसी वरुण को, उसी के कहने पर सिटी वालो ने मुझे घेरा था..."
"एमटीएल भाई..."मैं एकदम हीरो स्टाइल मे बाइक से उतरा और सीडार से बोला"एलेक्षन हो जाने दो...फिर मिलकर गॅंग-बॅंग पार्ट 2 शुरू करेंगे...."
"तू रुक...देख अभी उस साले को धोता हूँ..."सीडार ने फिर एक नंबर पर कॉल किया ,
"अबे ,अरुण समझा ना..."
"घंटा समझाऊ मैं....इसको खुद सोचना चाहिए..."
अरुण चुप रहने वाला था ,इसलिए एमटीएल भाई को शांत करने की सारी ज़िम्मेदारी अब मेरी थी, सीडार हमसे थोड़ी दूर जाकर किसी से बात कर रहा था ,तभी मैने अरुण को दबी आवाज़ मे कहा कि ,वो मुझे उस समय कॉल करे जब मैं सीडार से बात करते रहूं....
"डन..."
मैं सीडार के पास गया और धीरे से आवाज़ दी, धीरे से इसलिए क्यूंकी मुझे डर था की गुस्से मे कही सीडार मुझे ही ना पेल दे....
"सीडार भाई..."
"क्या है..."चिल्लाते हुए सीडार ने कहा..."सालो ने मुझे धक्का दिया, तू देख सबको मारूँगा, आज ही मारूँगा..."
और उसी टाइम अरुण ने मेरे नंबर पर कॉल किया, और मैने सीडार के सामने कॉल रिसीव की....
"हां, क्या बोल रहा है...सब भाग गये..."मैने मोबाइल जेब मे रक्खा और इस उम्मीद मे कि सीडार ने मेरी बात सुनी होगी मैं उससे बोला"सीडार भाई वो लोग भाग गये, अभी मेरे दोस्त का कॉल आया था...."
"कहाँ भाग गये बीसी"
"मालूम नही..."
"चल मुझे हॉस्टिल तक छोड़ दे..."सीडार ने अपना लाल होता चेहरा शांत किया और मोबाइल जेब मे रक्खा....
"ठीक है, बाइ..."सीनियर हॉस्टिल के पास सीडार को ड्रॉप करते हुए मैने कहा.... बाइक से उतार कर सीडार हॉस्टिल की तरफ जाने लगा लेकिन कुछ डोर जाकर वो पलटा और मुझे आवाज़ दी...
"ओये अरमान,...थॅंक्स"
उसके बाद मैने बिके कॉलेज की तरफ घुमा दी, कॉलेज तब तक ख़तम हो चुका था और नवीन बाइक स्टॅंड पर खड़ा हमारा इंतेज़ार कर रहा था.....
"आज के बाद माँगना बाइक, घंटा दूँगा..."जैसा कि हमे उम्मीद थी, नवीन का रिक्षन वैसा ही था....
"रो मत बे, जा भर ले अपने पिच्छवाड़े मे अपनी बाइक...मैं बहुत जल्द फरारी लेकर आउन्गा..." बाइक से उतर कर अरुण बोला...
"ये बात और किसी से मत कहना वरना, बेज़्ज़ती हो जाएगी..."मुझे जबर्जस्ति बाइक से उतार कर नवीन ने कहा"बेटा पहले एक बाइक ले लो, फिर फरारी के सपने देखना...."
"ये बात...."मैने बनावटी गुस्से से नवीन के बाइक पर दोनो हाथ रक्खा और उसे घूरते हुए कहा"कल तू 10 बाइक ऐसी देखेगा...जो मेरी होगी..."
"और 20 बाइक ऐसी देखेगा ,जो मेरी होगी...अब निकल यहाँ से..."अरुण जोशियाते हुए बोला....
"कल मिलना बेटा फिर, देखता हूँ"नवीन ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से फुर्र हो गया....
