hotaks444
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[size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large][size=large]अब वो बड़े प्यार से सुपारा मेरी चूत में अन्दर करने लगे। सुपारे के चूत में अन्दर जाते ही मुझे फिर से दर्द होने लगा.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं दर्द से कराहने लगी।
जीजू ने बड़े प्यार से एक तेज झटका मारा और पूरा लंड एक बार में मेरी चूत में अन्दर कर दिया।
अब दर्द असहनीय हो रहा था मगर चिल्ला भी नहीं सकती थी। जीजू मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक किए हुए थे और मेरी चूचियों को बेदर्दी से मसल रहे थे। साथ ही वो अपने भीमकाय लंड को मेरी चूत में आगे-पीछे किए जा रहे थे।
थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ और धीरे-धीरे मुझे मजा आने लगा।
अब जीजू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मैं भी चुदाई की मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और जीजू का जमकर साथ दे रही थी।
मुझे काफी मजा आने लगा था, मेरे मुँह से अपने आप कामुक आवाजें निकलने लगी थीं ‘आहह.. आओहहह..’
मैं सातवें आसमान पर थी। पहली बार मुझे चुदाई में इतनी ज्यादा मजा आ रहा था।
मैं जीजू से बोली- आह्ह.. फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.. भोसड़ा बना दो।
जीजू हचक कर मेरी चूत का भुरता बनाते रहे।
कुछ देर बाद मैं झड़ने को आ गई तो मैंने जीजू से बोला- और तेज जान.. और तेज.. अपनी साली को अपनी रंडी बना लो.. आह्ह.. मैं गई..।
यह बोलते-बोलते ही मैं झड़ गई।
मैंने झड़ते ही जीजू से बोला- आह्ह.. जीजू बस भी करो.. कितना चोदोगे।
उन्होंने मेरी बात को अनसुना करते हुए अपनी स्पीड और बढा़ दी।
अब मेरी चूत में जलन होने लगी थी। लेकिन जीजू रूक ही नहीं रहे थे। करीब 10-15 मिनट बाद उन्होंने मेरी चूत में गर्मा-गर्म ज्वालामुखी छोड़ दिया और मेरे ऊपर ऐसे ढेर हो गए जैसे मानो पड़ोसी देश की माँ चोद कर आए हों।
कुछ पल बाद मैंने जीजू को उठाया और अपने-आप को देखा, अभी भी मेरी चूत से वीर्य गिर रहा था।
मैं सोचने लगी कि अभी 12 घंटे पहले तक मैं अनछुई कन्या थी और अभी तक 3 अलग-अलग लंड ले चुकी हूँ। मैं पिछले 12 घंटों में पक्की चुदक्कड़ बन गई थी या यूँ कहें कि एक चालू रण्डी बन चुकी थी।
अब मैं उठी.. अपनी चूत साफ करके कपड़े पहन लिए। फिर जीजू उठे और बोले- सॉरी डार्लिंग.. मैं तुम्हारी चूत में ही झड़ गया.. लेकिन मैं भी क्या करता.. तुम हो ही इतनी हॉट कि मैं अपने आपको संभाल नहीं पाया और तुम्हारी चूत में ही झड़ गया।
फिर जीजू मुझे एक टैबलेट का पैकेट दिया और बोले- यह रात को खा लेना कुछ नहीं होगा।
मैं बोली- अब मैं जा रही हूँ.. नहीं तो मॉम टेंशन में आ जाएंगी।
जीजू नंगे ही खड़े हो गए और मुझे गले से लगाकर बोले- यार तुम्हारा ये अहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूँगा.. तुमने इस सुहागसेज को खाली न रहने दिया और मुझे तुम जैसी हॉट लड़की के साथ सुहागदिन मनाने का मौका मिला।
मैं मन ही मन सोच रही थी कि शायद यह सुहागसेज मेरी चूत के लिए ही सजाई गई थी। इसलिए सुहागरात अंकल के साथ और सुहागसेज अपनी दोस्त के पति के साथ साझा कर ली।
जीजू ने मुझे लम्बा किस किया और मैं वहाँ से चल दी।
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आप को मेरी यह सत्य कथा अच्छी लगी होगी।
अब आगे मैं किस-किस के साथ चुदी.. यह मैं अगली कहानी में बताऊँगी। आप लोगों को यह कहानी कैसी लगी.. जरूर बताएं।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]
जीजू ने बड़े प्यार से एक तेज झटका मारा और पूरा लंड एक बार में मेरी चूत में अन्दर कर दिया।
अब दर्द असहनीय हो रहा था मगर चिल्ला भी नहीं सकती थी। जीजू मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक किए हुए थे और मेरी चूचियों को बेदर्दी से मसल रहे थे। साथ ही वो अपने भीमकाय लंड को मेरी चूत में आगे-पीछे किए जा रहे थे।
थोड़ी देर बाद दर्द कम हुआ और धीरे-धीरे मुझे मजा आने लगा।
अब जीजू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, मैं भी चुदाई की मस्ती के सागर में गोते लगा रही थी और जीजू का जमकर साथ दे रही थी।
मुझे काफी मजा आने लगा था, मेरे मुँह से अपने आप कामुक आवाजें निकलने लगी थीं ‘आहह.. आओहहह..’
