Porn Kahani भोली-भाली शीला - Page 7 - SexBaba
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Porn Kahani भोली-भाली शीला

पंडित & शीला पार्ट--60 एण्ड

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गतांक से आगे ......................

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वातावरण में ऐसा बदलाव महसूस करते ही पंडित जी का लिंग भी तनाव से भर उठा ..पर उन दोनों को देखकर लग नहीं रहा था कि अभी कुछ देर तक उनकी जरुरत भी पड़ेगी उन दोनों को ..

क्योंकि सबसे पहले तो शीला अपनी प्यास बुझायेगी ..क्योंकि इतने दिनों से उसने जो जज्बात अपने दिल में छुपा कर रखे थे उन्हें दिखाने का और पूरा करने का आज मौका मिल चूका था उसे .

दोनों के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़कर चिंगारियां उत्पन कर रहे थे ..ऐसी चिंगारियां जिनसे पूरा कमरा जल उठा था , वहाँ का तापमान भी बढ़ चूका था.

कोमल कि चूत तो काफी चूस चुकी थी शीला और अब मौका था उसका बदला उतारने का ..इसलिए कोमल ने शीला को बेड के किनारे पर लिटाया और उसकी दोनों टांगो को अपने सर के दोनों तरफ हवा में लहराकर बड़े ही प्यार से उसकी आँखों में देखा और बिना नजर हटाये अपनी जीभ निकाल कर उसकी उफान खाती हुई चूत पर लगा कर वहाँ से निकल रहे झरने का गर्म पानी पीने लगी .

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म .....मेरी बच्ची .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....कोमल ........ चाट .....अह्ह्ह्ह ...जोर से चूओस .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

उसने बड़ी ही बेदर्दी से कोमल के बालों को पकड़ा और उसे अपनी चूत के ऊपर घिसने लगी ..जैसे मूली कुतर रही हो परांठे बनाने के लिए .

और कोमल भी अपनी बहन के ऐसे बर्ताव से जंगली बन चुकी थी ..उसने सिर्फ अपनी जीभ को कड़ा करके सामने कि तरफ निकाला हुआ था और बाकी का काम शीला कर रही थी ..उसकी सख्त जीभ शीला कि खुरदुरी चूत के धरातल को ठोकरें मारती हुई वहाँ से निकल रहे मिनरल को सोंख रही थी ..ऐसा स्वाद और अनुभूति आज तक कोमल को महसूस नहीं हुई थी .

अचानक कोमल ने अपने मुंह के चुंगल में शीला कि चूत के दाने को भींच लिया ..और वो चिहुंक कर उठ बैठी और उसके खुले हुए मुंह से बड़ी मुश्किल से बस यही निकला : "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......कोमल ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह ....नाआआनन्न्नन .....करररररररर ........उफ्फ्फ्फफ्फ़ ....''

और फिर भी जब कोमल नहीं मानी तो उसे पीछे कि तरफ धकेलते हुए उसे जमीन पर औंधा लिटा दिया ..पर फिर भी जिद्दी कोमल ने उसके दाने को नहीं छोड़ा ..अब शीला का पूरा शरीर किसी नागिन कि तरह लहरा रहा था और वो नीचे लेती हुई कोमल के मुंह पर डांस कर रही थी ..अपने उरोजों को मसल रही थी ..अपने बालों पर उँगलियाँ फेरा रही थी ..

पंडित जी भी अपने लंड को मसलते हुए उसका कामुक डांस देखने लगे ..

और जब शीला को महसूस हो गया कि कोमल उसकी चूत को नहीं छोड़ने वाली है तो उसने पीछे कि तरफ मुंह करते हुए अपने हाथ कि दो उँगलियों से कोमल कि चूत को कचोट लिटा ..अपनी धरोहर पर हुए हमले से कोमल के मुंह से वो दाना फिसल कर बाहर निकल गया ..बस इतना मौका काफी था शीला के लिए ..वो पलटी और कोमल कि चूत कि तरफ मुंह करके लेट गयी ..और अगले ही पल उसकी चूत कोमल के मुंह में थी और कोमल कि उसके मुंह में ..दोनों 69 कि पोसिशन में आ चुके थे .

अब शीला कि बारी थी उसकी चूत को चूसने कि ..

उसके मुंह से इतनी लार निकल रही थी कि सामने पड़ी हुई चूत पूरी भीग गयी थी ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह .....पूूचssssssssssssssssss ......उम्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........सड़प ........उम्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह .... ....''

पुरे कमरे में बस यही आवाजें गूँज रही थी ..

और पुरे दस मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद दोनों को ऐसा लगने लगा कि वो फट जाएंगी ...ऐसा कसाव महसूस हो रहा था उन्हें अपनी चूत के अंदर ...और हुआ भी ऐसा ही ...जैसे ही दोनों चरम सीमा पर पहुंचे ..एक दूसरे कि चूत से निकले फुव्वारों से दोनों के चेहरे भीग गए ...

