aamirhydkhan
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]औलाद की चाह[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]CHAPTER 7-पांचवी रात[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]योनि पूजा[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अपडेट-22[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लिंग पूजा-4[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब गुरुजी ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और मैं उनक ऊपर लेट गयी। गुरुजी का लंबा चौड़ा शरीर था, उनके शरीर से पूरी तरह समा गयी। मैं सोचने लगी की माध्यम के रूप में मैं फ़र्श में लेटी थी और निर्मल ने मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे मज़े लिए थे। लेकिन अब अलग ही हो रहा था। गुरुजी फ़र्श पर लेते हुए थे और मैं उनके ऊपर थी मेरे मन में आया की गुरुजी से पूछूं की ऐसा क्यूँ? पर पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुईl[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी—रश्मि बेटी तुम्हें अजीब लगेगा, पर यज्ञ का यही नियम है। मैं अपना वज़न तुम पर नहीं डालूँगा। तुम बस पूजा में ध्यान लगाओ ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी मेरे ऊपर लेटे हुए थे और उन्होंने अपनी धोती ठीक करने के बहाने गुरुजी ने अपने बदन को मेरे ऊपर ऐसे एडजस्ट किया की उनका श्रोणि भाग (पेल्विक एरिया) ठीक मेरे नितंबों के ऊपर आ गया। अब गुरुजी ने मेरे कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया। मैंने देखा की वह मेरी गांड में हल्के से धक्का लगा रहे हैं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,][img=640x800]https://i.ibb.co/hg5GbNW/mudra3.jpg[/img][/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]world emojis[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पूजा काल में गुरु जी और उनके शिष्य अन्य मंत्रो के अतिरिक्त साथ-साथ में ॐ नमः लिंग देव मंत्र का जाप करते रहे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु-जी: बहुत बढ़िया बेटी! अब हम लिंग से प्राथना करेंगे। प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ो। ध्यान केंद्रित करना।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु जी: हे लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: हे लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु जी: हे लिंगा महाराज! मैं स्वयं को आपको अर्पित करता हूँ...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: हे लिंगा महाराज! मैं खुद को आपको समर्पित करती हूँ ...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु जी: हे लिंगा महाराज! मेरा मन, मेरा शरीर, मेरी योनि...तुम्हें सब कुछ...समर्पित करता हूँ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: हे लिंगा महाराज! मेरा मन, मेरा शरीर, अपनी । योनि... आपको सब कुछ...आपको ।समर्पित करती हूँ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु-जी: हे लिंगा महाराज! कृपया इस पूजा को स्वीकार करें![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: हे लिंगा महाराज! कृपया आप मेरी इस योनि पूजा को स्वीकार करें![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु-जी: हे लिंगा महाराज! मैं, रश्मि सिंह पत्नी अनिल सिंह, इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए आपके सामने आत्मसमर्पण कर रहा हूँ। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज![/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: हे लिंगा महाराज! मैं, रश्मि सिंह, अनिल सिंह की पत्नी-इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए खुद को आपके सामने आत्मसमर्पण कर रही हूँ। