hotaks444
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बात एक रात की--96
गतान्क से आगे.................
“सॉरी पद्मिनी जी. मैं आपको डिस्टर्ब नही करना चाहता था. इसलिए फोन नही किया आपको. लेकिन ये जान कर बहुत अछा लग रहा है कि आप मुझे ढूंड रही थी. वैसे क्यों ढूंड रही थी आप मुझे…टेल…टेल.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.
“कुछ बनाया था ख़ास आज नाश्ते में. तुम्हे चखाना चाहती थी. और कोई बात नही थी. ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नही है.”
“फिर तो अच्छा ही हुआ कि मैं यहाँ नही था. पता नही क्या बनाया था आपने. खा कर बेहोश हो जाता तो.”
“कभी खाया भी है तुमने मेरे हाथ का कुछ जो ऐसा बोल रहे हो. बहुत अच्छा खाना बनाती हूँ मैं.”
“ऐसे कैसे यकीन कर लूँ मैं. मैने तो यही सुना था कि हसिनाओं को खाना…वाना बनाना नही आता. बस अपनी अदाओं से घायल करना आता है.”
“अभी बना कर दूं कुछ तो क्या यकीन करोगे?”
“इस वक्त…इतनी रात को आप मेरे लिए कुछ बनाएँगी. कितना प्यार करने लगी हैं आप मुझे. मेरे आँखे अब सच में नम हो गयी हैं.” राज शर्मा ने झूठ मूठ आँखे मलते हुए कहा.
“जाओ चुपचाप बैठ जाओ अपनी जीप में जाकर…कुछ नही बना रही हूँ मैं. हद होती है मज़ाक की भी. मुझे नही पता था कि तुम इतना मज़ाक करते हो.”
“अरे मज़ाक का बुरा मान गयी आप. मज़ाक का कोई बुरा मानता है क्या?”
“क्या कहते थे तुम मुझे, प्यार करते हैं हम आपसे…कोई मज़ाक नही. अब ऐसा लग रहा है कि मज़ाक वाला पार्ट ही सही है इसमे बाकी सब झूठ है.”
“आपसे थोड़ा सा हँसी मज़ाक करके दिल खुश हो गया आज. क्या ये खुशी छीन लेंगी आप मुझसे. आपको अगर इतना बुरा लगा तो नही करूँगा मज़ाक आजसे कभी.”
“ऐसी बात नही है राज शर्मा… सॉरी… आक्च्युयली मैं सच में अच्छा खाना बनाती हूँ. सब तारीफ़ करते हैं मेरे हाथ के खाने की. इसलिए तुम्हारा मज़ाक बुरा लग गया मुझे.”
“चलिए फिर…तारीफ़ करने वालो में मैं भी शामिल होना चाहता हूँ.” राज शर्मा ने कहा.
“तुम यही रूको मैं बना कर लाती हूँ.” पद्मिनी ने कहा.
“क्या मैं आपके साथ किचन में नही आ सकता. देखना चाहता हूँ आपको बनाते हुए.”
पद्मिनी ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोली, “आ जाओ”
“इतना सोचा क्यों आपने मुझे अंदर बुलाते हुए. मैं क्या आपको खा जाउन्गा.”
“कुछ नही…तुम नही समझोगे.” अब अपना सपना कैसे सुनाए पद्मिनी राज शर्मा को
पद्मिनी किचन में गयी और सबसे पहले गॅस ऑन किया. “ओह नो…”
“क्या हुआ?”
“गॅस ख़तम हो गयी…दूसरा सिलिंडर भी नही है.”
“चलिए परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है…हम बैठ कर बाते करते हैं.”
“हां पर मेरा मन था कुछ बनाने का. भूक भी लग रही है. उफ्फ ये गॅस भी आज ही ख़तम होनी थी.” पद्मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.
राज शर्मा तो देखता ही रह गया पद्मिनी को. गजब की मासूमियत थी पद्मिनी के चेहरे पर. ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बच्चे का खिलोना टूट गया हो और वो रोने वाला हो.
“पद्मिनी जी छोड़िए ना…चलिए प्यार भरी बाते करते हैं. अब आपसे प्यार का रिस्ता जुड़ गया है…खाना पीना तो होता ही रहेगा.” राज शर्मा ने कहा.
“हां अब यही कर सकते हैं.”