"अरमान ,अच्छा ये बता...हम दोनो 30 बाइक लाएँगे कहाँ से..."हॉस्टिल की तरफ जाते हुए अरुण ने पुछा...
"5-5 वाली लाके खड़ी कर देंगे..."
"मी टू "
सीडार उस समय ग्राउंड मे भले ही गुस्सा होकर कुछ भी बोले जा रहा था,लेकिन जब उसका दिमाग़ ठंडा हुआ तो उसे ये बात समझ आ गयी कि एलेक्षन के पहले पंगा करना एक तरह से चूतियापा होगा, इसलिए उसने वरुण और उसके चम्चो को दोबारा से मारने का प्लान पोस्ट्पोंड कर दिया...मैं रात के 9 बजे तक सीनियर हॉस्टिल मे रहा और खाना भी वही खाया , फिर 9 बजे उनके हॉस्टिल से निकल कर बाहर आया....हरियाली तो वैसे भी थी उसपर चलती हवा पूरे महॉल को ठंडा और खुशनुमा बना रही थी, सीनियर हॉस्टिल से बाहर आकर मैने जेब से सिगरेट निकाली , साली तेज हवा मे बहुत मुश्किल से सिगरेट जली और जब सिगरेट जल गयी तो मैं धुआ उड़ाता हुआ उधर ही टहलने लगा, उस वक़्त उन हवाओं से दिल और मन को अच्छा ख़ासा सुकून मिल रहा था, और फिर मैं अपने पास्ट और फ्यूचर के बारे मे सोचने लगा, मैं खुद भी ताज़्ज़ूब था कि मैं इतना बदल कैसे गया, इतनी जल्दी तो केमिस्ट्री लॅब के केमिकल अपने रंग नही बदलते, जहाँ मैं स्कूल मे सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई करता था वही आज मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई को छोड़ कर सब कुछ करता था, एग्ज़ॅम्स की चिंता भी सताने लगी,लेकिन फिर ये सोचकर कि अभी बहुत दिन है मैने एक और सिगरेट जलाई और टॉपिक चेंज किया....स्कूल के दोस्तो की बहुत याद आती थी ,लेकिन मैं समझ गया था कि राह मे चलने वाले मुसाफिरो को एक ना एक दिन तो बिछड़ना ही होता है, अरुण भी एक दिन ऐसे ही चला जाएगा, सीडार तो बस कुछ महीनो के लिए ही कॉलेज मे है और फिर टॉपिक आकर दीपिका मॅम पर जा अटका, तब तक मैं सड़क पर टहलते-टहलते काफ़ी दूर निकल आया था....
"एक बार ये लंड चूस ले तो मज़ा ही आ जाए....आअहह"दीपिका मॅम के सेक्सी होंठो को देखकर मेरे अरमान उछल पड़े, जिसे शांत करते हुए मैने दीपिका मॅम से अंदर आने की पर्मिशन माँगी....
"अरमान, तुम...इस वक़्त,अभी तो होड़ सर की क्लास है ना..."
"भगा दिया उन्होने..."अंदर आते हुए मैने कहा
"फिर क्या कर दिया...."मुझे सामने वाली चेयर पर बैठने का इशारा करते हुए उसने पुछा....
"इस बार कुछ नही किया, इसीलिए भगा दिया...."
"अच्छा ये बताओ..."माउस पर से हाथ हटाकर उसने एक हाथ को अपने सर पर टिकाया और उंगलिया होंठो पर फिराते हुए बोली"तुम्हारा 12थ मे कितना मार्क्स था..."
यही एक ऐसा सवाल था, जिसका आन्सर देने के लिए मैं हमेशा तैयार रहता था, लेकिन उस वक़्त मुझे ये नही मालूम था कि यही सवाल मेरी ज़िंदगी का आख़िरी सवाल बन जाएगा, जिसका आन्सर मैं बाद मे देना चाहूँगा....