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसके बाद मैं ये देखकर शॉक्ड हो गयी की गुरुजी भी मेरे बदन से आकर्षित होकर उनका लिंग कड़ा हो गया था और वह भी मेरे नितम्बो पर लंड से हलके धक्क्के मार रहे थे, फिर मुझे लगा शायद ये मेरा वहाँ है और मैंने गुरुजी का बताया हुआ मंत्र ज़ोर से बोल दिया। ऐसा पाँच बार करना था। दो बार मन्त्र बोलने के बाद में तो मेरे नितंबों पर गुरुजी का धक्का लगाना भी साफ महसूस होने लगा।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मंत्र जाप खत्म होने के बाद अब मुझे अपनी इच्छा गुरुजी को बतानी थी। गुरुजी अपने चेहरे को मेरे चेहरे के बिल्कुल नज़दीक़ ले गये, उनके मोटे होंठ मेरे गालों को छू रहे थे। गुरुजी ने अपने दोनों हाथ मेरी दोनों तरफ फर्श में रखे हुए थे। अब उन्होंने अपना दायाँ हाथ मेरे कंधे में रख दिया और अपना मुँह उसके चेहरे से चिपका कर मेरी इच्छा सुनने लगे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: लिंग महाराज कृपया मुझे उर्वर बनाएँ और मुझे मेरे गर्भ से उत्पन्न एक बच्चे का आशीर्वाद दें...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लिंगा महाराज से मेरी इच्छा कह देने के बाद गुरुजी मेरे बदन से उठ गये। मैंने उसकी तरफ देखा तो मैंने साफ-साफ देखा की उनका खड़ा लंड धोती को बाहर तना हुआ खड़ा था । मेरे उठने से पहले ही उन्होंने जल्दी से अपने लंड को धोती में पुनः एडजस्ट कर लिया।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि बेटी, तुमने पूजा करते समय अपना पूरा ध्यान लगाया?[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं–हाँ गुरुजी. मैंने गहरी सांस लेते हुए बोला![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने ख्याल किया मेरी आवाज़ कामोत्तेजना की वजह से। कांप रही थी, शायद! लेकिन मैं गहरी साँसे ले रही थी[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–तो फिर तुम्हारी आवाज़ में कंपन क्यूँ है?[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं गहरी साँसें ले रही थी, जैसे कि अगर कोई आदमी उसके ऊपर लेटे तो कोई भी औरत अघरि सांस लेती। लेकिन गुरुजी का स्वर कठोर था।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं–मेरा विश्वास कीजिए गुरुजी. मैं सिर्फ अपनी पूजा के बारे में सोच रही थी।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–तुम झूठ क्यूँ बोल रही हो बेटी?[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कमरे में बिल्कुल चुप्पी छा गयी। मैं भी हैरान थी की ये हो क्या रहा है?[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि मैंने तुम्हे कितनी बार बोला है तुम्हे अपना मन अपने लक्ष्य की और लगाना हैं और दूसरी बातो को नजर नदाज करना है परन्तु अभी भी तुम भटक जाती हो और यही तुम्हारी असफलता का मुख्य कारण है। तुम्हारा मन स्थिर नहीं रहता और अन्य चीज़ों में ज़्यादा उत्सुक रहता है। वही यहाँ पर भी हुआ। तुम्हारा मन पूजा की बजाय मेरे बदन के तुम्हारे बदन को छूने पर लगा हुआ था।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं –गुरुजी मेरा विश्वास कीजिए. मैं सिर्फ प्रार्थना पर ध्यान लगा रही थी परन्तु जब आप मुझे छू रहे थे तो मुझे छूने का एहसास हो रहा था जिसे मैं नजरअंदाज करने का पूरा प्रयास कर रही थी । अगर मुझ से कोई भूल हुई है तो आप कृपया मुझे क्षमा करे![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि यहाँ आओ और मुझे पता करना होगा की तुम्हारा मन भटका हुआ था कि नहीं। अगर तुम्हारा मन भटका हुआ था नहीं तो हमे ये प्रक्रिया दोहरानी होगी![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं हैरान थी। गुरुजी ये कैसे पता करेंगे? मैं सर झुकाए खड़ी थी क्योंकि मेरा ध्यान एक मर्द के अपने बदन को छूने पर था।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"लेकिन गुरुजी कैसे? मेरा मतलब।कैसे?"