Porn Sex Kahani पापी परिवार - Page 27 - SexBaba
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Porn Sex Kahani पापी परिवार

बीती रात डिन्नर के दौरान उसकी मा ने एलान किया था "कल सुबह से मैं भी तुम दोनो के साथ घूमने जाया करूँगी" मा की मौजूदगी में निकुंज अपनी बहेन के साथ ना तो प्यार भरी बातें कर पाता और ना कोई विशेष छेड़-छाड़, इस लिए वह अकेला ही निकल पड़ा था.


कार का सेल्फ़ स्टार्ट करते वक़्त वह विचार-मग्न था और जैसे ही उसने अपनी गहेन सोच पर विराम पाया, अपने आप उसके होंठो पर कुटिल मुस्कान तैरने लगी. तत-पश्चात गियर डालने के उपरांत उसकी कार तेज़ी से मंज़िल की ओर प्रस्थान कर गयी.


"बोरीवली का सेक्टर-19 तो यही है" कोई 30 मिनिट से वह ड्राइव कर रहा था "यहा से कहाँ लेना है ?" खुद से प्रश्न कर उसने अपनी आँखें मूंदी और जल्द ही उसे उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया "दाएँ से तीसरी बिल्डिंग होनी चाहिए" वह उसी दिशा की ओर मूड गया.


"ह्म्म !! कुच्छ भी तो नही बदला यहाँ" कार से बाहर निकल कर उसने अतीत की बीती यादों पर गौर फ़रमाया और इसके फॉरन बाद उस मुल्टिस्टोरी बिल्डिंग के 5थ फ्लोर पर अपनी नज़र गढ़ा दी.


"नीमा आंटी !! आख़िर-कार आप का दीवाना आप से मिलने आ ही गया" कहते हुए वह लिफ्ट के ज़रिए फ्लॅट न. 503 के सामने पहुचा और बेल बजा दी.


नीमा के घर जाने का प्लान निकुंज ने बीती रात बनाया था. सुबह के वक़्त घूमने का बहाना उस पर किसी प्रकार का कोई भी शक़ पैदा नही करता.


आज-कल के बच्चों की दिन-चर्या के क्या कहने, खुद अपनी छोटी बहें निम्मी के बिगड़े शेड्यूल से वह पूरी तरह वाकिफ़ था. आंटी की चुदाई ना सही कम से कम उनकी नज़र में अच्छा बच्चा तो बना ही जा सकता है.


ऐसा प्लान कर वह सुबह की पहली किरण के साथ, नीमा के फ्लॅट के सामने खड़ा था.


"लगता है आंटी का शेड्यूल भी खराब है या कहीं मैं ज़्यादा जल्दी तो नही आ गया ?" घंटी बजाने के काफ़ी देर बाद जब गेट नही खुला तो निकुंज ने अपने सेल में टाइम देखा.


"यार !! 6:30 होने वाले हैं" उसके मूँह से यह शब्द फूटे ही थे और तभी नीमा ने अपनी उनीदी आँखों से गेट खोल दिया.


"नमस्ते आंटी" फ्लॅट की मालकिन को चौंकाते हुए वह मुस्कुराया और नीमा हैरानी से उसे वहाँ खड़ा देख, अपने अध खुले नयन ज़ोर-ज़ोर से मलने लगी.


"मैने कहा जी !! नमस्ते" अपनी उपस्थिति का प्रमाण देते हुए निकुंज ने दोबारा उसे आवाज़ दी.


"ओह निकुंज !! आओ-आओ, अंदर आओ" कहती हुई वह दरवाज़े से पिछे हटी और निकुंज उसके फ्लॅट में प्रवेश कर गया.


"माफी चाहूँगा आंटी जी !! मैने खमोखा आप की और बच्चो की नींद खराब कर दी" फ्लॅट के अंदर अंधेरा कायम देख निकुंज बोला.


"नही-नही बेटा !! ऐसी कोई बात नही. मैं बस उठने ही वाली थी" आस पड़ोस के लोगो की नज़र निकुंज पर ना पड़ जाए इस लिए फॉरन नीमा ने मैन गेट की कड़ी लगा दी.


घर पर अकेली होने के कारण बीती रात वा नंगी सोई थी और जब घंटी की तेज़ ध्वनि ने उसे, उसकी नग्नता से परिचित करवाया तो जल्द बाज़ी में व/ओ अंडरगार्मेंट्स, एक नी लेंग्थ महरूण नाइटी पहेन कर वह दरवाज़ा खोलने चली आई थी.


प्रथम मुलाक़ात के अगले ही दिन निकुंज उसके घर पहुच जाएगा, यह नीमा की कल्पना से बिल्कुल परे था "कुच्छ तो गड़बड़ है" मन में ऐसे काई विचारों से उलझती वह निकुंज के समीप आ गयी.


"अरे बेटा खड़े क्यों हो, बैठो ना. मैं लाइट ऑन करती हूँ" वह सोफे की ओर इशारा कर बोली. हलाकी सूर्या-देव का आगमन काफ़ी देर पहले हो चुका था मगर खिड़कियों पर चढ़े, मोटे पर्दों की वजह से घर में पूर्ण अंधकार था.


"ओ भेन्चो" लाइट ऑन होते ही निकुंज के मूँह से निकलते-निकते बचा "कितना गदराया माल हैं, मेरी नीमा आंटी" महरूण नी लेंग्थ नाइटी पहने खड़ी नीमा का लुक बेहद एरॉटिक था.
 
