Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी - Page 2 - SexBaba
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Porn Story चुदासी चूत की रंगीन मिजाजी

मम्मी का पूरा शरीर थरथरा उठा....थोड़ी देर तक चूत चूसने के बाद पापा असली काम पर आ गए, उन्होंने अपने बाकी के बचे खुचे कपडे उतार फेंके और एक ही झटके में मम्मी की चूत के अंदर अपना लंड पेलकर उसे चोदने लगे ।उसके रसीले और थरथराते हुए चूतड़ अपनी जांघ पर महसूस करते हुए पापा कि मस्ती कि कोई सीमा ही नहीं रही पापा का लंड अंदर - बाहर होता जा रहा था और अचानक मम्मी को अपने अंदर एक गुबार बनता हुआ महसूस होने लगा और अगले ही पल वो गुबार फूट गया और वो बिलबिलाती हुई सी झड़ने लगी ..
''अययययीईईईईईई अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्हह्हह्हह्हह ''
सही कहु तो दुबारा पापा मम्मी के देखी गयी इस चुदाई ने मेरे मन में अजीब सा एहसास भर दिया था, हालाँकि मेरी उम्र ज्यादा नही थी लेकिन में उम्र के जिस मोड़ पर थी उसमे किसी चुदाई को देखना, अश्लील शब्दों का सुनना हमेशा मेरी चूत को तर करने के लिए काफी था। 
अब तो हॉल ये हो गया था की जब भी में अकेले भी बैठती और पापा मम्मी की चुदाई के दृश्यों के बारे में सोच भी लेती तो ऑर्गैस्म प्राप्त कर लेती। मेरी चूत चूत रस छोड़ देती और में निढाल सी हो जाती। मेरी समझ में नही आ रहा था की अपनी इस हालत का में क्या करू। कई बार लगता की अब तो कोई भी आ जाये, मुझे अपनी बाँहो में समेत ले और अपना लंड मेरी चूत में घुसा दे, मेरी चूत को फाड़ के रख दे, इसके परखचे उड़ा दे, मेरी चूत में अपना रस इस तरह भर दे की वो कभी खाली ही ना हो। 
*****
एक दिन हमें पुरे परिवार के साथ पापा के एक मित्र के बेटे की शादी में पड़ा, मम्मी ने हमसे कहा की इस अवसर पर में कोई उनका लहँगा चुन्नी पहन लू जो की राजस्थानी ड्रेस होती हे। उनके अनुसार कभी शादी वगेरा में इस तरह पारम्परिक ड्रेस पहनना अच्छा लगता हे। 
मेने लहंगा चुन्नी पहन लिया और अंदर जौकी कि ही मैचिंग ब्रा और पेंटी पहनी थी लेकिन मुझे उसमे एक बड़ी अजीब सी बात यही दिख रही थी की उसमे मेरा ब्लॉउज एकदम से सामने आ रहा था और मेरे दोनों बूब्स के उभार बिलकुल सामने उभर कर आ रहे थे। क्यू की मुझे बार बार लहंगा और चुन्नी को सम्भालना पड़ रहा था तो में बहुत थक भी गयी थी और परेशान भी हो चुकी थी। 
में घर पहुंची तो बहुत थक गयी थी और रात भी हो चुकी थी,सर में दर्द था और चक्कर भी आ रहे थे ! मैंने सोचा कि दवा खा कर थोड़ी देर लेटती हूँ, फिर नाईट ड्रेस पहन लुंगी! बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गई, पता नहीं चला ! करीब पांच बजे सुबह नींद खुली तो कुछ अजीब सा लगा, चुन्नी पूरी उठी हुई थी, लहंगे के साथ ! पैंटी में बहुत गीलापन था ! ब्रा के हुक अंदर से खुले थे और निप्पल के पास पूरा गीला था ! मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये और बाथरूम भागी ! पैंटी उतारते ही मैं चौंक गयी,क्योकि पैंटी उलटी थी ! मैंने ज़िन्दगी में कभी उलटी पैंटी नही पहनी थी, और मुझे पूरा विस्वास था कि कल भी मैंने सीधी पहनी थी! ब्लाउज उतारा तो देखा कि ब्रा का सिर्फ एक हुक लगा है वो भी गलत जगह ! इसका मतलब था कि किसी ने मेरी ब्लाउज और ब्रा खोली, पैंटी उतारी और वापस पहना दिया! मेरी चिकनी चूत पर भी एक चमक थी, जैसे किसी ने उसको रगड़ रगड़ के साफ़ किया हो! मेरे तो होश उड़ गए कि कौन हो सकता है। पापा, भैया या कोई और मर्द, घर में ये तीन ही तो हे, ताज़्ज़ुब इस बात का था कि मुझे पता नहीं चला !किसी तरह इस टेंशन में मैं तैयार होकर नीचे उतरी, ज़िन्दगी में पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ था! किसी से कुछ पूछना या बोलना मेरे लिए असंभव था !
बदन में अजीब सी सनसनाहट हो रही थी! चूत बहुत ज्यादा कोमल लग रही थी! पैंटी के साथ हलकी सी रगड़ भी सनसनाहट दे रही थी !मेरे लिए ये नया अनुभव था! कौन है वो जिसने मेरे अंगों से खेला है! लड़की होने के नाते ये तो में समझ गयी थी की मेरे साथ सेक्स नहीं हुआ है, पर बाहर से किसी ने जी भर के चूमा चाटा है! मेरा किसी भी काम में मन नहीं लग रहा था! मैं इतनी बेहोश कैसे हो सकती हूँ कि मुझे पता नहीं चला!
दिन भर ये ही मेरे दिमाग में उथल पुथल चलती रही, मम्मी ने मुझे भी परेशान देखा तो उन्हें लगा की में रात को शादी की थकान के कारन थकी हुई हु तो उन्होंने कहा कि मैं जा के आराम कर लूँ !मैंने कह दिया कि अब मैं रूम में जा रही हूँ सोने के लिए ! ऊपर रूम में आकर मैंने कपड़े बदलने कि सोची, नाईट ड्रेस पहना और दवा खाकर सोने चली गई! नाईट ड्रेस के साथ मैं ब्रा और पैंटी नहीं पहनती थी! दिमाग में कल कि बातें चल रही थी! मैंने सोच लिया था कि अगर आज ऐसा कुछ हुआ तो मैं जरूर पकड़ लुंगी। 
शाम के ७ बजते बजते मुझे गहरी नींद आ गई !देर रात मुझे अहसास हुआ कि कोई मेरे चूत को जीभ से चाट रहा है ! मैं डर के मारे आँख नहीं खोल पाई !मेरी नाईट ड्रेस ऊपर गर्दन तक उठे हुए थे, अजनबी के दोनों हाथ मेरे चूची को सहला रहे थे ! कमरे में हलकी रौशनी तो थी, पर आँखें खोल कर देखने का साहस मुझमे नहीं था! चूत चाटने वाला बड़े आराम से चूत का कोना कोना जीभ से साफ़ कर रहा था, कोई जल्दी नहीं लग रही थी ! पूरा बदन सनसना रहा था! कि अचानक .,,,अचानक मेरे पूरे बदन में एक तनाव सा आया, और लगा जैसे मेरी चूत से फौवारा छूटा है ! उसके बाद मेरे कमर के नीचे का हिस्सा बिलकुल ही ढीला पर गया ! शायद अज़नबी को कुछ शक हुआ की मैं जाग रही हूँ ! थोड़ी देर के लिए सब कुछ शांत हो गया ! मैं समझी की चलो बला टली ! मैं चुप चाप लेटी रही ! मैं यह चाहती थी की अजनबी को लगे कि मुझे कुछ पता नहीं चला कि मेरे साथ क्या हुआ ! मैं किसी आहट का इंतज़ार कर रही थी कि उसके जाते जाते मैं उसे देख पाउ और कम से कम ये जान तो लूँ कि ये कौन है ! कुछ समय ऐसे ही बीत गया ! मैं चाहती थी कि जल्दी से मैं नाईटी को नीचे करू, क्यूकि नंगे बदन मुझे बड़ा अजीब लग रहा था ! मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कभी मेरे साथ ऐसा हो सकता है!
मुझे भी सेक्स के बारे ज्यादा पता नहीं था, जीभ से चूत को चाटा जाता है, ये तो बिलकुल मेरी समझ के बाहर था ! मुझे बस एक ही बात अच्छी लगी थी कि मेरी चूत ने उसे बहुत पसंद किया था और पहली बार मुझे पूरा संतोष लग रहा था !
