desiaks
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सीमा को एक बड़ा आघात लगा| उसकी हालत ऐसी थी कि धरती फट जाती तो वह उसमें समा जाती|स्त्रिया स्वभाव से लज्जावती होती हैं| उनमें आत्माभिमान की मात्रा अधिक होती है| निन्दा और अपमान उनसे सहन नहींं होता|एक आबरू ही तो होती है औरत के पास, चाहे मर्द उसे ताकत से हासिल कर ले या औरत अपनी मर्जी से उसे उसके हवाले कर दे… औरत तो कंगाल हो ही जाती है,
सिर झुकाये हुए और रोती हुई सीमा वहीं घुटनो पर बैठ गई|
"मगर आप परेशान किसलिए है" इतना कहने के बाद कुटिल मुस्कान उछालते हुए वह बोला, "देखो सीमा जी, मैं नहीं पड़ता इस प्यार-व्यार के झमेले में… अपना तो साफ कहना है गलत काम भी ईमानदारी से करना चाहिए| अब देखिये न आपने अपनी आबरू मेरे हवाले की है तो बदले में मैंने भी रूपये दिये हैं, किसी ने किसी पर अहसान नहींं किया है|"
प्रदीप ने फिर उस पर जहरीले शब्दों का वार करते हुए कहा सीमा जी धन और धोखे में बड़ा गहरा संबंध होता है| दोनोंं की राशि एक ही है| धन की प्राप्ति होने से अक्ल की धार तीखी हो जाती है| अब देखो न आप किशन पर कितना भरोसा करते थे, मगर उसे धन मिला तो उसने आपके साथ ही धोखा कर दिया|
सीमा निरूत्तर खड़ी रही उसे लगने लगा जैसे उसके पाव किसी दलदल पर टिके हुए हैं| जहाँ उसे अपना होना न होना संदिग्ध दिखाई देने लगा| आँखों के आगे धुधलका सा छा गया और रोती बिलखती हुइ वह वहीं फर्श पर ढ़ह गई|
दूसरी तरफ सवेरे जब किशन को होश आया तो उसने सिर में दर्द महसूस किया| आस-पास कोइ न था| एका-एक उसे सीमा का ध्यान आया| वह तेजी से उठ बैठा मगर सामने का दॄश्य देखकर उसकी आंखे फट गई यह एक पुराना लाल छत वाला घर था जो थोडी सी समतल जमीन में अकेला खड़ा है| जिसके आसपास गन्दगी का ढ़ेर नजर आ रहा था| कहीं कोइ आवाज नहीं| एक गन्दे कोने में एक टूटा बेंच था| बायीं ओर देखा तो किशन धक से रह गया उसकी दॄष्टि फर्श पर पड़ी| वहा खून ही खून बिखरा हुआ था निकट ही एक तेज धार वाला चाकू पड़ा हुआ था| किशन की कांपती दॄष्टि कमरे में दौड़ गई| इसके बाद का दॄश्य देखकर तो मानो उसके पावों तले से जमीन ही खिस्क गई| एक ओर सीमा का कटा हुआ सिर रखा था| निकट ही कोहनियों से कटी हुई कलाइयां रखी थीं| कमरे के बीचो-बीच फर्श पर सीमा की हड़िडयों का ढ़ांचा पड़ा था| खाल पूरी तरह जल चुकी थी| हड़िड़यां बिल्कुल काली पड़ चुकी थी| कमरे में देह जलने की एक तीव्र गंध फैली हुइ थी| किशन ने यह गंध महसूस की उसे लगा जैसे वह किसी श्मशान में चिता के पास बैठा हों| उसके भीतर इस गंध ने एक हाहाकार मचा दिया| उसका दिमाग चकरा गया वह टूटे बैंच पर बैठते हुए सिर पकड़कर रो पड़ा| ये सब कैसे हो गया … किसने किया होगा… हे भगवान अब मैं क्या करूं … अचानक उसके दिमाग में आया कि सबसे पहले इस बात की सूचना पुलिस को देनी चाहिए|
वह लगभग भागता हुआ पुलिस चौंकी की ओर बढ़ गया| यहां के इन्चारज इस्पैक्टर ओ• पी• गुप्ता थे जो इस समय अपने केबिन में बैठे हुए किसी फाइल का अध्यन कर रहे थे उनका कद करीब छह फुट का था| वह हॄष्ट-पुष्ट शरीर के मालिक थे और कतॄव्य परायण इस्पैक्टर थे|