पापी परिवार--59



निकुंज की कमीनी आँखें चन्द सेकेंड्स का वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाते हुए अपनी आंटी की छर्हरि काया का काफ़ी हद्द तक अनुमान लगा लेती हैं "इतमीनान रख, फ्यूचर में बहुत कुच्छ देखने मिलेगा" और अपने उतावले मन को सबर रखने की सलाह दे कर वह फॉरन दीवार पर चिपकी पैंटिंग निहारने लगता है.


लाइट ऑन करने के उपरांत नीमा भी अपनी तिर्छि निगाहो से निकुंज की ओर देखती है लेकिन वह उसकी नजरो को कमरे की सुंदरता में खोया पाती है "कम्मो ने ठीक कहा था, ये तो वाकाई बहुत सीधा है. वरना पराई औरत को ऐसे कपड़े में देख कर तो किसी भी मर्द का बुरा हाल हो जाए"


"बेटा !! मम्मी कैसी हैं ?" निकुंज का ध्यान अपनी ओर खीचने के उद्देश्य से नीमा ने सवाल किया और बड़ी मस्तानी चाल चलती हुई ठीक उसके सामने आ कर खड़ी हो जाती है.


"बस ऊपरवाले की कृपा है" निकुंज कम स्याना नही था, वह ऐसे रिक्ट करता है, जैसे नीमा के रूप-स्वरूप का तनिक भी जादू उस पर ना चल पाया हो.


"बच्चे सो रहे हैं क्या आंटी ?" निकुंज ने नॉर्मल टोन में पुछा. यह जानते हुए भी कि नीमा उसके बेहद समीप खड़ी है, उसकी आँखों ने ऊपर उठने की कोई कोशिश नही की.


काफ़ी दीनो से घटित हो रही घटनाओ के प्रभाव से निकुंज ने खुद पर सैयम की मजबूत पकड़ बना ली थी और अभी वह उसी का भरपूर उपयोग, नीमा जैसी सुंदरी को इग्नोर करने में कर रहा था.


"मैं भी कितनी पागल हूँ !! एक अरसे बाद घर आए हो और मैने पानी तक नही पुछा" बच्चो वाले सवाल को पेंडिंग रख नीमा फ्रिड्ज की दिशा में जाती हुई बोली.


"ऐसी कोई बात नही आंटी !! अकटुल्ली सेक्टर-16 में एक दोस्त के घर मिलने गया था और लौट-ते वक़्त याद आया सेक्टर-19 में आप रहती हो. बस आ गया सुबह-सुबह परेशान करने" अपने आगमन का झूठा व्रतांत सुनाते हुए वह नीमा के ह्रष्ट-पुष्ट चूतडो का लुफ्त उठाता है, जो इस वक़्त काफ़ी झुक कर फ्रिड्ज से बोतल निकाल रही थी.


"निकुंज !! ठंडा पानी नुकसान तो नही करेगा ना ?" बीते रोज जिस तरह नीमा की अचूक चाल का शिकार कम्मो हुई थी ठीक उसी प्रकार आज निकुंज भी हो गया.


जैसे ही नीमा अपनी गर्दन पिछे घुमा कर निकुंज से सवाल करती है, वह उसे, उसके चूतडो को घूरता नज़र आता है और यह देख फॉरन नीमा के होंठो पर मुस्कान फैल जाती है.


"न .. नही तो आंटी, ठंडा पानी चलेगा" पकड़े जाने के डर से निकुंज की आवाज़ हक़लाने लगी और उसे अपने चुतियापे पर अफ़सोस होता है. सीधेपन का जो खेल अब तक वह अपनी आंटी के साथ खेल रहा था, एक पल में उसकी कमान नीमा के हाथो में जा चुकी थी.


"लो बेटा पानी पियो" नीमा ने ग्लास उसकी की ओर बढ़ा कर कहा, निकुंज का शर्मसार चेहरा देखने में उसे बहुत मज़ा आ रहा था.


"निकुंज !! मैं फ्रेश हो कर आती हूँ, तुम चाहो तब तक फ्लॅट देख सकते हो, या जो तुम्हारा मन करे मगर प्लीज़ बाल्कनी की ओर मत जाना" इतना कह कर नीमा स्माइल देती हुई अपने बेडरूम की तरफ मूड जाती है.


"यह मैने क्या कर दिया" क्रोध में भर कर निकुंज अपने गाल पर चपत लगता है और यह नीमा बेडरूम के दरवाज़े के पिछे से छुप कर देख रही थी.


"बड़ा अक़ल्मंद बन रहा था. बच्चू !! आज मैं तुझे बताउन्गि, नीमा कितनी कुत्ति चीज़ है" मन में ऐसा प्रण कर वह बाथरूम के अंदर एंटर हो जाती है.


कुच्छ देर दिमागी घोड़े दौड़ाने के उपरांत निकुंज को राह नज़र आई "यदि बच्चे उठ जाएँ तो आंटी का सामना ज़्यादा ना करना पड़े" ऐसा संकेत प्राप्त होते ही वह तीव्र गति से कमरो की तलाशी लेने लगता है मगर हाए रे फूटी किस्मत, हर कमरा खाली था.


"कहीं आंटी के बेडरूम में तो नही सो रहे ?" निकुंज ने सोचा ज़रूर लेकिन उस कमरे की ओर जाने में उसके पाव काँप रहे थे.