 
इन उलझलों में अभी खोई ही थी कि एक ऊँगली का अहसास मेरे चूत को हुआ ! वो ऊँगली से मेरे चूत को सहला रहा था !स्पर्श इतना हल्का था कि मेरे रोएँ खड़े हो गए थे ! वो मेरे चूत के आस पास ऊँगली से सहला रहा था, फिर मुझे लगा कि कोई मेरे बगल में आकर लेटा है! उसका एक हाथ मेरे चूत पर था और दूसरे से वो मेरे होंठ सहला रहा था ! फिर अचानक से मेरे चूची पर जीभ फिराने का अहसास होने लगा, और उसने एक निप्पल मुंह में ले लिया! जैसे जैसे वो मेरे निप्पल को मुंह में लेकर चूस रहा था, मेरा शरीर मेरा साथ छोड़ रहा था! शरीर और अंतरात्मा में जंग छिड़ गयी थी ! बदन पूरी तरह अज़नबी का साथ दे रहा था और अंतरात्मा मुझे धिक्कार रही थी ! मुझे लगा अगर जल्दी से मैंने कोई कदम नहीं उठाया तो अनर्थ हो जायेगा ! शरीर में कंपकपी होने लगी थी !मैंने पूरी हिम्मत के साथ अपनी आँख थोड़ी सी खोली ! हलकी रौशनी कमरे में थी ! डर से आँख ज्यादा नहीं खोल रही थी क्योंकि मैं यही चाहती थी कि मुझे उसका सामना न करना पड़े और वो बस इतने पर वापस चला जाये ! उसकी हिम्मत बढ़ती जा रही थी, क्योकि वो बीच बीच में मेरे होंठ भी चूस लेता था ! अब मुझे लगा कि अब नहीं तो फिर बहुत देर हो जाएगी ! मैंने अपने बदन को इस तरह घुमाया, जैसे मैं करवट ले रही हूँ , लेकिन मेरी उम्मीद के उलट अज़नबी ने मुझे अपने बाँहों में ले लिया ! शुक्र था कि उसने कपड़े पहन रखे थे ! 
अब मेरे बगल में अजनभी लेटा था !उसने अपना एक पैर मेरे दोनों पैर के ऊपर डाल कर मुझे हिलने डुलने से रोक दिया ! बहुत ही ताक़त थी उसके बंधन में और बहुत गठीला जवान मर्द का अहसास हो रहा था मुझे ! अब उसने मेरे मुंह में अपनी जबान डाल दी और रास पीने लगा! मेरे लिए अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था, और मुझे लग रहा था कि अब किसी भी वक़्त वो मुझे चोद सकता है, क्योंकि वो आक्रामक होता जा रहा था ! न जाने क्यों ये सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था, अब बस और नहीं, मैंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और ऑंखें खोल दी ! आँखें खोलते ही जैसे भूचाल आ गया ! मैं पूरी जोर से चीखी। जफ़र अंकल आप ???????.
हैरानी कि बात ये थी कि मेरे जागने के बाद भी जफ़र अंकल को कोई डर या पछतावा नहीं था !मेरा मुंह उन्होंने बंद कर रखा था ! मेरी आँखों में आंसू थे !जफ़र अंकल ने बोला, देखो, अगर तुम चिल्लाओ नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह पर से हाथ हटाउ ! मेरा मुंह गुस्से से लाल हो रहा था ! जफ़र अंकल के भारी हाथ के कारण मेरा मुंह दर्द कर रहा था ! मैंने आँखों से ही उनसे रिक्वेस्ट किया, उन्होंने फिर पूछा 'चिल्लाओगी तो नहीं' ! मैंने पलकें झपका कर ना कहा !उन्होंने कहा 'प्रॉमिस ',और हाथ थोड़ा हल्का किया, मैंने दबी जबान में बोला 'प्रॉमिस ! उन्होंने हाथ हटा लिया था ! मैंने गिड़गिड़ाना शुरू कर दिया । जफ़र अंकल आप ये क्या कर रहें हैं ..मैं आपके मालिक की बेटी हु ! आप ऐसा मत कीजिये मेरे साथ ! मुझे छोड़ दीजिये, मैं किसी से नहीं कहूँगी, कि आपने मेरे साथ ऐसा किया ! जफ़र अंकल ने कहा 'ठीक है, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा लेकिन एक शर्त पर '! मुझे आपकी सब शर्त मंजूर है जफ़र अंकल, बस आप मुझे छोड़ दीजिये ! 
जफ़र अंकल बहुत शर्मिंदा लग रहे थे, बोले 'देखो बेटा, मैंने ऐसा क्यों किया, ये मैं बाद में बताऊंगा तो शायद तुम मुझे माफ़ कर सको ! मैंने कल और आज तुम्हारे शरीर के हरेक अंग को छुआ है, लेकिन तुम नींद में थी ! मैं सिर्फ १० मिनट तुम्हारे जागते हुए तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ, तुम्हारे साथ वो सब करना चाहता हूँ, जो मैंने कल और आज किया है, तुम्हारी नींद में ! लेकिन जो भी मैं करूँगा वो अपने संतुष्टि के लिए करूँगा, तुम उसमे बिलकुल शामिल न होना ! अगर तुम्हारे शरीर ने मेरा साथ दिया, तो तुम शर्त हार जाओगी, और मैं समझूंगा की ये सब तुम्हें अच्छा लग रहा है ; फिर तुम वही करोगी जो मैं चाहूंगा! और अगर तुम दस मिनट तक बगैर किसी उत्तेज़ना के चुप चाप लेटी रही तो, मैं ज़िंदगी में कभी दुबारा तुम्हारी साथ ये सब नहीं करूँगा !
मैं बहुत असंजस में फँस गई थी, एक तरफ अपनी आत्मा को मारना था, दूसरी तरफ जफ़र अंकल से हमेशा के लिए छुटकारा ! एक बात का तो मुझे पक्का यकीन था, मैं और मेरा शरीर, उनके किसी भी हरकत पर उनका साथ नहीं देंगे,क्यूंकि एक तो मुझे उनसे नफरत सी हो गई थी और दूसरा कि उनके घंटो चूमने चाटने के बाद भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल रखा था और उनको ये पता नहीं लगने दिया था कि मैं जागी हुई हूँ ! वैसे भी अगर मैं उनकी शर्त न मानती तो शायद वो अभी मेरी चुदाई कर दें ;और मुझे पता था कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाऊँगी ! सब यही बोलेंगे कि में ही बदचलन हु, नहीं तो जिस आदमी ने मेरे परिवार कि भलाई के लिए शादी नहीं की, वो भला कैसे मालिक कि बेटी के साथ ऐसा कर सकता है !
जल्दबाज़ी में मुझे कुछ नहीं सूझा.मैंने कह दिया, "मुझे मंजूर है, लेकिन आप भी प्रॉमिस कीजिये कि मेरे शर्त जीतने पर मुझे कभी नहीं छुएंगे" ! मेरे बोलने के दौरान ही जफ़र अंकल ने मेरी नाईटी गर्दन से निकल कर अलग कर दी, और पूरी तरह मेरे ऊपर लेट गए !उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा प्रॉमिस और उनके होंठ मेरे होंठ से सिल गए और हाथ मेरे पूरे बदन को सहलाने लगे ! मैंने नज़र उठा कर देखा, सुबह के चार बज़कर १० मिनट हो रहे थे जफ़र अंकल ने मुझे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया था ! मुझे चारों तरफ से घेर रखा था ! मैंने वादे के मुताबिक अपने आप को ढीला छोड़ दिया था ! जो भी करना था, उनको ही करना था !मुंह को खुलवा के उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाल दी ! मैंने अपनी जीभ अंदर खींच रखी थी !उन्होंने मेरे मुंह पर दवाब बनाया और मेरी जीभ को अपने जीभ के बीचों बीच रखकर चूसने लगे ! जब भी में जीभ हटाने का प्रयास करती, वो मुंह दबाकर विरोध करते और मैं ढीला छोड़ देती ! 
उनका दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों को हलके हलके मसल रहे थे ! उन्होंने अपना पूरा बोझ अपनी कोहनी और पैर पर बैलेंस किया हुआ था, जिससे बीच में जगह बनी हुई थी और मैं दबा हुआ भी महसूस नहीं कर रही थी ! उनके विशाल गठीले शरीर के आगे मैं बिलकुल छुप सी गयी थी! वैसे तो मैं भी बिलकुल दुबली नहीं थीं, पर मेरे शरीर पर कोई मोटापा नहीं था! अपने फिगर, कपड़े और अपनी सफाई का मैं पूरा ध्यान रखती थी ! शादी में जाने से पहले ही मैंने पूरे बाल साफ़ किये थे, बगल में और चूत के आसपास मैं रोज क्रीम लगाती थी, जिससे वो बिलकुल मुलायम रहते थे! मेरी चूची जफ़र अंकल के हाथों रौंदी जा रही थी ! जफ़र अंकल के हाथों में बिलकुल फिट हो गए थे, जैसे उनके लिए ही नाप से बने हों ! मेरे चूचियों की घुंडियों को जफ़र अंकल ने अपने दो उँगलियों के बीच फसा लिया और उसको भी आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगे ! कमाल का कंट्रोल था, एक ही हथेली की ऊँगली अलग तरीके से काम कर रहे थे और हथेली अलग तरीके से !जफ़र अंकल दवाब भी इतना ही बना रहे थे, जितना मैं बर्दाश्त कर पा रही थी ! कभी जान बूझ कर जोर से दबा देते थे, तो मेरी आह निकल जाती थी ! मेरे मुंह का सारा रस वो पीते जा रहे थे ! मैंने कभी इतनी गहरी किस नहीं की थी ! कभी कभी तो सांस रुकने लगती थी !एक साथ मेरे तीन अंग जफ़र अंकल का जुल्म सह रहे थे ! बदन कह रहा था कि ये हसीं पल कभी खत्म न हो, पर जमीर मुझे धिक्कार रहा था ! अभी मुश्किल से दो तीन मिनट बीते होंगे, और मैं टूटने के कगार पर थी, पर इज़्ज़त का ख्याल आते ही वापस अपने होश सम्हाल लेती थी!
