hotaks444
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गोपालजी – मंगल , बाँहें एक अंगुल ढीली हैं. अब मैं पीठ पर चेक करता हूँ. मैडम आप पीछे घूम जाओ और मुँह मंगल की तरफ कर लो.
मंगल एक कॉपी में नोट कर रहा था. अब मैं पीछे को मुड़ी और मंगल की तरफ मुँह कर लिया. मंगल खुलेआम मेरी तनी हुई चूचियों को घूरने लगा. मुझे बहुत इरिटेशन हुई लेकिन क्या करती. उस छोटे से कमरे में गर्मी से मुझे पसीना आने लगा था. मैंने देखा ब्लाउज में कांख पर पसीने से गीले धब्बे लग गये हैं. फिर मैंने सोचा पीछे मुड़ने के बावजूद गोपालजी मेरी पीठ पर ब्लाउज क्यूँ नही चेक कर रहा है ?
गोपालजी – मैडम , बुरा मत मानो , लेकिन आपकी पैंटी इस ब्लाउज से भी ज़्यादा अनफिट है.
“क्या….... ?????”
गोपालजी – मैडम , प्लीज़ मेरी बात पर नाराज़ मत होइए. जब आप पीछे मुड़ी तो रोशनी आप पर ऐसे पड़ी की मुझे पेटीकोट के अंदर दिख गया. अगर आपको मेरी बात का विश्वास ना हो तो , मंगल से कहिए की वो इस तरफ आकर चेक कर ले.
“नही नही , कुछ चेक करने की ज़रूरत नही. मुझे आपकी बात पर विश्वास है.”
मुझे यकीन था की टेलर ने मेरे पेटीकोट के अंदर पैंटी देख ली होगी. तभी मैंने जल्दी से मंगल को चेक करने को मना कर दिया. वरना वो गँवार भी मेरे पीछे जाकर उस नज़ारे का मज़ा लेता. शरम से मेरे हाथ अपने आप ही पीछे चले गये और मैंने अपनी हथेलियों से नितंबों को ढकने की कोशिश की.
“लेकिन आप को कैसे पता चला की …….….”
अच्छा ही हुआ की गोपालजी ने मेरी बात काट दी क्यूंकी मुझे समझ नही आ रहा था की कैसे बोलूँ . मेरी बात पूरी होने से पहले ही वो बीच में बोल पड़ा.
गोपालजी – मैडम , आप ऐसी पैंटी कहाँ से ख़रीदती हो , ये तो पीछे से एक डोरी के जैसे सिकुड गयी है.
मैं थोड़ी देर चुप रही . फिर मैंने सोचा की इस बुड्ढे आदमी को अपनी पैंटी की समस्या बताने में कोई बुराई नही है. क्या पता ये मेरी इस समस्या का हल निकाल दे. तब मैंने सारी शरम छोड़कर गोपालजी को बताया की चलते समय पैंटी सिकुड़कर बीच में आ जाती है और मैंने कई अलग अलग ब्रांड की पैंटीज को ट्राइ किया पर सब में मुझे यही प्राब्लम है.
गोपालजी – मैडम , आपकी समस्या दूर हो गयी समझो. उस कपड़ों के ढेर को देखो. कम से कम 50 – 60 पैंटीज होंगी उस ढेर में. मेरी बनाई हुई कोई भी पैंटी ऐसे सिकुड़कर बीच में नही आती. मंगल , एक पैंटी लाओ , मैं मैडम को दिखाकर समझाता हूँ.
उन दोनो मर्दों के सामने अपनी पैंटी के बारे में बात करने से मुझे शरम आ रही थी तो मैंने बात बदल दी.
“गोपालजी , पहले ब्लाउज ठीक कर दीजिए ना. मैं ऐसे ही कब तक खड़ी रहूंगी ?”
गोपालजी – ठीक है मैडम . पहले आपका ब्लाउज ठीक कर देता हूँ.
गोपालजी ने पीछे से गर्दन के नीचे मेरे ब्लाउज को अंगुली डालकर खींचा , कितना ढीला हो रहा है ये देखने के लिए. गोपालजी की अंगुलियों का स्पर्श मेरी पीठ पर हुआ , उसकी गरम साँसें मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हुई , मेरे निप्पल ब्रा के अंदर तनकर कड़क हो गये.