दूर से देखने पर भी पता चल रहा था, बेडरूम का दरवाज़ा बोल्ट नही है "हिम्मत रख निकुंज, हिम्मत रख" खुद को दिलासा देते हुए वह हौले-हौले अपने कदम आगे बढ़ाने लगा और दरवाज़े के एक-दम करीब पहुच कर वह, झिरी से कमरे के अंदर का भूगोल देखने की कोशिश करता है.


"शिट मॅन" अचानक से उसका गला सूख गया और लोवर के अंदर क़ैद उसके सोए लौडे ने पल भर में दर्ज़नो ठुमके मार दिए. बेडरूम के अंदर का नज़ारा ही कुच्छ ऐसा था जो इतना भयभीत होने के बावजूद निकुंज वहाँ मक्खी की भाँति चिपक कर रह जाता है.


बिस्तर के ठीक बगल से अपनी एक टाँग पर खड़ी उसकी आंटी नीमा, बिल्कुल नंगी, हवा में विचरण करती अपनी दूसरी टाँग के अंतिम छोर से कोई कच्छि नुमा गुलाबी कपड़ा, ऊपर को चढ़ने के प्रयास में जुटी थी.


"उफ़फ्फ़ !! कितनी गोल मटोल गान्ड है" निकुंज ने दबे स्वर में आह ली "इसका मतलब बच्चे घर पर मौजूद नही है, वरना एक मा नंगी हो कर कमरे में यूँ बेशर्मी से ना घूमती" उसने तर्क दिया.


गुलाबी कपड़ा अपनी एक टाँग की मांसल जाँघ तक चढ़ने में सफल होते ही नीमा ने उसे दूसरी टाँग के छोर से अंदर डाला और जब कपड़ा उसकी दोनो जाँघो के समानांतर आ गया तब जा कर निकुंज को अंदाज़ा हुआ कि वह छोटा सा कपड़ा गुलाबी स्ट्रिचबल कॅप्री है.


"ऐसा लग रहा है जैसे अभी भी नंगी हो" स्किन टाइट कॅप्री चूतडो से बुरी तरह चिपक कर उनका क्लियर &; पर्फेक्ट शेप शो कर रही थी.


सॉफ्ट, कलर मॅचिंग टाइट टॉप पहेन कर नीमा अब फुल्ली रेडी थी.


थोड़ी देर पहले निकुंज की जिन आँखों में डर था अब उनमें उत्तेजना की ज्वाला जल रही थी.
 
नीमा के आगमन से पूर्व निकुंज वापस ग्वेस्टर्म के सोफे पर आ कर बैठ गया, इस वक़्त उसके दिल ओ दिमाग़ में सिर्फ़ उसकी आंटी की नंगी काया भ्रमण कर रही है और जिसके प्रभाव से उसके पाजामे में क़ैद उसका लंड किसी चट्टान समान कड़क हो चुका था.


अंतिम क्षणो में नीमा ने मिरर में खुद को निहारा, वह हॉट से कहीं ज़्यादा हॉट दिख रही थी "मगर क्या यह सही रहेगा ?" उसने सोचा "वह मेरी दोस्त का बेटा है, कोई गड़बड़ हो गयी तो ?"


"ऐसे मौके दोबारा नही मिलते नीमा, जो होगा सो देखा जाएगा" उसने सहसा अपने ख़यालों से बाहर आते हुए, खुद से कहा "फिर निकुंज भी तो गुनेहगार बनेगा" और इस पक्के इरादे के साथ, कि आज वह अपनी सबसे अच्छी दोस्त के जवान बेटे संग मस्ती करने वाली है. सेक्स की प्यासी, उस दूसरी कुंठित मा ने अपनी चूत में सनसनी महसूस की.


"बेटा !! बोर हो गये होगे, है ना ?" नीमा ने अथितिकक्ष में अपने आने की उपस्थति दर्ज़ करवाते हुए पुछा.


"नही आंटी !! मैं तो ज़रा भी बोर नही हुआ" निकुंज जवाब देता है. अपनी आंटी के नंगे बदन का चक्षु-चोदन कर वह धन्य जो हो गया था.


"अच्छा तो तुमने फ्लॅट देखा ?" आख़िर वो क्षण भी आ गया, जब वह निकुंज के सोफे के विपरीत रखे सोफे पर निश्चिंत-ता पूर्वक बैठ जाती है और उसके प्रथम दीदार के उपरांत ही निकुंज के आकड़े लौडे का सूजा सुपाडा, गाढ़े रस की बूंदे उगलने लगता है.


अति-उत्तेजित अवस्था में भी निकुंज खुद पर सैयम बनाए रखने को पूरा प्रयास-रत था और फॉरन अपनी आँखों का जुड़ाव नीमा के कामुक यौवन से हटा कर, कमरे में स्थापित अन्य वस्तुओ से जोड़ देता है.


"पूरा फ्लॅट देख लिया ?" नीमा ने आश्चर्यचकित होने का भ्रम पैदा किया. निकुंज की नजरो से विमुख होने के परिणाम-स्वरूप वह खुल कर उसके पाजामे के ऊपर उभरे तंबू का अवलोकन करने में खो सी जाती है.


"हां बिल्कुल !! इस तरफ बच्चो का कमरा, उस तरफ स्टोर रूम, यहाँ किचन और वहाँ बाल्कनी की गॅलरी" निकुंज उसकी हैरानी को मिटाने का प्रयत्न करता है "वहाँ आप का बेडरूम, कुच्छ चेंजस ज़रूर हुए हैं मगर मुझे सब याद है आंटी" कहते हुए वह मुस्कुराता है.