[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–ये तो आसान है। मैं तुम्हारे निप्पल चेक करूँगा और मुझे पता चल जाएगा की तुम कामोत्तेजित हुई थी या नहीं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक मर्द के मुँह से ऐसी बात सुनकर हम दोनों हक्की बक्की रह गयीं। लेकिन फिर मुझे समझ आया की गुरुजी ने अपने अनुभव से एकदम सही निशाना लगाया है। क्यूंकी अगर किसी अगर ये पता लगाना हो की औरत की वह कामोत्तेजित है या नहीं तो ये बात उसके निप्पल सही-सही बता सकते हैं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं शरम से लाल हो गयी थी। अब मुझे भी समझ आ गया था की गुरुजी को बेवक़ूफ़ नहीं बना सकती क्यूंकी वह बहुत अनुभवी और बुद्धिमान थे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]में–क्षमा चाहती हूँ गुरुजी. आप सही हैं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–हम्म्म ......देख लिया बेटी तुमने, लोगों को बहलाने का कोई मतलब नहीं है। हमेशा सच बताओ. ठीक है?[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब मैंने सिर्फ सर हिला दिया। मैं समझ गयी थी की गुरुजी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले आदमी के सामने इस मेरी क्या हालत हो जाती और उनके सामने मेरा झूठ कुछ पल भी नहीं ठहर पाता ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हमने एक बार फिर फूरी मन्त्र बोलने की प्रक्रिया दोहराई और इस बार मैंने पूजा पर ध्यान दिया नाकि गुरूजी के धक्को पर ।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]upload image[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूजी: रश्मि आपको याद रखना चाहिए कि यह एक पवित्र अनुष्ठान है। इसे किसी 'सांसारिक' इच्छाओं के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए। "[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"मैं समझ गयी गुरुजी मैं..." गुरुजी ने धीरे से अपना हाथ उठाकर और मुझे रुकने का इशारा करते हुए मेरे वाक्य बीच में काट दिया।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूजी: रश्मि अब अप्प आप लिंगम पूजा की शक्तियों को अनुभव करेंगी तो अब हम लिंगा पूजा करेंगे। " उन्होंने मुझे कुछ आश्वासन के लिए देखा, मेरा दिमाग भारी था ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मुझे जवाब देने की जल्दी थी, मुझे ठीक-ठीक पता था कि मुझे क्या चाहिए।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"मैं जैसा आप कहेंगे वैसा करुँगी गुरुजी मैं आपकी शिक्षाओं से प्रभावित हूँ। योनि पूजा अनुष्ठानों ने मुझे उत्साहित किया है।"[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी मेरे उत्साह पर मुस्कुराए बिना नहीं रह पाए।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूजी- रश्मि अब मेरे पीछे दोहराओ कृपया इस लिंग पूजा को स्वीकार करें और मुझे उपजाऊ बनाएँ और मेरे गर्भ को एक बच्चे के रूप में आशीर्वाद दें...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं:-कृपया इस लिंग पूजा को स्वीकार करें और मुझे उपजाऊ बनाएँ और मेरे गर्भ को एक बच्चे के रूप में आशीर्वाद दें...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु-जी: मैं, रश्मि सिंह पत्नी अनिल सिंह, इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए आपके सामने आत्मसमर्पण कर रहा हूँ। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: मैं, रश्मि सिंह, अनिल सिंह की पत्नी-इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए खुद को आपके सामने आत्मसमर्पण कर रही हूँ। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब गुरुजी ने अपने बैग से लिंगा महाराज के दो प्रतिरूप निकाले। वह दिखने में बिल्कुल वैसे ही थे जिसकी हम यहाँ पूजा कर रहे थे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–संजीव बेल के पत्ते, दूध, गुलाब जल और शहद रश्मि को दो और रश्मि अग्नि कुंड में थोड़ा घी डाल दो।