hotaks444
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एक बार फिर निकुंज ने अपने हाथ को निक्की की जाँघ पर रख दिया और फॉरन उसकी बहेन का कांपता जिस्म बुरी तरह लहराने लगा.
" ओह भाई मत छुओ !!! मुझे कुछ कुछ होता है " ....... निक्की ने अपनी नशीली आँखों को अपने भाई की आँखों से जोड़ कर कहा .... उसकी उमंग, उत्तेजना, कामुकता सब उसके शरीर पर हावी हो चली थी.
" वही तो मैं जानना चाहता हूँ निक्की .. तुझे कुछ कुछ क्या होता है " ....... निकुंज ने अपने हाथ को मूव्मेंट देना शुरू कर दी .... हौले हौले उसकी उंगलियाँ निक्की के सॉफ्ट कपड़े के लोवर में गढ़ती जा रही थी और कुछ देर पश्चात ही वह अपने हाथ को अपनी बहेन की कुँवारी चूत की दिशा में आगे बढ़ाने लगा.
निक्की की आँखें इशारों में अपनी भाई को समझाने की व्यर्थ कोशिशें करती रही परंतु इसके ठीक ऑपोसिट वह निकुंज के हाथ को जल्द से जल्द अपनी स्पंदानशील चूत के मुहाने पर महसूस करना चाहती थी.
वहीं दूसरी तरफ सत्यता कुछ ऐसी थी कि निकुंज का सॉफ दिल उसे लाख बार इस घ्रनित कार्य को बंद करने की चेतावनी दे चुका था लेकिन उसका पापी मन उसे अपने दिल की कोई बात नही मानने दे रहा था और इसीलिए वह अपनी बहेन के जवाब को जाने बिना पिछे लौटने को कतयि तैयार नही था.
" तुझे अच्छा लग रहा है ना निक्की ? " ....... आख़िरकार निकुंज के शॉर्ट्स में क़ैद उसका हार्ड लंड अपनी आज़ादी की गुहार लगाने लगा और इसके चलते उसका दूसरा हाथ खुद ब खुद अड्जस्टमेंट की गरज से अपने लंड के ऊपर घूमने लगा .... निक्की की चोर नज़रो ने जब अपने भाई की शॉर्ट्स में बड़ा सा तंबू बनता देखा इसके फॉरन बाद उसके बदन में ऐंठन आनी शुरू हो गयी.
" माफ़ करना बेटा !!! मैं उत्तेजित हूँ " ....... निकुंज बेशर्मी से बोला और तेज़ी से अपने विशाल लंड को मसल्ने लगा .... निक्की अपने भाई की इस नीच हरकत को सहेन नही कर पाई और उसके मन में निकुंज के प्रति जो भी लालसाएँ जन्मी थी .... उसने फ़ैसला कर लिया कि अब वह सारे भेद अपने भाई पर ज़ाहिर कर देगी.
निकुंज की अश्लील हरकतों ने निक्की के जिस्म में आग लगा कर रख दी थी और बाकी का काम उसकी सोच ने पूरा कर दिया .... " बस बहुत हुआ !!! अब मेरी बारी है " .... उसने अपने मन ने सोचा .... " हमेशा मैं ही क्यों मजबूर हो जाती हूँ और भाई मेरी लाचारी को मेरी कमज़ोरी समझते हैं " .... उसे याद आया ... जब जब वह अति उत्तेजना वश काम विभोर हुई, उसके भाई ने हर बार उसे अधर में लटकाया था और इस वक़्त भी हालात सेम हैं.
निकुंज खुद तो अपने लंड को मसल कर मज़े ले रहा है लेकिन अब तक उसने अपना हाथ अपनी बहेन की चूत तक नही पहुचाया था और तभी निक्की समझ गयी ... उसका भाई सिर्फ़ उसकी भावनाओ से खिलवाड़ कर रहा है.
" भाई !!! मुझे सुसू जाना है " ....... निक्की ने अचानक से नया राग अलाप दिया और शायद इसके ज़रिए वह कुछ देर के लिए अपने भाई की गिरफ़्त से आज़ाद होना चाहती थी .... साथ ही पेशाब करने से उसकी चूत में भड़कते प्रेशर का भी काफ़ी हद्द तक निवारण हो जाना था और यक़ीनन इसके पश्चात वह डाट कर निकुंज की हर्कतो का सामना कर सकती थी.
" लेकिन अभी कैसे .. हम रोड पर हैं निक्की " ....... यह कह कर निकुंज ने अपने हाथ को ऊपर सरकाते हुए ठीक उसे अपनी बहेन की चूत से चार अंगुल नीचे रोक लिया.
