hotaks444
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बात एक रात की--116
गतान्क से आगे.................
लॅडीस डॅन्स हो रहा था. नगमा खूब झूम-झूम कर नाच रही थी. चारो तरफ लॅडीस ने गोल घेरा बना रखा था. पद्मिनी भी नगमा को डॅन्स करते हुए देख रही थी. पिंक कलर का लहंगा-चोली पहन रखा था उसने. अचानक एक गाना चला और नगमा ने पद्मिनी को भी खींच लिया.
कूदिया दे विच फिरे हस्दी खेददी
गुट दी प्रंडी तेरी नाग वांगु महलदी
कॉलेज नू जावे नि तू नाग वांगु महलदी
आशिकन नू दर्श दिखाया करो जी
कड़ी साडी गली भूल के वी आया करो जी
कुछ देर तो पद्मिनी शरमाई मगर जब उसके पाँव थिरकने लगे तो वो पूरे जोश में आ गयी. तनु वेड्स मनु का ये गाना उसका फेवोवरिट था इसलिए झूम-झूम कर नाच रही थी. पद्मिनी इतना अच्छा थिरक रही थी कि नगमा पीछे हट गयी. बाकी लड़कियाँ भी वहाँ से हट गयी. सिर्फ़ पद्मिनी रह गयी वहाँ. उसकी पतली कमर के झटके किसी की भी जान ले सकते थे. एक सुंदर नारी जब नृत्य करती है तो बड़े से बड़े साधु भी घायल हो जाते हैं. बहुत ही कामुक नृत्य था पद्मिनी का. अंग-अंग म्यूज़िक के साथ लहराता मालूम हो रहा था.
नगमा भाग कर गयी राज शर्मा के पास और उसे बोली, “चल जल्दी तेरी पद्मिनी नाच रही है.”
“मज़ाक मत कर. उसे डॅन्स नही आता.” राज शर्मा ने कहा.
“झूठ बोला होगा उसने तुझे…चल देख अपनी आँखो से दिल ज़ख़्मी ना हो गया तेरा तो कहना.”
राज शर्मा वहाँ पहुँचा तो उसे अपनी आँखो पर यकीन ही नही हुआ.
“ऑम्ग पद्मिनी इतना अच्छा डॅन्स करती है. मेरा भी मन कर रहा है उसके साथ डॅन्स करने का” राज शर्मा ने नगमा से कहा.
“ये लॅडीस महफ़िल है. जाओ अब… बस एक झलक दिखानी थी तुम्हे.” नगमा ने कहा.
“नही मैं पद्मिनी का पूरा डॅन्स देख कर जाऊगा. कम से कम इस गाने को तो ख़तम हो जाने दो.”
“ओके मगर चुपचाप खड़े रहना.” नगमा ने कहा.
जब गाना थमा तो पद्मिनी भी थम गयी. अचानक उसकी नज़र राज शर्मा पर पड़ी तो शरम से पानी-पानी हो गयी. उसका पूरा जिसम पसीने से लटपथ था. कुछ लड़कियों ने उसे घेर लिया बधाई देने के लिए. वो सभी की बधाई लेकर भीड़ से बाहर आ गयी.
“ग़ज़ब पद्मिनी…ग़ज़ब…यार मार डाला तुमने मुझे आज. मैं पहले से ही घायल था तुम्हारे प्यार में. क्या नाचती हो तुम.”
“मेरे कपड़े गीले हो गये हैं. चेंज करके आती हूँ.” पद्मिनी ने बात टालने की कोशिस की.
“घर जाओगी क्या वापिस?”
“हां जाना ही पड़ेगा. दूसरे कपड़े तो कार में पड़े हैं पर यहाँ चेंज करने की जगह नही है.”
“मेरे घर चलते हैं…नज़दीक पड़ेगा.”
“नही वहाँ नही जाऊगी.”
“क्यों…”
“तुम मुझे जिस तरह देख रहे हो…मुझे लगता है तुम्हारे साथ जाना ठीक नही.”
“ऐसा मत कहो पद्मिनी…. प्यार करता हूँ तुमसे. खा नही जाऊगा तुम्हे. चलो…” राज शर्मा पद्मिनी का हाथ पकड़ कर कार की तरफ चल पड़ा.
