hotaks444
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- Nov 15, 2016
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मैने मईक हाथ मे लिया और उपर की तरफ देखकर याद करने लगा कि अब क्या बोलू,जिससे कि इन सबकी गान्ड फट जाए...5 मिनिट बाद मैं बोला...
"मार्क ट्वेन जी ने एक बार कहा था कि एक इंसान की ज़िंदगी मे सिर्फ़ दो दिन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते है, पहला दिन वो जब आप पैदा होते है और दूसरा दिन वो जब आप ये जान जाते है कि आप पैदा क्यूँ हुए और आज मेरी ज़िंदगी का वही दूसरा महत्वपूर्ण दिन है, मैने जान लिया कि मैं पैदा क्यूँ हुआ...मैं आंकरिंग करने के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ आंकरिंग करने के लिए पैदा हुआ हूँ...."सॉफ झूठ बोलते हुए मैने कहा....
वहाँ मौज़ूद सभी स्टूडेंट्स को ,वहाँ मौज़ूद छत्रपाल तक को भी मालूम था कि मैं सॉफ झूठ बोल रहा हूँ ,लेकिन फिर भी उन सबने तालिया बजाई....क्यूंकी हम सब हमेशा अच्छा सुनना चाहते है ,फिर चाहे वो सच हो या झूठ ,इसकी परवाह किसको है और वैसे भी इंग्लीश मे एक कहावत है कि 'गुड माइंड ,गुड फाइंड' मतलब की जो खुद अच्छा है ,उसके लिए सबकुछ अच्छा है....
"एक्सलेंट...कल मैं तुमको क्लास मे बता दूँगा कि ,मैने क्या डिसाइड किया है...अब तुम जाओ..."छत्रपाल ने कहा
ओवरडोस किसी भी चीज़ का ठीक नही होता और खुशी का ओवरडोस तो बिल्कुल भी नही , या फिर रामचंद्रा शुक्ला के शब्दो मे कहे तो अति किसी भी चीज़ की हानिकारक होती है.
"क्या बात है बेटा ,आज इतनी भयंकर पार्टी दे रहा है...इतना खर्चा तो तूने अपने बर्तडे मे भी नही किया था...."सौरभ ने पुछा....
"आज मैं बहुत खुश हूँ,इतना खुश की दिल कर रहा अरुण को आज लंड चूसा ही दूं...काब्से मेरे लंड की फरमाइश कर रहा है...."
"अच्छा बेटा तो तेरे पास लंड भी है...."दारू का ग्लास हाथ मे लेकर अरुण डगमगाते हुए खड़ा हुआ...
"एक साल पहले बाथरूम मे जो चूसाया था भूल गया क्या और तू जा किधर रहा है..."
"मैं मूत के आता हूँ...."
"तो बोसे ड्के ,ग्लास ले जाने की क्या ज़रूरत है, यदि ग्लास फूटा ना तो....तो...कुच्छ नही"अचानक से अपने तेवर बदलते हुए मैने कहा,क्यूंकी अरुण ग्लास को फर्श मे पटकने ही वाला था,मैं आगे बोला"तो कुच्छ नही, अरे पगले तू प्यार है मेरा...."
"मुझे डर है कि यदि मैं अपने हिस्से की मदिरा यहाँ छोड़ कर गया तो तुम लोग उसका पान कर लोगे...मैं आता हूँ ,दो मिनिट मे..."
.
"तुझे क्या लगता है,वापस आएगा ये बाथरूम से ,या मैं इसके पीछे जाउ..."घड़ी मे टाइम देखते हुए सौरभ बोला..
"तू क्यूँ इतनी परवाह कर रहा है बे गे और तू इतनी देर से घड़ी मे क्यूँ देख रहा है,जबकि तेरी घड़ी तो एक साल से बंद है...."
"वो तो मैं फीलिंग ले रहा हूँ..."
.
आज हमारी दारू पार्टी मे हमेशा की तरह राजश्री पांडे भी शामिल हुआ था, लेकिन एक मेंबर नया था.उसका नाम उमेश था और ये वही लड़का था,जो सुबह सीनियर्स के मौके-बेमौके रॅगिंग की वजह से परेशान होकर हॉस्टिल छोड़ने की बात कर रहा था....