" तो क्या हुआ भाई .... मैं उस झाड़ी के पीछे कर लूँगी, मुझसे अब कंट्रोल नही होगा " ........ निक्की ने अपने हाथ से निकुंज का हाथ पकड़ कर कहा और अपना निच्छला होंठ दांतो में दबा कर अपनी सारी शक्ति एक जगह केंद्रित कर ली .... इसके फॉरन बाद उसने बिना किसी अतिरिक्त घबराहट के अपने भाई का हाथ सीधे अपनी रस छोड़ती चूत पर दबा दिया.
" उफफफफफफ्फ़ !!! देखो ना भाई .. आधी तो मैने लोवर में कर दी " ....... हलाकी चन्द लम्हो के पश्चात ही उसने निकुंज का हाथ वापस अपनी चूत से अलग कर दिया था लेकिन वह नही जानती थी इसका रिज़ल्ट कितना घातक हो सकता है .... निकुंज क्या किसी भी मर्द के लिए इस हमले को सह पाना नामुमकिन होता और अब उसका भाई खो चुका था.
" भाई !!! मैं जाउ सूसू करने ? " ...... कुछ देर चुप रहने के बाद निक्की ने उससे पूछा लेकिन निकुंज का माइंड तो कहीं और ही घूम रहा था .... जब निक्की ने उसके चेहरे पर गौर किया तो पाया उसका भाई एक टक अपने हाथ को घूरे जा रहा है और यह नज़ारा देखते ही निक्की की हसी छूट गयी .... उसने अपने भाई की जाँघ पर हाथ रख कर ज़ोर से उसे झकझोर दिया और दोबारा अपना सवाल दोहराया.
" मैं सच कह रही थी ना भाई .. देखो आप का हाथ भी गीला हो गया .. अब मैं जाउ सूसू करने ? " ...... बड़ी मासूमियत अपने चेहरे पर लाते हुए वा बोली ........ " क .. क्या .. ओह हां .. तू चली जा " ........ निकुंज ने हड़बड़ाते हुए उसकी बात का जवाब दिया और अपनी नज़रें उसके चेहरे से फेर ली.
अपनी अग्रिम विजय पर निक्की मुस्कुरा उठी और गेट खोल कर कार से नीचे उतर गयी .... अभी वे लोग हाइवे पर थे और जिस झाड़ी के पिछे उसे पेशाब करने जाना था उसकी दूरी कार से महज दस बारह कदमो के डिस्टेन्स पर होगी.
झाड़ी के पिछे जाने से पूर्व निक्की ने पलट कर एक नज़र कार की तरफ देखा .... बंद शीशे में भी वह सॉफ देख पा रही थी कि निकुंज अपने हाथ पर लगे .... अपनी बहेन की चूत के पानी को सूंघ रहा है या शायद चाट रहा हो और उसी क्षण निक्की की चूत उबल पड़ी.
अब वह जान कर ऐसी जगह बैठना चाहती थी कि यदि उसके भाई की आँखें झाड़ियों के पीछे का नज़ारा देखना चाहें तो उसे अपनी बहेन के हर मूव्मेंट का बिल्कुल क्लियर व्यू दिखाई दे और जल्द ही निक्की ने वह जगह ढूँढ ली .... जहाँ पट्टियों की डेन्सिटी नाम मात्र की थी.
इसके बाद वह पलट कर खड़ी हो गयी ताकि पहले उसकी गान्ड का नज़ारा निकुंज को दिखाई पड़े .... हलाकी वह फुल्ली श्योर नही थी कि उसका भाई उसकी तरफ देखेगा लेकिन उसे ऐसी आशा थी कि वह ज़रूर देखे.
निक्की ने बड़े सेडक्टिव वे में अपनी गान्ड को बाहर की तरफ निकाला और फिर दोनो हाथ कमर पर रखते हुए अपने लोवर की एलास्टिक में उंगलियाँ फसा ली .... वह जानती थी यह काफ़ी नीच कार्य है लेकिन अपने भाई को सबक सिखाने के लिए उसे यह करना था और इसके बाद उसने किसी पोर्न्स्टार की तरह अपनी गान्ड मटकाते हुए लोवर को नीचे सरकाना शुरू कर दिया .... मन ही मन वह ऊपरवाले से दुआ माँग रही थी कि उसका भाई उसकी गान्ड देखे और लोवर को अपने घुटनो तक उतारने के बाद उसने सेम अंदाज़ में अपनी गीली पैंटी भी नीचे सरका ली.