मुझे थोड़ा अजीब लगा तो मैंने अपनी पोज़िशन थोड़ी शिफ्ट की. ऐसा करके मैं बुरा फँसी क्यूंकी इससे मेरे नितंब गोपालजी की लुंगी में तने हुए लंड से टकरा गये. गोपालजी ने भी मेरे सुडौल नितंबों की गोलाई को ज़रूर महसूस किया होगा. उसका सख़्त लंड अपने नितंबों पर महसूस होते ही शरमाकर मैं जल्दी से थोड़ा आगे को हो गयी. मुझे आश्चर्य हुआ , हे भगवान ! इस उमर में भी गोपालजी का लंड इतना सख़्त महसूस हो रहा है. ये सोचकर मुझे मन ही मन हँसी आ गयी.
गोपालजी – मैडम , ब्लाउज पीठ पर भी बहुत ढीला है. मंगल पीठ में दो अंगुल ढीला है.
फिर गोपालजी मेरे सामने आ गया और ब्लाउज को देखने लगा. उसके इतना नज़दीक़ होने से मेरी साँसें कुछ तेज हो गयी. सांसो के साथ ऊपर नीचे होती चूचियाँ गोपालजी को दिख रही होंगी. ब्लाउज की फिटिंग देखने के लिए वो मेरे ब्लाउज के बहुत नज़दीक़ अपना चेहरा लाया. मुझे अपनी चूचियों पर उसकी गरम साँसें महसूस हुई. लेकिन मैंने बुरा नही माना क्यूंकी उसकी नज़र बहुत कमज़ोर थी.
गोपालजी – मैडम, ब्लाउज आगे से भी बहुत ढीला है.
मेरे ब्लाउज को अंगुली डालकर खींचते हुए गोपालजी बोला .
गोपालजी ने मेरे ब्लाउज को खींचा तो मंगल की आँखे फैल गयी , वो कमीना कल्पना कर रहा होगा की काश गोपालजी की जगह मैं होता तो ऐसे ब्लाउज खींचकर अंदर का नज़ारा देख लेता.
गोपालजी – मैडम , अब आप अपने हाथ ऊपर कर लो. मैं नाप लेता हूँ.
मैंने अपने हाथ ऊपर को उठाए तो मेरी चूचियाँ आगे को तन गयी. ब्लाउज में मेरी पसीने से भीगी हुई कांखें भी एक्सपोज़ हो गयी. उन दो मर्दों के लिए तो वो नज़ारा काफ़ी सेक्सी रहा होगा , जो की मंगल का चेहरा बता ही रहा था.
अब गोपालजी ने अपनी बड़ी अंगुली मेरी बायीं चूची की साइड में लगाई और अंगूठा मेरे निप्पल के ऊपर. उनके ऐसे नाप लेने से मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी. ये आदमी नाप लेने के नाम पर मेरी चूची को दबा रहा है और मैं कुछ नही कर सकती. उसके बाद गोपालजी ने निप्पल की जगह अंगुली रखी और हुक की जगह अंगूठा रखा.
गोपालजी – मंगल , कप वन फुल एच.
मंगल ने नोट किया और गोपालजी की फैली हुई अंगुलियों को एक डोरी से नापा.
गोपालजी – मैडम, अब मैं ये जानना चाहता हूँ की आपका ब्लाउज कितना टाइट रखना है, ठीक है ?
मैंने हाँ में सर हिला दिया , पर मुझे मालूम नही था की ये बात वो कैसे पता करेगा.
गोपालजी – मैडम , आपको थोड़ा अजीब लगेगा , लेकिन मेरा तरीका यही है. आप ये समझ लो की मेरी हथेली आपका ब्लाउज कवर है. मैं आपकी छाती अपनी हथेली से धीरे से अंदर को दबाऊँगा और जहाँ पर आपको सबसे ठीक लगे वहाँ पर रोक देना, वहीं पर ब्लाउज के कप सबसे अच्छी तरह फिट आएँगे.