पद्मिनी किचॅन के बाहर दीवार के सहारे खड़ी थी. राज शर्मा उसके सामने खड़ा था. राज शर्मा चुपके-चुपके पद्मिनी के गुलाबी होंटो को देखे जा रहा था.
“क्या देख रहे हो तुम घूर-घूर कर बार बार.”
“क…क…कुछ नही. क्या आपको देख नही सकता मैं. बहुत प्यारी लग रही हैं आप.”
पद्मिनी ना चाहते हुए भी शर्मा गयी.
“अरे आप तो शरमाती भी बहुत अच्छा हैं.” राज शर्मा ने पद्मिनी की आँखो में देखते हुए कहा.
पद्मिनी ने अपनी नज़रे झुका ली. कोई जवाब नही दिया राज शर्मा को.
“यही मोका है राज शर्मा…बढ़ आगे और जाकड़ ले इन गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंटो में. पद्मिनी जी अच्छे मूड में लग रही हैं. इस से अच्छा मोका नही मिलेगा पप्पी करने का.” राज शर्मा दृढ़ता से पद्मिनी की तरफ बढ़ा और बिल्कुल करीब आ गया पद्मिनी के.
इस से पहले की पद्मिनी कुछ समझ पाती राज शर्मा ने अपने होन्ट टिका दिए पद्मिनी के होंटो पर और दोनो हाथो से पद्मिनी के सर को कुछ इस कदर पकड़ लिया की पद्मिनी अपने होन्ट उसके होंटो से जुदा ना कर पाए. पद्मिनी ने पूरी कोशिस की राज शर्मा को हटाने की पर अपना राज शर्मा कहाँ रुकने वाला था. अपना प्यार मजबूत करना था उसे इसलिए पद्मिनी के गुलाबी होंटो को पूरी शिदत से चूस्ता रहा अपने होंटो में दबा कर. पद्मिनी बस कू..कू करती रही…मुँह से बोलती भी तो कैसे बोलती कुछ. पूरे 2 मिनिट बाद हटा राज शर्मा और बोला, “गुलाब की पंखुड़ियों से भी मुलायम होन्ट हैं आपके. कैसी लगी हमारी पहली किस.”
पद्मिनी ने कुछ कहने की बजाए थप्पड़ जड़ दिया राज शर्मा को, “ऐसी लगी ये बेहूदा किस. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ज़बरदस्ती किस करने की. क्या यही प्यार है तुम्हारा. ये किसी रेप से कम नही था. मेरे पास मत आना आज के बाद तुम.”
“मेरा प्यार क्या रेप लगता है आपको. किस प्यार की ज़रूरत होती है. नही तो प्यार मजबूत कैसे होगा. हम इज़हार कैसे करेंगे प्यार का अगर किस नही करेंगे तो. क्या आप मुझे किस नही करना चाहती थी.”
“दूर हो जाओ तुम मेरी नज़रो से. एक तो ग़लत काम करते हो उपर से उसे जस्टिफाइ भी करते हो. हर चीज़ का एक तरीका होता है. ये नही कि ज़बरदस्ती पकड़ कर जो मन में आए कर लो.”
“ओह सो सॉरी पद्मिनी जी. मुझे इस बात का अहसास ही नही हुआ. मैं किसी के बहकावे में आ गया था और ये सब कर बैठा.”
“किसने बहकाया तुम्हे.”
“गुरु ने कहा था कि किस करने से प्यार मजबूत होगा इसलिए जल्द से जल्द एक किस कर लो.”
“वो कहेगा कुवें में कूद जाओ तो क्या कूद जाओगे.”
“सॉरी आगे से किसी की बातों में नही आउन्गा. मगर एक बात कहना चाहूँगा.”
“क्या?”
“मैं आपके होन्ट देख कर बहक गया था. कोई मुझे ना भी भड़काता तो भी मैं ये गुस्ताख़ी कर ही देता. थप्पड़ पड़ा आपका. अहसास भी हुआ कि ग़लत किया कुछ. मगर जो अहसास मैने पाया है आपके गुलाबी होंटो को चूमने का वो इतना अनमोल है कि आप मेरी गर्दन भी काट दें अब तो गम नही होगा क्योंकि कुछ बहुत ही ज़्यादा अनमोल पा चुका हूँ मैं अब. चलता हूँ मैं बाहर. हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. गॉड ब्लेस्स यू.” राज शर्मा मूड कर चल दिया.
“रूको…”
“जी कहिए.”