"अरमान भाई, ये बेहन का लवडा कुर्रे अपने आपको न्यूटन,आइनस्टाइन की औलाद समझता है...जब भी कुच्छ पुछो तो बोल देता है कि'आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते और फिर भी पुछो तो बोलता है कि 'अब आप मेरे खिलाफ नही जा सकते...इसलिए आप क्लास से दफ़ा हो जाइए' बीसी ने मुझे फर्स्ट एअर मे बहुत चोदा है...इसकी माँ का,चलो इसको मार के आते है..."
"ना बेटा ना, ऐसी ग़लती कभी ना करियो,...वरना अग्रिगेट के लिए तरसा देंगे ये लोग और अब तो कॉलेज भी अटॉनमस होने वाला है, ऐसी गान्ड मारेंगे तेरी की ज़िंदगी भर पिछवाड़ा दर्द करेगा..."
"अरे अग्रिगेट ही तो बिगड़ दिए बीसी ने...लॅब मे भी नंबर काटा, टेस्ट मे भी चोदा....उपर से म्सी का सब्जेक्ट भी पूरा थियरी वाला था और थियरी देख कर मुझे तो पहले ही कॅन्सर की बीमारी हो जाती है..."
"अबे अब तो नही पढ़ता ना वो, फिर कहे इतनी टेन्षन ले रहा है...दो साल तो झेल ही लिए तूने अब दो साल और झेल ले...और जिस दिन हाथ मे सर्टिफिकेट आ जाए उस दिन कुर्रे का कॉलर पकड़ कर दो तमाचा मारना और बोलना कि'क्यूँ बे लवडे ,बहुत उचक रहा था फर्स्ट एअर मे...बेटा मुझे ज़िंदगी भर बाहर किसी भी देश मे,किसी भी शहर मे,किसी भी गली मे मत दिखना वरना जहाँ दिखेगा वही चोदुन्गा और आज के बाद यदि तू फिज़िक्स के खिलाफ गया तो तेरी *** चोद दूँगा'....ऐसिच बोलने का उसको फाइनल एअर कंप्लीट होने के बाद...मैं तो यही करूँगा और वैसे भी थियरी सब्जेक्ट क्या है यार...कुच्छ भी लिखो ,कुच्छ भी नंबर पाओ...."
"कैसे कुच्छ भी लिखो ,कुच्छ भी नंबर पाओ...मैने तो मुकेश जी का 'मेरे महबूब कयामत होगी' वाला गाना पिछले साल ये सोचकर चिपकाया था कि बीसी कुर्रे खुश हो जाएगा लेकिन लवडे ने उस आन्सर को तो काटा ही ,साथ मे बाकी आन्सर को भी ,जो की सही थे...उनको काट दिया..."
"अब चूतिया जैसे हरक़त करोगे तो ऐसा ही होगा....थियरी सब्जेक्ट मे क्या रखा है, बस जिस यूनिट का क्वेस्चन है उसके 4-5 फमिलिएर वर्ड्स याद कर लो और एक-दो डेफ़िनेशन और फिर जाकर लिख मारो...पांडे जाकर बाथरूम मे देख तो अरुण कहाँ गया..."
पांडे जी उठे और बिना एक पल गँवाए बाथरूम की तरफ चल दिए और इधर मैने प्रवचन जारी रखा..
"अब इतनी मेहनत कौन करे अरमान भाई..."
"वाह बेटा,ये तो वही बात हो गयी कि'स्वर्ग तो सभी चाहते है,लेकिन मारना कोई नही चाहता',झान्ट के बाल कुच्छ ना लिखने से अच्छा कुच्छ लिखना ही सही है और जब कुच्छ लिख ही रहे हो तो कुच्छ अच्छा ही लिख दो..."
"ठीक है फिर,कल वाला टेस्ट भी महा-थियरी सब्जेक्ट का है,उसी पर ट्राइ करता हूँ...लेकिन आपको लगता है कि ये काम करेगा..."