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने वैसा ही किया और गुरुजी उनसे कुछ मिश्रण बनाने लगे। उन्होंने बेल के पत्तों को कूटकर शहद में मिलाया और उसमें बाकी चीज़ें मिलाकर एक गाढ़ा द्रव्य तैयार किया। फिर लिंगा महाराज के एक प्रतिरूप पर वह द्रव्य चढ़ाने लगे। उन्होंने उस प्रतिरूप को द्रव्य से नहलाकर हाथ से उसमें सब जगह मल दिया। फिर दूसरे प्रतिरूप को उन्होंने अग्नि में शुद्ध किया और गुलाब जल से धो दिया। उसके बाद दोनों प्रतिरूपों की पूजा की। मैं चुपचाप ये सब देख रही थी ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि, यहाँ आओ और अग्नि के पास खड़ी रहो। अपनी आँखें बंद कर लो और मैं जो मंत्र पढ़ूँ, अग्निदेव के सम्मुख उनका जाप करो।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घी डालने से अग्निकुण्ड में लपटें तेज हो गयी थीं। गुरुजी ज़ोर-ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे। मैं मंत्रों को दोहरा रही थी। पांच मिनट तक यही चलता रहा।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि अब ये यज्ञ का बहुत महत्त्वपूर्ण भाग है। तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप टूयमहरे अंदर की योनि को जाग्रत करेंगे। इसे 'जागरण क्रिया' कहते हैं। तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने सर हिला दिया पर मेरे चेहरे से साफ पता लग रहा था कि मुझे कुछ समझ नहीं आया। लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं यज्ञ के अग्निकुण्ड के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी, उसने आँखें बंद की हुई थीं। गुरुजी उसके बगल में खड़े थे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी ज़ोर से मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे। अब उन्होंने लिंगा महाराज के पवित्र द्रव्य से भीगे हुए प्रतिरूप को मेरे मुँह में लगाया। मैंने पहले तो थोड़े से ही होंठ खोले, लेकिन लिंगा प्रतिरूप की गोलाई ज़्यादा होने से उसे थोड़ा और मुँह खोलना पड़ा। गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को मेरे मुँह में डाल दिया और मैं उसे चूसने लगी। प्रतिरूप में लगे हुए द्रव्य का स्वाद अच्छा लग रहा था जिससे मैं उसे तेज़ी से चूस रही थी। गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को धीरे-धीरे मेरे मुँह में और अंदर घुसा दिया और अब वह मुझे बड़ा अश्लील लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई औरत किसी मर्द का लंड चूस रही हो।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि! लिंगा को अपने हाथों से पकड़ो और ध्यान रहे इस 'जागरण क्रिया' के दौरान ये तुम्हारे मुँह में ही रहना चाहिए.[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]want smileys[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब मैंने अपने दोनों हाथों से लिंगा प्रतिरूप को पकड़ लिया और चूसने लगी। गुरुजी की आज्ञा के अनुसार मैंने अपनी आँखें बंद ही रखी थीं। आँखें बंद करके लिंगा को चूसती हुई मैं अवश्य ही बहुत अश्लील लग रही होउंगी, शरम से मैंने अपनी गर्दन झुका ली। गुरुजी मेरी और गौर से देख रहे थे। उन्हें इस दृश्य को देखकर बहुत मज़ा आ रहा होगा की एक सुंदर महिला, तने हुए लंड की आकृति के लिंगा को मज़े से मुँह में चूस रही है। फिर मैंने अपना चेहरा ऊपर को उठाया और लिंगा से थोड़ा और द्रव्य बहकर मेरे मुँह में चला गया। लिंगा को चूसते हुए मैं बहुत कामुक आवाज़ निकाल रही थी।