“क्या बस किस ही करनी थी मुझे. क्या बात नही करेंगे हम अब.”
“ऑम्ग…क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया. विस्वास नही होता. ऐसा मत कीजिए. मैं बहुत बदमाश हूँ…फिर से जाकड़ कर पप्पी ले सकता हूँ आपकी.”
“राज शर्मा तुम्हे प्यार करती हूँ मैं. तुम इतने उतावले क्यों हो रहे हो किस के लिए. हमे पहले एक दूसरे को समझना चाहिए. एक बुनियाद बनानी चाहिए रिस्ते की. ये बातें बहुत बाद में आनी चाहिए.”
“कितनी प्यारी बात कही आपने. जिन होंटो से ये बात कही उन्हे चूमने का मन कर रहा है. अब आप ही बतायें क्या करूँ.”
“एक थप्पड़ और खाओगे मुझसे”
“मंजूर है हर जुल्मो-शितम आपका, बस होंतों को होंटो से टकराने दीजिए.” राज शर्मा ने कहा और पद्मिनी की तरफ बढ़ा.
पद्मिनी ने वाकाई एक थप्पड़ और जड़ दिया राज शर्मा के मुँह पर. मगर राज शर्मा नही रुका और पद्मिनी को पकड़ कर फिर से उसके होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच में. इस बार और भी ज़्यादा गहराई से चुंबन लिया राज शर्मा ने पद्मिनी का. पूरे 5 मिनिट चूस्ता रहा वो पद्मिनी के होंटो को.
5 मिनिट बाद पद्मिनी के होंटो को आज़ाद करके राज शर्मा बोला, “मुझे नही पता कि आपको कैसा लगा. मगर मैने जन्नत पा ली इन पलों में. और हां आपके होन्ट पूरा सहयोग दे रहे थे वरना चुंबन मुमकिन नही था. धन्यवाद आपका.”
“रूको मैने कोई सहयोग नही किया तुम्हे.”
“जानता हूँ…मैने आपके होंटो को कहा…आपको नही. आपके होन्ट मेरे हैं अब. आप चाह कर भी उन्हे मुझसे दूर नही रख सकती. गुड नाइट.”
“तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं इस सब के लिए. आइ हेट यू.”
राज शर्मा मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया, “नफ़रत झूठी है आपकी. आपके होन्ट तो इतना प्यार दे रहे थे कि पूछो मत. इट वाज़ मोस्ट ब्यूटिफुल किस ऑफ माइ लाइफ. आइ कॅन डाइ फॉर इट.”
पद्मिनी ठगी सी राज शर्मा को बाहर जाते हुए देख रही थी. राज शर्मा के जाने के बाद पद्मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया.
“बदतमीज़ कही का. मुझे नही पता था कि ये ऐसा करेगा मेरे साथ. क्यों प्यार कर बैठी हूँ मैं इस से. इसे तो भले बुरे की समझ ही नही है. प्यार में ज़बरदस्ती किस करता है क्या कोई. ग़लती कर ली थी मैने इसे घर में बुला कर. आगे से इसे कभी अंदर नही घुसने दूँगी.” पद्मिनी दरवाजे के सहारे खड़े हो कर सब सोच रही थी.
अचानक पद्मिनी को कुछ ख़याल आया और वो वहाँ से चल दी अपने कमरे की तरफ. अपने कमरे में लगे दर्पण के आगे खड़ी हो कर उसने खुद को बड़े गौर से देखा. अंजाने में ही उसका दायां हाथ खुद-ब-खुद उसके होंटो तक पहुँच गया. उसने अपने होंटो पर उंगलियाँ फिराई और धीरे से बोली, “तुम क्यों उसके साथ मिल गये थे.”
पद्मिनी को अपने अंदर से जो जवाब आया उस पर वो विस्वास नही कर पाई. “किस ऐसी भी हो सकती है, कभी सोचा नही था.”
“छी ये सब मैं क्या सोच रही हूँ. ये राज शर्मा अपने जैसा ही बनाने पर तुला है मुझे. पर मैं क्या करूँ प्यार कर बैठी हूँ इस पागल से दूर भी नही रह सकती उस से. वो सुबह बिना बताए चला गया था तो कितनी बेचैन रही थी मैं. ऐसा क्यों होता है प्यार में?” पर पद्मिनी के पास अपने स्वाल का कोई जवाब नही था.