हे भगवान ! ये हरामी बुड्ढा क्या बोला. एक 28 साल की शादीशुदा औरत की चूचियों को खुलेआम दबाना चाहता है , और कहता है आपको थोड़ा अजीब लगेगा. थोड़ा अजीब ? कोई मर्द मेरे साथ ऐसा करे तो मैं तो एक थप्पड़ मार दूँगी .
“लेकिन गोपालजी ऐसा कैसे ……..कोई और तरीका भी तो होगा.”
गोपालजी – मैडम, आश्रम से जो 34 साइज़ का ब्लाउज आपको मिला है, उसको मैंने जिस औरत की नाप लेकर बनाया था वो आपसे कुछ पतली थी. अगर आप एग्ज़ॅक्ट साइज़ नापने नही दोगी तो ब्लाउज आपको कप में कुछ ढीला या टाइट रहेगा.
“गोपालजी , अगर टेप से नाप लेते तो मुझे कंफर्टेबल रहता. प्लीज़….”
मैं विनती करने के अंदाज़ में बोली. गोपालजी ने ना जाने क्या सोचा पर वो मान गया.
गोपालजी – ठीक है मैडम, अगर आपको अच्छा नही लग रहा तो मैं ऐसे नाप नही लूँगा. मैं ब्लाउज को आपके कप साइज़ के हिसाब से सिल दूँगा. लेकिन ये आपको थोड़ा ढीला या टाइट रहेगा , आप एडजस्ट कर लेना.
उसकी बात सुनकर मैंने राहत की सांस ली. चलो अब ये ऐसे खुलेआम मेरी चूचियों को तो नही दबाएगा. ऐसे नाप लेने के बहाने ना जाने कितनी औरतों की चूचियाँ इसने दबाई होंगी.
तभी मंगल ज़ोर से चीखा और मेरी तरफ कूद गया , मुझसे टकराते टकराते बचा. गोपालजी दो तीन कदम पीछे हो गया और मेरा हाथ खींचकर मुझे भी दो तीन कदम खींच लिया. मैंने पीछे मुड़कर देखा की क्या हुआ . दरवाजे पर दो साँप खड़े थे.
मंगल – ये तो साँपों का जोड़ा है.
गोपालजी – हाँ, मैंने देख लिया है. कोई भी अपनी जगह से मत हिलना.
मंगल एक कॉपी में नोट कर रहा था. अब मैं पीछे को मुड़ी और मंगल की तरफ मुँह कर लिया. मंगल खुलेआम मेरी तनी हुई चूचियों को घूरने लगा. मुझे बहुत इरिटेशन हुई लेकिन क्या करती. उस छोटे से कमरे में गर्मी से मुझे पसीना आने लगा था. मैंने देखा ब्लाउज में कांख पर पसीने से गीले धब्बे लग गये हैं. फिर मैंने सोचा पीछे मुड़ने के बावजूद गोपालजी मेरी पीठ पर ब्लाउज क्यूँ नही चेक कर रहा है ?
गोपालजी – मैडम , बुरा मत मानो , लेकिन आपकी पैंटी इस ब्लाउज से भी ज़्यादा अनफिट है.
“क्या….... ?????”
गोपालजी – मैडम , प्लीज़ मेरी बात पर नाराज़ मत होइए. जब आप पीछे मुड़ी तो रोशनी आप पर ऐसे पड़ी की मुझे पेटीकोट के अंदर दिख गया. अगर आपको मेरी बात का विश्वास ना हो तो , मंगल से कहिए की वो इस तरफ आकर चेक कर ले.
“नही नही , कुछ चेक करने की ज़रूरत नही. मुझे आपकी बात पर विश्वास है.”
मुझे यकीन था की टेलर ने मेरे पेटीकोट के अंदर पैंटी देख ली होगी. तभी मैंने जल्दी से मंगल को चेक करने को मना कर दिया. वरना वो गँवार भी मेरे पीछे जाकर उस नज़ारे का मज़ा लेता. शरम से मेरे हाथ अपने आप ही पीछे चले गये और मैंने अपनी हथेलियों से नितंबों को ढकने की कोशिश की.
“लेकिन आप को कैसे पता चला की …….….”
अच्छा ही हुआ की गोपालजी ने मेरी बात काट दी क्यूंकी मुझे समझ नही आ रहा था की कैसे बोलूँ . मेरी बात पूरी होने से पहले ही वो बीच में बोल पड़ा.