पद्मिनी का दिल धक-धक करने लगा. 15 मिनिट में वो राज शर्मा के घर पहुँच गये.
“वैसे इस ड्रेस में शीतम ढा रही हो तुम. उपर से ऐसा डॅन्स दिखा दिया मुझे.” राज शर्मा ने पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“मैने तुम्हे नही बुलाया था. तुम क्यों आए वहाँ.”
“नगमा ले गयी थी मुझे ज़बरदस्ती. मैं वहाँ ना जाता तो मुझे पता ही ना चलता कि मेरी पद्मिनी इतना अच्छा नाचती है.”
“मैं बस यू ही थिरक रही थी गाने के साथ…मुझे नाचना नही आता.”
“तुम्हारा अंग-अंग म्यूज़िक के साथ सागर की लहरों की तरह झूम रहा था. ये हर कोई नही कर सकता. तुम्हारे नितंब क्या झटके मार रहे थे. और पतली कमर का तो क्या कहना.”
“क्या कहा तुमने…नितंब हिहिहीही…सभ्य भासा पर्योग कर रहें हैं आज आप.” पद्मिनी ने हंसते हुए कहा.
“हां गान्ड कहूँगा तो कही तुम भड़क ना जाओ. फिर मुझे कुछ नही मिलेगा. मुझे आज उस दिन का आधुंरा काम पूरा करना है. आज प्लीज़ कोई बुक मत गिराना.”
“राज शर्मा बस एक महीने की बात और है. डाइवोर्स होते ही हम शादी कर लेंगे. देखो 2 महीने रुके रहे तुम. एक महीना और रुक जाओ. मैं तो तुम्हारी हूँ…तुम्हारी रहूंगी.”
“वही तो मैं कह रहा हूँ. जब तुम मेरी हो तो ये शादी की फॉरमॅलिटी क्यों. तुम्हे पत्नी मानता हूँ मैं और क्या रह गया. शादी के इंतेज़ार में मेरी जान ना चली जाए.” राज शर्मा ने कहा.
पद्मिनी ने तुरंत राज शर्मा के मूह पर हाथ रख दिया, “ऐसा मत कहो.”
“तुमने उस दिन फार्म हाउस पर कहा था कि मैं अपने अंग-अंग पर तुम्हारे होंटो की चुअन महसूस करना चाहती हूँ. आज मेरे होंटो को ये मौका दे दो ना.”
“मेरा पूरा शरीर पसीने में डूबा हुआ है. मूह कड़वा हो जाएगा तुम्हारा.”
“अच्छा देखूं तो…” राज शर्मा ने पद्मिनी की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया.
पद्मिनी उसे चाह कर भी रोक नही पाई.
“तुम तो बहुत टेस्टी लग रही हो. कोई भी कड़वपन नही है. मज़ा आएगा.”
“उफ्फ…यू आर टू मच…अच्छा मुझे नहा लेने दो पहले. फिर देखते हैं आगे क्या करना है.”
“नही मैने अपने होंटो के प्रेम रस से नहलाउंगा तुम्हे आज.”
“तुम पागल हो सच में.”
“वैसे तुमने आज तक नही बताया की उस दिन कैसा लगा था तुम्हे.”
“दर्द हुआ था बहुत ज़्यादा. मैने उसी दिन बता दिया था तुम्हे. क्यों पूछते हो बार-बार.”
“हुआ यू कि हमारे लंड महोदया बस अंदर गये ही थे आपके की आपने वो पुस्तक गिरा दी. हमारे लंड महोदया को आपकी चूत के अंदर प्रेम घर्सन करने का अवसर ही नही मिला. अन्यथा आप इस वक्त दर्द को याद ना करती.”
“अंदाज़ बड़ा निराला है आपका. ये सब कहाँ से सीखा.”
“आपके प्रेम ने सभ्य भासा सीखा दी. क्या करें प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.”
“हम भी प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.” पद्मिनी ने कहा.
राज शर्मा ने पद्मिनी के होंटो को प्यार से किस किया और बोला, “चलो पद्मिनी इस प्यार में आज डूब जायें हम दोनो. जब इतना प्यार करते हैं हम एक दूसरे से तो हक़ बनता है ये हमारा.”
