hotaks444
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खानदानी चुदाई का सिलसिला--1
कहानी के मे कॅरेक्टर्स से आपका इंट्रोडक्षन:
बाबूजी - नाम राजपाल उमर 45 साल, हाइट 5 फ्ट 9 इंच, रंग गेहुआ, पतली मूछ रखते हैं और पैदाइश से उनके राइट हॅंड की फोरफिंगर और मिड्ल फिंगर जुड़ी हुई हैं. इसका इस कहानी में बड़ा योगदान है.
राजकुमार उर्फ राजू - घर का सबसे बड़ा लड़का, उमर 32 साल, हाइट 6 फ्ट 2 इंच, रंग गोरा. इनकी ख़ासियत ..बाद में बताएँगे.
मीना उर्फ मिन्नी - घर की सबसे बड़ी बहू और राजू की वाइफ, उमर 31 साल, रंग गोरा, हाइट 5 फ्ट 6 इंच. ये एक ग़रीब घर की पैदाइश हैं. बड़े परिवार की सबसे बड़ी लड़की. इनके घर में कोई भी सागा भाई बहेन नही था. इनके पिता ने 2 शादियाँ की. पहली से मिन्नी हुई और 2 साल की उमर में मा का देहांत हो गया. उसके बाद पिता ने दूसरी शादी की और उनसे 2 लड़के और 1 लड़की हुई. वो सब एक गाओं में रहते हैं.
सुजीत - घर का मझला बेटा, उमर 30 साल, रंग काला, हाइट 5 फ्ट 8 इंच. इनकी ख़ासियत है इनका हासमुख स्वाभाव और वो भी अपने को लेके. सबके बीच अपना ही मज़ाक बना लेते हैं.
राखी - सुजीत की वाइफ. उमर 28 साल, रंग गोरा, हाइट 5 फ्ट 9 इंच, इनकी ख़ासियत कि यह घर के हर सदस्य से प्यार करती हैं .. और उनका हर तरह से ख़याल रखती हैं..हन पर घर के काम में कुच्छ कमज़ोर हैं.
संजय - घर का सबसे छ्होटा बेटा, उमर 29 साल, रंग गेहुआ, हाइट 5 फ्ट 11 इंच, पढ़ाई में अव्वल, काम में तेज़, दिमाग़ से तेज़. चुप रहना पसंद है इन्हे ज़ियादातर, पर जब बोलते हैं तो बाकी लोग सुनते हैं. इनकी एक और ख़ासियत है और वो है मस्ती में आके इनका जंगलीपन. अगर कभी ये दारू पी के टन हो जाएँ तो जैसे की बाकी लोग लूड़क जाते हैं ये उसका उल्टा करते हैं. ये और भी आक्टिव हो जाते हैं. ये ख़ासियत इनके बहुत काम की है..!!
सखी - घर की सबसे छ्होटी बहू और संजय की वाइफ, उमर 23 साल, रंग सांवला, हाइट 5 फ्ट 1 इंच, सबसे चुलबुली, और सबसे घुल मिल के रहने वाली. इनकी ख़ासियत है इनकी फॅशन सेन्स. किसी भी ड्रेस में ये अच्छी दिखती हैं. दूसरे इनकी ख़ासियत है इनके खूबसूरत बाल. इनके बाल इनकी कमर से भी नीचे तक लहराते हैं और ये उनका बहुत ख़याल भी रखती हैं.
ये सब सदस्य एक ही घर में एक छ्होटे से शहेर में रहते हैं. जैसा की छ्होटे शहरों में होता है गली मोहल्ले के लोग इन्हे अच्छे से जानते हैं और आपसा की खुशिओ और गम में शामिल होते हैं. पर छ्होटे शहरों की एक ख़ासियत और भी है और वो है बंद कमरों के पिछे होने वाली कहानिया. जो चीज़ें बड़े शहरों में खुले आम बिना पर्दों के होती हैं वोही चीज़े छोटे शहरों में पर्दों के पिछे होती है. अगर पड़ोसी को पता चल जाए तो बात कहाँ की कहाँ पहुँच सकती है. पर इस घर का हिसाब थोड़ा अलग है.... ये घर शहेर में होते हुए भी थोड़ा अलग है. क्योंकि इस घर के चारों तरफ एक बड़ा आँगन है. और हो भी क्यों ना हो आफ्टर ऑल बाबूजी शहर के पुराने रईसों में से एक हैं. पूरा घर और आँगन मिला के 4 एकर के करीब जगह है. चारों तरफ 8 फ्ट की दीवार और बीचों बीच 6 बेडरूम का मकान. घर की एंट्री के बाद एक बहुत बड़ा ड्रॉयिंग रूम है. उससे लगता हुआ एक बड़ा सा डाइनिंग एरिया और उसके साथ किचन. इसके अलावा घर के दूसरे हिस्से में सबके कमरे हैं जिनको एक कामन कॉरिडर जोड़ता है.