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......दीदी ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .......येएस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''

कोमल ने शीला कि बड़ी सी गांड पकड़कर जोर से अपनी तरफ भींच लिया ....और शीला ने भी कुछ ऐसा ही किया ..बल्कि वो एक कदम और आगे बड़ गयी ..उसने अपनी एक ऊँगली सीधा लेजाकर कोमल कि गांड के अंदर उतार दी ...

''अययययययययईईईइ .......उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ .....ये क्याआआआआ .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....नो ....दीदी .......नहीईईईईई ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहीईईईईईईईई ........''

शीला उसके ऊपर से हट गयी ....और साईड में लेटकर उसकी गांड में फांसी ऊँगली को अंदर बाहर करने लगी ..

कोमल अभी-२ झड़ी थी ...पर फिर भी शीला के ऐसा करने से उसके अंदर एक नया रक्तसंचार हो रहा था ..उसकी चूत के साथ - २ अब उसकी गांड भी पुलकुलाने लगी थी ..

शीला ने एक नजर पंडित जी कि तरफ डाली ...जो अपने लंड महाराज को अपने हाथों में पकड़कर उसकी तेल से मालिश कर रहे थे ..

शीला बोली : "पंडित जी ....आइये ..और मेरी इस छोटी बहन को भी वही सुख प्रदान कीजिये जो आपने मुझे किया ...और मेरी ही तरह इसके जीवन को भी खुशियों का आशीर्वाद दीजिये ...''

कोमल इतना सुनते ही चोंक कर शीला कि तरफ देखने लगी ..वहाँ मौजूद हर शख्स जानता था कि यही होना है ..पर इतना नाटक करना तो बनता ही था न कोमल का ..

शीला : "घबरा मत मेरी लाड़ली ....पंडित जी पर भरोसा रख ...आज तू जिस दुनिया में कदम रखने जा रही है, उसका सूत्रधार पंडित जी से अच्छा कोई और हो ही नहीं सकता ...इनके साथ तुझे ये दुनिया बड़ी आनंददायक लगेगी ..चिंता मत कर ....मैं हु न ....''

और इतना कहते हुए वो साईड में हो गयी ..

पंडित जी आगे आये ..और उन्होंने कोमल को बड़े प्यार से उठाकर वापिस बिस्तर पर लिटा दिया ...

कोमल का पूरा नंगा शरीर पंडित जी के आने कि प्रतीक्षा कर रहा था ..

पंडित जी से पहले वहाँ शीला जाकर लेट गयी ...और उसने अपनी बहन कि चूत को पकड़कर उसकी फांके फेला कर पंडित जी कि तरफ देखा और बोली : "देखि है ऐसी चूत आपने आज से पहले ...मारी है किसी कि इतनी टाइट चूत ....हूँ .....''

पंडित जी ने ना में सर हिला दिया ...

पंडित जी सीधा आकर कोमल कि टांगो के बीच पहुँच गए ..शीला ने बड़े प्यार से पंडित जी के लंड को पकड़कर कोमल कि चूत के ऊपर रखा ..

कोमल को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसकी चूत पर किसी ने गर्म लोहे कि रॉड रख दी हो ..और उस रॉड को ठंडा करने का काम शीला ने किया ...

जैसे ही पंडित जी ने अपने लंड को धक्का देना शुरू किया ...शीला ने झुककर अपनी जीभ से उनकी रॉड कि तपन को कम करना शुरू कर दिया ..

शीला कि जीभ से घिसता हुआ पंडित जी का लंड इंच - २ करता हुआ कोमल के सुखसागर में डूबने लगा ..

उनके लंड के सिरे को अपनी चूत पर महसूस करके पहले - पहल तो कोमल को बहुत मजे आये ..पर जैसे ही उनका लंड अंदरूनी दीवारों को फैलाकर अंदर घुसने लगा उसके शरीर में ऐंठन सी आने लगी ...उसने बिस्तर कि चादर को अपने हाथों से पकड़ कर भींच लिया ..और कटकटाते हुए दांतों के बीच से उसकी चीखे निकलकर बाहर आने लगी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्य्य्य्यीईईई .......उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ......पंडित जी ..........बस .......करो ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह .....दर्द ....हो रहा है .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...नूऊऊऊऊ ........मत करो .......ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ..... ''

और शीला अपनी बहन कि तकलीफ को कम करने के लिए वापिस ऊपर गयी और उसके होंठों को चूमते हुए उसे सांत्वना देने लगी ...

''बस .....बस ....बस ....हो गया ......पूछ्ह्ह ........बस हो गया मेरी बच्ची .......हो गया .....''

इसी बीच पंडित जी का टांका कोमल कि चूत कि झिल्ली पर जाकर अटक गया ...इससे पहले कोमल कुछ बोल पाती, पंडित जी ने एक जोरदार धक्का मारकर उसे धवस्त कर दिया ...और अपने लंड समेत उसके गर्भ में दाखिल हो गए ...एक पतली सी लाल रंग कि धार निकलकर बाहर कि तरफ रिस गयी ..