मैं सातवें आसमान पर थी। पहली बार मुझे चुदाई में इतनी ज्यादा मजा आ रहा था।
मैं जीजू से बोली- आह्ह.. फाड़ दो मेरी चूत को.. आह्ह.. भोसड़ा बना दो।
जीजू हचक कर मेरी चूत का भुरता बनाते रहे।
कुछ देर बाद मैं झड़ने को आ गई तो मैंने जीजू से बोला- और तेज जान.. और तेज.. अपनी साली को अपनी रंडी बना लो.. आह्ह.. मैं गई..।
यह बोलते-बोलते ही मैं झड़ गई।
मैंने झड़ते ही जीजू से बोला- आह्ह.. जीजू बस भी करो.. कितना चोदोगे।
उन्होंने मेरी बात को अनसुना करते हुए अपनी स्पीड और बढा़ दी।
अब मेरी चूत में जलन होने लगी थी। लेकिन जीजू रूक ही नहीं रहे थे। करीब 10-15 मिनट बाद उन्होंने मेरी चूत में गर्मा-गर्म ज्वालामुखी छोड़ दिया और मेरे ऊपर ऐसे ढेर हो गए जैसे मानो पड़ोसी देश की माँ चोद कर आए हों।
कुछ पल बाद मैंने जीजू को उठाया और अपने-आप को देखा, अभी भी मेरी चूत से वीर्य गिर रहा था।
मैं सोचने लगी कि अभी 12 घंटे पहले तक मैं अनछुई कन्या थी और अभी तक 3 अलग-अलग लंड ले चुकी हूँ। मैं पिछले 12 घंटों में पक्की चुदक्कड़ बन गई थी या यूँ कहें कि एक चालू रण्डी बन चुकी थी।
अब मैं उठी.. अपनी चूत साफ करके कपड़े पहन लिए। फिर जीजू उठे और बोले- सॉरी डार्लिंग.. मैं तुम्हारी चूत में ही झड़ गया.. लेकिन मैं भी क्या करता.. तुम हो ही इतनी हॉट कि मैं अपने आपको संभाल नहीं पाया और तुम्हारी चूत में ही झड़ गया।
फिर जीजू मुझे एक टैबलेट का पैकेट दिया और बोले- यह रात को खा लेना कुछ नहीं होगा।
मैं बोली- अब मैं जा रही हूँ.. नहीं तो मॉम टेंशन में आ जाएंगी।
जीजू नंगे ही खड़े हो गए और मुझे गले से लगाकर बोले- यार तुम्हारा ये अहसान मैं जिन्दगी भर नहीं भूलूँगा.. तुमने इस सुहागसेज को खाली न रहने दिया और मुझे तुम जैसी हॉट लड़की के साथ सुहागदिन मनाने का मौका मिला।
मैं मन ही मन सोच रही थी कि शायद यह सुहागसेज मेरी चूत के लिए ही सजाई गई थी। इसलिए सुहागरात अंकल के साथ और सुहागसेज अपनी दोस्त के पति के साथ साझा कर ली।
जीजू ने मुझे लम्बा किस किया और मैं वहाँ से चल दी।
दोस्तो, मुझे उम्मीद है कि आप को मेरी यह सत्य कथा अच्छी लगी होगी।
अब आगे मैं किस-किस के साथ चुदी.. यह मैं अगली कहानी में बताऊँगी। आप लोगों को यह कहानी कैसी लगी.. जरूर बताएं।[/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size][/size]