पद्मिनी कुछ नही बोली. बस राज शर्मा की छाती पर सर टीका कर चिपक गयी उसके साथ. बहुत कश कर जाकड़ लिया था उसने राज शर्मा को.
“मेरी महबूबा का स्वीकृति देने का अंदाज़ बड़ा निराला है.” राज शर्मा ने पद्मिनी के नितंबो को जाकड़ लिया दोनो हाथो में.
राज शर्मा ने पद्मिनी को खुद से अलग किया और उसे गोदी में उठा लिया. पद्मिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली. राज शर्मा ने बड़े प्यार से उसे बिस्तर पर लेटा दिया. पद्मिनी आँखे बंद किए पड़ी रही चुपचाप. जब कुछ देर उसे राज शर्मा की कोई चुअन महसूस नही हुई तो उसने आँखे खोल कर देखा. राज शर्मा पूरे कपड़े उतार चुका था. लंड पूरे तनाव में था. पद्मिनी की नज़र जैसे ही राज शर्मा के लंड पर पड़ी उसने अपने दोनो हाथो में अपना चेहरा ढक लिया, “ऑम्ग…अब पता चला उस दिन इतना दर्द क्यों हुआ था.”
“उस दिन के दर्द का कारण बता चुके हैं हम आपको. उसका हमारे लंड महोदया की लंबाई-चौड़ाई से कोई लेना देना नही है.”
राज शर्मा पद्मिनी के उपर चढ़ गया और उसके कपड़े उतारने लगा.
“कपड़े रहने दो प्लीज़. मुझे शरम आएगी.”
“कपड़े नही उतारोगी तो मैं तुम्हारे अंग-अंग पर अपने होंटो को कैसे रखूँगा. चलो ये चोली उतारते हैं पहले.” राज शर्मा ने चोली उतार दी. पद्मिनी बिना कुछ कहे सहयोग कर रही थी.
“वाउ…ब्यूटिफुल. इन उभारों को ब्रा के चंगुल से बाद में आज़ाद करेंगे पहले ये लहंगा उतार लेते हैं.” राज शर्मा ने कहा.
राज शर्मा ने पद्मिनी के नितंबो के नीचे हाथ सरकाए और लहँगे को पकड़ कर नीचे खींच लिया.
“जितना सुंदर चेहरा…उतना ही सुंदर शरीर. मन भी सुंदर पाया है तुमने. व्हाट आ रेर कॉंबिनेशन. “ राज शर्मा ने लहँगे को पद्मिनी के शरीर से अलग करते हुए कहा.
“तुम नाच रही थी तो तुम्हारे उभार जब उपर नीचे हिल रहे थे तो मेरा दिल भी उपर नीचे उछल रहा था. मन कर रहा था की पकड़ लूँ तुम्हे जा कर और टूट पदू इन उछलते उभारों पर.” राज शर्मा ने ब्रा खोलते हुए कहा.
“कैसी बाते करते हो तुम…मुझे शरम आ रही है…प्लीज़ मूह बंद रखो अपना.”
“क्या करूँ दीवाना हूँ तुम्हारा. तुम्हारी तारीफ़ किए बिना रह ही नही सकता.”
राज शर्मा ने पद्मिनी के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. पद्मिनी की सिसकियाँ गूंजने लगी कमरे में.
“कैसा लग रहा है तुम्हे.” राज शर्मा ने पूछा.
पद्मिनी ने कोई जवाब नही दिया. उसने राज शर्मा के सर को थाम लिया और उसके सर पर हल्का सा दबाव बनाया ताकि उसके होन्ट वापिस निपल्स पर टिक जायें.
“लगता है तुम्हे मज़ा आ रहा है…हहेहेहहे…वैसे मैं दूसरे निपल पर जा रहा था. तुम कहती हो तो इसे ही चूस्ता रहता हूँ.”
पद्मिनी शरम से पानी-पानी हो गयी. “नही मेरा वो मतलब नही था. तुम करो जो करना है.”
“आपकी इन्हीं अदाओं पे तो प्यार आता है…थोड़ा नही बेसुमार आता है. बस एक बार हमें ये बता दो. इन अदाओं का तूफान कहाँ से आता है.”
“तुम ऐसी बातें करोगे तो कोई भी शर्मा जाएगा.”