"सात सेमेस्टर तुझे क्या लगता है मैने पढ़कर पास किए है ,सब ऐसे ही लंगर मे निकल गये..डॉन'ट वरी ये काम करेगा,बहुत बढ़िया करेगा....देखो बेटा, ऐसा है कि टीचर तुमको नंबर देना चाहता है,ये मानकर चलो.. लेकिन बदले मे टीचर को तुम खाली कॉपी देते हो या बढ़िया राइटिंग से लिखी हुई कॉपी,ये तुमपर डिपेंड करता है...चल अब पैर छु मेरे ,साले फ्री की टिप्स ले रहा है.."बोलकर मैने एक पेग और मारा....
.
"ज़्यादा ज्ञान मत छोड़ और चल उस लवडे महंत को मारकर आते है, साले ने बाथरूम मे धक्का दे दिया मुझे..."रूम के अंदर पांडे जी के कंधे के सहारे आते हुए अरुण बोला...
"महंत ये तो वही है,जिसकी मैं सुबह बात कर रहा था..."अरुण के मुँह से महंत का नाम सुनते ही उमेश फाटक से बोला...
"ये बीसी है कौन,जो इतना उड़ रहा है...इसकी माँ का, चलो बे, इसको ठीक करके आते है....पांडे तू अरुण को लेकर पीछे-पीछे आ ,मैं और सौरभ हीरो की तरह आगे जाएँगे...मेरा गॉगल निकालो बे..."
राजश्री पांडे ने अरुण को संभाला और सौरभ ने तीन हॉकी स्टिक, जो कि हमने दूसरो के रूम से चुराया था...उसे बाहर निकाला...
"तीन किसलिए...पांडे को मत देना...वरना मैने सीनियर को जूनियर के हाथो पेल्वा दिया...ये सोचकर हॉस्टिल के लड़के मेरे खिलाफ हो सकते है..."
"एक्सट्रा हॉकी स्टिक पांडे जी के लिए नही बल्कि ,उमेश के लिए है...उमेश टवल लपेट ले मुँह मे और वहाँ रॅगिंग की बात बिल्कुल मत करना...कुच्छ बोलना नही सिर्फ़ मारना..."
उमेश ने हां मे अपना सर हिलाया और हमलोग महंत के रूम मे पहुँचे...उसके रूम का दरवाजा खुला हुआ था और लाइट बंद करके वो सब खर्राटे भर रहे थे....मैने लाइट ऑन की और महंत का बेड कौन सा है उसकी प्रॉबबिलिटी लगाकर चादर तान के सो रहे एक लड़के के पैर मे हॉकी स्टिक से मारा और बोला...
"BCओ ,माँ-बाप ने यहाँ पढ़ाई करने भेजा है या सोने के लिए...
तू यहाँ सो रहा है,
वहाँ तेरा बाप रो रहा है...उठ "
"कौन है बे म्सी,..."दर्द और गुस्से के भयंकर कंबो के साथ चादर तानकर सो रहा वो लड़का उठा...लेकिन वो लड़का महंत नही था,बल्कि उसका रूम पार्ट्नर और आराधना का दूर का भाई कालिया था....
"सॉरी यार, पता नही मेरा अंदाज़ा कैसे ग़लत हो गया...प्रॉबबिलिटी तो मेरे से ज़्यादा अच्छी पूरे स्कूल मे किसी से नही बनती थी...कोई बात नही सॉरी..."
"ये क्या चूतियापा लगा रखा है बीसी..."अपने जाँघ सहलाते हुए ,कालिया मुझ पर चीखा...
"आँख दिखाता है मदरजात..."दूसरा वॉर मैने उसके छाती मे किया और कालिया वही फ्लॅट हो गया...तब तक उसके रूम के बाकी के दो लड़के भी जाग चुके थे...जिसमे से एक महंत था और दूसरा पता नही कौन चूतिया था....
"सौरभ ,इस कल्लू को चेक कर की ज़िंदा है या मर गया...."
"ज़िंदा है और रो रहा है..."
"कोई बात नही...वापस मिशन मे आओ..."बोलकर मैं महंत के पास गया.."क्या है भाई...बहुत हवा मे उड़ रहा आजकल,ज़मीन मे लाउ क्या...."
"बात क्या कर रहा है,मार बहिन्चोद को..."कहते हुए सौरभ ने महंत के सीने मे एक लात जमा दिया...
