आगे प्रीति से उसकी जुबानी…।
अगले दिन जब में सोकर उठी तो मेरी आँखों के सामने बार बार पापा मम्मी की चुदाई का दृश्य सामने आ रहा था, उनकी कामुकता भरी आवाजे अब भी मेरे कानो में गूंज रही थी, जैसे जैसे में सोचती जाती मेरी चूत गीली हो जाती और ओर्गास्म पर पहुचने के साथ ही चूत रस निकल जाता और मेरी पूरी पेंटी को भिगो देता।
अगर समय कोई मेरी पैंटी को देखता तो उसे यही लगता की मेरी किसी ने चुदाई की हे और मेरा चूत रस मेरी पेंटी पर लगा हुआ हे।
पर पता नही अब मेरा पापा के प्रति आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था और में उनके ज्यादा से ज्यादा करीब रहने की कोशिश करती रहती थी। में चाहती थी की पापा मुझसे खूब बाते करे वो हमेशा मेरे सामने रहे। लेकिन ऐसा हो नही पाता था, वो मम्मी के सामने आते ही मेरी अनदेखी करना शुरू कर देते थे।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ जो मेने सोचा भी नही था, मुझे पापा अपनी कार से ही स्कूल छोडा करते थे थे, उस दिन मुझे जल्दी थी और में पापा को बुलाने सीधे उनके बैडरूम में घुस गयी, पापा तब शायद बाथरूम से सीधे नहा कर ही आये थे और वो बिलकुल नंगे खड़े होकर टॉवल से अपना बदन साफ़ कर रहे थे और मेरी नजर उनके सर से होती हुई उनकी कमर के निचे जाकर अटक गयी जहा उनका लंड था उस दिन तो अँधेरे में चुदाई करते समय मेने उनका लंड देखा था लेकिन आज उजाले में, मेने पहली बार कोई लंड देखा था मेरे तो होठ सुख गए, पापा एक पल तो कुछ समझे नही पर उन्होंने तुरंत ही टॉवल लपेट लिया। और हमसे कहा तुम चलो में आता हु। मेने एक पुरुष का पूर्ण उत्तेजित लंड देखा।करीब ७ इंच लम्बा ओर ३ इंच गोलाई वाला...एकदम खडा हुआ..।मेरी चूत तर हो गयी थी, और उस रात मैंने पता नहीं कैसे एक बहुत कामुक सपना देखा और उसमे मैंने देखा कि मैंने पापा का लंड देखा और पता नहीं क्या क्या...मेरी आँख खुल गयी।मुझे पसीना आ रहा था और मेरा गला सुखा हुआ था।मेरी उँगलियों ने मेरी पैंटी को छू कर देखा तो वो थोडी गीली थी, मैंने महसूस किया कि मेरी चूत कि बीच में कुछ स्पंदन हो रहे थे, मेरी निप्पलस एकदम सख्त थे।मैंने अभी अभी एक ओर्गास्म से गुजर चुकी थी, कब, कैसे, कुछ नहीं पता..! मेरी साँसे तेज तेज चल रही थी और दिल कि धड़कनें बड़ी हुयी थीं। मैंने एक तकिया लिया और अपनी जाँघों के बीच फंसा लिया।जिससे की मेरी चूत पर अच्छा खासा दवाब आ रहा था।
उसका ठंडा ठंडा कपडा मेरी नंगी चूत पर काफी अच्छा लग रहा था हलाँकि मुझे पता था की यह सब काफी नहीं होगा।सो मेने उठकर बाथरूम में जाने का फैसला किया।
मैंने शान्ति से बाथरूम में घुसी और अपने टाँगे फैला कर अपनी भगान्कुर को घिसना शुरू किया।मेरी चूत ऐसी गरम हो गयी थी जैसे की उसमे अन्दर से आग निकल रही हो।मुझे पता नहीं क्या हो रहा था की मैं अपना पानी निकालने की लिए बहुत आतुर हो रही थी।।मैं बाथरूम में ऐसा कुछ ढूँढने लगी जो मेरी तड़प को शांत कर सके।मैं व्याकुल हो रही थी, कोई मेरे को इस उत्तेजना से शान्ति दिला दे...कोई भी...कैसे भी.मेरा इतना बुरा हाल था की मैं किसी छुअन को अपनी चूत पर महसूस करना चाहती थी, कोई मुझे वहां प्यार करे और मेरा पानी छूट जाए.