“चलो इसी निपल को सक करता हूँ. लगता है ये ज़्यादा मज़ा दे रहा है तुम्हे…हिहिहीही..”
राज शर्मा फिर से डूब गया पद्मिनी के उभारों में. पद्मिनी फिर से आहें भरने लगी. बारी-बारी से दोनो उभारों को प्यार कर रहा था राज शर्मा. पद्मिनी की सिसकियाँ तेज होती जा रही थी.
अचानक राज शर्मा पद्मिनी के निपल्स छोड़ कर हट गया और पद्मिनी की पॅंटी को धीरे से नीचे सरका कर पद्मिनी के शरीर से अलग कर दिया. पद्मिनी की टांगे काँपने लगी और उसकी साँसे बहुत तेज चलने लगी.
राज शर्मा के लिए एक पल भी रुकना मुस्किल हो रहा था. उसने पद्मिनी की टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और पद्मिनी के चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “मुझे कभी किसी का प्यार नही मिला पद्मिनी. जिंदगी भर प्यार के लिए तरसता रहा. ऐसा नही था की मैने कोशिस नही की. जो भी लड़कियाँ जिंदगी में आईं उन्होने मेरे दिल में झाँक कर देखा ही नही. मैं प्यार ढूंड रहा था हमेशा…लेकिन जिंदगी पता नही कब बस सेक्स में उलझ गयी. प्यार की तलाश इसलिए भी थी शायद क्योंकि बचपन से अनाथ था. तुम्हे प्यार तो करने लगा था पर डरता था कि दिल टूट ना जाए. लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरा दिल बहुत प्यार से संभाल कर रखा है तुमने. इतना प्यार कभी नही मिला पद्मिनी. आइ लव यू सो मच.”
“आइ लव यू टू…राज शर्मा. झुत नही बोलूँगी. तुमसे प्यार करना नही चाहती थी. तुमसे दूर ही रहना चाहती थी. पर ना जाने क्या जादू किया तुमने कि मैं तुम्हारे प्यार में फँस गयी.”
“वैसे दूर क्यों भागती थी मुझसे तुम.”
“मैने सपना देखा था. जिसमे तुम मेरे साथ…ये सब कर रहे थे.”
“ये सब मतलब…सेक्स.”
“हां…. हम खुले में थे. किसी खेत का द्रिस्य था शायद. अचानक मुझे नगमा दिखी चारपाई पर लेटी हुई. मैने तुम्हे रोकने की कोशिस कि ये कह कर की नगमा देख लेगी. पर तुम नही रुके. अचानक साइको आ गया वहाँ और मेरी आँख खुल गयी. इस सपने ने बहुत डरा दिया था मुझे. इसलिए तुमसे दूर भागती थी.”
“हाहहहहाहा….अब पता चला सारा चक्कर. तो तुम अपनी चूत बचाने के चक्कर में थी.”
“शट अप…” पद्मिनी गुस्से में बोली.”
“वैसे सपना सच हुआ है तुम्हारा. उस दिन टेबल पर झुका रखा था तुम्हे तो नगमा की फोटो भी गिरी थी नीचे. उसके उपर एसपी की फोटो थी. क्या सपने में भी पीछे से ठोक रहा था तुम्हे.”
“मुझे कुछ याद नही है अब….” पद्मिनी हंसते हुए बोली.
“सो स्वीट पद्मिनी. हमेशा यू ही हँसती रहना.”
“तुम मुझे यू ही प्यार करोगे तो मैं यू ही हँसती रहूंगी.”
“पद्मिनी क्या मैं समा जाऊ तुम में.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“बोल कर तो देखो.”
“रुक जाओ फिर…” पद्मिनी ने बोलते ही आँखे बंद कर ली. क्योंकि उसे यकीन था कि राज शर्मा तुरंत समा जाएगा उसके अंदर. पर ऐसा कुछ नही हुआ. पद्मिनी ने एक मिनिट बाद आँख खोली और बोली, “क्या हुआ तुम तो सच में रुक गये. तुम तो ऐसे नही थे.”
क्रमशः..........................
गतान्क से आगे.................