“मुझे हाथ नही उठाना चाहिए था राज शर्मा पर. बुरा लगा होगा उसे. पर मैं क्या करती…अचानक जाकड़ लिया उसने मुझे. मुझे सोचने समझने का मोका तक नही दिया.पहली बार मैने किसी को थप्पड़ मारा है. जिसे मारना चाहिए था उसे तो आज तक नही मार पाई और जो मुझे इतना प्यार करता है उस पर हाथ उठा दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”
पद्मिनी खिड़की के पास आई और पर्दे को हल्का सा हटा कर देखा. राज शर्मा अपनी जीप में आँखे बंद किए बैठा था. “कही नाराज़ तो नही हो गया राज शर्मा मुझसे.” पद्मिनी ने मन ही मन सोचा.
राज शर्मा के शरीर में हलचल हुई तो पद्मिनी ने फ़ौरन परदा गिरा दिया और दिल पर हाथ रख कर बोली, “कही देख तो नही लिया उसने मुझे. नही…नही..वो नींद में है शायद. अब मुझे भी सो जाना चाहिए.”
लेकिन खिड़के से हटने से पहले पद्मिनी ने एक बार फिर परदा हटा कर देखा. राज शर्मा वैसे ही आँखे बंद किए पड़ा था. “शुकर है नही देखा इसने मुझे…नही तो मज़ाक उड़ाता सुबह मेरा.” पद्मिनी मुस्कुराते हुए सोच रही थी.
पद्मिनी अपने बिस्तर पर आकर गिर गयी और आँखे बंद करके धीरे से बोली,“ सॉरी राज शर्मा…मुझे तुम्हे थप्पड़ नही मारना चाहिए था. प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे शिवा कोई नही है मेरा अब.”
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रोहित शालिनी के रूम पर पहुँचा तो देखा की अंदर से एक नर्स निकल रही है. रोहित ने उस नर्स को रोका और पूछा, “मेडम जाग रही हैं या सो रही हैं.”
“अभी-अभी इंजेक्षन दे कर आई हूँ उन्हे. वो जाग रही हैं.”
रोहित का चेहरा चमक उठा ये सुन कर. वो घुस गया कमरे में. शालिनी आँखे मीचे पड़ी थी.
“मेडम सब ठीक है ना. कोई तकलीफ़ तो नही है.” रोहित ने धीरे से कहा.
“रोहित तुम! तुम यहाँ क्या कर रहे हो. आराम करने को कहा था ना मैने.”
“आराम ही कर रहा था मैं कमरे में की अचानक” रोहित ने पूरी बात बताई ए एस पी साहिबा को.
“ओह…फिर भी दूसरे पोलीस वाले भी हैं यहा.”
“मेडम क्या चौहान को आपने कही भेजा है.”
“नही मैने तो कही नही भेजा.” शालिनी ने कहा.
“ओह…शायद किसी काम से गये होंगे?” रोहित ने कहा.
“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.
“जी मेडम बोलिए.”
“कुछ नही…जाओ सो जाओ.” शालिनी ने गहरी साँस लेकर कहा.
“क्या बात है बोलिए ना?”
“नही रहने दो…कोई बात नही है.”
“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे.”
“नही रोहित”
“फिर बोलिए ना क्या बात है.”
“किसी ने मुझे ऐसे नही डांटा कभी जैसे तुमने डांटा था वहाँ जंगल में.”
“सॉरी मेडम, जो सज़ा देनी है दे दीजिए. चाहे तो सस्पेंड कर दीजिए तुरंत, बुरा नही मानूँगा बिल्कुल भी.”
“नही मेरा वो मतलब नही था.”
“फिर आप अब मुझे डाँट कर दिल की भादास निकाल लीजिए.”
“नही वो भी नही करना चाहती”
“फिर क्या करना चाहती हैं आप.”
“कुछ नही..तुम सो जाओ जाकर. मुझे अब नींद आ रही है.”
रोहित सर खुजाता हुआ बाहर आ गया
“मेडम कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हैं. पता नही क्या चक्कर है …कही वही चक्कर तो नही जो कि मैं सोच रहा था. ”
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क्रमशः........................
गतान्क से आगे.................
“सॉरी पद्मिनी जी. मैं आपको डिस्टर्ब नही करना चाहता था. इसलिए फोन नही किया आपको. लेकिन ये जान कर बहुत अछा लग रहा है कि आप मुझे ढूंड रही थी. वैसे क्यों ढूंड रही थी आप मुझे…टेल…टेल.” राज शर्मा ने हंसते हुए कहा.