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]CHAPTER 7-पांचवी रात[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]योनि पूजा[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अपडेट-22[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लिंग पूजा-4[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब गुरुजी ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और मैं उनक ऊपर लेट गयी। गुरुजी का लंबा चौड़ा शरीर था, उनके शरीर से पूरी तरह समा गयी। मैं सोचने लगी की माध्यम के रूप में मैं फ़र्श में लेटी थी और निर्मल ने मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे मज़े लिए थे। लेकिन अब अलग ही हो रहा था। गुरुजी फ़र्श पर लेते हुए थे और मैं उनके ऊपर थी मेरे मन में आया की गुरुजी से पूछूं की ऐसा क्यूँ? पर पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुईl[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी—रश्मि बेटी तुम्हें अजीब लगेगा, पर यज्ञ का यही नियम है। मैं अपना वज़न तुम पर नहीं डालूँगा। तुम बस पूजा में ध्यान लगाओ ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी मेरे ऊपर लेटे हुए थे और उन्होंने अपनी धोती ठीक करने के बहाने गुरुजी ने अपने बदन को मेरे ऊपर ऐसे एडजस्ट किया की उनका श्रोणि भाग (पेल्विक एरिया) ठीक मेरे नितंबों के ऊपर आ गया। अब गुरुजी ने मेरे कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया। मैंने देखा की वह मेरी गांड में हल्के से धक्का लगा रहे हैं।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]पूजा काल में गुरु जी और उनके शिष्य अन्य मंत्रो के अतिरिक्त साथ-साथ में ॐ नमः लिंग देव मंत्र का जाप करते रहे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु-जी: बहुत बढ़िया बेटी! अब हम लिंग से प्राथना करेंगे। प्रार्थना के लिए हाथ जोड़ो। ध्यान केंद्रित करना।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: हे लिंगा महाराज! मेरा मन, मेरा शरीर, अपनी । योनि... आपको सब कुछ...आपको ।समर्पित करती हूँ।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]उसके बाद मैं ये देखकर शॉक्ड हो गयी की गुरुजी भी मेरे बदन से आकर्षित होकर उनका लिंग कड़ा हो गया था और वह भी मेरे नितम्बो पर लंड से हलके धक्क्के मार रहे थे, फिर मुझे लगा शायद ये मेरा वहाँ है और मैंने गुरुजी का बताया हुआ मंत्र ज़ोर से बोल दिया। ऐसा पाँच बार करना था। दो बार मन्त्र बोलने के बाद में तो मेरे नितंबों पर गुरुजी का धक्का लगाना भी साफ महसूस होने लगा।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मंत्र जाप खत्म होने के बाद अब मुझे अपनी इच्छा गुरुजी को बतानी थी। गुरुजी अपने चेहरे को मेरे चेहरे के बिल्कुल नज़दीक़ ले गये, उनके मोटे होंठ मेरे गालों को छू रहे थे। गुरुजी ने अपने दोनों हाथ मेरी दोनों तरफ फर्श में रखे हुए थे। अब उन्होंने अपना दायाँ हाथ मेरे कंधे में रख दिया और अपना मुँह उसके चेहरे से चिपका कर मेरी इच्छा सुनने लगे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: लिंग महाराज कृपया मुझे उर्वर बनाएँ और मुझे मेरे गर्भ से उत्पन्न एक बच्चे का आशीर्वाद दें...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]लिंगा महाराज से मेरी इच्छा कह देने के बाद गुरुजी मेरे बदन से उठ गये। मैंने उसकी तरफ देखा तो मैंने साफ-साफ देखा की उनका खड़ा लंड धोती को बाहर तना हुआ खड़ा था । मेरे उठने से पहले ही उन्होंने जल्दी से अपने लंड को धोती में पुनः एडजस्ट कर लिया।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–तुम झूठ क्यूँ बोल रही हो बेटी?[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि मैंने तुम्हे कितनी बार बोला है तुम्हे अपना मन अपने लक्ष्य की और लगाना हैं और दूसरी बातो को नजर नदाज करना है परन्तु अभी भी तुम भटक जाती हो और यही तुम्हारी असफलता का मुख्य कारण है। तुम्हारा मन स्थिर नहीं रहता और अन्य चीज़ों में ज़्यादा उत्सुक रहता है। वही यहाँ पर भी हुआ। तुम्हारा मन पूजा की बजाय मेरे बदन के तुम्हारे बदन को छूने पर लगा हुआ था।