"ओह निकुंज !! यह तुमने क्या किया. मेरे बेडरूम के अंदर तो मैं चेंज कर रही थी और तुमने" अचानक से नीमा ने विस्फोट किया और झुटि लज्जा का सच्चा प्रदर्शन करते हुए, अपने खुले मुख पर हाथ रख वह निकुंज का चेहरा घूर्ने लगती है.


"न .. नही आंटी !! ऐसा कुच्छ भी नही हुआ" वह घबराया. नीमा के काल्पनिक तुक्के द्वारा उसकी चोरी पकड़े जाने के भय से, उसकी ज़ुबान लड़खड़ा उठती है.
 
"कम से कम झूठ बोलना तो सीख लो निकुंज !! मैने तो यह सोच कर बेडरूम का गेट अंदर से लॉक नही किया था कि तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त के बेटे हो मगर तुमने तो मेरे विश्वास की धज्जियाँ उड़ा कर रख दी निकुंज. अब मैं कम्मो को कैसे अपना मूँह दिखा सकूँगी" ड्रामा क्वीन नीमा सिसकी और अपनी दोनो अध-नंगी टाँगो को सोफे के ऊपर रख, घुटनो पर अपना सर झुका कर बैठ जाती है. उसकी नी'स तो आपस में जुड़ी हुई हैं मगर तलवे एक-दूसरे से काफ़ी दूर.


नीमा आंटी की यह नयी पोज़िशन देख, गान्ड फटने के बावजूद निकुंज को अपने लौडे में अविश्वसनीय कठोरता महसूस होती है. छोटी कच्छि नुमा गुलाबी कॅप्री उसकी आंटी के विशाल वा फैले हुए चूतडो की गहरी दरार में घुस कर, लगभग गायब सी हो गयी थी.


"आंटी को मनाना पड़ेगा, वरना बात मोम को पता चल जाएगी और फिर" निकुंज भविश्य के कयास लगाने लगता है "ग़लती क़ुबूल करने मैं ही भलाई है, हो सकता है आंटी मुझे माफ़ कर दें और फिर मैने जान-बुझ कर तो कुच्छ किया नही. वे भी तो इसमे बराबर की हिस्से-दार हैं" ऐसा सोच कर फॉरन निकुंज अपने सोफे से उठ खड़ा हुआ और नीमा के सोफे के ठीक सामने पहुच कर, नीचे फर्श पर बैठ जाता है.


"आइ'आम सॉरी आंटी" वह लो वाय्स में बोला मगर नीमा कोई जवाब नही देती "आंटी !! सुनिए तो सही" उसने दोबारा कहा. फर्श पर बैठे होने के कारण उसका चेहरा आंटी के नग्न सम्तुल्य चूतडो के बेहद करीब था.


एक तरफ निकुंज उसे आवाज़ देता जाता है और दूसरी तरफ रोम-रहित उसकी लंबी मांसल टाँगो का बारीकी से मुआयना भी करता है. द्रश्य की मनमोहकता इतनी प्रबल थी कि उसके काँपते होंठ बरबस आंटी के अविस्मरणीय चूतडो के पाट का रसीला चुंबन लेने को तरस रहे थे.


"आंटी" वह तड़प कर बोला "हां मैने बेडरूम के अंदर झाँका !! मगर आप ही ने तो कहा था, मैं फ्लॅट देख सकता हूँ" शब्दो से सच बयान करने के पश्चात वह अपना हाथ नीमा के झुके दाहिने कंधे पर रख देता है.


"मत छुओ मुझे और मत कहो आंटी" नीमा ने कंधा उचकाया, जैसे वह बहुत क्रोध में हो "मैने फ्लॅट देखने को ज़रूर कहा था लेकिन तुम तो मुझे कपड़े बदलते हुए देखने लगे और अब बेशर्मी से बता भी रहे हो कि तुमने मुझे नेकेड देखा" वह अपना सर घुटनो से उपर उठा कर बोलती है और उसका नाटकीय चेहरा बेहद उदास था.


"आप को रूम का गेट लॉक करना चाहिए था आंटी वरना मुझे कैसे पता चलता, अंदर आप किन हलातो में हो" निकुंज लगातार दलीलें पेश करता जा रहा था मगर नीमा तो जैसे कुच्छ भी सुनने को तैयार नही थी.


"मुझे कामिनी को तुम्हारी जाहिल करतूत बतानी है" वह गर्जि "मैं अभी उसे कॉल करती हूँ" घबराकर निकुंज फॉरन उसके निच्छले नंगे धड़ से बुरी तरह लिपट जाता है.
 
सोफे से उठने की झुटि चेष्टा करती नीमा के प्रयास को पूर्ण रूप से विफल करते हुए निकुंज की मजबूत व वृहद बाहें, उसकी सुडोल जाँघो को अपनी जाकड़ में कस चुकी थी और उसकी पत्थर समान छाति आंटी के घुटनो से चिपक जाती है.


निकुंज की यह हरक़त देख एक पल को नीमा भी सकते में आ गयी मगर ज्यों ही उसे अहसास हुआ "जीत का पलड़ा तो मेरी तरफ है" बहरूपी छवि की उस्ताद वह शातिर नारी अपने यौवन से भरपूर अध-नंगे बदन में अविश्वसनीय कामुक लचक लाने लगती है.


"छोड़ो मुझे" वह दोबारा चीखी लेकिन मन ही मन नौजवान निकुंज के असीम बल का गुणगान किया. नीमा के लगातार हिलने-डुलने के प्रभाव से निकुंज के हाथ भी निरंतर उसकी गोरी बाल-रहित टाँगो पर फिसलते जा रहे थे.