महंत अभी उठकर बैठा ही था और सौरभ के यूँ लात मारने से बीसी बेड के दूसरी ओर उलट गया....इसके बाद मैं कोई डाइलॉग सोच रहा था कि टवल लपेटे उमेश पीछे से सामने आया और बेड के दूसरी तरफ ,जहाँ महंत गिरा पड़ा था...उसपर दनादन होककी स्टिक बरसाने लगा...लवडा हमे तो मारने का मौका ही नही मिला....
"उस लवडे को रोक, वरना कही महंत उपर की टिकेट ना कटा ले..."सौरभ को देखकर मैं चिल्लाया.
सौरभ ने उमेश को महंत से दूर किया और रूम के बाहर जाने के लिए कहा...
"क्यूँ बे,अब बोल अरुण को धक्का क्यूँ दिया था...ज़्यादा दम आ गया है या भूल गया है कि मैं कौन हूँ..."
ज़मीन पर पड़ा महंत मेरी तरफ देखकर लंबी-लंबी साँसे भर रहा था लेकिन कुच्छ बोल नही पा रहा था....
"क्या हुआ बे, मरने वाला है क्या..."
"कहाँ धक्का दिया मैने..."खाँसते हुए महंत थोड़ी देर बाद बोला"आज सुबह से बीमार हूँ, दिन भर से रूम से निकला भी नही हूँ..."
"हाऐईिईन्न्न....फिर अरुण को धक्का किसने दिया..."
"एक मिनिट...."लड़खड़ाती ज़ुबान मे पीछे से अरुण बोला"मुझे लगता है मुझे महंत ने धक्का नही दिया था...वो कोई दूसरा लड़का था शायद,लेकिन याद नही कौन था...."
"अबे अखंड चूतिए...तो फिर फालतू मे क्यूँ पेल्वा दिया इसको...अब चलो लवडा यहाँ से....सौरभ तू मेरे साथ चल और तू , पांडे अरुण को गिराकर महंत को बिस्तर पर वापस लिटा दे.., गुड नाइट गाइस,स्वीट ड्रीम...हालाँकि वो स्वीट ड्रीम अब तुम्हे आने नही वाली..."
"मार्क ट्वेन जी ने एक बार कहा था कि एक इंसान की ज़िंदगी मे सिर्फ़ दो दिन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण होते है, पहला दिन वो जब आप पैदा होते है और दूसरा दिन वो जब आप ये जान जाते है कि आप पैदा क्यूँ हुए और आज मेरी ज़िंदगी का वही दूसरा महत्वपूर्ण दिन है, मैने जान लिया कि मैं पैदा क्यूँ हुआ...मैं आंकरिंग करने के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ आंकरिंग करने के लिए पैदा हुआ हूँ...."सॉफ झूठ बोलते हुए मैने कहा....
वहाँ मौज़ूद सभी स्टूडेंट्स को ,वहाँ मौज़ूद छत्रपाल तक को भी मालूम था कि मैं सॉफ झूठ बोल रहा हूँ ,लेकिन फिर भी उन सबने तालिया बजाई....क्यूंकी हम सब हमेशा अच्छा सुनना चाहते है ,फिर चाहे वो सच हो या झूठ ,इसकी परवाह किसको है और वैसे भी इंग्लीश मे एक कहावत है कि 'गुड माइंड ,गुड फाइंड' मतलब की जो खुद अच्छा है ,उसके लिए सबकुछ अच्छा है....
"एक्सलेंट...कल मैं तुमको क्लास मे बता दूँगा कि ,मैने क्या डिसाइड किया है...अब तुम जाओ..."छत्रपाल ने कहा
ओवरडोस किसी भी चीज़ का ठीक नही होता और खुशी का ओवरडोस तो बिल्कुल भी नही , या फिर रामचंद्रा शुक्ला के शब्दो मे कहे तो अति किसी भी चीज़ की हानिकारक होती है.
"क्या बात है बेटा ,आज इतनी भयंकर पार्टी दे रहा है...इतना खर्चा तो तूने अपने बर्तडे मे भी नही किया था...."सौरभ ने पुछा....
