hotaks444
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पड़ोस की कुछ भाभियाँ खबर सुनते ही बेला के घर आ पहुँची और बिंदिया को आगे वाले कमरे में ले जाकर उससे छेड़छाड़ करने लगीं। बेला अपनी बेटी के उदास चेहरे को देख कर समझ गई थी, कुछ ना कुछ गड़बड़ है, कहीं लड़के में तो कोई कमी नहीं… ये सोच कर बेला भी परेशान हो गई।
शाम को सोनू ऊपर कमरे में बैठा हुआ था और बोर हो रहा था, क्योंकि नीचे रजनी और जया पड़ोस की कुछ औरतों के साथ बातें कर रही थी.. सोनू रजनी को ये बोल कर घर से बाहर निकल गया कि वो थोड़ी देर घूमने के लिए जा रहा है।
आज तो सुबह से बहुत ठंड थी, सुबह से ही सूरज नहीं निकला था और शाम होते ही कोहरा छाने लगा था।
सोनू घर से निकल कर खेतों की तरफ बढ़ने लगा, रास्ते में कुछ लोग खेतों से लौट रहे थे। सोनू अपनी मस्ती में आगे बढ़ता जा रहा था। थोड़ी देर में ही सोनू गाँव से निकल कर काफ़ी आगे आ चुका था, तभी उसे अपने आगे चलते हुए एक बंजारन नज़र आई.. उसने काले रंग का लहंगा पहना हुआ था और ऊपर एक सफ़ेद रंग का कुर्ता पहना हुआ था।
सर्दी की वजह से उसने अपने ऊपर एक कंबल सा ओढ़ रखा था। अपने पीछे से आती क़दमों की आहट सुन कर उस बंजारन ने पीछे मुड़ कर सोनू की तरफ देखा और अपने ख्यालों में खोए हुए सोनू ने जब उसकी तरफ देखा, तो दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।
एक पल के लिए उस बंजारन के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और फिर से आगे देखते हुए चलने लगी। कोहरा और गहराता जा रहा था, तभी हल्की-हल्की बारिश भी शुरू हो गई।
सोनू को ध्यान आया कि वो चलते हुए.. बहुत आगे निकल आया है और अगर बारिश तेज हो गई, तो वो इतनी ठंड में गीला हो जाएगा। उसके आगे चल रही बंजारन भी बारिश शुरू होते ही तेज़ी से चलने लगी और सोनू भी तेज़ी से चलने लगा।
वो बंजारन एक पेड़ के नीचे जाकर रुक गई। सर छुपाने के लिए और कोई जगह ना देख कर सोनू भी उसी पेड़ के नीचे जाकर खड़ा हो गया। बारिश अब तेज हो चुकी थी और वो घना पेड़ भी उनको बारिश के पानी से बचा नहीं पा रहा था। दोनों थोड़ा सा भीग गए थे। वो बंजारन कनखियों से बार-बार सोनू की तरफ देख रही थी।
“तुम यहाँ के तो नहीं लगते.. किसी के घर पर मेहमान बन कर आए हो?” उस बंजारन ने सोनू से पूछा।
सोनू ने एकदम चौंकते हुए कहा- जी.. जी.. हाँ..।
फिर अचानक से उस बंजारन की नज़र थोड़ी दूरी पर बने एक कमरे की तरफ पड़ी। दूर से देखने पर ही वो ख़स्ता हालत में लग रहा था। बंजारन ने उस तरफ इशारा करते हुए कहा- वहाँ पर एक कमरा है, शायद वहाँ कोई हो..।”
ये कह कर वो बंजारन तेज़ी से चलते हुए, उस कमरे की तरफ जाने लगी। उसने अपने ऊपर ओढ़े हुए कंबल को उतार कर अपनी बाँहों में छुपा लिया, ताकि वो गीला ना हो। सोनू भी उसके पीछे हो लिया।
जब दोनों उस कमरे के पास पहुँचे, तो उस कमरे पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ था.. जो कि जंग खाया हुआ था.. जिससे पता चजया था कि उस कमरे में बरसों से कोई नहीं रह रहा है। जिसे देख कर वो बंजारन थोड़ा परेशान हो गई.. बारिश तेज होती जा रही थी।
उस कमरे के पीछे बहुत से पेड़ लगे हुए थे। उसने सोचा यहाँ पर भीगने से अच्छा है कि वो पीछे पेड़ों के नीचे जाकर खड़ी हो जाए और वे दोनों कमरे के पीछे के तरफ पेड़ों की तरफ आ गए। सर्दी अब बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। काले बादलों ने अंधेरा सा कर दिया था। जबकि अभी शाम के 5 ही बजे थे।
