hotaks444
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बीती रात डिन्नर के दौरान उसकी मा ने एलान किया था "कल सुबह से मैं भी तुम दोनो के साथ घूमने जाया करूँगी" मा की मौजूदगी में निकुंज अपनी बहेन के साथ ना तो प्यार भरी बातें कर पाता और ना कोई विशेष छेड़-छाड़, इस लिए वह अकेला ही निकल पड़ा था.
कार का सेल्फ़ स्टार्ट करते वक़्त वह विचार-मग्न था और जैसे ही उसने अपनी गहेन सोच पर विराम पाया, अपने आप उसके होंठो पर कुटिल मुस्कान तैरने लगी. तत-पश्चात गियर डालने के उपरांत उसकी कार तेज़ी से मंज़िल की ओर प्रस्थान कर गयी.
"बोरीवली का सेक्टर-19 तो यही है" कोई 30 मिनिट से वह ड्राइव कर रहा था "यहा से कहाँ लेना है ?" खुद से प्रश्न कर उसने अपनी आँखें मूंदी और जल्द ही उसे उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया "दाएँ से तीसरी बिल्डिंग होनी चाहिए" वह उसी दिशा की ओर मूड गया.
"ह्म्म !! कुच्छ भी तो नही बदला यहाँ" कार से बाहर निकल कर उसने अतीत की बीती यादों पर गौर फ़रमाया और इसके फॉरन बाद उस मुल्टिस्टोरी बिल्डिंग के 5थ फ्लोर पर अपनी नज़र गढ़ा दी.
"नीमा आंटी !! आख़िर-कार आप का दीवाना आप से मिलने आ ही गया" कहते हुए वह लिफ्ट के ज़रिए फ्लॅट न. 503 के सामने पहुचा और बेल बजा दी.
नीमा के घर जाने का प्लान निकुंज ने बीती रात बनाया था. सुबह के वक़्त घूमने का बहाना उस पर किसी प्रकार का कोई भी शक़ पैदा नही करता.
आज-कल के बच्चों की दिन-चर्या के क्या कहने, खुद अपनी छोटी बहें निम्मी के बिगड़े शेड्यूल से वह पूरी तरह वाकिफ़ था. आंटी की चुदाई ना सही कम से कम उनकी नज़र में अच्छा बच्चा तो बना ही जा सकता है.
ऐसा प्लान कर वह सुबह की पहली किरण के साथ, नीमा के फ्लॅट के सामने खड़ा था.
"लगता है आंटी का शेड्यूल भी खराब है या कहीं मैं ज़्यादा जल्दी तो नही आ गया ?" घंटी बजाने के काफ़ी देर बाद जब गेट नही खुला तो निकुंज ने अपने सेल में टाइम देखा.
"यार !! 6:30 होने वाले हैं" उसके मूँह से यह शब्द फूटे ही थे और तभी नीमा ने अपनी उनीदी आँखों से गेट खोल दिया.
"नमस्ते आंटी" फ्लॅट की मालकिन को चौंकाते हुए वह मुस्कुराया और नीमा हैरानी से उसे वहाँ खड़ा देख, अपने अध खुले नयन ज़ोर-ज़ोर से मलने लगी.
"मैने कहा जी !! नमस्ते" अपनी उपस्थिति का प्रमाण देते हुए निकुंज ने दोबारा उसे आवाज़ दी.
"ओह निकुंज !! आओ-आओ, अंदर आओ" कहती हुई वह दरवाज़े से पिछे हटी और निकुंज उसके फ्लॅट में प्रवेश कर गया.
"माफी चाहूँगा आंटी जी !! मैने खमोखा आप की और बच्चो की नींद खराब कर दी" फ्लॅट के अंदर अंधेरा कायम देख निकुंज बोला.
"नही-नही बेटा !! ऐसी कोई बात नही. मैं बस उठने ही वाली थी" आस पड़ोस के लोगो की नज़र निकुंज पर ना पड़ जाए इस लिए फॉरन नीमा ने मैन गेट की कड़ी लगा दी.
घर पर अकेली होने के कारण बीती रात वा नंगी सोई थी और जब घंटी की तेज़ ध्वनि ने उसे, उसकी नग्नता से परिचित करवाया तो जल्द बाज़ी में व/ओ अंडरगार्मेंट्स, एक नी लेंग्थ महरूण नाइटी पहेन कर वह दरवाज़ा खोलने चली आई थी.
प्रथम मुलाक़ात के अगले ही दिन निकुंज उसके घर पहुच जाएगा, यह नीमा की कल्पना से बिल्कुल परे था "कुच्छ तो गड़बड़ है" मन में ऐसे काई विचारों से उलझती वह निकुंज के समीप आ गयी.
"अरे बेटा खड़े क्यों हो, बैठो ना. मैं लाइट ऑन करती हूँ" वह सोफे की ओर इशारा कर बोली. हलाकी सूर्या-देव का आगमन काफ़ी देर पहले हो चुका था मगर खिड़कियों पर चढ़े, मोटे पर्दों की वजह से घर में पूर्ण अंधकार था.