"आज मैं बहुत खुश हूँ,इतना खुश की दिल कर रहा अरुण को आज लंड चूसा ही दूं...काब्से मेरे लंड की फरमाइश कर रहा है...."
"अच्छा बेटा तो तेरे पास लंड भी है...."दारू का ग्लास हाथ मे लेकर अरुण डगमगाते हुए खड़ा हुआ...
"एक साल पहले बाथरूम मे जो चूसाया था भूल गया क्या और तू जा किधर रहा है..."
"मैं मूत के आता हूँ...."
"तो बोसे ड्के ,ग्लास ले जाने की क्या ज़रूरत है, यदि ग्लास फूटा ना तो....तो...कुच्छ नही"अचानक से अपने तेवर बदलते हुए मैने कहा,क्यूंकी अरुण ग्लास को फर्श मे पटकने ही वाला था,मैं आगे बोला"तो कुच्छ नही, अरे पगले तू प्यार है मेरा...."
"मुझे डर है कि यदि मैं अपने हिस्से की मदिरा यहाँ छोड़ कर गया तो तुम लोग उसका पान कर लोगे...मैं आता हूँ ,दो मिनिट मे..."
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"तुझे क्या लगता है,वापस आएगा ये बाथरूम से ,या मैं इसके पीछे जाउ..."घड़ी मे टाइम देखते हुए सौरभ बोला..
"तू क्यूँ इतनी परवाह कर रहा है बे गे और तू इतनी देर से घड़ी मे क्यूँ देख रहा है,जबकि तेरी घड़ी तो एक साल से बंद है...."
"वो तो मैं फीलिंग ले रहा हूँ..."
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आज हमारी दारू पार्टी मे हमेशा की तरह राजश्री पांडे भी शामिल हुआ था, लेकिन एक मेंबर नया था.उसका नाम उमेश था और ये वही लड़का था,जो सुबह सीनियर्स के मौके-बेमौके रॅगिंग की वजह से परेशान होकर हॉस्टिल छोड़ने की बात कर रहा था....
"अरमान भाई, ये बेहन का लवडा कुर्रे अपने आपको न्यूटन,आइनस्टाइन की औलाद समझता है...जब भी कुच्छ पुछो तो बोल देता है कि'आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते और फिर भी पुछो तो बोलता है कि 'अब आप मेरे खिलाफ नही जा सकते...इसलिए आप क्लास से दफ़ा हो जाइए' बीसी ने मुझे फर्स्ट एअर मे बहुत चोदा है...इसकी माँ का,चलो इसको मार के आते है..."
"ना बेटा ना, ऐसी ग़लती कभी ना करियो,...वरना अग्रिगेट के लिए तरसा देंगे ये लोग और अब तो कॉलेज भी अटॉनमस होने वाला है, ऐसी गान्ड मारेंगे तेरी की ज़िंदगी भर पिछवाड़ा दर्द करेगा..."
"अरे अग्रिगेट ही तो बिगड़ दिए बीसी ने...लॅब मे भी नंबर काटा, टेस्ट मे भी चोदा....उपर से म्सी का सब्जेक्ट भी पूरा थियरी वाला था और थियरी देख कर मुझे तो पहले ही कॅन्सर की बीमारी हो जाती है..."
"अबे अब तो नही पढ़ता ना वो, फिर कहे इतनी टेन्षन ले रहा है...दो साल तो झेल ही लिए तूने अब दो साल और झेल ले...और जिस दिन हाथ मे सर्टिफिकेट आ जाए उस दिन कुर्रे का कॉलर पकड़ कर दो तमाचा मारना और बोलना कि'क्यूँ बे लवडे ,बहुत उचक रहा था फर्स्ट एअर मे...बेटा मुझे ज़िंदगी भर बाहर किसी भी देश मे,किसी भी शहर मे,किसी भी गली मे मत दिखना वरना जहाँ दिखेगा वही चोदुन्गा और आज के बाद यदि तू फिज़िक्स के खिलाफ गया तो तेरी *** चोद दूँगा'....ऐसिच बोलने का उसको फाइनल एअर कंप्लीट होने के बाद...मैं तो यही करूँगा और वैसे भी थियरी सब्जेक्ट क्या है यार...कुच्छ भी लिखो ,कुच्छ भी नंबर पाओ...."