"आंटी !! सुनिए तो सही" उसने कहा और साथ ही नीमा के मचलते शरीर में स्थिरता लाने हेतु, अपने हाथ के पंजे से उसकी बाईं जाँघ अत्यंत कठोरता से भींच लेता है, जिसमें कुदरत ने ठूंस-ठूंस कर माँस भरा था.


"आह" हल्की पीड़ा और पराए मर्द का ज़्यादती स्पर्श. इस मिले-जुले संगम से ओत्पोत नीमा को महसूस होता है, जैसे निकुंज ने जाँघ की जगह उसकी चूत को अपनी विशाल मुट्ही में कस लिया हो. जाँघ के जिस स्थान पर उस जवान मर्द के हाथ की मजबूत पकड़ थी, वा नीमा की अति-संवेदनशील योनि से महज 5 या 6 अंगुल नीचे होगा.


"मैं कहती हूँ छोड़ो मुझे, वरना अंजाम बुरा होगा" अपनी आंटी की झुटि धमकी को सच मान कर निकुंज ने फॉरन उसे अपनी बाहों की जकड़न से आज़ाद कर दिया मगर असलियत में वह नही चाहती थी निकुंज ऐसा करे और इसके पश्चात ही उसे अपनी ग़लती पर पछतावा होने लगता है.


"मुझे कुच्छ बोलने का मौका तो दीजिए" निकुंज ने अपना सर नीचे झुका कर मिन्नत की "बिल्कुल नही दूँगी !! बच्चू" शरारती मुस्कान बिखेरती नीमा मन ही मन खुद से कहती है और अब आगे उसे क्या करना है, यह प्लान भी उसके कमीने दिमाग़ में सेट चुका था.


"उफ़फ्फ़ !! तुमने तो मुझे नोच लिया" नीमा के नये ड्रामे का आगाज़ हुआ और उसके यह लफ्ज़ कान में सुनाई पड़ते ही निकुंज ने हड़बड़ा कर उसकी ओर देखा.


"ओह्ह्ह !! कहीं जानवर तो नही हो ना तुम ?" नाटकीय अंदाज़ में दर्द के अनेको भाव चेहरे पर इकट्ठे कर, अपनी जाँघ के उस हिस्से को जिसे थोड़ी देर पहले निकुंज के पंजे ने जकड़ा था, सहलाती हुई वह उससे शिक़ायत करती है.


"सॉरी आंटी !! लाइए दिखाइए ज़रा" माफी माँगते हुए निकुंज बोला और इस बार नीमा ने भी कोई विरोध नही जताया, बल्कि खुद अपनी बाईं टाँग आयेज बढ़ा कर उसके हाथो के सुपुर्द कर दी.
 
सोफे की उँचाई पर बैठी नीमा की टाँग को सहारा देने के उद्देश्य से, फर्श की नीचाई पर बैठा निकुंज उसकी पिंडली थाम लेता है और इस वजह से उसकी आंटी की चोटिल जाँघ, उसकी आँखों के बेहद करीब आ जाती है. वाकाई जाँघ का वह हिस्सा लाल था जो शायद नीमा की गोरी रंगत और निकुंज की मर्दानी ताक़त का मिक्स नतीजा था.


"देखो ना निकुंज !! कितना रेड हो गया यहाँ" रुआसी आवाज़ में नीमा बोली. अपनी सबसे अच्छी दोस्त के जवान बेटे को, खुद के आध-नंगे यौवन का यूँ दीदार करते देख उसकी काम-उत्तेजना में तेज़ गति से वृद्धि होने लगती है.


"आंटी !! मैं अपनी ग़लती पर बहुत शर्मिंदा हूँ" निकुंज ने अफ़सोस जताया और बिना नीमा की आग्या के, उसकी जाँघ की चोटिल सतह पर अपने दूसरे खाली हाथ की उंगलियों का मुलायम घर्षण देना शुरू कर देता है.


चूँकि नीमा, निकुंज की अपेक्षा ज़्यादा समय से उसे फॅंटसाइज़ कर रही थी तो जल्द ही उसकी आँखें, निकुंज की लंबी उंगलियों की कोमल सहलाहट के एहसास मात्र से बंद होने के कगार पर पहुचने लगती हैं और तत-पश्चात पूर्ण रूप से मूंद जाती हैं.


वहीं निकुंज का ध्यान उसकी आंटी की जाँघ पर से तो कब का हट चुका था. उसकी बाज़ सी दृष्टि अब नीमा की गुलाबी कॅप्री में छुपि, उसकी फूली हुई चूत के उभार पर टिकी थी और कॅप्री के नीचे आंटी ने कच्छि नही पहनी है यह भी वह पहले से ही जानता था.


अचानक उसे नीमा की टाँग में कड़कपन आता महसूस हुआ, लगा जैसे उसका शरीर हल्का सा आकड़ा हो और इसके साथ ही निकुंज के दिल में जो ख़ौफ़ घर किए बैठा था, धीरे-धीरे दम तोड़ने लगता है.


"चान्स लेने में हर्ज़ नही और बच्चे भी बाहर हैं" उसकी सोच का घोड़ा लंबी छलान्ग मारते हुए दौड़ पड़ा और इसके उपरांत वह चोटिल जाँघ के उपचार रूपी नाज़ुक सहलाहट को सख़्त मालिश में तब्दील कर देता है.