"93.60 % " मैने जवाब दिया....
"क्या..."अपने सर को दूसरे हाथ से टिकते हुए वो बोली"सच बोलो..."
"इंटरनेट चल रहा है क्या..."
"यस,..."
"216328075 इस मी रोल नंबर. , रिज़ल्ट चेक कर लो...."
"ओके ,लीव...."तिरछि नज़र से उसने कही और देखते हुए कहा,"तुम क्या सोचकर आए थे..."
"मैं यहाँ कंप्यूटर पर स्नेक गेम खेलने आया था..."
"वो गेम तुम अभी नही खेल सकते..."उसने एक बार फिर अपना हाथ बदला और बोली"अंदर कॅबिन मे एक सर बैठे हुए है..."
"धत्त तेरी की...."मैं बड़बड़ाया
"अब जाओ,वरना....."मेरी तरफ अपना चेहरा करके वो बोली...
"वरना..."मैने भी अपना फेस उसकी तरफ किया...
"वरना, तुम मुझे कभी छु भी नही पाओगे और असाइनमेंट फिर से दे दूँगी..."
दीपिका मॅम की बात सुनकर मैं इस कदर हड़बड़ाया की चेर से बस नीचे गिरने वाला था ,वो हंस पड़ी और मुझे एक बार फिर वहाँ से जाने के लिए कहा....मैने एक बार उसके गुलाबी होंठ और चुचियों को देखका और वहाँ से मायूस कदमो से बाहर निकला और अभी बाहर ही निकला था कि सामने से विभा आती हुई दिखाई दी,...मुझे वहाँ सीजी लॅब के बाहर देखकर उसके कदम रुक गये...
"सुनने मे आया है कि तुमने अपना बॉय फ्रेंड चेंज कर दिया..."
"बॉय फ्रेंड चेंज नही किया, सिर्फ़ पुराने को छोड़ा है...अभी मैं बिल्कुल अकेली हूँ..."
"मुझे बना लो, अपना बाय्फ्रेंड..."
"व्हाई, तुममे ऐसी क्या खास बात है..."
तब तक हम दोनो वहाँ बीच रास्ते से हटकर थोड़ा किनारे आ गये, क्लासस चल रही थी इसलिए कोई उधर आए ये मुश्किल ही था.....
"व्हाई का क्या मतलब, मुझसे काबिल बाय्फ्रेंड पूरे कॉलेज मे नही मिलेगा...."
"रियली..."
"101 % ,सच है...."
वो अब शांत हो गयी और अपना मूह बंद करके मुझे देखती रही, वैसे लड़की कभी चुप हो जाए ,ये नही होता लेकिन उस वक़्त ऐसा ही कुछ हो रहा था ,वो एकदम से चुप होकर जैसे मुझे चेक कर रही थी मैं उसका बाय्फ्रेंड बनने लायक हूँ या नही....
"तुम्हारी एज कम है....सॉरी "
"इसने तो सच मे सोचना शुरू कर दिया" अंदर ही अंदर खुद को हॅंडसम मानते हुए मैं बोला"मैं मज़ाक कर रहा था, अब चलता हूँ, मेरे दोस्त इंतेज़ार कर रहे होंगे मेरा...."
वो भला क्यूँ रोकती मुझे, उसने अपना सर हिलाकर मुझे जाने के लिए कहा और मैं वहाँ से निकला ही था कि मेरा मोबाइल वाइब्रट होने लगा.....कॉल अननोन नंबर से थी
"अबे अरमान, जल्दी आ जल्दी...चौक के पास सीडार को सिटी वालो ने घेर लिया है...जल्दी आ...और जितने लड़के मिले ,उनसबको बुला लेना...."एक चीखती हुई आवाज़ मेरे कानो को फाड़ गयी....