"कैसे कुच्छ भी लिखो ,कुच्छ भी नंबर पाओ...मैने तो मुकेश जी का 'मेरे महबूब कयामत होगी' वाला गाना पिछले साल ये सोचकर चिपकाया था कि बीसी कुर्रे खुश हो जाएगा लेकिन लवडे ने उस आन्सर को तो काटा ही ,साथ मे बाकी आन्सर को भी ,जो की सही थे...उनको काट दिया..."
"अब चूतिया जैसे हरक़त करोगे तो ऐसा ही होगा....थियरी सब्जेक्ट मे क्या रखा है, बस जिस यूनिट का क्वेस्चन है उसके 4-5 फमिलिएर वर्ड्स याद कर लो और एक-दो डेफ़िनेशन और फिर जाकर लिख मारो...पांडे जाकर बाथरूम मे देख तो अरुण कहाँ गया..."
पांडे जी उठे और बिना एक पल गँवाए बाथरूम की तरफ चल दिए और इधर मैने प्रवचन जारी रखा..
"अब इतनी मेहनत कौन करे अरमान भाई..."
"वाह बेटा,ये तो वही बात हो गयी कि'स्वर्ग तो सभी चाहते है,लेकिन मारना कोई नही चाहता',झान्ट के बाल कुच्छ ना लिखने से अच्छा कुच्छ लिखना ही सही है और जब कुच्छ लिख ही रहे हो तो कुच्छ अच्छा ही लिख दो..."
"ठीक है फिर,कल वाला टेस्ट भी महा-थियरी सब्जेक्ट का है,उसी पर ट्राइ करता हूँ...लेकिन आपको लगता है कि ये काम करेगा..."
"सात सेमेस्टर तुझे क्या लगता है मैने पढ़कर पास किए है ,सब ऐसे ही लंगर मे निकल गये..डॉन'ट वरी ये काम करेगा,बहुत बढ़िया करेगा....देखो बेटा, ऐसा है कि टीचर तुमको नंबर देना चाहता है,ये मानकर चलो.. लेकिन बदले मे टीचर को तुम खाली कॉपी देते हो या बढ़िया राइटिंग से लिखी हुई कॉपी,ये तुमपर डिपेंड करता है...चल अब पैर छु मेरे ,साले फ्री की टिप्स ले रहा है.."बोलकर मैने एक पेग और मारा....
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"ज़्यादा ज्ञान मत छोड़ और चल उस लवडे महंत को मारकर आते है, साले ने बाथरूम मे धक्का दे दिया मुझे..."रूम के अंदर पांडे जी के कंधे के सहारे आते हुए अरुण बोला...
"महंत ये तो वही है,जिसकी मैं सुबह बात कर रहा था..."अरुण के मुँह से महंत का नाम सुनते ही उमेश फाटक से बोला...
"ये बीसी है कौन,जो इतना उड़ रहा है...इसकी माँ का, चलो बे, इसको ठीक करके आते है....पांडे तू अरुण को लेकर पीछे-पीछे आ ,मैं और सौरभ हीरो की तरह आगे जाएँगे...मेरा गॉगल निकालो बे..."
राजश्री पांडे ने अरुण को संभाला और सौरभ ने तीन हॉकी स्टिक, जो कि हमने दूसरो के रूम से चुराया था...उसे बाहर निकाला...
"तीन किसलिए...पांडे को मत देना...वरना मैने सीनियर को जूनियर के हाथो पेल्वा दिया...ये सोचकर हॉस्टिल के लड़के मेरे खिलाफ हो सकते है..."
"एक्सट्रा हॉकी स्टिक पांडे जी के लिए नही बल्कि ,उमेश के लिए है...उमेश टवल लपेट ले मुँह मे और वहाँ रॅगिंग की बात बिल्कुल मत करना...कुच्छ बोलना नही सिर्फ़ मारना..."