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं –गुरुजी मेरा विश्वास कीजिए. मैं सिर्फ प्रार्थना पर ध्यान लगा रही थी परन्तु जब आप मुझे छू रहे थे तो मुझे छूने का एहसास हो रहा था जिसे मैं नजरअंदाज करने का पूरा प्रयास कर रही थी । अगर मुझ से कोई भूल हुई है तो आप कृपया मुझे क्षमा करे![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि यहाँ आओ और मुझे पता करना होगा की तुम्हारा मन भटका हुआ था कि नहीं। अगर तुम्हारा मन भटका हुआ था नहीं तो हमे ये प्रक्रिया दोहरानी होगी![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं हैरान थी। गुरुजी ये कैसे पता करेंगे? मैं सर झुकाए खड़ी थी क्योंकि मेरा ध्यान एक मर्द के अपने बदन को छूने पर था।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]एक मर्द के मुँह से ऐसी बात सुनकर हम दोनों हक्की बक्की रह गयीं। लेकिन फिर मुझे समझ आया की गुरुजी ने अपने अनुभव से एकदम सही निशाना लगाया है। क्यूंकी अगर किसी अगर ये पता लगाना हो की औरत की वह कामोत्तेजित है या नहीं तो ये बात उसके निप्पल सही-सही बता सकते हैं।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं शरम से लाल हो गयी थी। अब मुझे भी समझ आ गया था की गुरुजी को बेवक़ूफ़ नहीं बना सकती क्यूंकी वह बहुत अनुभवी और बुद्धिमान थे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]में–क्षमा चाहती हूँ गुरुजी. आप सही हैं।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]हमने एक बार फिर फूरी मन्त्र बोलने की प्रक्रिया दोहराई और इस बार मैंने पूजा पर ध्यान दिया नाकि गुरूजी के धक्को पर ।[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]upload image[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूजी: रश्मि आपको याद रखना चाहिए कि यह एक पवित्र अनुष्ठान है। इसे किसी 'सांसारिक' इच्छाओं के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए। "[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"मैं समझ गयी गुरुजी मैं..." गुरुजी ने धीरे से अपना हाथ उठाकर और मुझे रुकने का इशारा करते हुए मेरे वाक्य बीच में काट दिया।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूजी: रश्मि अब अप्प आप लिंगम पूजा की शक्तियों को अनुभव करेंगी तो अब हम लिंगा पूजा करेंगे। " उन्होंने मुझे कुछ आश्वासन के लिए देखा, मेरा दिमाग भारी था ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मुझे जवाब देने की जल्दी थी, मुझे ठीक-ठीक पता था कि मुझे क्या चाहिए।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]"मैं जैसा आप कहेंगे वैसा करुँगी गुरुजी मैं आपकी शिक्षाओं से प्रभावित हूँ। योनि पूजा अनुष्ठानों ने मुझे उत्साहित किया है।"[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी मेरे उत्साह पर मुस्कुराए बिना नहीं रह पाए।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरूजी- रश्मि अब मेरे पीछे दोहराओ कृपया इस लिंग पूजा को स्वीकार करें और मुझे उपजाऊ बनाएँ और मेरे गर्भ को एक बच्चे के रूप में आशीर्वाद दें...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं:-कृपया इस लिंग पूजा को स्वीकार करें और मुझे उपजाऊ बनाएँ और मेरे गर्भ को एक बच्चे के रूप में आशीर्वाद दें...[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरु-जी: मैं, रश्मि सिंह पत्नी अनिल सिंह, इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए आपके सामने आत्मसमर्पण कर रहा हूँ। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं: मैं, रश्मि सिंह, अनिल सिंह की पत्नी-इस प्रकार आपके पवित्र आशीर्वाद के लिए खुद को आपके सामने आत्मसमर्पण कर रही हूँ। कृपया मुझे निराश न करें। जय लिंग महाराज![/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब गुरुजी ने अपने बैग से लिंगा महाराज के दो प्रतिरूप निकाले। वह दिखने में बिल्कुल वैसे ही थे जिसकी हम यहाँ पूजा कर रहे थे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–संजीव बेल के पत्ते, दूध, गुलाब जल और शहद रश्मि को दो और रश्मि अग्नि कुंड में थोड़ा घी डाल दो।