मैं कुछ देर तक सन्न खड़ा रहा, मैं वाहा खड़े रहकर यही सोचता रहा कि ये सच था या कोई मेरे साथ मज़ाक कर रहा है, क्या सच मे सीडार को वरुण और उसके दोस्तो ने घेर लिया है या फिर वो लोग मुझे घेरने के प्लान मे है, जो भी हो मुझे एक बार कॉलेज के मेन गेट के पास वाले चौक के पास तो जाना ही था, मैने दौड़ते हुए सीढ़िया चढ़ि और नवीन से उसकी बाइक की चाबी लेकर अरुण के साथ कॉलेज से बाहर निकला....
क्या होगा यदि उनलोगो ने सीडार का वही हाल कर दिया जो हमने वरुण और उसके दोस्तो का किया था, क्या इज़्ज़त रह जाएगी हमारी कॉलेज मे, और उपर से कुछ दिनो बाद एलेक्षन भी होने वाला है....उस वक़्त बाइक चलाते हुए मेरे मन मे यही सब घूम रहा था, अरुण ने कयि बार मुझसे पूछा भी कि क्या हुआ है, मैं क्यूँ इतना हड़बड़ा रहा हूँ और मैं उसे कहाँ ले जा रहा हूँ....लेकिन मैने उसके एक भी सवाल का जवाब नही दिया और सीधे चौक पर जा पहुचा...हमारा कॉलेज आउटर एरिया मे था ,इसलिए उधर भीड़-भाड़ कम ही रहता था लेकिन इस वक़्त वहाँ बहुत से लड़के जमा हुए थे , और यदि मैं सही था तो वहाँ खड़े लड़को मे से अधिकतर लड़के सिटी वाले थे...हॉस्टिल वालो को पहुचने मे अभी टाइम था.....
मैने नवीन की बाइक चौक से कुछ दूरी पर ही रोक दी, जिसका कारण थी एश...वो बीसी गौतम की कार उसी वक़्त वहाँ जाने कहाँ से पहुच गयी, जिसमे शायद एश भी होगी मैने अंदाज़ा लगाया......
"लौट जा अरमान, एश के सामने लड़ाई ,झगड़ा करने का मतलब है ,उससे दूरी....गौतम से तो उसका बचपन का प्यार है,इसलिए वो उससे जुड़ी हुई है...लेकिन यदि उसने आज तुझे गुंडागर्दी करते हुए देख लिया तो वो कभी तुझसे बात तक नही करेगी...."
"अबे बाइक आगे बढ़ा, वहाँ कुछ पंगा हो रहा है..."अरुण ने मुझे मेरे ख़यालात से निकालते हुए कहा...
"सीडार को सिटी वालो ने घेर लिया है और हॉस्टिल के लड़के आ रहे है...लेकिन तब तक सीडार मार खा जाएगा..."
"तो तू देख क्या रहा है, बाइक स्टार्ट कर और चढ़ा दे, सालो पर...माँ कसम यदि दूसरो के हक़ के लिए लड़ने वाले सीडार को कुछ हुआ तो, लानत है हमपर..."
उस वक़्त मुझे उसकी बात मान लेनी चाहिए थी, मुझे बाइक को फुल स्पीड करके आगे बढ़ाना चाहिए था, लेकिन जैसे मेरे हाथ जम गये थे , जिसकी सिर्फ़ एक वजह थी , वो वजह कार मे बैठी हुई एश थी...
"अबे बीसी ,बाइक आगे बढ़ा..."अरुण ने चिल्लाकर कहा...
"यार,वो एश कार मे बैठी है..."
"तो क्या..."मेरे खास दोस्त ने मुझे अजीब तरह से देखा, जैसे उसे यकीन ही ना हो रहा हो कि ये मैं कह रहा हूँ....
"तू जाएगा या नही..."
"हम बहुत कम लोग है यार, पिट जाएँगे..."
"चल ठीक है..."बाइक से उतार कर अरुण बोला"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ, आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."आगे बढ़ते हुए अरुण ने कहा.....