लॅडीस डॅन्स हो रहा था. नगमा खूब झूम-झूम कर नाच रही थी. चारो तरफ लॅडीस ने गोल घेरा बना रखा था. पद्मिनी भी नगमा को डॅन्स करते हुए देख रही थी. पिंक कलर का लहंगा-चोली पहन रखा था उसने. अचानक एक गाना चला और नगमा ने पद्मिनी को भी खींच लिया.
कूदिया दे विच फिरे हस्दी खेददी
गुट दी प्रंडी तेरी नाग वांगु महलदी
कॉलेज नू जावे नि तू नाग वांगु महलदी
आशिकन नू दर्श दिखाया करो जी
कड़ी साडी गली भूल के वी आया करो जी
कुछ देर तो पद्मिनी शरमाई मगर जब उसके पाँव थिरकने लगे तो वो पूरे जोश में आ गयी. तनु वेड्स मनु का ये गाना उसका फेवोवरिट था इसलिए झूम-झूम कर नाच रही थी. पद्मिनी इतना अच्छा थिरक रही थी कि नगमा पीछे हट गयी. बाकी लड़कियाँ भी वहाँ से हट गयी. सिर्फ़ पद्मिनी रह गयी वहाँ. उसकी पतली कमर के झटके किसी की भी जान ले सकते थे. एक सुंदर नारी जब नृत्य करती है तो बड़े से बड़े साधु भी घायल हो जाते हैं. बहुत ही कामुक नृत्य था पद्मिनी का. अंग-अंग म्यूज़िक के साथ लहराता मालूम हो रहा था.
नगमा भाग कर गयी राज शर्मा के पास और उसे बोली, “चल जल्दी तेरी पद्मिनी नाच रही है.”
“मज़ाक मत कर. उसे डॅन्स नही आता.” राज शर्मा ने कहा.
“झूठ बोला होगा उसने तुझे…चल देख अपनी आँखो से दिल ज़ख़्मी ना हो गया तेरा तो कहना.”
राज शर्मा वहाँ पहुँचा तो उसे अपनी आँखो पर यकीन ही नही हुआ.
“ऑम्ग पद्मिनी इतना अच्छा डॅन्स करती है. मेरा भी मन कर रहा है उसके साथ डॅन्स करने का” राज शर्मा ने नगमा से कहा.
“ये लॅडीस महफ़िल है. जाओ अब… बस एक झलक दिखानी थी तुम्हे.” नगमा ने कहा.
“नही मैं पद्मिनी का पूरा डॅन्स देख कर जाऊगा. कम से कम इस गाने को तो ख़तम हो जाने दो.”
“ओके मगर चुपचाप खड़े रहना.” नगमा ने कहा.
जब गाना थमा तो पद्मिनी भी थम गयी. अचानक उसकी नज़र राज शर्मा पर पड़ी तो शरम से पानी-पानी हो गयी. उसका पूरा जिसम पसीने से लटपथ था. कुछ लड़कियों ने उसे घेर लिया बधाई देने के लिए. वो सभी की बधाई लेकर भीड़ से बाहर आ गयी.
“ग़ज़ब पद्मिनी…ग़ज़ब…यार मार डाला तुमने मुझे आज. मैं पहले से ही घायल था तुम्हारे प्यार में. क्या नाचती हो तुम.”
“मेरे कपड़े गीले हो गये हैं. चेंज करके आती हूँ.” पद्मिनी ने बात टालने की कोशिस की.
“घर जाओगी क्या वापिस?”
“हां जाना ही पड़ेगा. दूसरे कपड़े तो कार में पड़े हैं पर यहाँ चेंज करने की जगह नही है.”
“मेरे घर चलते हैं…नज़दीक पड़ेगा.”
“नही वहाँ नही जाऊगी.”
“क्यों…”
“तुम मुझे जिस तरह देख रहे हो…मुझे लगता है तुम्हारे साथ जाना ठीक नही.”
“ऐसा मत कहो पद्मिनी…. प्यार करता हूँ तुमसे. खा नही जाऊगा तुम्हे. चलो…” राज शर्मा पद्मिनी का हाथ पकड़ कर कार की तरफ चल पड़ा.
पद्मिनी का दिल धक-धक करने लगा. 15 मिनिट में वो राज शर्मा के घर पहुँच गये.