 
अब जफ़र अंकल ने चूमना धीमा कर दिया था, होठ को धीरे से हटाकर मेरे गालों को चाटने लगे, फिर कान और गर्दन !जब वो कान के पीछे और गर्दन को चारो तरफ से चूमते चाटते थे, तो उनकी गर्म साँसे मुझे पागल कर देते थे !थोड़ी देर बाद वो चूचियो तक पहुंच गए ! कभी बायीं चूची तो कभी दायीं चूची मुंह में लेते और हल्का सा दांत मेरे निप्पल पर लगा देते, मेरी सीत्कार निकल जाती थी ! मेरी चूत का तनाव बढ़ता जा रहा था, लगता था अभी बिस्फोट हो जायेगा ! चूत से पानी लगातार निकल रहा था, जो मेरी जांघों से होकर बिस्तर गीला कर रहा था ! मेरे गोर चिट्टे बदन पर अब लाल लाल निशान बनने लगे थे ! आज पहली बार मुझे पता लग रहा था कि मेरे बदन मुझे इतना सुख दे सकते है ! ! 
जफ़र अंकल अब बिस्तर पर बैठ गए थे, अपने दोनों पैर मोड़ कर ! मेरे दोनों पैर उन्होंने अपने दोनों तरफ फैला दिए और मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए ! अब उनके मुंह के सामने मेरी चूत थी ! मैंने इससे ज्यादा शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं किया था ! 
जफ़र अंकल नें कमर के नीचे हाथ डाल कर मेरे निचले हिस्से को ऊपर उठा लिया और जफ़र अंकल ने मेरी गुदा के छेद से नाभी तक जीभ फिरानी शुरू कर दी ! मैं एक खिलोने कि तरह उनके हाथ में थी ! कितनी ताक़त थी उनके हाथों में और उतनी ही नाजुक उनका स्पर्श था मेरे अंगो के लिए ! उनके चाटने से मेरी हालत पागलों वाली हो गयी थी ! चूर फड़फड़ा रहे थे ! हर स्पर्श से बदन सिहरन से भर जाता ! पूरा कमरा चाटने कि आवाज़ से संगीतमय हो गया था ! अब उन्होंने मेरे चूत को अपना निशाना बनाया ! जीभ अंदर बाहर करने लगे !एक हाथ कि ऊँगली भी मेरे चूत के आस पास ही फिसल रही थी ! अचानक पता नहीं उसने कौन सी जगह छू दी, मुझे एक करंट सा अनुभव हुआ और मेरे चूत ने जोर से पानी का फौवारा मारा ! मुझे लगा, जैसे मैंने झटके में जोर से पेशाब कर दिया हो ! जफ़र अंकल का पूरा चेहरा भीग गया होगा, सोच कर ही मैं शर्म से मरी जा रही थी ! मैंने बहुत मुश्किल से अपने को सम्हालने कि कोशिश की, पर न तो शरीर काम कर रहा था, न ही मन! आज मुझे समझ में आ गया था कि, अच्छी चुदाई के आगे, हम लडकिया किसी की परवाह नहीं कर पाती है ! मैंने हल्का सा आँख खोलने कि कोशिश की ! दीवार पर टंगी घड़ी अभी भी ढाई मिनट का टाइम बचा हुआ बता रही थी ! मैं अब निराश होने लगी थी ! पता नहीं जफ़र अंकल अब क्या करने वाले है ! वैसे अगर वो इस वक़्त अपना लण्ड भी मेरी चूत के अंदर डाल देते, तो मैं शायद मना भी नहीं कर पाती ! 
लेकिन जफ़र अंकल की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी, कि उन्होंने अपना लण्ड अभी तक इन सब से अलग रखा था ! जफ़र अंकल अब मेरे बराबर करवट लेकर लेट गए थे ! एक हाथ को मेरे सर के पीछे से ले जाकर मेरी बायीं चूची को मुट्ठी में लेकर दबाने और सहलाने लगे ! दूसरा हाथ मेरी चूत पर हाथ फ़िर रहा था !फिर अचानक एक ऊँगली मेरी चूत में घुसाने की कोशिश की ! मेरी चीख निकली पर तब तक उन्होंने जीभ मेरे मुंह में घुसेड़कर कर मेरे मुंह को बंद कर दिया ! फिर से एक साथ जफ़र अंकल के हाथ, मुंह, ऊँगली सब अलग अलग काम कर रहे थे !मैं हैरान थी कि, इतना परफेक्शन कितनी प्रैक्टिस के बाद आया होगा, वो भी एक बिना शादी किये हुए 45 साल के ऊपर के इंसान को ! मैं चुप चाप लेटी थी, फिर भी थक के चूर थी, और वो पुरे जोश के साथ लगे हुए थे ! 
जफ़र अंकल ने अपनी कारवाही जारी रखी, कभी ये चूची तो कभी वो चूची ! कभी ऊँगली कि स्पीड बढ़ा देते और कभी घटा देते ! कभी उस अनजाने स्पॉट को दबा देते ! उन्होंने जीभ से मेरे मुंह के अंदर का कोना कोना चूस लिया था ! 
मुझे पता भी न चला कि मैं मस्ती में सीत्कार मार रही थी, जफ़र अंकल के जीभ को चूस रही थी और एक हाथ से जफ़र अंकल कि पीठ को सहला रही थी !सब कुछ अपने आप चल रहा था, मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे साथ क्या हो रहा है, कौन सी शर्त थी और हार जीत पर क्या होना था !फिर अचानक चूत में एक जोर का भूचाल आया और सब कुछ शांत सा हो गया ! जफ़र अंकल ने हलके से जीभ बाहर निकली, और मेरे कान में बोले, प्रीति बेटा, तुम शर्त हार गयी हो ! मैं जैसे बेहोशी से जागी ! मुंह से मुश्किल से निकला कैसे ? 
जफ़र अंकल बोले, बेटे मैंने तुम्हारे अंदर सिर्फ ऊँगली रखी है ! मुझे झटका सा लगा, ध्यान दिया तो महसूस हुआ कि जफ़र अंकल कि ऊँगली मेरी चूत में स्थिर है और मैं नीचे से उसे अंदर बाहर कर रही हूँ ! फिर ध्यान में आया कि मैं जफ़र अंकल कि पीठ भी सहला रही हूँ ! मैं जैसे नींद से जागी, निराशा भरी नज़रों से जफ़र अंकल को देखा और हारे हुए जुआरी कि तरह सर झुका लिया, अभी भी ३० सेकंड बचे थे ! अब मैं समझ गयी कि जफ़र अंकल ने मुझे छल से जीत लिया था ! मेरे लिए अपनी बात से वापस होना नामुमकिन था ! मुझे बहुत जोर कि पेशाब आ रही थी ! बाथरूम जाना था, पर हिल नहीं पायी! जफ़र अंकल ने मेरी नाइटी बिस्तर से उठाकर, टेबल पर रख दिया और अपना कुर्ता उतार दिया !
 
बालों से भरा चौड़ा सीना मेरे सामने था ! जफ़र अंकल ने पजामा भी उतार दिया ! अब सिर्फ अंडरवियर में मेरे सामने थे ! मेरी सूनी ऑंखें आंसुओं से भरी हुई थी ! और जफ़र अंकल मेरे चूत के ख्यालों में मुस्करा रहे थे ! उनके बिस्तर पर लेटने से पहले ही मैंने कहा, मुझे बाथरूम जाना है ! उन्होंने सहारा दिया, पर मैं सम्हल नहीं पायी और उनकी बाँहों में झूल गयी ! उन्होंने मेरी हालत समझी और मुझे गोद में उठा लिया, और बाथरूम की तरफ चल पड़े ! उनके बालों से भरे सीने में मेरे मुंह था, अजीब सी मरदाना खुश्बू मुझे पागल करने लगे ! जफ़र अंकल ने मुझे सीट पर बिठाया और खुद बाहर चले गए ! जाते जाते दरवाजे को ठीक से लगाते गए ! उन्होंने कहा, मैं बाहर हूँ, आवाज़ दे देना ! 