सीडार वहाँ लड़को के बीच घिरा हुआ बहस कर रहा था और इधर मेरा सबसे खास दोस्त जा रहा था, वही मेरे ख्वाबो मे आने वाली एक परी ,अपने शहज़ादे के साथ कार मे बैठी थी, और मैं वहाँ चौक से कुछ दूरी पर उलझन मे फँसा हुआ नवीन की बाइक पर बैठा हुआ था....
जब हमारे सामने दो रास्ते हो तो हमे किसी एक को चुनने मे ग़लती हो जाती है वहाँ तो मेरे पास तीन रास्ते थे....पहला ये था कि मैं बाइक से उतर का सीडार का साथ देने घुस जाऊ, और मार खाऊ...लेकिन ये फ्यूचर इंजिनियर होने के नाते मुझे शोभा नही देता.....दूसरा रास्ता ये था कि चौक की तरफ बढ़ रहे मैं अपने खास दोस्त का किडनॅप कर लूँ और उसे अपने साथ लेजा कर पिटने से बचा लूँ, लेकिन यदि मैं ऐसा करता तो मैं शायद अरुण को खो देता...जो मैं नही चाहता था.... तीसरा रास्ता ये था कि मैं चुप चाप अपनी बाइक मोड़ लूँ और वापस जाकर नेक्स्ट क्लास अटेंड कर लूँ...लेकिन ये इंजिनियरिंग कॉलेज मे पढ़ने वाले लड़के की पहचान नही थी और ना ही मेरी.....लेकिन मैने वैसा ही किया मैने तीसरा ही रास्ता चुना,क्यूंकी यही मुझे सही लगा...मैं उस वक़्त सबकुछ भूलकर, सामने चौक पर फँसे सीडार को अनदेखा करके अपनी बाइक कॉलेज के तरफ घुमाई.....
"मैं जा रहा हूँ, तू वापस जा...और कसम से कहता हूँ कि आज के बाद तू मुझे रूम मे मत दिख जाना, वरना मर्डर हो जाएगा,या तो तेरा या मेरा...."मेरे कानो मे ये आवाज़ गूँज़ रही थी , ये आवाज़ सिर्फ़ गूँज़ ही नही रही थी ये आवाज़ मेरा कान भी फाड़ रही थी,...दुनिया मे काई रास्ते होते है ,जो किसी ना किसी मंज़िल तक पहुचते है ,वो तो हमपर डिपेंड करता है की हम किस रास्ते पर चलते है....किसी की आवाज़ का कानो मे गूंजना ये सब मैने सिर्फ़ फ़िल्मो मे देखा था लेकिन उस दिन मैने खुद महसूस किया और जब वो आवाज़ बंद नही हुई तो मैने बाइक वापस अरुण की तरफ घुमाई......
"लिफ्ट चाहिए सर..."
"तू...तू तो चला गया था..."
"चल आजा , ऐक्शन करते है..."
"तू करने क्या वाला है..."बाइक पर सवार होते हुए उसने कहा...
"वो सब छोड़ और ये बता सीडार का वजन कितना होगा...."
"लवडा मैं यहाँ किलो बात लेकर नही बैठा हूँ..."शुरू मे उसने ऐसा कहा,लेकिन जब मैं पीछे मुड़ा तो जैसे समझ गया कि मैं क्या कहना चाहता हूँ....मैने बाइक स्टार्ट की और बाइक सीधे चौक की तरफ दौड़ा दी,...अब मैं समझ गया था कि मुझे क्या करना है...मुझे तीनो मंज़िले पानी थी, सीडार को बचाना भी था, अरुण को अपने साथ भी रखना था और एश.........और नॉर्मल इंसान एक वक़्त पर केवल एक ही रास्ते पर चल सकता है,इसलिए उस वक़्त मैने उन तीनो मंज़िलो की तरफ जाने वाले तीनो रास्तों को मिलाकर एक कर दिया चौक के पास पहुचते ही मैने एकदम ज़ोर से हॉर्न मारा जिससे कुछ लड़के दूर हुए ,सालो ने मुझे बाद मे पहचाना लेकिन तब तक मैने और अरुण ने सीडार को एक झटके से उठाया और तेज़ी से आगे निकल गये......
