hotaks444
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फिर नंगी हालत मे उसने मुझे बालों से पकड़ा और घसीटता हुआ बिस्तर तक ले गया. मैं दर्द से सूबक रही थी. मैं उसके सामने अब तो बिल्कुल ही बेबस हो गयी थी.मेरे जिस्म मे अब किसी तरह के विरोध की हिम्मत नही बची थी. वो जैसा चाहता था मैं उसी तरह बिस्तर पर पसर गयी.
वो झपट कर बिस्तर पर चढ़ गया. और मेरे सारे कपड़े नोच कर अलग कर दिए. ब्रा का तो हूल ही तोड़ दिया. मैं नंगी हालत मे बिस्तर पर लेटी हुई सूबक रही थी. वो मेरे दोनो स्तनो को मसल्ने लगा. और उनको बारी बारी से चूमने लगा. उसने मेरे निपल्स पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैं दर्द से बिलख रही थी.
वो बिस्तर पर घुटनो के बल बैठा हुआ था. उसने मेरे बालों को मुट्ठी मे भर कर मेरे सिर को उठाया और अपने लंड पर मेरे मुँह को दबने लगा. मैं समझ गयी थी कि वो क्या चाहता है. मैं इस तरह के बलात्कार का पहले भी शिकार हो चुकी थी इसलिए मैने बिना कुच्छ सोचे अपना मुँह खोल दिया. उसने अपने लिंग को मेरे मुँह मे थेल दिया. उसके लंड से बुरी बदबू आ रही थी. मुझे एक ज़ोर की उबकाई आइ मगर गले तक उसका लंड फँसा होने की वजह से कुच्छ नही कर पाई.
मैने देखा कि उसके साथ जॉर्जाबरदस्ती मे मैं नही जीत सकती इसलिए चुपचाप उसे अपनी मर्ज़ी का कर लेने के लिए छ्छूट दे दिया जाए उसी मे गनीमत है. मैं उसके लिंग को खुद ही अपनी जीभ से चाटने लगी. अपने होंठों को उसके लिंग पर दबा कर उसे चूसने लगी. वो कुच्छ देर तक तो मेरे सिर को थामे रहा मगर जब उसने देखा कि मेरी ओर से विरोध समाप्त हो गया है और मैं खुद उसकी चाहत के अनुरूप चल रही हूँ तो उसने ज़ोर ज़बरदस्ती करना छ्चोड़ दिया.
मेरे मुँह से स्लूर्र्ररर्प….स्लूर्र्ररर्प.. जैसे आवाज़ें आ रही थी. मैं उसके लिंग को अपने हाथों से थाम कर उसको अपने मुँह से चूस्ति जा रही थी. उसके मुँह से उत्तेजना मे “आअहह….ऊओह” जैसी आवाज़ें निकाल रही थी. कुच्छ देर तक इसी तरह चूस्ते रहने के बाद उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग को बाहर खींच कर निकाला.
“ साली मुँह से ही मुझे झाड़ देने की इच्छा है क्या तेरी. मुझे तो तेरी चूत को फाड़ना है. चल अब छ्चोड़ इसे और टाँगें फैला कर लेट जा.” मैने वैसा ही किया जैसा उसने कहा था. उसने मेरी टाँगों को बिस्तर से उठा कर अपने कंधों पर रख ली.
उसने अपने लंड का टिप मेरी योनि की दोनो फांकों के बीच रख कर उस पर उपर नीचे फेरने लगा. अपनी उंगलियों से वो मेरी योनि की फांकों को सहलाने लगा. उसके मोटे और खुरदूरी उंगलिया मुझे उत्तेजना की जगह दर्द दे रही थी. जब कुच्छ देर तक मेरी योनि को सहलाने के बाद भी उसने देखा की मुझमे कोई उत्तेजना नही बढ़ी तो उसने मेरी क्लाइटॉरिस को छेड़ना शुरू किया. उसकी इस हाकत से मेरे बदन मे बिजलियाँ दौड़ने लगी. मैं अबतक अपने बदन को किसी बेजान लाश की तरह ढीला छ्चोड़ रखी थी मगर अब उसकी हरकतों से मेरे बदन मे चिंगारियाँ फूटने लगी. मैने उसके हाथ को वहाँ से हटाने की कोशिश की मगर उसने मेरे विरोध को नज़रअंदाज़ कर दिया. मैं बेबस थी. बिल्कुल भी नही चाहती थी कि मेरा जिस्म उसके बहकावे मे आ जाए और उसे पता चल जाए कि मेरा जिस्म मेरे दिमाग़ से विद्रोह कर रहा है. बेबसी मे मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.