अपने केबिन के बाहर किसी के पैरों की चाप सुनकर वह चौक गये और सोचने लगे सवेरे-सवेरे कौन आ टपका| उन्होंने अपनी दॄष्टि थोड़, ऊपर उठाकर दरवाजे पर ड़ाली| दरवाजे पर हवलदार के साथ कोइ अपरिचित युवक खडा था जो कुछ हड़बड़या सा लग रहा था| उसके चेहरे से हवाइयां उड़ रही थी| कुछ देर तक उस युवक को एकटक घूरते रहे| फिर अपनी कड़कदार आवाज में इस्पैक्टर गुप्ता बोले “कहिये कैसे आना हुआ’’
“ज… ज… जी मेरा नाम किशन है’’ किशन ने इस्पैक्टर गुप्ता के समीप आते हुए कहा
फिर उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और बोला “मैं शान्ति नगर का रहने वाला हूंं ”|
“आप करते क्या हैं’’ इस्पैक्टर ओ• पी• गुप्ता ने अपना पहला प्रश्न किया|
ज… ज… जी मैं अभी पढ़ता हूँ’’ किशन ने अपनी उखडी हुई सांस को नियंत्रित करते हुए कहा “आज सवेरे यानि अब से कुछ देर पहले जब म सोकर उठा तो मेरे सामने एक मुसीबत खडी हो गई उस मुसीबत ने मुझे परेशान कर दिया है इस्पैक्टर साहब मैं कुछ समझ नहींं पा रहा हूंं कि क्या करूं | ’’
“ऐसी कौन सी मुसीबत आ पडी जरा हम भी तो सुनें ’’इंस्पेक्टर ओ• पी• गुप्ता ने अपनापन व्यकत करते हुए बडी प्यार से पूछा|
किशन ने साहस करके सब कुछ सच सच बता दिया|
पूरी बात सुनकर ओ• पी• गुप्ता को एक झटका सा लगा उनका चेहरा कठोर हो गया वह हवलदार को गाड़ी निकालने का इशारा करके कुछ सोचते हुए बोले इसका मतलब जिस कमरे में लड़की का कत्ल हुआ आप भी उसी कमरे में उपस्थित थे|
“जी इंस्पेक्टर साहब’’
“चलो अब मैं उस जगह को देखना चाहता हूँ”
“इस्पैक्टर साहब परन्तु आप मेरी रिपोर्ट तो दर्ज कर लीजिये|’’
“मिस्टर मैं किसी को सबुत नष्ट करने का वक्त नहीं दिया करता घटनास्थल के निरीक्षण के पश्चात् तुम्हारी रिपोर्ट लिख ली जायेगी, फिलहाल तुम मुझे मौका-ए-वारदात पर लेकर चलो|
चार हवलदारों व किशन को साथ लेकर इंस्पेक्टर गुप्ता घटनास्थल पर पहुंचे| कमरे की तलाशी ली हर चीज का निरीक्षण किया व फोरेंसिक लैब के एक्सपर्टस को बुलाया गया|
सिर झुकाये हुए और रोती हुई सीमा वहीं घुटनो पर बैठ गई|
"मगर आप परेशान किसलिए है" इतना कहने के बाद कुटिल मुस्कान उछालते हुए वह बोला, "देखो सीमा जी, मैं नहीं पड़ता इस प्यार-व्यार के झमेले में… अपना तो साफ कहना है गलत काम भी ईमानदारी से करना चाहिए| अब देखिये न आपने अपनी आबरू मेरे हवाले की है तो बदले में मैंने भी रूपये दिये हैं, किसी ने किसी पर अहसान नहींं किया है|"
प्रदीप ने फिर उस पर जहरीले शब्दों का वार करते हुए कहा सीमा जी धन और धोखे में बड़ा गहरा संबंध होता है| दोनोंं की राशि एक ही है| धन की प्राप्ति होने से अक्ल की धार तीखी हो जाती है| अब देखो न आप किशन पर कितना भरोसा करते थे, मगर उसे धन मिला तो उसने आपके साथ ही धोखा कर दिया|
सीमा निरूत्तर खड़ी रही उसे लगने लगा जैसे उसके पाव किसी दलदल पर टिके हुए हैं| जहाँ उसे अपना होना न होना संदिग्ध दिखाई देने लगा| आँखों के आगे धुधलका सा छा गया और रोती बिलखती हुइ वह वहीं फर्श पर ढ़ह गई|