“कुछ बनाया था ख़ास आज नाश्ते में. तुम्हे चखाना चाहती थी. और कोई बात नही थी. ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नही है.”
“फिर तो अच्छा ही हुआ कि मैं यहाँ नही था. पता नही क्या बनाया था आपने. खा कर बेहोश हो जाता तो.”
“कभी खाया भी है तुमने मेरे हाथ का कुछ जो ऐसा बोल रहे हो. बहुत अच्छा खाना बनाती हूँ मैं.”
“ऐसे कैसे यकीन कर लूँ मैं. मैने तो यही सुना था कि हसिनाओं को खाना…वाना बनाना नही आता. बस अपनी अदाओं से घायल करना आता है.”
“अभी बना कर दूं कुछ तो क्या यकीन करोगे?”
“इस वक्त…इतनी रात को आप मेरे लिए कुछ बनाएँगी. कितना प्यार करने लगी हैं आप मुझे. मेरे आँखे अब सच में नम हो गयी हैं.” राज शर्मा ने झूठ मूठ आँखे मलते हुए कहा.
“जाओ चुपचाप बैठ जाओ अपनी जीप में जाकर…कुछ नही बना रही हूँ मैं. हद होती है मज़ाक की भी. मुझे नही पता था कि तुम इतना मज़ाक करते हो.”
“अरे मज़ाक का बुरा मान गयी आप. मज़ाक का कोई बुरा मानता है क्या?”
“क्या कहते थे तुम मुझे, प्यार करते हैं हम आपसे…कोई मज़ाक नही. अब ऐसा लग रहा है कि मज़ाक वाला पार्ट ही सही है इसमे बाकी सब झूठ है.”
“आपसे थोड़ा सा हँसी मज़ाक करके दिल खुश हो गया आज. क्या ये खुशी छीन लेंगी आप मुझसे. आपको अगर इतना बुरा लगा तो नही करूँगा मज़ाक आजसे कभी.”
“ऐसी बात नही है राज शर्मा… सॉरी… आक्च्युयली मैं सच में अच्छा खाना बनाती हूँ. सब तारीफ़ करते हैं मेरे हाथ के खाने की. इसलिए तुम्हारा मज़ाक बुरा लग गया मुझे.”
“चलिए फिर…तारीफ़ करने वालो में मैं भी शामिल होना चाहता हूँ.” राज शर्मा ने कहा.
“तुम यही रूको मैं बना कर लाती हूँ.” पद्मिनी ने कहा.
“क्या मैं आपके साथ किचन में नही आ सकता. देखना चाहता हूँ आपको बनाते हुए.”
पद्मिनी ने थोड़ी देर सोचा और फिर बोली, “आ जाओ”
“इतना सोचा क्यों आपने मुझे अंदर बुलाते हुए. मैं क्या आपको खा जाउन्गा.”
“कुछ नही…तुम नही समझोगे.” अब अपना सपना कैसे सुनाए पद्मिनी राज शर्मा को
पद्मिनी किचन में गयी और सबसे पहले गॅस ऑन किया. “ओह नो…”
“क्या हुआ?”
“गॅस ख़तम हो गयी…दूसरा सिलिंडर भी नही है.”
“चलिए परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है…हम बैठ कर बाते करते हैं.”
“हां पर मेरा मन था कुछ बनाने का. भूक भी लग रही है. उफ्फ ये गॅस भी आज ही ख़तम होनी थी.” पद्मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.
राज शर्मा तो देखता ही रह गया पद्मिनी को. गजब की मासूमियत थी पद्मिनी के चेहरे पर. ऐसा लग रहा था जैसे की किसी बच्चे का खिलोना टूट गया हो और वो रोने वाला हो.
“पद्मिनी जी छोड़िए ना…चलिए प्यार भरी बाते करते हैं. अब आपसे प्यार का रिस्ता जुड़ गया है…खाना पीना तो होता ही रहेगा.” राज शर्मा ने कहा.
“हां अब यही कर सकते हैं.”
पद्मिनी किचॅन के बाहर दीवार के सहारे खड़ी थी. राज शर्मा उसके सामने खड़ा था. राज शर्मा चुपके-चुपके पद्मिनी के गुलाबी होंटो को देखे जा रहा था.