क्रमशः............
वो झपट कर बिस्तर पर चढ़ गया. और मेरे सारे कपड़े नोच कर अलग कर दिए. ब्रा का तो हूल ही तोड़ दिया. मैं नंगी हालत मे बिस्तर पर लेटी हुई सूबक रही थी. वो मेरे दोनो स्तनो को मसल्ने लगा. और उनको बारी बारी से चूमने लगा. उसने मेरे निपल्स पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैं दर्द से बिलख रही थी.
वो बिस्तर पर घुटनो के बल बैठा हुआ था. उसने मेरे बालों को मुट्ठी मे भर कर मेरे सिर को उठाया और अपने लंड पर मेरे मुँह को दबने लगा. मैं समझ गयी थी कि वो क्या चाहता है. मैं इस तरह के बलात्कार का पहले भी शिकार हो चुकी थी इसलिए मैने बिना कुच्छ सोचे अपना मुँह खोल दिया. उसने अपने लिंग को मेरे मुँह मे थेल दिया. उसके लंड से बुरी बदबू आ रही थी. मुझे एक ज़ोर की उबकाई आइ मगर गले तक उसका लंड फँसा होने की वजह से कुच्छ नही कर पाई.
मैने देखा कि उसके साथ जॉर्जाबरदस्ती मे मैं नही जीत सकती इसलिए चुपचाप उसे अपनी मर्ज़ी का कर लेने के लिए छ्छूट दे दिया जाए उसी मे गनीमत है. मैं उसके लिंग को खुद ही अपनी जीभ से चाटने लगी. अपने होंठों को उसके लिंग पर दबा कर उसे चूसने लगी. वो कुच्छ देर तक तो मेरे सिर को थामे रहा मगर जब उसने देखा कि मेरी ओर से विरोध समाप्त हो गया है और मैं खुद उसकी चाहत के अनुरूप चल रही हूँ तो उसने ज़ोर ज़बरदस्ती करना छ्चोड़ दिया.
मेरे मुँह से स्लूर्र्ररर्प….स्लूर्र्ररर्प.. जैसे आवाज़ें आ रही थी. मैं उसके लिंग को अपने हाथों से थाम कर उसको अपने मुँह से चूस्ति जा रही थी. उसके मुँह से उत्तेजना मे “आअहह….ऊओह” जैसी आवाज़ें निकाल रही थी. कुच्छ देर तक इसी तरह चूस्ते रहने के बाद उसने मेरे सिर को पकड़ कर अपने लिंग को बाहर खींच कर निकाला.
“ साली मुँह से ही मुझे झाड़ देने की इच्छा है क्या तेरी. मुझे तो तेरी चूत को फाड़ना है. चल अब छ्चोड़ इसे और टाँगें फैला कर लेट जा.” मैने वैसा ही किया जैसा उसने कहा था. उसने मेरी टाँगों को बिस्तर से उठा कर अपने कंधों पर रख ली.
उसने अपने लंड का टिप मेरी योनि की दोनो फांकों के बीच रख कर उस पर उपर नीचे फेरने लगा. अपनी उंगलियों से वो मेरी योनि की फांकों को सहलाने लगा. उसके मोटे और खुरदूरी उंगलिया मुझे उत्तेजना की जगह दर्द दे रही थी. जब कुच्छ देर तक मेरी योनि को सहलाने के बाद भी उसने देखा की मुझमे कोई उत्तेजना नही बढ़ी तो उसने मेरी क्लाइटॉरिस को छेड़ना शुरू किया. उसकी इस हाकत से मेरे बदन मे बिजलियाँ दौड़ने लगी. मैं अबतक अपने बदन को किसी बेजान लाश की तरह ढीला छ्चोड़ रखी थी मगर अब उसकी हरकतों से मेरे बदन मे चिंगारियाँ फूटने लगी. मैने उसके हाथ को वहाँ से हटाने की कोशिश की मगर उसने मेरे विरोध को नज़रअंदाज़ कर दिया. मैं बेबस थी. बिल्कुल भी नही चाहती थी कि मेरा जिस्म उसके बहकावे मे आ जाए और उसे पता चल जाए कि मेरा जिस्म मेरे दिमाग़ से विद्रोह कर रहा है. बेबसी मे मेरी आँखों से आँसू बहने लगे.
क्रमशः............