" ओह भाई मत छुओ !!! मुझे कुछ कुछ होता है " ....... निक्की ने अपनी नशीली आँखों को अपने भाई की आँखों से जोड़ कर कहा .... उसकी उमंग, उत्तेजना, कामुकता सब उसके शरीर पर हावी हो चली थी.
" वही तो मैं जानना चाहता हूँ निक्की .. तुझे कुछ कुछ क्या होता है " ....... निकुंज ने अपने हाथ को मूव्मेंट देना शुरू कर दी .... हौले हौले उसकी उंगलियाँ निक्की के सॉफ्ट कपड़े के लोवर में गढ़ती जा रही थी और कुछ देर पश्चात ही वह अपने हाथ को अपनी बहेन की कुँवारी चूत की दिशा में आगे बढ़ाने लगा.
निक्की की आँखें इशारों में अपनी भाई को समझाने की व्यर्थ कोशिशें करती रही परंतु इसके ठीक ऑपोसिट वह निकुंज के हाथ को जल्द से जल्द अपनी स्पंदानशील चूत के मुहाने पर महसूस करना चाहती थी.
वहीं दूसरी तरफ सत्यता कुछ ऐसी थी कि निकुंज का सॉफ दिल उसे लाख बार इस घ्रनित कार्य को बंद करने की चेतावनी दे चुका था लेकिन उसका पापी मन उसे अपने दिल की कोई बात नही मानने दे रहा था और इसीलिए वह अपनी बहेन के जवाब को जाने बिना पिछे लौटने को कतयि तैयार नही था.
" तुझे अच्छा लग रहा है ना निक्की ? " ....... आख़िरकार निकुंज के शॉर्ट्स में क़ैद उसका हार्ड लंड अपनी आज़ादी की गुहार लगाने लगा और इसके चलते उसका दूसरा हाथ खुद ब खुद अड्जस्टमेंट की गरज से अपने लंड के ऊपर घूमने लगा .... निक्की की चोर नज़रो ने जब अपने भाई की शॉर्ट्स में बड़ा सा तंबू बनता देखा इसके फॉरन बाद उसके बदन में ऐंठन आनी शुरू हो गयी.
" माफ़ करना बेटा !!! मैं उत्तेजित हूँ " ....... निकुंज बेशर्मी से बोला और तेज़ी से अपने विशाल लंड को मसल्ने लगा .... निक्की अपने भाई की इस नीच हरकत को सहेन नही कर पाई और उसके मन में निकुंज के प्रति जो भी लालसाएँ जन्मी थी .... उसने फ़ैसला कर लिया कि अब वह सारे भेद अपने भाई पर ज़ाहिर कर देगी.
निकुंज की अश्लील हरकतों ने निक्की के जिस्म में आग लगा कर रख दी थी और बाकी का काम उसकी सोच ने पूरा कर दिया .... " बस बहुत हुआ !!! अब मेरी बारी है " .... उसने अपने मन ने सोचा .... " हमेशा मैं ही क्यों मजबूर हो जाती हूँ और भाई मेरी लाचारी को मेरी कमज़ोरी समझते हैं " .... उसे याद आया ... जब जब वह अति उत्तेजना वश काम विभोर हुई, उसके भाई ने हर बार उसे अधर में लटकाया था और इस वक़्त भी हालात सेम हैं.
निकुंज खुद तो अपने लंड को मसल कर मज़े ले रहा है लेकिन अब तक उसने अपना हाथ अपनी बहेन की चूत तक नही पहुचाया था और तभी निक्की समझ गयी ... उसका भाई सिर्फ़ उसकी भावनाओ से खिलवाड़ कर रहा है.
" भाई !!! मुझे सुसू जाना है " ....... निक्की ने अचानक से नया राग अलाप दिया और शायद इसके ज़रिए वह कुछ देर के लिए अपने भाई की गिरफ़्त से आज़ाद होना चाहती थी .... साथ ही पेशाब करने से उसकी चूत में भड़कते प्रेशर का भी काफ़ी हद्द तक निवारण हो जाना था और यक़ीनन इसके पश्चात वह डाट कर निकुंज की हर्कतो का सामना कर सकती थी.
" लेकिन अभी कैसे .. हम रोड पर हैं निक्की " ....... यह कह कर निकुंज ने अपने हाथ को ऊपर सरकाते हुए ठीक उसे अपनी बहेन की चूत से चार अंगुल नीचे रोक लिया.
