desiaks
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राधिका ने खुद की तरफ इशारा करते हुए कहा “वैसे एक खूबी तो है आपमे… आपको बचपन से ही होशियार लोग पसंद है, खैर छोड़ो फिर क्या हुआ| … उसने आपसे दोस्ती की या नहीं”
“मैने शुरू मे ही बताया था वो एक होशियार लड़की थी, तो भला मुझसे दोस्ती क्यों करने लगी”
“अच्छा जी … तो उस होशियार लड़की का जवाब नहीं था”
“अजी नहीं … वो तो मैं ही उसे बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया था, इसलिए मैने अपने एक दोस्त की मदद से एक खत में अपने मन की बात लिखकर रितू को बताये बिना ही वह खत उसके बैग में रख दिया|
“ओके… तो फिर क्या जवाब आया आप“यूं मेरे खत का जवाब आया,
पिस्तौल लेके उसका बाप आया|
“क्या सच मैं ऐसा हुआ था” राधिका ने हँसकर पूछा|
“हाँ यार… उसके पापा को देखकर मैं सोचने लगा
बहुत छुपाना चाहा था, मगर न जाने कैसे सबको पता चल गया,
याइला कहीं ऐसा तो नहीं, मेरा खत उसके बाप के हाथ लग गया|
“फिर क्या हुआ| ”
“होना क्या था उसका बाप फौजी था, और देखने में भी भयंकर था|
मेरी क्लास में आकर उसने रितू से पूछा “कौन है वो किशन| ”
रितू ने मेरी ओर इशारा कर दिया तो उसके पापा बोले “ओए कुत्ते इधर आ”
अभी तक मैं पूरी बात समझ नहीं पाया था इसलिए मैने उसका जवाब कुछ इस तरह दिया अंकल जी -
बुरा न मानता, आप मुझे बुलाते कुत्ता, थोड़ा प्यार से मगर,बल्कि हिलाता हुआ आता ये जबरू, इसको पूछ होती अगर|
“फिर क्या हुआ| ”
“होना क्या था एक बार तो उसके पापा हँस पड़े मगर फिर पता नहीं क्या हुआ, उन्होने मुझे जोर से झकझौर कर कहा “आज के बाद तूने रितू को परेशान किया तो मैं तुझे जान से मार दूंगा… चल अब सबके सामने रितू के पांव पकड़कर उससे माफी मांग”|
“फिर… ” राधिका ने बड़ी दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा
“मै क्या कर सकता था| … मैं रोने लगा और रितू के पाव पकड़कर उससे माफी माग ली|
उसके पापा जाने लगे तब मैं बोलाअरे जालिम अंकल, बस मेरी इतनी ही इज्जत रख लेते,
आप मुझे कुत्ता समझते, मगर मेरा नाम तो शेरू रख लेते|
राधिका ठहाका लगाकर हँसते हुए बोली अच्छा जी तो आपको रितू के पापा ने सुधारा|
“अरे नहीं, भला कुत्ते की दुम… इतना बोलकर वह चुप हो गया| फिर बोला मैं सुधरा नहीं बल्कि मैने रितू से सबके सामने मेरी बेइज्ज्ती करने का ऐसा बदला लिया कि उसने कुछ ही दिनो में वह स्कूल छोड़ दिया”|
“वो कैसे| ”
“वो ऐसे कि उस दिन के बाद मैं हर रोज उसका लंच खा जाता था”|
“तुम उसका लंच खा जाते थे… तो उसने तुम्हारी शिकायत क्यों नहीं की| ”
“शिकायत … हाहा … अजी उसे कभी पता ही नहीं चल पाया… उसका लंच कौन खाता है,”
“क्या…| मगर उसने ये जानने की कोशिश क्यों नहीं की| ”
“उसने तो बहुत कोशिश की थी बल्कि कुछ दिन तो वह पानी पीने तक के लिए भी क्लाश रूम से बाहर नहीं जाती थी”|
”मगर जब वह कभी बाहर ही नहीं जाती थी, तब तुम उसका खाना कैसे खाते थे| ”
“वो ऐसे… मैं सुबह घर से कुछ भी खाकर नहीं जाता था| जब सब बच्चे सुबह प्रार्थन मैदान में होते थे तभी मैं उसका खाना खा जाता था और जिस दिन वह लंच लेकर नहीं आती थी तब मैं उसकी कॉपी में से किए हुए होमवर्क के पेज फाड़ दिया करता था| जिससे कइ बार उसकी पिटाइ भी हुई| बस कुछ ही दिन में तंग आकर उसने वह स्कूल छोड़ दिया”|
“इसका मतलब तुम बचपन से ही झुठे और फरेबी थे”|
“मोहब्बत और जंग में सब जायज है मैड़म और फिर इसमे फरेब की क्या बात है उसने मेरी पिटाई करवाई थी, मैने उसकी करवा दी “हिसाब बराबर”
“अच्छा… तो रितू से हिसाब बराबर होने के बाद कोइ आपकी गर्लफ्रैंड़ बनी या नहीं”|
“जी उसके बाद एक लड़की मेरी जिन्दगी में आई, जिससे मैने दोस्ती करनी चाही थी”|
“वो कौन थी| ”
“उसका नाम सुलेखा था| वह बहुत सुन्दर थी| तब उसकी उम्र 9-10 साल होगी…
“वो सब छोड़ो मुद्दे की बात बताओ तुमने उसको कैसे प्रपोज किया, ओर उसका जवाब क्या रहा” बीच में टोकते हुए राधिका ने कहा|