मैंने लगातार पता नहीं कितनी देर तक पेशाब किया, बाथरूम में आवाज़ गूँज रही थी ! फिर पता नहीं मुझमे कहाँ से इतनी हिम्मत आई, मैंने दरवाज़े तक पहुँच कर अंदर से बाथरूम बंद कर ली ! ! मैंने सोच लिया की कम से कम आज नहीं चुदूँगी !जफ़र अंकल बाहर से आवाज़ लगाते रहे, मुझे वादाखिलाफी करने के लिए कोसते रहे, पर मैंने कहा जफ़र अंकल, आज प्लीज मुझे माफ़ कर दो ! मैंने वादा नहीं तोड़ा है, पर आज में इस हालत में नहीं हूँ ! चिड़ियों के चहचहाने की आवाज़ आने लगी थी, यानि सुबह हो चुकी थी।
 
अब मेरी मॉम की कहानी उनकी जुबानी 
में शालू गुप्ता, शालू माथुर से कैसे शालू गुप्ता बनी, और अनिल कैसे मेरी ज़िंदगी में आये इसकी एक बड़ी लम्बी दास्ताँ हे। बात तब की हे जब में लगभग १८ साल की हुई थी, मेरे डैड राजेश माथुर एक सरकारी डिपार्टमेंट में बड़े अफसर थे जंहा अनिल ठेकेदारी किया करते थे। 
अनिल मेरे डैड के मुँह लगे ठेकेदार थे, असल में वो उस समय लफंगे टाइप के थे जो अपना काम निकलवाने के लिए अफसरों को शराब शवाब सब उपलब्ध करवाया करते थे, मेरे डैड भी इन्ही बातो के कारन उनके चंगुल में फंसे हुए थे क्यू की वो भी शराब और शवाब के शौकीन थे। 
मेरी मॉम डैड की इन हरकतों की वजह से काफी परेशान थी और उनके साथ में भी अनिल को बहुत ही नापसंद करती थी, लेकिन डैड को अनिल बहुत पसंद थे इसलिए उनका ऑफिस के साथ घर भी आना बना रहता था, मेरी आँखों से ये छुपा हुआ नही था की जब भी में अनिल के सामने होती उनकी आँखों में वासना की चमक होती थी और मुझे असा लगता था की उनकी निगाहे मेरे शरीर को भेद कर मुझे निवस्त्र देख रही हे, 
एक दिन की बात हे दिन का वक्त था। मैं उस समय बाथरूम में नहा रही थी।अनिल उस समय घर आये होंगे लेकिन बाहर से काफी आवाज लगाने पर भी मुझे सुनाई नहीं दिया था। शायद उसने घंटी भी बजाई होगी मगर अंदर पानी की आवाज में मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया।
मैं अपनी धुन में गुनगुनाती हुई नहा रही थी। घर के मुख्य दरवाज़े की चिटकनी में कोई नुक्स था। दरवाजे को जोर से धक्का देने पर चिटकनी अपने आप गिर जाती थी। उसने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो दरवाजे की चिटकनी गिर गई और दरवाजा खुल गया।
अनिल ने बाहर से आवाज लगाई मगर कोई जवाब ना पाकर दरवाजा खोल कर झाँका, कमरा खाली पाकर वो अंदर दाखिल हो गया। उसे शायद बाथरूम से पानी गिरने कि और मेरे गुनगुनाने की आवाज आई तो पहले तो वो वापस जाने के लिये मुड़ा मगर फ़िर कुछ सोच कर धीरे से दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और मुड़ कर बेडरूम में दाखिल हो गया।

मैंने घर में अकेले होने के कारण कपड़े बाहर बेड पर ही रख रखे थे। उन पर उसकी नजर पड़ते ही आँखों में चमक आ गई। उसने सारे कपड़े समेट कर अपने पास रख लिये। मैं इन सब से अन्जान गुनगुनाती हुई नहा रही थी।
नहाना खत्म कर के जिस्म तौलिये से पोंछ कर पूरी तरह नंगी बाहर निकली। वो दरवाजे के पीछे छुपा हुआ था इसलिए उस पर नजर नहीं पड़ी। मैंने पहले ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहारा। फिर जिस्म पर पाऊडर छिड़क कर कपड़ों की तरफ हाथ बढ़ाये। मगर कपड़ों को बिस्तर पर ना पाकर चौंक गई।
तभी दरवाजे के पीछे से अनिल लपक कर मेरे पीछे आया और मेरे नंगे जिस्म को अपनी बांहों की गिरफ़्त में ले लिया।
मैं एकदम घबरा गई, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। उसके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िर रहे थे। मेरे एक निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथों से मसल रहा था। एक हाथ मेरी चूत पर फ़िर रहा था।
अचानक उसने अपनी अँगुलियाँ मेरी चूत में घुसाने की कोशिश की । मैं एकदम से चिहुँक उठी और उसे एक जोर से झटका दिया और उसकी बांहों से निकल गई। मैं चीखते हुए दरवाजे की तरफ़ दौड़ी मगर कुंडी खोलने से पहले फ़िर उसकी गिरफ़्त में आ गई। वो मेरे बोबो को बुरी तरह मसल रहा था। छोड़ कमीने नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी.’ मैंने चीखते हुए कहा। तभी हाथ चिटकनी तक पहुँच गये और दरवाजा खोल दिया। मेरी इस हरकत की उसे शायद उम्मीद नहीं थी। मैंने एक जोरदार झापड़ उसके गाल पर लगाया और अपनी नंगी हालत की परवाह ना करते हुए मैंने दरवाजे को खोल दिया।
मैं शेरनी की तरह चीखी- निकल जा मेरे घर से… और उसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया।
उसकी हालत चोट खाये शेर की तरह हो रही थी, चेहरा गुस्से से लाल सुर्ख हो रहा था, उसने फुफकारते हुए कहा- साली बड़ी सती सावित्री बन रही है… अगर तुझे अपने नीचे ना लिटाया तो मेरा नाम भी अनिल नहीं। देखना एक दिन तू आयेगी मेरे पास मेरे लंड को लेने। उस समय अगर तुझे अपने इस लंड पर ना कुदवाया तो देखना। 
मैंने भड़ाक से उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया, मैं वहीं दरवाजे से लग कर रोने लगी।
शाम को जब डैड घर आये तो मेने उन्हें अनिल की हरकत के बारे में बताया, डैड अनिल की हरकत सुन सन्न रह गए उन्होंने उसी समय अनिल को वंहा बुलाया और जमकर फटकार लगते हुए चेतावनी दी की आगे से उसने मेरे साथ ऐसी कोई कोशिश करने की कोशिश की तो वो उसे जेल में भिजवा देंगे। 
अनिल उस समय तो चला गया। कुछ दिनों बाद मेने देखा की डैड काफी परेशान से चल रहे हे और वो अत्यधिक ड्रिंक करने लगे हे, मेने देखा की डैड और मॉम कई बार फुसफुसा कर बात कर रहे होते हे और जैसे ही में उनके सामने आती वो चुप हो जाते। 
एक दिन मेने मॉम को अपनी कसम देकर पूछा तो उन्होंने जो कहा उसे सुन तो मेरे होश ही उड़ गए। अनिल ने डैड की किसी लड़की के साथ चुदाई करते हुए वीडियो बना लिया था और वो अब उसे सबके सामने लाने को कह रहा था, उस की इस वीडियो को रोकने के लिए एक ही शर्त थी के डैड एक रात के लिए मुझे उसके पास भेजे। 
में सोच भी नही सकती थी की अनिल इतने निचे भी गिर जायेगा, लेकिन मुझसे डैड की परेशानी जयदा दिनों तक देखी नही गयी और मेने फैसला किया की में अनिल से मिलने जाउंगी। 
एक दिन मेने अनिल को फोन मिलाया और उस से कहा की मुझे कहा आना हे उसने मुझे शहर से बाहर अपने हाउस पर बुलाया मेने डैड मॉम से कहा की आज मुझे मेरी फ्रेंड रचना के घर रुक कर पढाई करनी हे। क्यू की में अक्सर रचना के रुक जाती थी तो उन्होंने भी कोई ऑब्जेक्ट नही किया। 
शाम के लगभग आठ बज गये थे। मैं अनिल के घर पहुँची। गेट पर दर्बान ने रोका तो मैंने कहा- साहब को कहना शालू आई हैं।’
गार्ड अंदर चला गया। कुछ देर बाद बाहर अकर कहा- अभी साहब बिज़ी हैं, कुछ देर इंतज़ार कीजिये।
पंद्रह मिनट बाद मुझे अंदर जाने दिया। मकान काफी बड़ा था। अंदर ड्राईंग रूम में अनिल दिवान पर आधा लेटा हुआ था। उसका खास चमचा जफ़र कुर्सी पर बैठा हुआ था । दोनों के हाथों में शराब के ग्लास थे। सामने टेबल पर एक बोतल खुली हुई थी। मैं कमरे की हालत देखते हुए झिझकते हुए अंदर घुसी। 
”आ बैठ”’ अनिल ने अपने सामने एक खाली कुर्सी की तरफ़ इशारा किया।
वो… वो मैं आपसे डैड के बारे में बात करना चाहती थी।’ मैं जल्दी वहाँ से भागना चाहती थी। वो दोनों मुझे वासना भरी नज़रों से देखने लगे। उनकी आँखों में लाल डोरे तैर रहे थे।
हाँ बोल क्या चाहिये?’मेने कहा आप डैड को परेशान करना छोड़ दीजिये। लेकिन क्यों? मुझे क्या मिलेगा’ अनिल ने अपने होंठों पर मोटी जीभ फ़ेरते हुए कहा।
आप कहिये आपको क्या चाहिए… अगर बस में हुआ तो हम जरूर देंगे।’ कहते हुए मैंने अपनी आँखें झुका ली। मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है, अनिल अपनी जगह से उठा। अपना ग्लास टेबल पर रख कर चलता हुआ मेरे पीछे आ गया।
मैं सख्ती से आँखें बंद कर उसके पैरों की पदचाप सुन रही थी। मेरी हालत उस खरगोश की तरह हो गई थी जो अपना सिर झाड़ियों में डाल कर सोचता है कि भेड़िये से वो बच जायेगा। उसने मेरे पीछे आकर चुन्नी को पकड़ा और उसे छातियों पर से हटा दिया। फिर उसके हाथ आगे आये और सख्ती से मेरी चूचियों को मसलने लगे।
ये पहला मौका था जब किसी मर्द ने मेरे बोबो को इस तरह पकड़ा था और चुचियो को मसला था, वो बोला ‘मुझे तुम्हारा जिस्म चाहिए पूरे एक रात के लिये’ उसने मेरे कानों के पास धीरे से कहा। मैंने रज़ामंदी में अपना सिर झुका लिया।
ऐसे नहीं अपने मुँह से बोल’ वो मेरे कुर्ते के अंदर अपने हाथ डाल कर सख्ती से चूचियों को निचोड़ने लगा। जफ़र के सामने मैं शरम से गड़ी जा रही थी। मैंने सिर हिलाया।
मुँह से बो…’ल
हाँ’ मैं धीरे से बुदबुदाई।
जोर से बोल… कुछ सुनाई नहीं दिया! तुझे सुनाई दिया रे जफ़र ?’ उसने पूछा। 
जवाब आया - नहीं । 
मुझे मंजूर है!’ मैंने इस बार कुछ जोर से कहा।
क्यों फूलनदेवी जी, मैंने कहा था ना कि तू खुद आयेगी मेरे घर और कहेगी कि प्लीज़ मुझे चोदो। कहाँ गई तेरी अकड़? 
