desiaks
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सुरेन्द्र पाल सिंह होठों से कुछ बुदबुदाए जा रहे थे जो किशन समझ नहींं पा रहा था| थोड़े-थोड़े अन्तराल के बाद उसकी आंखें भर आती थी| वे बहुत असहाय से लग रहे थे| उसके चेहरे पर एक उदासी सी छायी रहती जिससे हृदय छलनी होता था और रोना आता था|
किशन खाना छोड़कर सुरेन्द्र पाल सिंह को हैरानी से देख रहा था|
"बाबा, इनकी आंखों की रोशनी चली गई है… और बेटे की मौत के सदमे से इनकी दिमागी हालत भी बिगड़ गई है इसलिए ऐसे ही कुछ भी बड़बड़ाते रहते हैं|" राधिका ने बताया|
“मगर यह सब हुआ कैसे“ उसने फिर पूछा|
“बाबा इस समाज… इस खौखले रिति रिवाजों वाली दुनिया में प्यार करने वालों के दुश्मनों की कमी नहीं है… मेरे जीजा जी किसी दूसरी लड़की से प्यार करते थे, मगर उनके साथ भी वही शीतल वाली कहानी हुई… जबरदस्ती उनकी शादी मेरी बहन से कर दी गई| परन्तु जोर जबरदस्ती के बनाये गये बन्धन किसी को सदा के लिए नहीं बांध सकते| एक दिन संजय ने जहर खा लिया| घर में जो कुछ जमा पुंजी थी वह सब उसे बचाने की कोशिश मे खर्च हो गई| बस बाबा संजय के साथ-साथ इस घर की तरक्की की हर उम्मीद का भी दम निकल गया… मगर बाबा जो इस सब के लिए जिम्मेदार है मैने उससे बदला ले लिया है अब जबकि वह ऐसे हालात मे है जहां सिर्फ मैं उसकी मदद कर स्कती हू लेकिन मै ऐसा करूंगी नहीं… अब वह भी नरक की आग में जलेगा| बाबा मुझे आशीर्वाद दीजिये कि मैं अपने इरादांे पर कायम रह सकूं|
राधिका की बातें सुनकर किशन को किसी पुस्तक से पढ़े हुए शब्द याद आ गये जो कइन्सान सूर्य और चन्द्रमा के भीतर का रहस्यों का भी पता लगा सकता है किन्तु जब एक औरत किसी को उलझाने पे आये तो उसको समझ पाना किसी के बस की बात नहीं”
“देवी शत्रु की हानि इन्सान को अपने लाभ से भी अधिक प्रिय होती है, मानव स्वभाव ही कुछ ऐसा है परन्तु बहुत कम लोग ऐसे खुशनसीब होते हैं जिनको सच्चा प्यार मिलता है| जहांं तक मैं समझ रहा हू तुमने अपने क्रोध के वशीभूत होकर अपनी व अपने प्रियतम दोनों की जिन्दगी बर्बाद कर ली है| क्योंकिं किसी ऐसे शख्श से नफरत करने के लिए जो उसके सर्वनाश का कारण हो किसी के आशीर्वाद की जरूरत नहीं होती| ऐसा केवल वही कह सकता है, जो अपने उस दुश्मन के लिए दिल से मजबुर हो ओर ऐसी परिस्थिती मे दिल को मजबुर या कमजोर बनाने का काम केवल मोहब्बत कर सकती है| महोब्बत बैर से कहीं ज्यादा पाक होती है ये उस दामन में मुंह छिपाने से भी परहेज नहींं करती जो उसके अजीजों के खून से सना हुआ है|”
“बाबा…
भगवान के लिए मुझे ये इल्जाम न दो,
मुझे उससे प्यार है, ये मुझसे सहा न जाएगा|
यह कहते-कहते राधिका की आँखों में आंसुओं की बाढ़ आ गई| मैने क्या गलत किया बाबा… यदि कोइ हमारी चीज छीन ले तो हमारा धर्म है कि उससे यथाशक्ति लड़ें| हार कर बैठना तो कायरों का काम ह मैने बस वही किया जो मुझे करना चाहिए था| मेरे शत्रु को उसके कुकृत्य का दंड़ देकर इश्वर ने भी मेरा सही होना व अपना न्याय सिद्ध किया है|
किशन उठ खड़ा हुआ| उसकी आखों से नफरत का पर्दा हट गया| उसे राधिका की बेवफाई का रहस्य समझ आ गया और बरबस ही उसकी आंखों से भी आंसू की चंद बूंदें टपक पडी| शर्म और अपमान की एक ठंड़ी लहर शिराओं में रेंग गई|
“जब मैं मान-मर्यादा से ही हाथ धो बैठा तो अब इस समाज में नीच बन कैसे जीऊंगा” इसी विचार के साथ वह उठकर चल दिया| उसने आत्म−बलिदान से इस कष्ट का निवारण करने का दॄढ़ संकल्प कर लिया| वह उस दशा में पहुच गया था जब सारी आशाएं मॄत्यु पर ही अवलम्बित हो जाती है| उसे मॄत्यु का अब जरा भी भय न था|