दूसरी तरफ सवेरे जब किशन को होश आया तो उसने सिर में दर्द महसूस किया| आस-पास कोइ न था| एका-एक उसे सीमा का ध्यान आया| वह तेजी से उठ बैठा मगर सामने का दॄश्य देखकर उसकी आंखे फट गई यह एक पुराना लाल छत वाला घर था जो थोडी सी समतल जमीन में अकेला खड़ा है| जिसके आसपास गन्दगी का ढ़ेर नजर आ रहा था| कहीं कोइ आवाज नहीं| एक गन्दे कोने में एक टूटा बेंच था| बायीं ओर देखा तो किशन धक से रह गया उसकी दॄष्टि फर्श पर पड़ी| वहा खून ही खून बिखरा हुआ था निकट ही एक तेज धार वाला चाकू पड़ा हुआ था| किशन की कांपती दॄष्टि कमरे में दौड़ गई| इसके बाद का दॄश्य देखकर तो मानो उसके पावों तले से जमीन ही खिस्क गई| एक ओर सीमा का कटा हुआ सिर रखा था| निकट ही कोहनियों से कटी हुई कलाइयां रखी थीं| कमरे के बीचो-बीच फर्श पर सीमा की हड़िडयों का ढ़ांचा पड़ा था| खाल पूरी तरह जल चुकी थी| हड़िड़यां बिल्कुल काली पड़ चुकी थी| कमरे में देह जलने की एक तीव्र गंध फैली हुइ थी| किशन ने यह गंध महसूस की उसे लगा जैसे वह किसी श्मशान में चिता के पास बैठा हों| उसके भीतर इस गंध ने एक हाहाकार मचा दिया| उसका दिमाग चकरा गया वह टूटे बैंच पर बैठते हुए सिर पकड़कर रो पड़ा| ये सब कैसे हो गया … किसने किया होगा… हे भगवान अब मैं क्या करूं … अचानक उसके दिमाग में आया कि सबसे पहले इस बात की सूचना पुलिस को देनी चाहिए|
वह लगभग भागता हुआ पुलिस चौंकी की ओर बढ़ गया| यहां के इन्चारज इस्पैक्टर ओ• पी• गुप्ता थे जो इस समय अपने केबिन में बैठे हुए किसी फाइल का अध्यन कर रहे थे उनका कद करीब छह फुट का था| वह हॄष्ट-पुष्ट शरीर के मालिक थे और कतॄव्य परायण इस्पैक्टर थे|
अपने केबिन के बाहर किसी के पैरों की चाप सुनकर वह चौक गये और सोचने लगे सवेरे-सवेरे कौन आ टपका| उन्होंने अपनी दॄष्टि थोड़, ऊपर उठाकर दरवाजे पर ड़ाली| दरवाजे पर हवलदार के साथ कोइ अपरिचित युवक खडा था जो कुछ हड़बड़या सा लग रहा था| उसके चेहरे से हवाइयां उड़ रही थी| कुछ देर तक उस युवक को एकटक घूरते रहे| फिर अपनी कड़कदार आवाज में इस्पैक्टर गुप्ता बोले “कहिये कैसे आना हुआ’’
“ज… ज… जी मेरा नाम किशन है’’ किशन ने इस्पैक्टर गुप्ता के समीप आते हुए कहा
फिर उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और बोला “मैं शान्ति नगर का रहने वाला हूंं ”|
“आप करते क्या हैं’’ इस्पैक्टर ओ• पी• गुप्ता ने अपना पहला प्रश्न किया|
ज… ज… जी मैं अभी पढ़ता हूँ’’ किशन ने अपनी उखडी हुई सांस को नियंत्रित करते हुए कहा “आज सवेरे यानि अब से कुछ देर पहले जब म सोकर उठा तो मेरे सामने एक मुसीबत खडी हो गई उस मुसीबत ने मुझे परेशान कर दिया है इस्पैक्टर साहब मैं कुछ समझ नहींं पा रहा हूंं कि क्या करूं | ’’
“ऐसी कौन सी मुसीबत आ पडी जरा हम भी तो सुनें ’’इंस्पेक्टर ओ• पी• गुप्ता ने अपनापन व्यकत करते हुए बडी प्यार से पूछा|
किशन ने साहस करके सब कुछ सच सच बता दिया|
पूरी बात सुनकर ओ• पी• गुप्ता को एक झटका सा लगा उनका चेहरा कठोर हो गया वह हवलदार को गाड़ी निकालने का इशारा करके कुछ सोचते हुए बोले इसका मतलब जिस कमरे में लड़की का कत्ल हुआ आप भी उसी कमरे में उपस्थित थे|
“जी इंस्पेक्टर साहब’’
“चलो अब मैं उस जगह को देखना चाहता हूँ”
“इस्पैक्टर साहब परन्तु आप मेरी रिपोर्ट तो दर्ज कर लीजिये|’’
“मिस्टर मैं किसी को सबुत नष्ट करने का वक्त नहीं दिया करता घटनास्थल के निरीक्षण के पश्चात् तुम्हारी रिपोर्ट लिख ली जायेगी, फिलहाल तुम मुझे मौका-ए-वारदात पर लेकर चलो|
चार हवलदारों व किशन को साथ लेकर इंस्पेक्टर गुप्ता घटनास्थल पर पहुंचे| कमरे की तलाशी ली हर चीज का निरीक्षण किया व फोरेंसिक लैब के एक्सपर्टस को बुलाया गया|