उमेश ने हां मे अपना सर हिलाया और हमलोग महंत के रूम मे पहुँचे...उसके रूम का दरवाजा खुला हुआ था और लाइट बंद करके वो सब खर्राटे भर रहे थे....मैने लाइट ऑन की और महंत का बेड कौन सा है उसकी प्रॉबबिलिटी लगाकर चादर तान के सो रहे एक लड़के के पैर मे हॉकी स्टिक से मारा और बोला...
"BCओ ,माँ-बाप ने यहाँ पढ़ाई करने भेजा है या सोने के लिए...
तू यहाँ सो रहा है,
वहाँ तेरा बाप रो रहा है...उठ "
"कौन है बे म्सी,..."दर्द और गुस्से के भयंकर कंबो के साथ चादर तानकर सो रहा वो लड़का उठा...लेकिन वो लड़का महंत नही था,बल्कि उसका रूम पार्ट्नर और आराधना का दूर का भाई कालिया था....
"सॉरी यार, पता नही मेरा अंदाज़ा कैसे ग़लत हो गया...प्रॉबबिलिटी तो मेरे से ज़्यादा अच्छी पूरे स्कूल मे किसी से नही बनती थी...कोई बात नही सॉरी..."
"ये क्या चूतियापा लगा रखा है बीसी..."अपने जाँघ सहलाते हुए ,कालिया मुझ पर चीखा...
"आँख दिखाता है मदरजात..."दूसरा वॉर मैने उसके छाती मे किया और कालिया वही फ्लॅट हो गया...तब तक उसके रूम के बाकी के दो लड़के भी जाग चुके थे...जिसमे से एक महंत था और दूसरा पता नही कौन चूतिया था....
"सौरभ ,इस कल्लू को चेक कर की ज़िंदा है या मर गया...."
"ज़िंदा है और रो रहा है..."
"कोई बात नही...वापस मिशन मे आओ..."बोलकर मैं महंत के पास गया.."क्या है भाई...बहुत हवा मे उड़ रहा आजकल,ज़मीन मे लाउ क्या...."
"बात क्या कर रहा है,मार बहिन्चोद को..."कहते हुए सौरभ ने महंत के सीने मे एक लात जमा दिया...
महंत अभी उठकर बैठा ही था और सौरभ के यूँ लात मारने से बीसी बेड के दूसरी ओर उलट गया....इसके बाद मैं कोई डाइलॉग सोच रहा था कि टवल लपेटे उमेश पीछे से सामने आया और बेड के दूसरी तरफ ,जहाँ महंत गिरा पड़ा था...उसपर दनादन होककी स्टिक बरसाने लगा...लवडा हमे तो मारने का मौका ही नही मिला....
"उस लवडे को रोक, वरना कही महंत उपर की टिकेट ना कटा ले..."सौरभ को देखकर मैं चिल्लाया.
सौरभ ने उमेश को महंत से दूर किया और रूम के बाहर जाने के लिए कहा...
"क्यूँ बे,अब बोल अरुण को धक्का क्यूँ दिया था...ज़्यादा दम आ गया है या भूल गया है कि मैं कौन हूँ..."
ज़मीन पर पड़ा महंत मेरी तरफ देखकर लंबी-लंबी साँसे भर रहा था लेकिन कुच्छ बोल नही पा रहा था....
"क्या हुआ बे, मरने वाला है क्या..."
"कहाँ धक्का दिया मैने..."खाँसते हुए महंत थोड़ी देर बाद बोला"आज सुबह से बीमार हूँ, दिन भर से रूम से निकला भी नही हूँ..."
"हाऐईिईन्न्न....फिर अरुण को धक्का किसने दिया..."
"एक मिनिट...."लड़खड़ाती ज़ुबान मे पीछे से अरुण बोला"मुझे लगता है मुझे महंत ने धक्का नही दिया था...वो कोई दूसरा लड़का था शायद,लेकिन याद नही कौन था...."
"अबे अखंड चूतिए...तो फिर फालतू मे क्यूँ पेल्वा दिया इसको...अब चलो लवडा यहाँ से....सौरभ तू मेरे साथ चल और तू , पांडे अरुण को गिराकर महंत को बिस्तर पर वापस लिटा दे.., गुड नाइट गाइस,स्वीट ड्रीम...हालाँकि वो स्वीट ड्रीम अब तुम्हे आने नही वाली..."