“क्या देख रहे हो तुम घूर-घूर कर बार बार.”
“क…क…कुछ नही. क्या आपको देख नही सकता मैं. बहुत प्यारी लग रही हैं आप.”
पद्मिनी ना चाहते हुए भी शर्मा गयी.
“अरे आप तो शरमाती भी बहुत अच्छा हैं.” राज शर्मा ने पद्मिनी की आँखो में देखते हुए कहा.
पद्मिनी ने अपनी नज़रे झुका ली. कोई जवाब नही दिया राज शर्मा को.
“यही मोका है राज शर्मा…बढ़ आगे और जाकड़ ले इन गुलाबी पंखुड़ियों को अपने होंटो में. पद्मिनी जी अच्छे मूड में लग रही हैं. इस से अच्छा मोका नही मिलेगा पप्पी करने का.” राज शर्मा दृढ़ता से पद्मिनी की तरफ बढ़ा और बिल्कुल करीब आ गया पद्मिनी के.
इस से पहले की पद्मिनी कुछ समझ पाती राज शर्मा ने अपने होन्ट टिका दिए पद्मिनी के होंटो पर और दोनो हाथो से पद्मिनी के सर को कुछ इस कदर पकड़ लिया की पद्मिनी अपने होन्ट उसके होंटो से जुदा ना कर पाए. पद्मिनी ने पूरी कोशिस की राज शर्मा को हटाने की पर अपना राज शर्मा कहाँ रुकने वाला था. अपना प्यार मजबूत करना था उसे इसलिए पद्मिनी के गुलाबी होंटो को पूरी शिदत से चूस्ता रहा अपने होंटो में दबा कर. पद्मिनी बस कू..कू करती रही…मुँह से बोलती भी तो कैसे बोलती कुछ. पूरे 2 मिनिट बाद हटा राज शर्मा और बोला, “गुलाब की पंखुड़ियों से भी मुलायम होन्ट हैं आपके. कैसी लगी हमारी पहली किस.”
पद्मिनी ने कुछ कहने की बजाए थप्पड़ जड़ दिया राज शर्मा को, “ऐसी लगी ये बेहूदा किस. तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ज़बरदस्ती किस करने की. क्या यही प्यार है तुम्हारा. ये किसी रेप से कम नही था. मेरे पास मत आना आज के बाद तुम.”
“मेरा प्यार क्या रेप लगता है आपको. किस प्यार की ज़रूरत होती है. नही तो प्यार मजबूत कैसे होगा. हम इज़हार कैसे करेंगे प्यार का अगर किस नही करेंगे तो. क्या आप मुझे किस नही करना चाहती थी.”
“दूर हो जाओ तुम मेरी नज़रो से. एक तो ग़लत काम करते हो उपर से उसे जस्टिफाइ भी करते हो. हर चीज़ का एक तरीका होता है. ये नही कि ज़बरदस्ती पकड़ कर जो मन में आए कर लो.”
“ओह सो सॉरी पद्मिनी जी. मुझे इस बात का अहसास ही नही हुआ. मैं किसी के बहकावे में आ गया था और ये सब कर बैठा.”
“किसने बहकाया तुम्हे.”
“गुरु ने कहा था कि किस करने से प्यार मजबूत होगा इसलिए जल्द से जल्द एक किस कर लो.”
“वो कहेगा कुवें में कूद जाओ तो क्या कूद जाओगे.”
“सॉरी आगे से किसी की बातों में नही आउन्गा. मगर एक बात कहना चाहूँगा.”
“क्या?”
“मैं आपके होन्ट देख कर बहक गया था. कोई मुझे ना भी भड़काता तो भी मैं ये गुस्ताख़ी कर ही देता. थप्पड़ पड़ा आपका. अहसास भी हुआ कि ग़लत किया कुछ. मगर जो अहसास मैने पाया है आपके गुलाबी होंटो को चूमने का वो इतना अनमोल है कि आप मेरी गर्दन भी काट दें अब तो गम नही होगा क्योंकि कुछ बहुत ही ज़्यादा अनमोल पा चुका हूँ मैं अब. चलता हूँ मैं बाहर. हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा. गॉड ब्लेस्स यू.” राज शर्मा मूड कर चल दिया.
“रूको…”
“जी कहिए.”
“क्या बस किस ही करनी थी मुझे. क्या बात नही करेंगे हम अब.”