टूट चुकी थी कोमल कि चूत कि सील ...आज वो कली से फूल बन चुकी थी ..औरत बन चुकी थी वो पूरी तरह से .

और कुछ देर तक रुकने के बाद पंडित जी ने धीरे -२ धक्के फिर से मारने शुरू किये ...अब कोमल का शरीर भी उन धक्को कि लय से लय मिलाते हुए हिलने लगा ...

पंडित जी को ऐसा लग रहा था कि वो किसी नाव में सवार है जिसका हर हिचकोला उन्हें किनारे कि तरफ ले जा रहा है ..

अब पंडित जी ने पुरे वेग के साथ धक्के मारने शुरू कर दिए ...

पुरे कमरे में फच - फच - फच कि आवाजें आ रही थी ....कोमल को इतना आनंद आज तक महसूस नहीं हुआ था ...

''ओह्ह्हह्ह ....पंडित जी ...... उम्म्म्म .......हाँ .....ऐसे ही ......और तेज ....अह्ह्ह्ह ......अआप सच में मुझे ....अह्ह्ह ...चोद रहे हो .....''

पंडित : "उम्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...हाँ .....मैं तुझे चोद रहा हु .....तेरे अंदर मेरा लंड है ....आज मैंने तेरा कुंवारापन ले लिया .....अह्ह्हह्ह .....''

इतना सुनते ही कोमल के अंदर का तूफ़ान धक्के मारकर उसकी चूत के रास्ते बाहर निकल आया ....झटका इतना तेज था कि पंडित जी के लंड को भी उसने बाहर धकेल दिया ..

एक भीनी सी खुशबु पुरे कमरे में फैल गयी ...और लहू मिश्रित रस कि धार निकलकर कोमल कि चूत से बाहर आने लगी ...

पंडित जी ने अपने खड़े हुए लंड को फिर से पकड़कर उसकी रसीली गली में धकेल दिया ...इस बार वो ऐसे फिसल कर अंदर गया जैसे बरसों से चुद रही हो कोमल ..

और फिर पंडित जी ने उसकी टांगों के टखने पकड़कर ऊपर हवा में उठाया और रुक रूककर ऐसे धक्के मारे कि कोमल का पूरा शरीर हवा में उठने लगा ...

''अह्ह्ह्ह ...उम्म्म्म ....ओह्ह्हह्ह्ह्ह .......स्स्स्स्स्स्स्स .....अह्ह्हह्ह ...पंडित जी ..... ...बस .....भी करो ....अह्ह्ह्ह ....और नाहीस अहन होता ....अह्ह्हह्ह .....बीएस पंडित जी ..... ''

पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे ...उनके हर झटके ने उसे और ऊपर उछालने का कार्यकर्म जारी रखा .... और फिर पंडित जी का भी चरम बिंदु नजदीक आ गया और जैसे ही उनके लंड कि पहली फुहार कोमल कि चूत से टकरायी ...वो अपनी आँखे फेला कर जोर से चिल्लाई .....

''अह्ह्ह्हह्ह .....पंडित जी .........सब दे दो .....सारा रस निकालो मेरे अंदर ......अह्ह्ह्हह्ह्ह ......हाआँ ....ऐसे ही .......ई केन फील यूऊऊउ ........अह्ह्ह्हह्ह ....''

और पंडित जी हाँफते हुए उसके पसीने से लथपथ शरीर पर गिर गए ...

दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे ...

और सबसे ज्यादा संतुष्ट तो शीला थी ...वो जानती थी कि पंडित जी के नेतृत्व में उसकी बहन का जीवन अच्छा गुजरेगा ...क्योंकि नारी के शरीर का पूरा ज्ञान था पंडित जी को ..जैसा उसने खुद ने फील किया था वो सब अब कोमल भी महसूस करेगी ..और वो हमेशा खुश रहेगी ..जैसा कि वो खुद थी अब ..

और उस दिन के बाद तो पंडित जी कि हर रात कोमल कि चुदाई में और हर दिन शीला कि जवानी का नशा उतारने में बीतने लगी ..पर दोनों कि जवानी थी ही इतनी मस्त कि दिन रात चोदने के बाद भी पंडित जी को हर बार दुगना मज़ा मिलता था ..

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समाप्त
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दोस्तों ....जैसा कि मैंने पिछले अपडेट में बताया था , अब मैं इस गाथा को यहीं समाप्त कर रहा हु ..आप सभी ने इस कहानी को इतना पसंद किया जिसकी वजह से ये आज यहाँ तक आ पहुंची है ...इस कहानी कि लोकप्रियता का सारा श्रेय मैं आप सभी पाठकों को देना चाहता हु क्योंकि आपके दिए सुझाव और कमेंट पड़कर ही मुझे कहानी को यहाँ तक लाने कि प्रेरणा मिली ..

एक नयी रोचक कहानी के साथ जल्द ही आपसे मुलाकात होगी ..

तब तक के लिए मेरी दूसरी कहानियों का मजा लीजिये ..

धन्यवाद.

आपका दोस्त
 
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