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने वैसा ही किया और गुरुजी उनसे कुछ मिश्रण बनाने लगे। उन्होंने बेल के पत्तों को कूटकर शहद में मिलाया और उसमें बाकी चीज़ें मिलाकर एक गाढ़ा द्रव्य तैयार किया। फिर लिंगा महाराज के एक प्रतिरूप पर वह द्रव्य चढ़ाने लगे। उन्होंने उस प्रतिरूप को द्रव्य से नहलाकर हाथ से उसमें सब जगह मल दिया। फिर दूसरे प्रतिरूप को उन्होंने अग्नि में शुद्ध किया और गुलाब जल से धो दिया। उसके बाद दोनों प्रतिरूपों की पूजा की। मैं चुपचाप ये सब देख रही थी ।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि, यहाँ आओ और अग्नि के पास खड़ी रहो। अपनी आँखें बंद कर लो और मैं जो मंत्र पढ़ूँ, अग्निदेव के सम्मुख उनका जाप करो।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]घी डालने से अग्निकुण्ड में लपटें तेज हो गयी थीं। गुरुजी ज़ोर-ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे। मैं मंत्रों को दोहरा रही थी। पांच मिनट तक यही चलता रहा।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि अब ये यज्ञ का बहुत महत्त्वपूर्ण भाग है। तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप टूयमहरे अंदर की योनि को जाग्रत करेंगे। इसे 'जागरण क्रिया' कहते हैं। तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैंने सर हिला दिया पर मेरे चेहरे से साफ पता लग रहा था कि मुझे कुछ समझ नहीं आया। लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]मैं यज्ञ के अग्निकुण्ड के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी, उसने आँखें बंद की हुई थीं। गुरुजी उसके बगल में खड़े थे।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी ज़ोर से मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे। अब उन्होंने लिंगा महाराज के पवित्र द्रव्य से भीगे हुए प्रतिरूप को मेरे मुँह में लगाया। मैंने पहले तो थोड़े से ही होंठ खोले, लेकिन लिंगा प्रतिरूप की गोलाई ज़्यादा होने से उसे थोड़ा और मुँह खोलना पड़ा। गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को मेरे मुँह में डाल दिया और मैं उसे चूसने लगी। प्रतिरूप में लगे हुए द्रव्य का स्वाद अच्छा लग रहा था जिससे मैं उसे तेज़ी से चूस रही थी। गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को धीरे-धीरे मेरे मुँह में और अंदर घुसा दिया और अब वह मुझे बड़ा अश्लील लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कोई औरत किसी मर्द का लंड चूस रही हो।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]गुरुजी–रश्मि! लिंगा को अपने हाथों से पकड़ो और ध्यान रहे इस 'जागरण क्रिया' के दौरान ये तुम्हारे मुँह में ही रहना चाहिए.[/font]
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[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]want smileys[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]अब मैंने अपने दोनों हाथों से लिंगा प्रतिरूप को पकड़ लिया और चूसने लगी। गुरुजी की आज्ञा के अनुसार मैंने अपनी आँखें बंद ही रखी थीं। आँखें बंद करके लिंगा को चूसती हुई मैं अवश्य ही बहुत अश्लील लग रही होउंगी, शरम से मैंने अपनी गर्दन झुका ली। गुरुजी मेरी और गौर से देख रहे थे। उन्हें इस दृश्य को देखकर बहुत मज़ा आ रहा होगा की एक सुंदर महिला, तने हुए लंड की आकृति के लिंगा को मज़े से मुँह में चूस रही है। फिर मैंने अपना चेहरा ऊपर को उठाया और लिंगा से थोड़ा और द्रव्य बहकर मेरे मुँह में चला गया। लिंगा को चूसते हुए मैं बहुत कामुक आवाज़ निकाल रही थी।[/font]
[font=Roboto, -apple-system, BlinkMacSystemFont,]कहानी जारी रहेगी[/font]