नीमा के बंद नयन और चढ़ि साँसे यह स्पष्ट करने को काफ़ी थी कि वा कामुकता के शुरूवाती ज्वर में तपने लगी है और इसी चीज़ का फ़ायदा उठाते हुए जल्द ही निकुंज का हाथ उसकी जाँघ के चोटिल प्रदेश से ऊपर की दिशा की ओर फिसलता हुआ, उसकी अन्द्रूनि जाँघ की पूरी सतह को घेर चुका था.


"उम्म" इकायक नीमा की जीभ उसके लगातार सूखते जा रहे होंठो को गीला करने के उद्देश्य से बाहर निकल आती है और तब तक निकुंज भी अपनी उंगलियों की दस्तक उसकी कॅप्री के अंदर पहुचा देता था.
 
"ओह्ह कितना गरम लग रहा है यहाँ" निकुंज का अगला कदम बेहद घातक हुआ जिससे फॉरन नीमा की आँखें खुल जाती हैं.


"निकुंज" वह चिल्ला उठती है.




यह एक ऐसी सिचुयेशन थी जिसको शब्दो में बयान कर पाना बहुत कठिन हो जाता है.


निकुंज का हाथ उसकी नीमा आंटी की कॅप्री के भीतर, उसकी अंगार सी धधकति चूत के काफ़ी करीब है और हैरान नीमा उसके चेहरे को ऐसे देख रही है जैसे उसके सामने कोई भूत बैठा हो.


पूरे अथितिकक्ष में गहेन सन्नाटा परसा हुआ है. सिवाए उन दोनो के दिल की धड़कनो के कहीं से कोई शोर सुनाई नही पड़ रहा था.


"रुक क्यों गये ?" नीमा का अजीबो-ग़रीब सवाल उस शांति को भंग करता है "वह काम पूरा करो ना, जिसकी आशा लेकर तुम यहाँ आए थे" उल्टा चोर कोतवाल को डान्टे वाक़या का बलात्कार करती नीमा ने इस बार भी सारे आरोप निकुंज के मत्थे जड़ दिए.


वहीं निकुंज जो बचाव के लिए तैयार है, अपने मन में भय रूपी राक्षस का पुनः प्रवेश वह वर्जित कर चुका था.


"हर बार ग़लती आप की रही है आंटी" उसने नीमा को चौंकाया "पहले बेडरूम और अब इस बात के लिए भी आप मुझे ही दोष दे रही हो" कह कर वह अपना हाथ उसकी कॅप्री से बाहर खीचता है और अपनी वे उंगलियाँ, जिन पर नीमा की उत्तेजित चूत का गाढ़ा रस लगा हुआ था. सबूत के तौर पर पेश करते हुए उसके चेहरे के समीप ले जाता है.


"यह भी मेरी ग़लती है ना ?" बोलने के उपरांत ही वह अपनी उंगलियाँ, अपने मूँह में डाल, अपनी अधेड़ उमर की आंटी की जवानी का स्वाद चखने लगता है "ह्म्म !! आंटी आप बहुत स्वादिष्ट हो" मुस्कुरा कर निकुंज ने उसे आँख मारी.


अपनी दोस्त के बेटे की यह अश्लील हरक़त नीमा को सिर्फ़ शर्मसार ही नही करती बल्कि उसके तंन की आग को और भी कहीं ज़्यादा भड़का देती है. निकुंज की आँखों के सामने बैठे रहना उससे सहें नही हो पाता और वा सोफे से उठ कर खड़ी हो जाती है.


"बेटा !! यह ग़लत है" वह हौले से फुसफुसाई "क्या ग़लत है आंटी ?" प्रश्न पुछ्ते हुए निकुंज भी फर्श से उठ खड़ा हुआ.


"वही जो तुम सोच रहे हो, ऐसा कुच्छ भी नही है" कह कर नीमा अपने बेडरूम की ओर जाने की चेष्टा करती है मगर फॉरन निकुंज उसे पिछे से कस कर पकड़ लेता है.


"आंटी !! मैं कहाँ कुच्छ सोच रहा हूँ. सोच तो आप रही थी और तभी आप गीली हो गयी" एक हाथ नीमा के उभरे हुए पेट पर और दूसरे को उसके गले में डाल निकुंज उसके के पिच्छवाड़े से किसी जोंक की भाँति चिपक जाता है और साथ ही पाजामे में तना उसका विशाल लॉडा भी अपने आगमन की सूचना नीमा के मांसल चूतडो पर चुभ कर देने लगता है.


"उफ़फ्फ़ निकुंज !! छोड़ो मुझे, बेटा तुम यह ठीक नही कर रहे" नीमा मछली मगर उसकी पकड़ से छूटने का कोई अतिरिक्त प्रयास नही करती है. हलाकी उसके दिल में यह टीस ज़रूर उठी, वह कम्मो को धोखा दे रही है परंतु खुद उसके मुख से ही तो नीमा ने, उसके पुत्र के मर्दाने अंग की महिमा का बखान सुना था.


"ठीक से तो कर रहा हूँ आंटी. क्या आप को महसूस नही हो रहा ?" निकुंज ने अपने लंड का दबाव उसके चूतडो पर बढ़ाते हुए पुछा.


"ओह्ह्ह निकुंज !! तुम मेरी दोस्त के बेटे हो, अपनी आंटी का कुच्छ तो लिहाज करो" एहसास मात्र से नीमा की ज़ुबान लड़खड़ा उठी. गर्दन पर निकुंज की गरम सांसो के असन्ख्य झोंके उसे अति-प्रबलता से उन्मान्द भरी सिसकारियाँ लेने को मजबूर कर रहे थे.
 