एक घर के नजदीक से गुजरते हुए इस गीत के बोल उसके कानों में पउजड़ा मेरा नशीब, हाथ मेरे खाली,तू सलामत रहे, अल्लाह है वाल्ली,
उजड़ा मेरा नशीब, हाथ मेरे खाली,तू सलामत रहे, अल्लाह है वाल्ली,
दिल पे क्या गुजरे,
वो शख्श जो हारा है|
भीगी पलकों पर, नाम तूम्हारा है,
बीच भंवर कश्ती बड़ी दूर किनारा है …
कैसा तड़पा देने वाला गीत था और कैसी दर्द भरी रसीली आवाज थी बब्बु मान की|
संगीत में कल्पनाओं को जगाने की बडी शक्ति होती है| वह मनुष्य को भौतिक संसार से उठाकर कल्पना लोक में पहुंचा देता है| किशन इस गीत से इतना प्रभावित हुआ कि जरा देर के लिए उसे ख्याल न रहा कि वह कहां है| दिल और दिमाग में बस वही राग गूँज रहा था| दिल की हालत में एक ज़बरदस्त इन्कलाब हो रहा था, उसके मन ने उसे धिक्कारा और इस जिल्लत ने उसकी बदला लेने की इच्छा को भी खत्म कर दिया| अब उसे गुस्सा न था, गम न था, उसे बस मौत की आरजू थी, सिर्फ, एक चेतना बाकी थी और वह अपमान की चेतना थी| उसने एक ठण्ड़ी सांस ली| दर्द उमड़, आया| आसुओं से गला फंस गया, जबान से सिर्फ इतना निकलये मै कैसे सहूंगा, कि मैं बेवफा हूँ ,
जब अपनी जगह सच्चा मेरा प्यार है|
अगर वो ही नहीं मेरे नसीब मे,
फिर चाहे भगवान भी करे वादा,
अब मुझको हर खुशी देने का,
तब भी मुझे जीने से इन्कार है,
ये मै कैसे सहूंगा, कि मैं बेवफा हूँ ,
जब अपनी जगह सच्चा मेरा प्यार है|
किशन की आखों से आंसू गिरने लगे|
दीवार फांदकर किशन चुपके से अपने घर में घुस गया| वह तेजी से एक कमरे की ओर बढ़ गया जहां एक कोने में एक बड़ी सी कैन रखी थी| जिसका प्रयोग खेतों में खरपतवार को नष्ट करने के लिए किया जाता है| उस कैन पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा था ''जहर''|
किशन खाना छोड़कर सुरेन्द्र पाल सिंह को हैरानी से देख रहा था|
"बाबा, इनकी आंखों की रोशनी चली गई है… और बेटे की मौत के सदमे से इनकी दिमागी हालत भी बिगड़ गई है इसलिए ऐसे ही कुछ भी बड़बड़ाते रहते हैं|" राधिका ने बताया|
“मगर यह सब हुआ कैसे“ उसने फिर पूछा|
“बाबा इस समाज… इस खौखले रिति रिवाजों वाली दुनिया में प्यार करने वालों के दुश्मनों की कमी नहीं है… मेरे जीजा जी किसी दूसरी लड़की से प्यार करते थे, मगर उनके साथ भी वही शीतल वाली कहानी हुई… जबरदस्ती उनकी शादी मेरी बहन से कर दी गई| परन्तु जोर जबरदस्ती के बनाये गये बन्धन किसी को सदा के लिए नहीं बांध सकते| एक दिन संजय ने जहर खा लिया| घर में जो कुछ जमा पुंजी थी वह सब उसे बचाने की कोशिश मे खर्च हो गई| बस बाबा संजय के साथ-साथ इस घर की तरक्की की हर उम्मीद का भी दम निकल गया… मगर बाबा जो इस सब के लिए जिम्मेदार है मैने उससे बदला ले लिया है अब जबकि वह ऐसे हालात मे है जहां सिर्फ मैं उसकी मदद कर स्कती हू लेकिन मै ऐसा करूंगी नहीं… अब वह भी नरक की आग में जलेगा| बाबा मुझे आशीर्वाद दीजिये कि मैं अपने इरादांे पर कायम रह सकूं|
राधिका की बातें सुनकर किशन को किसी पुस्तक से पढ़े हुए शब्द याद आ गये जो कइन्सान सूर्य और चन्द्रमा के भीतर का रहस्यों का भी पता लगा सकता है किन्तु जब एक औरत किसी को उलझाने पे आये तो उसको समझ पाना किसी के बस की बात नहीं”