अब तू पूरे १२ घंटों के लिये मेरे कब्जे में रहेगी। मैं जैसा चाहूँगा, तुझे वैसा ही करना होगा। तुझे अगले १२ घंटे बस अपनी चूत खोल कर रंडियों की तरह चुदवाना है। उसके बाद तू और तेरा डैड दोनो आज़ाद हो जाओगे। 
मुझे मंजूर है।’ मैंने अपने आँसुओं पर काबू पाते हुए कहा। वो जाकर वापस अपनी जगह बैठ गया।
चल शुरू हो जा… आपने सारे कपड़े उतार… मुझे तेरी जैसी लड़कियों के जिस्म पर कपड़े अच्छे नहीं लगते!’ उसने ग्लास अपने होंठों से लगाया। ‘अब ये कपड़े कल सुबह के दस बजे के बाद ही मिलेंगे। चल इनको भी दिखा तो सही कि तुझे अपने किस हुस्न पर इतना गरूर है। 
मैंने कांपते हाथों से कुर्ते के बटन खोलना शुरू कर दिया। सारे बटन खोलकर कुर्ते को ब्रा को आहिस्ता से जिस्म से अलग कर दिया।
 
अब मैंने पूरी तरह से तसलीम का फ़ैसला कर लिया। ब्रा के हटते ही मेरी दूधिया चूचियाँ रोशनी में चमक उठी। जफ़र और अनिल अपनी-अपनी जगह पर कसमसाने लगे। वो लोग गर्म हो चुके थे और उन की पैंट पर उभार साफ़ नजर आ रहा था।
अनिल लूँगी के ऊपर से ही अपने लंड पर हाथ फ़ेर रहा था। लूँगी के ऊपर से ही उसके उभार को देख कर लग रहा था कि अब मेरी खैर नहीं। मेने अपनी सलवार उतारी और मैंने अपनी अंगुलियाँ पैंटी की इलास्टिक में फंसाईं तोअनिल बोल उठा- ठहर जा… यहाँ आ मेरे पास।
मैं उसके पास आकर खड़ी हो गई। उसने अपने हाथों से मेरी चूत को कुछ देर तक मसला और फ़िर पैंटी को नीचे करता चला गया। अब मैं पूरी तरह नंगी हो कर सिर्फ सैंडल पहने उसके सामने खड़ी थी। 
मैं घबरा गई- आपने जो चाहा, मैं दे रही हूँ फ़िर ये सब क्यों?
तुझे मुँह खोलने के लिये मना किया था ना?’
जफ़र एक मूवी कैमरा ले आया। उन्होंने बीच की टेबल से सारा सामान हटा दिया। अनिल मेरी चिकनी चूत पर हाथ फ़िरा रहा था।
चल बैठ यहाँ…’ उसने बीच की टेबल की ओर इशारा किया।
मैं उस टेबल पर बैठ गई, उसने मेरी टाँगों को जमीन से उठा कर टेबल पर रखने को कहा।
मैं अपने सैंडल खोलने लगी तो उसने मना कर दिया- इन ऊँची ऐड़ी की सैंडलों में अच्छी लग रही है तू।’
मैंने वैसा ही पैर टेबल पर रख लिये। अब टाँगें चौड़ी कर…’
मैं शर्म से दोहरी हो गई मगर मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था। मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा फ़ैलाया। 
और फ़ैला…’ 
मैंने टाँगों को उनके सामने पूरी तरह फ़ैला दिया। मेरी चूत उनकी आँखों के सामने बेपर्दा थी। चूत के दोनों लब खुल गये थे। मैं दोनों के सामने चूत फ़ैला कर बैठी हुई थी, उनमें से जफ़र मेरी चूत की तस्वीरें ले रहा था।
अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसको चौड़ा कर !’ अनिल ने कहा।
वो अब अपनी तहमद खोल कर अपने काले मूसल जैसे लंड पर हाथ फ़ेर रहा था, मैं तो उसके लंड को देख कर ही सिहर गई, गधे जैसा इतना मोटा और लंबा लंड मैंने पहली बार देखा था। लंड भी पूरा काला था।
मैंने अपनी चूत में अँगुली डाल कर उसे सबके सामने फ़ैल दिया। वो दोनों हंसने लगे।
देखा, मुझसे पंगा लेने का अंजाम? बड़ा गरूर था इसको अपने रूप पर। देख आज मेरे सामने कैसे नंगी अपनी चूत फ़ैला कर बैठी हुई है।’ अनिल ने अपनी दो मोटी-मोटी अंगुलियाँ मेरी चूत में सहलाना शुरू कर दी ।मेरी चूत तो अंगुलियों का स्पेर्श होते ही पनिया गयी थी, मैं एकदम से सिहर उठी, मैं भी अब गर्म होने लगी थी, मेरा दिल तो नहीं चाह रहा था मगर जिस्म उसकी बात नहीं सुन रहा था। उसकी अंगुलियाँ कुछ देर तक अंदर खलबली मचाने के बाद बाहर निकली तो चूत रस से चुपड़ी हुई थी। उसने अपनी अंगुलियों को अपनी नाक तक ले जाकर सूंघा और फ़िर जफ़र को दिखा कर कहा- अब यह भी गर्म होने लगी है।
फिर मेरे होंठों पर अपनी अंगुलियाँ छुआ कर कहा- ले चाट इसे।
मैंने अपनी जीभ निकाल कर अपने चूत-रस को पहली बार चखा। मैंने देखा उसकी कमर से तहमद हटी हुई है और काला भुजंग सा लंड तना हुआ खड़ा है। उसने मेरे सिर को पकड़ा और अपने लंड पर दाब दिया।
इसे ले अपने मुँह में !’ उसने कहा- मुँह खोल।
मैंने झिझकते हुए अपना मुँह खोला तो उसका लंड अंदर घुसता चला गया। बड़ी मुश्किल से ही उसके लंड के ऊपर के हिस्से को मुँह में ले पा रही थी। वो मेरे सिर को अपने लंड पर दाब रहा था। उसका लंड गले के दर पर जाकर फ़ंस गया।
मेरा दम घुटने लगा और मैं छटपटा रही थी, उसने अपने हाथों का जोर मेरे सिर से हटाया, कुछ पलों के लिये कुछ राहत मिली तो मैंने अपना सिर ऊपर खींचा।
लंड के कुछ इंच बाहर निकलते ही उसने वापस मेरा सिर दबा दिया।इस तरह वो मेरे मुँह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा। मैंने कभी लंड-चुसाई नहीं की थी इसलिए मुझे शुरू-शुरू में काफी दिक्कत हुई, उबकाई सी आ रही थी। धीरे-धीरे मैं उसके लंड की आदी हो गई।
अब मेरा जिस्म भी गर्म हो गया था। मेरी चूत गीली होने लगी।मुख मैथुन करते-कर मुँह दर्द करने लगा था मगर वो था कि छोड़ ही नहीं रहा था। कोई बीस मिनट तक मेरे मुँह को चोदने के बाद उसका लंड झटके खाने लगा। उसने अपना लंड बाहर निकाला।
मुँह खोल कर रख !’ उसने कहा।
मैंने मुँह खोल दिया। ढेर सारा वीर्य उसके लंड से तेज धार सा निकल कर मेरे मुँह में जा रहा था। जफ़र मूवी कैमरे में सब कुछ कैद कर रहा था।
जब मुँह में और आ नहीं पाया तो काफी सारा वीर्य मुँह से चूचियों पर टपकने लगा। उसने कुछ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया। बॉस का एक बूंद वीर्य भी बेकार नहीं जाये…’ जफ़र ने कहा।
उसने अपनी अंगुलियों से मेरी चूचियों और मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे मन मार कर भी सारा गटकना पड़ा।
इस रंडी को बेडरूम में ले चल…’ अनिल ने कहा।
 
जब मुँह में और आ नहीं पाया तो काफी सारा वीर्य मुँह से चूचियों पर टपकने लगा। उसने कुछ वीर्य मेरे चेहरे पर भी टपका दिया। बॉस का एक बूंद वीर्य भी बेकार नहीं जाये…’ जफ़र ने कहा।
उसने अपनी अंगुलियों से मेरी चूचियों और मेरे चेहरे पर लगे वीर्य को समेट कर मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे मन मार कर भी सारा गटकना पड़ा।
इस रंडी को बेडरूम में ले चल…’ अनिल ने कहा।
जफ़र मुझे उठाकर लगभग खींचते हुए बेडरूम में ले गये। बेडरूम में एक बड़ा सा पलंग बिछा था। मुझे पलंग पर पटक दिया गया। अनिल अपने हाथों में ग्लास लेकर बिस्तर के पास एक कुर्सी पर बैठ गया।
थोड़ी देर में अनिल उठा और मेरे पास अकर मुझे खींच कर उठाया और बिस्तर के कोने पर चौपाया बना दिया। फिर उसने बिस्तर के पास खड़े होकर अपना लंड मेरी टपकती चूत पर लगाया और एक झटके से अंदर डाल दिया।
चूत में पहली बार लंड जाने की वजह से उसका मूसल जैसा लंड ऐसा लग रहा था मानो वो मेरे पूरे जिस्म को चीरता हुआ मुँह से निकल जायेगा।
फिर वो धक्के देने लगा, मजबूत पलंग भी उसके धक्कों से चरमराने लगा। फिर मेरी क्या हालत हो रही होगी इसका तो सिर्फ अंदज़ा ही लगाया जा सकता है!