सबसे पहले बाबूजी का कमरा है और उनके ठीक सामने राजू का. उनके साथ संजय का और सामने सुजीत का. उनके बाद 2 गेस्ट रूम हैं. हर कमरे के साथ एक अटॅच्ड बाथरूम है. इस प्रकार 3 - 3 कमरो के 2 सेट कॉरिडर के दोनो तरफ हैं. हर सेट के कमरो में आपस में भी एक एक डोर है जिससे की एक रूम से दूसरे रूम में जा सके.
घर की छत पे एक 2 रूम का सेट है जिसमे नौकरों के रहने का प्रबंध है. इस घर में आज से पहले हमेशा नौकर रहा है, पर जब से दीनू काका का देहांत हुआ तब से कोई भी अच्छा नौकर नही मिल पाया. आजकल ये परिवार घर में बिना नौकर के गुज़ारा कर रहा है. बस एक नौकरानी है कमला जो कि सुबह से लेके शाम तक घर के काम काज में मदद करवा देती है और चली जाती है.
''अर्रे बड़ी बहू इधर तो आना... क्या कर रही है..अगर खाली है तो आजा ज़रा '' बाबूजी ने ड्रवोयिंग रूम के सोफे पे लेटे लेटे आवाज़ दी.
''जी बाबूजी अभी आई....हंजी लीजिए आ गई..बताइए क्या काम है..'' मिन्नी ने कमरे में दाखिल होते हुए कहा. क्रीम कलर की सारी का पल्लू अपनी कमर में दबाए वो बाबूजी के सामने सोफे पे बैठ गई.
''क्या कर रही थी बहू ?? देख ना तेरा सीरियल आने वाला है..चल दोनो मिल के बैठ के देखते हैं..क्या कुछ काम कर रही थी क्या..???'' बाबूजी ने पुछा.
'' जी नही बस काम ख़तम कर के अपने कमरे में सुसताने जा रही थी. आज कल इस सीरियल में मन नही लगता. जब से उस हेरोयिन का पति मरा है तब से ये बेचारी सफेद साड़ी में घूम रही है..मुझे तो इस्पे तरस आता है और इसके पुराने बाय्फ्रेंड पे भी जो आज तक इसके आगे पिछे घूम रहा है. देखिए ना बाबूजी ये समाज की कैसी परेशानी है कि 2 प्यार करने वाले आपस में मिल भी नही सकते. तो क्या हुआ कि वो एक विधवा है ...तो क्या उसे प्यार का हक नही है....क्या उसके सीने में और उसके बदन में मेरी जैसी आग नही लगती होगी...?????'' मिन्नी ने थोड़ा उदास और थोड़ा गुस्से में कहा.
कहानी के मे कॅरेक्टर्स से आपका इंट्रोडक्षन:
बाबूजी - नाम राजपाल उमर 45 साल, हाइट 5 फ्ट 9 इंच, रंग गेहुआ, पतली मूछ रखते हैं और पैदाइश से उनके राइट हॅंड की फोरफिंगर और मिड्ल फिंगर जुड़ी हुई हैं. इसका इस कहानी में बड़ा योगदान है.
राजकुमार उर्फ राजू - घर का सबसे बड़ा लड़का, उमर 32 साल, हाइट 6 फ्ट 2 इंच, रंग गोरा. इनकी ख़ासियत ..बाद में बताएँगे.
मीना उर्फ मिन्नी - घर की सबसे बड़ी बहू और राजू की वाइफ, उमर 31 साल, रंग गोरा, हाइट 5 फ्ट 6 इंच. ये एक ग़रीब घर की पैदाइश हैं. बड़े परिवार की सबसे बड़ी लड़की. इनके घर में कोई भी सागा भाई बहेन नही था. इनके पिता ने 2 शादियाँ की. पहली से मिन्नी हुई और 2 साल की उमर में मा का देहांत हो गया. उसके बाद पिता ने दूसरी शादी की और उनसे 2 लड़के और 1 लड़की हुई. वो सब एक गाओं में रहते हैं.
सुजीत - घर का मझला बेटा, उमर 30 साल, रंग काला, हाइट 5 फ्ट 8 इंच. इनकी ख़ासियत है इनका हासमुख स्वाभाव और वो भी अपने को लेके. सबके बीच अपना ही मज़ाक बना लेते हैं.
राखी - सुजीत की वाइफ. उमर 28 साल, रंग गोरा, हाइट 5 फ्ट 9 इंच, इनकी ख़ासियत कि यह घर के हर सदस्य से प्यार करती हैं .. और उनका हर तरह से ख़याल रखती हैं..हन पर घर के काम में कुच्छ कमज़ोर हैं.
संजय - घर का सबसे छ्होटा बेटा, उमर 29 साल, रंग गेहुआ, हाइट 5 फ्ट 11 इंच, पढ़ाई में अव्वल, काम में तेज़, दिमाग़ से तेज़. चुप रहना पसंद है इन्हे ज़ियादातर, पर जब बोलते हैं तो बाकी लोग सुनते हैं. इनकी एक और ख़ासियत है और वो है मस्ती में आके इनका जंगलीपन. अगर कभी ये दारू पी के टन हो जाएँ तो जैसे की बाकी लोग लूड़क जाते हैं ये उसका उल्टा करते हैं. ये और भी आक्टिव हो जाते हैं. ये ख़ासियत इनके बहुत काम की है..!!