मैंने एक शैंपू की बोतल ली और उसे वाश बेसिन के साथ लगा लिया और उस से अपनी चूत को सटा दिया, मेने अपनी क्लिटोरिस को शैंपू के चिकने ढक्कन से टकराना शुरू कर दिया।मैं उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगी।मैं अपने आप को शीश में देख रही थी और कल्पना कर रही थी की कोई मुझे देख रहा है।मैं चाहती भी थी की कोई मुझे देखे।मैं किसी के लिए भी ओर्गास्म पर पहुंचना चाहती थी अगर वो मुझे देखे भी।
कुछ मिनट और निकले, मैं और ज्यादा चाहती थी, मैं अपने को भरना चाहती थी।मैं चाहती थी की कोई मुझे छुए। मुझे लगा की मेरे पर अब मेरा भी कण्ट्रोल नहीं हो रखा था.जब मेरे से कण्ट्रोल नहीं हुआ तो मैं बाथरूम के फर्श पर लेट गयी और कंडीशनर की एक बोतल लेली, टांगों को चौडा कर कंडीशनर की बोतल से कुछ कोल्ड लोशन मैंने अपनी चूत पर उडेल दिया जो बहता हुआ मेरी क्लिटोरिस से बहता हुआ मेरी चूत के लिप्स से होता हुआ मेरी गुदा तक चला गया।उसके बाद मैं फर्श पर झुक गयी और अपने दोनों हाथ और पैरों पर हो गयी और फिर एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ना शुरू करदिया, पर कुछ ख़ास नहीं हो पाया।तब मैं उठी और अपने कमरे में वापस आ गयी।
मेरी समझ नही आ रहा था में कैसे अपने को शांत करू, ना जाने क्या सोच कर में पापा के बैडरूम की और बढ़ चली, मेने धीरे से बैडरूम का दरवाजा खोला तो देखा मम्मी बेड़ के एक कोने पर सो रही हे और पापा पींठ के बल लेटे हुए थे और मेने पास में आकर पाया की उनका लंड तनाव में था और उनके पायजामे में एक टेंट की तरह आकार हो रखा था।में अछाम्भित सी हो गयी और उनके नजदीक गयी, मेरा एक हाथ मेरी चूत पर था और में कल्पना करने लगी की वो मेरे साथ सेक्स कर रहे है।
में दुगुनी रफ़्तार से अपनी चूत रगड़ने लगी जैसे ही मेरे मन में ये पिक्चर आने लगे।में अब उनका लंड महसूस करना चाहती थी।में उनके लंड को मेरे ऊपर वीर्य उड़ेलते हुए देखना चाहती थी।पर अगर वो जग गए तो? पर में रुकने वाली नहीं थी...और..
में धीरे से उनके बगल में बैठ गयी,लेकिन अचानक मुझे मम्मी के जागने का सा एहसास हुआ और में तुरंत वह से उठी और अपने रूम्मे चली आई, मेरी सांस धौकनी की तरह चल रही थी,मुझे मम्मी पर गुस्सा आ रहा था की उन्ही भी इसी वक़्त उठना था, उस रात जैसे तैसे हमने अपने आप को संभाला, लेकिन हमने ये भी तय कर लिया था की अगर हम अपना पहला सेक्स जिसके साथ करेंगे वो पापा ही होंगे। अब हमें ये कोशिश करनी थी की मैं पापा का ध्यान अपनी और कैसे करू।
मेरे मन में हमेशा पापा के लंड की तस्वीर ही घूमती रहती थी, कहते हे न जब आप किसी को चाहने लगते हे तो उसकी हर बात को बड़े धयान से नोटिस करने लगते हे ऐसा ही हमारे साथ हुआ, मेने देखा की पापा संडे को बड़े रोमांटिक मूड में रहते हे और मम्मी भी, ना जाने हमे ये लगने लगा की संडे को पापा मम्मी जरूर सेक्स करते होंगे, और हम उन दोनों को दुबारा सेक्स करते देखना चाहते थे,पर कैसे ये हमारी समझ नही आ रहा था।
पर कहते हे न जन्हा चाह वंहा राह, पापा मम्मी के रूम और हमारे रूम दोनों के रोशनदान बॉलकनी में खुलते थे और बॉलकनी से रोशन दान के द्वारा दोनों कमरो का नजारा देखा जा सकता था।
ऐसे ही एक संडे को हमारी नींद खुली तो हमें पापा मम्मी के रूम में से कुछ आवाजे सुनाई दी, हम तुरंत बॉलकनी पर गए और एक कोने से पापा मम्मी के बैडरूम निगाहे अंदर का नजारा देख कर दंग रह गयी मम्मी आईने के सामने खड़ी हुई थी वो, अपनी साडी उतार रही थी, ब्लाउस में फंसे हुए उसके बोबे बाहर निकलने कि गुहार कर रहें थे, उन्होंने अपने ब्लाउस के हुक भी खोल दिए और उसके बाद अपनी ब्रा को भी उतार फेंका।
उन्होंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया, और फिर पेंटी भी, पूरी नंगी हो गयी वो एकदम से पूरी तरह से नंगी होने के बाद वो घूम-घूमकर अपने पुरे शरीर का मुवायना करने लगी तभी पापा कमरे में आ गए और पापा ने दरवाजा बंद कर दिया और मम्मी को अपने पास बुलाया और उसे अपनी बाहों में लपेट कर जोर से हग किया ..पापा ने अपनी बाहे मम्मी के चारों तरफ लपेट दी और झुक कर उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए पापा के हाथ उसके कुलहो पर फिसल रहे थे।
पापा ने एकदम से मम्मी के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठ उनके होंठों पर रखकर उन्हें बुरी तरह से चूसने लगे .. उसके हाथ मम्मी के कूल्हों को मसल रहे थे, चूतडो की दरारों पर दबाव पड़ते ही मम्मी तड़प उठी और अपने पंजों पर खड़ी होकर सीत्कार उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स उम्म्म्म ''
पर पापा से अब सब्र नहीं हो रहा था,मम्मी का भी लगभग यही हाल था, वो अपनी चूत वाले हिस्से को उसके लंड पर रगड़ती जा रही थी, और उसके मुंह से अजीब -२ सी आवाजें भी निकल रही थी। अब पापा मम्मी कि चूत के आगे घुटनो के बलबैठे हुए थे, उनकी चकनी चूत को देखकर उनके मुंह में पानी आ रहा था औरउन्होंने अपना मुंह वहाँ लगा दिया..