“ऑम्ग…क्या आपने मुझे माफ़ कर दिया. विस्वास नही होता. ऐसा मत कीजिए. मैं बहुत बदमाश हूँ…फिर से जाकड़ कर पप्पी ले सकता हूँ आपकी.”
“राज शर्मा तुम्हे प्यार करती हूँ मैं. तुम इतने उतावले क्यों हो रहे हो किस के लिए. हमे पहले एक दूसरे को समझना चाहिए. एक बुनियाद बनानी चाहिए रिस्ते की. ये बातें बहुत बाद में आनी चाहिए.”
“कितनी प्यारी बात कही आपने. जिन होंटो से ये बात कही उन्हे चूमने का मन कर रहा है. अब आप ही बतायें क्या करूँ.”
“एक थप्पड़ और खाओगे मुझसे”
“मंजूर है हर जुल्मो-शितम आपका, बस होंतों को होंटो से टकराने दीजिए.” राज शर्मा ने कहा और पद्मिनी की तरफ बढ़ा.
पद्मिनी ने वाकाई एक थप्पड़ और जड़ दिया राज शर्मा के मुँह पर. मगर राज शर्मा नही रुका और पद्मिनी को पकड़ कर फिर से उसके होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच में. इस बार और भी ज़्यादा गहराई से चुंबन लिया राज शर्मा ने पद्मिनी का. पूरे 5 मिनिट चूस्ता रहा वो पद्मिनी के होंटो को.
5 मिनिट बाद पद्मिनी के होंटो को आज़ाद करके राज शर्मा बोला, “मुझे नही पता कि आपको कैसा लगा. मगर मैने जन्नत पा ली इन पलों में. और हां आपके होन्ट पूरा सहयोग दे रहे थे वरना चुंबन मुमकिन नही था. धन्यवाद आपका.”
“रूको मैने कोई सहयोग नही किया तुम्हे.”
“जानता हूँ…मैने आपके होंटो को कहा…आपको नही. आपके होन्ट मेरे हैं अब. आप चाह कर भी उन्हे मुझसे दूर नही रख सकती. गुड नाइट.”
“तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं इस सब के लिए. आइ हेट यू.”
राज शर्मा मुस्कुराता हुआ बाहर आ गया, “नफ़रत झूठी है आपकी. आपके होन्ट तो इतना प्यार दे रहे थे कि पूछो मत. इट वाज़ मोस्ट ब्यूटिफुल किस ऑफ माइ लाइफ. आइ कॅन डाइ फॉर इट.”
पद्मिनी ठगी सी राज शर्मा को बाहर जाते हुए देख रही थी. राज शर्मा के जाने के बाद पद्मिनी ने तुरंत दरवाजा बंद कर लिया.
“बदतमीज़ कही का. मुझे नही पता था कि ये ऐसा करेगा मेरे साथ. क्यों प्यार कर बैठी हूँ मैं इस से. इसे तो भले बुरे की समझ ही नही है. प्यार में ज़बरदस्ती किस करता है क्या कोई. ग़लती कर ली थी मैने इसे घर में बुला कर. आगे से इसे कभी अंदर नही घुसने दूँगी.” पद्मिनी दरवाजे के सहारे खड़े हो कर सब सोच रही थी.
अचानक पद्मिनी को कुछ ख़याल आया और वो वहाँ से चल दी अपने कमरे की तरफ. अपने कमरे में लगे दर्पण के आगे खड़ी हो कर उसने खुद को बड़े गौर से देखा. अंजाने में ही उसका दायां हाथ खुद-ब-खुद उसके होंटो तक पहुँच गया. उसने अपने होंटो पर उंगलियाँ फिराई और धीरे से बोली, “तुम क्यों उसके साथ मिल गये थे.”
पद्मिनी को अपने अंदर से जो जवाब आया उस पर वो विस्वास नही कर पाई. “किस ऐसी भी हो सकती है, कभी सोचा नही था.”
“छी ये सब मैं क्या सोच रही हूँ. ये राज शर्मा अपने जैसा ही बनाने पर तुला है मुझे. पर मैं क्या करूँ प्यार कर बैठी हूँ इस पागल से दूर भी नही रह सकती उस से. वो सुबह बिना बताए चला गया था तो कितनी बेचैन रही थी मैं. ऐसा क्यों होता है प्यार में?” पर पद्मिनी के पास अपने स्वाल का कोई जवाब नही था.
