hotaks444
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -21
गतान्क से आगे...
मेरी योनि पर उगे हल्के बालों को देख कर तो दमले पागल हो गया. उसका मुँह खुला का खुला रह गया. बाकी लोगों की भी आँखे फटी रह गयी थी. फिर दमले ने मुझे उपर से नीचे तक निहारते हुए अपने रंग कोई बॉटल से रंग निकाला और मेरे सामने घुटनो के बल बैठ कर पहले उसने रंग मेरी चिकनी टाँगों पर और जांघों पर लगाए. फिर कुच्छ रंग हाथों मे ले कर मेरे नितंबों पर मले. सबसे आख़िरी मे उसने मेरी योनि के उपर रंग लगाया. मैं अब अपना विरोध पूरी तरह समाप्त कर चुकी थी. अब मैने अपने हथियार डाल दिए थे. अब मैने अपने आप को किस्मेत के भरोसे छ्चोड़ दिया था. मैं जानती थी कि इन से आज बच पाना मेरे बस मे नही थी. मैं मचल रही थी मगर उससे ज़्यादा कुच्छ भी नही कर पा रही थी.
एक आख़िरी कोशिश करती हुई अचानक उसके एक हाथ को मैने काट खाया. दमले मेरी इस हरकत से बुरी तरह नाराज़ हो गया. उसने एक ज़ोर दार थप्पड़ मेरे गाल पर लगाया. उसका थप्पड़ इतना जबरदस्त था कि मुझे लगा कि मेरे दाँत टूट गये होंगे. उसने मेरे बालों को मुट्ठी मे भर कर इतनी ज़ोर से खींचा कि कुच्छ बॉल मेरे सिर से टूट कर अलग हो गये. उसने मेरे दोनो गाल्लों पर कस कस कर दो चार झापड़ लगाए. मैं दर्द से रोने लगी. सारे गुंडे हंस रहे थे.
“यारों तुम लोग अपनी भाभी से होली नही खेलोगे क्या?” दमले मुझे छ्चोड़ कर खड़े होते हुए कहा.
बस इतना कहना था कि सारे गुंडे मुझ पर टूट पड़े कोई मेरी जांघों को मसल रहा था तो कोई मेरे स्तनो को. कोई मेरी गुदा मे उंगली डाल रहा था तो किसी की उंगली मेरी चूत के अंदर घूम रही थी. मुझे सब लोगो ने मिल कर बुरी तरह मसल दिया. सारे मर्द मेरे जिस्म से जोंक की तरह चिपक गये थे. काफ़ी देर तक मेरे बदन को इस तरह नोचने के बाद जब दमले ने उनको मेरे पास से हटाया तो मैने लड़खड़ाते हुए दमले के बाँहो का ही सहारा ले लिया. उसने खुश होकर मेरे नंगे बदन को अपने चौड़े सीने पर दाब लिया.
“च्च्च…क्या बुरी गत बनाई है तुम लोगों ने इसकी. किसी नाज़ुक कली को इस तरह से मसला जाता है क्या. साले तुम लोग रहोगे जंगली के जंगली. ये प्यार करने की चीज़ है तुम लोग तो इसको मार ही डालते.” दमले ने उन्हे बनावटी झिड़कियाँ देते हुए कहा.
फिर उसने मुझे अपनी बाँहों मे उठा लिया. अपने बाकी साथियों को वहीं छ्चोड़ कर वो मुझे लेकर आगे बढ़ा.
“ मेरी जान चलो अब मैं तुम्हे नहला कर सॉफ कर देता हूँ नही तो आगे के खेल मे मज़ा नही आएगा. ऐसी रंगी पूती को कैसे प्यार करूँगा.” कह कर वो मुझे बाथरूम मे ले गया.
बाथरूम मे घुस कर उसने अपने सारे कपड़े भी उतार दिए. मैं तो पहले से ही बिल्कुल नंगी थी. उसने पहले मुझे नहलाया साबुन रगड़ रगड़ कर बदन से सारे रंग को निकाला. इस कोशिश मे मेरे बदन के हर अंग को उसने खूब मसला. मैं चुपचाप सब कुच्छ सहती रही. मुझमे और मार खाने की हिम्मत नही बची थी. मैं लगातार सुबक्ती रही.
जब उसने मुझे खींच कर खड़ी किया तो मैने देखा उसका लंड खड़ा हो गया था. होता भी क्यों ना. पंद्रह मिनिट से एक नंगी महिला के बदन को मसले जो जा रहा था.
उसने मुझे दीवार पर हाथ रख कर थोड़ा सामने की ओर झुकाया. फिर पीछे की तरफ से मेरे नितंबों से चिपक गया. उसका लिंग मेरे नितंबों के बीच की दरार पर ठोकर मार रहा था. मैने अपने दोनो नितंबों को सख़्त कर लिया जिससे वो मेरी गुदा मे अपना लंड ना डाल सके.
उसने अपनी गीली उंगलियों से मेरी चूत को सहलाया. उसने एक एक करके अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल दी. मैं उसके इस हमले से सिहर उठी. उसकी उंगलियाँ मेरी योनि के अंदर तक जा रही थी.