" तो क्या हुआ भाई .... मैं उस झाड़ी के पीछे कर लूँगी, मुझसे अब कंट्रोल नही होगा " ........ निक्की ने अपने हाथ से निकुंज का हाथ पकड़ कर कहा और अपना निच्छला होंठ दांतो में दबा कर अपनी सारी शक्ति एक जगह केंद्रित कर ली .... इसके फॉरन बाद उसने बिना किसी अतिरिक्त घबराहट के अपने भाई का हाथ सीधे अपनी रस छोड़ती चूत पर दबा दिया.
" उफफफफफफ्फ़ !!! देखो ना भाई .. आधी तो मैने लोवर में कर दी " ....... हलाकी चन्द लम्हो के पश्चात ही उसने निकुंज का हाथ वापस अपनी चूत से अलग कर दिया था लेकिन वह नही जानती थी इसका रिज़ल्ट कितना घातक हो सकता है .... निकुंज क्या किसी भी मर्द के लिए इस हमले को सह पाना नामुमकिन होता और अब उसका भाई खो चुका था.
" भाई !!! मैं जाउ सूसू करने ? " ...... कुछ देर चुप रहने के बाद निक्की ने उससे पूछा लेकिन निकुंज का माइंड तो कहीं और ही घूम रहा था .... जब निक्की ने उसके चेहरे पर गौर किया तो पाया उसका भाई एक टक अपने हाथ को घूरे जा रहा है और यह नज़ारा देखते ही निक्की की हसी छूट गयी .... उसने अपने भाई की जाँघ पर हाथ रख कर ज़ोर से उसे झकझोर दिया और दोबारा अपना सवाल दोहराया.
" मैं सच कह रही थी ना भाई .. देखो आप का हाथ भी गीला हो गया .. अब मैं जाउ सूसू करने ? " ...... बड़ी मासूमियत अपने चेहरे पर लाते हुए वा बोली ........ " क .. क्या .. ओह हां .. तू चली जा " ........ निकुंज ने हड़बड़ाते हुए उसकी बात का जवाब दिया और अपनी नज़रें उसके चेहरे से फेर ली.
अपनी अग्रिम विजय पर निक्की मुस्कुरा उठी और गेट खोल कर कार से नीचे उतर गयी .... अभी वे लोग हाइवे पर थे और जिस झाड़ी के पिछे उसे पेशाब करने जाना था उसकी दूरी कार से महज दस बारह कदमो के डिस्टेन्स पर होगी.
झाड़ी के पिछे जाने से पूर्व निक्की ने पलट कर एक नज़र कार की तरफ देखा .... बंद शीशे में भी वह सॉफ देख पा रही थी कि निकुंज अपने हाथ पर लगे .... अपनी बहेन की चूत के पानी को सूंघ रहा है या शायद चाट रहा हो और उसी क्षण निक्की की चूत उबल पड़ी.
अब वह जान कर ऐसी जगह बैठना चाहती थी कि यदि उसके भाई की आँखें झाड़ियों के पीछे का नज़ारा देखना चाहें तो उसे अपनी बहेन के हर मूव्मेंट का बिल्कुल क्लियर व्यू दिखाई दे और जल्द ही निक्की ने वह जगह ढूँढ ली .... जहाँ पट्टियों की डेन्सिटी नाम मात्र की थी.
इसके बाद वह पलट कर खड़ी हो गयी ताकि पहले उसकी गान्ड का नज़ारा निकुंज को दिखाई पड़े .... हलाकी वह फुल्ली श्योर नही थी कि उसका भाई उसकी तरफ देखेगा लेकिन उसे ऐसी आशा थी कि वह ज़रूर देखे.
निक्की ने बड़े सेडक्टिव वे में अपनी गान्ड को बाहर की तरफ निकाला और फिर दोनो हाथ कमर पर रखते हुए अपने लोवर की एलास्टिक में उंगलियाँ फसा ली .... वह जानती थी यह काफ़ी नीच कार्य है लेकिन अपने भाई को सबक सिखाने के लिए उसे यह करना था और इसके बाद उसने किसी पोर्न्स्टार की तरह अपनी गान्ड मटकाते हुए लोवर को नीचे सरकाना शुरू कर दिया .... मन ही मन वह ऊपरवाले से दुआ माँग रही थी कि उसका भाई उसकी गान्ड देखे और लोवर को अपने घुटनो तक उतारने के बाद उसने सेम अंदाज़ में अपनी गीली पैंटी भी नीचे सरका ली.