“देवी शत्रु की हानि इन्सान को अपने लाभ से भी अधिक प्रिय होती है, मानव स्वभाव ही कुछ ऐसा है परन्तु बहुत कम लोग ऐसे खुशनसीब होते हैं जिनको सच्चा प्यार मिलता है| जहांं तक मैं समझ रहा हू तुमने अपने क्रोध के वशीभूत होकर अपनी व अपने प्रियतम दोनों की जिन्दगी बर्बाद कर ली है| क्योंकिं किसी ऐसे शख्श से नफरत करने के लिए जो उसके सर्वनाश का कारण हो किसी के आशीर्वाद की जरूरत नहीं होती| ऐसा केवल वही कह सकता है, जो अपने उस दुश्मन के लिए दिल से मजबुर हो ओर ऐसी परिस्थिती मे दिल को मजबुर या कमजोर बनाने का काम केवल मोहब्बत कर सकती है| महोब्बत बैर से कहीं ज्यादा पाक होती है ये उस दामन में मुंह छिपाने से भी परहेज नहींं करती जो उसके अजीजों के खून से सना हुआ है|”
“बाबा…
भगवान के लिए मुझे ये इल्जाम न दो,
मुझे उससे प्यार है, ये मुझसे सहा न जाएगा|
यह कहते-कहते राधिका की आँखों में आंसुओं की बाढ़ आ गई| मैने क्या गलत किया बाबा… यदि कोइ हमारी चीज छीन ले तो हमारा धर्म है कि उससे यथाशक्ति लड़ें| हार कर बैठना तो कायरों का काम ह मैने बस वही किया जो मुझे करना चाहिए था| मेरे शत्रु को उसके कुकृत्य का दंड़ देकर इश्वर ने भी मेरा सही होना व अपना न्याय सिद्ध किया है|
किशन उठ खड़ा हुआ| उसकी आखों से नफरत का पर्दा हट गया| उसे राधिका की बेवफाई का रहस्य समझ आ गया और बरबस ही उसकी आंखों से भी आंसू की चंद बूंदें टपक पडी| शर्म और अपमान की एक ठंड़ी लहर शिराओं में रेंग गई|
“जब मैं मान-मर्यादा से ही हाथ धो बैठा तो अब इस समाज में नीच बन कैसे जीऊंगा” इसी विचार के साथ वह उठकर चल दिया| उसने आत्म−बलिदान से इस कष्ट का निवारण करने का दॄढ़ संकल्प कर लिया| वह उस दशा में पहुच गया था जब सारी आशाएं मॄत्यु पर ही अवलम्बित हो जाती है| उसे मॄत्यु का अब जरा भी भय न था|
एक घर के नजदीक से गुजरते हुए इस गीत के बोल उसके कानों में पउजड़ा मेरा नशीब, हाथ मेरे खाली,तू सलामत रहे, अल्लाह है वाल्ली,
उजड़ा मेरा नशीब, हाथ मेरे खाली,तू सलामत रहे, अल्लाह है वाल्ली,
दिल पे क्या गुजरे,
वो शख्श जो हारा है|
भीगी पलकों पर, नाम तूम्हारा है,
बीच भंवर कश्ती बड़ी दूर किनारा है …
कैसा तड़पा देने वाला गीत था और कैसी दर्द भरी रसीली आवाज थी बब्बु मान की|
संगीत में कल्पनाओं को जगाने की बडी शक्ति होती है| वह मनुष्य को भौतिक संसार से उठाकर कल्पना लोक में पहुंचा देता है| किशन इस गीत से इतना प्रभावित हुआ कि जरा देर के लिए उसे ख्याल न रहा कि वह कहां है| दिल और दिमाग में बस वही राग गूँज रहा था| दिल की हालत में एक ज़बरदस्त इन्कलाब हो रहा था, उसके मन ने उसे धिक्कारा और इस जिल्लत ने उसकी बदला लेने की इच्छा को भी खत्म कर दिया| अब उसे गुस्सा न था, गम न था, उसे बस मौत की आरजू थी, सिर्फ, एक चेतना बाकी थी और वह अपमान की चेतना थी| उसने एक ठण्ड़ी सांस ली| दर्द उमड़, आया| आसुओं से गला फंस गया, जबान से सिर्फ इतना निकलये मै कैसे सहूंगा, कि मैं बेवफा हूँ ,
जब अपनी जगह सच्चा मेरा प्यार है|
अगर वो ही नहीं मेरे नसीब मे,
फिर चाहे भगवान भी करे वादा,
अब मुझको हर खुशी देने का,
तब भी मुझे जीने से इन्कार है,
ये मै कैसे सहूंगा, कि मैं बेवफा हूँ ,
जब अपनी जगह सच्चा मेरा प्यार है|
किशन की आखों से आंसू गिरने लगे|
दीवार फांदकर किशन चुपके से अपने घर में घुस गया| वह तेजी से एक कमरे की ओर बढ़ गया जहां एक कोने में एक बड़ी सी कैन रखी थी| जिसका प्रयोग खेतों में खरपतवार को नष्ट करने के लिए किया जाता है| उस कैन पर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा था ''जहर''|