मैं चीख रही थी- आहहह ओओओहहह प्लीज़ज़। प्लीज़ज़ मुझे छोड़ दो। आआआह आआआह नहींईंईंईं प्लीज़ज़ज़।’ मैं तड़प रही थी मगर वो था कि अपनी रफ़्तार बढ़ाता ही जा रहा था।
पूरे कमरे में ‘फच फच’ की आवाजें गूँज रही थी। जफ़र मेरी चुदाई का नज़ारा देख रहे थे।
मैं बस दुआ कर रही थी कि उसका लंड जल्दी पानी छोड़ दे। मगर पता नहीं वो किस चीज़ का बना हुआ था कि उसकी रफ़्तार में कोई कमी नहीं आ रही थी। कोई आधे घंटे तक मुझे चोदने के बाद उसने अपना वीर्य मेरी चूत में डाल दिया। मैं मुँह के बल बिस्तर पर गिर गई। मेरा पूरा जिस्म बुरी तरह टूट रहा था और गला सूख रहा था।‘पानी…’ मैंने पानी माँगा तो जफ़र ने पानी का ग्लास मेरे होंठों से लगा दिया। मेरे होंठ वीर्य से लिसड़े हुए थे। उन्हें पोंछ कर मैंने गटागट पूरा पानी पी लिया।
पानी पीने के बाद जिस्म में कुछ जान आई।मैं बिस्तर पर चित्त पड़ी हुई थी। दोनों पैर फ़ैले हुए थे और अभी भी मेरे पैरों में ऊँची हील के सैंडल कसे थे। मेरी चूत से वीर्य चूकर बिस्तर पर गिर रहा था। मेरे बाल, चेहरा, चूचियाँ, सब पर वीर्य फ़ैला हुआ था। चूचियों पर दाँतों के लाल-नीले निशान नजर आ रहे थे।अनिल पास खड़ा मेरे जिस्म की तस्वीरें खींच रहा था मगर मैं उसे मना करने की स्थिति में नहीं थी। गला भी दर्द कर रहा था। अनिल ने बिस्तर के पास आकर मेरे निप्पलों को पकड़ कर उन्हें उमेठते हुए अपनी ओर खींचा। मैं दर्द के मारे उठती चली गई और उसके जिस्म से सट गई।मुझे अपनी बांहों में लेकर मेरे होंठों पर अपने मोटे-मोटे भद्दे होंठ रख कर चूमने लगा। फिर अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और मेरे मुँह का अपनी जीभ से मोआयना करने लगा। फिर वो सोफ़े पर बैठ गया और मुझे जमीन पर अपने कदमों पर बिठाया। टाँगें खोल कर मुझे अपनी टाँगों के जोड़ पर खींच लिया।
मैं उसका इशारा समझ कर उसके लंड को चूमने लगी। वो मेरे बालों पर हाथ फ़िरा रहा था। फिर मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसके लंड को चूसने लगी और जीभ निकाल कर उसके लंड के ऊपर फ़िराने लगी। धीरे-धीरे उसका लंड हरकत में आता जा रहा था। कुछ ही देर में लंड फ़िर से पूरी तरह तन कर खड़ा हो गया था। वापस उसे चूत में लेने की सोच कर ही झुरझुरी सी आ रही थी। चूत का तो बुरा हाल था। ऐसा लग रहा था मानो अंदर से छिल गई हो। मैं इसलिए उसके लंड पर और तेजी से मुँह ऊपर नीचे करने लगी जिससे उसका मुँह में ही निकल जाये। मगर वो तो पूरा साँड कि तरह स्टैमिना रखता था। मेरी बहुत कोशिशों के बाद उसके लंड से हल्का सा रस निकलने लगा। मैं थक गई मगर उसके लंड से वीर्य निकला ही नहीं।
थोड़ी देर बाद अनिल ने अपना लंड मेरे मुह से निकल लिया और जफ़र को कहा की वो अब थोड़ा मज़ा मुझसे लेले। जफ़र ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और मुझे चूमने लगा। मुझे तो अब अपने ऊपर घिन्न सी आने लगी थी। जफ़र मेरे जिस्म पर हाथ फ़ेर रहा था। और मेरी चूचियों को चूमते हुए मुझे फ़िर अपनी गोद से उतार कर जमीन पर बिठा दिया। मैंने उसके पैंट की ज़िप खोली और उसके लंड को निकाल कर उसे मुँह में ले लिया। अपने एक हाथ से अनिल के लंड को सहला रही थी। बारी-बारी से दोनों लंड को मुँह में भर कर कुछ देर तक चूसती और दूसरे के लंड को मुट्ठी में भर कर आगे पीछे करती। फ़िर यही काम दूसरे के साथ करती। फ़िर जफ़र ने उठ कर मुझे एक झटके से गोद में उठा लिया और बेड रूम में ले गया। बेडरूम में आकर मुझे बिस्तर पर पटक दिया। अनिल भी साथ-साथ आ गया था। वो तो पहले से ही नंगा था। जफ़र भी अपने कपड़े उतारने लगा।
मैं बिस्तर पर लेटी उसको कपड़े उतारते देख रही थी। मैंने उनके अगले कदम के बारे में सोच कर अपने आप अपने पैर फ़ैला दिये। मेरी चूत बाहर दिखने लगी। जफ़र का लंड अनिल की तरह ही मोटा और काफी लंबा था। वो अपने कपड़े वहीं फ़ेंक कर बिस्तर पर चढ़ गया। मैंने उसके लंड को हाथ में लेकर अपनी चूत की ओर खींचा मगर वो आगे नहीं बढ़ा। उसने मुझे बांहों से पकड़ कर उल्टी कर दिया और मेरे चूतड़ों से चिपक गया। अपने हाथों से दोनों चूतड़ों को अलग करके छेद पर अँगुली फ़िराने लगा। मैं उसका इरादा समझ गई कि वो मेरे गाँड को फाड़ने का इरादा बनाये हुए था।
मैं डर से चिहुँक उठी क्योंकि इस गैर-कुदरती चुदाई से मैं अभी तक अन्जान थी। सुना था कि गाँड मरवाने में बहुत दर्द होता है और जफ़र का इतना मोटा लंड कैसे जायेगा ये भी सोच रही थी।
 
अनिल ने उसकी ओर क्रीम का एक डिब्बा बढ़ाया। उसने ढेर सारी क्रीम लेकर मेरे पिछले छेद पर लगा दी और फ़िर एक अँगुली से उसको छेद के अंदर तक लगा दिया। अँगुली के अंदर जाते ही मैं उछल पड़ी।
पता नहीं आज मेरी क्या हालत होने वाली थी। इन आदमखोरों से रहम की उम्मीद करना बेवकूफ़ी थी। अनिल मेरे चेहरे के सामने आकर मेरा मुँह जोर से अपने लंड पर दाब दिया। मैं छटपटा रही थी तो उसने मुझे सख्ती से पकड़ रखा था। मुँह से गूँ- गूँ की आवाज ही निकल पा रही थी। जफ़र ने मेरे नितम्बों को फ़ैला कर मेरी गाँड के छेद पर अपना लंड सटाया। फिर आगे कि ओर एक तेज धक्का लगाया। उसके लंड के आगे का हिस्सा मेरी गाँड में जगह बनाते हुए धंस गया। मेरी हालत खराब हो रही थी। आँखें बाहर की ओर उबल कर आ रही थी।
वो कुछ देर उसी पोज़िशन में रुका रहा। दर्द हल्का सा कम हुआ तो उसने दुगने जोश से एक और धक्का लगाया। मुझे लगा मानो कोई मोटा मूसल मेरे अंदर डाल दिया गया हो। वो इसी तरह कुछ देर तक रुका रहा। फिर उसने अपने लंड को हरकत दे दी। मेरी जान निकली जा रही थी। वो दोनों आगे और पीछे से अपने-अपने डंडों से मेरी कुटाई किये जा रहे थे।
धीरे-धीरे दर्द कम होने लगा। फिर तो दोनों तेज-तेज धक्के मारने लगे। दोनों में मानो होड़ हो रही थी कि कौन देर तक रुकता है। मगर मेरी हालत कि किसी को चिंता नहीं थी। अनिल के स्टैमिना की तो मैं लोहा मानने लगी। करीब घंटे भर बाद दोनों ने अपने-अपने लंड से पिचकारी छोड़ दी। मेरे दोनों छेद टपकने लगे।
फिर तो रात भर ना तो खुद सोये और ना मुझे सोने दिया। सुबह तक तो मैं बेहोशी हालत में हो गई थी। जब मुझे होश आया तो अनिल सामने बैठा हुआ था, मैं तब बहुत हल्का महसूस कर रही थी। मैं खुद ही उसका हाथ पकड़ कर बिस्तर पर ले गई। मैंने उससे लिपटते हुए ही उसकी पैंट की तरफ हाथ बढ़ाया। वो मेरे होंठों को, मेरी गर्दन को, मेरे गालों को चूमने लगा। फिर मेरी चूचियों पर हल्के से हाथ फ़िराने लगा।
प्लीज़ मुझे प्यार करो… इतना प्यार करो कि कल रात की घटनायें मेरे दिमाग से हमेशा के लिये उतर जायें।’ मैं बेहताशा रोने लगी।
वो मेरे एक-एक अंग को चूम रहा था। वो मेरे एक-एक अंग को सहलाता और प्यार करता। मैं उसके होंठ फ़ूलों की पंखुड़ियों की तरह पूरे जिस्म पर महसूस कर रही थी। अब मैं खुद ही गर्म होने लगी और मैं खुद ही उससे लिपटने और उसे चूमने लगी। उसका हाथ मैंने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर रख दिया।