“वैसे इस ड्रेस में शीतम ढा रही हो तुम. उपर से ऐसा डॅन्स दिखा दिया मुझे.” राज शर्मा ने पद्मिनी को बाहों में भर लिया.
“मैने तुम्हे नही बुलाया था. तुम क्यों आए वहाँ.”
“नगमा ले गयी थी मुझे ज़बरदस्ती. मैं वहाँ ना जाता तो मुझे पता ही ना चलता कि मेरी पद्मिनी इतना अच्छा नाचती है.”
“मैं बस यू ही थिरक रही थी गाने के साथ…मुझे नाचना नही आता.”
“तुम्हारा अंग-अंग म्यूज़िक के साथ सागर की लहरों की तरह झूम रहा था. ये हर कोई नही कर सकता. तुम्हारे नितंब क्या झटके मार रहे थे. और पतली कमर का तो क्या कहना.”
“क्या कहा तुमने…नितंब हिहिहीही…सभ्य भासा पर्योग कर रहें हैं आज आप.” पद्मिनी ने हंसते हुए कहा.
“हां गान्ड कहूँगा तो कही तुम भड़क ना जाओ. फिर मुझे कुछ नही मिलेगा. मुझे आज उस दिन का आधुंरा काम पूरा करना है. आज प्लीज़ कोई बुक मत गिराना.”
“राज शर्मा बस एक महीने की बात और है. डाइवोर्स होते ही हम शादी कर लेंगे. देखो 2 महीने रुके रहे तुम. एक महीना और रुक जाओ. मैं तो तुम्हारी हूँ…तुम्हारी रहूंगी.”
“वही तो मैं कह रहा हूँ. जब तुम मेरी हो तो ये शादी की फॉरमॅलिटी क्यों. तुम्हे पत्नी मानता हूँ मैं और क्या रह गया. शादी के इंतेज़ार में मेरी जान ना चली जाए.” राज शर्मा ने कहा.
पद्मिनी ने तुरंत राज शर्मा के मूह पर हाथ रख दिया, “ऐसा मत कहो.”
“तुमने उस दिन फार्म हाउस पर कहा था कि मैं अपने अंग-अंग पर तुम्हारे होंटो की चुअन महसूस करना चाहती हूँ. आज मेरे होंटो को ये मौका दे दो ना.”
“मेरा पूरा शरीर पसीने में डूबा हुआ है. मूह कड़वा हो जाएगा तुम्हारा.”
“अच्छा देखूं तो…” राज शर्मा ने पद्मिनी की गर्दन पर चूमना शुरू कर दिया.
पद्मिनी उसे चाह कर भी रोक नही पाई.
“तुम तो बहुत टेस्टी लग रही हो. कोई भी कड़वपन नही है. मज़ा आएगा.”
“उफ्फ…यू आर टू मच…अच्छा मुझे नहा लेने दो पहले. फिर देखते हैं आगे क्या करना है.”
“नही मैने अपने होंटो के प्रेम रस से नहलाउंगा तुम्हे आज.”
“तुम पागल हो सच में.”
“वैसे तुमने आज तक नही बताया की उस दिन कैसा लगा था तुम्हे.”
“दर्द हुआ था बहुत ज़्यादा. मैने उसी दिन बता दिया था तुम्हे. क्यों पूछते हो बार-बार.”
“हुआ यू कि हमारे लंड महोदया बस अंदर गये ही थे आपके की आपने वो पुस्तक गिरा दी. हमारे लंड महोदया को आपकी चूत के अंदर प्रेम घर्सन करने का अवसर ही नही मिला. अन्यथा आप इस वक्त दर्द को याद ना करती.”
“अंदाज़ बड़ा निराला है आपका. ये सब कहाँ से सीखा.”
“आपके प्रेम ने सभ्य भासा सीखा दी. क्या करें प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.”
“हम भी प्यार करते हैं आपसे कोई मज़ाक नही.” पद्मिनी ने कहा.
राज शर्मा ने पद्मिनी के होंटो को प्यार से किस किया और बोला, “चलो पद्मिनी इस प्यार में आज डूब जायें हम दोनो. जब इतना प्यार करते हैं हम एक दूसरे से तो हक़ बनता है ये हमारा.”
पद्मिनी कुछ नही बोली. बस राज शर्मा की छाती पर सर टीका कर चिपक गयी उसके साथ. बहुत कश कर जाकड़ लिया था उसने राज शर्मा को.