"गॉगल्स होता तो और भी रोल जमता बे अरुण..."बाइक के शीशे मे खुद को निहारते हुए मैने कहा,
इस वक़्त हम तीनो ठीक उसी ग्राउंड पर थे जहाँ कुछ दिनो पहले हम हॉस्टिल वालो ने मार धाड़ की थी....
"अबे ,मुझे छोड़ेगा ,या ऐसे ही टांगे रहेगा..."
"सॉरी सर..."सीडार से अपनी पकड़ ढीली करते हुए अरुण ने कहा....
सीडार उस वक़्त बहुत तमतमाया हुआ था और अरुण ने जैसे ही सीडार को छोड़ा,वो नीचे उतर कर किसी को कॉल करने लगा...
"ग्राउंड पर लेकर आ सब लड़को को, आज फिर मारूँगा उस बीसी वरुण को, उसी के कहने पर सिटी वालो ने मुझे घेरा था..."
"एमटीएल भाई..."मैं एकदम हीरो स्टाइल मे बाइक से उतरा और सीडार से बोला"एलेक्षन हो जाने दो...फिर मिलकर गॅंग-बॅंग पार्ट 2 शुरू करेंगे...."
"तू रुक...देख अभी उस साले को धोता हूँ..."सीडार ने फिर एक नंबर पर कॉल किया ,
"अबे ,अरुण समझा ना..."
"घंटा समझाऊ मैं....इसको खुद सोचना चाहिए..."
अरुण चुप रहने वाला था ,इसलिए एमटीएल भाई को शांत करने की सारी ज़िम्मेदारी अब मेरी थी, सीडार हमसे थोड़ी दूर जाकर किसी से बात कर रहा था ,तभी मैने अरुण को दबी आवाज़ मे कहा कि ,वो मुझे उस समय कॉल करे जब मैं सीडार से बात करते रहूं....
"डन..."
मैं सीडार के पास गया और धीरे से आवाज़ दी, धीरे से इसलिए क्यूंकी मुझे डर था की गुस्से मे कही सीडार मुझे ही ना पेल दे....
"सीडार भाई..."
"क्या है..."चिल्लाते हुए सीडार ने कहा..."सालो ने मुझे धक्का दिया, तू देख सबको मारूँगा, आज ही मारूँगा..."
और उसी टाइम अरुण ने मेरे नंबर पर कॉल किया, और मैने सीडार के सामने कॉल रिसीव की....
"हां, क्या बोल रहा है...सब भाग गये..."मैने मोबाइल जेब मे रक्खा और इस उम्मीद मे कि सीडार ने मेरी बात सुनी होगी मैं उससे बोला"सीडार भाई वो लोग भाग गये, अभी मेरे दोस्त का कॉल आया था...."
"कहाँ भाग गये बीसी"
"मालूम नही..."
"चल मुझे हॉस्टिल तक छोड़ दे..."सीडार ने अपना लाल होता चेहरा शांत किया और मोबाइल जेब मे रक्खा....
"ठीक है, बाइ..."सीनियर हॉस्टिल के पास सीडार को ड्रॉप करते हुए मैने कहा.... बाइक से उतार कर सीडार हॉस्टिल की तरफ जाने लगा लेकिन कुछ डोर जाकर वो पलटा और मुझे आवाज़ दी...
"ओये अरमान,...थॅंक्स"
उसके बाद मैने बिके कॉलेज की तरफ घुमा दी, कॉलेज तब तक ख़तम हो चुका था और नवीन बाइक स्टॅंड पर खड़ा हमारा इंतेज़ार कर रहा था.....