वो मेरी चूत को सहलाने लगा। फिर उसने मुझे बिस्तर के कोने पर बिठा कर मेरे सामने घुटनों के बल मुड़ गया। मेरे दोनों पैरों को अपने कंधे पर चढ़ा कर मेरी चूत पर अपने होंठ चिपका दिए। उसकी जीभ साँप की तरह सरसराती हुई उसकी मुँह से निकल कर मेरी चूत में घुस गई। मैंने उसके सिर को अपने हाथों में ले रखा था। उत्तेजना में मैं उसके बालों को सहला रही थी और उसके सिर को चूत पर दाब रही थी।
मेरे मुँह से सिस्करियाँ निकल रही थी। कुछ देर में मैं अपनी कमर उचकाने लगी और उसके मुँह पर ही ढेर हो गई। मेरे जिस्म से मेरा सारा विसाद मेरे रस के रूप में निकलने लगा। वो मेरे चूत-रस को अपने मुँह में खींचता जा रहा था। कल से इतनी बार मेरे साथ चुदाई हुई थी कि मैं गिनती ही भुल गई थी, अनिल के साथ मैं पूरे दिल से चुदाई कर रही थी। इसलिए अच्छा भी लग रहा था। मैंने उसे बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर सवार हो गई। उसके जिस्म से मैंने कपड़ों को नोच कर हटा दिया। उसका मोटा ताज़ा लंड तना हुआ खड़ा था। मैं उसके जिस्म को चूमने लगी।
उसने उठने की कोशिश की तो मैंने गुर्राते हुए कहा, चुप चाप पड़ा रह। मेरे जिस्म को भोगना चाहता था ना तो फ़िर भाग क्यों रहा है? ले भोग मेरे जिस्म को।
मैंने उसे चित्त लिटा दिया और उसके लंड के ऊपर अपनी चूत रखी। अपने हाथों से उसके लंड को सेट किया और उसके लंड पर बैठ गई। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को चूमता हुआ अंदर चला गया। फिर तो मैं उसके लंड पर उठने-बैठने लगी। मैंने सिर पीछे की ओर झटक दिया और अपने हाथों को उसके सीने पर फ़िराने लगी। वो मेरे मम्मों को सहला रहा था और मेरे निप्पलों को अंगुलियों से इधर-उधर घुमा रहा था। निप्पल भी उत्तेजना में खड़े हो गये थे।

काफी देर तक इस पोज़िशन में चुदाई करने के बाद मुझे वापस नीचे लिटा कर मेरी टाँगों को अपने कंधे पर रख दिया। इससे चूत ऊपर की ओर हो गई। अब लंड चूत में जाता हुआ साफ़ दिख रहा था। हम दोनों उत्तेजित हो कर एक साथ झड़ गये। वो मेरे जिस्म पर ही लुढ़क गया और तेज तेज साँसें लेने लगा। मैंने उसके होंठों पर एक प्यार भरा चुंबन दिया। फिर नीचे उतर कर तैयार हो गई।
घर में दोपहर तक पहुंची, कुछ दिनों में डैड को पता चल गया की मेने वो रात अनिल के साथ बितायी थी, अनिल ने डैड से मेरा हाथ मांग लिया, में भी इस शादी के लिए राजी हो गयी, क्यू की में जानती थी की अब मेरे सामने कोई रास्ता नही बचा हे। 
अनिल से तो मेने शादी कर ली लेकिन मेने उन्हें और जफ़र को अब तक माफ़ नही किया था।
 
वैसे तो मुझे पता था की अनिल बहुत औरतखोर व्यक्ति हे लेकिन शादी के बाद मेने उनकी इन हरकतों पर कभी धयान नही दिया था। मेरी फ्रेंड्स अक्सर मुझे सुनी सुनाई बात के आधार पर कहती थी की अनिल जो भी नया प्रोजेक्ट लांच करते हे उसमे सबसे पहले सैंपल फ्लैट बनवाते हे वो सैंपल फ्लैट उनकी अयाशी के काम आता था। 
मुझे ये भी जानकारी थी की अनिल हाई क्लास रंडी से लेकर किसी गरीब मजदुर लेडी को भी चोदने का कोई मौका नही छोड़ते थे। 
दिनों से में वाच कर रही थी की अब अनिल की मुझमे तो चोदने की दिलचस्पी कम होती जा रही थी साथ ही वो ड्रिंक भी बहुत करने लगे थे, ड्रिंक के बाद वो जैसी बाते करते थे उससे मुझे अंदाज़ा हो गया था की अनिल आजकल रोजाना ही ड्रिंक के बाद चुदाई का नियमित प्रोग्राम रख रहे हे। में उनसे कुछ कहती तो वो मेरी कसम खा जाते की ये अफवाह के सिवा कुछ नही हे। 
मुझे लग रहा था की अब बच्चे भी बड़े हो रहे हे और अगर कोई ऐसी वैसी बात हो गयी तो उनकी आने वाली ज़िंदगी पर काफी फर्क पड़ेगा। मेने फैसला किया की में अब अनिल को रंगे हाथ पकड़ूंगी तब ही उनको झटका लगेगा। 
एक दिन मुझे सुबह अनिल को किसी से बात करते सुना की वो अपनी नयी साइड पर किसी लोंडिया की सील तोड़ने जा रहा हे रहा हे, मेने सोच लिया की आज में उसे रंगे हाथ पकड़ूंगी। ये साइड शहर से दूर थी और एकांत में थी ।
में रात को ८ बजे के करीब वह पहुंची, मेने देख लिया था की अनिल की कार वहीं खड़ी हे, इसका मतलब अनिल यही हे 
मेने कार पार्किंग में दूर अँधेरे कोने में खड़ी की । बहुत ज़ोरों से बारिश हो रही थी और बादल भी जम कर गरज रहे थे। मैं पूरी तरह भीग चुकी थी और ठंडे पानी से मेरे ब्लाऊज़ के अंदर मेरे निप्पल एकदम टाईट हो गयी थी। मेरा ब्लाऊज़ मेरे रसीले मम्मों को ढाँकने की नाकामयाब कोशिश कर रहा था। मेरे एक-तिहाई मम्मे ब्लाऊज़ के लो-कट होने की वजह से और साड़ी के भीग जाने से एकदम साफ़ नज़र आ रहे रहे थे। मैंने साढ़े चार इन्च ऊँची हील के सैण्डल पहने हुए थे और पानी मे फिसलने के डर से धीरे-धीरे चलने की कोशिश कर रही थी। हवा भी काफ़ी तेज़ थी और इस वजह से मेरा पल्लू इधर-उधर हो रहा था जिसकी वजह से मेरी नाभी साफ़ देखी जा सकती थी। मैं आमतौर पे साड़ी नाभी के तीन-चार ऊँगली नीचे पहनती हूँ। पूरी तरह भीग जाने की वजह से, मैं हक़ीकत में नंगी नज़र आ रही थी क्योंकि मेरी साड़ी मेरे पूरे जिस्म से चिपक चुकी थी। ऊपर से मेरी साड़ी और पेटीकोट कुछ हद तक झलकदार थे। 
मुझे मेरे आसपास क्या हो रहा था उसका बिल्कुल एहसास ही नहीं था। मैंने देखा कि मेरी वो अकेली ही कार पार्किंग लॉट के इस हिस्से में थी और वहाँ घना अँधेरा छाया हुआ था। बारिश एकदम ज़ोरों से बरस रही थी।। अचानक किसी ने मुझे एक जोर का धक्का लगाया और मैं अपनी कार के सामने जा टकराई। हिलना मत कुत्तिया!”
मुझे महसूस हुआ कि किसी ताकतवर मर्द का जिस्म मुझे मेरी कार की तरफ़ पुश कर रहा था। उसका पुश करने का ज़ोर इतना ताकतवर था कि उसने मेरे फेफड़ों से सारी हवा निकाल दी थी जिसकी वजह से मैं चिल्ला भी ना सकी। मैं एक दम घबरा गयी। बारिश इतनी तेज़ हो रही थी कि आसपास का ज़रा भी नज़र नहीं आ रहा था और जहाँ मेरी कार खड़ी हुई थी वहाँ मुझे कोई देख नहीं सकता था। वो आदमी मुझे हर जगह छूने लगा। उसके हाथ बेहद मजबूत थे..। जैसे लोहे के बने हों। उसने मेरा पल्लू खींच के निकाल दिया और मेरे मम्मों को जोर-जोर से दबाने लगा और मेरे पहले से टाईट हो चुके निप्पलों को मसलने लगा।
वो गुर्राया। उसकी इस आवाज़ ने जैसे मुझे बेहोशी में से उठाया हो और मैंने भागने की नाकाम कोशिश की। फिर उसने मेरे एक मम्मे को छोड़ के मेरे गीले हो चुके बालों से मुझे खींचा। 
“आआहहहहह...।” मैं जोर से चिल्लाई और मैंने उसके सामने लड़ना बंद कर दिया। 
अगर तू ज़िंदा रहना चाहती है तो..। ठीक तरह से पेश आ! समझी कुत्तिया..।अभी मैं तुझे अपनी तरफ़ धीरे से मोड़ रहा हूँ..। अगर ज़रा भी होशियारी दिखायी तो....!!”