“ये भी मुद्दे की ही बात थी| मैं आपको समझाना चाहता था कि वह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तौर पर मुझसे ज्यादा परिपक्व थी|
“मैने शुरू मे ही बताया था वो एक होशियार लड़की थी, तो भला मुझसे दोस्ती क्यों करने लगी”
“अच्छा जी … तो उस होशियार लड़की का जवाब नहीं था”
“अजी नहीं … वो तो मैं ही उसे बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया था, इसलिए मैने अपने एक दोस्त की मदद से एक खत में अपने मन की बात लिखकर रितू को बताये बिना ही वह खत उसके बैग में रख दिया|
“ओके… तो फिर क्या जवाब आया आप“यूं मेरे खत का जवाब आया,
पिस्तौल लेके उसका बाप आया|
“क्या सच मैं ऐसा हुआ था” राधिका ने हँसकर पूछा|
“हाँ यार… उसके पापा को देखकर मैं सोचने लगा
बहुत छुपाना चाहा था, मगर न जाने कैसे सबको पता चल गया,
याइला कहीं ऐसा तो नहीं, मेरा खत उसके बाप के हाथ लग गया|
“फिर क्या हुआ| ”
“होना क्या था उसका बाप फौजी था, और देखने में भी भयंकर था|
मेरी क्लास में आकर उसने रितू से पूछा “कौन है वो किशन| ”
रितू ने मेरी ओर इशारा कर दिया तो उसके पापा बोले “ओए कुत्ते इधर आ”
अभी तक मैं पूरी बात समझ नहीं पाया था इसलिए मैने उसका जवाब कुछ इस तरह दिया अंकल जी -
बुरा न मानता, आप मुझे बुलाते कुत्ता, थोड़ा प्यार से मगर,बल्कि हिलाता हुआ आता ये जबरू, इसको पूछ होती अगर|
“फिर क्या हुआ| ”
“होना क्या था एक बार तो उसके पापा हँस पड़े मगर फिर पता नहीं क्या हुआ, उन्होने मुझे जोर से झकझौर कर कहा “आज के बाद तूने रितू को परेशान किया तो मैं तुझे जान से मार दूंगा… चल अब सबके सामने रितू के पांव पकड़कर उससे माफी मांग”|
“फिर… ” राधिका ने बड़ी दिलचस्पी दिखाते हुए पूछा
“मै क्या कर सकता था| … मैं रोने लगा और रितू के पाव पकड़कर उससे माफी माग ली|
उसके पापा जाने लगे तब मैं बोलाअरे जालिम अंकल, बस मेरी इतनी ही इज्जत रख लेते,
आप मुझे कुत्ता समझते, मगर मेरा नाम तो शेरू रख लेते|
राधिका ठहाका लगाकर हँसते हुए बोली अच्छा जी तो आपको रितू के पापा ने सुधारा|
“अरे नहीं, भला कुत्ते की दुम… इतना बोलकर वह चुप हो गया| फिर बोला मैं सुधरा नहीं बल्कि मैने रितू से सबके सामने मेरी बेइज्ज्ती करने का ऐसा बदला लिया कि उसने कुछ ही दिनो में वह स्कूल छोड़ दिया”|
“वो कैसे| ”
“वो ऐसे कि उस दिन के बाद मैं हर रोज उसका लंच खा जाता था”|
“तुम उसका लंच खा जाते थे… तो उसने तुम्हारी शिकायत क्यों नहीं की| ”
“शिकायत … हाहा … अजी उसे कभी पता ही नहीं चल पाया… उसका लंच कौन खाता है,”
“क्या…| मगर उसने ये जानने की कोशिश क्यों नहीं की| ”
“उसने तो बहुत कोशिश की थी बल्कि कुछ दिन तो वह पानी पीने तक के लिए भी क्लाश रूम से बाहर नहीं जाती थी”|
”मगर जब वह कभी बाहर ही नहीं जाती थी, तब तुम उसका खाना कैसे खाते थे| ”
“वो ऐसे… मैं सुबह घर से कुछ भी खाकर नहीं जाता था| जब सब बच्चे सुबह प्रार्थन मैदान में होते थे तभी मैं उसका खाना खा जाता था और जिस दिन वह लंच लेकर नहीं आती थी तब मैं उसकी कॉपी में से किए हुए होमवर्क के पेज फाड़ दिया करता था| जिससे कइ बार उसकी पिटाइ भी हुई| बस कुछ ही दिन में तंग आकर उसने वह स्कूल छोड़ दिया”|
“इसका मतलब तुम बचपन से ही झुठे और फरेबी थे”|
“मोहब्बत और जंग में सब जायज है मैड़म और फिर इसमे फरेब की क्या बात है उसने मेरी पिटाई करवाई थी, मैने उसकी करवा दी “हिसाब बराबर”
“अच्छा… तो रितू से हिसाब बराबर होने के बाद कोइ आपकी गर्लफ्रैंड़ बनी या नहीं”|
“जी उसके बाद एक लड़की मेरी जिन्दगी में आई, जिससे मैने दोस्ती करनी चाही थी”|
“वो कौन थी| ”
“उसका नाम सुलेखा था| वह बहुत सुन्दर थी| तब उसकी उम्र 9-10 साल होगी…
“वो सब छोड़ो मुद्दे की बात बताओ तुमने उसको कैसे प्रपोज किया, ओर उसका जवाब क्या रहा” बीच में टोकते हुए राधिका ने कहा|
“ये भी मुद्दे की ही बात थी| मैं आपको समझाना चाहता था कि वह शारीरिक और मानसिक दोनों ही तौर पर मुझसे ज्यादा परिपक्व थी|