“मुझे हाथ नही उठाना चाहिए था राज शर्मा पर. बुरा लगा होगा उसे. पर मैं क्या करती…अचानक जाकड़ लिया उसने मुझे. मुझे सोचने समझने का मोका तक नही दिया.पहली बार मैने किसी को थप्पड़ मारा है. जिसे मारना चाहिए था उसे तो आज तक नही मार पाई और जो मुझे इतना प्यार करता है उस पर हाथ उठा दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”
पद्मिनी खिड़की के पास आई और पर्दे को हल्का सा हटा कर देखा. राज शर्मा अपनी जीप में आँखे बंद किए बैठा था. “कही नाराज़ तो नही हो गया राज शर्मा मुझसे.” पद्मिनी ने मन ही मन सोचा.
राज शर्मा के शरीर में हलचल हुई तो पद्मिनी ने फ़ौरन परदा गिरा दिया और दिल पर हाथ रख कर बोली, “कही देख तो नही लिया उसने मुझे. नही…नही..वो नींद में है शायद. अब मुझे भी सो जाना चाहिए.”
लेकिन खिड़के से हटने से पहले पद्मिनी ने एक बार फिर परदा हटा कर देखा. राज शर्मा वैसे ही आँखे बंद किए पड़ा था. “शुकर है नही देखा इसने मुझे…नही तो मज़ाक उड़ाता सुबह मेरा.” पद्मिनी मुस्कुराते हुए सोच रही थी.
पद्मिनी अपने बिस्तर पर आकर गिर गयी और आँखे बंद करके धीरे से बोली,“ सॉरी राज शर्मा…मुझे तुम्हे थप्पड़ नही मारना चाहिए था. प्लीज़ मुझसे नाराज़ मत होना. तुम्हारे शिवा कोई नही है मेरा अब.”
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रोहित शालिनी के रूम पर पहुँचा तो देखा की अंदर से एक नर्स निकल रही है. रोहित ने उस नर्स को रोका और पूछा, “मेडम जाग रही हैं या सो रही हैं.”
“अभी-अभी इंजेक्षन दे कर आई हूँ उन्हे. वो जाग रही हैं.”
रोहित का चेहरा चमक उठा ये सुन कर. वो घुस गया कमरे में. शालिनी आँखे मीचे पड़ी थी.
“मेडम सब ठीक है ना. कोई तकलीफ़ तो नही है.” रोहित ने धीरे से कहा.
“रोहित तुम! तुम यहाँ क्या कर रहे हो. आराम करने को कहा था ना मैने.”
“आराम ही कर रहा था मैं कमरे में की अचानक” रोहित ने पूरी बात बताई ए एस पी साहिबा को.
“ओह…फिर भी दूसरे पोलीस वाले भी हैं यहा.”
“मेडम क्या चौहान को आपने कही भेजा है.”
“नही मैने तो कही नही भेजा.” शालिनी ने कहा.
“ओह…शायद किसी काम से गये होंगे?” रोहित ने कहा.
“रोहित!” शालिनी ने आवाज़ दी.
“जी मेडम बोलिए.”
“कुछ नही…जाओ सो जाओ.” शालिनी ने गहरी साँस लेकर कहा.
“क्या बात है बोलिए ना?”
“नही रहने दो…कोई बात नही है.”
“क्या आप नाराज़ हैं मुझसे.”
“नही रोहित”
“फिर बोलिए ना क्या बात है.”
“किसी ने मुझे ऐसे नही डांटा कभी जैसे तुमने डांटा था वहाँ जंगल में.”
“सॉरी मेडम, जो सज़ा देनी है दे दीजिए. चाहे तो सस्पेंड कर दीजिए तुरंत, बुरा नही मानूँगा बिल्कुल भी.”
“नही मेरा वो मतलब नही था.”
“फिर आप अब मुझे डाँट कर दिल की भादास निकाल लीजिए.”
“नही वो भी नही करना चाहती”
“फिर क्या करना चाहती हैं आप.”
“कुछ नही..तुम सो जाओ जाकर. मुझे अब नींद आ रही है.”
रोहित सर खुजाता हुआ बाहर आ गया
“मेडम कैसी बहकी बहकी बाते कर रही हैं. पता नही क्या चक्कर है …कही वही चक्कर तो नही जो कि मैं सोच रहा था. ”
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क्रमशः........................