उसने मुझे धीरे से अपनी तरफ़ मोड़ा। इस दौरान उसने अपना जिस्म मेरे जिस्म से सटाय रखा। उसका लंड मेरे गीले जिस्म को घिस रहा था, और मेरी चूत में थोड़ी सरसराहट हुई। “ऑय कैन नॉट बी टर्नड ऑन बॉय दिस” मेरे जहन में ये सवाल उठा। मैंने ऊपर देखा। मैंने इस बार उसे पहली बार देखा। वो एक लंबा-चौड़ा और काला आदमी था। उसने अपने जिस्म पर एक पैंट और सर पर टोपी के अलावा कुछ नहीं पहना था। उसका कसरती जिस्म मुझे किसी बॉडी-बिल्डर की याद दिला गया। वो एकदम काला और डरावना था और ऐसी अँधेरी रात में मुझे सिर्फ़ उसकी आँखें और उसके काले जिस्म पे दौड़ती हुई बारिश की बूँदें ही नज़र आती थी। मैं डर से थर-थर काँपने लगी। मेरे इतनी ऊँची हील के सैण्डल पहने होने के बावजूद वो करीबन मुझसे एक फुट लंबा था। मैं उससे रहम की भीख माँगने लगी। 
प्लीज़..।प्लीज़ मुझे मत मारो।”
तभी एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पे आ गिरा। मुझे तो ऐसा लगा कि मुझे तारे दिख गये। उसने मुझे मेरे बालों से पकड़ कर अपने मुँह तक ऊपर खींचा। 
प्लीज़ मुझे जाने दो...। मैं तुम्हें जो चाहो वो दे दूँगी..। देखो मेरे पर्स में पैसे हैं..। तुम वो सारे के सारे ले लो...” मैं गिड़गिड़ायी। 
वो मेरे सामने जोर-जोर से हँसने लगा और बोला “देख..।हरामजादी मुझे तेरे पैसे नहीं चाहिये..। मुझे तो तेरी यह कसी हुई टाईट चूत चाहिये..।मैं तेरी इस चूत को ऐसे चोदूँगा कि तू ज़िन्दगी भर किसी दूसरे मर्द का लंड नहीं माँगेगी”
 
उसकी बातों से मुझे तो जैसे किसी साँप ने सूँघ लिया हो ऐसी हालत हो गयी। तभी मुझे खयाल आया कि मेरा रेप होने वाला है। मैं बहुत घबरा गयी थी और समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ। बारिश अभी भी पूरे जोरों से बरस रही थी और बादलों की गड़गड़ाहट और बिजली की चमक ने पूरे आसमन को भर लिया था। 
मेरे बाल बारिश की वजह से काफी भीग चुके थे और वो मेरे चेहरे को ढक रहे थे। तभी उस काले लंबे चौड़े आदमी ने मुझे कार के हुड पे खींचा। उसके मुझे इस तरह ऊपर खींचने से मेरी भीगी हुई साड़ी मेरी गोरी-गोरी जाँघों तक ऊपर खिंच गयी। 
पीछे झुक..।पीछे झुक ..। हरामजादी!” वो गुर्राया। 
मैं ज़रा भी नहीं हिली। वो तिलमिला गया और मेरे नज़दीक मेरे चेहरे के पास आके एकदम धीरे से लेकिन डरावनी आवाज़ में बोला “मैं तेरी हालत इस से भी बदतर बना सकता हूँ..।साली राँड!” और मुझे एक धक्का देकर कार के बोनेट पर लिटा दिया। इस के साथ ही उसने अपना हाथ मेरी साड़ी के अंदर मेरी फ़ैली हुई जाँघों के बीच डाल दिया और झट से मेरी पैंटी फाड़ के खींच निकाली। मेरी पैंटी के चीरने की आवाज़ बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच अँधेरी रात में दब गयी। अब वो मेरी दोनों टाँगों को अपने मजबूत हाथों से पूरे जोर और ताकत से फ़ैला रहा था। कुछ पल के लिए मुझे लगा कि मैं कोई बुरा ख्वाब देख रही हूँ और यह सब मेरे साथ नहीं हो रहा है। लेकिन जब वो फिर से गुर्राया तो मैं जल्दी ही हकीकत में वापस आ गयी। 
उसने अब अपना एक हाथ मेरे पीछे रखा और मेरी कसी हुई गीली चूत में अपनी दो मोटी उँगलियाँ घुसेड़ दी। मैं फिर चिल्ला उठी लेकिन इस बार भी मेरी चीख बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट के बीच दबकर रह गयी। वो जरा भी वक्त गंवाये बिना मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से ऊँगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत में उसके हर एक धक्के से मेरे निप्पल और ज्यादा कड़क होने लगे। मेरी चूत में अपनी उँगलियों के हर एक धक्के के साथ वो गुर्राता था। मेरा डर मेरी चूत तक नहीं पहुँचा था और मेरी चूत में से रस झड़ने लगा, जैसे कि चूत भी मेरी इज़्ज़त लूटने वाले की मदद कर रही थी। 
हाय … बेहद दर्द हो रहा है,”मैंने अपने आप को कहा और अचानक जैसेमैं सातवें आसमान पे थी।“ओहह अल्लाह नहींईंईंईंईं...।प्लीज़” और मेरी चूत उसकी उँगलियों के आसपास एकदम टाईट हो गयी। मैंने अपनी आँखें बँद कर लीं और मेरी आँखों से आँसू मेरे चेहरे पे आ गये। बारिश की ठँडी बूँदों में मिल कर वो बह गये। 
वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी गीली चूत में उँगलियाँ अंदर-बाहर कर रहा था। हर दफ़ा जब वो अपनी उँगलियाँ मेरी चूत के अंदर डालता था तो मैं इंतेहाई के करीब पहुँच जाती थी। उसकी ताकत लाजवाब थी। हर दफ़ा वो मुझे मेरी गाँड पकड़ के ऊपर करता था और अपनी उँगलियाँ मेरी गीली चूत में जोर से घुसेड़ता था जो अब चौड़ी हो चुकी थी। मेरा सर अब चक्कर खा रहा था और मैं थोड़ी बेहोशी महसूस कर रही थी। मुझे पता नहीं था कि वाकय यह उसकी ताकत थी या फिर मेरी मदहोश चूत थी जो बार-बार मेरी गाँड को ऊपर नीचे कर रही थी। मैंने काफी चाहा कि ऐसा ना हो। 
तभी उसने अपना अँगूठा मेरी क्लिट पे रख कर दबाया। एक झनझनाहट सी हो गयी मेरे जिस्म में… मेरी चूत की दीवारें सिकुड़ गयीं और मैं एकदम से झड़ गयी। मस्ती भरा तूफान मेरे जिस्म में समा गया। मैं बहुत शरमिंदगी महसूस करने लगी। कैसे मैं अपने आप को ऐसी मस्ती महसूस करवा सकती थी जब वो आदमी मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा था? मैं खुद को एक बहुत गंदी और रंडी जैसा महसूस करने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ के उसे रोकना चाहा तो वो मेरे सामने देख कर हँसने लगा। वो जानता था कि मैं झड़ गयी हूँ। 
तू एकदम चालू किस्म की औरत है.. । क्यों? तू तो राँड से भी बदतर है..। है ना? तुझे तो अपने आप पे शरम आनी चाहिए” वो खुद से वासिक़ होते हुए और हँसते हुए बोला। वो हकीकत ही बयान कर रहा था। 
मेरा सर शरम के मारे झुक गया और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया और रोने लगी। झड़ने की वजह से मेरे जिस्म में अजब सी चुभन पैदा हो गयी थी और बारिश की ठंडी बूँदें मेरे जिस्म को छेड़ रही थी। ठंडी हवा की वजह से मेरा पूरा जिस्म काँप रहा था। मैं सचमुच उस वक्त एक बाजारू रंडी के मानिन्द लगरही होऊँगी। अचानक उसने मुझे धक्का दिया और मेरा हाथ पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया। 
अब मेरी बारी है रंडी और तू जानती है मुझे क्या चाहिए..। है ना? तू जानती है ना?”
मैं जानती थी वो क्या चाहता था जब उसने मेरे कंधे पकड़ के मुझे घुटनों के बल बिठा दिया था। मेरा नीचे का होंठ काँपने लगा था। मैंने अपने गीले बाल अपने चेहरे से हटाये और शरम से अपना सर हिलाया। मेरा दिमाग ना कह रहा था लेकिन मेरा दिल उसे देखने को बेताब था। जब मैं अपने घुटनों पे थी तब मैंने अपनी नज़रें उठा कर उसके चेहरे की तरफ देखा और खामोशी से मुझे जाने देने की फरियाद की। पर जब मैंने उसकी आँखों में देखा तब मुझे एहसास हो गया कि उसे जो चाहिए वो मिलने से पहले वो मुझे नहीं जाने देगा।
 
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