सखी - घर की सबसे छ्होटी बहू और संजय की वाइफ, उमर 23 साल, रंग सांवला, हाइट 5 फ्ट 1 इंच, सबसे चुलबुली, और सबसे घुल मिल के रहने वाली. इनकी ख़ासियत है इनकी फॅशन सेन्स. किसी भी ड्रेस में ये अच्छी दिखती हैं. दूसरे इनकी ख़ासियत है इनके खूबसूरत बाल. इनके बाल इनकी कमर से भी नीचे तक लहराते हैं और ये उनका बहुत ख़याल भी रखती हैं.
ये सब सदस्य एक ही घर में एक छ्होटे से शहेर में रहते हैं. जैसा की छ्होटे शहरों में होता है गली मोहल्ले के लोग इन्हे अच्छे से जानते हैं और आपसा की खुशिओ और गम में शामिल होते हैं. पर छ्होटे शहरों की एक ख़ासियत और भी है और वो है बंद कमरों के पिछे होने वाली कहानिया. जो चीज़ें बड़े शहरों में खुले आम बिना पर्दों के होती हैं वोही चीज़े छोटे शहरों में पर्दों के पिछे होती है. अगर पड़ोसी को पता चल जाए तो बात कहाँ की कहाँ पहुँच सकती है. पर इस घर का हिसाब थोड़ा अलग है.... ये घर शहेर में होते हुए भी थोड़ा अलग है. क्योंकि इस घर के चारों तरफ एक बड़ा आँगन है. और हो भी क्यों ना हो आफ्टर ऑल बाबूजी शहर के पुराने रईसों में से एक हैं. पूरा घर और आँगन मिला के 4 एकर के करीब जगह है. चारों तरफ 8 फ्ट की दीवार और बीचों बीच 6 बेडरूम का मकान. घर की एंट्री के बाद एक बहुत बड़ा ड्रॉयिंग रूम है. उससे लगता हुआ एक बड़ा सा डाइनिंग एरिया और उसके साथ किचन. इसके अलावा घर के दूसरे हिस्से में सबके कमरे हैं जिनको एक कामन कॉरिडर जोड़ता है.
सबसे पहले बाबूजी का कमरा है और उनके ठीक सामने राजू का. उनके साथ संजय का और सामने सुजीत का. उनके बाद 2 गेस्ट रूम हैं. हर कमरे के साथ एक अटॅच्ड बाथरूम है. इस प्रकार 3 - 3 कमरो के 2 सेट कॉरिडर के दोनो तरफ हैं. हर सेट के कमरो में आपस में भी एक एक डोर है जिससे की एक रूम से दूसरे रूम में जा सके.
घर की छत पे एक 2 रूम का सेट है जिसमे नौकरों के रहने का प्रबंध है. इस घर में आज से पहले हमेशा नौकर रहा है, पर जब से दीनू काका का देहांत हुआ तब से कोई भी अच्छा नौकर नही मिल पाया. आजकल ये परिवार घर में बिना नौकर के गुज़ारा कर रहा है. बस एक नौकरानी है कमला जो कि सुबह से लेके शाम तक घर के काम काज में मदद करवा देती है और चली जाती है.
''अर्रे बड़ी बहू इधर तो आना... क्या कर रही है..अगर खाली है तो आजा ज़रा '' बाबूजी ने ड्रवोयिंग रूम के सोफे पे लेटे लेटे आवाज़ दी.
''जी बाबूजी अभी आई....हंजी लीजिए आ गई..बताइए क्या काम है..'' मिन्नी ने कमरे में दाखिल होते हुए कहा. क्रीम कलर की सारी का पल्लू अपनी कमर में दबाए वो बाबूजी के सामने सोफे पे बैठ गई.
''क्या कर रही थी बहू ?? देख ना तेरा सीरियल आने वाला है..चल दोनो मिल के बैठ के देखते हैं..क्या कुछ काम कर रही थी क्या..???'' बाबूजी ने पुछा.
'' जी नही बस काम ख़तम कर के अपने कमरे में सुसताने जा रही थी. आज कल इस सीरियल में मन नही लगता. जब से उस हेरोयिन का पति मरा है तब से ये बेचारी सफेद साड़ी में घूम रही है..मुझे तो इस्पे तरस आता है और इसके पुराने बाय्फ्रेंड पे भी जो आज तक इसके आगे पिछे घूम रहा है. देखिए ना बाबूजी ये समाज की कैसी परेशानी है कि 2 प्यार करने वाले आपस में मिल भी नही सकते. तो क्या हुआ कि वो एक विधवा है ...तो क्या उसे प्यार का हक नही है....क्या उसके सीने में और उसके बदन में मेरी जैसी आग नही लगती होगी...?????'' मिन्नी ने थोड़ा उदास और थोड़ा गुस्से में कहा.