"अब तक आप का लिहाज ही तो किया है और तभी आप की गीली चूत के इतने करीब पहुचने के बावजूद मैने उसे टच नही किया" निकुंज शरारत से बोला "आप बेडरूम में नंगी खड़ी थी मगर क्या मैने कोई छेड़-छाड़ की ?" यह सवाल पुच्छ तुरंत वह नीमा को अपनी पकड़ से मुक्त कर देता है.


अपनी निर्लज्जता के बारे में सुनने के पश्चात नीमा वहीं गढ़ कर रह जाती है जहाँ वह खड़ी थी. खुला निमंत्रण मिलने के उपरांत भी निकुंज ने अपनी आंटी का कोई ग़लत फ़ायदा नही उठाया था. उसके द्वारा कही गयी दोनो बातें 100% सत्य थी.


"आंटी" नीमा को यूँ शांत खड़ा देख निकुंज ने उसे पुकारा तो वह अपनी गर्दन हल्की सी पिछे घुमा कर, तिर्छि निगाहों से उसके चेहरे की ओर देखती है.


"मैने अपना लोवर उतार दिया है, बहुत परेशानी हो रही थी मुझे" विस्फोट करते हुए निकुंज बोला और फॉरन नीमा के कानो में उसकी दोस्त कम्मो के यह लफ्ज़ गूँज उठे "मेरे बेटे का लंड बहुत बड़ा है"


नीमा का धैर्य जवाब देने लगता है "क्या कम्मो सच कह रही थी ?" सहसा उसके गोल मटोल मम्मो के चुचक बेहद तन कर खड़े हो गये और वह उसी स्थिति में निकुंज की टाँगो की जड़ से अपनी आँखें जोड़ने से, खुद को रोक नही पाती है. निकुंज लाइट ग्रीन पोलो टी-शर्ट और वाइट फ्रेंची पहने उसके ठीक पिछे खड़ा था.


"आहह" नीमा सीत्कार कर उठी "ये .. ये तुमने क्या किया, वापस पहनो अपना लोवर" फ्रॅंची में बने तंबू को घूरते हुए उस सेक्स की प्यासी, अति-उत्तेजित दूसरी मा के शब्दो और उसकी ज़ुबान का कहीं से कहीं तक कोई मेल नही बैठ पा रहा था. वह खुल्लम-खुल्ला लंड की आकृति को ऐसे निहार रही थी जैसे उसके काम-रोग का बस वही एक इलाज हो.


"आप को पसंद आया, जान कर खुशी हुई" बेशरम निकुंज मुस्कुराया "चाहो तो छु कर भी देख सकती हो" नीमा को चकित करते हुए वह उसका दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी फ्रांचिए के फ्रंट उभरे पार्ट पर रख, ताक़त से दबा देता है.


"ओह्ह आंटी !! आप के हाथ का स्पर्श कितना मजेदार है " अति-आनंद की वजह से निकुंज काँप उठा और नीमा की चूत में सिरहन दौड़ जाती है. दोनो के झुलसे बदन की जायज़ माँग अपना सर ऊपर उठा चुकी थी.
 
नीमा अपना हाथ निकुंज के लंड से हटाने के भरकस प्रयास में जुटी हुई है मगर निकुंज उसे ऐसा करने नही देता "बेटा !! यह ग़लत है, मैं कामिनी को धोखा नही दे सकती" वह बोली मगर निकुंज ने उसके कथन को अनसुना कर, अपना दूसरा हाथ फॉरन उसके गाल पर फेरना शुरू कर दिया.


"धोखे वाली तो कोई बात है ही नही आंटी" उसने प्यार से नीमा की सुर्ख लाल आँखों में झाँका "हम कुच्छ ग़लत नही कर रहे, बस आप के कोमल हाथ की सहलाहट से मेरे लंड को राहत मिल जाएगी. प्लीज़ मना मत कीजिए" लंड शब्द का स्पष्ट उच्चारण निकुंज बिना किसी अतिरिक्त झेप के कर बैठता है और जिसे सुनकर नीमा की लज्जातरुण पलकें दोबारा बंद होने के कगार पर पहुचने लगती हैं.


"यह संभव नही निकुंज !! मानो मेरी बात, मैं दो जवान बच्चो की मा हूँ" नीमा की सोच दो भागो में बँट चुकी थी. एक तरफ वह अपने उत्तेजित बंदन की ज़रूरत को नज़र-अंदाज़ नही कर पा रही थी और दूसरी तरफ मान मर्यादा, संकोच, बदनामी, स्त्री धर्म उसे प्रेरित कर रहा था कि वह अपने बहेकते कदम अत्यंत-तुरंत पिछे खीच ले.


इसका मुख्य कारण था निकुंज का पराया होना. अपने पुत्र विक्की के साथ अनाचार स्थापित करने में सफल होने वाली नारी नीमा ने सारे प्रयोग स्वयं किए थे. विक्की तो मात्र उसके हाथो की कठपुतली था और जो पाप उनके दरमियाँ पिच्छले एक वर्ष से लगातार चल रहा है, वह भी घर की चार-दीवारी के भीतर तक ही सीमित था.