"ओ भेन्चो" लाइट ऑन होते ही निकुंज के मूँह से निकलते-निकते बचा "कितना गदराया माल हैं, मेरी नीमा आंटी" महरूण नी लेंग्थ नाइटी पहने खड़ी नीमा का लुक बेहद एरॉटिक था.
कार का सेल्फ़ स्टार्ट करते वक़्त वह विचार-मग्न था और जैसे ही उसने अपनी गहेन सोच पर विराम पाया, अपने आप उसके होंठो पर कुटिल मुस्कान तैरने लगी. तत-पश्चात गियर डालने के उपरांत उसकी कार तेज़ी से मंज़िल की ओर प्रस्थान कर गयी.
"बोरीवली का सेक्टर-19 तो यही है" कोई 30 मिनिट से वह ड्राइव कर रहा था "यहा से कहाँ लेना है ?" खुद से प्रश्न कर उसने अपनी आँखें मूंदी और जल्द ही उसे उसके प्रश्न का उत्तर मिल गया "दाएँ से तीसरी बिल्डिंग होनी चाहिए" वह उसी दिशा की ओर मूड गया.
"ह्म्म !! कुच्छ भी तो नही बदला यहाँ" कार से बाहर निकल कर उसने अतीत की बीती यादों पर गौर फ़रमाया और इसके फॉरन बाद उस मुल्टिस्टोरी बिल्डिंग के 5थ फ्लोर पर अपनी नज़र गढ़ा दी.
"नीमा आंटी !! आख़िर-कार आप का दीवाना आप से मिलने आ ही गया" कहते हुए वह लिफ्ट के ज़रिए फ्लॅट न. 503 के सामने पहुचा और बेल बजा दी.
नीमा के घर जाने का प्लान निकुंज ने बीती रात बनाया था. सुबह के वक़्त घूमने का बहाना उस पर किसी प्रकार का कोई भी शक़ पैदा नही करता.
आज-कल के बच्चों की दिन-चर्या के क्या कहने, खुद अपनी छोटी बहें निम्मी के बिगड़े शेड्यूल से वह पूरी तरह वाकिफ़ था. आंटी की चुदाई ना सही कम से कम उनकी नज़र में अच्छा बच्चा तो बना ही जा सकता है.
ऐसा प्लान कर वह सुबह की पहली किरण के साथ, नीमा के फ्लॅट के सामने खड़ा था.
"लगता है आंटी का शेड्यूल भी खराब है या कहीं मैं ज़्यादा जल्दी तो नही आ गया ?" घंटी बजाने के काफ़ी देर बाद जब गेट नही खुला तो निकुंज ने अपने सेल में टाइम देखा.
"यार !! 6:30 होने वाले हैं" उसके मूँह से यह शब्द फूटे ही थे और तभी नीमा ने अपनी उनीदी आँखों से गेट खोल दिया.
"नमस्ते आंटी" फ्लॅट की मालकिन को चौंकाते हुए वह मुस्कुराया और नीमा हैरानी से उसे वहाँ खड़ा देख, अपने अध खुले नयन ज़ोर-ज़ोर से मलने लगी.
"मैने कहा जी !! नमस्ते" अपनी उपस्थिति का प्रमाण देते हुए निकुंज ने दोबारा उसे आवाज़ दी.
"ओह निकुंज !! आओ-आओ, अंदर आओ" कहती हुई वह दरवाज़े से पिछे हटी और निकुंज उसके फ्लॅट में प्रवेश कर गया.
"माफी चाहूँगा आंटी जी !! मैने खमोखा आप की और बच्चो की नींद खराब कर दी" फ्लॅट के अंदर अंधेरा कायम देख निकुंज बोला.
"नही-नही बेटा !! ऐसी कोई बात नही. मैं बस उठने ही वाली थी" आस पड़ोस के लोगो की नज़र निकुंज पर ना पड़ जाए इस लिए फॉरन नीमा ने मैन गेट की कड़ी लगा दी.
घर पर अकेली होने के कारण बीती रात वा नंगी सोई थी और जब घंटी की तेज़ ध्वनि ने उसे, उसकी नग्नता से परिचित करवाया तो जल्द बाज़ी में व/ओ अंडरगार्मेंट्स, एक नी लेंग्थ महरूण नाइटी पहेन कर वह दरवाज़ा खोलने चली आई थी.
प्रथम मुलाक़ात के अगले ही दिन निकुंज उसके घर पहुच जाएगा, यह नीमा की कल्पना से बिल्कुल परे था "कुच्छ तो गड़बड़ है" मन में ऐसे काई विचारों से उलझती वह निकुंज के समीप आ गयी.
"अरे बेटा खड़े क्यों हो, बैठो ना. मैं लाइट ऑन करती हूँ" वह सोफे की ओर इशारा कर बोली. हलाकी सूर्या-देव का आगमन काफ़ी देर पहले हो चुका था मगर खिड़कियों पर चढ़े, मोटे पर्दों की वजह से घर में पूर्ण अंधकार था.
"ओ भेन्चो" लाइट ऑन होते ही निकुंज के मूँह से निकलते-निकते बचा "कितना गदराया माल हैं, मेरी नीमा आंटी" महरूण नी लेंग्थ नाइटी पहने खड़ी नीमा का लुक बेहद एरॉटिक था.