गोपालजी – मैडम , आप ऐसी पैंटी कहाँ से ख़रीदती हो , ये तो पीछे से एक डोरी के जैसे सिकुड गयी है.
मैं थोड़ी देर चुप रही . फिर मैंने सोचा की इस बुड्ढे आदमी को अपनी पैंटी की समस्या बताने में कोई बुराई नही है. क्या पता ये मेरी इस समस्या का हल निकाल दे. तब मैंने सारी शरम छोड़कर गोपालजी को बताया की चलते समय पैंटी सिकुड़कर बीच में आ जाती है और मैंने कई अलग अलग ब्रांड की पैंटीज को ट्राइ किया पर सब में मुझे यही प्राब्लम है.
गोपालजी – मैडम , आपकी समस्या दूर हो गयी समझो. उस कपड़ों के ढेर को देखो. कम से कम 50 – 60 पैंटीज होंगी उस ढेर में. मेरी बनाई हुई कोई भी पैंटी ऐसे सिकुड़कर बीच में नही आती. मंगल , एक पैंटी लाओ , मैं मैडम को दिखाकर समझाता हूँ.
उन दोनो मर्दों के सामने अपनी पैंटी के बारे में बात करने से मुझे शरम आ रही थी तो मैंने बात बदल दी.
“गोपालजी , पहले ब्लाउज ठीक कर दीजिए ना. मैं ऐसे ही कब तक खड़ी रहूंगी ?”
गोपालजी – ठीक है मैडम . पहले आपका ब्लाउज ठीक कर देता हूँ.
गोपालजी ने पीछे से गर्दन के नीचे मेरे ब्लाउज को अंगुली डालकर खींचा , कितना ढीला हो रहा है ये देखने के लिए. गोपालजी की अंगुलियों का स्पर्श मेरी पीठ पर हुआ , उसकी गरम साँसें मुझे अपनी गर्दन पर महसूस हुई , मेरे निप्पल ब्रा के अंदर तनकर कड़क हो गये.
मुझे थोड़ा अजीब लगा तो मैंने अपनी पोज़िशन थोड़ी शिफ्ट की. ऐसा करके मैं बुरा फँसी क्यूंकी इससे मेरे नितंब गोपालजी की लुंगी में तने हुए लंड से टकरा गये. गोपालजी ने भी मेरे सुडौल नितंबों की गोलाई को ज़रूर महसूस किया होगा. उसका सख़्त लंड अपने नितंबों पर महसूस होते ही शरमाकर मैं जल्दी से थोड़ा आगे को हो गयी. मुझे आश्चर्य हुआ , हे भगवान ! इस उमर में भी गोपालजी का लंड इतना सख़्त महसूस हो रहा है. ये सोचकर मुझे मन ही मन हँसी आ गयी.
गोपालजी – मैडम , ब्लाउज पीठ पर भी बहुत ढीला है. मंगल पीठ में दो अंगुल ढीला है.
फिर गोपालजी मेरे सामने आ गया और ब्लाउज को देखने लगा. उसके इतना नज़दीक़ होने से मेरी साँसें कुछ तेज हो गयी. सांसो के साथ ऊपर नीचे होती चूचियाँ गोपालजी को दिख रही होंगी. ब्लाउज की फिटिंग देखने के लिए वो मेरे ब्लाउज के बहुत नज़दीक़ अपना चेहरा लाया. मुझे अपनी चूचियों पर उसकी गरम साँसें महसूस हुई. लेकिन मैंने बुरा नही माना क्यूंकी उसकी नज़र बहुत कमज़ोर थी.
गोपालजी – मैडम, ब्लाउज आगे से भी बहुत ढीला है.
मेरे ब्लाउज को अंगुली डालकर खींचते हुए गोपालजी बोला .
गोपालजी ने मेरे ब्लाउज को खींचा तो मंगल की आँखे फैल गयी , वो कमीना कल्पना कर रहा होगा की काश गोपालजी की जगह मैं होता तो ऐसे ब्लाउज खींचकर अंदर का नज़ारा देख लेता.