"फिकर ना करिए आंटी !! मैं हद पार नही करूँगा" वह आश्वासन देता है और नीमा के हाथ पर दबाव डाल अपना कड़क लॉडा पंप करने लगा. हैरत से नीमा का मूँह खुल गया, उसे महसूस हुआ जैसे उसने कोई ट्यूब-लाइट बराबर मोटी वास्तु पकड़ ली हो, आज पहली बार वह लंड की अद्भुत सख़्त-ता से परिचित हो रही थी.


"निकुंज !! मुझे शर्म आ रही है बेटा" वह अपने गाल और गर्दन पर रेंगती निकुंज की उंगलियों की गुदगुदाहट से त्रस्त हो कर बोली.


"तो क्यों ना इस शर्म को मिटा दिया जाए" निकुंज तो जैसे मन बना चुका था की आज वह नीमा को चोद कर ही वहाँ से जाएगा. उसने फॉरन फ्रॅंची के कोने से अपने लंड का सूजा सुपाडा बाहर निकाल दिया "आंटी !! अब आप दोनो आपस में दोस्ती कर सकते हो" नीमा के हाथ को अपने नंगे लंड पर फेरते हुए वह बोला.


"मुझे .. मुझे नही करनी कोई दोस्ती-वोस्ती" अचानक हुए हमले से नीमा की आवाज़ में कंपन आ जाता है. लंड की गर्माहट का कोई अंत ना था.


"उफ़फ्फ़ !! तुम समझते क्यों नही" वह अपना पहला हाथ छुड़ाने के उद्देश्य से अपना दूसरा हाथ तेज़ गति से लंड की दिशा में नीचे की ओर लाती है और तभी निकुंज भी अपना दूसरा हाथ जो नीमा की गर्दन पर था, धमकी स्वरूप अपनी आंटी के दाहिने माममे को पकड़ने के लिए उसकी गर्दन से नीचे खिसकाने लगता है.


"बहसरम !! हाथ हटाओ अपना" क्रोध-वश नीमा के शब्द फूटे "मैने तो कुच्छ नही प्कड़ा, लंड तो आप के हाथ में है आंटी" चतुर निकुंज ने शरारत से कहा और नीमा अपने ही कथन पर शर्मसार हो गयी.


"वैसे पुच्छना तो नही चाहता मगर पुच्छे बिना रहा भी नही जाता" निकुंज ने नीमा का ध्यान अपनी ओर केंद्रित किया "ना तो आप ने कॅप्री के अंदर कच्छि पहनी है और ना ही टॉप के भीतर ब्रा. क्या मैं इसकी वजह जान सकता हूँ?" निकुंज द्वारा अश्लील बातों का सिलसिला ज़ारी रहा.
 
"मेरे मर्ज़ी, मेरा घर. मैं चाहे नंगी घूमू, तुम्हे क्या आपत्ति है ?" नीमा चिल्लाई. वह क्या कह रही है, जैसे उसे इसकी कोई प्रवाह ही नही थी.


"आंटी !! कितना झूठ बोलोगि, मान क्यों नही लेती कि आप मुझसे चुदने के लिए तड़प रही हो" निकुंज हंसा "मेरी और आप की मंज़िल एक ही है, आप इसे स्वीकार कर लो" इतना कह कर निकुंज ने बलपूर्वक नीमा की ठोडि को पकड़ा और अपना चेहरा उसके सुंदर एवं प्रभाव-शाली मुखड़े के बेहद समीप ले जाता है.


निकुंज की मंशा समझ खुद ब खुद नीमा की जीभ उसके सूखे होंठो को तर करती है और इसके पश्चात ही निकुंज अपने काँपते होंठो का मिलन चन्द लम्हे के लिए उसके गीले होंठो से करवा कर वापस उन्हे पिछे खीच लेता है.


"उम्म्म" नीमा ने मस्ती में भर कर अंगड़ाई ली, उसके चंचल नयन अब पूर्ण-रूप से बंद हैं और इसके नतीजन कब वह अपनी मन-मर्ज़ी से निकुंज का लंड हिलाने लगती है, उसे पता भी चलता.


निकुंज दोबारा अपने होंठ आगे बढ़ा कर उसके होंठो को कोमलता से चूस्ता है और कुच्छ सेकेंड्स के उपरांत फॉरन पिछे हटा लेता है. इस विचित्र क्रिया का दर्ज़नो बार उपयोग कर उसे अपनी आंटी की अधीरता की परीक्षा लेने में बहुत आनंद मिल रहा था.


"मैं आप के यह खूबसूरत होंठ अपने लंड पर महसूस करना चाहता हू" अपनी लालसा का ज़िक्र करते हुए उसने अगला चुंबन नीमा के बाएँ कान के ठीक नीचे किया और जिसके प्रभाव से तत्काल नीमा की बंद पलकें खुल गयी "बोलो ना आंटी !! मेरा लंड चुसोगी ?" पुनः उसने स्पष्ट रूप से पुछा.


नीमा गहेन कामुकता के शिखर पर पहुच चुकी थी, उसकी सकुचाती चूत से अनियंत्रित रस रिस कर, उसकी गुलाबी कॅप्री को भिगो रहा था. उसके दिल की धड़कन तेज़ी से बहुत तेज़ होती जा रही थीं और अखंड बेचैनी से उसका बदन तप रहा था.


अत्यंत निराशा, क्रोध और काम तीनो का मिश्रण एक साथ वह सह नही पाती "उफ़फ्फ़ निकुंज !! मुझे सब मंज़ूर है. मैं चुसुन्गि, ज़रूर चुसुन्गि" नीमा रुआसी हो कर निकुंज के चौड़े सीने से लिपट जाती है.
 
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