गतान्क से आगे...
मेरी योनि पर उगे हल्के बालों को देख कर तो दमले पागल हो गया. उसका मुँह खुला का खुला रह गया. बाकी लोगों की भी आँखे फटी रह गयी थी. फिर दमले ने मुझे उपर से नीचे तक निहारते हुए अपने रंग कोई बॉटल से रंग निकाला और मेरे सामने घुटनो के बल बैठ कर पहले उसने रंग मेरी चिकनी टाँगों पर और जांघों पर लगाए. फिर कुच्छ रंग हाथों मे ले कर मेरे नितंबों पर मले. सबसे आख़िरी मे उसने मेरी योनि के उपर रंग लगाया. मैं अब अपना विरोध पूरी तरह समाप्त कर चुकी थी. अब मैने अपने हथियार डाल दिए थे. अब मैने अपने आप को किस्मेत के भरोसे छ्चोड़ दिया था. मैं जानती थी कि इन से आज बच पाना मेरे बस मे नही थी. मैं मचल रही थी मगर उससे ज़्यादा कुच्छ भी नही कर पा रही थी.
एक आख़िरी कोशिश करती हुई अचानक उसके एक हाथ को मैने काट खाया. दमले मेरी इस हरकत से बुरी तरह नाराज़ हो गया. उसने एक ज़ोर दार थप्पड़ मेरे गाल पर लगाया. उसका थप्पड़ इतना जबरदस्त था कि मुझे लगा कि मेरे दाँत टूट गये होंगे. उसने मेरे बालों को मुट्ठी मे भर कर इतनी ज़ोर से खींचा कि कुच्छ बॉल मेरे सिर से टूट कर अलग हो गये. उसने मेरे दोनो गाल्लों पर कस कस कर दो चार झापड़ लगाए. मैं दर्द से रोने लगी. सारे गुंडे हंस रहे थे.
“यारों तुम लोग अपनी भाभी से होली नही खेलोगे क्या?” दमले मुझे छ्चोड़ कर खड़े होते हुए कहा.
बस इतना कहना था कि सारे गुंडे मुझ पर टूट पड़े कोई मेरी जांघों को मसल रहा था तो कोई मेरे स्तनो को. कोई मेरी गुदा मे उंगली डाल रहा था तो किसी की उंगली मेरी चूत के अंदर घूम रही थी. मुझे सब लोगो ने मिल कर बुरी तरह मसल दिया. सारे मर्द मेरे जिस्म से जोंक की तरह चिपक गये थे. काफ़ी देर तक मेरे बदन को इस तरह नोचने के बाद जब दमले ने उनको मेरे पास से हटाया तो मैने लड़खड़ाते हुए दमले के बाँहो का ही सहारा ले लिया. उसने खुश होकर मेरे नंगे बदन को अपने चौड़े सीने पर दाब लिया.
“च्च्च…क्या बुरी गत बनाई है तुम लोगों ने इसकी. किसी नाज़ुक कली को इस तरह से मसला जाता है क्या. साले तुम लोग रहोगे जंगली के जंगली. ये प्यार करने की चीज़ है तुम लोग तो इसको मार ही डालते.” दमले ने उन्हे बनावटी झिड़कियाँ देते हुए कहा.
फिर उसने मुझे अपनी बाँहों मे उठा लिया. अपने बाकी साथियों को वहीं छ्चोड़ कर वो मुझे लेकर आगे बढ़ा.
“ मेरी जान चलो अब मैं तुम्हे नहला कर सॉफ कर देता हूँ नही तो आगे के खेल मे मज़ा नही आएगा. ऐसी रंगी पूती को कैसे प्यार करूँगा.” कह कर वो मुझे बाथरूम मे ले गया.
बाथरूम मे घुस कर उसने अपने सारे कपड़े भी उतार दिए. मैं तो पहले से ही बिल्कुल नंगी थी. उसने पहले मुझे नहलाया साबुन रगड़ रगड़ कर बदन से सारे रंग को निकाला. इस कोशिश मे मेरे बदन के हर अंग को उसने खूब मसला. मैं चुपचाप सब कुच्छ सहती रही. मुझमे और मार खाने की हिम्मत नही बची थी. मैं लगातार सुबक्ती रही.
जब उसने मुझे खींच कर खड़ी किया तो मैने देखा उसका लंड खड़ा हो गया था. होता भी क्यों ना. पंद्रह मिनिट से एक नंगी महिला के बदन को मसले जो जा रहा था.
उसने मुझे दीवार पर हाथ रख कर थोड़ा सामने की ओर झुकाया. फिर पीछे की तरफ से मेरे नितंबों से चिपक गया. उसका लिंग मेरे नितंबों के बीच की दरार पर ठोकर मार रहा था. मैने अपने दोनो नितंबों को सख़्त कर लिया जिससे वो मेरी गुदा मे अपना लंड ना डाल सके.
उसने अपनी गीली उंगलियों से मेरी चूत को सहलाया. उसने एक एक करके अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत मे डाल दी. मैं उसके इस हमले से सिहर उठी. उसकी उंगलियाँ मेरी योनि के अंदर तक जा रही थी.