गोपालजी – मैडम , अब आप अपने हाथ ऊपर कर लो. मैं नाप लेता हूँ.
मैंने अपने हाथ ऊपर को उठाए तो मेरी चूचियाँ आगे को तन गयी. ब्लाउज में मेरी पसीने से भीगी हुई कांखें भी एक्सपोज़ हो गयी. उन दो मर्दों के लिए तो वो नज़ारा काफ़ी सेक्सी रहा होगा , जो की मंगल का चेहरा बता ही रहा था.
अब गोपालजी ने अपनी बड़ी अंगुली मेरी बायीं चूची की साइड में लगाई और अंगूठा मेरे निप्पल के ऊपर. उनके ऐसे नाप लेने से मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी. ये आदमी नाप लेने के नाम पर मेरी चूची को दबा रहा है और मैं कुछ नही कर सकती. उसके बाद गोपालजी ने निप्पल की जगह अंगुली रखी और हुक की जगह अंगूठा रखा.
गोपालजी – मंगल , कप वन फुल एच.
मंगल ने नोट किया और गोपालजी की फैली हुई अंगुलियों को एक डोरी से नापा.
गोपालजी – मैडम, अब मैं ये जानना चाहता हूँ की आपका ब्लाउज कितना टाइट रखना है, ठीक है ?
मैंने हाँ में सर हिला दिया , पर मुझे मालूम नही था की ये बात वो कैसे पता करेगा.
गोपालजी – मैडम , आपको थोड़ा अजीब लगेगा , लेकिन मेरा तरीका यही है. आप ये समझ लो की मेरी हथेली आपका ब्लाउज कवर है. मैं आपकी छाती अपनी हथेली से धीरे से अंदर को दबाऊँगा और जहाँ पर आपको सबसे ठीक लगे वहाँ पर रोक देना, वहीं पर ब्लाउज के कप सबसे अच्छी तरह फिट आएँगे.
हे भगवान ! ये हरामी बुड्ढा क्या बोला. एक 28 साल की शादीशुदा औरत की चूचियों को खुलेआम दबाना चाहता है , और कहता है आपको थोड़ा अजीब लगेगा. थोड़ा अजीब ? कोई मर्द मेरे साथ ऐसा करे तो मैं तो एक थप्पड़ मार दूँगी .
“लेकिन गोपालजी ऐसा कैसे ……..कोई और तरीका भी तो होगा.”
गोपालजी – मैडम, आश्रम से जो 34 साइज़ का ब्लाउज आपको मिला है, उसको मैंने जिस औरत की नाप लेकर बनाया था वो आपसे कुछ पतली थी. अगर आप एग्ज़ॅक्ट साइज़ नापने नही दोगी तो ब्लाउज आपको कप में कुछ ढीला या टाइट रहेगा.
“गोपालजी , अगर टेप से नाप लेते तो मुझे कंफर्टेबल रहता. प्लीज़….”
मैं विनती करने के अंदाज़ में बोली. गोपालजी ने ना जाने क्या सोचा पर वो मान गया.
गोपालजी – ठीक है मैडम, अगर आपको अच्छा नही लग रहा तो मैं ऐसे नाप नही लूँगा. मैं ब्लाउज को आपके कप साइज़ के हिसाब से सिल दूँगा. लेकिन ये आपको थोड़ा ढीला या टाइट रहेगा , आप एडजस्ट कर लेना.
उसकी बात सुनकर मैंने राहत की सांस ली. चलो अब ये ऐसे खुलेआम मेरी चूचियों को तो नही दबाएगा. ऐसे नाप लेने के बहाने ना जाने कितनी औरतों की चूचियाँ इसने दबाई होंगी.
तभी मंगल ज़ोर से चीखा और मेरी तरफ कूद गया , मुझसे टकराते टकराते बचा. गोपालजी दो तीन कदम पीछे हो गया और मेरा हाथ खींचकर मुझे भी दो तीन कदम खींच लिया. मैंने पीछे मुड़कर देखा की क्या हुआ . दरवाजे पर दो साँप खड़े थे.
मंगल – ये तो साँपों का जोड़ा है.
गोपालजी – हाँ, मैंने देख लिया है. कोई भी अपनी जगह से मत हिलना.