“मेरी महबूबा का स्वीकृति देने का अंदाज़ बड़ा निराला है.” राज शर्मा ने पद्मिनी के नितंबो को जाकड़ लिया दोनो हाथो में.
राज शर्मा ने पद्मिनी को खुद से अलग किया और उसे गोदी में उठा लिया. पद्मिनी ने अपनी आँखे बंद कर ली. राज शर्मा ने बड़े प्यार से उसे बिस्तर पर लेटा दिया. पद्मिनी आँखे बंद किए पड़ी रही चुपचाप. जब कुछ देर उसे राज शर्मा की कोई चुअन महसूस नही हुई तो उसने आँखे खोल कर देखा. राज शर्मा पूरे कपड़े उतार चुका था. लंड पूरे तनाव में था. पद्मिनी की नज़र जैसे ही राज शर्मा के लंड पर पड़ी उसने अपने दोनो हाथो में अपना चेहरा ढक लिया, “ऑम्ग…अब पता चला उस दिन इतना दर्द क्यों हुआ था.”
“उस दिन के दर्द का कारण बता चुके हैं हम आपको. उसका हमारे लंड महोदया की लंबाई-चौड़ाई से कोई लेना देना नही है.”
राज शर्मा पद्मिनी के उपर चढ़ गया और उसके कपड़े उतारने लगा.
“कपड़े रहने दो प्लीज़. मुझे शरम आएगी.”
“कपड़े नही उतारोगी तो मैं तुम्हारे अंग-अंग पर अपने होंटो को कैसे रखूँगा. चलो ये चोली उतारते हैं पहले.” राज शर्मा ने चोली उतार दी. पद्मिनी बिना कुछ कहे सहयोग कर रही थी.
“वाउ…ब्यूटिफुल. इन उभारों को ब्रा के चंगुल से बाद में आज़ाद करेंगे पहले ये लहंगा उतार लेते हैं.” राज शर्मा ने कहा.
राज शर्मा ने पद्मिनी के नितंबो के नीचे हाथ सरकाए और लहँगे को पकड़ कर नीचे खींच लिया.
“जितना सुंदर चेहरा…उतना ही सुंदर शरीर. मन भी सुंदर पाया है तुमने. व्हाट आ रेर कॉंबिनेशन. “ राज शर्मा ने लहँगे को पद्मिनी के शरीर से अलग करते हुए कहा.
“तुम नाच रही थी तो तुम्हारे उभार जब उपर नीचे हिल रहे थे तो मेरा दिल भी उपर नीचे उछल रहा था. मन कर रहा था की पकड़ लूँ तुम्हे जा कर और टूट पदू इन उछलते उभारों पर.” राज शर्मा ने ब्रा खोलते हुए कहा.
“कैसी बाते करते हो तुम…मुझे शरम आ रही है…प्लीज़ मूह बंद रखो अपना.”
“क्या करूँ दीवाना हूँ तुम्हारा. तुम्हारी तारीफ़ किए बिना रह ही नही सकता.”
राज शर्मा ने पद्मिनी के बायें उभार के निपल को होंटो में दबा लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया. पद्मिनी की सिसकियाँ गूंजने लगी कमरे में.
“कैसा लग रहा है तुम्हे.” राज शर्मा ने पूछा.
पद्मिनी ने कोई जवाब नही दिया. उसने राज शर्मा के सर को थाम लिया और उसके सर पर हल्का सा दबाव बनाया ताकि उसके होन्ट वापिस निपल्स पर टिक जायें.
“लगता है तुम्हे मज़ा आ रहा है…हहेहेहहे…वैसे मैं दूसरे निपल पर जा रहा था. तुम कहती हो तो इसे ही चूस्ता रहता हूँ.”
पद्मिनी शरम से पानी-पानी हो गयी. “नही मेरा वो मतलब नही था. तुम करो जो करना है.”
“आपकी इन्हीं अदाओं पे तो प्यार आता है…थोड़ा नही बेसुमार आता है. बस एक बार हमें ये बता दो. इन अदाओं का तूफान कहाँ से आता है.”
“तुम ऐसी बातें करोगे तो कोई भी शर्मा जाएगा.”