"आज के बाद माँगना बाइक, घंटा दूँगा..."जैसा कि हमे उम्मीद थी, नवीन का रिक्षन वैसा ही था....
"रो मत बे, जा भर ले अपने पिच्छवाड़े मे अपनी बाइक...मैं बहुत जल्द फरारी लेकर आउन्गा..." बाइक से उतर कर अरुण बोला...
"ये बात और किसी से मत कहना वरना, बेज़्ज़ती हो जाएगी..."मुझे जबर्जस्ति बाइक से उतार कर नवीन ने कहा"बेटा पहले एक बाइक ले लो, फिर फरारी के सपने देखना...."
"ये बात...."मैने बनावटी गुस्से से नवीन के बाइक पर दोनो हाथ रक्खा और उसे घूरते हुए कहा"कल तू 10 बाइक ऐसी देखेगा...जो मेरी होगी..."
"और 20 बाइक ऐसी देखेगा ,जो मेरी होगी...अब निकल यहाँ से..."अरुण जोशियाते हुए बोला....
"कल मिलना बेटा फिर, देखता हूँ"नवीन ने अपनी बाइक स्टार्ट की और वहाँ से फुर्र हो गया....
"अरमान ,अच्छा ये बता...हम दोनो 30 बाइक लाएँगे कहाँ से..."हॉस्टिल की तरफ जाते हुए अरुण ने पुछा...
"5-5 वाली लाके खड़ी कर देंगे..."
"मी टू "
सीडार उस समय ग्राउंड मे भले ही गुस्सा होकर कुछ भी बोले जा रहा था,लेकिन जब उसका दिमाग़ ठंडा हुआ तो उसे ये बात समझ आ गयी कि एलेक्षन के पहले पंगा करना एक तरह से चूतियापा होगा, इसलिए उसने वरुण और उसके चम्चो को दोबारा से मारने का प्लान पोस्ट्पोंड कर दिया...मैं रात के 9 बजे तक सीनियर हॉस्टिल मे रहा और खाना भी वही खाया , फिर 9 बजे उनके हॉस्टिल से निकल कर बाहर आया....हरियाली तो वैसे भी थी उसपर चलती हवा पूरे महॉल को ठंडा और खुशनुमा बना रही थी, सीनियर हॉस्टिल से बाहर आकर मैने जेब से सिगरेट निकाली , साली तेज हवा मे बहुत मुश्किल से सिगरेट जली और जब सिगरेट जल गयी तो मैं धुआ उड़ाता हुआ उधर ही टहलने लगा, उस वक़्त उन हवाओं से दिल और मन को अच्छा ख़ासा सुकून मिल रहा था, और फिर मैं अपने पास्ट और फ्यूचर के बारे मे सोचने लगा, मैं खुद भी ताज़्ज़ूब था कि मैं इतना बदल कैसे गया, इतनी जल्दी तो केमिस्ट्री लॅब के केमिकल अपने रंग नही बदलते, जहाँ मैं स्कूल मे सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई करता था वही आज मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ पढ़ाई को छोड़ कर सब कुछ करता था, एग्ज़ॅम्स की चिंता भी सताने लगी,लेकिन फिर ये सोचकर कि अभी बहुत दिन है मैने एक और सिगरेट जलाई और टॉपिक चेंज किया....स्कूल के दोस्तो की बहुत याद आती थी ,लेकिन मैं समझ गया था कि राह मे चलने वाले मुसाफिरो को एक ना एक दिन तो बिछड़ना ही होता है, अरुण भी एक दिन ऐसे ही चला जाएगा, सीडार तो बस कुछ महीनो के लिए ही कॉलेज मे है और फिर टॉपिक आकर दीपिका मॅम पर जा अटका, तब तक मैं सड़क पर टहलते-टहलते काफ़ी दूर निकल आया था....