तभी सोनू को कमरे के पीछे एक खिड़की दिखाई दी, जो टूटी हुई थी।
“ये देखो.. जहाँ से अन्दर जाया जा सकता है।” सोनू ने खुश होते हुए कहा। खिड़की ज्यादा उँची नहीं थी, महज 3 फुट उँची खिड़की से आसानी से अन्दर घुसा जा सकता था।
शाम को सोनू ऊपर कमरे में बैठा हुआ था और बोर हो रहा था, क्योंकि नीचे रजनी और जया पड़ोस की कुछ औरतों के साथ बातें कर रही थी.. सोनू रजनी को ये बोल कर घर से बाहर निकल गया कि वो थोड़ी देर घूमने के लिए जा रहा है।
आज तो सुबह से बहुत ठंड थी, सुबह से ही सूरज नहीं निकला था और शाम होते ही कोहरा छाने लगा था।
सोनू घर से निकल कर खेतों की तरफ बढ़ने लगा, रास्ते में कुछ लोग खेतों से लौट रहे थे। सोनू अपनी मस्ती में आगे बढ़ता जा रहा था। थोड़ी देर में ही सोनू गाँव से निकल कर काफ़ी आगे आ चुका था, तभी उसे अपने आगे चलते हुए एक बंजारन नज़र आई.. उसने काले रंग का लहंगा पहना हुआ था और ऊपर एक सफ़ेद रंग का कुर्ता पहना हुआ था।
सर्दी की वजह से उसने अपने ऊपर एक कंबल सा ओढ़ रखा था। अपने पीछे से आती क़दमों की आहट सुन कर उस बंजारन ने पीछे मुड़ कर सोनू की तरफ देखा और अपने ख्यालों में खोए हुए सोनू ने जब उसकी तरफ देखा, तो दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।
एक पल के लिए उस बंजारन के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई और फिर से आगे देखते हुए चलने लगी। कोहरा और गहराता जा रहा था, तभी हल्की-हल्की बारिश भी शुरू हो गई।
सोनू को ध्यान आया कि वो चलते हुए.. बहुत आगे निकल आया है और अगर बारिश तेज हो गई, तो वो इतनी ठंड में गीला हो जाएगा। उसके आगे चल रही बंजारन भी बारिश शुरू होते ही तेज़ी से चलने लगी और सोनू भी तेज़ी से चलने लगा।
वो बंजारन एक पेड़ के नीचे जाकर रुक गई। सर छुपाने के लिए और कोई जगह ना देख कर सोनू भी उसी पेड़ के नीचे जाकर खड़ा हो गया। बारिश अब तेज हो चुकी थी और वो घना पेड़ भी उनको बारिश के पानी से बचा नहीं पा रहा था। दोनों थोड़ा सा भीग गए थे। वो बंजारन कनखियों से बार-बार सोनू की तरफ देख रही थी।
“तुम यहाँ के तो नहीं लगते.. किसी के घर पर मेहमान बन कर आए हो?” उस बंजारन ने सोनू से पूछा।
सोनू ने एकदम चौंकते हुए कहा- जी.. जी.. हाँ..।
फिर अचानक से उस बंजारन की नज़र थोड़ी दूरी पर बने एक कमरे की तरफ पड़ी। दूर से देखने पर ही वो ख़स्ता हालत में लग रहा था। बंजारन ने उस तरफ इशारा करते हुए कहा- वहाँ पर एक कमरा है, शायद वहाँ कोई हो..।”
ये कह कर वो बंजारन तेज़ी से चलते हुए, उस कमरे की तरफ जाने लगी। उसने अपने ऊपर ओढ़े हुए कंबल को उतार कर अपनी बाँहों में छुपा लिया, ताकि वो गीला ना हो। सोनू भी उसके पीछे हो लिया।
जब दोनों उस कमरे के पास पहुँचे, तो उस कमरे पर एक बड़ा सा ताला लगा हुआ था.. जो कि जंग खाया हुआ था.. जिससे पता चजया था कि उस कमरे में बरसों से कोई नहीं रह रहा है। जिसे देख कर वो बंजारन थोड़ा परेशान हो गई.. बारिश तेज होती जा रही थी।
उस कमरे के पीछे बहुत से पेड़ लगे हुए थे। उसने सोचा यहाँ पर भीगने से अच्छा है कि वो पीछे पेड़ों के नीचे जाकर खड़ी हो जाए और वे दोनों कमरे के पीछे के तरफ पेड़ों की तरफ आ गए। सर्दी अब बहुत ज्यादा बढ़ गई थी। काले बादलों ने अंधेरा सा कर दिया था। जबकि अभी शाम के 5 ही बजे थे।
तभी सोनू को कमरे के पीछे एक खिड़की दिखाई दी, जो टूटी हुई थी।
“ये देखो.. जहाँ से अन्दर जाया जा सकता है।” सोनू ने खुश होते हुए कहा। खिड़की ज्यादा उँची नहीं थी, महज 3 फुट उँची खिड़की से आसानी से अन्दर घुसा जा सकता था।