“चलो इसी निपल को सक करता हूँ. लगता है ये ज़्यादा मज़ा दे रहा है तुम्हे…हिहिहीही..”
राज शर्मा फिर से डूब गया पद्मिनी के उभारों में. पद्मिनी फिर से आहें भरने लगी. बारी-बारी से दोनो उभारों को प्यार कर रहा था राज शर्मा. पद्मिनी की सिसकियाँ तेज होती जा रही थी.
अचानक राज शर्मा पद्मिनी के निपल्स छोड़ कर हट गया और पद्मिनी की पॅंटी को धीरे से नीचे सरका कर पद्मिनी के शरीर से अलग कर दिया. पद्मिनी की टांगे काँपने लगी और उसकी साँसे बहुत तेज चलने लगी.
राज शर्मा के लिए एक पल भी रुकना मुस्किल हो रहा था. उसने पद्मिनी की टाँगो को अपने कंधे पर रख लिया और पद्मिनी के चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “मुझे कभी किसी का प्यार नही मिला पद्मिनी. जिंदगी भर प्यार के लिए तरसता रहा. ऐसा नही था की मैने कोशिस नही की. जो भी लड़कियाँ जिंदगी में आईं उन्होने मेरे दिल में झाँक कर देखा ही नही. मैं प्यार ढूंड रहा था हमेशा…लेकिन जिंदगी पता नही कब बस सेक्स में उलझ गयी. प्यार की तलाश इसलिए भी थी शायद क्योंकि बचपन से अनाथ था. तुम्हे प्यार तो करने लगा था पर डरता था कि दिल टूट ना जाए. लेकिन मैं आज बहुत खुश हूँ क्योंकि मेरा दिल बहुत प्यार से संभाल कर रखा है तुमने. इतना प्यार कभी नही मिला पद्मिनी. आइ लव यू सो मच.”
“आइ लव यू टू…राज शर्मा. झुत नही बोलूँगी. तुमसे प्यार करना नही चाहती थी. तुमसे दूर ही रहना चाहती थी. पर ना जाने क्या जादू किया तुमने कि मैं तुम्हारे प्यार में फँस गयी.”
“वैसे दूर क्यों भागती थी मुझसे तुम.”
“मैने सपना देखा था. जिसमे तुम मेरे साथ…ये सब कर रहे थे.”
“ये सब मतलब…सेक्स.”
“हां…. हम खुले में थे. किसी खेत का द्रिस्य था शायद. अचानक मुझे नगमा दिखी चारपाई पर लेटी हुई. मैने तुम्हे रोकने की कोशिस कि ये कह कर की नगमा देख लेगी. पर तुम नही रुके. अचानक साइको आ गया वहाँ और मेरी आँख खुल गयी. इस सपने ने बहुत डरा दिया था मुझे. इसलिए तुमसे दूर भागती थी.”
“हाहहहहाहा….अब पता चला सारा चक्कर. तो तुम अपनी चूत बचाने के चक्कर में थी.”
“शट अप…” पद्मिनी गुस्से में बोली.”
“वैसे सपना सच हुआ है तुम्हारा. उस दिन टेबल पर झुका रखा था तुम्हे तो नगमा की फोटो भी गिरी थी नीचे. उसके उपर एसपी की फोटो थी. क्या सपने में भी पीछे से ठोक रहा था तुम्हे.”
“मुझे कुछ याद नही है अब….” पद्मिनी हंसते हुए बोली.
“सो स्वीट पद्मिनी. हमेशा यू ही हँसती रहना.”
“तुम मुझे यू ही प्यार करोगे तो मैं यू ही हँसती रहूंगी.”
“पद्मिनी क्या मैं समा जाऊ तुम में.”
“मना करूँगी तो क्या रुक जाओगे.”
“बोल कर तो देखो.”
“रुक जाओ फिर…” पद्मिनी ने बोलते ही आँखे बंद कर ली. क्योंकि उसे यकीन था कि राज शर्मा तुरंत समा जाएगा उसके अंदर. पर ऐसा कुछ नही हुआ. पद्मिनी ने एक मिनिट बाद आँख खोली और बोली, “क्या हुआ तुम तो सच में रुक गये. तुम तो ऐसे नही थे.”
क्रमशः..........................